बहुपद
2.1 भूमिका
पिछली कक्षाओं में, आप बीजीय व्यंजकों और उनके जोड़, घटाना, गुणा और भाग का अध्ययन कर चुके हैं। वहाँ आप यह भी अध्ययन कर चुके हैं कि किस प्रकार कुछ बीजीय व्यंजकों का गुणनखंडन किया जाता है। आप निम्न बीजीय सर्वसमिकाओं और उनका गुणनखंडन में उपयोग का पुनःस्मरण कर सकते हैं:
और,
इस अध्याय में, सबसे पहले एक विशेष प्रकार के बीजीय व्यंजक का, जिसे बहुपद (polynomial) कहा जाता है, और उससे संबद्ध शब्दावली (terminology) का अध्ययन करेंगे। यहाँ हम शेषफल प्रमेय (Remainder Theorem), गुणनखंड प्रमेय (Factor Theorem) और बहुपदों के गुणनखंडन में इनके उपयोग का भी अध्ययन करेंगे। इनके अतिरिक्त, हम कुछ और बीजीय सर्वसमिकाओं का और कुछ दिए हुए व्यंजकों का गुणनखंडन करने तथा मान निकालने के बारे में भी अध्ययन करेंगे।
2.2 एक चर वाले बहुपद
सबसे पहले हम याद करेंगे कि चर को एक प्रतीक से प्रकट किया जाता है जो कोई भी वास्तविक मान धारण कर सकता है। हम चरों को अक्षरों
हैं। अब मान लीजिए कि हम एक ऐसा व्यंजक लिखना चाहते हैं जो कि (एक अचर)
फिर भी, अचर को प्रकट करने वाले अक्षर और चर को प्रकट करने वाले अक्षर में अंतर होता है। एक विशेष स्थिति में अचरों के मान सदा समान बने रहते हैं। अर्थात् एक दी हुई समस्या में अचर के मान में कोई परिवर्तन नहीं होता। परन्तु चर के मान में परिवर्तन होता रहता है।
अब 3 एकक की भुजा वाला एक वर्ग लीजिए (देखिए आकृति 2.1)। इसका परिमाप (perimeter) क्या है? आप जानते हैं कि वर्ग का परिमाप चारों भुजाओं की लंबाइयों का जोड़ होता है। यहाँ प्रत्येक भुजा की लंबाई 3 एकक है। अतः इसका परिमाप
आकृति 2.1 2.2 ), तो परिमाप
क्या आप वर्ग
बहुपद
बहुपद के प्रत्येक पद का एक गुणांक (coefficient) होता है। अतः,
(स्मरण रहे कि
ध्यान रहे कि 2 भी एक बहुपद है। वस्तुतः
अब आप
यदि एक बहुपद में चर
बहुपद में परिमित संख्या में कितने भी पद हो सकते हैं। उदाहरण के लिए,
अब बहुपद
अब नीचे दिए गए बहुपदों में से प्रत्येक पर ध्यान दीजिए:
यहाँ प्रत्येक बहुपद में कितने पद हैं? इनमें से प्रत्येक बहुपद में केवल दो पद हैं। केवल दो पदों वाले बहुपदों को द्विपद (binomials) कहा जाता है। (अंग्रेजी शब्द ‘bi’ का अर्थ है “दो")।
इसी प्रकार, केवल तीन पदों वाले बहुपदों को त्रिपद (trinomials) कहा जाता है। (अंग्रेजी शब्द ’tri’ का अर्थ है “तीन")। त्रिपद के कुछ उदाहरण ये हैं:
अब बहुपद
उदाहरण 1 : नीचे दिए गए प्रत्येक बहुपद की घात ज्ञात कीजिए:
(i)
हल : (i) चर का अधिकतम घातांक 5 है। अतः बहुपद की घात 5 है।
(ii) चर का अधिकतम घातांक 8 है। अतः बहुपद की घात 8 है।
(iii) यहाँ केवल एक पद 2 है जिसे
अब बहुपदों
अब आप निम्नलिखित बहुपदों को लीजिए:
क्या आप इस बात से सहमत हैं कि ऊपर दिए गए सभी बहुपद घात 2 वाले हैं? घात 2 वाले बहुपद को द्विघाती या द्विघात बहुपद (quadratic polynomial) कहा जाता है।
द्विघाती बहुपद के कुछ उदाहरण
तीन घात वाले बहुपद को त्रिघाती बहुपद (cubic polynomial) कहा जाता है।
अभी आपने देखा है कि घात 1 , घात 2 या घात 3 वाले बहुपद देखने में लगभग समान ही लगते हैं, तो क्या आप एक चर में, घात
जहाँ
विशेष रूप में, यदि
अभी तक हमने केवल एक चर वाले बहुपदों के बारे में अध्ययन किया है। हम एक से अधिक चरों वाले बहुपद भी प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए,
प्रश्नावली 2.1
1. निम्नलिखित व्यंजकों में कौन-कौन एक चर में बहुपद हैं और कौन-कौन नहीं हैं? कारण के साथ अपने उत्तर दीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
2. निम्नलिखित में से प्रत्येक में
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
3. 35 घात के द्विपद का और 100 घात के एकपदी का एक-एक उदाहरण दीजिए।
4. निम्नलिखित बहुपदों में से प्रत्येक बहुपद की घात लिखिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv) 3
5. बताइए कि निम्नलिखित बहुपदों में कौन-कौन बहुपद रैखिक हैं, कौन-कौन द्विघाती हैं और कौन-कौन त्रिघाती हैं:
(i)
(v)
2.3 बहुपद के शून्यक
निम्नलिखित बहुपद लीजिए:
यदि
अतः, हम यह कह सकते हैं कि
इसी प्रकार,
क्या आप
उदाहरण 2 : चरों के दिए गए मान पर नीचे दिए गए प्रत्येक बहुपद का मान ज्ञात कीजिए:
(i)
(ii)
(iii)
हल : (i)
(ii)
(iii)
अब बहुपद
क्योंकि
इसी प्रकार, आप यह देख सकते हैं कि
व्यापक रूप में, हम यह कहते हैं कि बहुपद
इस बात की ओर आपने अवश्य ध्यान दिया होगा कि बहुपद
अब अचर बहुपद 5 लीजिए। क्या आप बता सकते हैं कि इसका शून्यक क्या है? इस बहुपद का कोई शून्यक नहीं है, क्योंकि
उदाहरण 3 : जाँच कीजिए कि -2 और 2 बहुपद
हल : मान लीजिए
तब
अतः -2 बहुपद
उदाहरण 4 : बहुपद
हल :
को हल करना।
अब
अत:
अब, यदि
अतः,
अर्थात्
अत:
अब हम यह कह सकते हैं कि
उदाहरण 5 : सत्यापित कीजिए कि 2 और 0 बहुपद
हल : मान लीजिए
तब
और
अतः, 2 और 0 दोनों ही बहुपद
आइए अब हम अपने प्रेक्षणों की सूची बनाएँ:
1. आवश्यक नहीं है कि बहुपद का शून्यक शून्य ही हो।
2. 0 , बहुपद का एक शून्यक हो सकता है।
3. प्रत्येक रैखिक बहुपद का एक और केवल एक शून्यक होता है।
4. एक बहुपद के एक से अधिक शून्यक हो सकते हैं।
प्रश्नावली 2.2
1. निम्नलिखित पर बहुपद
(i)
2. निम्नलिखित बहुपदों में से प्रत्येक बहुपद के लिए
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
3. सत्यापित कीजिए कि दिखाए गए मान निम्नलिखित स्थितियों में संगत बहुपद के शून्यक हैं:
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
(vii)
(viii)
4. निम्नलिखित स्थितियों में से प्रत्येक स्थिति में बहुपद का शून्यक ज्ञात कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
(vii)
2.4 बहुपदों का गुणनखंडन
आइए अब हम ऊपर के उदाहरण 10 की स्थिति पर ध्यानपूर्वक विचार करें। इसके अनुसार, क्योंकि शेषफल
यह नीचे दिए हुए प्रमेय की एक विशेष स्थिति है:
गुणनखंड प्रमेयः यदि
(i)
(ii)
उपपत्ति : शेषफल प्रमेय द्वारा,
(i) यदि
(ii) चूंकि
उदाहरण 6 : जाँच कीजिए कि
हल :
तब,
अतः गुणनखंड प्रमेय (Factor Theorem) के अनुसार
पुन:,
अत:
उदाहरण 7 : यदि
हल : क्योंकि
अब,
इसलिए
अर्थात्
अब हम घात 2 और घात 3 के कुछ बहुपदों के गुणनखंड ज्ञात करने के लिए गुणनखंड प्रमेय का प्रयोग करेंगे।
आप
मध्य पद को विभक्त करके बहुपद
मान लीजिए इसके गुणनखंड
इसी प्रकार,
साथ ही, अचर पदों की तुलना करने पर, हमें
इससे यह पता चलता है कि
उदाहरण 8 : मध्य पद को विभक्त करके तथा गुणनखंड प्रमेय का प्रयोग करके
हल 1 : (मध्य पद को विभक्त करके) : यदि हम ऐसी दो संख्याएँ
अतः आइए हम 30 के गुणनखंड-युग्मों को ढूढ़ें। कुछ युग्म 1 और 30,2 और 15,3 और 10,5 और 6 हैं।
इन युग्मों में, हमें 2 और 15 के युग्म से
हल 2 : (गुणनखंड प्रमेय की सहायता से):
अत:,
इस उदाहरण के लिए, विभक्त करने की विधि का प्रयोग अधिक प्रभावशाली है। फिर भी, आइए हम एक और उदाहरण लें।
उदाहरण 9 : गुणनखंड प्रमेय की सहायता से
हल : मान लीजिए
6 के गुणनखंड 1,2 और 3 हैं।
अब,
इसलिए
साथ ही,
इसलिए,
अत:,
ध्यान दीजिए कि मध्य पद
आइए अब हम त्रिघाती बहुपदों का गुणनखंडन करें। यहाँ प्रारंभ में विभक्त-विधि अधिक उपयोगी सिद्ध नहीं होगी। हमें पहले कम से कम एक गुणनखंड ज्ञात करना आवश्यक होता है, जैसा कि आप नीचे के उदाहरण में देखेंगे।
उदाहरण 10 :
हल : मान लीजिए
अब हम -120 के सभी गुणनखंडों का पता लगाएँगे। इनमें कुछ गुणनखंड हैं:
जाँच करने पर, हम यह पाते हैं कि
अब हम देखते हैं कि
इसे
अब
अत :
प्रश्नावली 2.3
1. बताइए कि निम्नलिखित बहुपदों में से किस बहुपद का एक गुणनखंड
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
2. गुणनखंड प्रमेय लागू करके बताइए कि निम्नलिखित स्थितियों में से प्रत्येक स्थिति में
(i)
(ii)
(iii)
3.
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
4. गुणनखंड ज्ञात कीजिए:
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
5. गुणनखंड ज्ञात कीजिए:
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
2.5 बीजीय सर्वसमिकाएँ
पिछली कक्षाओं में, आप यह पढ़ चुके हैं कि बीजीय सर्वसमिका (algebraic identity) एक बीजीय समीकरण होती है जो कि चरों के सभी मानों के लिए सत्य होती है। पिछली कक्षाओं में, आप निम्नलिखित बीजीय सर्वसमिकाओं का अध्ययन कर चुके हैं:
सर्वसमिका I :
सर्वसमिका II :
सर्वसमिका III :
सर्वसमिका IV :
इन बीजीय सर्वसमिकाओं में से कुछ का प्रयोग आपने बीजीय व्यंजकों के गुणनखंड ज्ञात करने में अवश्य किया होगा। आप इनकी उपयोगिता अभिकलनों (computations) में भी देख सकते हैं।
उदाहरण 11 : उपयुक्त सर्वसमिकाओं का उपयोग करके निम्नलिखित गुणनफल ज्ञात कीजिए:
(i)
हल : (i) यहाँ हम सर्वसमिका I
(ii) सर्वसमिका IV अर्थात्
उदाहरण 12 : सीधे गुणा न करके
हल :
कुछ दिए हुए व्यंजकों का गुणनफल ज्ञात करने के लिए, हमने ऊपर बतायी गई कुछ सर्वसमिकाओं का प्रयोग किया है। ये सर्वसमिकाएँ बीजीय व्यंजकों का गुणनखंडन करने में भी उपयोगी होती हैं, जैसा कि आप नीचे दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं।
उदाहरण 13 : गुणनखंड ज्ञात कीजिए:
(i)
(ii)
हल : (i) यहाँ आप यह देख सकते हैं कि
सर्वसमिका I लागू करने पर, हमें यह प्राप्त होता है:
(ii) यहाँ
सर्वसमिका III के साथ इसकी तुलना करने पर, हमें यह प्राप्त होता है:
अभी तक हमारी सभी सर्वसमिकाएँ द्विपदों के गुणनफलों से संबंधित रही हैं। आइए अब हम सर्वसमिका I को त्रिपद
मान लीजिए
अतः हमें निम्नलिखित सर्वसमिका प्राप्त होती है:
सर्वसमिका
टिप्पणी: हम दाएँ पक्ष के व्यंजक को बाएँ पक्ष के व्यंजक का प्रसारित रूप मानते हैं। ध्यान दीजिए कि
उदाहरण 14 :
हल : दिए हुए व्यंजक की
अतः सर्वसमिका
उदाहरण 15 :
हल : सर्वसमिका
उदाहरण 16 :
हल : यहाँ
अभी तक हमने द्विघात पदों से संबंधित सर्वसमिकाओं का ही अध्ययन किया है। आइए अब हम सर्वसमिका I को
अतः, हमें निम्नलिखित सर्वसमिका प्राप्त होती है:
सर्वसमिका VI :
सर्वसमिका VI में
सर्वसमिका VII :
उदाहरण 17 : निम्नलिखित घनों को प्रसारित रूप में लिखिए:
(i)
हल : (i)
अतः सर्वसमिका VI का प्रयोग करने पर, हमें यह प्राप्त होता है:
(ii)
सर्वसमिका VII लागू करने पर, हमें यह प्राप्त होता है:
उदाहरण 18 : उपयुक्त सर्वसमिकाएँ प्रयोग करके, निम्नलिखित में से प्रत्येक का मान ज्ञात कीजिए:
(i)
हल : (i) यहाँ
(सर्वसमिका VI का प्रयोग करने पर)
(ii) यहाँ
(सर्वसमिका VII का प्रयोग करने पर)
उदाहरण 19 :
हल : दिए हुए व्यंजक को इस प्रकार लिखा जा सकता है:
अब
अतः, हमें निम्नलिखित सर्वसमिका प्राप्त होती है:
सर्वसमिका VIII :
उदाहरण 20 :
हल : यहाँ,
प्रश्नावली 2.4
1. उपयुक्त सर्वसमिकाओं को प्रयोग करके निम्नलिखित गुणनफल ज्ञात कीजिए:
(i)
(iv)
2. सीधे गुणा किए बिना निम्नलिखित गुणनफलों के मान ज्ञात कीजिए:
(i)
3. उपयुक्त सर्वसमिकाएँ प्रयोग करके निम्नलिखित का गुणनखंडन कीजिए:
(i)
4. उपयुक्त सर्वसमिकाओं का प्रयोग करके निम्नलिखित में से प्रत्येक का प्रसार कीजिए:
(i)
(iv)
5. गुणनखंडन कीजिए:
(i)
(ii)
6. निम्नलिखित घनों को प्रसारित रूप में लिखिए:
(i)
7. उपयुक्त सर्वसमिकाएँ प्रयोग करके निम्नलिखित के मान ज्ञात कीजिए:
(i)
8. निम्नलिखित में से प्रत्येक का गुणनखंडन कीजिए:
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
9. सत्यापित कीजिए: (i)
10. निम्नलिखित में से प्रत्येक का गुणनखंडन कीजिए:
(i)
(ii)
[संकेत: देखिए प्रश्न 9]
11. गुणनखंडन कीजिए:
12. सत्यापित कीजिए:
13. यदि
14. वास्तव में घनों का परिकलन किए बिना निम्नलिखित में से प्रत्येक का मान ज्ञात कीजिए:
(i)
(ii)
15. नीचे दिए गए आयतों, जिनमें उनके क्षेत्रफल दिए गए हैं, में से प्रत्येक की लंबाई और चौड़ाई के लिए संभव व्यंजक दीजिए:
क्षेत्रफल :
16. घनाभों (cuboids), जिनके आयतन नीचे दिए गए हैं कि, विमाओं के लिए संभव व्यंजक क्या हैं?
(i)
(ii)
2.6 सारांश
इस अध्याय में, आपने निम्नलिखित बिंदुओं का अध्ययन किया है:
1. एक चर वाला बहुपद
जहाँ
2. एक पद वाले बहुपद को एकपदी कहा जाता है।
3. दो पदों वाले बहुपद को द्विपद कहा जाता है।
4. तीन पदों वाले बहुपद को त्रिपद कहा जाता है।
5. एक घात वाले बहुपद को रैखिक बहुपद कहा जाता है।
6. दो घात वाले बहुपद को द्विघाती बहुपद कहा जाता है।
7. तीन घात वाले बहुपद को त्रिघाती बहुपद कहा जाता है।
8. वास्तविक संख्या ’
9. एक चर में प्रत्येक रैखिक बहुपद का एक अद्वितीय शून्यक होता है। एक शून्येतर अचर बहुपद का कोई शून्यक नहीं है और प्रत्येक वास्तविक संख्या शून्य बहुपद का एक शून्यक होती है।
10. यदि
11.
12.
13.
14.