Mathematics, in general, is fundamentally the science of self-evident things- FELIX KLEIN

2.1 भूमिका (Introduction)

अध्याय 1 में, हम पढ़ चुके हैं कि किसी फलन $f$ का प्रतीक $f^{-1}$ द्वारा निरूपित प्रतिलोम (Inverse) फलन का अस्तित्व केवल तभी है यदि $f$ एकैकी तथा आच्छादक हो। बहुत से फलन ऐसे हैं जो एकैकी, आच्छादक या दोनों ही नहीं हैं, इसलिए हम उनके प्रतिलोमों की बात नहीं कर सकते हैं। कक्षा XI में, हम पढ़ चुके हैं कि त्रिकोणमितीय फलन अपने स्वाभाविक (सामान्य) प्रांत और परिसर में एकैकी तथा आच्छादक नहीं होते हैं और इसलिए उनके प्रतिलोमों का अस्तित्व नहीं होता है। इस अध्याय में हम त्रिकोणमितीय फलनों के प्रांतों तथा परिसरों पर लगने वाले उन प्रतिबंधों (Restrictions) का अध्ययन करेंगे, जिनसे उनके प्रतिलोमों का अस्तित्व सुनिश्चित होता है और आलेखों द्वारा प्रतिलोमों का अवलोकन करेंगे। इसके अतिरिक्त इन प्रतिलोमों के कुछ प्रारंभिक गुणधर्म (Properties) पर भी विचार करेंगे।

Arya Bhatta (476-550 A. D.)

प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन, कलन (Calculus) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि उनकी सहायता से अनेक समाकल (Integrals) परिभाषित होते हैं। प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों की संकल्पना का प्रयोग विज्ञान तथा अभियांत्रिकी (Engineering) में भी होता है।

2.2 आधारभूत संकल्पनाएँ (Basic Concepts)

कक्षा XI, में, हम त्रिकोणमितीय फलनों का अध्ययन कर चुके हैं, जो निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित हैं sine फलन, अर्थात्, $\sin : \mathbf{R} \rightarrow[-1,1]$

cosine फलन, अर्थात्, $\cos : \mathbf{R} \rightarrow[-1,1]$ tangent फलन, अर्थात्, $\tan : \mathbf{R}-\left\{x: x=(2 n+1) \frac{\pi}{2}, n \in \mathbf{Z}\right\} \rightarrow \mathbf{R}$ cotangent फलन, अर्थात्, $\cot : \mathbf{R}-\{x: x=n \pi, n \in \mathbf{Z}\} \rightarrow \mathbf{R}$

secant फलन, अर्थात, $\sec : \mathbf{R}-\left\{x: x=(2 n+1) \frac{\pi}{2}, n \in \mathbf{Z}\right\} \rightarrow \mathbf{R}-(-1,1)$ cosecant फलन, अर्थात्, $\operatorname{cosec}: \mathbf{R}-\{x: x=n \pi, n \in \mathbf{Z}\} \rightarrow \mathbf{R}-(-1,1)$

हम अध्याय 1 में यह भी सीख चुके हैं कि यदि $f: \mathrm{X} \rightarrow \mathrm{X}$ इस प्रकार है कि $f(x)=y$ एक एकैकी तथा आच्छादक फलन हो तो हम एक अद्वितीय फलन $g: Y \rightarrow X$ इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं कि $g(y)=x$, जहाँ $x \in \mathrm{X}$ तथा $y=f(x), y \in \mathrm{Y}$ है। यहाँ $g$ का प्रांत $=f$ का परिसर और $g$ का परिसर $=f$ का प्रांत। फलन $g$ को फलन $f$ का प्रतिलोम कहते हैं और इसे $f^{-1}$ द्वारा निरूपित करते हैं। साथ ही $g$ भी एकैकी तथा आच्छादक होता है और $g$ का प्रतिलोम फलन $f$ होता हैं अत: $g^{-1}=\left(f^{-1}\right)^{-1}=f$ इसके साथ ही

और

$$ \begin{aligned} & \left(f^{-1} \circ f\right)(x)=f^{-1}(f(x))=f^{-1}(y)=x \\ & \left(f \circ f^{-1}\right)(y)=f\left(f^{-1}(y)\right)=f(x)=y \end{aligned} $$

क्योंकि sine फलन का प्रांत वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है तथा इसका परिसर संवृत अंतराल $[-1,1]$ है। यदि हम इसके प्रांत को $\left[\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right]$ में सीमित (प्रतिबंधित) कर दें, तो यह परिसर $[-1,1]$ वाला, एक एकैकी तथा आच्छादक फलन हो जाता है। वास्तव में, sine फलन, अंतरालों $\left[\frac{-3 \pi}{2}, \frac{-\pi}{2}\right],\left[\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right],\left[\frac{\pi}{2}, \frac{3 \pi}{2}\right]$ इत्यादि में, से किसी में भी सीमित होने से, परिसर $[-1,1]$ वाला, एक एकैकी तथा आच्छादक फलन हो जाता है। अतः हम इनमें से प्रत्येक अंतराल में, sine फलन के प्रतिलोम फलन को $\sin ^{-1}$ (arc sine function) द्वारा निरूपित करते हैं। अतः $\sin ^{-1}$ एक फलन है, जिसका प्रांत $[-1,1]$ है, और जिसका परिसर $\left[\frac{-3 \pi}{2}, \frac{-\pi}{2}\right],\left[\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right]$ या $\left[\frac{\pi}{2}, \frac{3 \pi}{2}\right]$ इत्यादि में से कोई भी अंतराल हो सकता है। इस प्रकार के प्रत्येक अंतराल के संगत हमें फलन $\sin ^{-1}$ की एक शाखा (Branch) प्राप्त होती है। वह शाखा, जिसका परिसर $\left[\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right]$ है, मुख्य शाखा (मुख्य मान शाखा) कहलाती है, जब कि परिसर के रूप में अन्य अंतरालों से $\sin ^{-1}$ की भिन्न-भिन्न शाखाएँ मिलती हैं। जब हम फलन $\sin ^{-1}$ का उल्लेख करते हैं, तब हम इसे प्रांत $[-1,1]$ तथा परिसर $\left[\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right]$ वाला फलन समझते हैं। इसे हम $\sin ^{-1}:[-1,1] \rightarrow\left[\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right]$ लिखते हैं।

प्रतिलोम फलन की परिभाषा द्वारा, यह निष्कर्ष निकलता है कि $\sin \left(\sin ^{-1} x\right)=x$, यदि $-1 \leq x \unlhd$ तथा $\sin ^{-1}(\sin x)=x$ यदि $-\frac{\pi}{2} \leq x \leq \frac{\pi}{2}$ है। दूसरे शब्दों में, यदि $y=\sin ^{-1} x$ हो तो $\sin y=x$ होता है।

टिप्पणी

(i) हमें अध्याय 1 से ज्ञात है कि, यदि $y=f(x)$ एक व्युत्क्रमणीय फलन है, तो $x=f^{-1}(y)$ होता है। अतः मूल फलन $\sin$ के आलेख में $x$ तथा $y$ अक्षों का परस्पर विनिमय करके फलन $\sin ^{-1}$ का आलेख प्राप्त किया जा सकता है। अर्थात्, यदि $(a, b), \sin$ फलन के आलेख का एक बिंदु है, तो $(b, a), \sin$ फलन के प्रतिलोम फलन का संगत बिंदु होता है। अतः फलन

$y=\sin x$

आकृति 2.1 (i)

आकृति 2.1 (ii)

$y=\sin x$ और $y=\sin ^{-1} x$

आकृति 2.1 (iii)

$y=\sin ^{-1} x$ का आलेख, फलन $y=\sin x$ के आलेख में $x$ तथा $y$ अक्षों के परस्पर विनिमय करके प्राप्त किया जा सकता है। फलन $y=\sin x$ तथा फलन $y=\sin ^{-1} x$ के आलेखों को आकृति 2.1 (i), (ii), में दर्शाया गया है। फलन $y=\sin ^{-1} x$ के आलेख में गहरा चिह्नित भाग मुख्य शाखा को निरूपित करता है।

(ii) यह दिखलाया जा सकता है कि प्रतिलोम फलन का आलेख, रेखा $y=x$ के परितः (Along), संगत मूल फलन के आलेख को दर्पण प्रतिबिंब (Mirror Image), अर्थात् परावर्तन (Reflection) के रूप में प्राप्त किया जा सकता है। इस बात की कल्पना, $y=\sin x$ तथा $y=\sin ^{-1} x$ के उन्हीं अक्षों (Same axes) पर, प्रस्तुत आलेखों से की जा सकती है (आकृति 2.1 (iii))।

sine फलन के समान cosine फलन भी एक ऐसा फलन है जिसका प्रांत वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है और जिसका परिसर समुच्चय $[-1,1]$ है। यदि हम cosine फलन के प्रांत को अंतराल $[0, \pi]$ में सीमित कर दें तो यह परिसर $[-1,1]$ वाला एक एकैकी तथा आच्छादक फलन हो जाता है। वस्तुतः, cosine फलन, अंतरालों $[-\pi, 0],[0, \pi],[\pi, 2 \pi]$ इत्यादि में से किसी में भी सीमित होने से, परिसर $[-1,1]$ वाला एक एकैकी आच्छादी (Bijective) फलन हो जाता है। अतः हम इन में से प्रत्येक अंतराल में cosine फलन के प्रतिलोम को परिभाषित कर सकते हैं। हम cosine फलन के प्रतिलोम फलन को $\cos ^{-1}$ (arc cosine function) द्वारा निरूपित करते हैं। अतः $\cos ^{-1}$ एक फलन है जिसका प्रांत $[-1,1]$ है और परिसर $[-\pi, 0]$, $[0, \pi],[\pi, 2 \pi]$ इत्यादि में से कोई भी अंतराल हो सकता है। इस प्रकार के प्रत्येक अंतराल के संगत हमें फलन $\cos ^{-1}$ की एक शाखा प्राप्त होती है। वह शाखा, जिसका परिसर $[0, \pi]$ है, मुख्य शाखा (मुख्य मान शाखा) कहलाती है और हम लिखते हैं कि

$$ \cos ^{-1}:[-1,1] \rightarrow[0, \pi] $$

$y=\cos ^{-1} x$ द्वारा प्रदत्त फलन का आलेख उसी प्रकार खींचा जा सकता है जैसा कि $y=\sin ^{-1} x$ के आलेख के बारे में वर्णन किया जा चुका है। $y=\cos x$ तथा $y=\cos ^{-1} x$ के आलेखों को आकृतियों 2.2 (i) तथा (ii) में दिखलाया गया है।

आकृति 2.2 (i)

आकृति 2.2 (ii)

आइए अब हम $\operatorname{cosec}^{-1} x$ तथा $\sec ^{-1} x$ पर विचार करें।

क्योंकि $\operatorname{cosec} x=\frac{1}{\sin x}$, इसलिए $\operatorname{cosec}$ फलन का प्रांत समुच्चय $\{x: x \in \mathbf{R}$ और $x \neq n \pi$, $n \in \mathbf{Z}\}$ है तथा परिसर समुच्चय $\{y: y \in \mathbf{R}, y \geq 1$ अथवा $y \leq-1\}$, अर्थात्, समुच्चय $\mathbf{R}-(-1,1)$ है। इसका अर्थ है कि $y=\operatorname{cosec} x,-1<y<1$ को छोड़ कर अन्य सभी वास्तविक मानों को ग्रहण करता है तथा यह $\pi$ के पूर्णांक (Integral) गुणजों के लिए परिभाषित नहीं है। यदि हम $\operatorname{cosec}$ फलन के प्रांत को अंतराल $\left[-\frac{\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right]-\{0\}$, में सीमित कर दें, तो यह एक एकैकी तथा आच्छादक फलन होता है, जिसका परिसर समुच्चय $\mathbf{R}-(-1,1)$. होता है। वस्तुतः cosec फलन, अंतरालों $\left[\frac{-3 \pi}{2}, \frac{-\pi}{2}\right]-\{-\pi\},\left[\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right]-\{0\},\left[\frac{\pi}{2}, \frac{3 \pi}{2}\right]-\{\pi\}$ इत्यादि में से किसी में भी सीमित होने से एकैकी आच्छादी होता है और इसका परिसर समुच्चय $\mathbf{R}-(-1,1)$ होता है। इस प्रकार $\operatorname{cosec}^{-1}$ एक ऐसे फलन के रूप में परिभाषित हो सकता है जिसका प्रांत $\mathbf{R}-(-1,1)$ है और परिसर अंतरालों $\left[\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right]-\{0\},\left[\frac{-3 \pi}{2}, \frac{-\pi}{2}\right]-\{-\pi\},\left[\frac{\pi}{2}, \frac{3 \pi}{2}\right]-\{\pi\}$ इत्यादि में से कोई भी एक हो सकता है। परिसर $\left[\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right]-\{0\}$ के संगत फलन को $\operatorname{cosec}^{-1}$ की मुख्य शाखा कहते हैं। इस प्रकार मुख्य शाखा निम्नलिखित तरह से व्यक्त होती है:

आकृति 2.3 (i)

आकृति 2.3 (ii)

$$ \operatorname{cosec}^{-1}: \mathbf{R}-(-1,1) \rightarrow\left[\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right]-\{0\} $$

$y=\operatorname{cosec} x$ तथा $y=\operatorname{cosec}^{-1} x$ के आलेखों को आकृति 2.3 (i), (ii) में दिखलाया गया है।

इसी तरह, $\sec x=\frac{1}{\cos x}, y=\sec x$ का प्रांत समुच्चय $\mathbf{R}-\left\{x: x=(2 n+1) \frac{\pi}{2}, n \in \mathbf{Z}\right\}$ है तथा परिसर समुच्चय $\mathbf{R}-(-1,1)$ है। इसका अर्थ है कि sec (secant) फलन $-1<y<1$ को छोड़कर अन्य सभी वास्तविक मानों को ग्रहण (Assumes) करता है और यह $\frac{\pi}{2}$ के विषम गुणजों के लिए परिभाषित नहीं है। यदि हम secant फलन के प्रांत को अंतराल $[0, \pi]-\left\{\frac{\pi}{2}\right\}$, में सीमित कर दें तो यह एक एकैकी तथा आच्छादक फलन होता है जिसका परिसर समुच्चय $\mathbf{R}-(-1,1)$ होता है। वास्तव में secant फलन अंतरालों $[-\pi, 0]-\left\{\frac{-\pi}{2}\right\},[0, \pi]-\left\{\frac{\pi}{2}\right\}$, $[\pi, 2 \pi]-\left\{\frac{3 \pi}{2}\right\}$ इत्यादि में से किसी में भी सीमित होने से एकैकी आच्छादी होता है और इसका परिसर $\mathbf{R}-(-1,1)$ होता है। अतः $\sec ^{-1}$ एक ऐसे फलन के रूप में परिभाषित हो सकता है जिसका प्रांत $(-1,1)$ हो और जिसका परिसर अंतरालों $[-\pi, 0]-\left\{\frac{-\pi}{2}\right\},[0, \pi]-\left\{\frac{\pi}{2}\right\}$, $[\pi, 2 \pi]-\left\{\frac{3 \pi}{2}\right\}$ इत्यादि में से कोई भी हो सकता है। इनमें से प्रत्येक अंतराल के संगत हमें फलन $\sec ^{-1}$ की भिन्न-भिन्न शाखाएँ प्राप्त होती हैं। वह शाखा जिसका परिसर $[0, \pi]-\left\{\frac{\pi}{2}\right\}$ होता है, फलन $\mathrm{sec}^{-1}$ की मुख्य शाखा कहलाती है। इसको हम निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त करते हैं:

$$ \sec ^{-1}: \mathbf{R}-(-1,1) \rightarrow[0, \pi]-\left\{\frac{\pi}{2}\right\} $$

$y=\sec x$ तथा $y=\sec ^{-1} x$ के आलेखों को आकृतियों 2.4 (i), (ii) में दिखलाया गया है। अंत में, अब हम $\tan ^{-1}$ तथा $\cot ^{-1}$ पर विचार करेंगे।

हमें ज्ञात है कि, $\tan$ फलन (tangent फलन) का प्रांत समुच्चय $\{x: x \in \mathbf{R}$ तथा $\left.x \neq(2 n+1) \frac{\pi}{2}, n \in \mathbf{Z}\right\}$ है तथा परिसर $\mathbf{R}$ है। इसका अर्थ है कि $\tan$ फलन $\frac{\pi}{2}$ के विषम गुणजों

आकृति 2.4 (i)

आकृति 2.4 (ii)

के लिए परिभाषित नहीं है। यदि हम tangent फलन के प्रांत को अंतराल $\left(\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right)$ में सीमित कर दें, तो यह एक एकैकी तथा आच्छादक फलन हो जाता है जिसका परिसर समुच्चय $\mathbf{R}$ होता है। वास्तव में, tangent फलन, अंतरालों $\left(\frac{-3 \pi}{2}, \frac{-\pi}{2}\right),\left(\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right),\left(\frac{\pi}{2}, \frac{3 \pi}{2}\right)$ इत्यादि में से किसी में भी सीमित होने से एकैकी आच्छादी होता है और इसका परिसर समुच्चय $\mathbf{R}$ होता है। अतएव $\tan ^{-1}$ एक ऐसे फलन के रूप में परिभाषित हो सकता है, जिसका प्रांत $\mathbf{R}$ हो और परिसर अंतरालों $\left(\frac{-3 \pi}{2}, \frac{-\pi}{2}\right)$, $\left(\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right),\left(\frac{\pi}{2}, \frac{3 \pi}{2}\right)$ इत्यादि में से कोई भी हो सकता है। इन अंतरालों द्वारा फलन $\tan ^{-1}$ की भिन्न-भिन्न शाखाएँ मिलती हैं। वह शाखा, जिसका परिसर $\left(\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right)$ होता है, फलन $\tan ^{-1}$ की मुख्य शाखा कहलाती है। इस प्रकार

$$ \tan ^{-1}: \mathbf{R} \rightarrow\left(\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right) $$

आकृति 2.5 (i)

$y=\tan ^{-1} x$

आकृति 2.5 (ii)

$y=\tan x$ तथा $y=\tan ^{-1} x$ के आलेखों को आकृतियों 2.5 (i), (ii) में दिखलाया गया है।

हमें ज्ञात है कि $\cot$ फलन (cotangent फलन) का प्रांत समुच्चय $\{x: x \in \mathbf{R}$ तथा $x \neq n \pi$, $n \in \mathbf{Z}$ \} है तथा परिसर समुच्चय $\mathbf{R}$ है। इसका अर्थ है कि cotangent फलन, $\pi$ के पूर्णांकीय गुणजों

आकृति 2.6 (i)

आकृति 2.6 (ii)

के लिए परिभाषित नहीं है। यदि हम cotangent फलन के प्रांत को अंतराल $(0, \pi)$ में सीमित कर दें तो यह परिसर $\mathbf{R}$ वाला एक एकैकी आच्छादी फलन होता है। वस्तुतः cotangent फलन अंतरालों $(-\pi, 0),(0, \pi),(\pi, 2 \pi)$ इत्यादि में से किसी में भी सीमित होने से एकैकी आच्छादी होता है और इसका परिसर समुच्चय $\mathbf{R}$ होता है। वास्तव में $\cot ^{-1}$ एक ऐसे फलन के रूप में परिभाषित हो सकता है, जिसका प्रांत $\mathbf{R}$ हो और परिसर, अंतरालों $(-\pi, 0),(0, \pi),(\pi, 2 \pi)$ इत्यादि में से कोई भी हो। इन अंतरालों से फलन $\cot ^{-1}$ की भिन्न-भिन्न शाखाएँ प्राप्त होती हैं। वह शाखा, जिसका परिसर $(0, \pi)$ होता है, फलन $\cot ^{-1}$ की मुख्य शाखा कहलाती है। इस प्रकार

$$ \cot ^{-1}: \mathbf{R} \rightarrow(0, \pi) $$

$y=\cot x$ तथा $y=\cot ^{-1} x$ के आलेखों को आकृतियों 2.6 (i), (ii) में प्रदर्शित किया गया है।

निम्नलिखित सारणी में प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों (मुख्य मानीय शाखाओं) को उनके प्रांतों तथा परिसरों के साथ प्रस्तुत किया गया है।

टिप्पणी

1. $\sin ^{-1} x$ से $(\sin x)^{-1}$ की भ्रांति नहीं होनी चाहिए। वास्तव में $(\sin x)^{-1}=\frac{1}{\sin x}$ और यह तथ्य अन्य त्रिकोणमितीय फलनों के लिए भी सत्य होता है।

2. जब कभी प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों की किसी शाखा विशेष का उल्लेख न हो, तो हमारा तात्पर्य उस फलन की मुख्य शाखा से होता है।

3. किसी प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन का वह मान, जो उसकी मुख्य शाखा में स्थित होता है, प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन का मुख्य मान (Principal value) कहलाता है।

अब हम कुछ उदाहरणों पर विचार करेंगे:

प्रश्नावली 2.1

निम्नलिखित के मुख्य मानों को ज्ञात कीजिए:

1. $\sin ^{-1}\left(-\frac{1}{2}\right)$

2. $\cos ^{-1}\left(\frac{\sqrt{3}}{2}\right)$

3. $\operatorname{cosec}^{-1}(2)$

4. $\tan ^{-1}(-\sqrt{3})$

5. $\cos ^{-1}\left(-\frac{1}{2}\right)$

6. $\tan ^{-1}(-1)$

7. $\sec ^{-1}\left(\frac{2}{\sqrt{3}}\right)$

8. $\cot ^{-1}(\sqrt{3})$

9. $\cos ^{-1}\left(-\frac{1}{\sqrt{2}}\right)$

10. $\operatorname{cosec}^{-1}(-\sqrt{2})$

निम्नलिखित के मान ज्ञात कीजिए:

11. $\tan ^{-1}(1)+\cos ^{-1}\left(-\frac{1}{2}\right)+\sin ^{-1}\left(-\frac{1}{2}\right) \quad$ 12. $\cos ^{-1}\left(\frac{1}{2}\right)+2 \sin ^{-1}\left(\frac{1}{2}\right)$

13. यदि $\sin ^{-1} x=y$, तो

(A) $0 \leq y \leq \pi$

(B) $-\frac{\pi}{2} \leq y \leq \frac{\pi}{2}$

(C) $0<y<\pi$

(D) $-\frac{\pi}{2}<y<\frac{\pi}{2}$

14. $\tan ^{-1} \sqrt{3}-\sec ^{-1}(-2)$ का मान बराबर है

(A) $\pi$

(B) $-\frac{\pi}{3}$

(C) $\frac{\pi}{3}$

(D) $\frac{2 \pi}{3}$

2.3 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों के गुणधर्म (Properties of Inverse Trigonometric

Functions)स्मरण कीजिए कि, यदि $y=\sin ^{-1} x$ हो तो $x=\sin y$ तथा यदि $x=\sin y$ हो तो $y=\sin ^{-1} x$ होता है। यह इस बात के समतुल्य (Equivalent) है कि

$$ \sin \left(\sin ^{-1} x\right)=x, x \in[-1,1] \text { तथा } \sin ^{-1}(\sin x)=x, x \in\left[-\frac{\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right] $$

उचित परिसर मानों के लिए अन्य समरूप त्रिकोणमितीय फलन भी परिणाम देते हैं।

प्रश्नावली 2.2

निम्नलिखित को सिद्ध कीजिए:

1. $3 \sin ^{-1} x=\sin ^{-1}\left(3 x-4 x^{3}\right), x \in\left[-\frac{1}{2}, \frac{1}{2}\right]$

2. $3 \cos ^{-1} x=\cos ^{-1}\left(4 x^{3}-3 x\right), x \in\left[\frac{1}{2}, 1\right]$

निम्नलिखित फलनों को सरलतम रूप में लिखिए:

3. $\tan ^{-1} \frac{\sqrt{1+x^{2}}-1}{x}, x \neq 0$

4. $\tan ^{-1}\left(\sqrt{\frac{1-\cos x}{1+\cos x}}\right), 0<x<\pi$

5. $\tan ^{-1}\left(\frac{\cos x-\sin x}{\cos x+\sin x}\right), \frac{-\pi}{4}<x<\frac{3 \pi}{4}$

6. $\tan ^{-1} \frac{x}{\sqrt{a^{2}-x^{2}}},|x|<a$

7. $\tan ^{-1}\left(\frac{3 a^{2} x-x^{3}}{a^{3}-3 a x^{2}}\right), a>0 ; \frac{-a}{\sqrt{3}}<x<\frac{a}{\sqrt{3}}$

निम्नलिखित में से प्रत्येक का मान ज्ञात कीजिए:

8. $\tan ^{1}\left[2 \cos \left(2 \sin ^{1} \frac{1}{2}\right)\right]$

9. $\tan \frac{1}{2}\left[\sin ^{-1} \frac{2 x}{1+x^{2}}+\cos ^{-1} \frac{1-y^{2}}{1+y^{2}}\right],|x|<1, y>0$ तथा $x y<1$

प्रश्न संख्या 16 से 18 में दिए प्रत्येक व्यंजक का मान ज्ञात कीजिए:

10. $\sin ^{-1}\left(\sin \frac{2 \pi}{3}\right)$

11. $\tan ^{-1}\left(\tan \frac{3 \pi}{4}\right)$

12. $\tan \left(\sin ^{-1} \frac{3}{5}+\cot ^{-1} \frac{3}{2}\right)$

13. $\cos ^{-1}\left(\cos \frac{7 \pi}{6}\right)$ का मान बराबर है

(A) $\frac{7 \pi}{6}$

(B) $\frac{5 \pi}{6}$

(C) $\frac{\pi}{3}$

(D) $\frac{\pi}{6}$

14. $\sin \left(\frac{\pi}{3}-\sin ^{-1}\left(-\frac{1}{2}\right)\right)$ का मान है

(A) $\frac{1}{2}$ है

(B) $\frac{1}{3}$ है

(C) $\frac{1}{4}$ है

(D) 1

15. $\tan ^{-1} \sqrt{3}-\cot ^{-1}(-\sqrt{3})$ का मान

(A) $\pi$ है

(B) $-\frac{\pi}{2}$ है

(C) 0 है

(D) $2 \sqrt{3}$

अध्याय 2 पर विविध प्रश्नावली

निम्नलिखित के मान ज्ञात कीजिए:

1. $\cos ^{-1}\left(\cos \frac{13 \pi}{6}\right)$

2. $\tan ^{-1}\left(\tan \frac{7 \pi}{6}\right)$

सिद्ध कीजिए

3. $2 \sin ^{-1} \frac{3}{5}=\tan ^{-1} \frac{24}{7}$

4. $\sin ^{-1} \frac{8}{17}+\sin ^{-1} \frac{3}{5}=\tan ^{-1} \frac{77}{36}$

5. $\cos ^{-1} \frac{4}{5}+\cos ^{-1} \frac{12}{13}=\cos ^{-1} \frac{33}{65}$

6. $\cos ^{-1} \frac{12}{13}+\sin ^{-1} \frac{3}{5}=\sin ^{-1} \frac{56}{65}$

7. $\tan ^{-1} \frac{63}{16}=\sin ^{-1} \frac{5}{13}+\cos ^{-1} \frac{3}{5}$

सिद्ध कीजिए:

8. $\tan ^{1} \sqrt{x}=\frac{1}{2} \cos ^{1}\left(\frac{1-x}{1+x}\right), x \in[0,1]$

9. $\cot ^{1}\left(\frac{\sqrt{1+\sin x}+\sqrt{1-\sin x}}{\sqrt{1+\sin x}-\sqrt{1-\sin x}}\right)=\frac{x}{2}, x \in\left(0, \frac{\pi}{4}\right)$

10. $\tan ^{1}\left(\frac{\sqrt{1+x}-\sqrt{1-x}}{\sqrt{1+x}+\sqrt{1-x}}\right)=\frac{\pi}{4}-\frac{1}{2} \cos ^{1} x,-\frac{1}{\sqrt{2}} \leq x \leq 1$ [संकेत: $x=\cos 2 \theta$ रखिए]

निम्नलिखित समीकरणों को सरल कीजिए:

11. $2 \tan ^{-1}(\cos x)=\tan ^{-1}(2 \operatorname{cosec} x)$ 12. $\tan ^{-1} \frac{1-x}{1+x}=\frac{1}{2} \tan ^{-1} x,(x>0)$

12. $\sin \left(\tan ^{-1} x\right),|x|<1$ बराबर होता है:

(A) $\frac{x}{\sqrt{1-x^{2}}}$

(B) $\frac{1}{\sqrt{1-x^{2}}}$

(C) $\frac{1}{\sqrt{1+x^{2}}}$

(D) $\frac{x}{\sqrt{1+x^{2}}}$

13. यदि $\sin ^{-1}(1-x)-2 \sin ^{-1} x=\frac{\pi}{2}$, तो $x$ का मान बराबर है:

(A) $0, \frac{1}{2}$

(B) $1, \frac{1}{2}$

(C) 0

(D) $\frac{1}{2}$

सारांश

  • प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों (मुख्य शाखा) के प्रांत तथा परिसर निम्नलिखित सारणी में वर्णित हैं:
फलन प्रांत परिसर (मुख्य शाखा)
$y=\sin ^{-1} x$ $[-1,1]$ $\left[\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right]$
$y=\cos ^{-1} x $ $[-1,1]$ $[0, \pi]$
$y=\operatorname{cosec}^{-1} x$ $\mathbf{R}-(-1,1)$ $\left[\frac{-\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right]-\{0\}$
$y=\sec ^{-1} x$ $\mathbf{R}-(-1,1)$ $[0, \pi]-\left\{\frac{\pi}{2}\right\}$
$y=\tan ^{-1} x$ $\mathbf{R}$ $\left(-\frac{\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right)$
$y=\cot ^{-1} x$ $\mathbf{R}$ $(0, \pi)$
  • $\sin ^{-1} x$ से $(\sin x)^{-1}$ की भ्रान्ति नहीं होनी चाहिए। वास्तव में $(\sin x)^{-1}=\frac{1}{\sin x}$ और इसी प्रकार यह तथ्य अन्य त्रिकोणमितीय फलनों के लिए सत्य होता है।

  • किसी प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन का वह मान, जो उसकी मुख्य शाखा में स्थित होता है, प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन का मुख्य मान (Principal Value) कहलाता है। उपयुक्त प्रांतों के लिए

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

ऐसा विश्वास किया जाता है कि त्रिकोणमिती का अध्ययन सर्वप्रथम भारत में आरंभ हुआ था। आर्यभट्ट ( 476 ई.), ब्रह्मगुप्त ( 598 ई.) भास्कर प्रथम ( 600 ई.) तथा भास्कर द्वितीय (1114 ई.) ने प्रमुख परिणामों को प्राप्त किया था। यह संपूर्ण ज्ञान भारत से मध्यपूर्व और पुन: वहाँ से यूरोप गया। यूनानियों ने भी त्रिकोणमिति का अध्ययन आरंभ किया परंतु उनकी कार्य विधि इतनी अनुपयुक्त थी, कि भारतीय विधि के ज्ञात हो जाने पर यह संपूर्ण विश्व द्वारा अपनाई गई।

भारत में आधुनिक त्रिकोणमितीय फलन जैसे किसी कोण की ज्या (sine) और फलन के परिचय का पूर्व विवरण सिद्धांत (संस्कृत भाषा में लिखा गया ज्योतिषीय कार्य) में दिया गया है जिसका योगदान गणित के इतिहास में प्रमुख है।

भास्कर प्रथम ( 600 ई.) ने $90^{\circ}$ से अधिक, कोणों के sine के मान के लए सूत्र दिया था। सोलहवीं शताब्दी का मलयालम भाषा में $\sin (\mathrm{A}+\mathrm{B})$ के प्रसार की एक उपपत्ति है। $18^{\circ}$, $36^{\circ}, 54^{\circ}, 72^{\circ}$, आदि के sine तथा cosine के विशुद्ध मान भास्कर द्वितीय द्वारा दिए गए हैं।

$\sin ^{-1} x, \cos ^{-1} x$, आदि को चाप $\sin x$, चाप $\cos x$, आदि के स्थान पर प्रयोग करने का सुझाव ज्योतिषविद Sir John F.W. Hersehel ( 1813 ई.) द्वारा दिए गए थे। ऊँचाई और दूरी संबंधित प्रश्नों के साथ Thales ( 600 ई. पूर्व) का नाम अपरिहार्य रूप से जुड़ा हुआ है। उन्हें मिश्र के महान पिरामिड की ऊँचाई के मापन का श्रेय प्राप्त है। इसके लिए उन्होंने एक ज्ञात ऊँचाई के सहायक दंड तथा पिरामिड की परछाइयों को नापकर उनके अनुपातों की तुलना का प्रयोग किया था। ये अनुपात हैं

$$ \frac{\mathrm{H}}{\mathrm{S}}=\frac{h}{s}=\tan \text { (सूर्य का उन्नतांश) } $$

Thales को समुद्री जहाज़ की दूरी की गणना करने का भी श्रेय दिया जाता है। इसके लिए उन्होंने समरूप त्रिभुजों के अनुपात का प्रयोग किया था। ऊँचाई और दूरी संबधी प्रश्नों का हल समरूप त्रिभुजों की सहायता से प्राचीन भारतीय कार्यों में मिलते हैं।



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