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मानव में लिंग निर्धारण

मानव में लिंग निर्धारण जीनेटिक्स और प्रजनन का एक महत्वपूर्ण पहलु है। यह निर्धारित करता है कि क्या एक व्यक्ति पुरुष या महिला के रूप में विकसित होगा। मानव में, लिंग मुख्य रूप से एक क्रोमोसोमी के तंत्र के रूप में ज्ञात होता है, जिसे एक्स-यो-एक्सई सिस्टम के रूप में जाना जाता है, और यह विशेष लिंग क्रोमोसोम का संलय सम्भव कराता है।

1. क्रोमोसोमी आधार:

मानव कोशिकाएं 23 जोड़ी के क्रोमोसोम में समाविष्ट होती हैं, जिनमें से एक जोड़ी लिंग क्रोमोसोमों की होती है।

लिंग क्रोमोसोम निर्धारित करते हैं कि क्या एक व्यक्ति पुरुष (XY) या महिला (XX) के रूप में विकसित होगा।

2. पुरुष और महिला विकास:

मानव में, महिलाएं दो एक्स क्रोमोसोम (XX) रखती हैं, जबकि पुरुषों के पास एक एक्स और एक वाई क्रोमोसोम (XY) होता है।

वाई क्रोमोसोम की मौजूदगी या अनुपस्थिति लिंग निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

3. लिंग क्रोमोसोमों की भूमिका:

वाई क्रोमोसोम में एक विशेष जीन स्वायत्त रूप से होता है, जिसे सेक्स-निर्धारक क्षेत्र Y (SRY) जीन कहा जाता है।

SRY जीन की मौजूदगी पुरुष प्रजनन संरचनाओं के विकास, सहित ही अंडकोषों के गठन को प्रेरित करती है।

यदि किसी व्यक्ति को अपने माता-पिता से हर एक्स क्रोमोसोम (XX) की एक-एक्स क्रोमोसोम मिलती है, तो उन्हें SRY जीन की अनुपस्थिति के कारण महिलाओं के रूप में विकसित होंगे।

4. पुरुष विकास:

यदि किसी व्यक्ति को अपनी माता से एक्स क्रोमोसोम और अपने पिता से वाई क्रोमोसोम (XY) मिलती है, तो वे पुरुष में विकसित होंगे।

वाई क्रोमोसोम SRY जीन के साथ पुरुष विकास में नेतृत्व करता है, जिसमें अंडकोषों का गठन समेत होता है।

5. महिला विकास:

जो व्यक्ति दो एक्स क्रोमोसोम (XX) रखते हैं, वह महिला में विकसित होते हैं।

महिला विकास में अंडाशय का गठन और पुरुष प्रजनन संरचनाओं की अनुपस्थिति शामिल होती है।

6. आनुवंशिक विविधता:

जबकि एक्स-वाई-एक्सई प्रणाली लिंग निर्धारण का सबसे सामान्य तंत्र है, फिर भी इसमें छूट और विविधता है।

कुछ व्यक्ति आनुवंशिक बदलने के कारण अपरंपरागत लिंग क्रोमोसोम कम्बिनेशन (उदाहरण के लिए, एक्सवाईएक्सवाई (XXY), एक्स शून्य (X0), एक्सवाईवाई (XYY)) रख सकते हैं, जो कि क्लिनफेल्टर सिंड्रोम या टर्नर सिंड्रोम जैसे स्थितियों का कारण बनते हैं।

7. पर्यावरणीय कारक:

कुछ प्रजातियों में, तापमान जैसे पर्यावरणीय कारक नवजात जन्म के लिंग को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, मानव में, लिंग निर्धारण मुख्य रूप से आनुवंशिक होता है और पर्यावरण के द्वारा प्रभावित नहीं होता।

8. नैदानिक महत्व:

लिंग निर्धारण को मेडिकल जीनेटिक्स में समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लिंग क्रोमोसोम विकार से संबंधित स्थितियों का निदान और प्रबंधन में मदद कर सकता है।

यह बांझपन उपचार और प्रजनन चिकित्सा में भी महत्वपूर्ण है।

9. नैतिक और सामाजिक परिवेश:

लिंग निर्धारण का अध्ययन नैतिक और सामाजिक प्रश्न उठाता है, जो लिंग अस्तित्व, लिंग प्रकटन और असामान्य लिंग क्रोमोसोम पैटर्न वाले व्यक्तियों के अधिकारों के संबंध में होते हैं।