पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन
12.1 भूमिका
कक्षा IX से, आप कुछ ठोस आकृतियों जैसे घनाभ, शंकु, बेलन और गोला से परिचित हो चुके हैं (देखिए आकृति 12.1)। आप यह भी पढ़ चुके हैं कि इन आकृतियों के पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन किस प्रकार ज्ञात किए जाते हैं।
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
आकृति 12.1
अपने दैनिक जीवन में हमें ऐसे अनेक ठोस देखने को मिलते हैं जो उपरोक्त दो या अधिक आधारभूत ठोसों के संयोजनों से (अर्थात् इनको मिलाकर) बनते हैं।
आपने एक ट्रक के पीछे रखे बड़े कंटेनर (container) को अवश्य ही देखा होगा (देखिए आकृति 12.2), जिसमें एक स्थान से दूसरे स्थान तक तेल या पानी ले जाया जाता है। क्या इसका आकार उपरोक्त चारों ठोसों में से किसी एक के आकार जैसा है? आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि यह ठोस एक बेलन और उसके दोनों सिरों पर दो अर्धगोले लगने पर बना है।
आकृति 12.2
पुनः, आपने ऐसी वस्तु भी अवश्य देखी होगी जो आकृति 12.3 में दर्शाई गई है। क्या आप इसका नाम बता सकते हैं? यह निश्चय ही एक परख नली (test tube) है। आपने इसे अपनी विज्ञान प्रयोगशाला में प्रयोग किया होगा। यह परखनली भी एक बेलन और एक अर्धगोले से मिलकर बनी है। इसी प्रकार, यात्रा करते समय भी उपरोक्त ठोसों के संयोजनों से बने अनेक बड़े और सुंदर भवनों अथवा स्मारकों को आपने देखा होगा।
यदि किन्हीं कारणवश, आप इन ठोसों के पृष्ठीय
आकृति 12.3
क्षेत्रफल या आयतन या धारिता ज्ञात करना चाहें तो आप ऐसा किस प्रकार करेंगे? आप ऐसे ठोसों को अब तक पढ़ी हुई चारों ठोस आकृतियों में से किसी एक के रूप में वर्गीकृत नहीं कर सकते।
इस अध्याय में आप यह देखेंगे कि इस प्रकार के ठोसों के पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन किस प्रकार ज्ञात किए जाते हैं?
12.2 ठोसों के संयोजन का पृष्ठीय क्षेत्रफल
आइए उस कंटेनर पर विचार करें जो हमने आकृति 12.2 में देखा था। इस प्रकार के ठोस का पृष्ठीय क्षेत्रफल हम कैसे ज्ञात करें? अब, जब भी हमारे सम्मुख कोई नई समस्या आती है तो हम सर्वप्रथम यह देखने का प्रयत्न करते हैं कि क्या हम इसे ऐसी छोटी समस्याओं में तोड़ सकते हैं जिन्हें हम पहले हल कर चुके हैं। हम देख सकते हैं कि यह ठोस एक बेलन के दोनों सिरों पर एक-एक अर्धगोला लगाने से बना है। यह आकृति 12.4 में दिखाए ठोस जैसा लगेगा, जबकि हम सभी टुकड़ों को एक साथ मिला लेते हैं।
आकृति 12.4
यदि हम नयी बनी हुई वस्तु को देखें, तो हमें केवल दोनों अर्धगोलों तथा बेलन के केवल वक्रपृष्ठ दिखाई देंगे।
इसलिए इस ठोस का संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल तीनों भागों के वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफलों के योग के बराबर होगा। इससे हमें प्राप्त होता है :
ठोस का संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल
- दूसरे अर्धगोले का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
आइए एक अन्य स्थिति पर विचार करें। मान लीजिए हम अर्धगोले और एक शंकु को जोड़कर एक खिलौना बना रहे हैं। आइए हम उन चरणों को देखें जिनका हम अनुसरण करेंगे।
पहले हम एक शंकु और एक अर्धगोला लेंगे और फिर उनके सपाट पृष्ठों को साथ-साथ लाने का प्रयत्न करेंगे। निस्संदेह, खिलौने के पृष्ठ को चिकना रखने के लिए हम शंकु के आधार की त्रिज्या अर्धगोले की त्रिज्या के बराबर लेंगे। इस खिलौने के बनाने में संबद्ध चरण आकृति 12.5 में दर्शाए अनुसार होंगे :
आकृति 12.5
अपने प्रयत्न के फलस्वरूप हमें एक गोल आधार वाला सुंदर खिलौना प्राप्त हो जाता है। अब, हम यदि यह जानना चाहें कि इस खिलौने के पृष्ठ पर रंग करवाने के लिए कितने पेंट की आवश्यकता होगी, तो हमें क्या जानकारी होनी चाहिए? हमें इस खिलौने के पृष्ठीय क्षेत्रफल को ज्ञात करने की आवश्यकता है, जो अर्धगोले के CSA और शंकु के CSA को मिलाकर बनता है।
अतः, हम कह सकते हैं कि
खिलौने का संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल
उदाहरण 1 : रशीद को जन्मदिन के उपहार के रूप में एक लट्टू मिला, जिस पर रंग नहीं किया गया था। वह इस पर अपने मोमिया रंगों (Crayons) से रंग करना चाहता है। यह लट्टू एक शंकु के आकार का है जिसके ऊपर एक अर्धगोला अध्यारोपित है (देखिए आकृति 12.6)। लट्टू की पूरी ऊँचाई
उसके द्वारा रंग किया जाने वाला क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए। (
हल : यह लट्टू बिल्कुल उस वस्तु जैसा है जिसकी चर्चा हमने आकृति 12.5 में की थी। अतः, हम वहाँ पर प्राप्त परिणाम को सुविधाजनक रूप से यहाँ प्रयोग कर सकते हैं। अर्थात्
आवृति 12.6
लट्टू का
अब, अर्धगोले का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
साथ ही, शंकु की ऊँचाई = लट्टू की ऊँचाई - अर्धगोलीय भाग की ऊँचाई (त्रिज्या)
अतः शंकु की तिर्यक ऊँचाई
इसलिए शंकु का पृष्ठीय क्षेत्रफल
इससे लट्टू का प्राप्त पृष्ठीय क्षेत्रफल
आप देख सकते हैं कि लट्टू का संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल अर्धगोले और शंकु के संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफलों के योग के बराबर नहीं है।
उदाहरण 2 : आकृति 12.7 में दर्शाया गया सजावट के लिए प्रयोग होने वाला ब्लॉक दो ठोसों से मिलकर बना है। इनमें से एक घन है और दूसरा अर्धगोला है। इस ब्लॉक (block) का आधार
आकृति 12.7
हल : घन का संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल
अतः ब्लॉक का पृष्ठीय क्षेत्रफल = घन का TSA-अर्धगोले के आधार का क्षेत्रफल
उदाहरण 3 : लकड़ी का एक खिलौना रॉकेट (rocket) एक शंकु के आकार का है जो एक बेलन पर अध्यारोपित है, जैसाकि आकृति 12.8 में दर्शाया गया है। संपूर्ण रॉकेट की ऊँचाई
आकृति 12.8
हल : शंकु की त्रिज्या को
यहाँ, शंक्वाकार भाग का वृत्तीय आधार बेलन के आधार पर टिका हुआ है परंतु शंकु का आधार बेलन के आधार से बड़ा है। अतः, शंकु के आधार के एक भाग [वलय (ring)] को भी रँगा जाएगा।
अतः, नारंगी रंग से रँगे भाग का क्षेत्रफल
अब, पीले रंग से रंगे जाने वाले भाग का क्षेत्रफल
उदाहरण 4 : मयंक ने अपने बगीचे के लिए एक पक्षी-स्नानागार (bird-bath) बनाया जिसका आकार एक खोखले बेलन जैसा है जिसके एक सिरे पर अर्धगोलाकार बर्तन बना हुआ है (देखिए आकृति 12.9)। बेलन की ऊँचाई
आकृति 12.9
हल : मान लीजिए कि बेलन की ऊँचाई
पक्षी-स्नानागार का संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल
प्रश्नावली 12.1
जब तक अन्यथा न कहा जाए,
1. दो घनों, जिनमें से प्रत्येक का आयतन
2. कोई बर्तन एक खोखले अर्धगोले के आकार का है जिसके ऊपर एक खोखला बेलन अध्यारोपित है। अर्धगोले का व्यास
3. एक खिलौना त्रिज्या
4. भुजा
5. एक घनाकार ब्लॉक के एक फलक को अंदर की ओर से काट कर एक अर्धगोलाकार गड्ढा इस प्रकार बनाया गया है कि अर्धगोले का व्यास घन के एक किनारे के बराबर है। शेष बचे ठोस का पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
6. दवा का एक कैप्सूल (capsule) एक बेलन के आकार का है जिसके दोनों सिरों पर एक-एक अर्धगोला लगा हुआ है (देखिए आकृति 12.10)। पूर कैप्सूल की लंबाई
आवृति 12.10
7. कोई तंबू एक बेलन के आकार का है जिस पर एक शंकु अध्यारोपित है। यदि बेलनाकार भाग की ऊँचाई और व्यास क्रमशः
8. ऊँचाई
9. लकड़ी के एक ठोस बेलन के प्रत्येक सिरे पर एक अर्धगोला खोदकर निकालते हुए, एक वस्तु बनाई गई है, जैसाकि आकृति 12.11 में दर्शाया गया है। यदि बेलन की ऊँचाई
12.3 ठोसों के संयोजन का आयतन
पिछले अनुच्छेद में हमने यह चर्चा की है कि दो आधारभूत ठोसों के संयोजन से बने ठोसों के पृष्ठीय क्षेत्रफल किस प्रकार ज्ञात किए जाते हैं। अब हम देखेंगे कि इस प्रकार के ठोसों के आयतन किस प्रकार परिकलित किए जाते हैं। ध्यान दीजिए कि पृष्ठीय क्षेत्रफल परिकलित करने में हमने दोनों घटकों (ठोसों) के पृष्ठीय क्षेत्रफलों को जोड़ा नहीं था क्योंकि इनको मिलाने की प्रक्रिया में पृष्ठीय क्षेत्रफल का कुछ भाग लुप्त हो गया था। परंतु आयतन परिकलित करने की स्थिति में ऐसा नहीं होगा। दो आधारभूत ठोसों के संयोजन से बने ठोस का आयतन वास्तव में दोनों घटकों के आयतनों के योग के बराबर होता है, जैसाकि हम नीचे दिए उदाहरण में देखेंगे।
उदाहरण 5 : शांता किसी शेड (shed) में एक उद्योग चलाती है। यह शेड एक घनाभ के आकार का है जिस पर एक अर्धबेलन आरोपित है (देखिए आकृति 12.12)। यदि इस शेड के आधार की विमाएँ
आवृति 12.12 के अंदर 20 श्रमिक हैं जिनमें से प्रत्येक
हल : शेड के अंदर हवा का आयतन (जब इसमें कोई व्यक्ति या मशीनरी नहीं है) घनाभ के अंदर की हवा और अर्धबेलन के अंदर की हवा के आयतनों को मिला कर प्राप्त होगा। अब, घनाभ की लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई क्रमशः
साथ ही, अर्धबेलन का व्यास
इसलिए वांछित आयतन
आगे, मशीनरी द्वारा घेरा गया स्थान
तथा 20 श्रमिकों द्वारा घेरा गया स्थान
अतः, शेड में उस समय हवा का आयतन, जब उसमें मशीनरी और श्रमिक हैं
उदाहरण 6 : एक जूस (juice) बेचने वाला अपने ग्राहकों को आकृति 12.13 में दर्शाए गिलासों से जूस देता था। बेलनाकार गिलास का आंतरिक व्यास
आकृति 12.13
हल : चूँकि गिलास का आंतरिक व्यास
परंतु इसकी वास्तविक धारिता उपरोक्त धारिता से आधार में बने अर्धगोले के आयतन के बराबर कम है।
अर्थात् कमी बराबर है
उदाहरण 7 : एक ठोस खिलौना एक अर्धगोले के आकार का है जिस पर एक लंब वृत्तीय शंकु आरोपित है। इस शंकु की ऊँचाई
आकृति 12.14
हल : मान लीजिए
अब, मान लीजिए कि दिए गए ठोस के परिगत लंब वृत्तीय बेलन
अतः, वांछित आयतन
इस प्रकार, दोनों आयतनों का अंतर
प्रश्नावली 12.2
(जब तक अन्यथा न कहा जाए,
1. एक ठोस एक अर्धगोले पर खड़े एक शंकु के आकार का है जिनकी त्रिज्याएँ
2. एक इंजीनियरिंग के विद्यार्थी रचेल से एक पतली एल्यूमीनियम की शीट का प्रयोग करते हुए एक मॉडल बनाने को कहा गया जो एक ऐसे बेलन के आकार का हो जिसके दोनों सिरों पर दो शंकु जुड़े हुए हों। इस मॉडल का व्यास
3. एक गुलाबजामुन में उसके आयतन की लगभग
4. एक कलमदान घनाभ के आकार की एक लकड़ी से बना है जिसमें कलम रखने के लिए चार शंक्वाकार गड्ढे बने हुए हैं। घनाभ की विमाएँ
आवृति 12.15
आकृति 12.16
5. एक बर्तन एक उल्टे शंकु के आकार का है। इसकी ऊँचाई
6. ऊँचाई
7. एक ठोस में, ऊँचाई
8. एक गोलाकार काँच के बर्तन की एक बेलन के आकार की गर्दन है जिसकी लंबाई
12.4 सारांश
इस अध्याय में, आपने निम्नलिखित तथ्यों का अध्ययन किया है :
1. आधारभूत ठोसों घनाभ, बेलन, शंकु और गोले और अर्धगोले में से किन्हीं दो ठोसों के संयोजन (को मिलाने से) से बने ठोसों के पृष्ठीय क्षेत्रफल निर्धारित करना।
2. ठोसों घनाभ, बेलन, शंकु, गोले और अर्धगोले में से किन्हीं दो ठोसों के संयोजन से बने ठोसों के आयतन ज्ञात करना।