द्विघात समीकरण

4.1 भूमिका

अध्याय 2 में, आपने विभिन्न प्रकार के बहुपदों का अध्ययन किया है। ax2+bx+c,a0 एक प्रकार का द्विघात बहुपद था। जब हम इस बहुपद को शून्य के तुल्य कर देते हैं, तो हमें एक द्विघात समीकरण प्राप्त हो जाती है। वास्तविक जीवन से संबंधित कई समस्याओं को हल करने में हम द्विघात समीकरणों का प्रयोग करते हैं। उदाहरणार्थ, मान लीजिए कि एक धर्मार्थ ट्रस्ट 300 वर्ग मीटर क्षेत्रफल का प्रार्थना कक्ष बनाना चाहता है, जिसकी लंबाई उसकी चौड़ाई के दो गुने से एक मीटर अधिक हो। कक्ष की लंबाई और चौड़ाई क्या होनी चाहिए? माना कक्ष की चौड़ाई x मीटर है। तब, उसकी लंबाई (2x+1) मीटर होनी चाहिए। हम इस सूचना को चित्रीय रूप में

2x+1

आकृति 4.1 आकृति 4.1 जैसा दिखा सकते हैं।

अब कक्ष का क्षेत्रफल =(2x+1)x m2=(2x2+x)m2

इसलिए

2x2+x=300 (दिया है) 

अत :

2x2+x300=0

इसलिए, कक्ष की चौड़ाई, समीकरण 2x2+x300=0, जो एक द्विघात समीकरण है, को संतुष्ट करना चाहिए।

अधिकांश लोग विश्वास करते हैं कि बेबीलोनवासियों ने ही सर्वप्रथम द्विघात समीकरणों को हल किया था। उदाहरण के लिए, वे जानते थे कि कैसे दो संख्याओं को ज्ञात किया जा सकता है, जिनका योग तथा गुणनफल दिया हो। ध्यान दीजिए कि यह समस्या x2px+q=0 के प्रकार के समीकरण को हल करने के तुल्य है। यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड ने लंबाइयाँ ज्ञात करने की एक ज्यामितीय विधि विकसित की जिसको हम वर्तमान शब्दावली में द्विघात समीकरण के हल कहते हैं। व्यापक रूप में, द्विघात समीकरणों को हल करने का श्रेय बहुधा प्राचीन भारतीय गणितज्ञों को जाता है। वास्तव में, ब्रह्मगुप्त (सा.यु. 598-665) ने ax2+bx=c के रूप के द्विघात समीकरण को हल करने का एक स्पष्ट सूत्र दिया था। बाद में, श्रीधराचार्य (सा.यु. 1025) ने एक सूत्र प्रतिपादित किया, जिसे अब द्विघाती सूत्र के रूप में जाना जाता है, जो पूर्ण वर्ग विधि से द्विघात समीकरण को हल करने पर प्राप्त हुआ (जैसा भास्कर II ने लिखा)। एक अरब गणितज्ञ अल-ख्वारिज्मी (लगभग सा.यु. 800) ने भी विभिन्न प्रकार के द्विघात समीकरणों का अध्ययन किया। अब्राह्म बार हिय्या हा-नासी यूरो ने 1145 में छपी अपनी पुस्तक ‘लिबर इंबाडोरम’ में विभिन्न द्विघात समीकरणों के पूर्ण हल दिए।

इस अध्याय में, आप द्विघात समीकरणों और उनके हल ज्ञात करने की विभिन्न विधियों का अध्ययन करेंगे। दैनिक जीवन की कई स्थितियों में भी आप द्विघात समीकरणों के कुछ उपयोग देखेंगे।

4.2 द्विघात समीकरण

चर x में एक द्विघात समीकरण ax2+bx+c=0 के प्रकार की होती है, जहाँ a,b,c वास्तविक संख्याएँ हैं तथा a0 है। उदाहरण के लिए, 2x2+x300=0 एक द्विघात समीकरण है। इसी प्रकार, 2x23x+1=0,4x3x2+2=0 और 1x2+300=0 भी द्विघात समीकरण हैं।

वास्तव में, कोई भी समीकरण p(x)=0, जहाँ p(x), घात 2 का एक बहुपद है, एक द्विघात समीकरण कहलाती है। परंतु जब हम p(x) के पद घातों के घटते क्रम में लिखते हैं, तो हमें समीकरण का मानक रूप प्राप्त होता है। अर्थात् ax2+bx+c=0,a0, द्विघात समीकरण का मानक रूप कहलाता है।

द्विघात समीकरण हमारे आसपास के परिवेश की अनेक स्थितियों एवं गणित के विभिन्न क्षेत्रों में प्रयुक्त होते हैं। आइए हम कुछ उदाहरण लें।

उदाहरण 1 : निम्न स्थितियों को गणितीय रूप में व्यक्त कीजिए :

(i) जॉन और जीवंती दोनों के पास कुल मिलाकर 45 कंचे हैं। दोनों पाँच-पाँच कंचे खो देते हैं और अब उनके पास कंचों की संख्या का गुणनफल 124 है। हम जानना चाहेंगे कि आरंभ में उनके पास कितने-कितने कंचे थे।

(ii) एक कुटीर उद्योग एक दिन में कुछ खिलौने निर्मित करता है। प्रत्येक खिलौने का मूल्य (₹ में) 55 में से एक दिन में निर्माण किए गए खिलौने की संख्या को घटाने से

प्राप्त संख्या के बराबर है। किसी एक दिन, कुल निर्माण लागत ₹ 750 थी। हम उस दिन निर्माण किए गए खिलौनों की संख्या ज्ञात करना चाहेंगे।

हल :

(i) माना कि जॉन के कंचों की संख्या x थी।

तब जीवंती के कंचों की संख्या =45x (क्यों?)

जॉन के पास, 5 कंचे खो देने के बाद, बचे कंचों की संख्या =x5

जीवंती के पास, 5 कंचे खोने के बाद, बचे कंचों की संख्या =45x5

=40x

अत: उनका गुणनफल =(x5)(40x)

=40xx2200+5x=x2+45x200

अब x2+45x200=124 (दिया है कि गुणनफल =124 )

अर्थात् x2+45x324=0

अर्थात् x245x+324=0

अतः जॉन के पास जितने कंचे थे, जो समीकरण

x245x+324=0

को संतुष्ट करते हैं।

(ii) माना उस दिन निर्मित खिलौनों की संख्या x है।

इसलिए, उस दिन प्रत्येक खिलौने की निर्माण लागत (रुपयों में) =55x

अतः, उस दिन कुल निर्माण लागत (रुपयों में) =x(55x)

इसलिए

x(55x)=750

अर्थात्

अर्थात्

55xx2=750

अर्थात्

x2+55x750=0x255x+750=0

अतः उस दिन निर्माण किए गए खिलौनों की संख्या द्विघात समीकरण

x255x+750=0

को संतुष्ट करती है।

उदाहरण 2 : जाँच कीजिए कि निम्न द्विघात समीकरण हैं या नहीं:

(i) (x2)2+1=2x3

(ii) x(x+1)+8=(x+2)(x2)

(iii) x(2x+3)=x2+1

(iv) (x+2)3=x34

हल :

(i) बायाँ पक्ष =(x2)2+1=x24x+4+1=x24x+5

इसलिए (x2)2+1=2x3 को

अर्थात्

x24x+5=2x3 लिखा जा सकता है। x26x+8=0

यह ax2+bx+c=0 के प्रकार का है।

अतः दिया गया समीकरण एक द्विघात समीकरण है।

(ii) चूँकि x(x+1)+8=x2+x+8 और (x+2)(x2)=x24 है,

इसलिए

x2+x+8=x24

अर्थात्

x+12=0

यह ax2+bx+c=0 के प्रकार का समीकरण नहीं है। इसलिए, दिया हुआ समीकरण एक द्विघात समीकरण नहीं है।

(iii) यहाँ

 बायाँ पक्ष =x(2x+3)=2x2+3x

अत:

x(2x+3)=x2+1 को लिखा जा सकता है: 2x2+3x=x2+1

इसलिए x2+3x1=0 हमें प्राप्त होता है।

यह ax2+bx+c=0 के प्रकार का समीकरण है।

अतः, दिया गया समीकरण एक द्विघात समीकरण है।

(iv) यहाँ

 बायाँ पक्ष =(x+2)3=x3+6x2+12x+8

अत:

(x+2)3=x34 को लिखा जा सकता है: 

x3+6x2+12x+8=x34

अर्थात्

6x2+12x+12=0 या x2+2x+2=0

यह ax2+bx+c=0 के प्रकार का समीकरण है।

अतः दिया गया समीकरण एक द्विघात समीकरण है।

टिप्पणी: ध्यान दीजिए कि उपर्युक्त (ii) में, दिया गया समीकरण देखने में द्विघात समीकरण लगता है, परंतु यह द्विघात समीकरण नहीं है।

उपर्युक्त (iv) में, समीकरण देखने में त्रिघात (घात 3 का समीकरण) लगता है और द्विघात नहीं लगता है। परंतु वह द्विघात समीकरण निकलता है। जैसा आप देखते हैं समीकरण को यह तय करने कि वह द्विघात है अथवा नहीं, हमें उसका सरलीकरण करना आवश्यक है।

प्रश्नावली 4.1

1. जाँच कीजिए कि क्या निम्न द्विघात समीकरण हैं :

(i) (x+1)2=2(x3)

(ii) x22x=(2)(3x)

(iii) (x2)(x+1)=(x1)(x+3)

(iv) (x3)(2x+1)=x(x+5)

(v) (2x1)(x3)=(x+5)(x1)

(vi) x2+3x+1=(x2)2

(vii) (x+2)3=2x(x21)

(viii) x34x2x+1=(x2)3

2. निम्न स्थितियों को द्विघात समीकरणों के रूप में निरूपित कीजिए :

(i) एक आयताकार भूखंड का क्षेत्रफल 528 m2 है। क्षेत्र की लंबाई (मीटरों में) चौड़ाई के दुगुने से एक अधिक है। हमें भूखंड की लंबाई और चौड़ाई ज्ञात करनी है।

(ii) दो क्रमागत धनात्मक पूर्णांकों का गुणनफल 306 है। हमें पूर्णांकों को ज्ञात करना है।

(iii) रोहन की माँ उससे 26 वर्ष बड़ी है। उनकी आयु (वर्षों में) का गुणनफल अब से तीन वर्ष पश्चात् 360 हो जाएगी। हमें रोहन की वर्तमान आयु ज्ञात करनी है।

(iv) एक रेलगाड़ी 480 km की दूरी समान चाल से तय करती है। यदि इसकी चाल 8 km/h कम होती, तो वह उसी दूरी को तय करने में 3 घंटे अधिक लेती। हमें रेलगाड़ी की चाल ज्ञात करनी है।

4.3 गुणनखंडों द्वारा द्विघात समीकरण का हल

द्विघात समीकरण 2x23x+1=0 पर विचार कीजिए। यदि हम इस समीकरण के बाएँ पक्ष में x को 1 से प्रतिस्थापित करें, तो हमें प्राप्त होता है: (2×12)(3×1)+1=0= समीकरण का दाँया पक्ष। हम कहते हैं कि 1 द्विघात समीकरण 2x23x+1=0 का एक मूल है। इसका यह भी अर्थ है कि 1 द्विघात बहुपद 2x23x+1 का एक शून्यक है।

व्यापक रूप में, एक वास्तविक संख्या α द्विघात समीकरण ax2+bx+c=0,a0 का

एक मूल कहलाती है, यदि aα2+bα+c=0 हो। हम यह भी कहते हैं कि x=α द्विघात समीकरण का एक हल है अथवा α द्विघात समीकरण को संतुष्ट करता है। ध्यान दीजिए कि द्विघात बहुपद ax2+bx+c के शून्यक और द्विघात समीकरण ax2+bx+c=0 के मूल एक ही हैं।

आपने अध्याय 2 में, देखा है कि एक द्विघात बहुपद के अधिक से अधिक दो शून्यक हो सकते हैं। अतः, किसी द्विघात समीकरण के अधिक से अधिक दो मूल हो सकते हैं।

आपने कक्षा IX में सीखा है कि कैसे मध्य पद को विभक्त करके एक द्विघात बहुपद के गुणनखंड किए जा सकते हैं। हम इस ज्ञान का प्रयोग द्विघात समीकरण के मूल ज्ञात करने में करेंगे। आइए देखें कैसे।

उदाहरण 3 : गुणनखंडन द्वारा समीकरण 2x25x+3=0 के मूल ज्ञात कीजिए।

हल : सर्वप्रथम, हम मध्य पद 5x को 2x3x [क्योंकि (2x)×(3x)=6x2=(2x2)×3 ] के रूप में विभक्त करते हैं।

अतः, 2x25x+3=2x22x3x+3=2x(x1)3(x1)=(2x3)(x1)

इसलिए, 2x25x+3=0 को (2x3)(x1)=0 के रूप में पुन: लिखा जा सकता है। अतः, x के वे मान जिनके लिए 2x25x+3=0 वही है, जो (2x3)(x1)=0 से प्राप्त है, अर्थात् 2x3=0 या x1=0 से प्राप्त होंगे।

अब, 2x3=0,x=32 देता है और x1=0,x=1 देता है।

अतः, x=32 और x=1 दिए हुए समीकरण के हल हैं।

दूसरे शब्दों में, 1 और 32 समीकरण 2x25x+3=0 के मूल हैं।

जाँच कीजिए कि ये ही दिए गए समीकरण के मूल हैं।

ध्यान दीजिए कि हमने समीकरण 2x25x+3=0 के मूलों को 2x25x+3 के दो रैखिक गुणनखंडों में गुणनखंडित करके और प्रत्येक गुणनखंड को शून्य के बराबर करके प्राप्त किए हैं।

उदाहरण 4 : द्विघात समीकरण 6x2x2=0 के मूल ज्ञात कीजिए।

हल : हमें प्राप्त है:

6x2x2=6x2+3x4x2=3x(2x+1)2(2x+1)=(3x2)(2x+1)

6x2x2=0 के मूल x के वे मान हैं, जिनके लिए (3x2)(2x+1)=0 हो।

इसलिए

3x2=0 या 2x+1=0x=23 या x=12

अर्थात्

अतः 6x2x2=0 के मूल 23 और 12 हैं।

हम मूलों के सत्यापन के लिए यह जाँच करते हैं कि 23 और 12 समीकरण 6x2x2=0 को संतुष्ट करते हैं या नहीं।

उदाहरण 5 : द्विघात समीकरण 3x226x+2=0 के मूल ज्ञात कीजिए।

हल : 3x226x+2=3x26x6x+2

=3x(3x2)2(3x2)=(3x2)(3x2)

अतः समीकरण के मूल x के वे मान हैं, जिनके लिए

(3x2)(3x2)=0

अब x=23 के लिए, 3x2=0 है।

अत: यह मूल, गुणनखंड 3x2 के दो बार आने के कारण, दो बार आता है, अर्थात् इस मूल की पुनरावृत्ति होती है।

इसलिए 3x226x+2=0 के मूल 23,23 हैं।

उदाहरण 6 : अनुच्छेद 4.1 में दिए गए प्रार्थना कक्ष की विमाएँ ज्ञात कीजिए।

हल : अनुच्छेद 4.1 में हमने ज्ञात किया था कि यदि कक्ष की चौड़ाई x m हो, तो x समीकरण 2x2+x300=0 को संतुष्ट करता है। गुणनखंडन विधि का प्रयोग कर, हम इस समीकरण को निम्न प्रकार से लिखते हैं :

या

2x224x+25x300=02x(x12)+25(x12)=0(x12)(2x+25)=0

अर्थात्

अतः, दिए गए समीकरण के मूल x=12 या x=12.5 हैं। क्योंकि x कक्ष की चौड़ाई है, यह ऋणात्मक नहीं हो सकती।

इसलिए, कक्ष की चौड़ाई 12 m है। इसकी लंबाई =2x+1=25 m होगी।

प्रश्नावली 4.2

1. गुणनखंड विधि से निम्न द्विघात समीकरणों के मूल ज्ञात कीजिए:

(i) x23x10=0

(ii) 2x2+x6=0

(iii) 2x2+7x+52=0

(iv) 2x2x+18=0

(v) 100x220x+1=0

2. उदाहरण 1 में दी गई समस्याओं को हल कीजिए।

3. ऐसी दो संख्याएँ ज्ञात कीजिए, जिनका योग 27 हो और गुणनफल 182 हो।

4. दो क्रमागत धनात्मक पूर्णांक ज्ञात कीजिए जिनके वर्गों का योग 365 हो।

5. एक समकोण त्रिभुज की ऊँचाई इसके आधार से 7 cm कम है। यदि कर्ण 13 cm का हो, तो अन्य दो भुजाएँ ज्ञात कीजिए।

6. एक कुटीर उद्योग एक दिन में कुछ बर्तनों का निर्माण करता है। एक विशेष दिन यह देखा गया कि प्रत्येक नग की निर्माण लागत (₹ में) उस दिन के निर्माण किए बर्तनों की संख्या के दुगुने से 3 अधिक थी। यदि उस दिन की कुल निर्माण लागत ₹ 90 थी, तो निर्मित बर्तनों की संख्या और प्रत्येक नग की लागत ज्ञात कीजिए।

4.4 मूलों की प्रकृति

समीकरण ax2+bx+c=0 के मूल

x=b±b24ac2a

द्वारा देय होते हैं। यदि b24ac>0 है, तो हम दो भिन्न वास्तविक मूल b2a+b24ac2a और b2ab24ac2a प्राप्त करते हैं।

यदि b24ac=0 है तो x=b2a±0, अर्थात् x=b2a या b2a है।

अतः, समीकरण ax2+bx+c=0 के दोनों मूल b2a हैं।

इसलिए, हम कहते हैं कि इस स्थिति में द्विघात समीकरण ax2+bx+c=0 के दो बराबर वास्तविक मूल हैं।

यदि b24ac<0 है, तो ऐसी कोई वास्तविक संख्या नहीं है, जिसका वर्ग b24ac हो। अतः दिए हुए द्विघात समीकरण के इस स्थिति में कोई वास्तविक मूल नहीं हैं।

क्योंकि b24ac यह निश्चित करता है कि द्विघात समीकरण ax2+bx+c=0 के मूल वास्तविक हैं अथवा नहीं, b24ac को इस द्विघात समीकरण का विविक्तकर (Discriminant) कहते हैं।

अतः, द्विघात समीकरण ax2+bx+c=0 के

(i) दो भिन्न वास्तविक मूल होते हैं, यदि b24ac>0 हो

(ii) दो बराबर वास्तविक मूल होते हैं, यदि b24ac=0 हो

(iii) कोई वास्तविक मूल नहीं होता, यदि b24ac<0 हो

आइए कुछ उदाहरणों पर विचार करें।

उदाहरण 7 : द्विघात समीकरण 2x24x+3=0 का विविक्तकर ज्ञात कीजिए और फिर मूलों की प्रकृति ज्ञात कीजिए।

हल : दिया गया समीकरण ax2+bx+c=0 के प्रकार का है, जहाँ a=2,b=4 और c=3 है। इसलिए, विविक्तकार

b24ac=(4)2(4×2×3)=1624=8<0 है। 

अतः, दिए गए समीकरण के कोई वास्तविक मूल नहीं हैं।

उदाहरण 8:13 मीटर व्यास वाले एक वृत्ताकार पार्क की परिसीमा के एक बिंदु पर एक खंभा इस प्रकार गाड़ना है कि इस पार्क के एक व्यास के दोनों अंत बिंदुओं पर बने फाटकों A और B से खंभे की दूरियों का अंतर 7 मीटर हो। क्या ऐसा करना संभव है? यदि है, तो दोनों फाटकों से कितनी दूरियों पर खंभा गाड़ना है?

हल : आइए सर्वप्रथम एक चित्र बनाएँ ( देखिए आकृति माना खंभे की अभीष्ट स्थिति P है। माना खंभे की फाटक B से दूरी x m है अर्थात् BP=x m है। अब खंभे की दोनों फाटकों की दूरियों का अंतर =APBP (या BPAP)=7 m है। इसलिए, AP=(x+7)m होगा।

साथ ही, AB=13 m है। चूँकि AB व्यास है, इसलिए

APB=90 (क्यों?) 

इसलिए AP2+PB2=AB2 (पाइथागोरस प्रमेय द्वारा) 

अर्थात् (x+7)2+x2=132

अर्थात् x2+14x+49+x2=169

अर्थात्

2x2+14x120=0

अतः खंभे की फाटक B से दूरी ’ x ’ समीकरण x2+7x60=0 को संतुष्ट करती है।

यह देखने के लिए कि ऐसा संभव है अथवा नहीं, आइए इसके विविक्तकर पर विचार करें। विविक्तकर है:

b24ac=724×1×(60)=289>0

अतः, दिए गए द्विघात समीकरण के दो वास्तविक मूल हैं और इसीलिए खंभे को पार्क की परिसीमा पर गाड़ा जा सकना संभव है।

द्विघात समीकरण x2+7x60=0 को द्विघाती सूत्र से हल करने पर, हम पाते हैं:

इसलिए, x=5 या -12 है।

x=7±2892=7±172

चूँकि x खंभे और फाटक B के बीच की दूरी है, यह धनात्मक होना चाहिए। इसलिए, x=12 को छोड़ देते हैं। अत: x=5 है।

इस प्रकार, खंभे को पार्क की परिसीमा पर फाटक B से 5 m और फाटक A से 13252=12 m की दूरी पर गाड़ना है।

उदाहरण 9: समीकरण 3x22x+13=0 का विविक्तकर ज्ञात कीजिए और फिर मूलों की प्रकृति ज्ञात कीजिए। यदि वे वास्तविक है, तो उन्हें ज्ञात कीजिए।

हल : यहाँ a=3,b=2,c=13 है।

इसलिए विविक्तकर b24ac=(2)24×3×13=44=0 है।

अतः द्विघात समीकरण के दो बराबर वास्तविक मूल हैं।

ये मूल b2a,b2a, अर्थात् 26,26, अर्थात् 13,13 हैं।

प्रश्नावली 4.3

1. निम्न द्विघात समीकरणों के मूलों की प्रकृति ज्ञात कीजिए। यदि मूलों का अस्तित्व हो तो उन्हें ज्ञात कीजिए :

(i) 2x23x+5=0

(ii) 3x243x+4=0

(iii) 2x26x+3=0

2. निम्न प्रत्येक द्विघात समीकरण में k का ऐसा मान ज्ञात कीजिए कि उसके दो बराबर मूल हों।

(i) 2x2+kx+3=0

(ii) kx(x2)+6=0

3. क्या एक ऐसी आम की बगिया बनाना संभव है जिसकी लंबाई, चौड़ाई से दुगुनी हो और उसका क्षेत्रफल 800 m2 हो? यदि है, तो उसकी लंबाई और चौड़ाई ज्ञात कीजिए।

4. क्या निम्न स्थिति संभव है? यदि है तो उनकी वर्तमान आयु ज्ञात कीजिए। दो मित्रों की आयु का योग 20 वर्ष है। चार वर्ष पूर्व उनकी आयु (वर्षों में) का गुणनफल 48 था।

5. क्या परिमाप 80 m तथा क्षेत्रफल 400 m2 के एक पार्क को बनाना संभव है? यदि है, तो उसकी लंबाई और चौड़ाई ज्ञात कीजिए।

4.5 सारांश

इस अध्याय में, आपने निम्न तथ्यों का अध्ययन किया है:

1. चर x में एक द्विघात समीकरण ax2+bx+c=0 के प्रकार का होता है, जहाँ a,b,c वास्तविक संख्याएँ हैं और a0 है।

2. एक वास्तविक संख्या α द्विघात समीकरण ax2+bx+c=0 का एक मूल कहलाती है, यदि aα2+bα+c=0 हो। द्विघात बहुपद ax2+bx+c के शून्यक और द्विघात समीकरण ax2+bx+c=0 के मूल एक ही होते हैं।

3. यदि हम ax2+bx+c,a0 के दो रैखिक गुणकों में गुणनखंड कर सकें, तो द्विघात समीकरण ax2+bx+c=0 के मूल, प्रत्येक गुणक को शून्य के बराबर करके, प्राप्त कर सकते हैं।

4. द्विघाती सूत्र: द्विघात समीकरण ax2+bx+c=0 के मूल b±b24ac2a द्वारा देय होते हैं, यदि b24ac0 हो।

5. एक द्विघात समीकरण ax2+bx+c=0,a0 में,

(i) दो भिन्न वास्तविक मूल होते हैं, यदि b24ac>0 हो।

(ii) दो बराबर मूल (अर्थात् संपाती वास्तविक मूल) होते हैं, यदि b24ac=0 हो और

(iii) कोई वास्तविक मूल नहीं होते हैं, यदि b24ac<0 हो।



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