The essence of mathematics lies in its freedom - CANTOR
3.1 भूमिका (Introduction)
गणित की विविध शाखाओं में आव्यूह के ज्ञान की आवश्यकता पड़ती है। आव्यूह, गणित के सर्वाधिक शक्तिशाली साधनों में से एक है। अन्य सीधी-सादी विधियों की तुलना में यह गणितीय साधन हमारे कार्य को काफी हद तक सरल कर देता है। रैखिक समीकरणों के निकाय को हल करने के लिए संक्षिप्त तथा सरल विधियाँ प्राप्त करने के प्रयास के परिणामस्वरूप आव्यूह की संकल्पना का विकास हुआ। आव्यूहों को केवल रैखिक समीकरणों के निकाय के गुणांकों को प्रकट करने के लिए ही नहीं प्रयोग किया जाता है, अपितु आव्यूहों की उपयोगिता इस प्रयोग से कहीं अधिक है। आव्यूह संकेतन तथा संक्रियाओं का प्रयोग व्यक्तिगत कंप्यूटर के लिए इलेक्ट्रानिक स्प्रेडशीट प्रोग्रामों (Electronic Spreadsheet Programmes) में किया जाता है, जिसका प्रयोग, क्रमशः वाणिज्य तथा विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में होता है, जैसे, बजट (Budgeting), विक्रय बहिर्वेशन (Sales Projection), लागत आकलन (Cost Estimation), किसी प्रयोग के परिणामों का विश्लेषण इत्यादि। इसके अतिरिक्त अनेक भौतिक संक्रियाएँ जैसे आवर्धन (Magnification), घूर्णन (Rotation) तथा किसी समतल द्वारा परावर्तन (Reflection) को आव्यूहों द्वारा गणितीय ढंग से निरूपित किया जा सकता है। आव्यूहों का प्रयोग गूढ़लेखिकी (Cryptography) में भी होता है। इस गणितीय साधन का प्रयोग न केवल विज्ञान की ही कुछ शाखाओं तक सीमित है, अपितु इसका प्रयोग अनुवंशिकी, अर्थशास्त्र, आधुनिक मनोविज्ञान तथा औद्यौगिक प्रबंधन में भी किया जाता है।
इस अध्याय में आव्यूह तथा आव्यूह बीजगणित (Matrix algebra) के आधारभूत सिद्धांतों से अवगत होना, हमें रुचिकर लगेगा।
3.2 आव्यूह (Matrix)
मान लीजिए कि हम यह सूचना व्यक्त करना चाहते हैं कि राधा के पास 15 पुस्तिकाएँ हैं। इसे हम [15] रूप में, इस समझ के साथ व्यक्त कर सकते हैं, कि [] के अंदर लिखित संख्या राधा के पास पुस्तिकाओं की संख्या है। अब यदि हमें यह व्यक्त करना है कि राधा के पास 15 पुस्तिकाएँ तथा 6 कलमें हैं, तो इसे हम [15 6] प्रकार से, इस समझ के साथ व्यक्त कर सकते हैं कि [] के अंदर की प्रथम प्रविष्टि राधा के पास की पुस्तिकाओं की संख्या, जबकि द्वितीय प्रविष्टि राधा के पास कलमों
की संख्या दर्शाती है। अब मान लीजिए कि हम राधा तथा उसके दो मित्रों फौजिया तथा सिमरन के पास की पुस्तिकाओं तथा कलमों की निम्नलिखित सूचना को व्यक्त करना चाहते हैं:
राधा के पास | 15 | पुस्तिकाएँ तथा | 6 कलम हैं, |
फौजिया के पास | 10 | पुस्तिकाएँ तथा | 2 कलम हैं, |
सिमरन के पास | 13 | पुस्तिकाएँ तथा | 5 कलम हैं, |
अब इसे हम सारणिक रूप में निम्नलिखित प्रकार से व्यवस्थित कर सकते हैं:
इसे निम्नलिखित ढंग से व्यक्त कर सकते हैं:
अथवा
जिसे निम्नलिखित ढंग से व्यक्त कर सकते हैं:
पहली प्रकार की व्यवस्था में प्रथम स्तंभ की प्रविष्टियाँ क्रमशः राधा, फौजिया तथा सिमरन के पास पुस्तिकाओं की संख्या प्रकट करती हैं और द्वितीय स्तंभ की प्रविष्टियाँ क्रमशः राधा, फौजिया तथा
सिमरन के पास कलमों की संख्या प्रकट करती हैं। इसी प्रकार, दूसरी प्रकार की व्यवस्था में प्रथम पंक्ति की प्रविष्टियाँ क्रमशः राधा, फौजिया तथा सिमरन के पास पुस्तिकाओं की संख्या प्रकट करती हैं। द्वितीय पंक्ति की प्रविष्टियाँ क्रमशः राधा, फौजिया तथा सिमरन के पास कलमों की संख्या प्रकट करती हैं। उपर्युक्त प्रकार की व्यवस्था या प्रदर्शन को आव्यूह कहते हैं। औपचारिक रूप से हम आव्यूह को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित करते हैं:
परिभाषा 1 आव्यूह संख्याओं या फलनों का एक आयताकार क्रम-विन्यास है। इन संख्याओं या फलनों को आव्यूह के अवयव अथवा प्रविष्टियाँ कहते हैं।
आव्यूह को हम अंग्रेजी वर्णमाला के बड़े (Capital) अक्षरों द्वारा व्यक्त करते हैं। आव्यूहों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
उपर्युक्त उदाहरणों में क्षैतिज रेखाएँ आव्यूह की पंक्तियाँ (Rows) ओर ऊर्ध्व रेखाएँ आव्यूह के स्तंभ (Columns) कहलाते हैं। इस प्रकार
3.2.1 आव्यूह की कोटि (Order of a matrix)
सामान्यतः, किसी
अथवा
इस प्रकार
सामान्यतः
टिप्पणी इस अध्याय में,
1. हम किसी
2. हम केवल ऐसे आव्यूहों पर विचार करेंगे, जिनके अवयव वास्तविक संख्याएँ हैं अथवा वास्तविक मानों को ग्रहण करने वाले फलन हैं।
हम एक समतल के किसी बिंदु
ध्यान दीजिए कि इस प्रकार हम किसी बंद रैखिक आकृति के शीर्षों को एक आव्यूह के रूप में लिख सकते हैं। उदाहरण के लिए एक चतुर्भज
अब, चतुर्भुज
अतः आव्यूहों का प्रयोग किसी समतल में स्थित ज्यामितीय आकृतियों के शीर्षों को निरूपित करने के लिए किया जा सकता है। आइए अब हम कुछ उदाहरणों पर विचार करें।
3.3 आव्यूहों के प्रकार (Types of Matrices)
इस अनुच्छेद में हम विभिन्न प्रकार के आव्यूहों की परिचर्चा करेंगे।
(i) स्तंभ आव्यूह (Column matrix)
एक आव्यूह, स्तंभ आव्यूह कहलाता है, यदि उसमें केवल एक स्तंभ होता है। उदाहरण के
लिए
(ii) पंक्ति आव्यूह (Row matrix)
एक आव्यूह, पंक्ति आव्यूह कहलाता है, यदि उसमें केवल एक पंक्ति होती है।
उदाहरण के लिए
(iii) वर्ग आव्यूह (Square matrix)
एक आव्यूह जिसमें पंक्तियों की संख्या स्तंभों की संख्या के समान होती है, एक वर्ग आव्यूह कहलाता है। अत: एक
’
टिप्पणी यदि
अतः यदि
(iv) विकर्ण आव्यूह (Diagonal matrix)
एक वर्ग आव्यूह
उदाहरणार्थ
(v) अदिश आव्यूह (Scalar matrix)
एक विकर्ण आव्यूह, अदिश आव्यूह कहलाता है, यदि इसके विकर्ण के अवयव समान होते हैं, अर्थात्, एक वर्ग आव्यूह
उदाहरणार्थ,
कोटि 1,2 तथा 3 के अदिश आव्यूह हैं।
(vi) तत्समक आव्यूह (Identity matrix)
एक वर्ग आव्यूह, जिसके विकर्ण के सभी अवयव 1 होते हैं तथा शेष अन्य सभी अवयव शून्य होते हैं, तत्समक आव्यूह कहलाता है। दूसरे शब्दों में, वर्ग आव्यूह
हम,
उदाहरण के लिए [1],
(vii) शून्य आव्यूह (Zero matrix)
एक आव्यूह, शून्य आव्यूह अथवा रिक्त आव्यूह कहलाता है, यदि इसके सभी अवयव शून्य होते हैं।
उदाहरणार्थ, [0],
3.3.1 आव्यूहों की समानता (Equality of matrices)
परिभाषा 2 दो आव्यूह
(i) वे समान कोटियों के होते हों, तथा
(ii)
उदाहरण के लिए,
यदि
प्रश्नावली 3.1
1. आव्यूह
2. यदि किसी आव्यूह में 24 अवयव हैं तो इसकी संभव कोटियाँ क्या हैं? यदि इसमें 13 अवयव हों तो कोटियाँ क्या होंगी?
3. यदि किसी आव्यूह में 18 अवयव हैं तो इसकी संभव कोटियाँ क्या हैं? यदि इसमें 5 अवयव हों तो क्या होगा?
4. एक
5. एक
6. निम्नलिखित समीकरणों से
7. समीकरण
8.
(A)
(B)
(C)
(D) इनमें से कोई नहीं
9.
(A)
(B) ज्ञात करना संभव नहीं है
(C)
(D)
10.
(A) 27
(B) 18
(C) 81
(D) 512
3.4 आव्यूहों पर संक्रियाएँ (Operations on Matrices)
इस अनुच्छेद में हम आव्यूहों पर कुछ संक्रियाओं को प्रस्तुत करेंगे जैसे आव्यूहों का योग, किसी आव्यूह का एक अदिश से गुणा, आव्यूहों का व्यवकलन तथा गुणा:
3.4.1 आव्यूहों का योग (Addition of matrices)
मान लीजिए कि फातिमा की स्थान
मान लीजिए कि फातिमा प्रत्येक मूल्य वर्ग में बनने वाले खेल के जूतों की कुल संख्या जानना चाहती हैं। अब कुल उत्पादन इस प्रकार है:
मूल्य वर्ग 1 : लड़कों के लिए
मूल्य वर्ग 2 : लड़कों के लिए
मूल्य वर्ग 3 : लड़कों के लिए
आव्यूह के रूप में इसे इस प्रकार प्रकट कर सकते हैं
यह नया आव्यूह, उपर्युक्त दो आव्यूहों का योगफल है। हम देखते हैं कि दो आव्यूहों का योगफल, प्रदत्त आव्यूहों के संगत अवयवों को जोड़ने से प्राप्त होने वाला आव्यूह होता है। इसके अतिरिक्त, योग के लिए दोनों आव्यूहों को समान कोटि का होना चाहिए।
इस प्रकार, यदि
व्यापक रूप से, मान लीजिए कि
टिप्पणी
1. हम इस बात पर बल देते हैं कि यदि
2. हम देखते हैं कि आव्यूहों का योग, समान कोटि वाले आव्यूहों के समुच्चय में द्विआधारी संक्रिया का एक उदाहरण है।
3.4.2 एक आव्यूह का एक अदिश से गुणन (Multiplication of a matrix by a scalar)
अब मान लीजिए कि फ़ातिमा ने
1
3
इसे आव्यूह रूप में,
नया आव्यूह पहले आव्यूह के प्रत्येक अवयव को 2 से गुणा करने पर प्राप्त होता है।
व्यापक रूप में हम, किसी आव्यूह के एक अदिश से गुणन को, निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित करते हैं। यदि
दूसरे शब्दों में,
उदाहरण के लिए, यदि
आव्यूह का ऋण आव्यूह (Negative of a matrix) किसी आव्यूह
उदाहरणार्थ, मान लीजिए कि
आव्यूहों का अंतर (Difference of matrices) यदि
मानों के लिए
3.4.3 आव्यूहों के योग के गुणधर्म (Properties of matrix addition)
आव्यूहों के योग की संक्रिया निम्नलिखित गुणधर्मों (नियमों) को संतुष्ट करती है:
(i) क्रम-विनिमेय नियम (Commutative Law) यदि
अब
(ii) साहचर्य नियम (Associative Law) समान कोटि
अब
(iii) योग के तत्समक का अस्तित्व (Existence of additive identity) मान लीजिए कि
(iv) योग के प्रतिलोम का अस्तित्व (The existence of additive inverse) मान लीजिए कि
कि
3.4.4 एक आव्यूह के अदिश गुणन के गुणधर्म (Properties of scalar multiplication of
a matrix)यदि
अब,
(i)
(ii)
3.4.5 आव्यूहों का गुणन (Multiplication of matrices)
मान लीजिए कि मीरा और नदीम दो मित्र हैं। मीरा 2 कलम तथा 5 कहानी की पुस्तकें खरीदना चाहती हैं, जब कि नदीम को 8 कलम तथा 10 कहानी की पुस्तकों की आवश्यकता है। वे दोनों एक दुकान पर (कीमत) ज्ञात करने के लिए जाते हैं, जो निम्नलिखित प्रकार है:
कलम - प्रत्येक ₹ 5 , कहानी की पुस्तक - प्रत्येक ₹ 50 है।
उन दोनों में से प्रत्येक को कितनी धनराशि खर्च करनी पड़ेगी? स्पष्टतया, मीरा को
आवश्यकता
आवश्यक धनराशि ( रुपयों में)
मान लीजिए कि उनके द्वारा किसी अन्य दुकान पर ज्ञात करने पर भाव निम्नलिखित प्रकार हैं:
अब, मीरा तथा नदीम द्वारा खरीदारी करने के लिए आवश्यक धनराशि क्रमशः ₹
पुनः उपर्युक्त सूचना को निम्नलिखित ढंग से निरूपित कर सकते हैं:
आवश्यकता प्रति नग दाम ( रुपयों में) आवश्यक धनराशि ( रुपयों में)
अब, उपर्युक्त दोनों दशाओं में प्राप्त सूचनाओं को एक साथ आव्यूह निरूपण द्वारा निम्नलिखित प्रकार से प्रकट कर सकते हैं:
आवश्यकता
प्रति नग दाम ( रुपयों में )
उपर्युक्त विवरण आव्यूहों के गुणन का एक उदाहरण है। हम देखते हैं कि आव्यूहों
दो आव्यूहों
आव्यूह
उदाहरण के लिए, यदि
गुणनफल
अत:
टिप्पणी यदि
आव्यूहों के गुणन की अक्रम-विनिमेयता (Non-Commutativity of multiplication of matrices)
अब हम एक उदाहरण के द्वारा देखेंगे कि, यदि
टिप्पणी इसका तात्पर्य यह नहीं है कि
ध्यान दीजिए कि समान कोटि के विकर्ण आव्यूहों का गुणन क्रम-विनिमेय होता है।
दो शून्येतर आव्यूहों के गुणनफल के रूप में शून्य आव्यूहः (Zero matrix as the product of two non-zero matrices)
हमें ज्ञात है कि दो वास्तविक संख्याओं
3.4.6 आव्यूहों के गुणन के गुणधर्म (Properties of multiplication of matrices)
आव्यूहों के गुणन के गुणधर्मों का हम नीचे बिना उनकी उपपत्ति दिए उल्लेख कर रहे हैं:1. साहचर्य नियम: किन्हीं भी तीन आव्यूहों
2. वितरण नियम : किन्हीं भी तीन आव्यूहों
(i)
(ii)
3. गुणन के तत्समक का अस्तित्व : प्रत्येक वर्ग आव्यूह
अब हम उदाहरणों के द्वारा उपर्युक्त गुणधर्मां का सत्यापन करेंगे।
प्रश्नावली 3.2
1. मान लीजिए कि
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v) BA
2. निम्नलिखित को परिकलित कीजिए:
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
3. निदर्शित गुणनफल परिकलित कीजिए:
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
4. यदि
5. यदि
6. सरल कीजिए,
7.
8.
9.
10. प्रदत्त समीकरण को
11. यदि
12. यदि
13. यदि
14. दर्शाइए कि
(ii)
15. यदि
16. यदि
17. यदि
18. यदि
19. किसी व्यापार संघ के पास 30,000 रुपयों का कोष है जिसे दो भिन्न-भिन्न प्रकार के बांडों में निवेशित करना है। प्रथम बांड पर
(a) Rs 1800 हो। (b) Rs 2000 हो।
20. किसी स्कूल की पुस्तकों की दुकान में 10 दर्जन रसायन विज्ञान, 8 दर्जन भौतिक विज्ञान तथा 10 दर्जन अर्थशास्त्र की पुस्तकें हैं। इन पुस्तकों का विक्रय मूल्य क्रमशः Rs 80 , Rs 60 तथा Rs 40 प्रति पुस्तक है। आव्यूह बीजगणित के प्रयोग द्वारा ज्ञात कीजिए कि सभी पुस्तकों को बेचने से दुकान को कुल कितनी धनराशि प्राप्त होगी।
मान लीजिए कि
21.
22. यदि
3.5. आव्यूह का परिवर्त (Transpose of a Matrix)
इस अनुच्छेद में हम किसी आव्यूह के परिवर्त तथा कुछ विशेष प्रकार के आव्यूहों, जैसे सममित आव्यूह (Symmetric Matrix) तथा विषम सममित आव्यूह (Skew Symmetric Matrix) के बारे में जानेंगे।
परिभाषा 3 यदि
आव्यूहों के परिवर्त के गुणधर्म (Properties of transpose of matrices)
अब हम किसी आव्यूह के परिवर्त आव्यूह के निम्नलिखित गुणधर्मों को बिना उपपत्ति दिए व्यक्त करते हैं। इनका सत्यापन उपयुक्त उदाहरणों द्वारा किया जा सकता हैं। उपयुक्त कोटि के किन्हीं आव्यूहों
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
3.6 सममित तथा विषम सममित आव्यूह (Symmetric and Skew Symmetric Matrices)
परिभाषा 4 एक वर्ग आव्यूह
उदाहरण के लिए,
परिभाषा 5 एक वर्ग आव्यूह
इसका अर्थ यह हुआ कि किसी विषम सममित आव्यूह के विकर्ण के सभी अवयव शून्य होते हैं। उदाहरणार्थ आव्यूह
प्रमेय 1 वास्तविक अवयवों वाले किसी वर्ग आव्यूह
इसलिए
अब मान लीजिए कि
अत:
प्रमेय 2 किसी वर्ग आव्यूह को एक सममित तथा एक विषम सममित आव्यूहों के योगफल के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
उपपत्ति मान लीजिए कि
प्रमेय 1 द्वारा हमें ज्ञात है कि
प्रश्नावली 3.3
1. निम्नलिखित आव्यूहों में से प्रत्येक का परिवर्त ज्ञात कीजिए:
(i)
(ii)
(iii)
2. यदि
3. यदि
(i)
(ii)
4. यदि
5.
(i)
(ii)
6. (i) यदि
(ii) यदि
7. (i) सिद्ध कीजिए कि आव्यूह
(ii) सिद्ध कीजिए कि आव्यूह
8. आव्यूह
(i)
(ii)
9. यदि
10. निम्नलिखित आव्यूहों को एक सममित आव्यूह तथा एक विषम सममित आव्यूह के योगफल के रूप में व्यक्त कीजिए:
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
प्रश्न संख्या 11 तथा 12 में सही उत्तर चुनिए:
11. यदि
(A) विषम सममित आव्यूह है
(B) सममित आव्यूह है
(C) शून्य आव्यूह है
(D) तत्समक आव्यूह है
12. यदि
(A)
(B)
(C)
(D)
3.7 व्युत्क्रमणीय आव्यूह (Invertible Matrices)
परिभाषा 6 यदि
उदाहरणार्थ, मान लीजिए कि
अब
साथ ही
टिप्पणी
1. किसी आयताकार (Rectangular) आव्यूह का व्युत्क्रम आव्यूह नहीं होता है, क्योंकि गुणनफल
2. यदि
प्रमेय 3 [व्युत्क्रम आव्यूह की अद्वितीयता (Uniqueness of inverse)] किसी वर्ग आव्यूह का व्युत्क्रम आव्यूह, यदि उसका अस्तित्व है तो अद्वितीय होता है।
उपपत्ति मान लीजिए कि
क्योंकि आव्यूह
अत:
क्योंकि आव्यूह
अब
प्रमेय 4 यदि
उपपत्ति एक व्युत्क्रमणीय आव्यूह की परिभाषा से
(AB)
या
या
या
IB
या
या
या
अतः
1. आव्यूह
अध्याय 3 पर विविध प्रश्नावली
1. यदि
2. सिद्ध कीजिए कि आव्यूह
3.
4.
5. यदि
6. यदि
7. एक निर्माता तीन प्रकार की वस्तुएँ
(a) यदि
(b) यदि उपर्युक्त तीन वस्तुओं की प्रत्येक इकाई की लागत (Cost) क्रमश: Rs 2.00 , Rs 1.00 तथा पैसे 50 है तो कुल लाभ (Gross profit) ज्ञात कीजिए।
8. आव्यूह
9. यदि
(A)
(B)
(C)
(D)
10. यदि एक आव्यूह सममित तथा विषम सममित दोनों ही है तो:
(A) A एक विकर्ण आव्यूह है।
(B) A एक शून्य आव्यूह है।
(C) A एक वर्ग आव्यूह है।
(D) इनमें से कोई नहीं।
11. यदि
(A)
(B) I - A
(C) I
(D)
सारांश
-
आव्यूह, फलनों या संख्याओं का एक आयताकार क्रम-विन्यास है।
-
पंक्तियों तथा स्तंभों वाले आव्यूह को कोटि का आव्यूह कहते हैं। -
एक स्तंभ आव्यूह है। -
एक पंक्ति आव्यूह है। -
एक
आव्यूह एक वर्ग आव्यूह है, यदि है। -
एक विकर्ण आव्यूह है, यदि , जब -
एक अदिश आव्यूह है, यदि , जब , ( एक अचर है), जब है। -
एक तत्समक आव्यूह है, यदि जब तथा जब है। -
किसी शून्य आव्यूह (या रिक्त आव्यूह) के सभी अवयव शून्य होते हैं।
-
यदि (i) तथा समान कोटि के हैं तथा (ii) तथा के समस्त संभव मानों के लिए हो। -
-
-
-
, जहाँ तथा समान कोटि के आव्यूह हैं। -
, जहाँ तथा समान कोटि के आव्यूह है तथा एक अचर है। -
, जहाँ तथा अचर हैं। -
यदि
तथा तो , जहाँ है। -
(i)
, (ii) , (iii) -
यदि
तो या -
(i)
(ii) (iii) (iv) -
यदि
है तो एक सममित आव्यूह है। -
यदि
है तो एक विषम सममित आव्यूह है। -
किसी वर्ग आव्यूह को एक सममित और एक विषम सममित आव्यूहों के योगफल के रूप में निरूपित किया जा सकता है।
-
यदि
तथा दो वर्ग आव्यूह हैं, इस प्रकार कि , तो आव्यूह का व्युत्क्रम आव्यूह है, जिसे द्वारा निरूपित करते हैं और आव्यूह का व्यूत्क्रम है। -
वर्ग आव्यूह का व्युत्क्रम आव्यूह, यदि उसका अस्तित्व है, अद्वितीय होता है।