त्रिभुज

6.1 भूमिका

आप अपनी पिछली कक्षाओं से, त्रिभुजों और उनके अनेक गुणधर्मों से भली भाँति परिचित हैं। कक्षा IX में, आप त्रिभुजों की सर्वांगसमता के बारे में विस्तृत रूप से अध्ययन कर चुके हैं। याद कीजिए कि दो त्रिभुज सर्वांगसम तब कहे जाते हैं जब उनके समान आकार (shape) तथा समान आमाप (size) हों। इस अध्याय में, हम ऐसी आकृतियों के बारे में अध्ययन करेंगे जिनके आकार समान हों परंतु उनके आमाप का समान होना आवश्यक नहीं हो। दो आकृतियाँ जिनके समान आकार हों (परंतु समान आमाप होना आवश्यक न हो) समरूप आकृतियाँ (similar figures) कहलाती हैं। विशेष रूप से, हम समरूप त्रिभुजों की चर्चा करेंगे तथा इस जानकारी को पहले पढ़ी गई पाइथागोरस प्रमेय की एक सरल उपपत्ति देने में प्रयोग करेंगे।

क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि पर्वतों (जैसे माऊंट एवरेस्ट) की ऊँचाईयाँ अथवा कुछ दूरस्थ वस्तुओं (जैसे चन्द्रमा) की दूरियाँ किस प्रकार ज्ञात की गई हैं? क्या आप सोचते हैं कि इन्हें एक मापने वाले फीते से सीधा (प्रत्यक्ष) मापा गया है? वास्तव में, इन सभी ऊँचाई और दूरियों को अप्रत्यक्ष मापन (indirect measurement) की अवधारणा का प्रयोग करते हुए ज्ञात किया गया है, जो आकृतियों की समरूपता के सिद्धांत पर आधारित है (देखिए उदाहरण 7 , प्रश्नावली 6.3 का प्रश्न 15 तथा साथ ही इस पुस्तक के अध्याय 8 और 9)।

6.2 समरूप आकृतियाँ

कक्षा IX में, आपने देखा था कि समान (एक ही) त्रिज्या वाले सभी वृत्त सर्वांगसम होते हैं, समान लंबाई की भुजा वाले सभी वर्ग सर्वांगसम होते हैं तथा समान लंबाई की भुजा वाले सभी समबाहु त्रिभुज

सर्वांगसम होते हैं।

अब किन्हीं दो (या अधिक) वृत्तों पर विचार कीजिए [देखिए आकृति 6.1 (i)]। क्या ये सर्वांगसम हैं? चूँकि इनमें से सभी की त्रिज्या समान नहीं है, इसलिए ये परस्पर सर्वांगसम नहीं हैं। ध्यान दीजिए कि इनमें कुछ सर्वांगसम हैं और कुछ सर्वांगसम नहीं हैं, परंतु इनमें से सभी के आकार समान हैं। अतः, ये सभी वे आकृतियाँ हैं जिन्हें हम समरूप (similar) कहते हैं। दो समरूप आकृतियों के आकार समान होते हैं परंतु इनके आमाप समान होने आवश्यक नहीं हैं। अतः, सभी वृत्त समरूप होते हैं। दो (या अधिक) वर्गों के बारे में अथवा दो (या अधिक) समबाहु त्रिभुजों के बारे में आप क्या सोचते हैं [देखिए आकृति 6.1 (ii) और (iii)]? सभी वृत्तों की तरह ही, यहाँ सभी वर्ग समरूप हैं तथा सभी समबाहु त्रिभुज समरूप हैं।

उपरोक्त चर्चा से, हम यह भी कह सकते हैं कि सभी सर्वांगसम आकृतियाँ समरूप होती हैं, परंतु सभी समरूप आकृतियों का सर्वांगसम होना आवश्यक नहीं है।

क्या एक वृत्त और एक वर्ग समरूप हो सकते हैं? क्या एक त्रिभुज और एक वर्ग समरूप हो सकते हैं? इन आकृतियों को देखने मात्र से ही आप प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं (देखिए आकृति 6.1)। स्पष्ट शब्दों में, ये आकृतियाँ समरूप नहीं हैं। (क्यों?)

आप दो चतुर्भुजों ABCD और PQRS के बारे में क्या कह सकते हैं (देखिए आकृति 6.2)? क्या ये समरूप हैं? ये आकृतियाँ समरूप-सी प्रतीत हो रही हैं, परंतु हम इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं कह सकते। इसलिए, यह

आकृति 6.2

आवश्यक हो जाता है कि हम आकृतियों की समरूपता के लिए कोई परिभाषा ज्ञात करें तथा इस परिभाषा पर आधारित यह सुनिश्चित करने के लिए कि दो दी हुई आकृतियाँ समरूप हैं या नहीं, कुछ नियम प्राप्त करें। इसके लिए, आइए आकृति 6.3 में चित्रों को देखें:

आकृति 6.3

आप तुरंत यह कहेंगे कि ये एक ही स्मारक (ताजमहल) के चित्र हैं, परंतु ये भिन्न-भिन्न आमापों (sizes) के हैं। क्या आप यह कहेंगे कि ये चित्र समरूप हैं? हाँ, ये हैं। आप एक ही व्यक्ति के एक ही आमाप वाले उन दो चित्रों के बारे में क्या कह सकते हैं, जिनमें से एक उसकी 10 वर्ष की आयु का है तथा दूसरा उसकी 40 वर्ष की आयु का है? क्या ये दोनों चित्र समरूप हैं? ये चित्र समान आमाप के हैं, परंतु निश्चित रूप से ये समान आकार के नहीं हैं। अतः, ये समरूप नहीं हैं।

जब कोई फ़ोटोग्राफर एक ही नेगेटिव से विभिन्न मापों के फ़ोटो प्रिंट निकालती है, तो वह क्या करती है? आपने स्टैंप साइज़, पासपोर्ट साइज़ एवं पोस्ट कार्ड साइज़ फ़ोटो (या चित्रों) के बारे में अवश्य सुना होगा। वह सामान्य रूप से एक छोटे आमाप (साइज) की फ़िल्म (film), मान लीजिए जो 35 mm आमाप वाली फ़िल्म है, पर फ़ोटो खींचती है और फिर उसे एक बड़े आमाप, जैसे 45 mm (या 55 mm ) आमाप, वाली फ़ोटो के रूप में आवर्धित

करती है। इस प्रकार, यदि हम छोटे चित्र के किसी एक रेखाखंड को लें, तो बड़े चित्र में इसका संगत रेखाखंड, लंबाई में पहले रेखाखंड का 4535 या 5535 गुना होगा। वास्तव में इसका अर्थ यह है कि छोटे चित्र का प्रत्येक रेखाखंड 35:45 (या 35:55 ) के अनुपात में आवर्धित हो (बढ़) गया है। इसी को इस प्रकार भी कहा जा सकता है कि बड़े चित्र का प्रत्येक रेखाखंड 45:35 (या 55:35 ) के अनुपात में घट (कम हो) गया है। साथ ही, यदि आप विभिन्न आमापों के दो चित्रों में संगत रेखाखंडों के किसी भी युग्म के बीच बने झुकावों [अथवा कोणों] को लें, तो आप देखेंगे कि ये झुकाव (या कोण) सदैव बराबर होंगे। यही दो आकृतियों तथा विशेषकर दो बहुभुजों की समरूपता का सार है। हम कहते हैं कि:

भुजाओं की समान संख्या वाले दो बहुभुज समरूप होते हैं, यदि (i) उनके संगत कोण बराबर हों तथा (ii) इनकी संगत भुजाएँ एक ही अनुपात में (अर्थात् समानुपाती) हों।

ध्यान दीजिए कि बहुभुजों के लिए संगत भुजाओं के इस एक ही अनुपात को स्केल गुणक (scale factor) [अथवा प्रतिनिधित्व भिन्न (Representative Fraction)] कहा जाता है। आपने यह अवश्य सुना होगा कि विश्व मानचित्र [अर्थात् ग्लोबल मानचित्र] तथा भवनों के निर्माण के लिए बनाए जाने वाली रूप रेखा एक उपयुक्त स्केल गुणक तथा कुछ परिपाटियों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं।

आकृतियों की समरूपता को अधिक स्पष्ट रूप से समझने के लिए, आइए निम्नलिखित क्रियाकलाप करें:

क्रियाकलाप 1 : अपनी कक्षा के कमरे की छत के किसी बिंदु O पर प्रकाश युक्त बल्ब लगाइए तथा उसके ठीक नीचे एक मेज रखिए। आइए एक समतल कार्डबोर्ड में से एक बहुभुज, मान लीजिए चतुर्भुज ABCD, काट लें तथा इस कार्डबोर्ड को भूमि के समांतर मेज और जलते हुए बल्ब के बीच में रखें। तब, मेज पर ABCD की एक छाया (shadow) पड़ेगी। इस छाया की बाहरी रूपरेखा को ABCD से चिह्मित कीजिए (देखिए आकृति 6.4)।

ध्यान दीजिए कि चतुर्भुज ABCD चतुर्भुज

आकृति 6.4 ABCD का एक आकार परिवर्धन (या आवर्धन) है। यह प्रकाश के इस गुणधर्म के कारण है कि प्रकाश सीधी रेखा में चलती है। आप यह भी देख सकते हैं कि A किरण OA पर स्थित है, B किरण OB पर स्थित है, C किरण OC पर स्थित है तथा D किरण OD पर स्थित है। इस प्रकार, चतुर्भुज ABCD और ABCD समान आकार के हैं; परंतु इनके माप भिन्न-भिन्न हैं।

अतः चतुर्भुज ABCD चतुर्भुज ABCD के समरूप है। हम यह भी कह सकते हैं कि चतुर्भुज ABCD चतुर्भुज ABCD के समरूप है।

यहाँ, आप यह भी देख सकते हैं कि शीर्ष A शीर्ष A के संगत है, शीर्ष B शीर्ष B के संगत है, शीर्ष C शीर्ष C के संगत है तथा शीर्ष D शीर्ष D के संगत है। सांकेतिक रूप से इन संगतताओं (correspondences) को AA,BB,CC और DD से निरूपित किया जाता है। दोनों चतुर्भुजों के कोणों और भुजाओं को वास्तविक रूप से माप कर, आप इसका सत्यापन कर सकते हैं कि

(i) A=A,B=B,C=C,D=D और

(ii) ABAB=BCBC=CDCD=DADA.

इससे पुनः यह बात स्पष्ट होती है कि भुजाओं की समान संख्या वाले दो बहुभुज समरूप होते हैं, यदि (i) उनके सभी संगत कोण बराबर हों तथा (ii) उनकी सभी संगत भुजाएँ एक ही अनुपात (समानुपात) में हों।

उपरोक्त के आधार पर, आप सरलता से यह कह सकते हैं कि आकृति 6.5 में दिए गए चतुर्भुज ABCD और PQRS समरूप हैं।

आकृति 6.5

टिप्पणी: आप इसका सत्यापन कर सकते हैं कि यदि एक बहुभुज किसी अन्य बहुभुज के समरूप हो और यह दूसरा बहुभुज एक तीसरे बहुभुज के समरूप हो, तो पहला बहुभुज तीसरे बहुभुज के समरूप होगा।

आप यह देख सकते हैं कि आकृति 6.6 के दो चतुर्भुजों (एक वर्ग और एक आयत) में, संगत कोण बराबर हैं, परंतु इनकी संगत भुजाएँ एक ही अनुपात में नहीं हैं। अतः, ये दोनों चतुर्भुज समरूप नहीं हैं।

आकृति 6.6

इसी प्रकार आप देख सकते हैं कि आकृति 6.7 के दो चतुर्भुजों (एक वर्ग और एक समचतुर्भुज) में, संगत भुजाएँ एक ही अनुपात में हैं, परंतु इनके संगत कोण बराबर नहीं हैं। पुनः, दोनों बहुभुज (चतुर्भुज) समरूप नहीं हैं।

इस प्रकार, आप देख सकते हैं कि दो बहुभुजों की समरूपता के प्रतिबंधों (i) और (ii) में से किसी एक का ही संतुष्ट होना उनकी समरूपता के लिए पर्याप्त नहीं है।

प्रश्नावली 6.1

1. कोष्ठकों में दिए शब्दों में से सही शब्दों का प्रयोग करते हुए, रिक्त स्थानों को भरिए:

(i) सभी वृत्त होते हैं। (सर्वांगसम, समरूप)

(ii) सभी वर्ग — होते हैं। (समरूप, सर्वांगसम)

(iii) सभी त्रिभुज समरूप होते हैं। (समद्विबाहु, समबाहु)

(iv) भुजाओं की समान संख्या वाले दो बहुभुज समरूप होते हैं, यदि (i) उनके संगत कोण ——ों तथा (ii) उनकी संगत भुजाएँ——ों। (बराबर, समानुपाती)

2. निम्नलिखित युग्मों के दो भिन्न-भिन्न उदाहरण दीजिए:

(i) समरूप आकृतियाँ

(ii) ऐसी आकृतियाँ जो समरूप नहीं हैं।

3. बताइए कि निम्नलिखित चतुर्भुज समरूप हैं या नहीं:

आकृति 6.8

6.3 त्रिभुजों की समरूपता

आप दो त्रिभुजों की समरूपता के बारे में क्या कह सकते हैं?

आपको याद होगा कि त्रिभुज भी एक बहुभुज ही है। इसलिए, हम त्रिभुजों की समरूपता के लिए भी वही प्रतिबंध लिख सकते हैं, जो बहुभुजों की समरूपता के लिए लिखे थे। अर्थात्

दो त्रिभुज समरूप होते हैं, यदि

(i) उनके संगत कोण बराबर हों तथा

(ii) उनकी संगत भुजाएँ एक ही अनुपात में (अर्थात् समानुपाती) हों।

ध्यान दीजिए कि यदि दो त्रिभुजों के संगत कोण बराबर हों, तो वे समानकोणिक त्रिभुज (equiangular triangles) कहलाते हैं। एक प्रसिद्ध यूनानी गणितज्ञ थेल्स (Thales) ने दो समानकोणिक त्रिभुजों से संबंधित एक महत्वपूर्ण तथ्य प्रतिपादित किया, जो नीचे दिया जा रहा है:

दो समानकोणिक त्रिभुजों में उनकी संगत भुजाओं का अनुपात सदैव समान रहता है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इसके लिए उन्होंने एक परिणाम का प्रयोग किया जिसे आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय (आजकल थेल्स प्रमेय) कहा जाता है।

आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय (Basic Proportionality Theorem) को समझने के लिए, आइए निम्नलिखित क्रियाकलाप करें:

क्रियाकलाप 2 : कोई कोण XAY खींचिए तथा उसकी एक भुजा AX पर कुछ बिंदु (मान लीजिए पाँच बिंदु) P, Q,D,R और B इस प्रकार अंकित कीजिए कि AP=PQ=QD=DR=RB हो।

आकृति 6.9

अब, बिंदु B से होती हुई कोई एक रेखा खींचिए, जो भुजा AY को बिंदु C पर काटे ( देखिए आकृति 6.9)।

साथ ही, बिंदु D से होकर BC के समांतर एक रेखा खींचिए, जो AC को E पर काटे। क्या आप अपनी रचनाओं से यह देखते हैं कि ADDB=32 हैं? AE और EC मापिए। AEEC क्या है? देखिए AEEC भी 32 के बराबर है। इस प्रकार, आप देख सकते हैं कि त्रिभुज ABC में, DE|BC है तथा ADDB=AEEC है। क्या यह संयोगवश है? नहीं, यह निम्नलिखित प्रमेय के कारण है (जिसे आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय कहा जाता है):

प्रमेय 6.1: यदि किसी त्रिभुज की एक भुजा के समांतर अन्य दो भुजाओं को भिन्न-भिन्न बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करने के लिए एक रेखा खींची जाए, तो ये अन्य दो भुजाएँ एक ही अनुपात में विभाजित हो जाती हैं।

उपपत्ति : हमें एक त्रिभुज ABC दिया है, जिसमें भुजा BC के समांतर खींची गई एक रेखा अन्य दो भुजाओं AB और AC को क्रमशः D और E पर काटती हैं (देखिए आकृति 6.10)।

हमें सिद्ध करना है कि ADDB=AEEC

आवृति 6.10 आइए B और E तथा C और D को मिलाएँ और फिर DMAC एवं ENAB खीचें।

अब, ADE का क्षेत्रफल (= 12 आधार × ऊँचाई) =12AD×EN

कक्षा IX से याद कीजिए कि ADE के क्षेत्रफल को ar(ADE) से व्यक्त किया जाता है।

अत: ar(ADE)=12AD×EN

इसी प्रकार ar (BDE)=12DB×EN,

ar(ADE)=12AE×DM तथा ar(DEC)=12EC×DM

अत :

तथा ar(ADE)ar(BDE)=12AD×EN12DB×EN=ADDB

ध्यान दीजिए कि BDE और DEC एक ही आधार DE तथा समांतर रेखाओं BC और DE के बीच बने दो त्रिभुज हैं।

अत:

(3)ar(BDE)=ar(DEC)

इसलिए (1), (2) और (3), से हमें प्राप्त होता है:

ADDB=AEEC

क्या इस प्रमेय का विलोम भी सत्य है (विलोम के अर्थ के लिए परिशिष्ट 1 देखिए)? इसकी जाँच करने के लिए, आइए निम्नलिखित क्रियाकलाप करें:

क्रियाकलाप 3 : अपनी अभ्यासपुस्तिका में एक कोण XAY खींचिए तथा किरण AX पर बिंदु B1, B2, B3, B4 और B इस प्रकार अंकित कीजिए कि AB1=B1 B2=B2 B3=B3 B4=B4 B हो।

इसी प्रकार, किरण AY, पर बिंदु C1,C2, C3,C4 और C इस प्रकार अंकित कीजिए कि AC1=C1C2=C2C3=C3C4=C4C हो। फिर B1C1 और BC को मिलाइए (देखिए आकृति 6.11)।

ध्यान दीजिए कि AB1 B1 B=AC1C1C (प्रत्येक 14 के बराबर है)

आप यह भी देख सकते हैं कि रेखाएँ B1C1 और BC परस्पर समांतर हैं, अर्थात्

(1)B1C1|BC

इसी प्रकार, क्रमशः B2C2, B3C3 और B4C4 को मिलाकर आप देख सकते हैं कि

(2)AB2 B2 B=AC2C2C(=23) और B2C2|BC(3)AB3 B3 B=AC3C3C(=32) और B3C3|BC(4)AB4 B4 B=AC4C4C(=41) और B4C4|BC

(1), (2), (3) और (4) से, यह देखा जा सकता है कि यदि कोई रेखा किसी त्रिभुज की दो भुजाओं को एक ही अनुपात में विभाजित करे, तो वह रेखा तीसरी भुजा के समांतर होती हैं। आप किसी अन्य माप का कोण XAY खींचकर तथा भुजाओं AX और AY पर कितने भी समान भाग अंकित कर, इस क्रियाकलाप को दोहरा सकते हैं। प्रत्येक बार, आप एक ही परिणाम पर पहुँचेंगे। इस प्रकार, हम निम्नलिखित प्रमेय प्राप्त करते हैं, जो प्रमेय 6.1 का विलोम है:

प्रमेय 6.2 : यदि एक रेखा किसी त्रिभुज की दो भुजाओं को एक ही अनुपात में विभाजित करे, तो वह तीसरी भुजा के समांतर होती है।

आकृति 6.12

इस प्रमेय को सिद्ध किया जा सकता है, यदि हम एक रेखा DE इस प्रकार लें कि ADDB=AEEC हो तथा DE भुजा BC के समांतर न हो (देखिए आकृति 6.12)।

अब यदि DE भुजा BC के समांतर नहीं है, तो BC के समांतर एक रेखा DE खींचिए।

अत:

ADDB=AEEC (क्यों?) 

इसलिए

AEEC=AEEC ( क्यों?) 

उपरोक्त के दोनों पक्षों में 1 जोड़ कर, आप यह देख सकते हैं कि E और E को अवश्य ही संपाती होना चाहिए ( क्यों?)। उपरोक्त प्रमेयों का प्रयोग स्पष्ट करने के लिए आइए कुछ उदाहरण लें।

उदाहरण 1 : यदि कोई रेखा एक ABC की भुजाओं AB और AC को क्रमशः D और E पर प्रतिच्छेद करे तथा भुजा BC के समांतर हो, तो सिद्ध कीजिए कि ADAB=AEAC होगा (देखिए आकृति 6.13)।

हल :

अत:

अर्थात्

या

या

DE|BCADDB=AEECDBAD=ECAEDBAD+1=ECAE+1ABAD=ACAE

आकृति 6.13

अत:

ADAB=AEAC

उदाहरण 2 : ABCD एक समलंब है जिसमें AB|DC है। असमांतर भुजाओं AD और BC पर क्रमशः बिंदु E और F इस प्रकार स्थित हैं कि EF भुजा AB के समांतर है (देखिए आकृति 6.14)। दर्शाइए कि AEED=BFFC है।

आकृति 6.14

हल : आइए A और C को मिलाएँ जो EF को G पर प्रतिच्छेद करे (देखिए आकृति 6.15)।

AB|DC और EF|AB (दिया है)

इसलिए EF|DC (एक ही रेखा के समांतर रेखाएँ परस्पर समांतर होती हैं)

अब ADC में,

EG | DC (क्योंकि EF || DC)

अत: AEED=AGGC (प्रमेय 6.1)

इसी प्रकार, CAB में

अर्थात्

CGAG=CFBF

(2)AGGC=BFFC

अतः (1) और (2) से

AEED=BFFC

उदाहरण 3 : आकृति 6.16 में PSSQ=PTTR है तथा PST=PRQ है। सिद्ध कीजिए कि PQR एक समद्विबाहु त्रिभुज है।

हल : यह दिया है कि, PSSQ=PTTR

आकृति 6.16

अत:

ST || QR

(प्रमेय 6.2 )

इसलिए

(1)PST=PQR (संगत कोण) 

साथ ही यह दिया है कि

(2)PST=PRQ

अत :

PRQ=PQR[(1) और (2) से]

इसलिए

PQ=PR (समान कोणों की सम्मुख भुजाएँ) 

अर्थात् PQR एक समद्विबाहु त्रिभुज है।

प्रश्नावली 6.2

1. आकृति 6.17 (i) और (ii) में, DE|BC है। (i) में EC और (ii) में AD ज्ञात कीजिए:

(i)

आकृति 6.17

2. किसी PQR की भुजाओं PQ और PR पर क्रमशः बिंदु E और F स्थित हैं। निम्नलिखित में से प्रत्येक स्थिति के लिए, बताइए कि क्या EF|QR है:

(i) PE=3.9 cm,EQ=3 cm,PF=3.6 cm और FR=2.4 cm

(ii) PE=4 cm,QE=4.5 cm,PF=8 cm और RF=9 cm

(iii) PQ=1.28 cm,PR=2.56 cm,PE=0.18 cm और PF=0.36 cm

आकृति 6.18

3. आकृति 6.18 में यदि LM|CB और LN|CD हो तो सिद्ध कीजिए कि AMAB=ANAD है।

4. आकृति 6.19 में DE|AC और DF|AE है। सिद्ध कीजिए कि BFFE=BEEC है।

आकृति 6.19

5. आकृति 6.20 में DE|OQ और DF|OR है। दर्शाइए कि EF|QR है।

6. आकृति 6.21 में क्रमश: OP,OQ और OR पर स्थित बिंदु A,B और C इस प्रकार हैं कि AB|PQ और AC|PR है। दर्शाइए कि BC|QR है।

आकृति 6.20

आकृति 6.21

7. प्रमेय 6.1 का प्रयोग करते हुए सिद्ध कीजिए कि एक त्रिभुज की एक भुजा के मध्य-बिंदु से होकर दूसरी भुजा के समांतर खींची गई रेखा तीसरी भुजा को समद्विभाजित करती है। (याद कीजिए कि आप इसे कक्षा IX में सिद्ध कर चुके हैं।)

8. प्रमेय 6.2 का प्रयोग करते हुए सिद्ध कीजिए कि एक त्रिभुज की किन्हीं दो भुजाओं के मध्य-बिंदुओं को मिलाने वाली रेखा तीसरी भुजा के समांतर होती है। (याद कीजिए कि आप कक्षा IX में ऐसा कर चुके हैं)।

9. ABCD एक समलंब है जिसमें AB|DC है तथा इसके विकर्ण परस्पर बिंदु O पर प्रतिच्छेद करते हैं। दर्शाइए कि AOBO=CODO है।

10. एक चतुर्भुज ABCD के विकर्ण परस्पर बिंदु O पर इस प्रकार प्रतिच्छेद करते हैं कि AOBO=CODO है। दर्शाइए कि ABCD एक समलंब है।

6.4 त्रिभुजों की समरूपता के लिए कसौटियाँ

पिछले अनुच्छेद में हमने कहा था कि दो त्रिभुज समरूप होते हैं यदि (i) उनके संगत कोण बराबर हों तथा (ii) उनकी संगत भुजाएँ एक ही अनुपात में (समानुपाती हों)। अर्थात्

यदि ABC और DEF में,

(i) A=D,B=E,C=F है तथा

(ii) ABDE=BCEF=CAFD है तो दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं (देखिए आकृति 6.22)।

आकृति 6.22

यहाँ आप देख सकते हैं कि A,D के संगत है; B,E के संगत है तथा C,F के संगत है। सांकेतिक रूप से, हम इन त्रिभुजों की समरूपता को ’ ABCDEF ’ लिखते हैं तथा ‘त्रिभुज ABC समरूप है त्रिभुज DEF के’ पढ़ते हैं। संकेत ’ , ‘समरूप’ को प्रकट करता है। याद कीजिए कि कक्षा IX में आपने ‘सर्वांगसम’ के लिए संकेत ’ ’ का प्रयोग किया था।

इस बात पर अवश्य ध्यान देना चाहिए कि जैसा त्रिभुजों की सर्वांगसमता की स्थिति में किया गया था त्रिभुजों की समरूपता को भी सांकेतिक रूप से व्यक्त करने के लिए, उनके शीर्षों की संगतताओं को सही क्रम में लिखा जाना चाहिए। उदाहरणार्थ, आकृति 6.22 के त्रिभुजों ABC और DEF के लिए, हम ABCEDF अथवा ABCFED नहीं लिख सकते। परंतु हम BACEDF लिख सकते हैं।

अब एक प्रश्न यह उठता है: दो त्रिभुजों, मान लीजिए ABC और DEF की समरूपता की जाँच के लिए क्या हम सदैव उनके संगत कोणों के सभी युग्मों की समानता (A=D, B=E,C=F ) तथा उनकी संगत भुजाओं के सभी युग्मों के अनुपातों की समानता (ABDE=BCEF=CAFD) पर विचार करते हैं? आइए इसकी जाँच करें। आपको याद होगा कि कक्षा IX में, आपने दो त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए कुछ ऐसी कसौटियाँ (criteria) प्राप्त की थीं जिनमें दोनों त्रिभुजों के संगत भागों (या अवयवों) के केवल तीन युग्म ही निहित थे। यहाँ भी, आइए हम दो त्रिभुजों की समरूपता के लिए, कुछ ऐसी कसौटियाँ प्राप्त करने का प्रयत्न करें, जिनमें इन दोनों त्रिभुजों के संगत भागों के सभी छः युग्मों के स्थान पर, इन संगत भागों के कम युग्मों के बीच संबंध ही निहित हों। इसके लिए, आइए निम्नलिखित क्रियाकलाप करें:

क्रियाकलाप 4 : भिन्न-भिन्न लंबाइयों, मान लीजिए 3 cm और 5 cm वाले क्रमशः दो रेखाखंड BC और EF खींचिए। फिर बिंदुओं B और C पर क्रमशः PBC और QCB किन्हीं दो मापों, मान लीजिए 60 और 40, के खींचिए। साथ ही, बिंदुओं E और F पर क्रमशः REF=60 और SFE=40 खींचिए (देखिए आकृति 6.23)।

आकृति 6.23

मान लीजिए किरण BP और CQ परस्पर बिंदु A पर प्रतिच्छेद करती हैं तथा किरण ER और FS परस्पर बिंदु D पर प्रतिच्छेद करती हैं। इन दोनों त्रिभुजों ABC और DEF में, आप देख सकते हैं कि B=E,C=F और A=D है। अर्थात् इन त्रिभुजों के संगत कोण बराबर

हैं। इनकी संगत भुजाओं के बारे में आप क्या कह सकते हैं? ध्यान दीजिए कि BCEF=35=0.6 है। ABDE और CAFD के बारे में आप क्या कह सकते हैं? AB,DE,CA और FD को मापने पर, आप पाएँगे कि ABDE और CAFD भी 0.6 के बराबर है (अथवा लगभग 0.6 के बराबर हैं, यदि मापन में कोई त्रुटि है)। इस प्रकार, ABDE=BCEF=CAFD है। आप समान संगत कोण वाले त्रिभुजों के अनेक युग्म खींचकर इस क्रियाकलाप को दुहरा सकते हैं। प्रत्येक बार, आप यह पाएँगे कि उनकी संगत भुजाएँ एक ही अनुपात में (समानुपाती) हैं। यह क्रियाकलाप हमें दो त्रिभुजों की समरूपता की निम्नलिखित कसौटी की ओर अग्रसित करता है:

प्रमेय 6.3 : यदि दो त्रिभुजों में, संगत कोण बराबर हों, तो उनकी संगत भुजाएँ एक ही अनुपात में (समानुपाती) होती हैं और इसीलिए ये त्रिभुज समरूप होते हैं।

उपरोक्त कसौटी को दो त्रिभुजों की समरूपता कीAAA ( कोण-कोण-कोण) कसौटी कहा जाता है।

इस प्रमेय को दो ऐसे त्रिभुज ABC और DEF लेकर, जिनमें A=D,B=E और C=F हो, सिद्ध किया जा सकता है (देखिए आकृति 6.24)।

आकृति 6.24

DP=AB और DQ=AC काटिए तथा P और Q को मिलाइए।

अत:

ABCDPQ

( क्यों?)

इससे

B=P=E और PQ|EF प्राप्त होता है (कैसे?)

अत :

(क्यों?)DPPE=DQQF(क्यों?)ABDE=ACDF

अर्थात्

इसी प्रकार, ABDE=BCEF और इसीलिए ABDE=BCEF=ACDF

टिप्पणी: यदि एक त्रिभुज के दो कोण किसी अन्य त्रिभुज के दो कोणों के क्रमशः बराबर हों, तो त्रिभुज के कोण योग गुणधर्म के कारण, इनके तीसरे कोण भी बराबर होंगे। इसीलिए, AAA समरूपता कसौटी को निम्नलिखित रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है:

यदि एक त्रिभुज के दो कोण एक अन्य त्रिभुज के क्रमशः दो कोणों के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं।

उपरोक्त को दो त्रिभुजों की समरूपता की AA कसौटी कहा जाता है।

ऊपर आपने देखा है कि यदि एक त्रिभुज के तीनों कोण क्रमशः दूसरे त्रिभुज के तीनों कोणों के बराबर हों, तो उनकी संगत भुजाएँ समानुपाती (एक ही अनुपात में) होती हैं। इस कथन के विलोम के बारे में क्या कह सकते हैं? क्या यह विलोम सत्य है? दूसरे शब्दों में, यदि एक त्रिभुज की भुजाएँ क्रमशः दूसरे त्रिभुज की भुजाओं के समानुपाती हों, तो क्या यह सत्य है कि इन त्रिभुजों के संगत कोण बराबर हैं? आइए, एक क्रियाकलाप द्वारा जाँच करें। क्रियाकलाप 5 : दो त्रिभुज ABC और DEF इस प्रकार खींचिए कि AB=3 cm,BC=6 cm, CA=8 cm,DE=4.5 cm,EF=9 cm और FD=12 cm हो (देखिए आकृति 6.25)।

आकृति 6.25

तब, आपको प्राप्त है:

ABDE=BCEF=CAFD (प्रत्येक 23 के बराबर हैं) 

अब, A,B,C,D,E और F को मापिए। आप देखेंगे कि A=D, B=E और C=F है, अर्थात् दोनों त्रिभुजों के संगत कोण बराबर हैं।

इसी प्रकार के अनेक त्रिभुजों के युग्म खींचकर (जिनमें संगत भुजाओं के अनुपात एक ही हों), आप इस क्रियाकलाप को पुनः कर सकते हैं। प्रत्येक बार आप यह पाएँगे कि इन त्रिभुजों के संगत कोण बराबर हैं। यह दो त्रिभुजों की समरूपता की निम्नलिखित कसौटी के कारण हैं:

प्रमेय 6.4 : यदि दो त्रिभुजों में एक त्रिभुज की भुजाएँ दूसरे त्रिभुज की भुजाओं के समानुपाती (अर्थात् एक ही अनुपात में) हों, तो इनके संगत कोण बराबर होते हैं, और इसीलिए दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं।

इस कसौटी को दो त्रिभुजों की समरूपता की SSS (भुजा-भुजा-भुजा) कसौटी कहा जाता है।

उपरोक्त प्रमेय को ऐसे दो त्रिभुज ABC और DEF लेकर, जिनमें ABDE=BCEF=CAFD हो, सिद्ध किया जा सकता है (देखिए आकृति 6.26):

DEF में DP=AB और DQ=AC काटिए तथा P और Q को मिलाइए।

आकृति 6.26

यहाँ यह देखा जा सकता है कि DPPE=DQQF और PQ|EF है (कैसे?)

अत:

P=E और Q=F

इसलिए

DPDE=DQDF=PQEF

जिससे

DPDE=DQDF=BCEF (क्यों?) 

अत:

(क्यों?)BC=PQ

इस प्रकार

(क्यों?)ΔABCΔDPQ

अतः

A=D,B=E और C=F (कैसे?) 

टिप्पणी: आपको याद होगा कि दो बहुभुजों की समरूपता के दोनों प्रतिबंधों, अर्थात् (i) संगत कोण बराबर हों और (ii) संगत भुजाएँ एक ही अनुपात में हों, में से केवल किसी एक का ही संतुष्ट होना उनकी समरूपता के लिए पर्याप्त नहीं होता। परंतु प्रमेयों 6.3 और 6.4 के आधार पर, अब आप यह कह सकते हैं कि दो त्रिभुजों की समरूपता की स्थिति में, इन दोनों प्रतिबंधों की जाँच करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि एक प्रतिबंध से स्वतः ही दूसरा प्रतिबंध प्राप्त हो जाता है।

आइए अब दो त्रिभुजों की सर्वांगसमता की उन कसौटियों को याद करें, जो हमने कक्षा IX में पढ़ी थीं। आप देख सकते हैं कि SSS समरूपता कसौटी की तुलना SSS सर्वांगसमता कसौटी से की जा सकती है। इससे हमें यह संकेत मिलता है कि त्रिभुजों की समरूपता की ऐसी कसौटी प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाए जिसकी त्रिभुजों की SAS सर्वांगसमता कसौटी से तुलना की जा सके। इसके लिए, आइए एक क्रियाकलाप करें।

क्रियाकलाप 6 : दो त्रिभुज ABC और DEF इस प्रकार खींचिए कि AB=2 cm,A=50, AC=4 cm,DE=3 cm,D=50 और DF=6 cm हो (देखिए आकृति 6.27)।

आकृति 6.27

यहाँ, आप देख सकते हैं कि ABDE=ACDF (प्रत्येक 23 के बराबर हैं) तथा A ( भुजाओं AB और AC के अंतर्गत कोण) =D (भुजाओं DE और DF के अंतर्गत कोण) है। अर्थात् एक त्रिभुज का एक कोण दूसरे त्रिभुज के एक कोण के बराबर है तथा इन कोणों को अंतर्गत करने वाली भुजाएँ एक ही अनुपात में (समानुपाती) हैं। अब, आइए B,C,E और F को मापें।

आप पाएँगे कि B=E और C=F है। अर्थात्, A=D,B=E और C=F है। इसलिए, AAA समरूपता कसौटी से ABCDEF है। आप ऐसे अनेक त्रिभुजों के युग्मों को खींचकर, जिनमें एक त्रिभुज का एक कोण दूसरे त्रिभुज के एक कोण के बराबर हो तथा इन कोणों को अंतर्गत करने वाली भुजाएँ एक ही अनुपात में (समानुपाती) हों, इस क्रियाकलाप को दोहरा सकते हैं। प्रत्येक बार, आप यह पाएँगे कि दोनों त्रिभुज समरूप हैं। यह त्रिभुजों की समरूपता की निम्नलिखित कसौटी के कारण हैं:

प्रमेय 6.5: यदि एक त्रिभुज का एक कोण दूसरे त्रिभुज के एक कोण के बराबर हो तथा इन कोणों को अंतर्गत करने वाली भुजाएँ समानुपाती हों, तो दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं।

इस कसौटी को दो त्रिभुजों की समरूपता की SAS (भुजा-कोण-भुजा) कसौटी कहा जाता है।

पहले की ही तरह, इस प्रमेय को भी दो त्रिभुज ABC और DEF ऐसे लेकर कि ABDE=ACDF(<1) हो तथा A=D हो (देखिए आकृति 6.28) तो सिद्ध किया जा सकता है। DEF में DP=AB और DQ=AC काटिए तथा P और Q को मिलाइए।

आकृति 6.28

अब

PQ|EF और ΔABCΔDPQ

(कैसे?)

अतः

A=D,B=P और C=Q है 

इसलिए

ABCDEF

( क्यों?)

आइए अब हम इन कसौटियों के प्रयोग को प्रदर्शित करने के लिए, कुछ उदाहरण लें।

उदाहरण 4 : आकृति 6.29 में, यदि PQ|RS है, तो सिद्ध कीजिए कि ΔPOQΔSOR है।

आकृति 6.29

हल : PQ|RS (दिया है)

अत :P=S( एकांतर कोण)औरQ=R(एकांतर कोण)साथ हीPOQ=SOR( शीर्षाभिमुख कोण)इसलिएΔPOQΔSOR(AAA समरूपता कसौटी)

उदाहरण 5 : आकृति 6.30 में P ज्ञात कीजिए।

आकृति 6.30

हल : ABC और PQR में,

ABRQ=3.87.6=12,BCQP=612=12 और CAPR=3363=12

अर्थात् ABRQ=BCQP=CAPR

इसलिए ABCRQP (SSS समरूपता)

इसलिए C=P (समरूप त्रिभुजों के संगत कोण)

परंतु

C=180AB (त्रिभुज का कोण योग गुणधर्म)

=1808060=40

अत :

P=40

उदाहरण 6 : आकृति 6.31 में,

OAOB=OCOD है।  दर्शाइए कि  हल : OAOB=OCOD (दिया है) (1) अतः OAOC=ODOB

आकृति 6.31 ( शीर्षाभिमुख कोण)

(SAS समरूपता कसौटी) अतः (1) और (2) से AODCOB

इसलिए

A=C और D=B (समरूप त्रिभुजों के संगत कोण)

उदाहरण 7: 90 cm की लंबाई वाली एक लड़की बल्ब लगे एक खंभे के आधार से परे 1.2 m/s की चाल से चल रही है। यदि बल्ब भूमि से 3.6 cm की ऊँचाई पर है, तो 4 सेकंड बाद उस लड़की की छाया की लंबाई ज्ञात कीजिए।

हल : मान लीजिए AB बल्ब लगे खंभे को तथा CD लड़की द्वारा खंभे के आधार से परे 4 सेकंड चलने के बाद उसकी स्थिति को प्रकट करते हैं (देखिए आकृति 6.32)। आकृति से आप देख सकते हैं कि DE लड़की की छाया की लंबाई है। मान लीजिए DE,x m है।

अब, BD=1.2 m×4=4.8 m

ध्यान दीजिए कि ABE और CDE में,

आकृति 6.32

B=D (प्रत्येक 90 का है, क्योंकि बल्ब 

लगा खंभा और लड़की दोनों ही भूमि से ऊर्ध्वाधर खड़े हैं)

तथा E=E (समान कोण)

अत: ABECDE (AA समरूपता कसौटी)

इसलिए BEDE=ABCD (समरूप त्रिभुजों की संगत भुजाएं) अर्थात्

4.8+xx=3.60.9(90 cm=90100 m=0.9 m)

अर्थात् 4.8+x=4x

अर्थात्3x=4.8अर्थात्x=1.6

अतः 4 सेकंड चलने के बाद लड़की की छाया की लंबाई 1.6 m है।

उदाहरण 8 : आकृति 6.33 में CM और RN क्रमश:

ABC और PQR की माध्यिकाएँ हैं। यदि ABCPQR है तो सिद्ध कीजिए कि

(i) AMCPNR

(ii) CMRN=ABPQ

(iii) ΔCMBΔRNQ

आकृति 6.33

हल : (i)

ΔABCΔPQR(1)ABPQ=BCQR=CARP

(दिया है)

(2)A=P,B=Q और C=R

AB=2AM और PQ=2PN

(क्योंकि CM और RN माध्यिकाएँ हैं)

2AM2PN=CARP(3)AMPN=CARP

MAC=NPR

(5)ΔAMCΔPNR

(SAS समरूपता)

CMRN=ABPQ

ABPQ=BCQR

CMRN=BCQR

CMRN=ABPQ=2BM2QN

CMRN=BMQN

CMRN=BCQR=BMQN

ΔCMBΔRNQ (SSS समरूपता)

[टिप्पणी: आप इस प्रश्न के भाग (iii) को भाग (i) में प्रयोग की गई विधि से भी सिद्ध कर सकते हैं।]

प्रश्नावली 6.3

1. बताइए कि आकृति 6.34 में दिए त्रिभुजों के युग्मों में से कौन-कौन से युग्म समरूप हैं। उस समरूपता कसौटी को लिखिए जिसका प्रयोग आपने उत्तर देने में किया है तथा साथ ही समरूप त्रिभुजों को सांकेतिक रूप में व्यक्त कीजिए।

(i)

(ii)

4

(iv)

(vi)

2. आकृति 6.35 में, ODCOBA,BOC= 125 और CDO=70 है। DOC,DCO और OAB ज्ञात कीजिए।

3. समलंब ABCD, जिसमें AB|DC है, के विकर्ण AC और BD परस्पर O पर प्रतिच्छेद करते हैं। दो त्रिभुजों की समरूपता कसौटी का प्रयोग करते हुए, दर्शाइए कि OAOC=OBOD है।

आकृति 6.35

4. आकृति 6.36 में, QRQS=QTPR तथा 1=2 है। दर्शाइए कि PQSTQR है।

5. PQR की भुजाओं PR और QR पर क्रमशः बिंदु S और T इस प्रकार स्थित हैं कि P=RTS है। दर्शाइए कि RPQΔRTS है।

6. आकृति 6.37 में, यदि ABEACD है, तो दर्शाइए कि ADEABC है।

7. आकृति 6.38 में, ABC के शीर्षलंब AD और CE परस्पर बिंदु P पर प्रतिच्छेद करते हैं। दर्शाइए कि:

(i) AEPCDP

(ii) ABDCBE

(iii) AEPADB

(iv) PDCBEC

आकृति 6.36

आकृति 6.37

आवृति 6.38

आकृति 6.39

(i) CDGH=ACFG

(ii) DCBHGE

(iii) DCAHGF

11. आकृति 6.40 में, AB=AC वाले, एक समद्विबाहु त्रिभुज ABC की बढ़ाई गई भुजा CB पर स्थित E एक बिंदु है। यदि ADBC और EFAC है तो सिद्ध कीजिए कि ABDECF है।

12. एक त्रिभुज ABC की भुजाएँ AB और BC तथा माध्यिका AD एक अन्य त्रिभुज PQR की क्रमश: भुजाओं PQ और QR तथा माध्यिका PM के समानुपाती हैं (देखिए आकृति 6.41)। दर्शाइए कि ABCPQR है।

आवृत्ति 6.40

आवृति 6.41

13. एक त्रिभुज ABC की भुजा BC पर एक बिंदु D इस प्रकार स्थित है कि ADC= BAC है। दर्शाइए कि CA2=CBCD है।

14. एक त्रिभुज ABC की भुजाएँ AB और AC तथा माध्यिका AD एक अन्य त्रिभुज की भुजाओं PQ और PR तथा माध्यिका PM के क्रमशः समानुपाती हैं। दर्शाइए कि ABCPQR है।

15. लंबाई 6 m वाले एक ऊर्ध्वाधर स्तंभ की भूमि पर छाया की लंबाई 4 m है, जबकि उसी समय एक मीनार की छाया की लंबाई 28 m है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।

16. AD और PM त्रिभुजों ABC और PQR की क्रमशः माध्यिकाएँ हैं, जबकि ABCPQR है। सिद्ध कीजिए कि ABPQ=ADPM है।

6.5 सारांश

इस अध्याय में, आपने निम्नलिखित तथ्यों का अध्ययन किया है:

1. दो आकृतियाँ जिनके आकार समान हों, परंतु आवश्यक रूप से आमाप समान न हों, समरूप आकृतियाँ कहलाती हैं।

2. सभी सर्वांगसम आकृतियाँ समरूप होती हैं परंतु इसका विलोम सत्य नहीं है।

3. भुजाओं की समान संख्या वाले दो बहुभुज समरूप होते हैं, यदि (i) उनके संगत कोण बराबर हों तथा (ii) उनकी संगत भुजाएँ एक ही अनुपात में (समानुपाती) हों।

4. यदि किसी त्रिभुज की एक भुजा के समांतर अन्य दो भुजाओं को भिन्न-भिन्न बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करने के लिए, एक रेखा खींची जाए, तो ये अन्य दो भुजाएँ एक ही अनुपात में विभाजित हो जाती हैं।

5. यदि एक रेखा किसी त्रिभुज की दो भुजाओं को एक ही अनुपात में विभाजित करे, तो यह रेखा तीसरी भुजा के समांतर होती है।

6. यदि दो त्रिभुजों में, संगत कोण बराबर हों, तो उनकी संगत भुजाएँ एक ही अनुपात में होती हैं और इसीलिए दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं (AAA समरूपता कसौटी)।

7. यदि दो त्रिभुजों में, एक त्रिभुज के दो कोण क्रमशः दूसरे त्रिभुज के दो कोणों के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं (AA समरूपता कसौटी)।

8. यदि दो त्रिभुजों में, संगत भुजाएँ एक ही अनुपात में हों, तो उनके संगत कोण बराबर होते हैं और इसीलिए दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं (SSS समरूपता कसौटी)।

9. यदि एक त्रिभुज का एक कोण दूसरे त्रिभुज के एक कोण के बराबर हो तथा इन कोणों को अंतर्गत करने वाली भुजाएँ एक ही अनुपात में हों, तो दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं(SAS समरूपता कसौटी)।

पाठकों के लिए विशेष

यदि दो समकोण त्रिभुजों में एक त्रिभुज का कर्ण तथा एक भुजा, दूसरे त्रिभुज के कर्ण तथा एक भुजा के समानुपाती हो तो दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं। इसे RHS समरूपता कसौटी कहा जा सकता है।

यदि आप इस कसौटी को अध्याय 8 के उदाहरण 2 में प्रयोग करते हैं तो उपपति और भी सरल हो जाएगी।



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