अध्याय 01 मात्रक एवं मापन

1.1 भूमिका

किसी भौतिक राशि का मापन, एक निश्चित, आधारभूत, यादृच्छिक रूप से चुने गए मान्यताप्राप्त, संदर्भ-मानक से इस राशि की तुलना करना है। यह संदर्भ-मानक मात्रक कहलाता है। किसी भी भौतिक राशि की माप को मात्रक के आगे एक संख्या (आंकिक संख्या) लिखकर व्यक्त किया जाता है। यद्यपि हमारे द्वारा मापी जाने वाली भौतिक राशियों की संख्या बहुत अधिक है, फिर भी, हमें इन सब भौतिक राशियों को व्यक्त करने के लिए, मात्रकों की सीमित संख्या की ही आवश्यकता होती है, क्योंकि, ये राशियाँ एक दूसरे से परस्पर संबंधित हैं। मूल राशियों को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त मात्रकों को मूल मात्रक कहते हैं। इनके अतिरिक्त अन्य सभी भौतिक राशियों के मात्रकों को मूल मात्रकों के संयोजन द्वारा व्यक्त किया जा सकता है। इस प्रकार प्राप्त किए गए व्युत्पन्न राशियों के मात्रकों को व्युत्पन्न मात्रक कहते हैं। मूल-मात्रकों और व्युत्पन्न मात्रकों के सम्पूर्ण समुच्चय को मात्रकों की प्रणाली (या पद्धति) कहते हैं।

1.2 मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली

बहुत वर्षों तक मापन के लिए, विभिन्न देशों के वैज्ञानिक, अलग-अलग मापन प्रणालियों का उपयोग करते थे। अब से कुछ समय-पूर्व तक ऐसी तीन प्रणालियाँ - CGS प्रणाली, FPS (या ब्रिटिश) प्रणाली एवं MKS प्रणाली, प्रमुखता से प्रयोग में लाई जाती थीं।

इन प्रणालियों में लम्बाई, द्रव्यमान एवं समय के मूल मात्रक क्रमशः इस प्रकार हैं :

  • CGS प्रणाली में, सेन्टीमीटर, ग्राम एवं सेकन्ड।

  • FPS प्रणाली में, फुट, पाउन्ड एवं सेकन्ड।

  • MKS प्रणाली में, मीटर, किलोग्राम एवं सेकन्ड।

आजकल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य प्रणाली “सिस्टम इन्टरनेशनल डि यूनिट्स” है (जो फ्रेंच भाषा में “मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली” कहना है)। इसे संकेताक्षर में SI लिखा जाता है। SI प्रतीकों, मात्रकों और उनके संकेताक्षरों की योजना अंतर्राष्ट्रीय माप-तोल ब्यूरो (बी.आई.पी.एम.) द्वारा 1971 में विकसित की गई थी एवं नवंबर, 2018 में आयोजित माप-तोल के महासम्मेलन में संशोधित की गई। यह योजना अब वैज्ञानिक, तकनीकी, औद्योगिक एवं व्यापारिक कार्यों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपयोग हेतु अनुमोदित की गई। SI मात्रकों की 10 की घातों पर आधारित (दाश्मिक) प्रकृति के कारण, इस प्रणाली के अंतर्गत रूपांतरण अत्यंत सुगम एवं सुविधाजनक है। हम इस पुस्तक में SI मात्रकों का ही प्रयोग करेंगे।

SI में सात मूल मात्रक हैं, जो सारणी 1.1 में दिए गए हैं। इन सात मूल मात्रकों के अतिरिक्त दो पूरक मात्रक भी हैं जिनको हम इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं : (i) समतलीय कोण, $d \theta$ चित्र 1.1(a) में दर्शाए अनुसार वृत्त के चाप की लम्बाई $d s$ और इसकी त्रिज्या $r$ का अनुपात होता है। तथा (ii) घन-कोण, $d \Omega$ चित्र 1.1(b) में दर्शाए अनुसार शीर्ष $O$ को केन्द्र की भांति प्रयुक्त करके उसके परितः निर्मित गोलीय पृष्ठ के अपरोधन क्षेत्र $d A$ तथा त्रिज्या $r$ के वर्ग का अनुपात होता है। समतलीय कोण का मात्रक रेडियन है जिसका प्रतीक $\mathrm{rad}$ है एवं घन कोण का मात्रक स्टेरेडियन है जिसका प्रतीक $\mathrm{sr}$ है। ये दोनों ही विमाविहीन राशियाँ हैं।

चित्र 1.1 (a) समतलीय कोण $d \theta$ एवं (b) घन कोण $d \Omega$ का आरेखीय विवरण

सारणी 1.1 SI मूल राशियाँ एवं उनके मात्रक*

मूल राशि SI मात्रक
नाम प्रतीक परिभाषा
लंबाई मीटर $\mathrm{m}$ मीटर, संकेत m, लंबाई का SI मात्रक है। इसे निर्वात में प्रकाश की चाल $c$ के नियत संख्यात्मक मान 299792458 को लेकर, जो कि $\mathrm{ms}^{-1}$ मात्रक में व्यक्त है, से परिभाषित किया गया है, जहां सेकंड सीज़ियम आवृत्ति $\Delta V _{c s}$ के पदों में परिभाषित है।
द्रव्यमान किलोग्राम $\mathrm{kg}$ किलोग्राम, संकेत $\mathrm{kg}$, द्रव्यमान का SI मात्रक है। इसे प्लांक नियतांक $\boldsymbol{h}$ के नियत संख्यात्मक मान $6.62607015 \times 10^{-34}$ को लेकर, जोकि J.S. मात्रक में व्यक्त है, से परिभाषित किया गया है; यहां मात्रक J.S. $\mathrm{kg} \mathrm{m}^{2} \mathrm{~S}^{-1}$ के समान है, जहां मीटर और सेकंड की परिभाषा $\boldsymbol{c}$ तथा $\Delta \nu _{\text {cs }}$ के पदों में दी गई है।
समय सेकंड s सेकंड, संकेत S, समय का SI मात्रक है। इसकी परिभाषा सीज़ियम आवृत्ति $\Delta V _{c s}$, जो सीज़ियम-133 परमाणु की अक्षुब्ध मूल अवस्था अतिसूक्ष्म संक्रमण आवृत्ति है, के नियत संख्यात्मक मान 9192631770 को लेकर, जिसे $\mathrm{Hz}$ मात्रक जो $\mathrm{s}^{-1}$ के समान है, में व्यक्त किया गया है; दी गई है।
विद्युत धारा ऐम्पियर A ऐम्पियर, संकेत $\mathrm{A}$, विधुत-धारा का $\mathrm{SI}$ मात्रक है। इसकी परिभाषा, मूल आवेश $e$ के नियत संख्यात्मक मान $1.602176634 \times 10^{-19}$ को लेकर; जिसे $\mathrm{C}$ मात्रक जो A.S के समान है, जहां सेकंड को $\Delta \mathrm{V} _{\mathrm{cs}}$ के पदों में व्यक्त किया गया है; दी जाती है।
ऊष्मागतिक ताप केल्विन K केल्विन, संकेत $\mathrm{K}$, ऊष्मागतिक ताप का $\mathrm{SI}$ मात्रक है। इसकी परिभाषा, बोल्ट्ज़मान नियतांक, $\mathrm{K}$ के नियत संख्यात्मक मान $1.380649 \times 10^{-23}$ को लेकर; जिसे $\mathrm{J} \mathrm{K}^{-1}$ मात्रक में व्यक्त किया गया है, जो $\mathrm{kg} \mathrm{m}^{2} \mathrm{~s}^{-2} \mathrm{k}^{-1}$ के समान है, जहां किलोग्राम, मीटर और सेकंड को $h, c$ और $\Delta \nu _{\mathrm{cs}}$ के पदों में परिभाषित किया जाता है; दी गई है।
पदार्थ की मात्रा मोल mol मोल, संकेत मोल $(\mathrm{mol})$, पदार्थ की मात्र का SI मात्रक है। एक मोल में ठीक $6.02214076 \times 10^{23}$ ही मूलभूत कण होते हैं। यह संख्या, आवोगाद्रो स्थिरांक, $N _{\mathrm{A}}$ का नियत संख्यात्मक मान होता है जब उसे $\mathrm{mol}^{-1}$ मात्रक में व्यक्त किया जाता है और इसे आवोगाद्रो संख्या कहा जाता है। किसी निकाय के पदार्थ की मात्रा, संकेत $n$, विशिष्ट मूल कणों की संख्या का आमाप होती है। ये मूल कण एक परमाणु, अणु, आयन, इलेक्ट्रॉन, कोई अन्य कण या कणों के विशिष्ट समूह हो सकते हैं।
ज्योति-तीव्रता केंडेला cd केंडेला, संकेत cd, दी गई दिशा में ज्योति-तीवृता का SI मात्रक है। इसकी परिभाषा, $540 \times 10^{12} \mathrm{Hz}$ आवृत्ति वाले एकवर्णी विकिरण की दीप्त प्रभाविकता, $\mathrm{k} _{\mathrm{cd}}$ के नियत संख्यात्मक मान 683 को लेकर जब उसे मीटर और सेकंड को $h, c$ और $\Delta \nu _{c s}$ के पदों में परिभाषित किया जाता है; दी गई है।

सारणी 1.2 सामान्य प्रयोग के लिए SI मात्रकों के अतिरिक्त कुछ अन्य मात्रक

नाम प्रतीक SI मात्रक के पदों में मान
मिनट $\mathrm{min}$ $60 \mathrm{~s}$
घंटा $\mathrm{h}$ $60 \mathrm{~min}=3600 \mathrm{~s}$
दिन $\mathrm{d}$ $24 \mathrm{~h}=86400 \mathrm{~s}$
वर्ष $\mathrm{y}$ $365.25 \mathrm{~d}=3.156 \times 10^{7} \mathrm{~s}$
डिग्री $\mathrm{o}$ $1^{\circ}=(\pi / 180) \mathrm{rad}$
लिटर $\mathrm{L}$ $1 \mathrm{dm}^{3}=10^{-3} \mathrm{~m}^{3}$
टन $\mathrm{t}$ $10^{3} \mathrm{~kg}$
कैरट $\mathrm{c}$ $200 \mathrm{mg}$
बार $\mathrm{bar}$ $0.1 \mathrm{MPa}=10^{5} \mathrm{~Pa}$
क्यूरी $\mathrm{Ci}$ $3.7 \times 10^{10} \mathrm{~s}^{-1}$
रोंजन $\mathrm{R}$ $2.58 \times 10^{-4} \mathrm{C} \mathrm{kg}^{-1}$
क्विंटल $\mathrm{q}$ $100 \mathrm{~kg}^{28}$
बार्न $\mathrm{b}$ $100 \mathrm{fm}^{2}=10^{-28} \mathrm{~m}^{2}$
आर $\mathrm{a}$ $1 \mathrm{dam}^{2}=10^{2} \mathrm{~m}^{2}$
हेक्टार $\mathrm{ha}$ $1 \mathrm{hm}^{2}=10^{4} \mathrm{~m}^{2}$
मानक वायुमंडलीय दाब $\mathrm{atm}$ $101325 \mathrm{~Pa}^{2}=1.013 \times 10^{5} \mathrm{~Pa}$

ध्यान दीजिए, मोल का उपयोग करते समय मूल सत्ताओं का विशेष रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए। ये मूल सत्ताएँ परमाणु, अणु, आयन, इलेक्ट्रॉन, अन्य कोई कण अथवा इसी प्रकार के कणों का विशिष्ट समूह हो सकता है।

हम ऐसी भौतिक राशियों के मात्रकों का भी उपयोग करते हैं जिन्हें सात मूल राशियों से व्युत्पन्न किया जा सकता है (परिशिष्ट A 6)। SI मूल मात्रकों के पदों में व्यक्त कुछ व्युत्पन्न मात्रक (परिशिष्ट A 6.1) में दिए गए हैं। कुछ व्युत्पन्न SI मात्रकों को विशिष्ट नाम दिए गए हैं (परिशिष्ट A 6.2) और कुछ व्युत्पन्न SI मात्रक इन विशिष्ट नामों वाले व्युत्पन्न मात्रकों और सात मूल-मात्रकों के संयोजन से बनते हैं (परिशिष्ट A 6.3)। आपको तात्कालिक संदर्भ तथा मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए इन मात्रकों को परिशिष्ट (A 6.2) एवं (A 6.3) में दिया गया है। सामान्य व्यवहार में आने वाले अन्य मात्रक सारणी 1.2 में दिए गए हैं।

SI मात्रकों के सामान्य गुणज और अपवर्तकों को व्यक्त करने वाले उपसर्ग और उनके प्रतीक परिशिष्ट (A2) में दिए गए हैं। भौतिक राशियों, रासायनिक तत्वों और नाभिकों के संकेतों के उपयोग संबंधी सामान्य निर्देश परिशिष्ट (A7) में दिए गए हैं और आपके मार्गदर्शन तथा तात्कालिक संदर्भ के लिए SI मात्रकों एवं अन्य मात्रकों संबंधी निर्देश परिशिष्ट (A8) में दिए गए हैं।

1.3 सार्थक अंक

जैसा कि ऊपर वर्णन किया जा चुका है, हर मापन में त्रुटियाँ सम्मिलित होती हैं। अतः मापन के परिणामों को इस प्रकार प्रस्तुत किया जाना चाहिए कि मापन की परिशुद्धता स्पष्ट हो जाए। साधारणतः, मापन के परिणामों को एक संख्या के रूप में प्रस्तुत करते हैं जिसमें वह सभी अंक सम्मिलित होते हैं जो विश्वसनीय हैं, तथा वह प्रथम अंक भी सम्मिलित किया जाता है जो अनिश्चित है। विश्वसनीय अंकों और पहले अनिश्चित अंक को संख्या के सार्थक-अंक माना जाता है। यदि हम कहें कि किसी सरल लोलक का दोलन काल $1.62 \mathrm{~s}$ है, तो इसमें अंक 1 एवं 6 तो विश्वसनीय एवं निश्चित हैं, जबकि अंक 2 अनिश्चित है; इस प्रकार मापित मान में 3 सार्थक अंक हैं। यदि मापन के बाद किसी वस्तु की लम्बाई, $287.5 \mathrm{~cm}$ व्यक्त की जाए तो इसमें चार सार्थक अंक हैं, जिनमें $2,8,7$ तो निश्चित हैं परन्तु अंक 5 अनिश्चित है। अतः राशि के मापन के परिणाम में सार्थक अंकों से अधिक अंक लिखना अनावश्यक एवं भ्रामक होगा, क्योंकि, यह माप की परिशुद्धता के विषय में गलत धारणा देगा।

किसी संख्या में सार्थक अंकों की संख्या ज्ञात करने के नियम निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा समझे जा सकते हैं। जैसा पहले वर्णन किया जा चुका है कि सार्थक अंक मापन की परिशुद्धता इंगित करते हैं जो मापक यंत्र के अल्पतमांक पर निर्भर करती है। किसी मापन में विभिन्न मात्रकों के परिवर्तन के चयन से सार्थक अंकों की संख्या परिवर्तित नहीं होती। यह महत्वपूर्ण टिप्पणी निम्नलिखित में से अधिक प्रेक्षणों को स्पष्ट कर देती है:

(1) उदाहरण के लिए, लम्बाई $2.308 \mathrm{~cm}$ में चार सार्थक अंक हैं। परन्तु विभिन्न मात्रकों में इसी लम्बाई को हम 0.02308 $\mathrm{m}$ या $23.08 \mathrm{~mm}$ या $23080 \mu \mathrm{m}$ भी लिख सकते हैं।

इन सभी संख्याओं में सार्थक अंकों की संख्या वही अर्थात चार (अंक $2,3,0,8$ ) है।

यह दर्शाता है कि सार्थक अंकों की संख्या निर्धारित करने में, दशमलव कहाँ लगा है इसका कोई महत्व नहीं होता।

उपरोक्त उदाहरण से निम्नलिखित नियम प्राप्त होते हैं :

  • सभी शून्येतर अंक सार्थक अंक होते हैं।
  • यदि किसी संख्या में दशमलव बिन्दु है, तो उसकी स्थिति का ध्यान रखे बिना, किन्हीं दो शून्येतर अंकों के बीच के सभी शून्य सार्थक अंक होते हैं।
  • यदि कोई संख्या 1 से छोटी है तो वे शून्य जो दशमलव के दाईं ओर पर प्रथम शून्येतर अंक के बाईं ओर हों, सार्थक अंक नहीं होते। ( $\underline{0} . \underline{00} 2308$ में अधोरेखांकित शून्य सार्थक अंक नहीं हैं)।
  • ऐसी संख्या जिसमें दशमलव नहीं है के अंतिम अथवा अनुगामी शून्य सार्थक अंक नहीं होते।

(अतः $123 \mathrm{~m}=12300 \mathrm{~cm}=123000 \mathrm{~mm}$ में तीन ही सार्थक अंक हैं, संख्या में अनुगामी शून्य सार्थक अंक नहीं हैं)। तथापि, आप अगले प्रेक्षण पर भी ध्यान दे सकते हैं।

  • एक ऐसी संख्या, जिसमें दशमलव बिन्दु हो, के अनुगामी शून्य सार्थक अंक होते हैं।

(संख्या 3.500 या 0.06900 में चार सार्थक अंक हैं)।

(2) अनुगामी शून्य सार्थक अंक हैं या नहीं इस विषय में भ्रांति हो सकती है। मान लीजिए किसी वस्तु की लम्बाई $4.700 \mathrm{~m}$ लिखी गई है। इस प्रेक्षण से यह स्पष्ट है कि यहाँ शून्यों का उद्देश्य माप की परिशुद्धता को बतलाना है अतः यहाँ सभी शून्य सार्थक अंक हैं। (यदि ये सार्थक न होते तो इनको स्पष्ट रूप से लिखने की आवश्यकता न होती। तब सीधे-सीधे हम अपनी माप को $4.7 \mathrm{~m}$ लिख सकते थे।) अब मान लीजिए हम अपना मात्रक बदल लेते हैं तो

$4.700 \mathrm{~m}=470.0 \mathrm{~cm}=0.004700 \mathrm{~km}=4700 \mathrm{~mm}$

क्योंकि, अंतिम संख्या में दो शून्य, बिना दशमलव वाली संख्या में अनुगामी शून्य हैं, अतः प्रेक्षण (1) के अनुसार हम इस गलत निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि इस संख्या में 2 सार्थक अंक हैं जबकि वास्तव में इसमें चार सार्थक अंक हैं, मात्र मात्रकों के परिवर्तन से सार्थक अंकों की संख्या में परिवर्तन नहीं होता।

(3) सार्थक अंकों के निर्धारण में इस प्रकार की संदिग्धता को दूर करने के लिए सर्वोत्तम उपाय यह है कि प्रत्येक माप को वैज्ञानिक संकेत ( 10 की घातों के रूप में) में प्रस्तुत किया जाए। इस संकेत पद्धति में प्रत्येक संख्या को $a \times 10^{b}$ के रूप में लिखा जाता है, जहाँ $a, 1$ से 10 के बीच की कोई संख्या है और $b, 10$ की कोई धनात्मक या ऋणात्मक घात है। संख्या की सन्निकट अवधारणा बनाने के लिए हम इसका पूर्णांकन कर सकते हैं, यानि $(a \leq 5)$ होने पर इसे 1 और $(5<a \leq 10)$ होने पर 10 मान सकते हैं। तब, इस संख्या को लगभग $10^{\mathrm{b}}$ के रूप में व्यक्त कर सकते हैं जिसमें 10 की घात $b$ भौतिक राशि के परिमाण की कोटि कहलाती है। जब केवल एक अनुमान की आवश्यकता हो तो यह कहने से काम चलेगा कि राशि $10^{\mathrm{b}}$ की कोटि की है। उदाहरण के लिए पृथ्वी का व्यास $\left(1.28 \times 10^{7} \mathrm{~m}\right), 10^{7} \mathrm{~m}$ की कोटि का है, इसके परिमाण की कोटि 7 है। हाइड्रोजन परमाणु का व्यास $\left(1.06 \times 10^{-10} \mathrm{~m}\right), 10^{-10} \mathrm{~m}$ की कोटि का है। इसके परिमाण की कोटि -10 है। अतः, पृथ्वी का व्यास, हाइड्रोजन परमाणु के व्यास से 17 परिमाण कोटि बड़ा है।

प्रायः एक अंक के बाद दशमलव लगाने की प्रथा है। इससे ऊपर प्रेक्षण (a) में उल्लिखित भ्रांति लुप्त हो जाता है :

$$ \begin{aligned} & 4.700 \mathrm{~m}=4.700 \times 10^{2} \mathrm{~cm} \\ = & 4.700 \times 10^{3} \mathrm{~mm}=4.700 \times 10^{-3} \mathrm{~km} \end{aligned} $$

यहाँ सार्थक अंकों की संख्या ज्ञात करने में 10 की घात असंगत है। तथापि, वैज्ञानिक संकेत में आधार संख्या के सभी शून्य सार्थक अंक होते हैं। इस प्रकरण में सभी संख्याओं में 4 सार्थक अंक हैं।

इस प्रकार, वैज्ञानिक संकेत में आधार संख्या $a$ के अनुगामी शून्यों के बारे में कोई भ्रांति नहीं रह जाती। वे सदैव सार्थक अंक होते हैं।

(4) किसी भी मापन के प्रस्तुतिकरण की वैज्ञानिक संकेत विधि एक आदर्श विधि है। परन्तु यदि यह विधि नहीं अपनायी जाती, तो हम पूर्वगामी उदाहरण में उल्लिखित नियमों का पालन करते हैं :

  • एक से बड़ी, बिना दशमलव वाली संख्या के लिए, अनुगामी शून्य सार्थक-अंक नहीं हैं।
  • दशमलव वाली संख्या के लिए अनुगामी शून्य सार्थक अंक हैं।

(5) 1 से छोटी संख्या में, पारस्परिक रूप से, दशमलव के बाईं ओर लिखा शून्य (जैसे 0.1250 ) कभी भी सार्थक अंक नहीं होता। तथापि, किसी माप में ऐसी संख्या के अंत में आने वाले शून्य सार्थक अंक होते हैं।

(6) गुणक या विभाजी कारक जो न तो पूर्णांकित संख्याएँ होती हैं और न ही किसी मापित मान को निरूपित करती हैं, यथार्थ होती हैं और उनमें अनन्त सार्थक-अंक होते हैं। उदाहरण के लिए $r=\frac{d}{2}$ अथवा $\mathrm{s}=2 \pi r$ में गुणांक 2 एक यथार्थ संख्या है और इसे $2.0,2.00$ या 2.0000 , जो भी आवश्यक हो लिखा जा सकता है। इसी प्रकार, $T=\frac{t}{n}$, में $n$ एक पूर्णांक है।

1.3.1 सार्थक अंकों से संबंधित अंकीय संक्रियाओं के नियम

किसी परिकलन का परिणाम, जिसमें राशियों के सन्निकट मापे गए मान सम्मिलित हैं (अर्थात् वे मान जिनमें सार्थक अंकों की संख्या सीमित है) व्यक्त करते समय, मूल रूप से मापे गए मानों की अनिश्चितता भी प्रतिबिम्बित होनी चाहिए। यह परिणाम, उन मापित मानों से अधिक यथार्थ नहीं हो सकता जिन पर यह आधारित है। अतः, व्यापक रूप से, किसी भी परिणाम में सार्थक अंकों की संख्या, उन मूल आंकड़ों से अधिक नहीं हो सकती जिनसे इसे प्राप्त किया गया है। इस प्रकार, यदि किसी पिण्ड का मापित द्रव्यमान मान लीजिए $4.237 \mathrm{~g}$ है (4 सार्थक अंक), और इसका मापित आयतन $2.51 \mathrm{~cm}^{3}$ है, तो मात्र अंकीय विभाजन द्वारा इसका घनत्व दशमलव के 11 स्थानों तक $1.68804780876 \mathrm{~g} / \mathrm{cm}^{3}$ आता है। स्पष्टतः घनत्व के इस परिकलित मान को इतनी परिशुद्धता के साथ लिखना पूर्णतः हास्यास्पद तथा असंगत होगा, क्योंकि जिन मापों पर यह मान आधारित है उनकी परिशुद्धता काफी कम है। सार्थक अंकों के साथ अंकीय संक्रियाओं के निम्नलिखित नियम यह सुनिश्चित करते हैं कि किसी परिकलन का अंतिम परिणाम उतनी ही परिशुद्धता के साथ दर्शाया जाता है जो निवेशित मापित मानों की परिशुद्धता के संगत हो:

(1) संख्याओं को गुणा या भाग करने से प्राप्त परिणाम में केवल उतने ही सार्थक अंक रहने देना चाहिए जितने कि सबसे कम सार्थक अंकों वाली मूल संख्या में है।

अतः उपरोक्त उदाहरण में घनत्व को तीन सार्थक अंकों तक ही लिखा जाना चाहिए,

$$ \text { घनत्व }=\frac{4.237 \mathrm{~g}}{2.51 \mathrm{~cm}^{3}}=1.69 \mathrm{~g} \mathrm{~cm}^{-3} $$

इसी प्रकार, यदि दी गई प्रकाश कीचाल $3.00 \times 10^{8} \mathrm{~m} / \mathrm{s}^{-1}$ (तीन सार्थक अंक) और एक वर्ष $(1 \mathrm{y}=365.25 \mathrm{~d})$ में $3.1557 \times 10^{7} \mathrm{~s}$ (पांच सार्थक अंक) हों, तो एक प्रकाश वर्ष में $9.47 \times 10^{15} \mathrm{~m}$ (तीन सार्थक अंक) होंगे।

(2) संख्याओं के संकलन अथवा व्यवकलन से प्राप्त अंतिम परिणाम में दशमलव के बाद उतने ही सार्थक अंक रहने देने चाहिए जितने कि संकलित या व्यवकलित की जाने वाली किसी राशि में दशमलव के बाद कम से कम हैं।

उदाहरणार्थ, संख्याओं $436.32 \mathrm{~g}, 227.2 \mathrm{~g}$ एवं $0.301 \mathrm{~g}$ का योग $663.821 \mathrm{~g}$ है। दी गई संख्याओं में सबसे कम परिशुद्ध $(227.2 \mathrm{~g})$ माप दशमलव के एक स्थान तक ही यथार्थ है। इसलिए, अंतिम परिणाम को $663.8 \mathrm{~g}$ तक पूर्णांकित कर दिया जाना चाहिए।

इसी प्रकार, लम्बाइयों में अंतर को निम्न प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं,

$0.307 \mathrm{~m}-0.304 \mathrm{~m}=0.003 \mathrm{~m}=3 \quad 10^{-3} \mathrm{~m}$

ध्यान दीजिए, हमें नियम (1) जो गुणा और भाग के लिए लागू होता है, उसे संकलन (योग) के उदाहरण में प्रयोग करके परिणाम को $664 \mathrm{~g}$ नहीं लिखना चाहिए और व्यवकलन के उदाहरण में $3.00 \quad 10^{-3} \mathrm{~m}$ नहीं लिखना चाहिए। ये माप की परिशुद्धता को उचित रूप से व्यक्त नहीं करते हैं। संकलन और व्यवकलन के लिए यह नियम दशमलव स्थान के पदों में है।

1.3.2 अनिश्चित अंकों का पूर्णांकन

जिन संख्याओं में एक से अधिक अनिश्चित अंक होते हैं, उनके अभिकलन के परिणाम का पूर्णांकन किया जाना चाहिए। अधिकांश प्रकरणों में, संख्याओं को उचित सार्थक अंकों तक पूर्णांकित करने के नियम स्पष्ट ही हैं। संख्या $2.74 \underline{6}$ को तीन सार्थक अंकों तक पूर्णांकित करने पर 2.75 प्राप्त होता है, जबकि 2.743 के पूर्णांकन से 2.74 मिलता है। परिपाटी के अनुसार नियम यह है कि यदि उपेक्षणीय अंक (पूर्वोक्त संख्या में अधोरेखांकित अंक) 5 से अधिक है तो पूर्ववर्ती अंक में एक की वृद्धि कर दी जाती है, और यदि यह उपेक्षणीय अंक 5 से कम होता है, तो पूर्ववर्ती अंक अपरिवर्तित रखा जाता है। लेकिन यदि संख्या $2.74 \underline{5}$ है, जिसमें उपेक्षणीय अंक 5 है, तो क्या होता है? यहाँ परिपाटी यह है कि यदि पूर्ववर्ती अंक सम है तो उपेक्षणीय अंक को छोड़ दिया जाता है और यदि यह विषम है, तो पूर्ववर्ती अंक में 1 की वृद्धि कर देते हैं। तब संख्या 2.745 , तीन सार्थक अंकों तक पूर्णांकन करने पर 2.74 हो जाती है। दूसरी ओर, संख्या 2.735 तीन सार्थक अंकों तक पूर्णांकित करने के पश्चात् 2.74 हो जाती है, क्योंकि पूर्ववर्ती अंक विषम है।

किसी भी उलझन वाले अथवा बहुपदी जटिल परिकलन में, मध्यवर्ती पदों में सार्थक अंकों से एक अंक अधिक रहने देना चाहिए, जिसे परिकलन के अंत में उचित सार्थक अंकों तक पूर्णांकित कर देना चाहिए। इसी प्रकार, एक संख्या जो कई सार्थक अंकों तक ज्ञात है, जैसे निर्वात में प्रकाश का वेग, जिसके लिए, प्राय: $2.99792458 \times 10^{8} \mathrm{~m} / \mathrm{s}$ को सन्निकट मान $3 \times 10^{8} \mathrm{~m} / \mathrm{s}$ में पूर्णांकित कर परिकलनों में उपयोग करते हैं। अंत में ध्यान रखिये कि सूत्रों में उपयोग होने वाली यथार्थ संख्याएं, जैसे $T=2 \pi \sqrt{\frac{L}{g}}$ में $2 \pi$, में सार्थक अंकों की संख्या अत्यधि क (अनन्त) है। $\pi=3.1415926 \ldots$ का मान बहुत अधिक सार्थक अंकों तक ज्ञात है लेकिन आम मापित राशियों में परिशुद्धि के आधार पर $\pi$ का मान 3.142 या 3.14 भी लेना तर्क सम्मत है।

उदाहरण 1.1 किसी घन की प्रत्येक भुजा की माप $7.203 \mathrm{~m}$ है। उचित सार्थक अंकों तक घन का कुल पृष्ठ क्षेत्रफल एवं आयतन ज्ञात कीजिए।

हल मापी गई लम्बाई में सार्थक अंकों की संख्या 4 है। इसलिए, परिकलित क्षेत्रफल एवं आयतन के मानों को भी 4 सार्थक अंकों तक पूर्णांकित किया जाना चाहिए।

$$ \begin{aligned} \text घन का पृष्ठ क्षेत्रफल & =6(7.203)^{2} \mathrm{~m}^{2} \\ & =311.299254 \mathrm{~m}^{2} \\ & =311.3 \mathrm{~m}^{2}\\ \text घन का आयतन & =(7.203)^{3} \mathrm{~m}^{3} \\ & =373.714754 \mathrm{~m}^{3} \\ & =373.7 \mathrm{~m}^{3} \end{aligned} $$

उदाहरण 1.2 किसी पदार्थ के $5.74 \mathrm{~g}$ का आयतन $1.2 \mathrm{~cm}^{3}$ है। सार्थक अंकों को ध्यान में रखते हुए इसका घनत्व व्यक्त कीजिए।

हल द्रव्यमान में 3 सार्थक अंक हैं, जबकि आयतन के मापित मान में केवल दो सार्थक अंक हैं। अतः घनत्व को केवल दो सार्थक अंकों तक व्यक्त किया जाना चाहिए।

$$ \begin{aligned} \text { घनत्व }= & \frac{5.74}{1.2} \mathrm{~g} \mathrm{~cm}^{-3} \\ & =4.8 \mathrm{~g} \mathrm{~cm}^{-3} \end{aligned} $$

1.3.3 अंकगणितीय परिकलनों के परिणामों में अनिश्चितता

निर्धारित करने के नियमअंकीय संक्रियाओं में संख्याओं/ मापित राशियों में अनिश्चितता या त्रुटि निर्धारित करने संबंधी नियमों को निम्नलिखित उदाहरणों के द्वारा समझा जा सकता है।

(1) यदि किसी पतली, आयताकार शीट की लम्बाई और चौड़ाई, किसी मीटर पैमाने से मापने पर क्रमशः $16.2 \mathrm{~cm}$ एवं $10.1 \mathrm{~cm}$ हैं, तो यहाँ प्रत्येक माप में तीन सार्थक अंक हैं। इसका अर्थ है कि लम्बाई को हम इस प्रकार लिख सकते हैं

$$ \begin{aligned} l= & 16.2 \pm 0.1 \mathrm{~cm} \\ \end{aligned} $$

$$ \begin{aligned} & =16.2 \mathrm{~cm} \pm 0.6 \% . \end{aligned} $$

इसी प्रकार, चौड़ाई को इस प्रकार लिखा जा सकता है

$$ \begin{aligned} b & =10.1 \pm 0.1 \mathrm{~cm} \\ & =10.1 \mathrm{~cm} \pm 1 \% \end{aligned} $$

तब, त्रुटि संयोजन के नियम का उपयोग करने पर, दो (या अधिक) प्रायोगिक मापों के गुणनफल की त्रुटि

$$ \begin{aligned} l b & =163.62 \mathrm{~cm}^{2} \pm 1.6 \% \\ & =163.62 \pm 2.6 \mathrm{~cm}^{2} \end{aligned} $$

इस उदाहरण के अनुसार हम अंतिम परिणाम को इस प्रकार लिखेंगे

$$ l b =164 \pm 3 \mathrm{~cm}^{2} $$

यहाँ, $3 \mathrm{~cm}^{2}$ आयताकार शीट के क्षेत्रफल के आकलन में की गई त्रुटि अथवा अनिश्चितता है।

(2) यदि किसी प्रायोगिक आंकड़े के समुच्चय में $\boldsymbol{n}$ सार्थक अंकों का उल्लेख है, तो आंकड़े के संयोजन से प्राप्त परिणाम भी $n$ सार्थक अंकों तक वैध होगा।

तथापि, यदि आंकड़े घटाये जाते हैं तो सार्थक अंकों की संख्या कम की जा सकती है।

उदाहरणार्थ, $12.9 \mathrm{~g}-7.06 \mathrm{~g}$ दोनों तीन सार्थक अंकों तक विनिर्दिष्ट हैं, परन्तु इसे $5.84 \mathrm{~g}$ के रूप में मूल्यांकित नहीं किया जा सकता है बल्कि केवल $5.8 \mathrm{~g}$ लिखा जाएगा, क्योंकि संकलन या व्यवकलन में अनिश्चितताएँ एक भिन्न प्रकार से संयोजित होती हैं। (संकलित या व्यवकलित की जाने वाली संख्याओं में दशमलव के बाद कम से कम अंकों वाली संख्या न कि कम से कम सार्थक अंकों वाली संख्या निर्णय का आधार होती है।)

(3) किसी संख्या के मान में आपेक्षिक त्रुटि, जो विनिर्दिष्ट सार्थक अंकों तक दी गई है, न केवल $n$ पर, वरन, दी गई संख्या पर भी निर्भर करती है।

उदाहरणार्थ, द्रव्यमान $1.02 \mathrm{~g}$ के मापन में यथार्थता $\pm 0.01 \mathrm{~g}$ है, जबकि दूसरी माप $9.89 \mathrm{~g}$ भी $\pm 0.01 \mathrm{~g}$ तक ही यथार्थ है।

1.02 में आपेक्षिक त्रुटि

$$ \begin{aligned} & =( \pm 0.01 / 1.02) \times 100 \% \\ & = \pm 1 \% \end{aligned} $$

इसी प्रकार $9.89 \mathrm{~g}$ में आपेक्षिक त्रुटि

$$ \begin{aligned} & =( \pm 0.01 / 9.89) \times 100 \% \\ & = \pm 0.1 \% \end{aligned} $$

अंत में, याद रखिए कि बहुपदीय अभिकलन के मध्यवर्ती परिणाम को परिकलित करने में प्रत्येक माप को, अल्पतम परिशुद्ध माप से एक सार्थक अंक अधिक रखना चाहिए। आंकड़ों के अनुसार इसे तर्कसंगत करने के बाद ही इनकी अंकीय संक्रियाएँ करना चाहिए अन्यथा पूर्णांकन की त्रुटियाँ उत्पन्न हो जाएंगी। उदाहरणार्थ, 9.58 के व्युत्क्रम का तीन सार्थक अंकों तक पूर्णांकन करने पर मान 0.104 है, परन्तु 0.104 का व्युत्क्रम करने पर तीन सार्थक अंकों तक प्राप्त मान 9.62 है। पर यदि हमने $1 / 9.58=0.1044$ लिखा होता तो उसके व्युत्क्रम को तीन सार्थक अंकों तक पूर्णांकित करने पर हमें मूल मान 9.58 प्राप्त होगा।

उपरोक्त उदाहरण, जटिल बहुपदी परिकलन के मध्यवर्ती पदों में (कम से कम परिशुद्ध माप में अंकों की संख्या की अपेक्षा) एक अतिरिक्त अंक रखने की धारणा को न्यायसंगत ठहराता है, जिससे कि संख्याओं की पूर्णांकन प्रक्रिया में अतिरिक्त त्रुटि से बचा जा सके।

1.4 भौतिक राशियों की विमाएँ

किसी भौतिक राशि की प्रकृति की व्याख्या उसकी विमाओं द्वारा की जाती है। व्युत्पन्न मात्रकों द्वारा व्यक्त होने वाली सभी भौतिक राशियाँ, सात मूल राशियों के संयोजन के पदों में प्रस्तुत की जा सकती हैं। इन मूल राशियों को हम भौतिक संसार की सात विमाएँ कह सकते हैं और इन्हें गुरु कोष्ठक के साथ निर्दिष्ट किया जाता है। इस प्रकार, लम्बाई की विमा [L], विद्युत धारा की [A], ऊष्मागतिकीय ताप की [K], ज्योति तीव्रता की [cd], और पदार्थ की मात्रा की [mol] है। किसी भौतिक राशि की विमाएँ उन घातों (या घातांकों) को कहते हैं, जिन्हें उस राशि को व्यक्त करने के लिए मूल राशियों पर चढ़ाना पड़ता है। ध्यान दीजिए किसी राशि को गुरु कोष्ठक [ ] से घेरने का यह अर्थ है कि हम उस राशि की विमा पर विचार कर रहे हैं।

यांत्रिकी में, सभी भौतिक राशियों को विमाओं [L], [M] और $[T]$ के पदों में व्यक्त किया जा सकता है। उदाहरणार्थ, किसी वस्तु द्वारा घेरा गया आयतन उसकी लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई अथवा तीन लम्बाइयों के गुणन द्वारा व्यक्त किया जाता है। इसलिए, आयतन का विमीय सूत्र $=[\mathrm{L}] \times[\mathrm{L}] \times[\mathrm{L}]=[\mathrm{L}]^{3}=$ [ $\left.{ }^{3}\right]$ ] क्योंकि, आयतन, द्रव्यमान और समय पर निर्भर नहीं करता, इसलिए यह कहा जाता है कि आयतन में द्रव्यमान की शून्य विमा, $\left[\mathrm{M}^{\circ}\right]$, समय की शून्य विमा $\left[\mathrm{T}^{\circ}\right]$ तथा लम्बाई की 3 विमाएँ $\left[\mathrm{L}^{3}\right]$ हैं।

इसी प्रकार, बल को द्रव्यमान और त्वरण के गुणनफल के रूप में इस प्रकार व्यक्त कर सकते हैं,

बल $=$ द्रव्यमान $\times$ त्वरण

$=$ द्रव्यमान $\times($ (लम्बाई $) /(\text { समय) })^{2}$

बल की विमाएँ $[\mathrm{M}][\mathrm{L}] /[\mathrm{T}]^{2}=\left[\mathrm{M} \mathrm{L} \mathrm{T}^{-2}\right]$ हैं। अतः बल में, द्रव्यमान की 1 , लम्बाई की 1 और समय की -2 विमाएँ हैं। यहाँ अन्य सभी मूल राशियों की विमाएँ शून्य हैं।

ध्यान दीजिए, इस प्रकार के प्रस्तुतीकरण में परिमाणों पर विचार नहीं किया जाता। इसमें भौतिक राशियों के प्रकार की गुणता का समावेश होता है। इस प्रकार, इस संदर्भ में वेग परिवर्तन, प्रारंभिक वेग, औसत वेग, अंतिम वेग और चाल, ये सभी तुल्य राशियाँ हैं, क्योंकि ये सभी राशियाँ लम्बाई/समय के रूप में व्यक्त की जा सकती हैं और इनकी विमाएँ $[\mathrm{L}] /[\mathrm{T}]$ या $\left[\mathrm{L} \mathrm{T}^{-1}\right]$ हैं।

1.5 विमीय सूत्र एवं विमीय समीकरणें

किसी दी हुई भौतिक राशि का विमीय सूत्र वह व्यंजक है जो यह दर्शाता है कि किसी भौतिक राशि में किस मूल राशि की कितनी विमाएँ हैं। उदाहरणार्थ, आयतन का विमीय सूत्र $\left[\mathrm{M}^{\circ} \mathrm{L}^{3} \mathrm{~T}^{\circ}\right]$ और वेग या चाल का $\left[\mathrm{M}^{\circ} \mathrm{LT}^{-1}\right]$ है। इसी प्रकार, $\left[\mathrm{M}^{\circ} \mathrm{L} \mathrm{T}^{-2}\right]$, त्वरण का तथा $\left[\mathrm{M} \mathrm{L}^{-3} \mathrm{~T}^{\circ}\right]$ द्रव्यमान घनत्व का विमीय सूत्र है।

किसी भौतिक राशि को उसके विमीय सूत्र के बराबर लिखने पर प्राप्त समीकरण को उस राशि का विमीय समीकरण कहते हैं। अतः विमीय समीकरण वह समीकरण है जिसमें किसी भौतिक राशि को मूल राशियों और उनकी विमाओं के पदों में निरूपित किया जाता है। उदाहरण के लिए, आयतन $[V]$, चाल $[v]$, बल $[F]$ और द्रव्यमान घनत्व $[\rho]$ की विमीय समीकरण को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है :

$$ \begin{aligned} & {[V]=\left[\mathrm{M}^{0} \mathrm{~L}^{3} \mathrm{~T}^{0}\right]} \\ & {[v]=\left[\mathrm{M}^{0} \mathrm{~L} \mathrm{~T}^{-1}\right]} \\ & {[F]=\left[\mathrm{M} \mathrm{L} \mathrm{T}^{-2}\right]} \\ & {[\rho]=\left[\mathrm{M} \mathrm{L}^{-3} \mathrm{~T}^{0}\right]} \end{aligned} $$

भौतिक राशियों के बीच संबंध निरूपित करने वाले समीकरण के आधार पर विमीय समीकरण, व्युत्पन्न की जा सकती है। विविध प्रकार की बहुत सी भौतिक राशियों के विमीय सूत्र, जिन्हें अन्य भौतिक राशियों के मध्य संबंधों को निरूपित करने वाले समीकरणों से व्युत्पन्न तथा मूल राशियों के पदों में व्यक्त किया गया है, आपके मार्गदर्शन एवं तात्कालिक संदर्भ के लिए परिशिष्ट-9 में दिए गए हैं।

1.6 विमीय विश्लेषण एवं इसके अनुप्रयोग

विमाओं की संकल्पना की स्वीकृति, जो भौतिक व्यवहार के वर्णन में मार्गदर्शन करती है, अपना एक आधारिक महत्व रखती है क्योंकि इसके अनुसार केवल वही भौतिक राशियाँ संकलित या व्यवकलित की जा सकती हैं जिनकी विमाएँ समान हैं।विमीय विश्लेषण का व्यापक ज्ञान, विभिन्न भौतिक राशियों के बीच संबंधों के निगमन में सहायता करता है और विभिन्न गणितीय व्यंजकों की व्युत्पत्ति, यथार्थता तथा विमीय संगतता की जाँच करने में सहायक है। जब दो या अधिक भौतिक राशियों के परिमाणों को गुणा (या भाग) किया जाता है, तो उनके मात्रकों के साथ उस प्रकार का व्यवहार किया जाना चाहिए जैसा हम सामान्य बीज-गणितीय प्रतीकों के साथ करते हैं। अंश और हर से सर्वसम मात्रकों को हम निरसित कर सकते हैं। यही बात भौतिक राशि की विमाओं के साथ भी लागू होती है। इसी प्रकार, किसी गणितीय समीकरण में पक्षों में प्रतीकों द्वारा निरूपित भौतिक राशियों की विमाएँ समान होनी चाहिए।

1.6.1 समीकरणों की विमीय संगति की जाँच

भौतिक राशियों के परिमाण केवल तभी संकलित या व्यवकलित किए जा सकते हैं यदि उनकी विमाएँ समान हों। दूसरे शब्दों में, हम केवल एक ही प्रकार की राशियों का संकलन या व्यवकलन कर सकते हैं। अतः बल को वेग के साथ संकलित या ऊष्मा गतिक ताप में से विद्युत धारा को व्यवकलित नहीं किया जा सकता। इस सरल सिद्धांत को विमाओं की समघातता सिद्धांत कहते हैं और इसकी सहायता से किसी समीकरण की संशुद्धि की जाँच कर सकते हैं। यदि किसी समीकरण के सभी पदों की विमाएँ समान नहीं हैं तो वह समीकरण गलत होती है। अतः यदि हम किसी पिण्ड की लम्बाई (या दूरी) के लिए व्यंजक व्युत्पन्न करें, तो चाहे उसमें सम्मिलित प्रतीक कुछ भी हों, उनकी विमाओं को सरल करने पर अंत में प्रत्येक पद में लम्बाई की विमा ही शेष रहनी चाहिए। इसी प्रकार, यदि हम चाल के लिए समीकरण व्युत्पन्न करें, तो इसके दोनों पक्षों के पदों का विमीय-सूत्र सरलीकरण के बाद $\left[\mathrm{L} \mathrm{T}^{-1}\right]$ ही पाया जाना चाहिए।

यदि किसी समीकरण की संशुद्धि में संदेह हो तो उस समीकरण की संगति की प्राथमिक जांच के लिए मान्य प्रथा के अनुसार विमाओं का उपयोग किया जाता है। किन्तु, विमीय संगति किसी समीकरण के सही होने की गारंटी नहीं है। यह अविम राशियों या फलनों की अनिश्चितता सीमा तक अनिश्चित होती है। त्रिकोणमितीय, लघुगणकीय और चरघातांकी फलनों जैसे विशिष्ट फलनों के कोणांक अविम होने चाहिए। एक शुद्ध संख्या, समान भौतिक राशियों का अनुपात, जैसे अनुपात के रूप में कोण (लम्बाई/लम्बाई), अनुपात के रूप में अपवर्तनांक (निर्वात में प्रकाश का वेग/माध्यम में प्रकाश का वेग) आदि की कोई विमाएँ नहीं होतीं।

अब, हम निम्नलिखित समीकरण की विमीय संगति या समांगता की जाँच कर सकते हैं

$$ x=x _{0}+v _{0} t+(1 / 2) a t^{2} $$

जहाँ $x$ किसी कण अथवा पिण्ड द्वारा $t$ सेकंड में चलित वह दूरी है, जो कण या पिण्ड समय $t=0$ पर स्थिति $x _{0}$ से प्रारंभिक वेग $v _{0}$ से आरम्भ करके तय करता है, और इसका गति की दिशा में एकसमान त्वरण $a$ रहता है।

प्रत्येक पद के लिए विमीय समीकरण लिखने पर,

$$ \begin{aligned} {[x] } & =[\mathrm{L}] \\ {\left[x _{0}\right] } & =[\mathrm{L}] \\ {\left[v _{0} t\right] } & =\left[\mathrm{L} \mathrm{T}^{-1}\right][\mathrm{T}] \\ & =[\mathrm{L}] \\ {\left[1 / 2 a t^{2}\right] } & =\left[\mathrm{L} \mathrm{T}{ }^{-2}\right]\left[\mathrm{T}^{2}\right] \\ & =[\mathrm{L}] \end{aligned} $$

क्योंकि इस समीकरण के सभी पदों की विमाएँ समान (लम्बाई की) हैं, इसलिए यह विमीय दृष्टि से संगत समीकरण है।

यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है, कि विमीय संगति परीक्षण, मात्रकों की संगति से कम या अधिक कुछ नहीं बताता। लेकिन, इसका लाभ यह है कि हम मात्रकों के किसी विशेष चयन के लिए बाध्य नहीं हैं और न ही हमें मात्रकों के पारस्परिक गुणजों या अपवर्तकों में रूपांतरण की चिन्ता करने की आवश्यकता है। यह बात भी हमें स्पष्ट करनी चाहिए कि यदि कोई समीकरण संगति परीक्षण में असफल हो जाती है तो वह गलत सिद्ध हो जाती है, परन्तु यदि वह परीक्षण में सफल हो जाती है तो इससे वह सही सिद्ध नहीं हो जाती। इस प्रकार कोई विमीय रूप से सही समीकरण आवश्यक रूप से यथार्थ ( सही ) समीकरण नहीं होती, जबकि विमीय रूप से गलत या असंगत समीकरण गलत होनी चाहिए।

उदाहरण 1.3 आइए निम्नलिखित समीकरण पर विचार करें

$$ \frac{1}{2} m v^{2}=m g h $$

यहाँ $m$ वस्तु का द्रव्यमान, $v$ इसका वेग है, $g$ गुरुत्वीय त्वरण और $h$ ऊँचाई है। जाँचिए कि क्या यह समीकरण विमीय दृष्टि से सही है।

हल यहाँ वाम पक्ष की विमाएँ

$$ [\mathrm{M}]\left[\mathrm{L} \mathrm{T}^{-1}\right]^{2}=[\mathrm{M}]\left[\mathrm{L}^{2} \mathrm{~T}^{-2}\right] $$ $$ =\left[\mathrm{M} \mathrm{L}^{2} \mathrm{~T}^{-2}\right] $$

तथा दक्षिण पक्ष की विमाएँ

$$ \begin{array}{r} {[\mathrm{M}]\left[\mathrm{L} \mathrm{T}^{-2}\right][\mathrm{L}]=[\mathrm{M}]\left[\mathrm{L}^{2} \mathrm{~T}^{-2}\right]} \\ =\left[\mathrm{M} \mathrm{L}^{2} \mathrm{~T}^{-2}\right] \end{array} $$

चूँकि, दोनों पक्षों की विमाएँ समान हैं, इसलिए यह समीकरण विमीय दृष्टि से सही है।

उदाहरण 1.4 ऊर्जा का $\mathrm{SI}$ मात्रक $\mathrm{J}=\mathrm{kg} \mathrm{m}^{2} \mathrm{~s}^{-2}$; है, चाल $v$ का $\mathrm{m} \mathrm{s}^{-1}$ और त्वरण $a$ का $\mathrm{m} \mathrm{s}^{-2}$ है। गतिज ऊर्जा $(k)$ के लिए निम्नलिखित सूत्रों में आप किस-किस को विमीय दृष्टि से गलत बताएँगे? ( $m$ पिण्ड का द्रव्यमान है)।

(a) $K=m^{2} v^{3}$

(b) $K=(1 / 2) m v^{2}$

(c) $K=m a$

(d) $K=(3 / 16) m v^{2}$

(e) $K=(1 / 2) m v^{2}+m a$

हल प्रत्येक सही समीकरण में दोनों पक्षों का विमीय सूत्र समान होना चाहिए। यह भी कि केवल समान विमाओं वाली राशियों का ही संकलन या व्यवकलन किया जा सकता है। दक्षिण पक्ष की राशि की विमाएँ (a) के लिए $\left[\mathrm{M}^{2} \mathrm{~L}^{3} \mathrm{~T}^{-3}\right]$; (b) तथा (d) के लिए $\left[\mathrm{M} \mathrm{L}^{2} \mathrm{~T}^{-2}\right]$; (c) के लिए $\left[\mathrm{M} \mathrm{L} \mathrm{T}^{-2}\right]$ है। समीकरण (e) के दक्षिण पक्ष की राशि की कोई उचित विमाएँ नहीं हैं क्योंकि इसमें भिन्न विमाओं वाली दो राशियों को संकलित किया गया है। अब क्योंकि $K$ की विमाएँ $\left[\mathrm{M} \mathrm{L}^{2} \mathrm{~T}^{-2}\right]$ है, इसलिए सूत्र (a), (c) एवं (e) विमीय रूप से संगत नहीं हैं। ध्यान दें, कि विमीय तर्कों से यह पता नहीं चलता कि (b) व (d) में कौन सा सूत्र सही है। इसके लिए गतिज ऊर्जा की वास्तविक परिभाषा को देखना पड़ेगा (देखें अध्याय 5)। गतिज ऊर्जा के लिए सही सूत्र (b) में दिया गया है।

1.6.2 विभिन्न भौतिक राशियों के मध्य संबंध व्युत्पन्न करना

कभी-कभी विभिन्न भौतिक राशियों के बीच संबंध व्युत्पन्न करने के लिए विमाओं की विधि का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए हमें यह ज्ञात होना चाहिए कि एक भौतिक राशि किन-किन दूसरी भौतिक राशियों पर निर्भर करती है (तीन भौतिक राशियों या एकघाततः स्वतंत्र चरों तक)। इसके लिए, हम दी गई राशि को निर्भर राशियों की विभिन्न घातों के गुणनफल के रूप में लिखते हैं। आइये, एक उदाहरण द्वारा इस प्रक्रिया को समझें।

उदाहरण 1.5 एक सरल लोलक पर विचार कीजिए, जिसमें गोलक को एक धागे से बाँध कर लटकाया गया है और जो गुरुत्व बल के अधीन दोलन कर रहा है। मान लीजिए कि इस लोलक का दोलन काल इसकी लम्बाई $(\mathrm{l})$ गोलक के द्रव्यमान $(m)$ और गुरुत्वीय त्वरण $(g)$ पर निर्भर करता है। विमाओं की विधि का उपयोग करके इसके दोलन-काल के लिए सूत्र व्युत्पन्न कीजिए।

हल दोलन काल $T$ की, राशियों $l, g$ और $m$ पर निर्भरता को एक गुणनफल के रूप में इस प्रकार लिखा जा सकता है :

$T=k l^{x} g^{y} m^{z}$

जहाँ, $\mathrm{k}$ एक विमाहीन स्थिरांक है, एवं $x, y, z$ घातांक हैं।

दोनों ओर की राशियों के विमीय सूत्र लिखने पर

$$ \left[\mathrm{L}^{\mathrm{o}} \mathrm{M}^{\mathrm{o}} \mathrm{T}^{1}\right]=\left[\mathrm{L}^{1}\right]^{x}\left[\mathrm{~L}^{1} \mathrm{~T}^{-2}\right]^{y}\left[\mathrm{M}^{1}\right]^{z} $$

$=\mathrm{L}^{x+y} \mathrm{~T}^{-2 y} \mathrm{M}^{z}$

दोनों ओर की विमाएँ समीकृत करने पर

$x+y=0 ;-2 y=1 ;$ एवं $z=0$

अत: $x=\frac{1}{2}, y=-\frac{1}{2}, z=0$

$\therefore T=k 1^{1 / 2} g^{-1 / 2}$

या $\mathrm{T}=k \sqrt{\frac{l}{g}}$

ध्यान दीजिए, यहाँ स्थिरांक $\mathrm{k}$ का मान विमीय विधि से ज्ञात नहीं किया जा सकता है। यहाँ इसका कोई अर्थ नहीं है कि सूत्र के दक्षिण पक्ष को किसी संख्या से गुणा किया गया है, क्योंकि ऐसा करने से विमाएँ प्रभावित नहीं होतीं।

वास्तव में, $k=2 \pi$, अतः $\mathrm{T}=2 \pi \sqrt{\frac{l}{g}}$

परस्पर संबंधित राशियों के बीच संबंध व्युत्पन्न करने के लिए विमीय विश्लेषण काफी उपयोगी है। तथापि विमाहीन स्थिरांकों के मान इस विधि द्वारा ज्ञात नहीं किए जा सकते। विमीय विधि द्वारा किसी समीकरण की केवल विमीय वैधता ही जांची जा सकती है, किसी समीकरण में विभिन्न भौतिक राशियों के बीच यथार्थ संबंध नहीं जांचे जा सकते। यह समान विमा वाली राशियों में विभेद नहीं कर सकती।

इस अध्याय के अंत में दिए गए कई अभ्यास प्रश्न, आपकी विमीय विश्लेषण की कुशलता विकसित करने में सहायक होंगे।

सारांश

1. भौतिक विज्ञान भौतिक राशियों के मापन पर आधारित एक परिमाणात्मक विज्ञान है । कुछ भौतिक राशियां जैसे लंबाई, द्रव्यमान, समय, विद्युत धारा, ऊष्मागतिक ताप, पदार्थ की मात्रा और ज्योति-तीव्रता, मूल राशियों के रूप में चुनी गई हैं।

2. प्रत्येक मूल राशि किसी मूल मात्रक (जैसे मीटर, किलोग्राम, सेकंड, ऐम्पियर, केल्विन, मोल और कैंडेला) के पद में परिभाषित है । मूल मात्रक स्वेच्छा से चयनित परंतु समुचित रूप से मानकीकृत निर्देश मानक होते हैं । मूल राशियों के मात्रकों को मूल मात्रक कहते हैं।

3. मूल राशियों से व्युत्पन्न अन्य भौतिक राशियों को मूल मात्रकों के संयोजन के रूप में व्यक्त कर सकते हैं, जिन्हें व्युत्पन्न मात्रक कहते हैं । मूल और व्युत्पन्न दोनों मात्रकों के पूर्ण समुच्चय को, मात्रक प्रणाली कहते हैं ।

4. सात मूल मात्रकों पर आधारित मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली (SI) वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत प्रणाली है । यह प्रणाली समस्त संसार में व्यापक रूप से प्रयोग में लाई जाती है ।

5. मूल राशियों और व्युत्पन्न राशियों से प्राप्त सभी भौतिक मापों में SI मात्रकों का प्रयोग किया जाता है। कुछ व्युत्पन्न मात्रकों को SI मात्रकों में विशेष नामों (जैसे जूल, न्यूटन, वाट आदि) से व्यक्त किया जाता है ।

6. $\mathrm{SI}$ मात्रकों के सुपरिभाषित एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत मात्रक प्रतीक हैं (जैसे मीटर के लिए $\mathrm{m}$, किलोग्राम के लिए $\mathrm{kg}$, सेकंड के लिए $\mathrm{s}$, ऐम्पियर के लिए $\mathrm{A}$, न्यूटन के लिए $\mathrm{N}$, इत्यादि)।

7. प्राय: छोटी एवं बड़ी राशियों की भौतिक मापों को वैज्ञानिक संकेत में 10 की घातों में व्यक्त किया जाता है। माप संकेतों तथा आंकिक अभिकलनों की सरलता हेतु संख्याओं की परिशुद्धता का संकेत करते हुए वैज्ञानिक संकेत एवं पूर्वलग्नों का प्रयोग किया जाता है ।

8. भौतिक राशियों के संकेतन और SI मात्रकों के प्रतीकों, कुछ अन्य मात्रकों, भौतिक राशियों और मापों को उचित रूप से व्यक्त करने हेतु पूर्वलग्न के लिए कुछ सामान्य नियमों और निर्देशों का पालन करना चाहिए ।

9. किसी भी भौतिक राशि के अभिकलन में उसके मात्रक की प्राप्ति हेतु संबंध (संबंधों) में सम्मिलित व्युत्पन्न राशियों के मात्रकों को वांछित मात्रकों की प्राप्ति तक बीजगणितीय राशियों की भांति समझना चाहिए ।

10. मापित एवं अभिकलित राशियों में केवल उचित सार्थक अंकों को ही रखा रहने देना चाहिए। किसी भी संख्या में सार्थक अंकों की संख्या का निर्धारण, उनके साथ अंकीय संक्रियाओं को करने और अनिश्चित अंकों का निकटन करने में इनके लिए बनाए गए नियमों का पालन करना चाहिए ।

11. मूल राशियों की विमाओं और इन विमाओं का संयोजन भौतिक राशियों की प्रकृति का वर्णन करता है । समीकरणों की विमीय संगति की जांच और भौतिक राशियों में संबंध व्युत्पन्न करने में विमीय विश्लेषण का प्रयोग किया जा सकता है। कोई विमीय संगत समीकरण वास्तव में सही हो, यह आवश्यक नहीं है परंतु विमीय रूप से गलत या असंगत समीकरण गलत ही होगी ।

अभ्यास

टिप्पणी : संख्यात्मक उत्तरों को लिखते समय, सार्थक अंकों का ध्यान रखिये।

1.1 रिक्त स्थान भरिए

(a) किसी $1 \mathrm{~cm}$ भुजा वाले घन का आयतन………. $\mathrm{m}^{3}$ के बराबर है ।

(b) किसी $2 \mathrm{~cm}$ त्रिज्या व $10 \mathrm{~cm}$ ऊंचाई वाले सिलिंडर का पृष्ठ क्षेत्रफल………(mm) ${ }^{2}$ के बराबर है।

(c) कोई गाड़ी $18 \mathrm{~km} / \mathrm{h}$ की चाल से चल रही है तो यह $1 \mathrm{~s}$ में……… $\mathrm{m}$ चलती है ।

(d) सीसे का आपेक्षिक घनत्व 11.3 है । इसका घनत्व…….. $\mathrm{g} \mathrm{cm}^{-3}$ या…….. $\mathrm{kg} \mathrm{m}^{-3}$ है ।

Show Answer /#missing

1.2 रिक्त स्थानों को मात्रकों के उचित परिर्वतन द्वारा भरिए

(a) $1 \mathrm{~kg} \mathrm{~m}^{2} \mathrm{~s}^{-2}=$ $\mathrm{g} \mathrm{cm}^{2} \mathrm{~s}^{-2}$

(b) $1 \mathrm{~m}=$. ly

(c) $3.0 \mathrm{~m} \mathrm{~s}^{-2}=\ldots \ldots \ldots \ldots \ldots \ldots \ldots \ldots \ldots \ldots \mathrm{km} \mathrm{h}^{-2}$

(d) $G=6.67 \quad 10^{-11} \mathrm{Nm}^{2}(\mathrm{~kg})^{-2}=$ $(\mathrm{cm})^{3} \mathrm{~s}^{-2} \mathrm{~g}^{-1}$

Show Answer /#missing

1.3 ऊष्मा (परागमन में ऊर्जा) का मात्रक कैलोरी है और यह लगभग $4.2 \mathrm{~J}$ के बराबर है, जहां $1 \mathrm{~J}=1 \mathrm{~kg} \mathrm{~m}^{2} \mathrm{~s}^{-2}$ । मान लीजिए कि हम मात्रकों की कोई ऐसी प्रणाली उपयोग करते हैं जिससे द्रव्यमान का मात्रक $\alpha \mathrm{kg}$ के बराबर है, लंबाई का मात्रक $\beta \mathrm{m}$ के बराबर है, समय का मात्रक $\gamma \mathrm{s}$ के बराबर है । यह प्रदर्शित कीजिए कि नए मात्रकों के पदों में कैलोरी का परिमाण $4.2 \alpha^{-1} \beta^{-2} \gamma^{2}$ है ।

Show Answer /#missing

1.4 इस कथन की स्पष्ट व्याख्या कीजिए : तुलना के मानक का विशेष उल्लेख किए बिना “किसी विमीय राशि को ‘बड़ा’ या ‘छोटा’ कहना अर्थहीन है” । इसे ध्यान में रखते हुए नीचे दिए गए कथनों को जहां कहीं भी आवश्यक हो, दूसरे शब्दों में व्यक्त कीजिए :

(a) परमाणु बहुत छोटे पिण्ड होते हैं ।

(b) जेट वायुयान अत्यधिक गति से चलता है ।

(c) बृहस्पति का द्रव्यमान बहुत ही अधिक है ।

(d) इस कमरे के अंदर वायु में अणुओं की संख्या बहुत अधिक है ।

(e) इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन से बहुत भारी होता है ।

(f) ध्वनि की गति प्रकाश की गति से बहुत ही कम होती है ।

Show Answer /#missing

1.5 लंबाई का कोई ऐसा नया मात्रक चुना गया है जिसके अनुसार निर्वात में प्रकाश की चाल 1 है। लम्बाई के नए मात्रक के पदों में सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी कितनी है, प्रकाश इस दूरी को तय करने में8 $\mathrm{min}$ और $20 \mathrm{~s}$ लगाता है ।

Show Answer /#missing

1.6 लंबाई मापने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा सबसे परिशुद्ध यंत्र है :

(a) एक वर्नियर केलिपर्स जिसके वर्नियर पैमाने पर 20 विभाजन हैं ।

(b) एक स्क्रूगेज जिसका चूड़ी अंतराल $1 \mathrm{~mm}$ और वृत्तीय पैमाने पर 100 विभाजन हैं ।

(c) कोई प्रकाशिक यंत्र जो प्रकाश की तरंगदैर्घ्य की सीमा के अंदर लंबाई माप सकता है ।

Show Answer /#missing

1.7 कोई छात्र 100 आवर्धन के एक सूक्ष्मदर्शी के द्वारा देखकर मनुष्य के बाल की मोटाई मापता है। वह 20 बार प्रेक्षण करता है और उसे ज्ञात होता है कि सूक्ष्मदर्शी के दृश्य क्षेत्र में बाल की औसत मोटाई $3.5 \mathrm{~mm}$ है । बाल की मोटाई का अनुमान क्या है?

Show Answer /#missing

1.8 निम्नलिखित के उत्तर दीजिए :

(a) आपको एक धागा और मीटर पैमाना दिया जाता है । आप धागे के व्यास का अनुमान किस प्रकार लगाएंगे ?

(b) एक स्क्रूगेज का चूड़ी अंतराल $1.0 \mathrm{~mm}$ है और उसके वृत्तीय पैमाने पर 200 विभाजन हैं । क्या आप यह सोचते हैं कि वृत्तीय पैमाने पर विभाजनों की संख्या स्वेच्छा से बढ़ा देने पर स्क्रूगेज की यथार्थता में वृद्धि करना संभव है ?

(c) वर्नियर केलिपर्स द्वारा पीतल की किसी पतली छड़ का माध्य व्यास मापा जाना है । केवल 5 मापनों के समुच्चय की तुलना में व्यास के 100 मापनों के समुच्चय के द्वारा अधिक विश्वसनीय अनुमान प्राप्त होने की संभावना क्यों है ?

Show Answer /#missing

1.9 किसी मकान का फोटोग्राफ $35 \mathrm{~mm}$ स्लाइड पर $1.75 \mathrm{~cm}^{2}$ क्षेत्र घेरता है । स्लाइड को किसी स्क्रीन पर प्रक्षेपित किया जाता है और स्क्रीन पर मकान का क्षेत्रफल $1.55 \mathrm{~m}^{2}$ है । प्रक्षेपित्र-परदा व्यवस्था का रेखीय आवर्धन क्या है ?

Show Answer /#missing

1.10 निम्नलिखित में सार्थक अंकों की संख्या लिखिए :

(a) $0.007 \mathrm{~m}^{2}$

(b) 2.64 $10^{24} \mathrm{~kg}$

(c) $0.2370 \mathrm{~g} \mathrm{~cm}^{-3}$

(d) $6.320 \mathrm{~J}$

(e) $6.032 \mathrm{~N} \mathrm{~m}^{-2}$

(f) $0.0006032 \mathrm{~m}^{2}$

Show Answer /#missing

1.11 धातु की किसी आयताकार शीट की लंबाई, चौड़ाई व मोटाई क्रमशः $4.234 \mathrm{~m}, 1.005 \mathrm{~m}$ व $2.01 \mathrm{~cm}$ है । उचित सार्थक अंकों तक इस शीट का क्षेत्रफल व आयतन ज्ञात कीजिए ।

Show Answer /#missing

1.12 पंसारी की तुला द्वारा मापे गए डिब्बे का द्रव्यमान $2.30 \mathrm{~kg}$ है । सोने के दो टुकड़े जिनका द्रव्यमान $20.15 \mathrm{~g}$ व $20.17 \mathrm{~g}$ है, डिब्बे में रखे जाते हैं । (a) डिब्बे का कुल द्रव्यमान कितना है, (b) उचित सार्थक अंकों तक टुकड़ों के द्रव्यमानों में कितना अंतर है ?

Show Answer /#missing

1.13 भौतिकी का एक प्रसिद्ध संबंध किसी कण के ‘चल द्रव्यमान (moving mass)’ $\mathrm{m}$, ‘विराम द्रव्यमान (rest mass) ’ $m _{0}$, इसकी चाल $v$, और प्रकाश की चाल $c$ के बीच है । (यह संबंध सबसे पहले अल्बर्ट आइंस्टाइन के विशेष आपेक्षिकता के सिद्धांत के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ था।) कोई छात्र इस संबंध को लगभग सही याद करता है लेकिन स्थिरांक $c$ को लगाना भूल जाता है । वह लिखता है :

$m=\frac{m _{0}}{\left(1-v^{2}\right)^{1 / 2}}$

अनुमान लगाइए कि $c$ कहां लगेगा ।

Show Answer /#missing

1.14 परमाण्विक पैमाने पर लंबाई का सुविधाजनक मात्रक एंगस्ट्रम है और इसे $Å: 1 Å=10^{-10} \mathrm{~m}$ द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है । हाइड्रोजन के परमाणु का आमाप लगभग $0.5 $Å है । हाइड्रोजन परमाणुओं के एक मोल का $\mathrm{m}^{3}$ में कुल आण्विक आयतन कितना होगा?

Show Answer /#missing

1.15 किसी आदर्श गैस का एक मोल (ग्राम अणुक) मानक ताप व दाब पर $22.4 \mathrm{~L}$ आयतन (ग्राम अणुक आयतन) घेरता है । हाइड्रोजन के ग्राम अणुक आयतन तथा उसके एक मोल के परमाण्विक आयतन का अनुपात क्या है? (हाइड्रोजन के अणु की आमाप लगभग 1 Å मानिए) । यह अनुपात इतना अधिक क्यों है?

Show Answer /#missing

1.16 इस सामान्य प्रेक्षण की स्पष्ट व्याख्या कीजिए : यदि आप तीव्र गति से गतिमान किसी रेलगाड़ी की खिड़की से बाहर देखें तो समीप के पेड़, मकान आदि रेलगाड़ी की गति की विपरीत दिशा में तेजी से गति करते प्रतीत होते हैं, परन्तु दूरस्थ पिण्ड (पहाड़ियां, चंद्रमा, तारे आदि) स्थिर प्रतीत होते हैं । (वास्तव में, क्योंकि आपको ज्ञात है कि आप चल रहे हैं, इसलिए, ये दूरस्थ वस्तुएं आपको अपने साथ चलती हुई प्रतीत होती हैं)।

Show Answer /#missing

1.17 सूर्य एक ऊष्म प्लैज़्मा (आयनीकृत पदार्थ) है जिसके आंतरिक क्रोड का ताप $10^{7} \mathrm{~K}$ से अधिक और बाह्य पृष्ठ का ताप लगभग $6000 \mathrm{~K}$ है । इतने अधिक ताप पर कोई भी पदार्थ ठोस या तरल प्रावस्था में नहीं रह सकता। आपको सूर्य का द्रव्यमान घनत्व किस परिसर में होने की आशा है ? क्या यह ठोसों, तरलों या गैसों के घनत्वों के परिसर में है ? क्या आपका अनुमान सही है, इसकी जांच आप निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर कर सकते हैं : सूर्य का द्रव्यमान $=2.0 \times 10^{30}$ $\mathrm{kg}$; सूर्य की त्रिज्या $=7.0 \times 10^{8} \mathrm{~m}$ ।

Show Answer /#missing


विषयसूची