Biology में मानव कल्याण, मानव स्वास्थ्य और रोग विषय
यहां “जीवविज्ञान में मानव कल्याण - मानव स्वास्थ्य और रोग” से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण उपविषय हैं जो शेयर किए जाते हैं जेईई परीक्षा की तैयारी करते समय:
1. स्वास्थ्य और रोग:
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स्वास्थ्य: शारीरिक, मानसिक और सामाजिक संपूर्ण कल्याण की स्थिति, केवल रोग की अनुपस्थिति नहीं (एनसीईआरटी जीवविज्ञान कक्षा 11, अध्याय 1 - जीवित विश्व).
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रोग: शरीर की संरचना या कार्य में असामान्य परिवर्तन के साथी होने वाली स्थिति, जिससे असुविधा, अक्षमता या मौत तक की स्थिति उत्पन्न होती है (एनसीईआरटी जीवविज्ञान कक्षा 11, अध्याय 1 - जीवित विश्व).
रोग के प्रकार:
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संचारी रोग: विभिन्न माध्यमों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति या जानवर से फैलते हैं (एनसीईआरटी जीवविज्ञान कक्षा 12, अध्याय 13 - प्राणियों और जनसंख्या):
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उदाहरण: इंफ्लूएंजा, मलेरिया, क्षय रोग, कोविड-19।
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गैर-संचारी रोग: व्यक्ति से व्यक्ति तक नहीं फैलते हैं, लेकिन उन्हें आनुवंशिक, पर्यावरणीय या जीवनशैली कारकों के कारण उत्पन्न होते हैं (एनसीईआरटी जीवविज्ञान कक्षा 11, अध्याय 2 - जैविक श्रेणीकरण):
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उदाहरण: कैंसर, मधुमेह, हृदयरोग, दमा, आदि।
2. रोग और विकार के प्रकार:
संक्रामक रोग:
- वायरस, बैक्टीरिया, कवक या कीटाणु जैसे सूक्ष्मजीवों द्वारा प्रेरित होते हैं, जो शरीर में प्रवेश करते हैं और सामान्य कार्यों को बिगाड़ते हैं (एनसीईआरटी जीवविज्ञान कक्षा 12, अध्याय 15 - जैव विविधता और संरक्षण):
- वायरल रोग: इंफ्लूएंजा, मस्लस, मश गलन्द, एड्स, आदि।
- बैक्टीरियल रोग: क्षय रोग, कॉलेरा, टाइफाइड, न्यूमोनिया, आदि।
- कवकीय रोग: एथलीट की पैर, रिंगवर्म, कैंडिडाइसिस, आदि।
- कीटाणु जैविक रोग: मलेरिया, आमेबियासिस, फिलरियासिस, आदि।
गैर-संचारी रोग:
अ) जीवनशैली संबंधी विकार:
- अस्वस्थ जीवनशैली चुनने और आदतों के कारण होने वाले रोग (एनसीईआरटी जीवविज्ञान कक्षा 12, अध्याय 6 - प्रजनन):
- हृदयरोग: उच्च रक्तचाप, हृदय अटैक, स्ट्रोक।
- मधुमेह: प्रकार 1 और प्रकार 2 मधुमेह मेलिटस।
- कैंसर: विभिन्न प्रकार के कैंसर (फेफड़ों, स्तन, कोलोन, आदि)।
- क्रॉनिक संबंधित श्वसन रोग: क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पुल्मोनरी रोग (सीओपीडी), दमा।
- मोटापा: शरीर में अतिरिक्त वसा का संचय।
- मानसिक विकार: डिप्रेशन, चिंता, स्किज़ोफ्रेनिया, आदि।
ब) आनुवंशिक विकार:
- जीनों या क्रोमोसोम में असामान्यताओं के कारण होने वाले रोग (एनसीईआरटी जीवविज्ञान कक्षा 12, अध्याय 5 - विरासत और परिवर्तन के सिद्धांत):
- डाउन सिंड्रोम: क्रोमोसोम 21 की त्रिसोमी।
- सिस्टिक फिब्रोसिस: फेफड़ों और पाचक तंत्र पर प्रभाव डालने वाला संवेदकीय विकार।
- सिकल सेल एनीमिया: रक्त कोशिकाओं की संरचना और कार्य को प्रभावित करने वाला विरासत में मिलने वाला रक्तीय विकार।
- हीमोफिलिया: रक्तक्षरण के संक्रामक कारकों की कमी के कारण होने वाली विरासत में मिलने वाली रक्तक्षरण बाधा।
सी) स्वाभाविक प्रतिरोध विकार:
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प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से शरीर के अपनी ही ऊतकों और कोशिकाओं पर हमला करती है, जिससे विभिन्न विकार होते हैं (एनसीईआरटी जीवविज्ञान कक्षा 12, अध्याय 22 - प्रतिरक्षा प्रणाली):
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रेयुमेटॉइड आर्थराइटिस: जोड़ों को प्रभावित करता है।
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बहुसंख्या स्क्लेरोसिस: केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली पर प्रभाव डालता है।
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प्रकार 1 मधुमeh : पंक्रियस और इंसुलिन उत्पादन पर प्रभाव डालता है।
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लूपस: कई अंगों और प्रणालियों पर प्रभाव डालने वाला एक सिस्टेमिक ऑटोइम्यून विकार।
3. प्रतिरक्षात्मक प्रणाली और प्रतिरक्षा:
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प्राकृतिक प्रतिरक्षा: जन्म से मौजूद रक्षा तंत्र जो तत्कालिक लेकिन असाधारण सुरक्षा प्रदान करते हैं (NCERT Biology Class 12, Chapter 22 - Immune System):
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भौतिक प्रतिबंध: त्वचा, मलाशयमार्ग, पेट का अम्ल, थूक, आदि।
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कोशिकात्मक घटक: फ़ॅगोसाइट्स (न्यूट्रोफिल, मैक्रोफेज), प्राकृतिक हत्यारी (एनके) कोशिकाएं।
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रासायनिक घटक: जीवाणुरोधी पदार्थ, इंटरफरोंस।
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प्राप्त प्रतिरक्षा: विशिष्ट पैथोजनों से संपर्क में आने पर विकसित होती है और लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करती है (NCERT Biology Class 12, Chapter 22 - Immune System):
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बी कोशिकाएं: विशेष प्रतिजनों को नष्ट करने के लिए प्राण मिलाती हैं।
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टी कोशिकाएं: संक्रमित कोशिकाओं या कैंसर कोशिकाओं को पहचानती हैं और नष्ट करती हैं।
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मैक्रोफेज: प्रतिजनों की फ़ॅगोसिटोसिस करती हैं और उन्हें टी कोशिकाओं को प्रस्तुत करती हैं।
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स्मृति कोशिकाएं: विशिष्ट पैथोजनों के खिलाफ लंबे समय तक प्रतिरक्षा प्रदान करती हैं।
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सक्रिय बनाम पासीव प्रतिरक्षा: सक्रिय प्रतिरक्षा का अधिग्रहण टीकारण द्वारा होता है, जहां शरीर अपनी खुद की प्रतिजनों को उत्पन्न करता है। पासीव प्रतिरक्षा किसी अन्य जीवाणु से प्राप्त एंटीबॉडीज़ के द्वारा होता है (उदाहरण के लिए, मां के दूध के माध्यम से या सीरम चिकित्सा के माध्यम से)।
प्रतिरोधी विकार:
- एलर्ज़ीज़: आवर्तमान सतत संप्रभुता करने वाले प्रतिरक्षा प्रणाली का अतिसमय उत्तर।
- ऑटोइम्यून रोग: प्रतिरक्षा कोशिकाओं के गलत कार्य के कारण आपत्तिजनक कोशिकाओं पर हमला करना।
- प्रतिरक्षाशामक विकार: कमजोर प्रतिरक्षा प्रतिसाद, संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशीलता के कारण।
4. आनुवंशिकता और रोग:
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विरासत के पैटर्न:
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मेंडेलियन विरासत: प्रभावी और अवनविक लक्षण, संघीय शासन का कानून।
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बहुमेंशी विरासत: एक ही लक्षण में योगदान देने वाले कई जीनों का सहयोग करना।
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क्रोमोसोम अनुचितताएँ: क्रोमोसोम संख्या (अनयूप्लॉयडी) या संरचना (हटाना, प्रतिलक्षण, स्थानांतरण) में परिवर्तन।
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आनुवंशिक रोग और विकार:
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एकल जीन रोग: सिस्टिक फाइब्रोसिस, सिकल सेल एनीमिया, हीमोफिलिया, हंटिंगटन की बीमारी, आदि।
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क्रोमोसोम विकार: डाउन सिंड्रोम, टर्नर सिंड्रोम, क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम, आदि।
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आनुवंशिक परामर्श और प्राकृतिक डायगनोसिस:
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आनुवंशिक परामर्श: आनुवंशिक विकारों वाले व्यक्ति और परिवारों को जानकारी और समर्थन प्रदान करता है।
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गर्भवती तथ्यांकन: गर्भावस्था के दौरान की जांचों का निष्पादन करता है, ताकि फोटस में आनुवंशिक असाधारणताओं की पहचान हो सके।
5. निदान तकनीक और उपचार रणनीतियाँ:
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माइक्रोस्कोपी: माइक्रोस्कोप का उपयोग माइक्रोजीवाणुओं, कोशिकाओं और ऊतकों की निरीक्षण के लिए किया जाता है (NCERT Biology Class 11, Chapter 2 - Biological Classification).
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प्रकाश माइक्रोस्कोपी: दृश्य प्रकाश का उपयोग करता है।
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इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी: विशेष उच्चतमानक्की और विभाजन की प्रदान करने के लिए इलेक्ट्रॉन बीम का उपयोग करता है।
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सेरोलॉजिकल तकनीकें:
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ELISA (Enzyme-Linked Immunosorbent Assay): नमूने में प्रतिबंधकों, प्रतिविषयों या हार्मोनों की तरह सतहस्पद पदार्थों का पता लगाता और मात्रांकन करता है।
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Western blotting: नमूने में विशेष प्रोटीनों की पृथक्करण और पहचान करता है।
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मौलिक डायग्नोस्टिक तकनीकें:
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PCR (पॉलिमेरेज श्रृंखला प्रतिक्रिया): पहचान या विश्लेषण के लिए विशेष डीएनए सरणियों का प्रतिदीप्ति करता है।
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डीएनए सीक्वेंसिंग: डीएनए नमूने में न्यूक्लियोटाइड क्रम का निर्धारण करता है, जिससे जीनेटिक मूटेशन या भिन्नताओं की पहचान हो सकती है।
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उपचार विकल्प:
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दवाएँ: बीमारी के लक्षणों का उपचार करने या उनके पीछे के कारण को लक्ष्य बनाने के लिए दवाओं और औषधियाँ।
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सर्जरी: क्षतिग्रस्त ऊतक या अंग को हटाने या मरम्मत करने के लिए शारीरिक हस्तक्षेप।
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रेडियोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए उच्च-ऊर्जा किरणों का उपयोग करती है।
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कीमोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए साइटोटॉक्सिक दवाओं का उपयोग करती है।
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इम्यूनोथेरेपी: प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्षम करके कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने का प्रेरित करने का उपयोग करती है।
6. जनस्वास्थ्य और महामारी विज्ञान:
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महामारी विज्ञान:
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रोग पैटर्न का अध्ययन: रोग प्रसंग, वितरण, कारण और नियंत्रण जैसे कारकों को शामिल करता है (NCERT Biology Class 12, Chapter 13 - Organisms and Populations)।
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रोग प्रासंगिकता प्रभावित करने वाले तत्व: पर्यावरणीय स्थितियाँ, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, स्वच्छता अभ्यास, व्यवहार आदि।
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जनस्वास्थ्य के उपाय:
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टीकाकरण कार्यक्रम: विशिष्ट संक्रामक रोगों के खिलाफ जनसंख्या को प्रतिरक्षित करता है।
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स्वच्छता और स्वच्छता अभ्यास: साफ पानी, उचित कचरा प्रबंधन, हाथों की स्वच्छता आदि का प्रदान।
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वेक्टर नियंत्रण: बीमारी फैलाने वाले जीवों को नियंत्रित या उन्हें समाप्त करने के उपाय (जैसे, मच्छर, उन्मादी)।
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क्वारंटीन और अलगाव: संक्रामक बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए व्यक्तियों या समूहों की आंदोलन की प्रतिबंधित करना।
याद रखें कि JEE परीक्षा की तैयारी के लिए उपरोक्त उपविषयों पर गहन समझ और विस्तृत जानकारी के लिए NCERT Biology के 11वीं और 12वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तकों का प्रमुख स्रोत के रूप में अनुसरण करें।