अध्याय 17 तितली
रंग-बिंरंगे पंख तुम्हारे, सबके मन को भाते हैं।
कलियाँ देख तुम्हें खुश होतीं फूल देख मुस्काते हैं।।
रंग-बिंरगे पंख तुम्हारे, सबका मन ललचाते हैं।
तितली रानी, तितली रानी, यह कह सभी बुलाते हैं।।
पास नहीं क्यों आती तितली, दूर-दूर क्यों रहती हो?
फूल-फूल के कानों में जा धीरे-से क्या कहती हो?
सुंदर-सुंदर प्यारी तितली, आँखों को तुम भाती हो। इ
तनी बात बता दो हमको हाथ नहीं क्यों आती हो?
इस डाली से उस डाली पर उड़-उड़कर क्यों जाती हो?
फूल-फूल का रस लेती हो, हमसे क्यों शरमाती हो?
नर्मदाप्रसाद खरे
अभ्यास
शब्दार्थ
भाना $\qquad\qquad$- अच्छा लगना
हाथ न आना $\qquad$- पकड़ में न आना
कानों में कहना $\qquad$- धीरे से कहना
ललचाना $\qquad\qquad$- लुभाना
भावार्थ
इस कविता में तितली से बात की गई है और उसके लुभावने रूप का चित्र खींचा गया है।
1. कविता की पंक्तियाँ पूरी करो
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रंग-बिंरे पंख तुम्हारे, सबके मन को भाते हैं। ……………………………….
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पास नहों क्यों आती तितली ……………………………….
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फूल-फूल के कानों में जा ……………………………….
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इस डाली से उस डाली पर ……………………………….
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हमसे क्यों शरमाती हो? ……………………………….
2. समान अर्थ वाले शब्दों को रेखा खींचकर मिलाओ
3. निम्नलिखित शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग करो
रंग-बिंरा ……………………………….
कानों में कहना ……………………………….
हाथ न आना ……………………………….
शरमाना ……………………………….
4. कविता के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो
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तितली के पंख कैसे होते हैं?
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कविता में तितली को क्या कहकर बुलाया गया है?
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कलियाँ और फूल तितली को देखकर क्या करते हैं?
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तितली उड़-उड़कर कहाँ जाती है?
योग्यता विस्तार
- विद्यार्थी अपनी भाषा में रचित इसी प्रकार की कोई कविता कक्षा में सुनाएँ।