Just as a mountaineer climbs a mountain - because it is there, so a good mathematics student studies new material because it is there. - JAMES B. BRISTOL
7.1 भूमिका (Introduction)
अवकल गणित अवकलज की संकल्पना पर केंद्रित है। फलनों के आलेखों के लिए स्पर्श रेखाएँ परिभाषित करने की समस्या एवं इस प्रकार की रेखाओं की प्रवणता का परिकलन करना अवकलज के लिए मूल अभिप्रेरण था। समाकलन गणित, फलनों के आलेख से घिरे क्षेत्र के क्षेत्रफल को परिभाषित करने एवं इसके क्षेत्रफल का परिकलन करने की समस्या से प्रेरित है।
यदि एक फलन
G.W. Leibnitz (1646-1716)
ये सभी प्रतिअवकलज प्राप्त होते हैं, फलन का अनिश्चित समाकलन कहलाता है और प्रतिअवकलज ज्ञात करने का यह प्रक्रम समाकलन करना कहलाता है। इस प्रकार की समस्याएँ अनेक व्यावहारिक परिस्थितियों में आती हैं। उदाहरणतः यदि हमें किसी क्षण पर किसी वस्तु का तात्क्षणिक वेग ज्ञात है, तो स्वाभाविक प्रश्न यह उठता है कि क्या हम किसी क्षण पर उस वस्तु की स्थिति ज्ञात कर सकते हैं? इस प्रकार की अनेक व्यावहारिक एवं सैद्धांतिक परिस्थितियाँ आती हैं, जहाँ समाकलन की संक्रिया निहित होती है। समाकलन गणित का विकास निम्नलिखित प्रकार की समस्याओं के हल करने के प्रयासों का प्रतिफल है।
(a) यदि एक फलन का अवकलज ज्ञात हो, तो उस फलन को ज्ञात करने की समस्या,
(b) निश्चित प्रतिबंधों के अंतर्गत फलन के आलेख से घिरे क्षेत्र का क्षेत्रफल ज्ञात करने की समस्या।
उपर्युक्त दोनो समस्याएँ समाकलनों के दो रूपों की ओर प्रेरित करती हैं, अनिश्चित समाकलन एवं निश्चित समाकलन। इन दोनों का सम्मिलित रूप समाकलन गणित कहलाता है।
अनिश्चित समाकलन एवं निश्चित समाकलन के मध्य एक संबंध है जिसे कलन की आधारभूत प्रमेय के रूप में जाना जाता है। यह प्रमेय निश्चित समाकलन को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के लिए एक व्यावहारिक औज़ार के रूप में तैयार करती है। अर्थशास्त्र, वित्त एवं प्रायिकता जैसे विभिन्न क्षेत्रों से अनेक प्रकार की रुचिकर समस्याओं को हल करने के लिए भी निश्चित समाकलन का उपयोग किया जाता है।
इस अध्याय में, हम अपने आपको अनिश्चित एवं निश्चित समाकलनों एवं समाकलन की कुछ विधियों सहित उनके प्रारंभिक गुणधर्मों के अध्ययन तक सीमित रखेंगे।
7.2 समाकलन को अवकलन के व्युत्क्रम प्रक्रम के रूप में (Integration as the Inverse Process of Differentiation )
अवकलन के व्युत्क्रम प्रक्रम को समाकलन कहते हैं। किसी फलन का अवकलन ज्ञात करने के स्थान पर हमें फलन का अवकलज दिया हुआ है और इसका पूर्वग अर्थात् वास्तविक फलन ज्ञात करने के लिए कहा गया है। यह प्रक्रम समाकलन अथवा प्रति-अवकलन कहलाता है। आइए निम्नलिखित उदाहरणों पर विचार करें,
हम जानते हैं कि
और
हम प्रेक्षित करते हैं कि समीकरण (1) में फलन
इस प्रकार हम देखते हैं कि उपर्युक्त फलनों के प्रतिअवकलज अथवा समाकलन अद्धितीय नहीं हैं। वस्तुतः इन फलनों में से प्रत्येक फलन के अपरिमित प्रतिअवकलज हैं, जिन्हें हम वास्तविक
संख्याओं के समुच्चय से स्वेच्छ अचर
इस प्रकार
टिप्पणी समान अवकलज वाले फलनों में एक अचर का अंतर होता है। इसको दर्शाने के लिए, मान लीजिए
तो
उपर्युक्त टिप्पणी के अनुसार यह निष्कर्ष निकालना न्यायसंगत है कि परिवार
अब हम एक नए प्रतीक से परिचित होते हैं जो कि प्रतिअवकलजों के पूरे परिवार को निरूपित करेगा। यह प्रतीक
संकेतन दिया हुआ है कि
सुविधा के लिए हम निम्नलिखित प्रतीकों/पदों/वाक्यांशों को उनके अर्थों सहित सारणी 7.1 में उल्लेखित करते हैं:
सारणी 7.1
प्रतीक/पद/वाक्यांश | अर्थ |
---|---|
समाकल्य | |
समाकलन का चर | |
समाकलन करना | समाकलन ज्ञात करना |
एक फलन |
|
समाकलन संक्रिया | समाकलन ज्ञात करने का प्रक्रम |
समाकलन का अचर | कोई भी वास्तविक संख्या जिसे अचर फलन कहते हैं। |
हम पहले से ही बहुत से प्रमुख फलनों के अवकलजों के सूत्र जानते हैं। इन सूत्रों के संगत हम समाकलन के प्रामाणिक सूत्रों को तुरंत लिख सकते हैं। इन प्रामाणिक सूत्रों की सूची निम्नलिखित हैं जिसका उपयोग हम दूसरे फलनों के समाकलनों को ज्ञात करने में करेंगे।
टिप्पणी प्रयोग में हम प्रायः उस अंतराल का जिक्र नहीं करते जिसमें विभिन्न फलन परिभाषित हैं तथापि किसी भी विशिष्ट प्रश्न के संदर्भ में इसको भी ध्यान में रखना चाहिए।
7.2.1 अनिश्चित समाकलनों के कुछ गुणधर्म (Some properties of indefinite integrals)
इस उप परिच्छेद में हम अनिश्चित समाकलन के कुछ गुणधर्मों को व्युत्पन्न करेंगे।(i) निम्नलिखित परिणामों के संदर्भ में अवकलन एवं समाकलन के प्रक्रम एक दूसरे के व्युत्क्रम हैं:
और
उपपत्ति मान लीजिए कि
इसलिए
इसी प्रकार हम देखते हैं कि
और इसलिए
जहाँ
(ii) ऐसे दो अनिश्चित समाकलन जिनके अवकलज समान हैं वक्रों के एक ही परिवार को प्रेरित करते हैं और इस प्रकार समतुल्य हैं।
उपपत्ति मान लीजिए
अथवा
अत:
अथवा
इसलिए वक्रों के परिवार
एवं
इस प्रकार
टिप्पणी दो परिवारों
(iii)
उपपत्ति गुणधर्म (i) से
अन्यथा हमें ज्ञात है कि
इस प्रकार गुणधर्म (ii) के संदर्भ में (1) और (2) से प्राप्त होता है कि
(iv) किसी वास्तविक संख्या
उपपत्ति गुणधर्म (i) द्वारा
और
इसलिए गुणधर्म (ii) का उपयोग करते हुए हम पाते हैं कि
(v) प्रगुणों (iii) और (iv) का
दिए हुए फलन का प्रतिअवकलज ज्ञात करने के लिए हम अंतर्जान से ऐसे फलन की खोज करते हैं जिसका अवकलज दिया हुआ फलन है। अभीष्ट फलन की इस प्रकार की खोज, जो दिए हुए फलन के प्रति अवकलज ज्ञात करने के लिए की जाती है, को निरीक्षण द्वारा समाकलन कहते हैं। इसे हम कुछ उदाहरणों से समझते हैं।
टिप्पणी
(i) हम देखते हैं कि यदि
(iii) यदि समाकल का चर
प्रश्नावली 7.1
निम्नलिखित फलनों के प्रतिअवकलज (समाकलन) निरीक्षण विधि द्वारा ज्ञात कीजिए।
1.
2.
3.
4.
5.
निम्नलिखित समाकलनों को ज्ञात कीजिए:
6.
7.
8.
9.
10.
11.
12.
13.
14.
15.
16.
17.
18.
19.
20.
प्रश्न 21 एवं 22 में सही उत्तर का चयन कीजिए:
21.
22. यदि
7.3 समाकलन की विधियाँ (Methods of Integration)
पिछले परिच्छेद में हमने ऐसे समाकलनों की चर्चा की थी, जो कुछ फलनों के अवकलजों से सरलतापूर्वक प्राप्त किए जा सकते हैं। यह निरीक्षण पर आधारित विधि थी, इसमें ऐसे फलन
1. प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन
2. आंशिक भिन्नों में वियोजन द्वारा समाकलन
3. खंडशः समाकलन
7.3.1 प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन (Integration by substitution)
इस उप परिच्छेद में हम प्रतिस्थापन विधि द्वारा समाकलन पर विचार करेंगे। स्वतंत्र चर
अब
हम
इस प्रकार
प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन के लिए यह चर परिवर्तन का सूत्र हमारे पास उपलब्ध एक महत्वपूर्ण साधन है। उपयोगी प्रतिस्थापन क्या होगा इसका अनुमान लगाना हमेशा महत्वपूर्ण है। सामान्यतः हम एक ऐसे फलन के लिए प्रतिस्थापन करते हैं जिसका अवकलज भी समाकल्य में सम्मिलित हों, जैसा कि निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा स्पष्ट किया गया है।
प्रश्नावली 7.2
1 से 37 तक के प्रश्नों में प्रत्येक फलन का समाकलन ज्ञात कीजिए।
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11.
12.
13.
14.
15.
16.
17.
18.
19.
20.
21.
22.
23.
24.
25.
26.
27.
28.
29.
30.
31.
32.
33.
34.
35.
36.
37.
प्रश्न 38 एवं 39 में सही उत्तर का चयन कीजिए:
38.
(A)
(B)
(C)
(D)
39.
(A)
(B)
(C)
(D)
7.3.2 त्रिकोणमितीय सर्व-समिकाओं के उपयोग द्वारा समाकलन (Integration using trigonometric identities)
जब समाकल्य में कुछ त्रिकोणमितीय फलन निहित होते हैं, तो हम समाकलन ज्ञात करने के लिए कुछ ज्ञात सर्वसमिकाओं का उपयोग करते हैं जैसा कि निम्नलिखित उदाहरणों के द्वारा समझाया गया है।
प्रश्नावली 7.3
1 से 22 तक के प्रश्नों में प्रत्येक फलन का समाकलन ज्ञात कीजिए।
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11.
12.
13.
14.
15.
16.
17.
18.
19.
20.
21.
22.
प्रश्न 23 एवं 24 में सही उत्तर का चयन कीजिए।
23.
(A)
(B)
(C)
(D)
24.
(A)
(B)
(C)
(D)
7.4 कुछ विशिष्ट फलनों के समाकलन (Integrals of Some Particular Functions)
इस परिच्छेद में हम निम्नलिखित महत्वपूर्ण समाकलन सूत्रों की व्याख्या करेंगे और बहुत से दूसरे संबंधित प्रामाणिक समाकलनों को ज्ञात करने में उनका प्रयोग करेंगे।
(1)
(2)
(3)
(4)
(5)
(6)
अब हम उपर्युक्त परिणामों को सिद्ध करते हैं।
(1) हम जानते हैं कि
इसलिए
(2) उपर्युक्त (1) के अनुसार हम पाते हैं कि
इसलिए
टिप्पणी (1) में उपयोग की गई विधि की व्याख्या परिच्छेद 7.5 में की जाएगी।
(3)
इसलिए
(4) मान लीजिए
इसलिए
(5) मान लीजिए कि
इसलिए
(6) मान लीजिए कि
इसलिए
इन प्रामाणिक सूत्रों के प्रयोग से अब हम कुछ और सूत्र प्राप्त करते हैं जो अनुप्रयोग की दृष्टि से उपयोगी हैं और दूसरे समाकलनों का मान ज्ञात करने के लिए इनका सीधा प्रयोग किया जा सकता है।
(7) समाकलन
अब
(8)
(9)
(10)
प्रश्नावली 7.4
प्रश्न 1 से 23 तक के फलनों का समाकलन कीजिए।
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11.
12.
13.
14.
15.
16.
17.
18.
19.
20.
21.
22.
23.
प्रश्न 24 एवं 25 में सही उत्तर का चयन कीजिए:
24.
(A)
(B)
(C)
(D)
25.
(A)
(B)
(C)
(D)
7.5 आंशिक भिन्नों द्वारा समाकलन (Integration by Partial Fractions)
स्मरण कीजिए कि एक परिमेय फलन
मान लीजिए कि हम
सारणी 7.2
क्रमांक | परिमेय फलन का रूप | आंशिक भिन्नों का रूप |
---|---|---|
1. | ||
2. | ||
3. | ||
4. | ||
5. | ||
जहाँ |
उपर्युक्त सारणी में
प्रश्नावली 7.5
1 से 21 तक के प्रश्नों में परिमेय फलनों का समाकलन कीजिए।
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11.
12.
13.
14.
15.
16.
17.
18.
19.
प्रश्न 22 एवं 23 में सही उत्तर का चयन कीजिए।
22.
(A)
(B)
(C)
(D)
23.
(A)
(B)
(C)
(D)
7.6 खंडश: समाकलन (Integration by Parts)
इस परिच्छेद में हम समाकलन की एक और विधि की चर्चा करेंगे जो कि दो फलनों के गुणनफल का समाकलन करने में बहुत उपयोगी है।
यदि एकल चर
दोनों पक्षों का समाकलन करने पर हम पाते हैं कि
अथवा
मान लीजिए कि
इसलिए समीकरण (1) को निम्नलिखित रूप में लिखा जा सकता है
अर्थात्
यदि हम
“दो फलनों के गुणनफल का समाकलन
7.6.1 के प्रकार का समाकलन
हमें ज्ञात है कि
I में
अत:
प्रश्नावली 7.6
1 से 22 तक के प्रश्नों के फलनों का समाकलन कीजिए।
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11.
12.
13.
14.
15.
16.
17.
18.
19.
20.
21.
प्रश्न 23 एवं 24 में सही उत्तर का चयन कीजिए।
23.
(A)
(B)
(C)
(D)
24.
(A)
(B)
(C)
(D)
7.6.2 कुछ अन्य प्रकार के समाकलन (Integrals of some more types)
यहाँ हम खंडशः समाकलन विधि पर आधारित कुछ विशिष्ट प्रकार के प्रामाणिक समाकलनों की चर्चा करेंगे। जैसे कि
(i)
(i) मान लीजिए कि
अचर फलन 1 को द्वितीय फलन मानते हुए और खंडशः समाकलन द्वारा हम पाते हैं
अथवा
अथवा
इसी प्रकार दूसरे दो समाकलनों में अचर फलन 1 को द्वितीय फलन लेकर एवं खंडशः समाकलन विधि द्वारा हम पाते हैं
(ii)
(iii)
विकल्पतः समाकलनों (i), (ii) एवं (iii) में क्रमशः
प्रश्नावली 7.7
1 से 9 तक के प्रश्नों के फलनों का समाकलन कीजिए।
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
प्रश्न 10 एवं 11 में सही उत्तर का चयन कीजिए।
10.
(A)
(B)
(C)
(D)
11.
(A)
(B)
(C)
(D)
7.7 निश्चित समाकलन (Definite Integral)
पिछले परिच्छेदों में हमने अनिश्चित समाकलनों के बारे में अध्ययन किया है और कुछ विशिष्ट फलनों के समाकलनों सहित अनिश्चित समाकलनों को ज्ञात करने की कुछ विधियों पर चर्चा की है। इस परिच्छेद में हम किसी फलन के निश्चित समाकलन का अध्ययन करेंगे। निश्चित समाकलन का एक अद्वितीय मान होता है। एक निश्चित समाकलन को
7.8 कलन की आधारभूत प्रमेय (Fundamental Theorem of Calculus)
7.8.1 क्षेत्रफल फलन (Area function)
हमने
दूसरे शब्दों में इस छायांकित क्षेत्र का क्षेत्रफल
इस परिभाषा पर आधारित दो आधारभूत प्रमेय हैं। तथापि हम यहाँ पर केवल इनकी व्याख्या करेंगे क्योंकि इनकी उपपत्ति इस पाठ्यपुस्तक की सीमा के बाहर है।
7.8.2 प्रमेय 1 समाकलन गणित की प्रथम आधारभूत प्रमेय (First fundamental theorem
of integral calculus)मान लीजिए कि बंद अंतराल
7.8.3 समाकलन गणित की द्वितीय आधारभूत प्रमेय (Second fundamental theorem of
integral calculus)हम नीचे एक ऐसे महत्वपूर्ण प्रमेय की व्याख्या करते हैं जिसकी सहायता से हम प्रतिअवकलज का उपयोग करते हुए निश्चित समाकलनों का मान ज्ञात करते हैं।
प्रमेय 2 मान लीजिए कि बंद अंतराल
टिप्पणी
1. शब्दों में हम प्रमेय 2 को इस प्रकार व्यक्त करते हैं कि
2. यह प्रमेय अत्यंत उपयोगी है क्योंकि यह हमें योगफल की सीमा ज्ञात किए बिना निश्चित समाकलन को ज्ञात करने की आसान विधि प्रदान करती है।
3. एक निश्चित समाकलन ज्ञात करने में जटिल संक्रिया एक ऐसे फलन का प्राप्त करना है जिसका अवकलज दिया गया समाकल्य है। यह अवकलन और समाकलन के बीच संबंध को और मजबूत करता है।
4.
(i) अनिश्चित समाकलन
इस प्रकार निश्चित समाकलन का मान ज्ञात करने में स्वेच्छ अचर विलुप्त हो जाता है।
(ii)
प्रश्नावली 7.8
1 से 20 तक के प्रश्नों में निश्चित समाकलनों का मान ज्ञात कीजिए।
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11.
12.
13.
14.
15.
16.
17.
18.
प्रश्न 21 एवं 22 में सही उत्तर का चयन कीजिए।
21.
(A)
(B)
(C)
(D)
22.
(A)
(B)
(C)
(D)
7.9 प्रतिस्थापन द्वारा निश्चित समाकलनों का मान ज्ञात करना (Evaluation of Definite
Integrals by Substitution)पिछले परिच्छेदों में हमने अनिश्चित समाकलन ज्ञात करने की अनेक विधियों की चर्चा की है। अनिश्चित समाकलन ज्ञात करने की महत्वपूर्ण विधियों में एक विधि प्रतिस्थापन विधि है।
प्रतिस्थापन विधि से
1. समाकलन के बारे में सीमाओं के बिना विचार कीजिए और
2. समाकलन अचर की व्याख्या किए बिना नए समाकल्य का नए चर के सापेक्ष समाकलन कीजिए।
3. नए चर के स्थान पर पुनः प्रतिस्थापन कीजिए और उत्तर को मूल चर के रूप में लिखिए।
4. चरण (3) से प्राप्त उत्तर का समाकलन की दी हुई सीमाओं पर मान ज्ञात कीजिए और उच्च सीमा वाले मान से निम्न सीमा वाले मान का अंतर ज्ञात कीजिए।
टिप्पणी इस विधि को तीव्रतर बनाने के लिए हम निम्नलिखित प्रकार आगे बढ़ सकते हैं। चरण (1) एवं (2) को करने के बाद चरण (3) को करने की आवश्यकता नहीं है। यहाँ समाकलन को नए चर के रूप में रखा जाता है और समाकलन की सीमाओं को नए चर के अनुसार परिवर्तित कर लेते हैं ताकि हम सीधे अंतिम चरण की क्रिया कर सकें।
आइए इसे हम उदाहरणों से समझते हैं।
प्रश्नावली 7.9
1 से 8 तक के प्रश्नों समाकलनों का मान प्रतिस्थापन का उपयोग करते हुए ज्ञात कीजिए।
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
प्रश्न 9 एवं 10 में सही उत्तर का चयन कीजिए।
9. समाकलन
(A) 6
(B) 0
(C) 3
(D) 4
10. यदि
(A)
(B)
(C)
(D)
7.10 निश्चित समाकलनों के कुछ गुणधर्म (Some Properties of Definite Integrals)
निश्चित समाकलनों के कुछ महत्वपूर्ण गुणधर्मों को हम नीचे सूचीबद्ध करते हैं। ये गुण धर्म निश्चित समाकलनों का मान आसानी से ज्ञात करने में उपयोगी होंगे।
(ii)
यहाँ हम प्रेक्षित करते हैं कि यदि
और
(2) और (3) को जोड़ने पर हम पाते हैं कि
इससे गुणधर्म
दाएँ पक्ष के दूसरे समाकलन में
अत:
अब यदि
और यदि
(i) अब यदि
(ii) यदि
प्रश्नावली 7.10
निश्चित समाकलनों के गुणधर्मों का उपयोग करते हुए 1 से 19 तक के प्रश्नों में समाकलनों का मान ज्ञात कीजिए।
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11.
12.
13.
14.
15.
16. दर्शाइए कि
प्रश्न 20 एवं 21 में सही उत्तर का चयन कीजिए।
20.
(A) 0
(B) 2
(C)
(D) 1
21.
(A) 2
(B)
(C) 0
(D) -2
अध्याय 7 पर विविध प्रश्नावली
1 से 24 तक के प्रश्नों के फलनों का समाकलन कीजिए।
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11.
12.
13.
14.
15.
16.
17.
18.
19.
20.
21.
22.
23.
24 से 31 तक के प्रश्नों में निश्चित समाकलनों का मान ज्ञात कीजिए।
24.
25.
26.
27.
निम्नलिखित को सिद्ध कीजिए (प्रश्न 32 से 39 तक)।
32.
33.
34.
35.
36.
38 से 40 तक के प्रश्नों में सही उत्तर का चयन कीजिए।
38.
(A)
(B)
(C)
(D)
39.
(A)
(B)
(C)
(D)
40. यदि
(A)
(B)
(C)
(D)
सारांश
-
समाकलन, अवकलन का व्युत्क्रम प्रक्रम है। अवकलन गणित में हमें एक फलन दिया हुआ होता है और हमें इस फलन का अवकलज अथवा अवकल ज्ञात करना होता है परंतु समाकलन गणित में हमें एक ऐसा फलन ज्ञात करना होता है जिसका अवकल दिया हुआ होता है। अतः समाकलन एक ऐसा प्रक्रम है जो कि अवकलन का व्युत्क्रम है।
-
मान लीजिए कि
. तब हम लिखते हैं। ये समाकलन अनिश्चित समाकलन अथवा व्यापक समाकलन कहलाते हैं। समाकलन अचर कहलाता है। इन सभी समाकलनों में एक अचर का अंतर होता है। -
अनिश्चित समाकलन के कुछ गुणधर्म निम्नलिखित है।
1.
2. किसी भी वास्तविक संख्या
अधिक व्यापकतः, यदि
- कुछ प्रामाणिक समाकलन
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
(vii)
(ix)
(x)
(xi)
(xii)
(xiii)
(xiv)
- आंशिक भिन्नों द्वारा समाकलन
स्मरण कीजिए कि एक परिमेय फलन
1.
2.
3.
4.
5.
जहाँ
- प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन
समाकलन के चर में परिवर्तन दिए हुए समाकलन को किसी एक आधारूत समाकलन में परिवर्तित कर देता है। यह विधि जिसमें हम एक चर को किसी दूसरे चर में परिवर्तित करते हैं प्रतिस्थापन विधि कहलाती है। जब समाकल्य में कुछ त्रिकोणमितीय फलन सम्मिलित हों तो हम समाकलन ज्ञात करने के लिए कुछ सुपरिचित सर्व समिकाओं का उपयोग करते हैं। प्रतिस्थापन विधि का उपयोग करते हुए हम निम्नलिखित प्रामाणिक समाकलनों को प्राप्त करते हैं:
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
- कुछ विशिष्ट फलनों के समाकलन
(i)
(ii)
(iii)
(vi)
- खंडशः समाकलन
दिए हुए फलनों
- कुछ विशिष्ट प्रकार के समाकलन
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
-
हमने
को, वक्र -अक्ष एवं कोटियों और से घिरे क्षेत्र के क्षेत्रफल के रूप में परिभाषित किया है। मान लीजिए में एक बिंदु है तब क्षेत्रफल फलन को निरूपित करता है। क्षेत्रफल फलन की संकल्पना हमें कलन की आधारभूत प्रमेय की ओर निम्नलिखित रूप में प्रेरित करती है। -
समाकलन गणित की प्रथम आधारभूत प्रमेय मान लीजिए कि क्षेत्रफल फलन
, द्वारा परिभाषित है जहाँ फलन अंतराल पर संतत फलन माना गया है। तब -
समाकलन गणित की द्वितीय आधारभूत प्रमेय
मान लीजिए किसी बंद अंतराल
यह परिसर