अध्याय 04 पापा जब बच्चे थे

कोई लाके मुझे दे

कुछ रंग भरे फूल

कुछ खट्टे-मीठे फल

थोड़ी बाँसुरी की धुन

थोड़ा जमुना का जल

कोई लाके मुझे दे!

एक सोना जड़ा दिन

एक रूपों भरी रात

एक फूलों भरा गीत

एक गीतों भरी बात

कोई लाके मुझे दे!

एक छाता छाँव का

एक धूप की घड़ी

एक बादलों का कोट

एक दूब की छड़ी

कोई लाके मुझे दे!

एक छुट्टी वाला दिन

एक अच्छी-सी किताब

एक मीठा-सा सवाल

एक नन्हा सा जवाब

कोई लाके मुझे दे!

दामोदर अग्रवाल

पापा जब बच्चे थे

पापा जब छोटे थे, तो उनसे अक्सर पूछा जाता था, “बड़े होकर तुम क्या बनना चाहते हो?” पापा के पास जवाब हमेशा तैयार होता। मगर उनका जवाब हर बार अलग-अलग होता था।

शुरू-शुरू में पापा चौकीदार बनना चाहते थे। उन्हें यह सोचना बहुत अच्छा लगता था कि जब सारा शहर सोता है, चौकीदार जागता है। उन्हें यह सोचना भी अच्छा लगता था कि जब हर कोई सोया हुआ हो, वह खूब शोर मचा सकते हैं। उन्हें पक्का यकीन था कि बड़े होकर वह चौकीदार ही बनेंगे। लेकिन एक दिन अपने चटकदार हरे ठेले को लिए आइसक्रीम वाला आ गया। भई वाह! पापा आइसक्रीम वाला बनेंगे। वह ठेले को लेकर घूम भी सकते हैं और जितना मन चाहे उतनी आइसक्रीम भी खा सकते हैं।

पापा ने सोचा, “मैं एक आइसक्रीम बेचूँगा तो एक खुद खाऊँगा। छोटे बच्चों को तो मैं मुफ़्त में आइसक्रीम दिया करूँगा।”

जब पापा के माता-पिता ने यह सुना कि वह आइसक्रीम बेचनेवाला बनना चाहते हैं, तो उन्हें बहुत हैरानी हुई। उन्हें यह बात बहुत मज़ेदार लगी और वे खूब हँसे लेकिन पापा इसी बात पर अड़े रहे कि वह यही काम करेंगे।

फिर एक दिन रेलवे स्टेशन पर पापा ने एक अजीब आदमी को देखा। यह आदमी इंजनों और डिब्बों से खेल रहा था। लेकिन यह डिब्बे और इंजन खिलौने नहीं बल्कि असली थे, असली! कभी वह प्लेटफ़ार्म पर उछल कर आ जाता तो कभी डिब्बों के नीचे चला जाता। वह कोई बहुत अजीब और मज़ेदार खेल खेल रहा था।

पापा ने पूछा, “यह कौन है?”

उन्हें बताया गया, “यह शंटिंग करने वाला है।”

“शंटिंग किसे कहते हैं?” पापा ने पूछा।

“जब रेलगाड़ी अपनी यात्रा पूरी कर लेती है तो उसे अगली यात्रा के लिए तैयार करना होता है। रेलगाड़ी की साफ़-सफ़ाई की जाती है। इंजन को घुमाकर ईंधन-पानी भरा जाता है। इसे शंटिंग कहते हैं।” पापा को बताया गया।

बस, पापा को पता चल गया कि वह क्या बनेंगे! वह तो रेलगाड़ी के डिब्बों की शंटिंग करेंगे! इससे भी ज़्यादा मज़ेदार और क्या हो सकता है? ज़ाहिर है कि कुछ भी नहीं। जब पापा ने कहा कि वह शंटिंग करने वाला बनेंगे तो किसी ने उनसे पूछा, “मगर तुम तो कहते थे कि तुम आइसक्रीम बेचने का काम करोगे! अब आइसक्रीम बेचने के काम का क्या होगा?”

यह सचमुच समस्या थी। पापा ने शंटिंग करने वाला बनने की सोच ली थी, मगर आइसक्रीम बेचने का चटकदार हरा ठेला भी वह नहीं गँवाना चाहते थे। आखिर उन्होंने रास्ता निकाल लिया।

पापा ने जवाब दिया, “मैं शंटिंग करने वाला और आइसक्रीम बेचने वाला दोनों बनूँगा।”

सबको बहुत अचंभा हुआ। उन्होंने पूछा, “तुम दोनों काम एक साथ कैसे करोगे?”

पापा ने कहा, “इसमें क्या मुश्किल है। आइसक्रीम मैं सुबह बेचा करूँगा। कुछ देर आइसक्रीम बेचने के बाद मैं स्टेशन चला जाया करूँगा। वहाँ मैं कुछ डिब्बों की शंटिंग करूँगा और फिर जाकर कुछ आइसक्रीम और बेच आऊँगा। इसके बाद मैं फिर स्टेशन चला जाऊँगा। कुछ डिब्बों की शंटिंग कर लूँगा, इसके बाद जाकर फिर कुछ आइसक्रीम और बेच लूँगा। इसमें ज़्यादा मुश्किल नहीं होगी क्योंकि अपना ठेला मैं स्टेशन के पास ही खड़ा करूँगा और इसलिए गाड़ियों के लिए मुझे ज़्यादा दूर नहीं जाना पड़ेगा।”

सब लोग फिर हँस पड़े। पापा गुस्से में आकर बोले, “अगर तुम मेरी हँसी उड़ाओगे तो मैं साथ में चौकीदार भी बन जाऊँगा। आखिर रात में करने के लिए होता ही क्या है!”

सभी कुछ तय हो गया, लेकिन एक दिन पापा को वायुयान चालक बनने की सूझी। इसके बाद उन्होंने अभिनेता बनने की सोची। इसके अलावा वह जहाज़ी भी बनना चाहते थे। कम से कम वह चरवाहा बनकर लाठी हिलाते हुए गायों के पीछे घूमते हुए अपने दिन बिताना तो चाहते ही थे।

अंत में एक दिन उन्होंने तय किया कि वह असल में जो बनना चाहते हैं वह है कुत्ता। उस दिन वह दिन भर चारों हाथ-पैरों पर इधर-उधर भागते हुए अजनबियों पर भौंकते रहे। एक बूढ़ी महिला ने उनके सिर को सहलाना चाहा तो पापा ने उन्हें काटने की कोशिश तक की! पापा ने भौंकना तो बड़ी अच्छी तरह से सीख लिया लेकिन बहुत कोशिश करने पर भी वह अपने पैर से कान के पीछे खुजाना नहीं सीख पाए। उन्होंने सोचा कि अगर वह बाहर जाकर अपने पालतू कुत्ते के साथ बैठ जाएँ, तो शायद वह कान के पीछे खुजाना ज़्यादा जल्दी सीख जाएँगे। पापा कुत्ते के पास जाकर बैठ गए। उसी वक्त एक अजनबी फ़ौजी अफ़सर उधर से निकला। वह खड़ा होकर पापा को देखने लगा। वह उन्हें कुछ देर तक देखता रहा और फिर उसने पूछा, “यह तुम क्या कर रहे हो?”

पापा ने जवाब दिया, “मैं कुत्ता बनना सीख रहा हूँ।”

तब फ़ौजी ने पूछा, “तुम कुत्ता बनना क्यों चाहते हो?”

पापा ने कहा, “क्योंकि मैं काफ़ी दिन तक इंसान बनकर रह चुका हूँ।”

अफ़सर ने कहा, “बात तो सही है। पर क्या तुम जानते भी हो कि इंसान किसे कहते हैं?”

पापा ने पूछा, “मुझे तो नहीं पता। आप ही बता दीजिए।”

अफ़सर ने कहा, “इसके बारे में तुम अपने आप सोचो!”

अफ़सर वहाँ से चला गया। वह न तो हँसा और न मुस्कुराया। पापा सोचने लगे। वह सोचते ही रहे। अफ़सर ने उन्हें कोई

बात भी नहीं समझाई थी पर अचानक ही यह बात पापा की समझ में आ गई कि वह रोज़-रोज़ अपना इरादा नहीं बदल सकते। अगली बार जब उनसे यही सवाल पूछा गया तो उन्हें अफ़सर की याद आ गई, और उन्होंने कहा, “मैं इंसान बनना चाहता हूँ।”

इस बार कोई भी नहीं हँसा और पापा समझ गए कि यही सबसे अच्छा जवाब है। आज भी वह यही समझते हैं। पहली बात तो यही है कि हमें अच्छा इंसान बनना चाहिए।

अलेक्सांद्र रस्किन

तुम्हारी बात

(क) पापा ने जितने काम सोचे, उनमें से तुम्हें सबसे दिलचस्प काम कौन-सा लगता है? क्यों?

(ख) क्या तुम्हें भी घर में बताया जाता है कि तुम्हें बड़े होकर क्या काम करना है? कौन-कौन कहता है? क्या कहता है?

(ग) अपने मम्मी या पापा से पता करो कि वे जब बच्चे थे तब बड़े होकर क्या-क्या करने की सोचते थे।

(घ) अपने घर के किसी भी एक सदस्य से उसके काम के बारे में जानकारी हासिल करो।

  • पता करो उनके काम को किस नाम से जाना जाता है?

  • उस काम को अच्छी तरह करने के लिए कौन-कौन सी बातें मालूम होनी चाहिए?

  • उन्हें अपने काम में किन बातों से परेशानी होती है?

कहानी से आगे

शुरू-शुरू में पापा चौकीदार बनना चाहते थे।

(क) चौकीदार रात को भी काम करते हैं। इसके अलावा और कौन-कौन से कामों में रात को जागना पड़ता है?

पापा कई तरह के काम करना चाहते थे।

(ख) क्या तुम किसी व्यक्ति को जानते हो जो एक से ज़्यादा तरह के काम करता है? उस व्यक्ति के बारे में बताओ।

आओ खेलें-शेखचिल्ली कहता है

पापा अपने पैर से कान के पीछे नहीं खुजा पाते थे। आओ देखें, तुम कौन-कौन से काम कर सकती हो! एक खेल खेलते हैं। खेल का नाम

है-शेखचिल्ली कहता है। तुममें से एक बनेगा शेखचिल्ली। जो शेखचिल्ली कहेगा, बाकी सबको वैसे ही करना है।

शेखचिल्ली इस तरह के आदेश दे सकता है-

  • शेखचिल्ली कहता है- अपने दायें हाथ को सिर के पीछे से ले जाकर नाक को पकड़ो।

  • अपने दायें हाथ को दायीं टाँग के नीचे से ले जाकर दायाँ कान पकड़ो।

  • शेखचिल्ली कहता है- खड़े होकर झुको।

  • अपने हाथों से पैरों को छुओ।

  • सिर अपने घुटनों से लगाओ।

ध्यान रहे, तुम्हें केवल वही आदेश मानना है जिसके साथ जुड़ा होशेखचिल्ली कहता है। अगर तुमने कोई और आदेश मान लिया तो तुम खेल से बाहर हो जाओगे।

सोच-विचार

अफ़सर के जाने के बाद पापा बहुत सोचते रहे। बताओ, वह क्या-क्या सोच रहे होंगे? सही $(\checkmark)$ का निशान लगाओ।

  • यह अफ़सर आखिर है कौन?

  • अब मैं रोज़-रोज़ अपना इरादा नहीं बदल सकता।

  • कुत्ता बनना बड़ा कठिन काम है।

  • ये फ़ौजी अफ़्सर मुझ पर हँसा क्यों नहीं, बाकी सब तो हँसते हैं।

  • इस अफ़सर को कुत्ता बनना नहीं आता। इसीलिए मुझे बहका रहा है।

  • ……………………………………

  • ………………………………………

अगर…..

पापा ने कहा, “अपना ठेला मैं स्टेशन के पास ही खड़ा करूँगा।”

(क) अगर तुम पापा की जगह होतीं तो ठेला कहाँ लगातीं? ऐसा तुमने क्यों तय किया?

(ख) अगर तुम रेल से सफ़र करोगी तो तुम्हें प्लेटफ़ॉर्म और रेलगाड़ी में कौन-कौन लोग नज़र आएँगे?

परिवार

पापा के पापा को दादा कहते हैं। इन्हें तुम अपने घर में क्या कहकर बुलाओगी?

पापा के पापा ……………………………..

माँ के पापा ……………………………..

पापा की माँ ……………………………..

माँ की माँ ……………………………..

पापा के बड़े भाई ……………………………..

माँ के भाई ……………………………..

पापा की बहन ……………………………..

माँ की बहन ……………………………..

पापा के छोटे भाई ……………………………..

बहन के पति ……………………………..

एक शब्द के बदले दूसरा

पापा को वायुयान चालक बनने की सूझी। इसके बाद उन्होंने अभिनेता बनने की सोची। इसके अलावा वह जहाज़ी भी बनना चाहते थे।

ऊपर के वाक्यों में उन्होंने और वह का इस्तेमाल पापा की जगह पर हुआ है। हम अक्सर एक ही शब्द को दोहराने की बजाय उसकी जगह किसी दूसरे शब्द का इस्तेमाल करते हैं। मैं, तुम, इस भी ऐसे ही शब्द हैं।

(क) पाठ में से ऐसे शब्दों के पाँच उदाहरण छाँटो।

(ख) इनकी मदद से वाक्य बनाओ।

कौन-किसमें तेज़

सभी बच्चे और बड़े किसी न किसी काम में माहिर होते हैं। कोई साइकिल चलाने में होशियार होता है तो कोई चित्र बनाने में तेज़ होता है। तुम्हारे दोस्तों और परिवार में कौन किस काम में माहिर है? उनके नाम लिखो।

  • जो बढ़िया कहानी गढ़ सकते हैं ……………………..

  • जो खूबसूरत कढ़ाई कर सकते हैं ……………………..

  • जो कलाबाज़ियाँ खा सकते हैं ……………………..

  • जो दूसरों की बढ़िया नकल उतार सकते हैं ……………………..

  • जो हाथ से बढ़िया स्वेटर बुन सकते हैं ……………………..

  • जो सबके सामने किसी चीज़ के बारे में दो मिनट तक बता सकते हैं ……………………..

  • जो कठिन पहेलियाँ सुलझा सकते हैं ……………………..

  • जो खुलकर ज़ोर से हँस सकते हैं ……………………..

  • जो तरह-तरह की आवाज़ें बना सकते हैं ……………………..

  • जो अंदाज़े से ही चीज़ों का सही माप या वज़न बता सकते हैं ……………………..

  • जो बढ़िया अभिनय कर सकते हैं ……………………..

  • जो बेकार पड़ी चीज़ों से सुंदर चीज़ें बना सकते हैं ……………………..

तुम किन-किन चीज़ों में माहिर हो, यह भी बताओ।

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कैसे थे पापा

नीचे लिखी पंक्तियाँ पढ़ो। इन पंक्तियों के आधार पर बताओ कि तुम पापा के बारे में क्या सोचती हो?

(क) पापा के पास जवाब हमेशा तैयार होता था। ऐसा लगता है कि ..पापा बहुत चतुर थो।..

(ख) पापा का जवाब हमेशा अलग-अलग होता था। ऐसा लगता है कि………………………….

(ग) मैं छोटे बच्चों को मुफ्त्त में आइसक्रीम दिया करूँगा। ऐसा लगता है कि…………………………………..

(घ) रात में करने के लिए होता ही क्या है? रात में मैं चौकीदारी करूँगा। ऐसा लगता है कि………………………………

उलझन

पापा कहते बनो डॉक्टर

माँ कहती इंजीनियर!

भैया कहते इससे अच्छा

सीखो तुम कंप्यूटर!

चाचा कहते बनो प्रोफ़ेसर

चाची कहतीं अफ़सर

दीदी कहती आगे चलकर

बनना तुम्हें कलेक्टर!

बाबा कहते फ़ौज में जाकर

जग में नाम कमाओ!

दीदी कहती घर में रहकर

ही उद्योग लगाओ!

सबकी अलग-अलग अभिलाषा

सबका अपना नाता!

लेकिन मेरे मन की उलझन

कोई समझ न पाता!

एक साथ तीन सुख



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