He who seeks for methods without having a definite problem in mind seeks for the most part in vain - D. HILBERT
9.1 भूमिका (Introduction )
कक्षा XI एवं इस पुस्तक के अध्याय 5 में हमने चर्चा की थी, कि एक स्वतंत्र चर के सापेक्ष किसी फलन
किसी दिए हुए फलन
Henri Poincare
(1854-1912)
समीकरण (1) के रूप वाले समीकरण को अवकल समीकरण कहते हैं। इसकी औपचारिक परिभाषा बाद में दी जाएगी।
अवकल समीकरणों का उपयोग मुख्य रूप से भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, मानव विज्ञान, भूविज्ञान, अर्थशास्त्र आदि विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। अतः सभी अत्याधुनिक वैज्ञानिक अन्वेषणों के लिए अवकल समीकरणों के गहन अध्ययन की अत्यंत आवश्यकता है। इस अध्याय में, हम अवकल समीकरण की कुछ आधारभूत संकल्पनाओं, अवकल समीकरण के व्यापक एवं विशिष्ट हल, अवकल समीकरण का निर्माण, प्रथम कोटि एवं प्रथम घात के अवकल समीकरण को हल करने की कुछ विधियाँ और विभिन्न क्षेत्रों में अवकल समीकरणों के कुछ उपयोगों के बारे में अध्ययन करेंगे।
9.2 आधारभूत संकल्पनाएँ (Basic Concepts)
हम पहले से ही निम्नलिखित प्रकार के समीकरणों से परिचित हैं
आइए निम्नलिखित समीकरण पर विचार करें
हम पाते हैं कि समीकरणों (1), (2) एवं (3) में केवल स्वतंत्र और/अथवा आश्रित चर (एक या अधिक) शामिल हैं जब कि समीकरण (4) में चर के साथ-साथ स्वतंत्र चर
सामान्यतः एक ऐसा समीकरण, जिसमें स्वतंत्र चर (चरों) के सापेक्ष आश्रित चर के अवकलज सम्मिलित हों, अवकल समीकरण कहलाता है।
एक ऐसा अवकल समीकरण, जिसमें केवल एक स्वतंत्र चर के सापेक्ष, आश्रित चर के अवकलज सम्मिलित हों, सामान्य अवकल समीकरण कहलाता है। उदाहरणतया
एक सामान्य अवकल समीकरण है।
निःसन्देह ऐसे भी अवकल समीकरण होते हैं जिनमें एक से अधिक स्वतंत्र चरों के सापेक्ष अवकलज शामिल होते हैं, इस प्रकार के अवकल समीकरण आंशिक अवकल समीकरण कहलाते हैं। लेकिन इस स्तर पर हम अपने आप को केवल सामान्य अवकल समीकरणों के अध्ययन तक सीमित रखेंगे। इससे आगे हम सामान्य अवकल समीकरण के लिए अवकल समीकरण शब्द का ही उपयोग करेंगे।
ए टिप्पणी
1. हम अवकलजों के लिए निम्नलिखित संकेतों के उपयोग को वरीयता देंगे
2. उच्च कोटि वाले अवकलजों के लिए, इतने अधिक डैशों (dashes) को उच्च प्रत्यय के रूप में प्रयुक्त करना असुविधाजनक होगा इसलिए
9.2.1 अवकल समीकरण की कोटि (Order of a differential equation)
किसी अवकल समीकरण की कोटि उस अवकल समीकरण में सम्मिलित स्वतंत्र चर के सापेक्ष आश्रित चर के उच्चतम कोटि के अवकलज की कोटि द्वारा परिभाषित होती है।
निम्नलिखित अवकल समीकरणों पर विचार कीजिए:
समीकरण (6), (7) एवं (8) में क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय कोटि के उच्चतम अवकलज उपस्थित हैं इसलिए इन समीकरणों की कोटि क्रमशः 1,2 एवं 3 है।
9.2.2 अवकल समीकरण की घात (Degree of a differential equation)
किसी अवकल समीकरण की घात का अध्ययन करने के लिए मुख्य बिंदु यह है कि वह अवकल समीकरण, अवकलजों
हम प्रेक्षित करते हैं कि समीकरण (9)
यदि एक अवकल समीकरण अवकलजों का बहुपद समीकरण है तो उस अवकल समीकरण की घात से हमारा तात्पर्य है उस अवकल समीकरण में उपस्थित उच्चतम कोटि के अवकलज की उच्चतम घात (धनात्मक पूर्णांक)
उपरोक्त परिभाषा के संदर्भ में हम प्रेक्षित कर सकते हैं कि समीकरणों (6), (7), (8) एवं (9) में से प्रत्येक की घात 1 है, समीकरण (10) की घात 2 है जब कि अवकल समीकरण (11) की घात परिभाषित नहीं है।
टिप्पणी किसी अवकल समीकरण की कोटि एवं घात (यदि परिभाषित हो) हमेशा धनात्मक पूर्णांक होते हैं।
प्रश्नावली 9.1
1 से 10 तक के प्रश्नों में प्रत्येक अवकल समीकरण की कोटि एवं घात (यदि परिभाषित हो) ज्ञात कीजिए।
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11. अवकल समीकरण
(A) 3
(B) 2
(C) 1
(D) परिभाषित नहीं है
12. अवकल समीकरण
(A) 2
(B) 1
(C) 0
(D) परिभाषित नहीं है
9.3. अवकल समीकरण का व्यापक एवं विशिष्ट हल (General and Particular Solutions of a Differential Equation)
पिछली कक्षाओं में हमने निम्नलिखित प्रकार के समीकरणों को हल किया है:
समीकरणों (1) तथा (2) का हल एक ऐसी वास्तविक अथवा सम्मिश्र संख्या है जो दिए हुए समीकरण को संतुष्ट करती है अर्थात् जब इस संख्या को समीकरण में अज्ञात
अब अवकल समीकरण
पर विचार करते हैं।
प्रथम दो समीकरणों के विपरीत इस अवकल समीकरण का हल एक ऐसा फलन
वक्र
जहाँ
मान लीजिए कि
यदि इस फलन और इसके अवकलजों को समीकरण (3) में प्रतिस्थापित कर दिया जाए तो पुन: बायाँ पक्ष और दायाँ पक्ष बराबर हो जाते हैं। इसलिए
फलन
ऐसा हल, जिसमें स्वेच्छ अचर उपस्थित हो अवकल समीकरण का व्यापक हल कहलाता है। ऐसा हल, जो स्वेच्छ अचरों से मुक्त है अर्थात् व्यापक हल में स्वेच्छ अचरों को विशिष्ट मान देने पर प्राप्त हल, अवकल समीकरण का विशिष्ट हल कहलाता है।
प्रश्नावली 9.2
1 से 10 तक प्रत्येक प्रश्न में सत्यापित कीजिए कि दिया हुआ फलन (स्पष्ट अथवा अस्पष्ट) संगत अवकल समीकरण का हल है:
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11. चार कोटि वाले किसी अवकल समीकरण के व्यापक हल में उपस्थित स्वेच्छ अचरों की संख्या है:
(A) 0
(B) 2
(C) 3
(D) 4
12. तीन कोटि वाले किसी अवकल समीकरण के विशिष्ट हल में उपस्थित स्वेच्छ अचरों की संख्या है:
(A) 3
(B) 2
(C) 1
(D) 0
9.4. प्रथम कोटि एवं प्रथम घात के अवकल समीकरणों को हल करने की विधियाँ (Methods of Solving First order, First Degree Differential Equations)
इस परिच्छेद में हम प्रथम कोटि एवं प्रथम घात के अवकल समीकरणों को हल करने की तीन विधियों की चर्चा करेंगे।
9.4.1 पृथक्करणीय चर वाले अवकल समीकरण (Differential equations with variables separable)
प्रथम कोटि एवं प्रथम घात का अवकल समीकरण निम्नलिखित रूप का होता है:
यदि
यदि
के रूप में लिखा जा सकता है। समीकरण (3) के दोनों पक्षों का समाकलन करने पर हम प्राप्त करते हैं:
इस प्रकार समीकरण (4), दिए हुए अवकल समीकरण का हल निम्नलिखित रूप में प्रदान करता है:
यहाँ
प्रश्नावली 9.3
1 से 10 तक के प्रश्नों में, प्रत्येक अवकल समीकरण का व्यापक हल ज्ञात कीजिए।
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
11 से 14 तक के प्रश्नों में, प्रत्येक अवकल समीकरण के लिए दिए हुए प्रतिबंध को संतुष्ट करने वाला विशिष्ट हल ज्ञात कीजिए।
11.
12.
13.
14.
15. बिंदु
16. अवकल समीकरण
17. बिंदु
18. एक वक्र के किसी बिंदु
19. एक गोलाकार गुब्बारे का आयतन, जिसे हवा भरकर फुलाया जा रहा है, स्थिर गति से बदल रहा है यदि आरंभ में इस गुब्बारे की त्रिज्या 3 ईकाई है और 3 सेकेंड बाद 6 ईकाई है, तो
20. किसी बैंक में मूलधन की वृद्धि
21. किसी बैंक में मूलधन की वृद्धि
22. किसी जीवाणु समूह में जीवाणुओं की संख्या
23. अवकल समीकरण
9.4.2 समघातीय अवकल समीकरण (Homogenous differential equations)
यदि उपरोक्त फलनों में
यहाँ हम प्रेक्षित करते हैं कि फलनों
फलन
हम नोट करते हैं कि उपरोक्त उदाहरणों में
अथवा
अथवा
इसलिए एक फलन
के रूप वाले समघातीय अवकल समीकरण को हल करने के लिए हम
प्रतिस्थापित करते हैं
समीकरण (2) का
समीकरण (3) से
अर्थात्
समीकरण (4) में चरों को पृथक् करने पर हम प्राप्त करते हैं :
समीकरण (5) के दोनों पक्षों का समाकलन करने पर हमें प्राप्त होता है:
यदि
2 टिप्पणी यदि समघातीय अवकल समीकरण
प्रश्नावली 9.4
1 से 10 तक के प्रत्येक प्रश्न में दर्शाइए कि दिया हुआ अवकल समीकरण समघातीय है और इनमें से प्रत्येक को हल कीजिए:
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11 से 15 तक के प्रश्नों में प्रत्येक अवकल समीकरण के लिए दिए हुए प्रतिबंध को संतुष्ट करने वाला विशिष्ट हल ज्ञात कीजिए।
11.
12.
13.
14.
15.
16.
(A)
(B)
(C)
(D)
17. निम्नलिखित में से कौन सा समघातीय अवकल समीकरण है?
(A)
(B)
(C)
(D)
9.4.3 रैखिक अवकल समीकरण (Linear differential equations)
के रूप वाला अवकल समीकरण, जिसमें
प्रथम कोटि के रैखिक अवकल समीकरण का दूसरा रूप सेकेंड
प्रथम कोटि के रैखिक अवकल समीकरण
को हल करने के लिए समीकरण के दोनों पक्षों को
अर्थात्
अथवा
अथवा
दोनों पक्षों का
अथवा
अथवा
समीकरण (1) को
समीकरण (2) में
अथवा
दोनों पक्षों का
यह अवकल समीकरण का व्यापक हल है।
प्रथम कोटि के रैखिक अवकल समीकरण को हल करने के लिए सम्मिलित चरण:
(i) दिए हुए अवकल समीकरण को
(ii) समाकलन गुणक (I.F.)
(iii) दिए हुए अवकल समीकरण का हल निम्नलिखित रूप में लिखिए:
यदि प्रथम कोटि का रैखिक अवकल समीकरण
प्रश्नावली 9.5
1 से 12 तक के प्रश्नों में, प्रत्येक अवकल समीकरण का व्यापक हल ज्ञात कीजिए:
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
11.
12.
13 से 15 तक के प्रश्नों में प्रत्येक अवकल समीकरण के लिए दिए हुए प्रतिबंध को संतुष्ट करने वाला विशिष्ट हल ज्ञात कीजिए:
13.
14.
15.
16. मूल बिंदु से गुज़रने वाले एक वक्र का समीकरण ज्ञात कीजिए यदि इस वक्र के किसी बिंदु
17. बिंदु
18. अवकल समीकरण
(A)
(B)
(C)
(D)
19. अवकल समीकरण
(A)
(B)
(C)
(D)
अध्याय 9 पर विविध प्रश्नावली
1. निम्नलिखित अवकल समीकरणों में से प्रत्येक की कोटि एवं घात (यदि परिभाषित हो) ज्ञात कीजिए।
(i)
2. निम्नलिखित प्रश्नों में प्रत्येक के लिए सत्यापित कीजिए कि दिया हुआ फलन (अस्पष्ट अथवा स्पष्ट) संगत अवकल समीकरण का हल है।
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
3. सिद्ध कीजिए कि
4. अवकल समीकरण
5. दर्शाइए कि अवकल समीकरण
6. बिंदु
7. अवकल समीकरण
8. अवकल समीकरण
9. अवकल समीकरण
10. अवकल समीकरण
11. अवकल समीकरण
12. अवकल समीकरण
13. अवकल समीकरण
14.
(A)
(B)
(C)
(D)
15. अवकल समीकरण
(A)
(B)
(C)
(D)
सारांश
-
एक ऐसा समीकरण जिसमें स्वतंत्र चर (चरों) के सापेक्ष आश्रित चर के अवकलज (अवकलजों) सम्मिलित हों, अवकल समीकरण कहलाता है।
-
किसी अवकल समीकरण में सम्मिलित उच्चतम अवकलज की कोटि, उस अवकल समीकरण की कोटि कहलाती है।
यदि कोई अवकल समीकरण अवकलजों में बहुपद समीकरण हैं तो उस अवकल समीकरण की घात परिभाषित होती है।
किसी अवकल समीकरण की घात (यदि परिभाषित हो) उस अवकल समीकरण में सम्मिलित उच्चतम कोटि अवकलज की उच्चतम घात (केवल धनात्मक पूर्णांक) होती है।
एक दिए हुए अवकल समीकरण को संतुष्ट करने वाला फलन उस अवकल समीकरण का हल कहलाता है। एक ऐसा हल जिसमें उतने ही स्वेच्छ अचर हों, जितनी उस अवकल समीकरण की कोटि है, व्यापक हल कहलाता है और स्वेच्छ अचरों से मुक्त हल विशिष्ट हल कहलाता है।
एक ऐसा अवकल समीकरण, जिसको
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
अवकल समीकरण विज्ञान की प्रमुख भाषाओं में से एक है। रोचक तथ्य यह है कि अवकल समीकरणों का अस्तित्व नवंबर 11, 1675 Gottfried Wilthelm Freiherr Leibnitz (1646-1716) ने सर्वप्रथम सर्वसमिका,
उनसे दोनों प्रतीकों
प्रारंभ में केवल समीकरणों के ‘हल’ करने की प्रविधि को अवकल समीकरणों के ‘समाकलन’ के रूप में निर्दिश्ट किया गया था। यह शब्द सन् 1690 में प्रथमतः James Bernoulli, (1654-1705) द्वारा प्रचलन में लाया गया। शब्द ‘हल’ का सर्वप्रथम प्रयोग Joseph Louis Lagrange (1736-1813), द्वारा सन् 1774 में किया गया। यह घटना अवकल समीकरणों के जन्म से लगभग 100 वर्षों बाद घटित हुई। ये Jules Henri Poincare (1854-1912), थे, जिन्होंने शब्द ‘हल’ के प्रयोग के लिए अकाट्य तर्क प्रस्तुत किया, फलतः आधुनिक शब्दावली में शब्द हल को अपना उचित स्थान प्राप्त हुआ। ‘चरों के पृथ्क्करणीय विधि का नामकरण John Bernoulli (1667-1748), James Bernoulli के अनुज द्वारा किया गया। मई 20,1715 को Leibnitz को लिखे अपने पत्र में, उन्होने निम्नलिखित अवकल समीकरण के हल की खोज किए
के हल तीन प्रकार की वक्रों नामतः परवलय, अतिपरवलय और घनीय वक्रों के एक समूह का मार्गदर्शन कराते हैं। यह दर्शाता है कि ऐसे सरल दिखाई पड़ने वाले अवकल समीकरणों के हल कैसे नाना रूप धारण करते हैं। 20 वीं शताब्दी के उतरार्ध में ‘अवकल समीकरणों के गुणात्मक विश्लेषण’ शीर्षक के अंतर्गत अवकल समीकरणों के हलों की जटिल प्रकृति के आविष्कार हेतु ध्यान आकर्षित किया गया। आजकल इसने लगभग सभी अविष्कारों हेतु अत्यंत प्रविधि के रूप में प्रमुख स्थान प्राप्त कर लिया है।