Just as a mountaineer climbs a mountain - because it is there, so a good mathematics student studies new material because it is there. - JAMES B. BRISTOL

7.1 भूमिका (Introduction)

अवकल गणित अवकलज की संकल्पना पर केंद्रित है। फलनों के आलेखों के लिए स्पर्श रेखाएँ परिभाषित करने की समस्या एवं इस प्रकार की रेखाओं की प्रवणता का परिकलन करना अवकलज के लिए मूल अभिप्रेरण था। समाकलन गणित, फलनों के आलेख से घिरे क्षेत्र के क्षेत्रफल को परिभाषित करने एवं इसके क्षेत्रफल का परिकलन करने की समस्या से प्रेरित है।

यदि एक फलन f किसी अंतराल I में अवकलनीय है अर्थात् I के प्रत्येक बिंदु पर फलन के अवकलज f का अस्तित्व है, तब एक स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि यदि I के प्रत्येक बिंदु पर f दिया हुआ है तो क्या हम फलन f ज्ञात कर सकते हैं? वे सभी फलन जिनसे हमें एक फलन उनके अवकलज के रूप में प्राप्त हुआ है, इस फलन के प्रतिअवकलज (पूर्वग) कहलाते हैं। अग्रतः वह सूत्र जिससे

G.W. Leibnitz (1646-1716)

ये सभी प्रतिअवकलज प्राप्त होते हैं, फलन का अनिश्चित समाकलन कहलाता है और प्रतिअवकलज ज्ञात करने का यह प्रक्रम समाकलन करना कहलाता है। इस प्रकार की समस्याएँ अनेक व्यावहारिक परिस्थितियों में आती हैं। उदाहरणतः यदि हमें किसी क्षण पर किसी वस्तु का तात्क्षणिक वेग ज्ञात है, तो स्वाभाविक प्रश्न यह उठता है कि क्या हम किसी क्षण पर उस वस्तु की स्थिति ज्ञात कर सकते हैं? इस प्रकार की अनेक व्यावहारिक एवं सैद्धांतिक परिस्थितियाँ आती हैं, जहाँ समाकलन की संक्रिया निहित होती है। समाकलन गणित का विकास निम्नलिखित प्रकार की समस्याओं के हल करने के प्रयासों का प्रतिफल है।

(a) यदि एक फलन का अवकलज ज्ञात हो, तो उस फलन को ज्ञात करने की समस्या,

(b) निश्चित प्रतिबंधों के अंतर्गत फलन के आलेख से घिरे क्षेत्र का क्षेत्रफल ज्ञात करने की समस्या।

उपर्युक्त दोनो समस्याएँ समाकलनों के दो रूपों की ओर प्रेरित करती हैं, अनिश्चित समाकलन एवं निश्चित समाकलन। इन दोनों का सम्मिलित रूप समाकलन गणित कहलाता है।

अनिश्चित समाकलन एवं निश्चित समाकलन के मध्य एक संबंध है जिसे कलन की आधारभूत प्रमेय के रूप में जाना जाता है। यह प्रमेय निश्चित समाकलन को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के लिए एक व्यावहारिक औज़ार के रूप में तैयार करती है। अर्थशास्त्र, वित्त एवं प्रायिकता जैसे विभिन्न क्षेत्रों से अनेक प्रकार की रुचिकर समस्याओं को हल करने के लिए भी निश्चित समाकलन का उपयोग किया जाता है।

इस अध्याय में, हम अपने आपको अनिश्चित एवं निश्चित समाकलनों एवं समाकलन की कुछ विधियों सहित उनके प्रारंभिक गुणधर्मों के अध्ययन तक सीमित रखेंगे।

7.2 समाकलन को अवकलन के व्युत्क्रम प्रक्रम के रूप में (Integration as the Inverse Process of Differentiation )

अवकलन के व्युत्क्रम प्रक्रम को समाकलन कहते हैं। किसी फलन का अवकलन ज्ञात करने के स्थान पर हमें फलन का अवकलज दिया हुआ है और इसका पूर्वग अर्थात् वास्तविक फलन ज्ञात करने के लिए कहा गया है। यह प्रक्रम समाकलन अथवा प्रति-अवकलन कहलाता है। आइए निम्नलिखित उदाहरणों पर विचार करें,

हम जानते हैं कि

(1)ddx(sinx)=cosx

(2)ddx(x33)=x2

और

(3)ddx(ex)=ex

हम प्रेक्षित करते हैं कि समीकरण (1) में फलन cosx फलन sinx का अवकलज है। इसे हम इस प्रकार भी कहते हैं कि cosx का प्रतिअवकलज (अथवा समाकलन) sinx है। इसी प्रकार (2) एवं (3) से x2 और ex के प्रतिअवकलज (अथवा समाकलन) क्रमशः x33 और ex है। पुनः हम नोट करते हैं कि किसी भी वास्तविक संख्या C, जिसे अचर फलन माना जाता है, का अवकलज शून्य है, और इसलिए हम (1), (2) और (3) को निम्नलिखित रूप में लिख सकते हैं:

ddx(sinx+C)=cosx,ddx(x33+C)=x2 और ddx(ex+C)=ex

इस प्रकार हम देखते हैं कि उपर्युक्त फलनों के प्रतिअवकलज अथवा समाकलन अद्धितीय नहीं हैं। वस्तुतः इन फलनों में से प्रत्येक फलन के अपरिमित प्रतिअवकलज हैं, जिन्हें हम वास्तविक

संख्याओं के समुच्चय से स्वेच्छ अचर C को कोई मान प्रदान करके प्राप्त कर सकते हैं। यही कारण है कि C को प्रथानुसार स्वेच्छ अचर कहते हैं। वस्तुतः C एक प्राचल है, जिसके मान को परिवर्तित करके हम दिए हुए फलन के विभिन्न प्रतिअवकलजों या समाकलनों को प्राप्त करते हैं। व्यापकतः यदि एक फलन F ऐसा है कि ddx F(x)=f(x),xI (वास्तविक संख्याओं का अंतराल) तो प्रत्येक स्वेच्छ अचर C, के लिए ddx[ F(x)+C]=f(x),xI

इस प्रकार {F+C,CR},f के प्रतिअवकलजों के परिवार को व्यक्त करता है, जहाँ C समाकलन का अचर कहलाता है।

टिप्पणी समान अवकलज वाले फलनों में एक अचर का अंतर होता है। इसको दर्शाने के लिए, मान लीजिए g और h ऐसे दो फलन हैं जिनके अवकलज अंतराल I में समान हैं f(x)=g(x)h(x),xI द्वारा परिभाषित फलन f=gh पर विचार कीजिए

तो dfdx=f=gh से f(x)=g(x)h(x)xI प्राप्त है। अथवा f(x)=0,xI (परिकल्पना से) अर्थात् I में x के सापेक्ष f के परिवर्तन की दर शून्य है और इसलिए f एक अचर है।

उपर्युक्त टिप्पणी के अनुसार यह निष्कर्ष निकालना न्यायसंगत है कि परिवार {F+C,CR}, f के सभी प्रतिअवकलजों को प्रदान करता है।

अब हम एक नए प्रतीक से परिचित होते हैं जो कि प्रतिअवकलजों के पूरे परिवार को निरूपित करेगा। यह प्रतीक f(x)dx है, इसे x के सापेक्ष f का अनिश्चित समाकलन के रूप में पढ़ा जाता है। प्रतीकतः हम f(x)dx=F(x)+C लिखते हैं।

संकेतन दिया हुआ है कि dydx=f(x), तो हम y=f(x)dx लिखते हैं।

सुविधा के लिए हम निम्नलिखित प्रतीकों/पदों/वाक्यांशों को उनके अर्थों सहित सारणी 7.1 में उल्लेखित करते हैं:

सारणी 7.1

प्रतीक/पद/वाक्यांश अर्थ
f(x)dx f का x के सापेक्ष समाकलन
f(x)dx में f(x) समाकल्य
f(x)dx में x समाकलन का चर
समाकलन करना समाकलन ज्ञात करना
f का समाकलन एक फलन F जिसके लिए
F(x)=f(x)
समाकलन संक्रिया समाकलन ज्ञात करने का प्रक्रम
समाकलन का अचर कोई भी वास्तविक संख्या जिसे अचर
फलन कहते हैं।

हम पहले से ही बहुत से प्रमुख फलनों के अवकलजों के सूत्र जानते हैं। इन सूत्रों के संगत हम समाकलन के प्रामाणिक सूत्रों को तुरंत लिख सकते हैं। इन प्रामाणिक सूत्रों की सूची निम्नलिखित हैं जिसका उपयोग हम दूसरे फलनों के समाकलनों को ज्ञात करने में करेंगे।



अवकलज Derivativesसमाकलन ( प्रतिअवकलज )Integrals (Antiderivatives)(i)ddx(xn+1n+1)=xnxndx=xn+1n+1+C,n1ििddx(x)=1dx=x+C(ii)ddx(sinx)=cosxcosxdx=sinx+C(iii)ddx(cosx)=sinxsinxdx=cosx+C(iv)ddx(tanx)=sec2xsec2xdx=tanx+C(v)ddx(cotx)=cosec2xcosec2xdx=cotx+C(vi)ddx(secx)=secxtanxcosecxcotxdx=cosecx+C(vii)ddx(cosecx)=cosecxcotxsecxtanxdx=secx+C (viii) ddx(sin1x)=11x2dx1x2=sin1x+C (ix) ddx(cos1x)=11x2dx1x2=cos1x+C (x) ddx(tan1x)=11+x2dx1+x2=tan1x+C (xi) ddx(cot1x)=11+x2dx1+x2=cot1x+C (xii) ddx(sec1x)=1xx21dxxx21=sec1x+C (xiii) ddx(cosec1x)=1xx21dxxx21=cosec1x+C (xiv) ddx(ex)=exexdx=ex+C (xv) ddx(log|x|)=1x1xdx=log|x|+C (xvi) ddx(axloga)=axaxdx=axloga+C

टिप्पणी प्रयोग में हम प्रायः उस अंतराल का जिक्र नहीं करते जिसमें विभिन्न फलन परिभाषित हैं तथापि किसी भी विशिष्ट प्रश्न के संदर्भ में इसको भी ध्यान में रखना चाहिए।

7.2.1 अनिश्चित समाकलनों के कुछ गुणधर्म (Some properties of indefinite integrals)

इस उप परिच्छेद में हम अनिश्चित समाकलन के कुछ गुणधर्मों को व्युत्पन्न करेंगे।(i) निम्नलिखित परिणामों के संदर्भ में अवकलन एवं समाकलन के प्रक्रम एक दूसरे के व्युत्क्रम हैं:

ddxf(x)dx=f(x)

और

f(x)dx=f(x)+C, जहाँ C एक स्वेच्छ अचर है। 

उपपत्ति मान लीजिए कि F,f का एक प्रतिअवकलज हैं अर्थात्

ddx F(x)=f(x)f(x)dx=F(x)+Cddxf(x)dx=ddx( F(x)+C)=ddx F(x)=f(x)

 तो f(x)dx=F(x)+C

इसलिए

इसी प्रकार हम देखते हैं कि

f(x)=ddxf(x)

और इसलिए

f(x)dx=f(x)+C

जहाँ C एक स्वेच्छ अचर है जिसे समाकलन अचर कहते हैं।

(ii) ऐसे दो अनिश्चित समाकलन जिनके अवकलज समान हैं वक्रों के एक ही परिवार को प्रेरित करते हैं और इस प्रकार समतुल्य हैं।

उपपत्ति मान लीजिए f एवं g ऐसे दो फलन हैं जिनमें

ddxf(x)dx=ddxg(x)dx

अथवा

ddx[f(x)dxg(x)dx]=0

अत: f(x)dxg(x)dx=C, जहाँ C एक वास्तविक संख्या है। (क्यों?)

अथवा f(x)dx=g(x)dx+C

इसलिए वक्रों के परिवार {f(x)dx+C1,C1R}

एवं

{g(x)dx+C2,C2R} समतुल्य हैं। 

इस प्रकार f(x)dx और g(x)dx समतुल्य हैं।

टिप्पणी दो परिवारों {f(x)dx+C1,C1R} एवं {g(x)dx+C2,C2R} की समतुल्यता को प्रथानुसार f(x)dx=g(x)dx, लिखकर व्यक्त करते हैं जिसमें प्राचल का वर्णन नहीं है।

(iii)

[f(x)+g(x)]dx=f(x)dx+g(x)dx

उपपत्ति गुणधर्म (i) से

ddx[[f(x)+g(x)]dx]=f(x)+g(x)

अन्यथा हमें ज्ञात है कि

(2)ddx[f(x)dx+g(x)dx]=ddxf(x)dx+ddxg(x)dx=f(x)+g(x)

इस प्रकार गुणधर्म (ii) के संदर्भ में (1) और (2) से प्राप्त होता है कि

(f(x)+g(x))dx=f(x)dx+g(x)dx

(iv) किसी वास्तविक संख्या k, के लिए kf(x)dx=kf(x)dx

उपपत्ति गुणधर्म (i) द्वारा ddxkf(x)dx=kf(x)

और ddx[kf(x)dx]=kddxf(x)dx=kf(x)

इसलिए गुणधर्म (ii) का उपयोग करते हुए हम पाते हैं कि kf(x)dx=kf(x)dx

(v) प्रगुणों (iii) और (iv) का f1,f2,,fn फलनों की निश्चित संख्या और वास्तविक संख्याओं k1, k2,,kn के लिए भी व्यापकीकरण किया जा सकता है जैसा कि नीचे दिया गया है

[k1f1(x)+k2f2(x)++knfn(x)]dx=k1f1(x)dx+k2f2(x)dx++knfn(x)dx

दिए हुए फलन का प्रतिअवकलज ज्ञात करने के लिए हम अंतर्जान से ऐसे फलन की खोज करते हैं जिसका अवकलज दिया हुआ फलन है। अभीष्ट फलन की इस प्रकार की खोज, जो दिए हुए फलन के प्रति अवकलज ज्ञात करने के लिए की जाती है, को निरीक्षण द्वारा समाकलन कहते हैं। इसे हम कुछ उदाहरणों से समझते हैं।

टिप्पणी

(i) हम देखते हैं कि यदि f का प्रतिअवकलज F है तो F+C, जहाँ C एक अचर है, भी f का एक प्रतिअवकलज है। इस प्रकार यदि हमें फलन f का एक प्रतिअवकलज F ज्ञात है तो हम F में कोई भी अचर जोड़कर f के अनंत प्रतिअवकलज लिख सकते हैं जिन्हें F(x)+C, CR के रूप में अभिव्यक्त किया जा सकता है। अनुप्रयोगों में सामान्यतः एक अतिरिक्त प्रतिबंध को संतुष्ट करना आवश्यक होता है जिससे C का एक विशिष्ट मान प्राप्त होता है और जिसके परिणामस्वरूप दिए हुए फलन का एक अद्वितीय प्रतिअवकलज प्राप्त होता है। (ii) कभी-कभी F को प्रारंभिक फलनों जैसे कि बहुपद, लघुगणकीय, चर घातांकी, त्रिकोणमितीय, और प्रतिलोम त्रिकोणमितीय, इत्यादि के रूप में अभिव्यक्त करना असंभव होता है। इसलिए f(x)dx ज्ञात करना अवरुद्ध हो जाता है। उदाहरणतः निरीक्षण विधि से ex2dx को ज्ञात करना असंभव है क्योंकि निरीक्षण से हम ऐसा फलन ज्ञात नहीं कर सकते जिसका अवकलज ex2 है।

(iii) यदि समाकल का चर x, के अतिरिक्त अन्य कोई है तो समाकलन के सूत्र तदनुसार रूपांतरित कर लिए जाते हैं। उदाहरणत:

y4dy=y4+14+1+C=15y5+C

प्रश्नावली 7.1

निम्नलिखित फलनों के प्रतिअवकलज (समाकलन) निरीक्षण विधि द्वारा ज्ञात कीजिए।

1. sin2x

2. cos3x

3. e2x

4. (ax+b)2

5. sin2x4e3x

निम्नलिखित समाकलनों को ज्ञात कीजिए:

6. (4e3x+1)dx

7. x2(11x2)dx

8. (ax2+bx+c)dx

9. (2x2+ex)dx

10. (x1x)2dx

11. x3+5x24x2dx

12. x3+3x+4xdx

13. x3x2+x1x1dx

14. (1x)xdx

15. x(3x2+2x+3)dx

16. (2x3cosx+ex)dx

17. (2x23sinx+5x)dx

18. secx(secx+tanx)dx

19. sec2xcosec2xdx

20. 23sinxcos2xdx

प्रश्न 21 एवं 22 में सही उत्तर का चयन कीजिए:

21. (x+1x) का प्रतिअवकलज है: (A) 13x13+2x12+C (B) 23x23+12x2+C (C) 23x32+2x12+C (D) 32x32+12x12+C

22. यदि ddxf(x)=4x33x4 जिसमें f(2)=0 तो f(x) है: (A) x4+1x31298 (B) x3+1x4+1298 (C) x4+1x3+1298 (D) x3+1x41298

7.3 समाकलन की विधियाँ (Methods of Integration)

पिछले परिच्छेद में हमने ऐसे समाकलनों की चर्चा की थी, जो कुछ फलनों के अवकलजों से सरलतापूर्वक प्राप्त किए जा सकते हैं। यह निरीक्षण पर आधारित विधि थी, इसमें ऐसे फलन F की खोज की जाती है जिसका अवकलज f है इससे f के समाकलन की प्राप्ति होती है। तथापि निरीक्षण पर आधारित यह विधि अनेक फलनों की स्थिति में बहुत उचित नहीं है। अतः समाकलनों को प्रामाणिक रूप में परिवर्तित करते हुए उन्हें ज्ञात करने के लिए हमें अतिरिक्त विधियाँ विकसित करने की आवश्यकता है। इनमें मुख्य विधियाँ निम्नलिखित पर आधारित हैं:

1. प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन

2. आंशिक भिन्नों में वियोजन द्वारा समाकलन

3. खंडशः समाकलन

7.3.1 प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन (Integration by substitution)

इस उप परिच्छेद में हम प्रतिस्थापन विधि द्वारा समाकलन पर विचार करेंगे। स्वतंत्र चर x को t में परिवर्तित करने के लिए x=g(t) प्रतिस्थापित करते हुए दिए गए समाकलन f(x)dx को अन्य रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।

I=f(x)dx पर विचार कीजिए 

अब x=g(t) प्रतिस्थापित कीजिए ताकि dxdt=g(t)

हम

dx=g(t)dt लिखते हैं। 

इस प्रकार

I=f(x)dx=f{g(t)}g(t)dt

प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन के लिए यह चर परिवर्तन का सूत्र हमारे पास उपलब्ध एक महत्वपूर्ण साधन है। उपयोगी प्रतिस्थापन क्या होगा इसका अनुमान लगाना हमेशा महत्वपूर्ण है। सामान्यतः हम एक ऐसे फलन के लिए प्रतिस्थापन करते हैं जिसका अवकलज भी समाकल्य में सम्मिलित हों, जैसा कि निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा स्पष्ट किया गया है।

प्रश्नावली 7.2

1 से 37 तक के प्रश्नों में प्रत्येक फलन का समाकलन ज्ञात कीजिए।

1. 2x1+x2

2. (logx)2x

3. 1x+xlogx

4. sinxsin(cosx)

5. sin(ax+b)cos(ax+b)

6. ax+b

7. xx+2

8. x1+2x2

9. (4x+2)x2+x+1

10. 1xx

11. xx+4,x>0

12. (x31)13x5

13. x2(2+3x3)3

14. 1x(logx)m,x>0,m1

15. x94x2

16. e2x+3

17. xex2

18. etan1x1+x2

19. e2x1e2x+1

20. e2xe2xe2x+e2x

21. tan2(2x3)

22. sec2(74x)

23. sin1x1x2

24. 2cosx3sinx6cosx+4sinx

25. 1cos2x(1tanx)2

26. cosxx

27. sin2xcos2x

28. cosx1+sinx

29. cotxlogsinx

30. sinx1+cosx

31. sinx(1+cosx)2

32. 11+cotx

33. 11tanx

34. tanxsinxcosx

35. (1+logx)2x

36. (x+1)(x+logx)2x

37. x3sin(tan1x4)1+x8

प्रश्न 38 एवं 39 में सही उत्तर का चयन कीजिए:

38. 10x9+10xloge10dxx10+10x बराबर है:

(A) 10xx10+C

(B) 10x+x10+C

(C) (10xx10)1+C

(D) log(10x+x10)+C

39. dxsin2xcos2x बराबर है:

(A) tanx+cotx+C

(B) tanxcotx+C

(C) tanxcotx+C

(D) tanxcot2x+C

7.3.2 त्रिकोणमितीय सर्व-समिकाओं के उपयोग द्वारा समाकलन (Integration using trigonometric identities)

जब समाकल्य में कुछ त्रिकोणमितीय फलन निहित होते हैं, तो हम समाकलन ज्ञात करने के लिए कुछ ज्ञात सर्वसमिकाओं का उपयोग करते हैं जैसा कि निम्नलिखित उदाहरणों के द्वारा समझाया गया है।

प्रश्नावली 7.3

1 से 22 तक के प्रश्नों में प्रत्येक फलन का समाकलन ज्ञात कीजिए।

1. sin2(2x+5)

2. sin3xcos4x

3. cos2xcos4xcos6x

4. sin3(2x+1)

5. sin3xcos3x

6. sinxsin2xsin3x

7. sin4xsin8x

8. 1cosx1+cosx

9. cosx1+cosx

10. sin4x

11. cos42x

12. sin2x1+cosx

13. cos2xcos2αcosxcosα

14. cosxsinx1+sin2x

15. tan32xsec2x

16. tan4x

17. sin3x+cos3xsin2xcos2x

18. cos2x+2sin2xcos2x

19. 1sinxcos3x

20. cos2x(cosx+sinx)2

21. sin1(cosx)

22. 1cos(xa)cos(xb)

प्रश्न 23 एवं 24 में सही उत्तर का चयन कीजिए।

23. sin2xcos2xsin2xcos2xdx बराबर है:

(A) tanx+cotx+C

(B) tanx+cosecx+C

(C) tanx+cotx+C

(D) tanx+secx+C

24. ex(1+x)cos2(exx)dx बराबर है:

(A) cot(exx)+C

(B) tan(xex)+C

(C) tan(ex)+C

(D) cot(ex)+C

7.4 कुछ विशिष्ट फलनों के समाकलन (Integrals of Some Particular Functions)

इस परिच्छेद में हम निम्नलिखित महत्वपूर्ण समाकलन सूत्रों की व्याख्या करेंगे और बहुत से दूसरे संबंधित प्रामाणिक समाकलनों को ज्ञात करने में उनका प्रयोग करेंगे।

(1) dxx2a2=12alog|xax+a|+C

(2) dxa2x2=12alog|a+xax|+C

(3) dxx2+a2=1atan1xa+C

(4)dxx2a2=log|x+x2a2|+C

(5)dxa2x2=sin1xa+C

(6) dxx2+a2=log|x+x2+a2|+C

अब हम उपर्युक्त परिणामों को सिद्ध करते हैं।

(1) हम जानते हैं कि 1x2a2=1(xa)(x+a)

=12a[(x+a)(xa)(xa)(x+a)]=12a[1xa1x+a]

इसलिए dxx2a2=12a[dxxadxx+a]

=12a[log|(xa)|log|(x+a)|]+C=12alog|xax+a|+C

(2) उपर्युक्त (1) के अनुसार हम पाते हैं कि

1a2x2=12a[(a+x)+(ax)(a+x)(ax)]=12a[1ax+1a+x]

इसलिए dxa2x2=12a[dxax+dxa+x]

=12a[log|ax|+log|a+x|]+C=12alog|a+xax|+C

टिप्पणी (1) में उपयोग की गई विधि की व्याख्या परिच्छेद 7.5 में की जाएगी।

(3) x=atanθ रखने पर dx=asec2θdθ

इसलिए dxx2+a2=asec2θdθa2tan2θ+a2

=1adθ=1aθ+C=1atan1xa+C

(4) मान लीजिए x=asecθ तब dx=asecθtanθdθ

इसलिए dxx2a2=asecθtanθdθa2sec2θa2

=secθdθ=log|secθ+tanθ|+C1

=log|xa+x2a21|+C1=log|x+x2a2|log|a|+C1=log|x+x2a2|+C, जहाँ C=C1log|a|

(5) मान लीजिए कि x=asinθ तब dx=acosθdθ

इसलिए dxa2x2=acosθdθa2a2sin2θ=dθ=θ+C=sin1xa+C

(6) मान लीजिए कि x=atanθ तब dx=asec2θdθ

इसलिए dxx2+a2=asec2θdθa2tan2θ+a2

=secθdθ=log|(secθ+tanθ)|+C1

=log|xa+x2a2+1|+C1=log|x+x2+a2|log|a|+C1=log|x+x2+a2|+C, जहाँ C=C1log|a|

इन प्रामाणिक सूत्रों के प्रयोग से अब हम कुछ और सूत्र प्राप्त करते हैं जो अनुप्रयोग की दृष्टि से उपयोगी हैं और दूसरे समाकलनों का मान ज्ञात करने के लिए इनका सीधा प्रयोग किया जा सकता है।

(7) समाकलन dxax2+bx+c, ज्ञात करने के लिए हम

ax2+bx+c=a[x2+bax+ca]=a[(x+b2a)2+(cab24a2)] लिखते हैं।

अब x+b2a=t रखने पर dx=dt एवं cab24a2=±k2 लिखते हुए हम पाते हैं कि (cab24a2) के चिह्न पर निर्भर करते हुए यह समाकलन 1adtt2±k2 के रूप में परिवर्तित हो जाता है और इस प्रकार इसका मान ज्ञात किया जा सकता है।

(8) dxax2+bx+c, के प्रकार के समाकलन को ज्ञात करने के लिए (7) की भाँति आगे बढ़ते हुए प्रामाणिक सूत्रों का उपयोग करके समाकलन ज्ञात किया जा सकता है।

(9) px+qax2+bx+cdx, जहाँ p,q,a,b,c अचर हैं, के प्रकार के समाकलन ज्ञात करने के लिए हम ऐसी दो वास्तविक संख्याएँ A तथा B ज्ञात करते हैं ताकि

px+q=Addx(ax2+bx+c)+B=A(2ax+b)+B

A तथा B, ज्ञात करने के लिए हम दोनों पक्षों से x के गुणांकों एवं अचरों को समान करते हैं। A तथा B के ज्ञात हो जाने पर समाकलन ज्ञात प्रामाणिक रूप में परिवर्तित हो जाता है।

(10) (px+q)dxax2+bx+c, के प्रकार के समाकलन का मान ज्ञात करने के लिए हम (9) की भाँति आगे बढ़ते हैं और समाकलन को ज्ञात प्रामाणिक रूपों में परिवर्तित करते हैं। आइए उपर्युक्त विधियों को कुछ उदाहरणों की सहायता से समझते हैं।

प्रश्नावली 7.4

प्रश्न 1 से 23 तक के फलनों का समाकलन कीजिए।

1. 3x2x6+1

2. 11+4x2

3. 1(2x)2+1

4. 1925x2

5. 3x1+2x4

6. x21x6

7. x1x21

8. x2x6+a6

9. sec2xtan2x+4

10. 1x2+2x+2

11. 19x2+6x+5

12. 176xx2

13. 1(x1)(x2)

14. 18+3xx2

15. 1(xa)(xb)

16. 4x+12x2+x3

17. x+2x21

18. 5x21+2x+3x2

19. 6x+7(x5)(x4)

20. x+24xx2

21. x+2x2+2x+3

22. x+3x22x5

23. 5x+3x2+4x+10

प्रश्न 24 एवं 25 में सही उत्तर का चयन कीजिए:

24. dxx2+2x+2 बराबर है :

(A) xtan1(x+1)+C

(B) tan1(x+1)+C

(C) (x+1)tan1x+C

(D) tan1x+C

25. dx9x4x2 बराबर है :

(A) 19sin1(9x88)+C

(B) 12sin1(8x99)+C

(C) 13sin1(9x88)+C

(D) 12sin1(9x89)+C

7.5 आंशिक भिन्नों द्वारा समाकलन (Integration by Partial Fractions)

स्मरण कीजिए कि एक परिमेय फलन P(x)Q(x), दो बहुपदों के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जाता है जहाँ P(x) एवं Q(x),x में बहुपद हैं तथा Q(x)0. यदि P(x) की घात Q(x) की घात से कम है, तो परिमेय फलन उचित परिमेय फलन कहलाता है अन्यथा विषम परिमेय फलन कहलाता है। विषम परिमेय फलनों को लम्बी भाग विधि द्वारा उचित परिमेय फलन के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। इस प्रकार यदि P(x)Q(x) विषम परिमेय फलन है, तो P(x)Q(x)=T(x)+P1(x)Q(x), जहाँ T(x)x में एक बहुपद है और P1(x)Q(x) एक उचित परिमेय फलन है। हम जानते हैं कि एक बहुपद का समाकलन कैसे किया जाता है, अतः किसी भी परिमेय फलन का समाकलन किसी उचित परिमेय फलन के समाकलन की समस्या के रूप में परिवर्तित हो जाता है। यहाँ पर हम जिन परिमेय फलनों के समाकलन पर विचार करेंगे, उनके हर रैखिक और द्विघात गुणनखंडों में विघटित होने वाले होंगे।

मान लीजिए कि हम P(x)Q(x)dx का मान ज्ञात करना चाहते हैं जहाँ P(x)Q(x) एक उचित परिमेय फलन है। एक विधि, जिसे आंशिक भिन्नों में वियोजन के नाम से जाना जाता है, की सहायता से दिए हुए समाकल्य को साधारण परिमेय फलनों के योग के रूप मे लिखा जाना संभव है। इसके पश्चात् पूर्व ज्ञात विधियों की सहायता से समाकलन सरलतापूर्वक किया जा सकता है। निम्नलिखित सारणी 7.2 निर्दिष्ट करती है, कि विभिन्न प्रकार के परिमेय फलनों के साथ किस प्रकार के सरल आंशिक भिन्नों को संबद्ध किया जा सकता है।

सारणी 7.2

क्रमांक परिमेय फलन का रूप आंशिक भिन्नों का रूप
1. px+q(xa)(xb),ab Axa+Bxb
2. px+q(xa)2 Axa+B(xa)2
3. px2+qx+r(xa)(xb)(xc) Axa+Bxb+Cxc
4. px2+qx+r(xa)2(xb) Axa+B(xa)2+Cxb
5. px2+qx+r(xa)(x2+bx+c)
जहाँ x2+bx+c का और आगे गुणनखंड नहीं किया जा सकता।

उपर्युक्त सारणी में A,B एवं C वास्तविक संख्याएँ हैं जिनको उचित विधि से ज्ञात करते हैं।

प्रश्नावली 7.5

1 से 21 तक के प्रश्नों में परिमेय फलनों का समाकलन कीजिए।

1. x(x+1)(x+2)

2. 1x29

3. 3x1(x1)(x2)(x3)

4. x(x1)(x2)(x3)

5. 2xx2+3x+2

6. 1x2x(12x)

7. x(x2+1)(x1)

8. x(x1)2(x+2)

9. 3x+5x3x2x+1

10. 2x3(x21)(2x+3)

11. 5x(x+1)(x24)

12. x3+x+1x21

13. 2(1x)(1+x2)

14. 3x1(x+2)2

15. 1x41

16. 1x(xn+1) [संकेतः अंश एवं हर को xn1 से गुणा कीजिए और xn=t रखिए ] $

17. cosx(1sinx)(2sinx) [संकेतः sinx=t रखिए]

18. (x2+1)(x2+2)(x2+3)(x2+4) 19. 2x(x2+1)(x2+3) 20. 1x(x41)

19. 1(ex1) [संकेतः ex=t रखिए]

प्रश्न 22 एवं 23 में सही उत्तर का चयन कीजिए।

22. xdx(x1)(x2) बराबर है :

(A) log|(x1)2x2|+C

(B) log|(x2)2x1|+C

(C) log|(x1x2)2|+C

(D) log|(x1)(x2)|+C

23. dxx(x2+1) बराबर है :

(A) log|x|12log(x2+1)+C

(B) log|x|+12log(x2+1)+C

(C) log|x|+12log(x2+1)+C

(D) 12log|x|+log(x2+1)+C

7.6 खंडश: समाकलन (Integration by Parts)

इस परिच्छेद में हम समाकलन की एक और विधि की चर्चा करेंगे जो कि दो फलनों के गुणनफल का समाकलन करने में बहुत उपयोगी है।

यदि एकल चर x (मान लीजिए) में u और v दो अवकलनीय फलन है तो अवकलन के गुणनफल नियम के अनुसार हम पाते हैं कि

ddx(uv)=udvdx+vdudx

दोनों पक्षों का समाकलन करने पर हम पाते हैं कि

uv=udvdxdx+vdudxdx

अथवा

(1)udvdxdx=uvvdudxdx

मान लीजिए कि u=f(x) और dvdx=g(x) तब

dudx=f(x) और v=g(x)dx

इसलिए समीकरण (1) को निम्नलिखित रूप में लिखा जा सकता है

f(x)g(x)dx=f(x)g(x)dx[g(x)dxf(x)]dx

अर्थात्

f(x)g(x)dx=f(x)g(x)dx[f(x)g(x)dx]dx

यदि हम f को प्रथम फलन और g को दूसरा फलन मान लें तो इस सूत्र को निम्नलिखित रूप में व्यक्त किया जा सकता है।

“दो फलनों के गुणनफल का समाकलन = (प्रथम फलन) × (द्वितीय फलन का समाकलन) [(प्रथम फलन का अवकलन गुणांक) × (द्वितीय फलन का समाकलन)] का समाकलन”

7.6.1 ex[f(x)+f(x)]dx के प्रकार का समाकलन

हमें ज्ञात है कि

I=ex[f(x)+f(x)]dx=exf(x)dx+exf(x)dx(1)=I1+exf(x)dx, जहाँ I1=exf(x)dx

I में f(x) एवं ex को क्रमशः प्रथम एवं द्वितीय फलन लेते हुए एवं खंडशः समाकलन द्वारा हम पाते हैं I1=f(x)exf(x)exdx+C I1 को (1) में प्रतिस्थापित करने पर हम पाते हैं

I=exf(x)f(x)exdx+exf(x)dx+C=exf(x)+C

अत:

ex(f(x)+f(x))dx=exf(x)+C

प्रश्नावली 7.6

1 से 22 तक के प्रश्नों के फलनों का समाकलन कीजिए।

1. xsinx

2. xsin3x

3. x2ex

4. xlogx

5. xlog2x

6. x2logx

7. xsin1x

8. xtan1x

9. xcos1x

10. (sin1x)2

11. xcos1x1x2

12. xsec2x

13. tan1x

14. x(logx)2

15. (x2+1)logx

16. ex(sinx+cosx) 17. xex(1+x)2

17. ex(1+sinx1+cosx)

18. ex(1x1x2)

19. (x3)ex(x1)3

20. e2xsinx

21. sin1(2x1+x2)

प्रश्न 23 एवं 24 में सही उत्तर का चयन कीजिए।

23. x2ex3dx बराबर है :

(A) 13ex3+C

(B) 13ex2+C

(C) 12ex3+C

(D) 12ex2+C

24. exsecx(1+tanx)dx बराबर है:

(A) excosx+C

(B) exsecx+C

(C) exsinx+C

(D) extanx+C

7.6.2 कुछ अन्य प्रकार के समाकलन (Integrals of some more types)

यहाँ हम खंडशः समाकलन विधि पर आधारित कुछ विशिष्ट प्रकार के प्रामाणिक समाकलनों की चर्चा करेंगे। जैसे कि

(i) x2a2dx (ii) x2+a2dx (iii) a2x2dx

(i) मान लीजिए कि I=x2a2dx

अचर फलन 1 को द्वितीय फलन मानते हुए और खंडशः समाकलन द्वारा हम पाते हैं

I=xx2a2122xx2a2xdx=xx2a2x2x2a2dx=xx2a2x2a2+a2x2a2dx=xx2a2x2a2dxa2dxx2a2=xx2a2Ia2dxx2a2

अथवा

2I=xx2a2a2dxx2a2

अथवा

I=x2a2dx=x2x2a2a22log|x+x2a2|+C

इसी प्रकार दूसरे दो समाकलनों में अचर फलन 1 को द्वितीय फलन लेकर एवं खंडशः समाकलन विधि द्वारा हम पाते हैं

(ii) x2+a2dx=12xx2+a2+a22log|x+x2+a2|+C

(iii) a2x2dx=12xa2x2+a22sin1xa+C

विकल्पतः समाकलनों (i), (ii) एवं (iii) में क्रमशः x=asecθ,x=atanθ और x=asinθ, प्रतिस्थापन करने पर भी इन समाकलनों को ज्ञात किया जा सकता है।

प्रश्नावली 7.7

1 से 9 तक के प्रश्नों के फलनों का समाकलन कीजिए।

1. 4x2

2. 14x2

3. x2+4x+6

4. x2+4x+1

5. 14xx2

6. x2+4x5

7. 1+3xx2

8. x2+3x

9. 1+x29

प्रश्न 10 एवं 11 में सही उत्तर का चयन कीजिए।

10. 1+x2dx बराबर है:

(A) x21+x2+12log|(x+1+x2)|+C

(B) 23(1+x2)32+C

(C) 23x(1+x2)32+C

(D) x221+x2+12x2log|x+1+x2|+C

11. x28x+7dx बराबर है

(A) 12(x4)x28x+7+9log|x4+x28x+7|+C

(B) 12(x+4)x28x+7+9log|x+4+x28x+7|+C

(C) 12(x4)x28x+732log|x4+x28x+7|+C

(D) 12(x4)x28x+792log|x4+x28x+7|+C

7.7 निश्चित समाकलन (Definite Integral)

पिछले परिच्छेदों में हमने अनिश्चित समाकलनों के बारे में अध्ययन किया है और कुछ विशिष्ट फलनों के समाकलनों सहित अनिश्चित समाकलनों को ज्ञात करने की कुछ विधियों पर चर्चा की है। इस परिच्छेद में हम किसी फलन के निश्चित समाकलन का अध्ययन करेंगे। निश्चित समाकलन का एक अद्वितीय मान होता है। एक निश्चित समाकलन को abf(x)dx, से निर्दिष्ट किया जाता है जहाँ b, समाकलन की उच्च सीमा तथा a, समाकलन की निम्न सीमा कहलाती हैं। निश्चित समाकलन का परिचय, या तो योगों की सीमा के रूप में कराया जाता है अथवा यदि अंतराल [a,b] में इसका कोई प्रतिअवकलज F है तो निश्चित समाकलन का मान अंतिम बिंदुओं पर F के मानों के अंतर अर्थात् F(b)F(a) के बराबर होता है, के रूप में कराया जाता है। निश्चित समाकलन के इन दोनों रूपों की हम अलग-अलग चर्चा करेंगे।

7.8 कलन की आधारभूत प्रमेय (Fundamental Theorem of Calculus)

7.8.1 क्षेत्रफल फलन (Area function)

हमने abf(x)dx को वक्र y=f(x),x-अक्ष, एवं कोटियों x=a तथा x=b से घिरे क्षेत्र के क्षेत्रफल के रूप में परिभाषित किया है। मान लीजिए [a,b] में x कोई बिंदु है तब axf(x)dx आकृति 7.2 में हल्का छायांकित क्षेत्र के क्षेत्रफल को निरूपित करता है [यहाँ यह मान लिया गया है कि x[a,b] के लिए f(x)>0 है। निम्नलिखित कथन सामान्यतः अन्य फलनों के लिए भी सत्य है। इस छायांकित क्षेत्र का क्षेत्रफल x के मान पर निर्भर है।

दूसरे शब्दों में इस छायांकित क्षेत्र का क्षेत्रफल x का एक फलन है। हम x के इस फलन को A(x) से निर्दिष्ट करते हैं। इस फलन A(x) को हम क्षेत्रफल फलन कहते हैं और यह हमें निम्नलिखित सूत्र से प्राप्त होता है।

(1)A(x)=axf(x)dx

इस परिभाषा पर आधारित दो आधारभूत प्रमेय हैं। तथापि हम यहाँ पर केवल इनकी व्याख्या करेंगे क्योंकि इनकी उपपत्ति इस पाठ्यपुस्तक की सीमा के बाहर है।

7.8.2 प्रमेय 1 समाकलन गणित की प्रथम आधारभूत प्रमेय (First fundamental theorem

of integral calculus)मान लीजिए कि बंद अंतराल [a,b] पर f एक संतत फलन है और A(x) क्षेत्रफल फलन है। तब सभी x[a,b] के लिए A(x)=f(x)

7.8.3 समाकलन गणित की द्वितीय आधारभूत प्रमेय (Second fundamental theorem of

integral calculus)हम नीचे एक ऐसे महत्वपूर्ण प्रमेय की व्याख्या करते हैं जिसकी सहायता से हम प्रतिअवकलज का उपयोग करते हुए निश्चित समाकलनों का मान ज्ञात करते हैं।

प्रमेय 2 मान लीजिए कि बंद अंतराल [a,b] पर f एक संतत फलन है और f का प्रतिअवकलज F है। तब abf(x)dx=[F(x)]ab=F(b)F(a)

टिप्पणी

1. शब्दों में हम प्रमेय 2 को इस प्रकार व्यक्त करते हैं कि abf(x)dx=(f के प्रति अवकलज F का उच्च सीमा b पर मान) - (उसी प्रति अवकलज का निम्न सीमा a पर मान)।

2. यह प्रमेय अत्यंत उपयोगी है क्योंकि यह हमें योगफल की सीमा ज्ञात किए बिना निश्चित समाकलन को ज्ञात करने की आसान विधि प्रदान करती है।

3. एक निश्चित समाकलन ज्ञात करने में जटिल संक्रिया एक ऐसे फलन का प्राप्त करना है जिसका अवकलज दिया गया समाकल्य है। यह अवकलन और समाकलन के बीच संबंध को और मजबूत करता है।

4. abf(x)dx में, [a,b] पर फलन f का सुपरिभाषित एवं संतत होना आवश्यक है। उदाहरणत: निश्चित समाकलन 23x(x21)12dx की चर्चा करना भ्रांतिमूलक हैं क्योंकि बंद अंतराल [2,3] के भाग 1<x<1 के लिए f(x)=x(x21)12 द्वारा अभिव्यक्त फलन f परिभाषित नही है। abf(x)dx ज्ञात करने के चरण (Steps for calculating abf(x)dx )

(i) अनिश्चित समाकलन f(x)dx ज्ञात कीजिए। मान लीजिए यह F(x) है। समाकलन अचर C को लेने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यदि हम F(x) के स्थान पर F(x)+C पर विचार करें तो पाते हैं कि

abf(x)dx=[F(x)+C]ab=[F(b)+C][F(a)+C]=F(b)F(a)

इस प्रकार निश्चित समाकलन का मान ज्ञात करने में स्वेच्छ अचर विलुप्त हो जाता है।

(ii) [F(x)]ab=F(b)F(a) ज्ञात कीजिए, जो कि abf(x)dx का मान है। अब हम कुछ उदाहरणों पर विचार करते हैं।

प्रश्नावली 7.8

1 से 20 तक के प्रश्नों में निश्चित समाकलनों का मान ज्ञात कीजिए।

1. 11(x+1)dx 2. 231xdx 3. 12(4x35x2+6x+9)dx

2. 0π4sin2xdx

3. 0π2cos2xdx

4. 45exdx

5. 0π4tanxdx

6. π6π4cosecxdx

7. 01dx1x2

8. 01dx1+x2

9. 23dxx21

10. 0π2cos2xdx

11. 23xdxx2+1

12. 012x+35x2+1dx

13. 01xex2dx

14. 125x2x2+4x+3

15. 0π4(2sec2x+x3+2)dx

16. 0π(sin2x2cos2x2)dx

17. 026x+3x2+4dx

18. 01(xex+sinπx4)dx

प्रश्न 21 एवं 22 में सही उत्तर का चयन कीजिए।

21. 13dx1+x2 बराबर है:

(A) π3

(B) 2π3

(C) π6

(D) π12

22. 023dx4+9x2 बराबर है:

(A) π6

(B) π12

(C) π24

(D) π4

7.9 प्रतिस्थापन द्वारा निश्चित समाकलनों का मान ज्ञात करना (Evaluation of Definite

Integrals by Substitution)पिछले परिच्छेदों में हमने अनिश्चित समाकलन ज्ञात करने की अनेक विधियों की चर्चा की है। अनिश्चित समाकलन ज्ञात करने की महत्वपूर्ण विधियों में एक विधि प्रतिस्थापन विधि है।

प्रतिस्थापन विधि से abf(x)dx, का मान ज्ञात करने के लिए आवश्यक चरण निम्नलिखित है:

1. समाकलन के बारे में सीमाओं के बिना विचार कीजिए और y=f(x) अथवा x=g(y) प्रतिस्थापित कीजिए ताकि दिया हुआ समाकलन एक ज्ञात रूप में परिवर्तित हो जाए।

2. समाकलन अचर की व्याख्या किए बिना नए समाकल्य का नए चर के सापेक्ष समाकलन कीजिए।

3. नए चर के स्थान पर पुनः प्रतिस्थापन कीजिए और उत्तर को मूल चर के रूप में लिखिए।

4. चरण (3) से प्राप्त उत्तर का समाकलन की दी हुई सीमाओं पर मान ज्ञात कीजिए और उच्च सीमा वाले मान से निम्न सीमा वाले मान का अंतर ज्ञात कीजिए।

टिप्पणी इस विधि को तीव्रतर बनाने के लिए हम निम्नलिखित प्रकार आगे बढ़ सकते हैं। चरण (1) एवं (2) को करने के बाद चरण (3) को करने की आवश्यकता नहीं है। यहाँ समाकलन को नए चर के रूप में रखा जाता है और समाकलन की सीमाओं को नए चर के अनुसार परिवर्तित कर लेते हैं ताकि हम सीधे अंतिम चरण की क्रिया कर सकें।

आइए इसे हम उदाहरणों से समझते हैं।

प्रश्नावली 7.9

1 से 8 तक के प्रश्नों समाकलनों का मान प्रतिस्थापन का उपयोग करते हुए ज्ञात कीजिए।

1. 01xx2+1dx

2. 0π2sinϕcos5ϕdϕ

3. 01sin1(2x1+x2)dx

4. 02xx+2dx(x+2=t2 रखिए )

5. 0π2sinx1+cos2xdx

6. 02dxx+4x2

7. 11dxx2+2x+5

8. 12(1x12x2)e2xdx

प्रश्न 9 एवं 10 में सही उत्तर का चयन कीजिए।

9. समाकलन 131(xx3)13x4dx का मान है:

(A) 6

(B) 0

(C) 3

(D) 4

10. यदि f(x)=0xtsintdt, तब f(x) है:

(A) cosx+xsinx

(B) xsinx

(C) xcosx

(D) sinx+xcosx

7.10 निश्चित समाकलनों के कुछ गुणधर्म (Some Properties of Definite Integrals)

निश्चित समाकलनों के कुछ महत्वपूर्ण गुणधर्मों को हम नीचे सूचीबद्ध करते हैं। ये गुण धर्म निश्चित समाकलनों का मान आसानी से ज्ञात करने में उपयोगी होंगे।

P0:abf(x)dx=abf(t)dtP1:abf(x)dx=baf(x)dx, विशिष्टतया aaf(x)dx=0P2:abf(x)dx=acf(x)dx+cbf(x)dx,a,b,c वास्तविक संख्याएँ हैं। P3:abf(x)dx=abf(a+bx)dxP4:0af(x)dx=0af(ax)dx ( ध्यान दीजिए कि P4,P3 की एक विशिष्ट स्थिति है) P5:02af(x)dx=0af(x)dx+0af(2ax)dx

P6:02af(x)dx=20af(x)dx, यदि f(2ax)=f(x) =0, यदि f(2ax)=f(x)

P7 : (i) aaf(x)dx=20af(x)dx, यदि f एक सम फलन है अर्थात् यदि f(x)=f(x)

(ii) aaf(x)dx=0, यदि f एक विषम फलन है अर्थात् यदि f(x)=f(x) एक-एक करके हम इन गुणधर्मों की उपपत्ति करते हैं।

P0 की उपपत्ति x=t प्रतिस्थापन करने पर सीधे प्राप्त होती है।

P1 की उपपत्ति मान लीजिए कि f का प्रतिअवकलज F है। तब कलन की द्वितीय आधारभूत प्रमेय से हम पाते हैं कि abf(x)dx=F(b)F(a)=[F(a)F(b)]=baf(x)dx,

यहाँ हम प्रेक्षित करते हैं कि यदि a=b, तब aaf(x)dx=0

P2 की उपपत्ति मान लीजिए कि f का प्रतिअवकलज F है, तब

(1)abf(x)dx=F(b)F(a)(2)acf(x)dx=F(c)F(a)

और

(3)cbf(x)dx=F(b)F(c)

(2) और (3) को जोड़ने पर हम पाते हैं कि

acf(x)dx+cbf(x)dx=F(b)F(a)=abf(x)dx

इससे गुणधर्म P2 सिद्ध होता है।

P3 की उपपत्ति मान लीजिए कि t=a+bx. तब dt=dx. जब x=a तब, t=b और जब x=b तब t=a. इसलिए

abf(x)dx=baf(a+bt)dt=abf(a+bt)dt(P1 से )=abf(a+bx)dx ( P0 से) 

P4 की उपपत्ति t=ax रखिए और P3 की तरह आगे बढ़िए। अब dt=dx, जब x=a,t=0 P5 की उपपत्ति P2, का उपयोग करते हुए हम पाते हैं कि

02af(x)dx=0af(x)dx+a2af(x)dx

दाएँ पक्ष के दूसरे समाकलन में t=2ax प्रतिस्थापित कीजिए, तब dt=dx और जब x=a, तब t=a और जब x=2a, तब t=0 और x=2at भी प्राप्त होता है। इसलिए दूसरा समाकलन

a2af(x)dx=a0f(2at)dt=0af(2at)dt=0af(2ax)dx प्राप्त होता है। 

अत:

02af(x)dx=0af(x)dx+0af(2ax)dx

P6 की उपपत्ति P5, का उपयोग करते हुए हम पाते हैं कि

(1)02af(x)dx=0af(x)dx+0af(2ax)dx

अब यदि

f(2ax)=f(x), तो (1) निम्नलिखित रूप में परिवर्तित हो जाता है 

02af(x)dx=0af(x)dx+0af(x)dx=20af(x)dx

और यदि

f(2ax)=f(x), तब (1) निम्नलिखित रूप में परिवर्तित हो जाता हैं 

02af(x)dx=0af(x)dx0af(x)dx=0

P7 की उपपत्ति

P2 का उपयोग करते हुए हम पाते हैं कि aaf(x)dx=a0f(x)dx+0af(x)dx दायें पक्ष के प्रथम समाकलन में t=x रखने पर dt=dx जब x=a तब t=a और जब x=0, तब t=0 और x=t भी प्राप्त होता है। इसलिए

aaf(x)dx=a0f(x)dx+0af(x)dx(1)=0af(x)dx+0af(x)dx(P0 से )

(i) अब यदि f एक सम फलन है तब f(x)=f(x) तो (1) से प्राप्त होता है कि

aaf(x)dx=0af(x)dx+0af(x)dx=20af(x)dx

(ii) यदि f विषम फलन है तब f(x)=f(x) तो (1) से प्राप्त होता है कि

aaf(x)dx=0af(x)dx+0af(x)dx=0

प्रश्नावली 7.10

निश्चित समाकलनों के गुणधर्मों का उपयोग करते हुए 1 से 19 तक के प्रश्नों में समाकलनों का मान ज्ञात कीजिए।

1. 0π2cos2xdx

2. 0π2sinxsinx+cosxdx

3. 0π2sin32xdxsin32x+cos32x

4. 0π2cos5xdxsin5x+cos5x

5. 55|x+2|dx

6. 28|x5|dx

7. 01x(1x)ndx 8. 0π4log(1+tanx)dx 9. 02x2xdx

8. 0π2(2logsinxlogsin2x)dx

9. π2π2sin2xdx

10. 0πxdx1+sinx

11. π2π2sin7xdx

12. 02πcos5xdx

13. 0π2sinxcosx1+sinxcosxdx 16. 0πlog(1+cosx)dx

14. 0axx+axdx

15. 04|x1|dx

16. दर्शाइए कि 0af(x)g(x)dx=20af(x)dx, यदि f और g को f(x)=f(ax) एवं g(x)+g(ax)=4 के रूप में परिभाषित किया गया है।

प्रश्न 20 एवं 21 में सही उत्तर का चयन कीजिए।

20. π2π2(x3+xcosx+tan5x+1)dx का मान है:

(A) 0

(B) 2

(C) π

(D) 1

21. 0π2log(4+3sinx4+3cosx)dx का मान है:

(A) 2

(B) 34

(C) 0

(D) -2

अध्याय 7 पर विविध प्रश्नावली

1 से 24 तक के प्रश्नों के फलनों का समाकलन कीजिए।

1. 1xx3

2. 1x+a+x+b

3. 1xaxx2 [संकेत : x=at रखिए]

4. 1x2(x4+1)34

5. 1x12+x13[ संकेत: 1x12+x13=1x13(1+x16),x=t6 रखिए]

6. 5x(x+1)(x2+9)

7. sinxsin(xa)

8. e5logxe4logxe3logxe2logx

9. cosx4sin2x

10. sin8xcos8x12sin2xcos2x

11. 1cos(x+a)cos(x+b)

12. x31x8

13. ex(1+ex)(2+ex)

14. 1(x2+1)(x2+4)

15. cos3xelogsinx

16. e3logx(x4+1)1

17. f(ax+b)[f(ax+b)]n

18. 1sin3xsin(x+α)

19. 1x1+x

20. 2+sin2x1+cos2xex

21. x2+x+1(x+1)2(x+2)

22. tan11x1+x

23. x2+1[log(x2+1)2logx]x4

24 से 31 तक के प्रश्नों में निश्चित समाकलनों का मान ज्ञात कीजिए।

24. π2πex(1sinx1cosx)dx 25. 0π4sinxcosxcos4x+sin4xdx260π2cos2xdxcos2x+4sin2x

25. π6π3sinx+cosxsin2xdx 28. 01dx1+xx 29. 0π4sinx+cosx9+16sin2xdx

26. 0π2sin2xtan1(sinx)dx

27. 14(|x1|+|x2|+|x3|)dx

निम्नलिखित को सिद्ध कीजिए (प्रश्न 32 से 39 तक)।

32. 13dxx2(x+1)=23+log23

33. 01xexdx=1

34. 11x17cos4xdx=0

35. 0π2sin3xdx=23

36. 0π42tan3xdx=1log2 37. 01sin1xdx=π21

38 से 40 तक के प्रश्नों में सही उत्तर का चयन कीजिए।

38. dxex+ex बराबर है:

(A) tan1(ex)+C

(B) tan1(ex)+C

(C) log(exex)+C

(D) log(ex+ex)+C

39. cos2x(sinx+cosx)2dx बराबर है:

(A) 1sinx+cosx+C

(B) log|sinx+cosx|+C

(C) log|sinxcosx|+C

(D) 1(sinx+cosx)2

40. यदि f(a+bx)=f(x), तो abxf(x)dx बराबर है:

(A) a+b2abf(bx)dx

(B) a+b2abf(b+x)dx

(C) ba2abf(x)dx

(D) a+b2abf(x)dx

सारांश

  • समाकलन, अवकलन का व्युत्क्रम प्रक्रम है। अवकलन गणित में हमें एक फलन दिया हुआ होता है और हमें इस फलन का अवकलज अथवा अवकल ज्ञात करना होता है परंतु समाकलन गणित में हमें एक ऐसा फलन ज्ञात करना होता है जिसका अवकल दिया हुआ होता है। अतः समाकलन एक ऐसा प्रक्रम है जो कि अवकलन का व्युत्क्रम है।

  • मान लीजिए कि ddx F(x)=f(x). तब हम f(x)dx=F(x)+C लिखते हैं। ये समाकलन अनिश्चित समाकलन अथवा व्यापक समाकलन कहलाते हैं। C समाकलन अचर कहलाता है। इन सभी समाकलनों में एक अचर का अंतर होता है।

  • अनिश्चित समाकलन के कुछ गुणधर्म निम्नलिखित है।

1. [f(x)+g(x)]dx=f(x)dx+g(x)dx

2. किसी भी वास्तविक संख्या k, के लिए kf(x)dx=kf(x)dx

अधिक व्यापकतः, यदि f1,f2,f3,,fn, फलन हैं तथा k1,k2,,kn, वास्तविक संख्याएँ हैं तो

[k1f1(x)+k2f2(x)++knfn(x)]dx=k1f1(x)dx+k2f2(x)dx++knfn(x)dx

  • कुछ प्रामाणिक समाकलन

(i) xndx=xn+1n+1+C,n1. विशिष्टत: dx=x+C

(ii) cosxdx=sinx+C

(iii) sinxdx=cosx+C

(iv) sec2xdx=tanx+C

(v) cosec2xdx=cotx+C

(vi) secxtanxdx=secx+C

(vii) cosecxcotxdx=cosecx+C (viii) dx1x2=sin1x+C

(ix) dx1x2=cos1x+C

(x) dx1+x2=tan1x+C

(xi) dx1+x2=cot1x+C

(xii) exdx=ex+C

(xiii) axdx=axloga+C

(xiv) 1xdx=log|x|+C

  • आंशिक भिन्नों द्वारा समाकलन

स्मरण कीजिए कि एक परिमेय फलन P(x)Q(x), दो बहुपदों का अनुपात है जिसमें P(x) और Q(x),x के बहुपद हैं और Q(x)0. यदि बहुपद P(x) की घात बहुपद Q(x), की घात से अधिक है तो हम P(x) को Q(x) से विभाजित करते हैं ताकि P(x)Q(x)=T(x)+P1(x)Q(x) के रूप में लिखा जा सके जहाँ T(x), एक बहुपद है और P1(x) की घात Q(x) की घात से कम है। बहुपद होने के कारण T(x) का समाकलन आसानी से ज्ञात किया जा सकता है। P1(x)Q(x) को निम्नलिखित प्रकार की आंशिक भिन्नों के योगफल के रूप में व्यक्त करते हुए इसका समाकलन ज्ञात किया जा सकता है।

1. px+q(xa)(xb)=Axa+Bxb,ab

2. px+q(xa)2=Axa+B(xa)2

3. px2+qx+r(xa)(xb)(xc)=Axa+Bxb+Cxc

4. px2+qx+r(xa)2(xb)=Axa+B(xa)2+Cxb

5. px2+qx+r(xa)(x2+bx+c)=Axa+Bx+Cx2+bx+c,

जहाँ x2+bx+c के आगे और गुणनखंड नहीं किए जा सकते।

  • प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन

समाकलन के चर में परिवर्तन दिए हुए समाकलन को किसी एक आधारूत समाकलन में परिवर्तित कर देता है। यह विधि जिसमें हम एक चर को किसी दूसरे चर में परिवर्तित करते हैं प्रतिस्थापन विधि कहलाती है। जब समाकल्य में कुछ त्रिकोणमितीय फलन सम्मिलित हों तो हम समाकलन ज्ञात करने के लिए कुछ सुपरिचित सर्व समिकाओं का उपयोग करते हैं। प्रतिस्थापन विधि का उपयोग करते हुए हम निम्नलिखित प्रामाणिक समाकलनों को प्राप्त करते हैं:

(i) tanxdx=log|secx|+C

(ii) cotxdx=log|sinx|+C

(iii) secxdx=log|secx+tanx|+C

(iv) cosecxdx=log|cosecxcotx|+C

  • कुछ विशिष्ट फलनों के समाकलन

(i) dxx2a2=12alog|xax+a|+C

(ii) dxa2x2=12alog|a+xax|+C

(iii) dxx2+a2=1atan1xa+C (iv) dxx2a2=log|x+x2a2|+C (v) dxa2x2=sin1xa+C

(vi) dxx2+a2=log|x+x2+a2|+C

  • खंडशः समाकलन

दिए हुए फलनों f1 तथा f2, के लिए हम प्राप्त करते हैं कि

f1(x)f2(x)dx=f1(x)f2(x)dx[ddxf1(x)f2(x)dx]dx, अर्थात् दो फलनों के गुणनफल का समाकलन = प्रथम फलन × द्वितीय फलन का समाकलन { प्रथम फलन का अवकल गुणांक × द्वितीय फलन का समाकलन } का समाकलन . प्रथम फलन एवं द्वितीय फलन के चयन में सावधानी रखनी चाहिए। स्पष्टतया हमें ऐसे फलन को द्वितीय फलन के रूप में लेना चाहिए जिसका समाकलन हमें भलि-भाँति ज्ञात है।

ex[f(x)+f(x)]dx=exf(x)dx+C

  • कुछ विशिष्ट प्रकार के समाकलन

(i) x2a2dx=x2x2a2a22log|x+x2a2|+C

(ii) x2+a2dx=x2x2+a2+a22log|x+x2+a2|+C

(iii) a2x2dx=x2a2x2+a22sin1xa+C

(iv) dxax2+bx+c अथवा dxax2+bx+c के प्रकार के समाकलनों को प्रामाणिक रूप में निम्नलिखित विधि द्वारा परिवर्तित किया जा सकता है:

ax2+bx+c=a[x2+bax+ca]=a[(x+b2a)2+(cab24a2)]

(v) px+qdxax2+bx+c अथवा px+qdxax2+bx+c के प्रकार के समाकलनों को प्रामाणिक रूप में परिवर्तित किया जा सकता है: px+q=Addx(ax2+bx+c)+B=A(2ax+b)+B,A तथा B का मान ज्ञात  करने के लिए दोनों पक्षों से गुणांकों की तुलना की जाती है।

  • हमने abf(x)dx को, वक्र y=f(x),axb,x-अक्ष एवं कोटियों x=a और x=b से घिरे क्षेत्र के क्षेत्रफल के रूप में परिभाषित किया है। मान लीजिए [a,b] में x एक बिंदु है तब axf(x)dx क्षेत्रफल फलन A(x) को निरूपित करता है। क्षेत्रफल फलन की संकल्पना हमें कलन की आधारभूत प्रमेय की ओर निम्नलिखित रूप में प्रेरित करती है।

  • समाकलन गणित की प्रथम आधारभूत प्रमेय मान लीजिए कि क्षेत्रफल फलन A(x)=axf(x)dx,xa, द्वारा परिभाषित है जहाँ फलन f अंतराल [a,b] पर संतत फलन माना गया है। तब A(x)=f(x)x[a,b]

  • समाकलन गणित की द्वितीय आधारभूत प्रमेय

मान लीजिए किसी बंद अंतराल [a,b] पर f,x का संतत फलन है और F एक दूसरा फलन है जहाँ ddx F(x)=f(x),f के प्रान्त के सभी x के लिए है, तब

abf(x)dx=[F(x)+C]ab=F(b)F(a)

यह परिसर [a,b] पर f का निश्चित समाकलन कहलाता है जहाँ a तथा b समाकलन की सीमाएँ कहलाती हैं a निम्न सीमा कहलाती है और b को उच्च सीमा कहते हैं।



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