नीट टॉपर से नोट्स

डायकॉट और मोनोकॉट जड़

डायकॉट और मोनोकॉट, फूलदार पौधों के दो प्रमुख समूह हैं, जो अपनी जड़ी-तन्तु संरचना में अंतर दिखाते हैं:

  • डायकॉट जड़:

    • सामान्यतः एक प्राथमिक जड़ वाली जड़संरचना के साथ तल तक बढ़नेवाली जड़ होती है।
    • गिर्थ में वृद्धि की प्राथमिकता होती है, जिससे सूचर वृद्धि होती है।
    • जलांतरिक वृक्ष एवं स्तनीय तन्तु के बीच वाष्पीय कैम्बियम बन जाता है, जो सेकेण्डरी वृद्धि में योगदान देता है।
    • जलांतरिक वृक्ष का कतिपय ढ़ाल के आकार में ताराकार पैटर्न बन जाता है।
  • मोनोकॉट जड़:

    • आमतौर पर एक तन्त्रिक जड़ प्रणाली होती है, जिसमें कई जड़े समतल रूप से विस्तारित होती हैं।
    • वाष्पीय कैम्बियम अनुपस्थित होने के कारण, सेकेण्डरी वृद्धि अवसादी होती है नहीं।
    • जलांतरी पैटर्न में वाष्पीय तन्तुओं का एक छल व्यवस्था होती है, प्रत्येक बंडल बंद होता है (यानी, बिना कैंबियम के)।