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द्विध्रुवी परीक्षण संक्षेप

वंशातीति और परिवर्तन के सिद्धांत के संदर्भ में, “द्विध्रुवी परीक्षण संक्षेप” एक आनुवंशिक परीक्षण है जिसका उपयोग एक व्यक्ति की जनसंबंधी गुणक्रम का निर्धारण करने के लिए किया जाता है जो दो अलग-अलग गुणों के लिए विश्रेषता दिखा रहा है। इस प्रकार की परीक्षा में, अज्ञात जनसंबंधी गुणक्रम के व्यक्ति (आमतौर पर दोनों गुणों के लिए सहपुष्टि के लिए सहमनस्त) को जैनतिक दोनों गुणों के लिए विपरीत भिल्ला व्यक्ति के साथ छन्ने किया जाता है। बच्चों की विश्रेषता उत्पन्न कर उस व्यक्ति की जनसंबंधी गुणक्रम का पता चल सकता है।

1. माता-पिता जनसंबंधों:

अज्ञात गुणक्रम वाले व्यक्ति को “परीक्षण व्यक्ति” या “परीक्षण के तहत व्यक्ति” कहा जाता है।

दोनों गुणों के लिए एक घनात्मक भिल्ला व्यक्ति को दूसरा माता-पिता के रूप में उपयोग किया जाता है। इस व्यक्ति को “परीक्षक” या “परीक्षण में माता-पिता” कहा जाता है।

2. रुचि के गुण:

द्विध्रुवी परीक्षण में, दो अलग-अलग गुण साथ साथ विचार किए जाते हैं। इन गुणों पर दो अलग-अलग क्रमों पर आधारित होते हैं।

3. छन्ना:

परीक्षण व्यक्ति (अज्ञात गुणक्रम) को परीक्षक व्यक्ति (दोनों गुणों के लिए विपरीत भिल्ला जनसंबंधी) के साथ छिन्न हो जाता है।

4. बच्चों की विश्रेषताएं:

इस छन्ने से प्राप्त बच्चों की विश्रेषताओं को देखा जाता है और रिकार्ड किया जाता है।

5. व्याख्या:

बच्चों की विश्रेषता अनुपात छन्ने वाले व्यक्ति की जनसंबंधी गुणक्रम के बारे में जानकारी प्रदान कर सकती है।

यदि सभी बच्चे दोनों गुणों के लिए प्रभावी रूप से प्रदर्शनकारी रुप में दिखाई दे, तो इसका मतलब है कि परीक्षण व्यक्ति संभाविततः दोनों गुणों के लिए घनात्मक संभावित (ए ए बी बी) होता है।

यदि कुछ बच्चे एक या दोनों गुणों के लिए विपरीत रूप में प्रदर्शन करते हैं, तो यह सूचित करता है कि परीक्षण व्यक्ति एकांतर (ए बी) गुणों के लिए हेटेरोजाइगोस (आ बी) होता है।

यदि सभी बच्चे दोनों गुणों के लिए विपरीत रूप में प्रदर्शित होते हैं, तो इसका मतलब है कि परीक्षण व्यक्ति संभाविततः दोनों गुणों के लिए भिल्ला संसर्गी (आ आ बी बी) होता है।

6. विश्रेषतात्मक अनुपात:

बच्चों के बीच विशिष्ट विश्रेषतात्मक अनुपात परीक्षण व्यक्ति की जनसंबंधी गुणक्रम के बारे में संकेत प्रदान करते हैं।



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