बहुपद

2.1 भूमिका

पिछली कक्षाओं में, आप बीजीय व्यंजकों और उनके जोड़, घटाना, गुणा और भाग का अध्ययन कर चुके हैं। वहाँ आप यह भी अध्ययन कर चुके हैं कि किस प्रकार कुछ बीजीय व्यंजकों का गुणनखंडन किया जाता है। आप निम्न बीजीय सर्वसमिकाओं और उनका गुणनखंडन में उपयोग का पुनःस्मरण कर सकते हैं:

और,

(x+y)2=x2+2xy+y2(xy)2=x22xy+y2x2y2=(x+y)(xy)

इस अध्याय में, सबसे पहले एक विशेष प्रकार के बीजीय व्यंजक का, जिसे बहुपद (polynomial) कहा जाता है, और उससे संबद्ध शब्दावली (terminology) का अध्ययन करेंगे। यहाँ हम शेषफल प्रमेय (Remainder Theorem), गुणनखंड प्रमेय (Factor Theorem) और बहुपदों के गुणनखंडन में इनके उपयोग का भी अध्ययन करेंगे। इनके अतिरिक्त, हम कुछ और बीजीय सर्वसमिकाओं का और कुछ दिए हुए व्यंजकों का गुणनखंडन करने तथा मान निकालने के बारे में भी अध्ययन करेंगे।

2.2 एक चर वाले बहुपद

सबसे पहले हम याद करेंगे कि चर को एक प्रतीक से प्रकट किया जाता है जो कोई भी वास्तविक मान धारण कर सकता है। हम चरों को अक्षरों x,y,z, आदि से प्रकट करते हैं। ध्यान रहे कि 2x,3x,x,12x बीजीय व्यंजक हैं। ये सभी व्यंजक, (एक अचर) ×x के रूप के

हैं। अब मान लीजिए कि हम एक ऐसा व्यंजक लिखना चाहते हैं जो कि (एक अचर) × (एक चर) है और हम यह नहीं जानते कि अचर क्या है। ऐसी स्थितियों में, हम अचर को a,b,c आदि से प्रकट करते हैं। अतः व्यंजक, मान लीजिए, ax होगा।

फिर भी, अचर को प्रकट करने वाले अक्षर और चर को प्रकट करने वाले अक्षर में अंतर होता है। एक विशेष स्थिति में अचरों के मान सदा समान बने रहते हैं। अर्थात् एक दी हुई समस्या में अचर के मान में कोई परिवर्तन नहीं होता। परन्तु चर के मान में परिवर्तन होता रहता है।

अब 3 एकक की भुजा वाला एक वर्ग लीजिए (देखिए आकृति 2.1)। इसका परिमाप (perimeter) क्या है? आप जानते हैं कि वर्ग का परिमाप चारों भुजाओं की लंबाइयों का जोड़ होता है। यहाँ प्रत्येक भुजा की लंबाई 3 एकक है। अतः इसका परिमाप 4×3 अर्थात् 12 एकक है। यदि वर्ग की प्रत्येक भुजा 10 एकक हो, तो परिमाप क्या होगा? परिमाप 4×10 अर्थात् 40 एकक होगा। यदि प्रत्येक भुजा की लंबाई x एकक हो (देखिए आकृति

आकृति 2.1 2.2 ), तो परिमाप 4x एकक होता है। अतः हम यह पाते हैं कि भुजा की लंबाई में परिवर्तन होने पर परिमाप बदल जाता है।

क्या आप वर्ग PQRS का क्षेत्रफल ज्ञात कर सकते हैं? यह x×x=x2 वर्ग एकक (मात्रक) है। x2 एक बीजीय व्यंजक है। आप 2x,x2+2x,x3x2+4x+7 जैसे अन्य बीजीय व्यंजकों से भी परिचित हैं। ध्यान दीजिए कि अभी तक लिए गए सभी बीजीय व्यंजकों में चर के घातांक पूर्ण संख्या ही रहे हैं। इस रूप के व्यंजकों को एक चर वाला बहुपद (polynomials in one variable) कहा जाता है। ऊपर दिए गए उदाहरणों में चर x है। उदाहरण के लिए, x3x2+4x+7, चर x में एक बहुपद है। इसी प्रकार 3y2+5y, चर y में एक बहुपद है और t2+4, चर t में एक बहुपद है।

बहुपद x2+2x में व्यंजक x2 और 2x बहुपद के पद (terms) कहे जाते हैं। इसी प्रकार, बहुपद 3y2+5y+7 में तीन पद अर्थात् 3y2,5y और 7 हैं। क्या आप बहुपद x3+4x2+7x2 के पद लिख सकते हैं? इस बहुपद के चार पद अर्थात् x3,4x2,7x और -2 हैं।

बहुपद के प्रत्येक पद का एक गुणांक (coefficient) होता है। अतः, x3+4x2+7x2 में x3 का गुणांक -1 है, x2 का गुणांक 4 है, x का गुणांक 7 है और x0 का गुणांक -2 है

(स्मरण रहे कि x0=1 है)। क्या आप जानते हैं कि x2x+7 में x का गुणांक क्या है? x का गुणांक -1 है।

ध्यान रहे कि 2 भी एक बहुपद है। वस्तुतः 2,5,7 आदि अचर बहुपदों (constant polynomials) के उदाहरण हैं। अचर बहुपद 0 को शून्य बहुपद कहा जाता है। साथ ही, जैसा कि उच्च कक्षाओं में आप देखेंगे, सभी बहुपदों के संग्रह में शून्य बहुपद एक अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अब आप x+1x,x+3 और y3+y2 जैसे बीजीय व्यंजक लीजिए। क्या आप जानते हैं कि आप x+1x=x+x1 लिख सकते हैं? यहाँ दूसरे पद अर्थात् x1 का घातांक -1 है जो एक पूर्ण संख्या नहीं है। अतः यह बीजीय व्यंजक एक बहुपद नहीं है। साथ ही, x+3 को x12+3 के रूप में लिखा जा सकता है। यहाँ x का घातांक 12 है, जो कि एक पूर्ण संख्या नहीं है। तो क्या आप यह समझते हैं कि x+3 एक बहुपद है? नहीं, यह एक बहुपद नहीं है। क्या y3+y2 एक बहुपद है? यह भी एक बहुपद नहीं है। (क्यों?)

यदि एक बहुपद में चर x हो, तो हम बहुपद को p(x) या q(x) या r(x), आदि से प्रकट कर सकते हैं, उदाहरण के लिए, हम यह लिख सकते हैं:

p(x)=2x2+5x3q(x)=x31r(y)=y3+y+1s(u)=2uu2+6u5

बहुपद में परिमित संख्या में कितने भी पद हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, x150+x149++x2+x+1 एक बहुपद है, जिसमें 151 पद हैं।

अब बहुपद 2x,2,5x3,5x2,y और u4 लीजिए। क्या आप देखते हैं कि इन बहुपदों में से प्रत्येक बहुपद का केवल एक पद है। केवल एक पद वाले बहुपद को एकपदी (monomial) कहा जाता है। (अंग्रेजी शब्द ‘mono’ का अर्थ है “एक")।

अब नीचे दिए गए बहुपदों में से प्रत्येक पर ध्यान दीजिए:

p(x)=x+1,q(x)=x2x,r(y)=y30+1,t(u)=u43u2

यहाँ प्रत्येक बहुपद में कितने पद हैं? इनमें से प्रत्येक बहुपद में केवल दो पद हैं। केवल दो पदों वाले बहुपदों को द्विपद (binomials) कहा जाता है। (अंग्रेजी शब्द ‘bi’ का अर्थ है “दो")।

इसी प्रकार, केवल तीन पदों वाले बहुपदों को त्रिपद (trinomials) कहा जाता है। (अंग्रेजी शब्द ’tri’ का अर्थ है “तीन")। त्रिपद के कुछ उदाहरण ये हैं:

p(x)=x+x2+π,q(x)=2+xx2,r(u)=u+u22,t(y)=y4+y+5

अब बहुपद p(x)=3x74x6+x+9 को देखिए। इसमें x की अधिकतम घात वाला पद कौन-सा है? यह पद 3x7 है। इस पद में x का घातांक 7 है। इसी प्रकार, बहुपद q(y)=5y64y26 में y की अधिकतम घात वाला पद 5y6 है और इस पद में y का घातांक 6 है। एक बहुपद में चर की अधिकतम घात वाले पद के घातांक को बहुपद की घात (degree of the polynomial) कहा जाता है। अत: बहुपद 3x74x6+x+9 की घात 7 है और बहुपद 5y64y26 की घात 6 है। एक शून्येतर अचर बहुपद की घात शून्य होती है।

उदाहरण 1 : नीचे दिए गए प्रत्येक बहुपद की घात ज्ञात कीजिए: (i) x5x4+3 (ii) 2y2y3+2y8 (iii) 2

हल : (i) चर का अधिकतम घातांक 5 है। अतः बहुपद की घात 5 है।

(ii) चर का अधिकतम घातांक 8 है। अतः बहुपद की घात 8 है।

(iii) यहाँ केवल एक पद 2 है जिसे 2x0 के रूप में लिखा जा सकता है। अतः x का घातांक 0 है। इसलिए, बहुपद की घात 0 है।

अब बहुपदों p(x)=4x+5,q(y)=2y,r(t)=t+2 और s(u)=3u को लीजिए। क्या इनमें कोई सर्वनिष्ठ तथ्य देखने को मिलता है? इनमें प्रत्येक बहुपद की घात एक है। एक घात वाले बहुपद को रैखिक बहुपद (linear polynomial) कहा जाता है। एक चर में कुछ और रैखिक बहुपद 2x1,2y+1 और 2u हैं। अब क्या x में तीन पदों वाला एक रैखिक बहुपद हम ज्ञात कर सकते हैं? हम एक ऐसा रैखिक बहुपद ज्ञात नहीं कर सकते, क्योंकि x में एक रैखिक बहुपद में अधिक से अधिक दो पद हो सकते हैं। अतः x में कोई भी रैखिक बहुपद ax+b के रूप का होगा, जहाँ a और b अचर हैं और a0 है। (क्यों?) इसी प्रकार ay+b,y में एक रैखिक बहुपद है।

अब आप निम्नलिखित बहुपदों को लीजिए:

2x2+5,5x2+3x+π,x2 और x2+25x

क्या आप इस बात से सहमत हैं कि ऊपर दिए गए सभी बहुपद घात 2 वाले हैं? घात 2 वाले बहुपद को द्विघाती या द्विघात बहुपद (quadratic polynomial) कहा जाता है।

द्विघाती बहुपद के कुछ उदाहरण 5y2,4y+5y2 और 6yy2 हैं। क्या आप एक चर में चार अलग-अलग पदों वाले एक द्विघाती बहुपद को लिख सकते हैं? आप देखेंगे कि एक चर में एक द्विघाती बहुपद के अधिक से अधिक 3 पद होंगे। यदि आप कुछ और द्विघाती पद बना सकें तो आप पाएँगे कि x में कोई भी द्विघाती बहुपद ax2+bx+c के रूप का होगा, जहाँ a0 और a,b,c अचर हैं। इसी प्रकार, y में द्विघाती बहुपद ay2+by+c के रूप का होगा, जबकि a0 और a,b,c अचर हों।

तीन घात वाले बहुपद को त्रिघाती बहुपद (cubic polynomial) कहा जाता है। x में एक त्रिघाती बहुपद के वुछ उदाहरण 4x3,2x3+1,5x3+x2,6x3x,6x3 और 2x3+4x2+6x+7 हैं। आपके विचार से एक चर में त्रिघाती बहुपद में कितने पद हो सकते हैं? अधिक से अधिक 4 पद हो सकते हैं। इन्हें ax3+bx2+cx+d के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ a0 और a,b,c और d अचर हैं।

अभी आपने देखा है कि घात 1 , घात 2 या घात 3 वाले बहुपद देखने में लगभग समान ही लगते हैं, तो क्या आप एक चर में, घात n वाला एक बहुपद लिख सकते हैं, जहाँ n कोई प्राकृत संख्या है? एक चर x में, घात n वाला बहुपद निम्न रूप का एक व्यंजक होता है:

anxn+an1xn1++a1x+a0

जहाँ a0,a1,a2,,an अचर हैं और an0 है।

विशेष रूप में, यदि a0=a1=a2=a3==an=0 हो (सभी अचर शून्य हों), तो हमें शून्य बहुपद (zero polynomial) प्राप्त होता है, जिसे 0 से प्रकट किया जाता है। शून्य बहुपद की घात क्या होती है? शून्य बहुपद की घात परिभाषित नहीं है।

अभी तक हमने केवल एक चर वाले बहुपदों के बारे में अध्ययन किया है। हम एक से अधिक चरों वाले बहुपद भी प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, x2+y2+xyz (जहाँ चर x,y और z हैं) तीन चरों में एक बहुपद है। इसी प्रकार, p2+q10+r (जहाँ चर p, q और r हैं), u3+v2 (जहाँ चर u और v हैं) क्रमशः तीन चरों और दो चरों में (वाले) बहुपद हैं। इस प्रकार के बहुपदों का विस्तार से अध्ययन हम बाद में करेंगे।

प्रश्नावली 2.1

1. निम्नलिखित व्यंजकों में कौन-कौन एक चर में बहुपद हैं और कौन-कौन नहीं हैं? कारण के साथ अपने उत्तर दीजिए :

(i) 4x23x+7

(ii) y2+2

(iii) 3t+t2

(iv) y+2y

(v) x10+y3+t50

2. निम्नलिखित में से प्रत्येक में x2 का गुणांक लिखिए:

(i) 2+x2+x

(ii) 2x2+x3

(iii) π2x2+x

(iv) 2x1

3. 35 घात के द्विपद का और 100 घात के एकपदी का एक-एक उदाहरण दीजिए।

4. निम्नलिखित बहुपदों में से प्रत्येक बहुपद की घात लिखिए :

(i) 5x3+4x2+7x

(ii) 4y2

(iii) 5t7

(iv) 3

5. बताइए कि निम्नलिखित बहुपदों में कौन-कौन बहुपद रैखिक हैं, कौन-कौन द्विघाती हैं और कौन-कौन त्रिघाती हैं:

(i) x2+x (ii) xx3 (iii) y+y2+4 (iv) 1+x

(v) 3t (vi) r2 (vii) 7x3

2.3 बहुपद के शून्यक

निम्नलिखित बहुपद लीजिए:

p(x)=5x32x2+3x2

यदि p(x) में सर्वत्र x के स्थान पर 1 प्रतिस्थापित करें, तो हमें यह प्राप्त होता है:

p(1)=5×(1)32×(1)2+3×(1)2=52+32=4

अतः, हम यह कह सकते हैं कि x=1 पर p(x) का मान 4 है।

इसी प्रकार, p(0)=5(0)32(0)2+3(0)2

=2

क्या आप p(1) ज्ञात कर सकते हैं?

उदाहरण 2 : चरों के दिए गए मान पर नीचे दिए गए प्रत्येक बहुपद का मान ज्ञात कीजिए:

(i) x=1 पर p(x)=5x23x+7 का मान

(ii) y=2 पर q(y)=3y34y+11 का मान

(iii) t=a पर p(t)=4t4+5t3t2+6 का मान

हल : (i) p(x)=5x23x+7 x=1 पर बहुपद p(x) का मान यह होता है:

p(1)=5(1)23(1)+7=53+7=9

(ii) q(y)=3y34y+11

y=2 पर बहुपद q(y) का मान यह होता है:

q(2)=3(2)34(2)+11=248+11=16+11

(iii) p(t)=4t4+5t3t2+6

t=a पर बहुपद p(t) का मान यह होता है:

p(a)=4a4+5a3a2+6

अब बहुपद p(x)=x1 लीजिए।

p(1) क्या है? ध्यान दीजिए कि p(1)=11=0 है।

क्योंकि p(1)=0 है, इसलिए हम यह कहते हैं कि 1 , बहुपद p(x) का एक शून्यक (zero) है।

इसी प्रकार, आप यह देख सकते हैं कि 2,q(x) का एक शून्यक है, जहाँ q(x)=x2 है।

व्यापक रूप में, हम यह कहते हैं कि बहुपद p(x) का शून्यक एक ऐसी संख्या c है कि p(c)=0 हो।

इस बात की ओर आपने अवश्य ध्यान दिया होगा कि बहुपद (x1) का शून्यक इस बहुपद को 0 के समीकृत करके प्राप्त किया जाता है। अर्थात् x1=0, जिससे x=1 प्राप्त होता है। तब हम कहते हैं कि p(x)=0 एक बहुपद समीकरण है और 1 इस बहुपद समीकरण p(x)=0 का एक मूल है। अतः हम यह कहते हैं कि 1 , बहुपद x1 का शून्यक है या यह बहुपद समीकरण x1=0 का एक मूल (root) है।

अब अचर बहुपद 5 लीजिए। क्या आप बता सकते हैं कि इसका शून्यक क्या है? इस बहुपद का कोई शून्यक नहीं है, क्योंकि 5x0 में x के स्थान पर किसी भी संख्या को प्रतिस्थापित करने पर हमें 5 ही प्राप्त होता है। वस्तुतः, एक शून्येतर अचर बहुपद का कोई शून्यक नहीं होता। अब प्रश्न उठता है कि शून्य बहुपद के शून्यकों के बारे में क्या कहा जाए। परंपरा के अनुसार प्रत्येक वास्तविक संख्या शून्य बहुपद का एक शून्यक होती है।

उदाहरण 3 : जाँच कीजिए कि -2 और 2 बहुपद x+2 के शून्यक हैं या नहीं।

हल : मान लीजिए p(x)=x+2

तब p(2)=2+2=4,p(2)=2+2=0

अतः -2 बहुपद x+2 का एक शून्यक है, परन्तु 2 बहुपद x+2 का शून्यक नहीं है।

उदाहरण 4 : बहुपद p(x)=2x+1 का एक शून्यक ज्ञात कीजिए।

हल : p(x) का शून्यक ज्ञात करना वैसा ही है जैसा कि समीकरण

p(x)=0

को हल करना।

अब

2x+1=0 से हमें x=12 प्राप्त होता है। 

अत: 12 बहुपद 2x+1 का एक शून्यक है।

अब, यदि p(x)=ax+b,a0 एक रैखिक बहुपद हो, तो हम इस p(x) का शून्यक किस प्रकार ज्ञात कर सकते हैं? उदाहरण 4 से आपको इसका कुछ संकेत मिल सकता है। बहुपद p(x) का शून्यक ज्ञात करने का अर्थ है बहुपद समीकरण p(x)=0 को हल करना। अब p(x)=0 का अर्थ है ax+b=0,a0

अतः,

ax=b

अर्थात्

x=ba

अत: x=ba ही केवल p(x) का शून्यक है, अर्थात् रैखिक बहुपद का एक और केवल एक शून्यक होता है।

अब हम यह कह सकते हैं कि 1,x1 का केवल एक शून्यक है और 2,x+2 का केवल एक शून्यक है।

उदाहरण 5 : सत्यापित कीजिए कि 2 और 0 बहुपद x22x के शून्यक हैं।

हल : मान लीजिए

p(x)=x22x

तब

p(2)=224=44=0

और

p(0)=00=0

अतः, 2 और 0 दोनों ही बहुपद x22x के शून्यक हैं।

आइए अब हम अपने प्रेक्षणों की सूची बनाएँ:

1. आवश्यक नहीं है कि बहुपद का शून्यक शून्य ही हो।

2. 0 , बहुपद का एक शून्यक हो सकता है।

3. प्रत्येक रैखिक बहुपद का एक और केवल एक शून्यक होता है।

4. एक बहुपद के एक से अधिक शून्यक हो सकते हैं।

प्रश्नावली 2.2

1. निम्नलिखित पर बहुपद 5x4x2+3 के मान ज्ञात कीजिए:

(i) x=0 (ii) x=1 (iii) x=2

2. निम्नलिखित बहुपदों में से प्रत्येक बहुपद के लिए p(0),p(1) और p(2) ज्ञात कीजिए:

(i) p(y)=y2y+1

(ii) p(t)=2+t+2t2t3

(iii) p(x)=x3

(iv) p(x)=(x1)(x+1)

3. सत्यापित कीजिए कि दिखाए गए मान निम्नलिखित स्थितियों में संगत बहुपद के शून्यक हैं:

(i) p(x)=3x+1;x=13

(ii) p(x)=5xπ;x=45

(iii) p(x)=x21;x=1,1

(iv) p(x)=(x+1)(x2);x=1,2

(v) p(x)=x2;x=0

(vi) p(x)=lx+m;x=ml

(vii) p(x)=3x21;x=13,23

(viii) p(x)=2x+1;x=12

4. निम्नलिखित स्थितियों में से प्रत्येक स्थिति में बहुपद का शून्यक ज्ञात कीजिए :

(i) p(x)=x+5

(ii) p(x)=x5

(iii) p(x)=2x+5

(iv) p(x)=3x2

(v) p(x)=3x

(vi) p(x)=ax;a0

(vii) p(x)=cx+d;c0,c,d वास्तविक संख्याएँ हैं।

2.4 बहुपदों का गुणनखंडन

आइए अब हम ऊपर के उदाहरण 10 की स्थिति पर ध्यानपूर्वक विचार करें। इसके अनुसार, क्योंकि शेषफल q(12)=0 है, इसलिए 2t+1,q(t) का एक गुणनखंड है। अर्थात् किसी बहुपद g(t) के लिए,

q(t)=(2t+1)g(t) होता है। 

यह नीचे दिए हुए प्रमेय की एक विशेष स्थिति है:

गुणनखंड प्रमेयः यदि p(x) घात n1 वाला एक बहुपद हो और a कोई वास्तविक संख्या हो, तो

(i) xa,p(x) का एक गुणनखंड होता है, यदि p(a)=0 हो, और

(ii) p(a)=0 होता है, यदि xa,p(x) का एक गुणनखंड हो।

उपपत्ति : शेषफल प्रमेय द्वारा, p(x)=(xa)q(x)+p(a).

(i) यदि p(a)=0, तब p(x)=(xa)q(x), जो दर्शाता है कि xa,p(x) का एक गुणनखंड है।

(ii) चूंकि xa,p(x) का एक गुण xa,p(x) का एक गुणनखंड है, तो किसी बहुपद g(x) के लिए p(x)=(xa)g(x) होगा। इस स्थिति में, p(a)=(aa)g(a)=0.

उदाहरण 6 : जाँच कीजिए कि x+2 बहुपदों x3+3x2+5x+6 और 2x+4 का एक गुणनखंड है या नहीं।

हल : x+2 का शून्यक -2 है। मान लीजिए

p(x)=x3+3x2+5x+6 और s(x)=2x+4

तब,

p(2)=(2)3+3(2)2+5(2)+6=8+1210+6=0

अतः गुणनखंड प्रमेय (Factor Theorem) के अनुसार x+2,x3+3x2+5x+6 का एक गुणनखंड है।

पुन:,

s(2)=2(2)+4=0

अत: x+2,2x+4 का एक गुणनखंड है। वास्तव में, गुणनखंड प्रमेय लागू किए बिना ही आप इसकी जाँच कर सकते हैं, क्योंकि 2x+4=2(x+2) है।

उदाहरण 7 : यदि x1,4x3+3x24x+k का एक गुणनखंड है, तो k का मान ज्ञात कीजिए।

हल : क्योंकि x1,p(x)=4x3+3x24x+k का एक गुणनखंड है, इसलिए

अब,

p(1)=0 होगा। p(1)=4(1)3+3(1)24(1)+k

इसलिए

4+34+k=0k=3

अर्थात्

अब हम घात 2 और घात 3 के कुछ बहुपदों के गुणनखंड ज्ञात करने के लिए गुणनखंड प्रमेय का प्रयोग करेंगे।

आप x2+lx+m जैसे द्विघाती बहुपद के गुणनखंडन से परिचित हैं। आपने मध्य पद lx को ax+bx में इस प्रकार विभक्त करके कि ab=m हो, गुणनखंडन किया था। तब x2+lx+m=(x+a)(x+b) प्राप्त हुआ था। अब हम ax2+bx+c, जहाँ a0 और a, b,c अचर हैं, के प्रकार के द्विघाती बहुपदों का गुणनखंडन करने का प्रयास करेंगे।

मध्य पद को विभक्त करके बहुपद ax2+bx+c का गुणनखंडन निम्न प्रकार से होता है:

मान लीजिए इसके गुणनखंड (px+q) और (rx+s) हैं। तब,

ax2+bx+c=(px+q)(rx+s)=prx2+(ps+qr)x+qs

x2 के गुणांकों की तुलना करने पर, हमें a=pr प्राप्त होता है।

इसी प्रकार, x के गुणांकों की तुलना करने पर, हमें b=ps+qr प्राप्त होता है।

साथ ही, अचर पदों की तुलना करने पर, हमें c=qs प्राप्त होता है।

इससे यह पता चलता है कि b दो संख्याओं ps और qr का योगफल है, जिनका गुणनफल (ps)(qr)=(pr)(qs)=ac है। अत: ax2+bx+c का गुणनखंडन करने के लिए, हम b को ऐसी दो संख्याओं के योगफल के रूप में लिखते हैं जिनका गुणनफल ac हो। यह तथ्य नीचे दिए गए उदाहरण 13 से स्पष्ट हो जाएगा।

उदाहरण 8 : मध्य पद को विभक्त करके तथा गुणनखंड प्रमेय का प्रयोग करके 6x2+17x+5 का गुणनखंडन कीजिए।

हल 1 : (मध्य पद को विभक्त करके) : यदि हम ऐसी दो संख्याएँ p और q ज्ञात कर सकते हों जिससे कि

p+q=17 और pq=6×5=30 हो, तो हम गुणनखंड प्राप्त कर सकते हैं।

अतः आइए हम 30 के गुणनखंड-युग्मों को ढूढ़ें। कुछ युग्म 1 और 30,2 और 15,3 और 10,5 और 6 हैं।

इन युग्मों में, हमें 2 और 15 के युग्म से p+q=17 प्राप्त होगा।

 अतः 6x2+17x+5=6x2+(2+15)x+5=6x2+2x+15x+5=2x(3x+1)+5(3x+1)=(3x+1)(2x+5)

हल 2 : (गुणनखंड प्रमेय की सहायता से):

6x2+17x+5=6(x2+176x+56)=6p(x), मान लीजिए। यदि a और b,p(x) के शून्यक हों, तो 6x2+17x+5=6(xa)(xb) है। अतः ab=56 होगा। आइए हम a और b के लिए कुछ संभावनाएँ देखें। ये ±12,±13,±53,±52,±1 हो सकते हैं। अब, p(12)=14+176(12)+560 है। परन्तु p(13)=0 है। अतः (x+13),p(x) का एक गुणनखंड है। इसी प्रकार, जाँच करके आप यह ज्ञात कर सकते हैं कि (x+52),p(x) का एक गुणनखंड है।

अत:,

6x2+17x+5=6(x+13)(x+52)=6(3x+13)(2x+52)=(3x+1)(2x+5)

इस उदाहरण के लिए, विभक्त करने की विधि का प्रयोग अधिक प्रभावशाली है। फिर भी, आइए हम एक और उदाहरण लें।

उदाहरण 9 : गुणनखंड प्रमेय की सहायता से y25y+6 का गुणनखंडन कीजिए।

हल : मान लीजिए p(y)=y25y+6 है। अब, यदि p(y)=(ya)(yb) हो, तो हम जानते हैं कि इसका अचर पद ab होगा। अतः ab=6 है। इसलिए, p(y) के गुणनखंड प्राप्त करने के लिए हम 6 के गुणनखंड ज्ञात करते हैं।

6 के गुणनखंड 1,2 और 3 हैं।

अब, p(2)=22(5×2)+6=0

इसलिए y2,p(y) का एक गुणनखंड है।

साथ ही, p(3)=32(5×3)+6=0

इसलिए, y3 भी y25y+6 का एक गुणनखंड है।

अत:,y25y+6=(y2)(y3)

ध्यान दीजिए कि मध्य पद 5y को विभक्त करके भी y25y+6 का गुणनखंडन किया जा सकता है।

आइए अब हम त्रिघाती बहुपदों का गुणनखंडन करें। यहाँ प्रारंभ में विभक्त-विधि अधिक उपयोगी सिद्ध नहीं होगी। हमें पहले कम से कम एक गुणनखंड ज्ञात करना आवश्यक होता है, जैसा कि आप नीचे के उदाहरण में देखेंगे।

उदाहरण 10 : x323x2+142x120 का गुणनखंडन कीजिए।

हल : मान लीजिए p(x)=x323x2+142x120 है।

अब हम -120 के सभी गुणनखंडों का पता लगाएँगे। इनमें कुछ गुणनखंड हैं:

±1,±2,±3,±4,±5,±6,±8,±10,±12,±15,±20,±24,±30,±60

जाँच करने पर, हम यह पाते हैं कि p(1)=0 है। अतः (x1),p(x) का एक गुणनखंड है।

अब हम देखते हैं कि x323x2+142x120=x3x222x2+22x+120x120

=x2(x1)22x(x1)+120(x1)( क्यों?) =(x1)(x222x+120)[(x1) को सर्वनिष्ठ लेकर ]

इसे p(x) को (x1) से भाग देकर भी प्राप्त किया जा सकता था।

अब x222x+120 का गुणनखंडन या तो मध्य पद को विभक्त करके या गुणनखंड प्रमेय की सहायता से किया जा सकता है। मध्य पद को विभक्त करने पर, हमें यह प्राप्त होता है:

x222x+120=x212x10x+120=x(x12)10(x12)=(x12)(x10)

अत : x323x2142x120=(x1)(x10)(x12)

प्रश्नावली 2.3

1. बताइए कि निम्नलिखित बहुपदों में से किस बहुपद का एक गुणनखंड x+1 है।

(i) x3+x2+x+1

(ii) x4+x3+x2+x+1

(iii) x4+3x3+3x2+x+1

(iv) x3x2(2+2)x+2

2. गुणनखंड प्रमेय लागू करके बताइए कि निम्नलिखित स्थितियों में से प्रत्येक स्थिति में g(x), p(x) का एक गुणनखंड है या नहीं:

(i) p(x)=2x3+x22x1,g(x)=x+1

(ii) p(x)=x3+3x2+3x+1,g(x)=x+2

(iii) p(x)=x34x2+x+6,g(x)=x3

3. k का मान ज्ञात कीजिए जबकि निम्नलिखित स्थितियों में से प्रत्येक स्थिति में (x1),p(x) का एक गुणनखंड हो :

(i) p(x)=x2+x+k

(ii) p(x)=2x2+kx+2

(iii) p(x)=kx22x+1

(iv) p(x)=kx23x+k

4. गुणनखंड ज्ञात कीजिए:

(i) 12x27x+1

(ii) 2x2+7x+3

(iii) 6x2+5x6

(iv) 3x2x4

5. गुणनखंड ज्ञात कीजिए:

(i) x32x2x+2

(ii) x33x29x5

(iii) x3+13x2+32x+20

(iv) 2y3+y22y1

2.5 बीजीय सर्वसमिकाएँ

पिछली कक्षाओं में, आप यह पढ़ चुके हैं कि बीजीय सर्वसमिका (algebraic identity) एक बीजीय समीकरण होती है जो कि चरों के सभी मानों के लिए सत्य होती है। पिछली कक्षाओं में, आप निम्नलिखित बीजीय सर्वसमिकाओं का अध्ययन कर चुके हैं:

सर्वसमिका I : (x+y)2=x2+2xy+y2

सर्वसमिका II : (xy)2=x22xy+y2

सर्वसमिका III : x2y2=(x+y)(xy)

सर्वसमिका IV : (x+a)(x+b)=x2+(a+b)x+ab

इन बीजीय सर्वसमिकाओं में से कुछ का प्रयोग आपने बीजीय व्यंजकों के गुणनखंड ज्ञात करने में अवश्य किया होगा। आप इनकी उपयोगिता अभिकलनों (computations) में भी देख सकते हैं।

उदाहरण 11 : उपयुक्त सर्वसमिकाओं का उपयोग करके निम्नलिखित गुणनफल ज्ञात कीजिए:

(i) (x+3)(x+3) (ii) (x3)(x+5)

हल : (i) यहाँ हम सर्वसमिका I (x+y)2=x2+2xy+y2 का प्रयोग कर सकते हैं। इस सर्वसमिका में y=3 रखने पर, हमें यह प्राप्त होता है:

(x+3)(x+3)=(x+3)2=x2+2(x)(3)+(3)2=x2+6x+9

(ii) सर्वसमिका IV अर्थात् (x+a)(x+b)=x2+(a+b)x+ab को लागू करने पर, हमें यह प्राप्त होता है:

(x3)(x+5)=x2+(3+5)x+(3)(5)=x2+2x15

उदाहरण 12 : सीधे गुणा न करके 105×106 का मान ज्ञात कीजिए।

हल : 105×106=(100+5)×(100+6)

=(100)2+(5+6)(100)+(5×6)( सर्वसमिका IV लागू करके )=10000+1100+30=11130

कुछ दिए हुए व्यंजकों का गुणनफल ज्ञात करने के लिए, हमने ऊपर बतायी गई कुछ सर्वसमिकाओं का प्रयोग किया है। ये सर्वसमिकाएँ बीजीय व्यंजकों का गुणनखंडन करने में भी उपयोगी होती हैं, जैसा कि आप नीचे दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं।

उदाहरण 13 : गुणनखंड ज्ञात कीजिए:

(i) 49a2+70ab+25b2

(ii) 254x2y29

हल : (i) यहाँ आप यह देख सकते हैं कि

49a2=(7a)2,25b2=(5b)2,70ab=2(7a)(5b)

x2+2xy+y2 के साथ दिए हुए व्यंजक की तुलना करने पर, हम यह पाते हैं कि x=7a और y=5b है।

सर्वसमिका I लागू करने पर, हमें यह प्राप्त होता है:

49a2+70ab+25b2=(7a+5b)2=(7a+5b)(7a+5b)

(ii) यहाँ 254x2y29=(52x)2(y3)2

सर्वसमिका III के साथ इसकी तुलना करने पर, हमें यह प्राप्त होता है:

254x2y29=(52x)2(y3)2=(52x+y3)(52xy3)

अभी तक हमारी सभी सर्वसमिकाएँ द्विपदों के गुणनफलों से संबंधित रही हैं। आइए अब हम सर्वसमिका I को त्रिपद x+y+z पर लागू करें। हम सर्वसमिका I लागू करके, (x+y+z)2 का अभिकलन करेंगे।

मान लीजिए x+y=t है। तब,

(x+y+z)2=(t+z)2=t2+2tz+t2 (सर्वसमिका I लागू करने पर) =(x+y)2+2(x+y)z+z2(t का मान प्रतिस्थापित करने पर) =x2+2xy+y2+2xz+2yz+z2 (सर्वसमिका I लागू करने पर) =x2+y2+z2+2xy+2yz+2zx (पदों को विन्यासित करने पर) 

अतः हमें निम्नलिखित सर्वसमिका प्राप्त होती है:

सर्वसमिका V:(x+y+z)2=x2+y2+z2+2xy+2yz+2zx

टिप्पणी: हम दाएँ पक्ष के व्यंजक को बाएँ पक्ष के व्यंजक का प्रसारित रूप मानते हैं। ध्यान दीजिए कि (x+y+z)2 के प्रसार में तीन वर्ग पद और तीन गुणनफल पद हैं।

उदाहरण 14 : (3a+4b+5c)2 को प्रसारित रूप में लिखिए।

हल : दिए हुए व्यंजक की (x+y+z)2 के साथ तुलना करने पर, हम यह पाते हैं कि

x=3a,y=4b और z=5c

अतः सर्वसमिका V लागू करने पर, हमें यह प्राप्त होता है:

(3a+4b+5c)2=(3a)2+(4b)2+(5c)2+2(3a)(4b)+2(4b)(5c)+2(5c)(3a)=9a2+16b2+25c2+24ab+40bc+30ac

उदाहरण 15 : (4a2b3c)2 का प्रसार कीजिए।

हल : सर्वसमिका V लागू करने पर, हमें यह प्राप्त होता है:

(4a2b3c)2=[4a+(2b)+(3c)]2=(4a)2+(2b)2+(3c)2+2(4a)(2b)+2(2b)(3c)+2(3c)(4a)=16a2+4b2+9c216ab+12bc24ac

उदाहरण 16 : 4x2+y2+z24xy2yz+4xz का गुणनखंडन कीजिए।

हल : यहाँ 4x2+y2+z24xy2yz+4xz=(2x)2+(y)2+(z)2+2(2x)(y)

+2(y)(z)+2(2x)(z)

=[2x+(y)+z]2 (सर्वसमिका V लागू करने पर) =(2xy+z)2=(2xy+z)(2xy+z)

अभी तक हमने द्विघात पदों से संबंधित सर्वसमिकाओं का ही अध्ययन किया है। आइए अब हम सर्वसमिका I को (x+y)3 अभिकलित करने में लागू करें। यहाँ,

(x+y)3=(x+y)(x+y)2=(x+y)(x2+2xy+y2)=x(x2+2xy+y2)+y(x2+2xy+y2)=x3+2x2y+xy2+x2y+2xy2+y3=x3+3x2y+3xy2+y3=x3+y3+3xy(x+y)

अतः, हमें निम्नलिखित सर्वसमिका प्राप्त होती है:

सर्वसमिका VI : (x+y)3=x3+y3+3xy(x+y)

सर्वसमिका VI में y के स्थान पर y रखने पर, हमें प्राप्त होता है:

सर्वसमिका VII : (xy)3=x3y33xy(xy)

=x33x2y+3xy2y3

उदाहरण 17 : निम्नलिखित घनों को प्रसारित रूप में लिखिए:

(i) (3a+4b)3 (ii) (5p3q)3

हल : (i) (x+y)3 के साथ दिए गए व्यंजक की तुलना करने पर हम, यह पाते हैं कि

x=3a और y=4b

अतः सर्वसमिका VI का प्रयोग करने पर, हमें यह प्राप्त होता है:

(3a+4b)3=(3a)3+(4b)3+3(3a)(4b)(3a+4b)=27a3+64b3+108a2b+144ab2

(ii) (xy)3 के साथ दिए हुए व्यंजक की तुलना करने पर, हम यह पाते हैं कि

x=5p और y=3q

सर्वसमिका VII लागू करने पर, हमें यह प्राप्त होता है:

(5p3q)3=(5p)3(3q)33(5p)(3q)(5p3q)=125p327q3225p2q+135pq2

उदाहरण 18 : उपयुक्त सर्वसमिकाएँ प्रयोग करके, निम्नलिखित में से प्रत्येक का मान ज्ञात कीजिए:

(i) (104)3 (ii) (999)3

हल : (i) यहाँ

(104)3=(100+4)3=(100)3+(4)3+3(100)(4)(100+4)

(सर्वसमिका VI का प्रयोग करने पर)

=1000000+64+124800=1124864

(ii) यहाँ

(999)3=(10001)3=(1000)3(1)33(1000)(1)(10001)

(सर्वसमिका VII का प्रयोग करने पर)

=100000000012997000

=997002999

उदाहरण 19 : 8x3+27y3+36x2y+54xy2 का गुणनखंडन कीजिए।

हल : दिए हुए व्यंजक को इस प्रकार लिखा जा सकता है:

(2x)3+(3y)3+3(4x2)(3y)+3(2x)(9y2)=(2x)3+(3y)3+3(2x)2(3y)+3(2x)(3y)2=(2x+3y)3 (सर्वसमिका VI का प्रयोग करने पर) =(2x+3y)(2x+3y)(2x+3y)

अब (x+y+z)(x2+y2+z2xyyzzx) का प्रसार करने पर, हमें गुणनफल इस रूप में प्राप्त होता है:

x(x2+y2+z2xyyzzx)+y(x2+y2+z2xyyzzx)+z(x2+y2+z2xyyzzx)=x3+xy2+xz2x2yxyzzx2+x2y+y3+yz2xy2y2zxyz+x2z+y2z+z3xyzyz2xz2=x3+y3+z33xyz (सरल करने पर) 

अतः, हमें निम्नलिखित सर्वसमिका प्राप्त होती है:

सर्वसमिका VIII : x3+y3+z33xyz=(x+y+z)(x2+y2+z2xyyzzx)

उदाहरण 20 : 8x3+y3+27z318xyz का गुणनखंडन कीजिए।

हल : यहाँ,

8x3+y3+27z318xyz=(2x)3+y3+(3z)33(2x)(y)(3z)=(2x+y+3z)[(2x)2+y2+(3z)2(2x)(y)(y)(3z)(2x)(3z)]=(2x+y+3z)(4x2+y2+9z22xy3yz6xz)

प्रश्नावली 2.4

1. उपयुक्त सर्वसमिकाओं को प्रयोग करके निम्नलिखित गुणनफल ज्ञात कीजिए:

(i) (x+4)(x+10) (ii) (x+8)(x10) (iii) (3x+4)(3x5)

(iv) (y2+32)(y232) (v) (32x)(3+2x)

2. सीधे गुणा किए बिना निम्नलिखित गुणनफलों के मान ज्ञात कीजिए:

(i) 103×107 (ii) 95×96 (iii) 104×96

3. उपयुक्त सर्वसमिकाएँ प्रयोग करके निम्नलिखित का गुणनखंडन कीजिए:

(i) 9x2+6xy+y2 (ii) 4y24y+1 (iii) x2y2100

4. उपयुक्त सर्वसमिकाओं का प्रयोग करके निम्नलिखित में से प्रत्येक का प्रसार कीजिए:

(i) (x+2y+4z)2 (ii) (2xy+z)2 (iii) (2x+3y+2z)2

(iv) (3a7bc)2 (v) (2x+5y3z)2 (vi) [14a12b+1]2

5. गुणनखंडन कीजिए:

(i) 4x2+9y2+16z2+12xy24yz16xz

(ii) 2x2+y2+8z222xy+42yz8xz

6. निम्नलिखित घनों को प्रसारित रूप में लिखिए:

(i) (2x+1)3 (ii) (2a3b)3 (iii) [32x+1]3 (iv) [x23y]3

7. उपयुक्त सर्वसमिकाएँ प्रयोग करके निम्नलिखित के मान ज्ञात कीजिए:

(i) (99)3 (ii) (102)3 (iii) (998)3

8. निम्नलिखित में से प्रत्येक का गुणनखंडन कीजिए:

(i) 8a3+b3+12a2b+6ab2

(ii) 8a3b312a2b+6ab2

(iii) 27125a3135a+225a2

(iv) 64a327b3144a2b+108ab2

(v) 27p3121692p2+14p

9. सत्यापित कीजिए: (i) x3+y3=(x+y)(x2xy+y2) (ii) x3y3=(xy)(x2+xy+y2)

10. निम्नलिखित में से प्रत्येक का गुणनखंडन कीजिए:

(i) 27y3+125z3

(ii) 64m3343n3

[संकेत: देखिए प्रश्न 9]

11. गुणनखंडन कीजिए: 27x3+y3+z39xyz

12. सत्यापित कीजिए: x3+y3+z33xyz=12(x+y+z)[(xy)2+(yz)2+(zx)2]

13. यदि x+y+z=0 हो, तो दिखाइए कि x3+y3+z3=3xyz है।

14. वास्तव में घनों का परिकलन किए बिना निम्नलिखित में से प्रत्येक का मान ज्ञात कीजिए:

(i) (12)3+(7)3+(5)3

(ii) (28)3+(15)3+(13)3

15. नीचे दिए गए आयतों, जिनमें उनके क्षेत्रफल दिए गए हैं, में से प्रत्येक की लंबाई और चौड़ाई के लिए संभव व्यंजक दीजिए:

 क्षेत्रफल : 25a235a+12

क्षेत्रफल : 35y2+13y12

16. घनाभों (cuboids), जिनके आयतन नीचे दिए गए हैं कि, विमाओं के लिए संभव व्यंजक क्या हैं?

(i)  आयतन : 3x212x

(ii)  आयतन : 12ky2+6ky20k

2.6 सारांश

इस अध्याय में, आपने निम्नलिखित बिंदुओं का अध्ययन किया है:

1. एक चर वाला बहुपद p(x) निम्न रूप का x में एक बीजीय व्यंजक है:

p(x)=anxn+an1xn1++a2x2+a1x+a0,

जहाँ a0,a1,a2,,an अचर हैं और an0 है। a0,a1,a2,,an क्रमश: x0,x,x2,,xn के गुणांक हैं और n को बहुपद की घात कहा जाता है। प्रत्येक anxn,an1xn1,,a0, जहाँ an0, को बहुपद p(x) का पद कहा जाता है।

2. एक पद वाले बहुपद को एकपदी कहा जाता है।

3. दो पदों वाले बहुपद को द्विपद कहा जाता है।

4. तीन पदों वाले बहुपद को त्रिपद कहा जाता है।

5. एक घात वाले बहुपद को रैखिक बहुपद कहा जाता है।

6. दो घात वाले बहुपद को द्विघाती बहुपद कहा जाता है।

7. तीन घात वाले बहुपद को त्रिघाती बहुपद कहा जाता है।

8. वास्तविक संख्या ’ a ‘, बहुपद p(x) का एक शून्यक होती है, यदि p(a)=0 हो।

9. एक चर में प्रत्येक रैखिक बहुपद का एक अद्वितीय शून्यक होता है। एक शून्येतर अचर बहुपद का कोई शून्यक नहीं है और प्रत्येक वास्तविक संख्या शून्य बहुपद का एक शून्यक होती है।

10. यदि p(a)=0 हो, तो xa बहुपद p(x) का एक गुणनखंड होता है और यदि xa,p(x) का एक गुणनखंड हो, तो p(a)=0 होता है।

11. (x+y+z)2=x2+y2+z2+2xy+2yz+2zx

12. (x+y)3=x3+y3+3xy(x+y)

13. (xy)3=x3y33xy(xy)

14. x3+y3+z33xyz=(x+y+z)(x2+y2+z2xyyzzx)



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