• “Natural numbers are the product of human spirit” - Dedekind

8.1 भूमिका (Introduction)

गणित में, शब्द ‘अनुक्रम’ का उपयोग साधारण अँग्रेज़ी के समान किया जाता है। जब हम कहते हैं कि समूह के अवयवों को अनुक्रम में सूचीबद्ध किया गया है तब हमारा तात्पर्य है कि समूह को इस प्रकार क्रमिक किया गया है कि हम उसके सदस्यों को प्रथम, द्वितीय, तृतीय संख्या तथा आदि से पहचान सकते हैं। उदाहरणतः, विभिन्न समयों में मानव की जनसंख्या अथवा बैक्टीरिया अनुक्रम की रचना करते हैं। कोई धनराशि जो बैंक खातें में जमा कर दी जाती है, विभिन्न वर्षो में एक अनुक्रम का निर्माण करती है। किसी सामान की अवमूल्यित कीमतें एक अनुक्रम बनाती हैं मानव क्रियाओं के कई क्षेत्रों में अनुक्रमों का बहुत महत्त्वपूर्ण उपयोग है। विशिष्ट पैटर्नों का अनुसरण करने वाले अनुक्रम श्रेणी (Progression) कहलाते हैं। पिछली कक्षा में, हम

Fibonacci (1175-1250 A.D.)

समांतर श्रेणी के संबंध में पढ़ चुके हैं। इस अध्याय में समांतर श्रेणी के बारे में और अधिक चर्चा करने के साथ-साथ हम समांतर माध्य, गुणोत्तर माध्य, समांतर माध्य तथा गुणोत्तर माध्य में संबंध, विशेष अनुक्रमों के क्रमागत $n$ प्राकृत संख्याओं का योग, $n$ प्राकृत संख्याआं के वर्गों का योग तथा $n$ प्राकृत संख्याओं के घनों के योग का भी अध्ययन करेंगे।

8.2 अनुक्रम (Sequence)

आइए हम निम्नलिखित उदाहरणों पर विचार करें:

माना कि पीढ़ियों का अंतर 30 वर्ष है और व्यक्ति के 300 वर्षो में पूर्वजों अर्थात् माता-पिता दादा-दादी, परदादा-परदादी आदि की संख्या ज्ञात कीजिए।

यहाँ पीढ़ियों की कुल संख्या $=\frac{300}{30}=10$.

प्रथम, द्वितीय, तृतीय, … दसवीं पीढ़ी के लिए व्यक्ति के पूर्वजों की संख्या क्रमशः $2,4,8,16,32$, …, 1024 है। ये संख्याएँ एक अनुक्रम का निर्माण करती हैं, ऐसा हम कहते हैं।

10 को 3 से भाग देते समय विभिन्न चरणों के बाद प्राप्त क्रमिक भागफलों पर विचार कीजिए। इस प्रक्रिया में हम क्रमशः $3,3.3,3.33,3.333 \ldots$ आदि पाते हैं ये भागफल भी एक अनुक्रम का निर्माण करते हैं। एक अनुक्रम में जो संख्याएँ आती हैं उन्हें हम उसका पद कहते हैं। अनुक्रम के पदों को हम $a _{1}, a _{2}, a _{3}, \ldots, a _{n}, \ldots$, आदि द्वारा निरूपित करते हैं। प्रत्येक पद के साथ लगी संख्या जिसे पदांक कहते हैं, उसका स्थान बताती है। अनुक्रम का $n$ वाँ पद $n$ वें स्थान को निरूपित करता है और इसे $a _{n}$ द्वारा निरूपित करते हैं, इसे अनुक्रम का व्यापक पद भी कहते हैं।

इस प्रकार, व्यक्ति के पूर्वजों (पुर्वजों) के अनुक्रम के पदों को निम्न प्रकार से निरूपित करते हैं:

$$ a _{1}=2, a _{2}=4, a _{3}=8, \ldots, a _{10}=1024 $$

इसी प्रकार क्रमिक भागफलों वाले उदाहरण में :

$$ a _{1}=3, a _{2}=3.3, a _{3}=3.33, \ldots a _{6}=3.33333 \text {, आदि। } $$

वे अनुक्रम, जिनमें पदों की संख्या सीमित होती हैं, उसे ‘परिमित अनुक्रम’ कहते हैं। उदाहरणतः पूर्वजों का अनुक्रम परिमित अनुक्रम है, क्योंकि उसमें 10 पद हैं (सीमित संख्या)।

एक अनुक्रम, “अपरिमित अनुक्रम कहा जाता है, जिसमें पदों की संख्या सीमित नहीं होती है।” उदाहरणतः पूर्वोक्त क्रमागत भागफलों का अनुक्रम एक ‘अपरिमित अनुक्रम’ है। अपरिमित कहने का अर्थ है, जो कभी समाप्त नहीं होता।

प्राय: यह संभव है कि अनुक्रम के विभिन्न पदों को व्यक्त करने के नियम को एक बीज गणितीय सूत्र द्वारा व्यक्त किया जा सकता है। उदाहरणार्थ, प्राकृत सम संख्याओं के अनुक्रम $2,4,6, \ldots$ पर विचार कीजिए।

यहाँ

$$ \begin{aligned} & \begin{array}{ll} a _{1}=2=2 \times 1 & a _{2}=4=2 \times 2 \\a _{3}=6=2 \times 3 & a _{4}=8=2 \times 4 \end{array} \\ & a _{23}=46=2 \times 23 a _{24}=48=2=2 \times 24 \text {, और इसी प्रकार अन्य। } \end{aligned} $$

वस्तुतः, हम देखते हैं कि अनुक्रम का $n$ वाँ पद $a _{n}=2 n$, लिखा जा सकता हैं, जबकि $n$ एक प्राकृत संख्या है। इसी प्रकार, विषम प्राकृत संख्याओं के अनुक्रम $1,3,5,7, \ldots$, में $n$ वें पद के सूत्र को $a _{n}=2 n-1$, के रूप में निरूपित किया जा सकता है, जबकि $n$ एक प्राकृत संख्या है। व्यवस्थित संख्याओं $1,1,2,3,5,8, .$. का कोई स्पष्ट पैटर्न नहीं है, किंतु अनुक्रम की रचना पुनरावृत्ति संबंध द्वारा व्यक्त की जा सकती हैं। उदाहरणतः

$$ \begin{aligned} & a _{1}=a _{2}=1 \\ & a _{3}=a _{1}+a _{2} \\ & a _{n}=a _{n-2}+a _{n-1}, n>2 \end{aligned} $$

इस अनुक्रम को Fibonacci अनुक्रम कहते हैं।

अभाज्य संख्याओं के अनुक्रम $2,3,5,7 \ldots$ में $n$ वीं अभाज्य संख्या का कोई सूत्र नहीं हैं। ऐसे वर्णित अनुक्रम को केवल मौखिक निरूपित किया जा सकता हैं।

प्रत्येक अनुक्रम में यह अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए कि उसके लिए विशेष सूत्र होगा। किंतु फिर भी ऐसे अनुक्रम के निर्माण के लिए कोई न कोई सैद्धांतिक योजना अथवा नियम की आशा तो की जा सकती है, जो पदों $a _{1}, a _{2}, a _{3}, \ldots, a _{n}, \ldots$ का क्रमागत रूप दे सके।

उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर, एक अनुक्रम को हम एक फलन के रूप में ले सकते हैं जिसका प्रांत प्राकृत संख्याओं का समुच्चय हो अथवा उसका उपसमुच्चय हो। कभी-कभी हम फलन के संकेत $a _{n}$ के लिए $a(n)$ का उपयोग करते हैं।

8.3 श्रेणी (Series)

माना कि यदि $a _{1}, a _{2}, a _{3}, \ldots, a _{n}$ अनुक्रम है, तो व्यंजक $a _{1}+a _{2}+a _{3}+\ldots+a _{n}$ संबंधित अनुक्रम से बनी श्रेणी कहलाती हैं। श्रेणी परिमित अथवा अपरिमित होगी, यदि अनुक्रम क्रमशः परिमित अथवा अपरिमित है। श्रेणी को संधि रीति में प्रदर्शित करते हैं, जिसे सिग्मा संकेत कहते हैं। इसके लिए ग्रीक अक्षर संकेत $\sum$ (सिग्मा) का उपयोग करते हैं, जिसका अर्थ होता हैं जोड़ना। इस प्रकार, श्रेणी $a _{1}+a _{2}+a _{3}+\ldots+a _{n}$ का संक्षिप्त रूप, $\sum\limits _{k=1}^{n} a _{k}$ है।

टिप्पणी श्रेणी का उपयोग, योग के लिए नहीं, बल्कि निरूपित योग के लिए किया जाता है। उदाहरणतः $1+3+5+7$ चार पदों वाली एक परिमित श्रेणी है। जब हम ‘श्रेणी का योग’ मुहावरे का उपयोग करते हैं, तब उसका तात्पर्य उस संख्या से है जो पदों के जोड़ने से परिणित होती है। अतः श्रेणी का योग 16 है।

अब हम कुछ उदाहरणों पर विचार करते हैं।

प्रश्नावली 8.1

प्रश्न 1 से 6 तक के अनुक्रमों में प्रत्येक के प्रथम पाँच पद लिखिये, जिनका $n$ वाँ पद दिया गया है :

1. $a _{n}=n(n+2)$

2. $a _{n}=\frac{n}{n+1}$

3. $a _{n}=2^{n}$

4. $a _{n}=\frac{2 n-3}{6}$

5. $a _{n}=(-1)^{n-1} 5^{n+1}$

6. $a _{n}=n \frac{n^{2}+5}{4}$.

निम्नलिखित प्रश्न 7 से 10 तक के अनुक्रमों में प्रत्येक का वांछित पद ज्ञात कीजिए, जिनका $n$ वाँ पर दिया गया है :

$$ \begin{array}{ll} \text { 7. } a _{n}=4 n-3 ; a _{17}, a _{24} & \text { 8. } a _{n}=\frac{n^{2}}{2^{n}} ; a _{7} \\ \text { 9. } a _{n}=(-1)^{n-1} n^{3} ; a _{9} & \text { 10. } a _{n}=\frac{n(n-2)}{n+3} ; a _{20} \text {. } \end{array} $$

प्रश्न 11 से 13 तक प्रत्येक अनुक्रम के पाँच पद लिखिए तथा संगत श्रेणी ज्ञात कीजिए :

11. $a _{1}=3, a _{n}=3 a _{n-1}+2$ सभी $n>1$ के लिए

12. $a _{1}=-1, a _{n}=\frac{a _{n-1}}{n}$, जहाँ $n \geq 2$

13. $a _{1}=a _{2}=2, a _{n}=a _{n-1}-1$, जहाँ $n>2$

14. Fibonacci अनुक्रम निम्नलिखित रूप में परिभाषित है :

$1=a _{1}=a _{2}$ तथा $a _{n}=a _{n-1}+a _{\mathrm{n}-2}$, n. $>2$ तो

$\frac{a _{n+1}}{a _{n}}$ ज्ञात कीजिए, जबकि $n=1,2,3,4,5$

8.4 गुणोत्तर श्रेणी [Geometric Progression (G. P.)]

आइए निम्नलिखित अनुक्रमों पर विचार करें :

(i) $2,4,8,16, \ldots$

(ii) $\frac{1}{9}, \frac{-1}{27}, \frac{1}{81}, \frac{-1}{243}, \ldots$

(iii) $.01,0001, .000001, \ldots$

इनमे से प्रत्येक अनुक्रम के पद किस प्रकार बढ़ते हैं?

उपर्युक्त प्रत्येक अनुक्रम में हम पाते हैं कि प्रथम पद को छोड़, सभी पद एक विशेष क्रम में बढ़ते हैं।

(i) में हम पाते हैं :

$$ a _{1}=2 ; \frac{a _{2}}{a _{1}}=2 ; \frac{a _{3}}{a _{2}}=2 ; \frac{a _{4}}{a _{3}}=2 \text { और इस प्रकार } $$

(ii) में हम पाते हैं :

$$ a _{1}=\frac{1}{9} ; \frac{a _{2}}{a _{1}}=\frac{-1}{3} ; \frac{a _{3}}{a _{2}}=\frac{-1}{3} ; \frac{a _{4}}{a _{3}}=\frac{-1}{3} \text { इत्यादि। } $$

इसी प्रकार (iii) में पद कैसे अग्रसर होते हैं बताइए? निरीक्षण से यह ज्ञात हो जाता है कि प्रत्येक स्थिति में, प्रथम पद को छोड़, हर अगला पद अपने पिछले पद से अचर अनुपात में बढ़ता है। (i) में यह अचर

अनुपात 2 है, (ii) में यह $-\frac{1}{3}$ है (iii) में यह अचर अनुपात 0.01 है। ऐसे अनुक्रमों को गुणोत्तर अनुक्रम या गुणोत्तर श्रेणी या संक्षेप में G.P. कहते हैं।

अनुक्रम $a _{1}, a _{2}, a _{3}, \ldots, a _{n}, \ldots$ को गुणोत्तर श्रेणी कहा जाता है, यदि प्रत्येक पद अशून्य हो तथा $\frac{a _{k+1}}{a _{k}}=r$ (अचर), $k \geq 1$ के लिए।

$a _{1}=a$, लिखने पर हम गुणोत्तर श्रेणी पाते हैं : $a, a r, a r^{2}, a r^{3},+\ldots$, जहाँ $a$ को प्रथम पद कहते हैं तथा $r$ को गुणोत्तर श्रेणी का सार्व अनुपात कहते हैं। (i), (ii) तथा (iii) में दी गई गुणोत्तर श्रेढ़ियों का सार्व अनुपात क्रमशः $2,-\frac{1}{3}$ तथा 0.01 है।

जैसा कि समांतर श्रेणी के संदर्भ में, वैसे ही पद गुणोत्तर श्रेणी का $n$ वाँ खोजने की समस्या या गुणोत्तर श्रेणी के $n$ पदों का योग जिसमें बहुत संख्याओं का समावेश हो तो इन्हें बिना सूत्र के हल करना कठिन है। इन सूत्रों को हम अगले अनुच्छेद में विकसित करेंगे:

हम इन सूत्रों के साथ निम्नलिखित संकेत का उपयोग करेंगे।

$$ \begin{gathered} a=\text { प्रथम पद, } r=\text { सार्व अनुपात, } l=\text { अंतिम पद, } \\n=\text { पदों की संख्या, } \mathrm{S} _{n}=\text { प्रथम } n \text { पदों का योगफल } \end{gathered} $$

8.4.1 गुणोत्तर श्रेणी का व्यापक पद (General term of $a$ G.P.)

आइए एक गुणोत्तर श्रेणी G.P. जिसका प्रथम अशून्य पद ’ $a$ ’ तथा सार्व अनुपात ’ $r$ ’ है, पर विचार करें। इसके कुछ पदों को लिखिए। दूसरा पद, प्रथम पद $a$ को सार्व अनुपात $r$ से गुणा करने पर प्राप्त होता है, अर्थात् $a _{2}=a r$, इसी प्रकार तीसरा पद $a _{3}$ को $r$ से गुणा करने पर प्राप्त होता है अर्थात् $a _{3}=a _{2} r=a r^{2}$, आदि। हम इन्हें तथा कुछ और पद नीचे लिखते हैं :

प्रथम पद $=a _{1}=a=a r^{1-1}$, द्वितीय पद $=a _{2}=a r=a r^{2-1}$, तृतीय पद $=a _{3}=a r^{2}=a r^{3-1}$

चतुर्थ पद $=a _{4}=a r^{3}=a r^{4-1}$, पाँचवाँ पद $=a _{5}=a r^{4}=a r^{5-1}$

क्या आप कोई पैटर्न देखते हैं? 16 वाँ पद क्या होगा?

$$ a _{16}=a r^{16-1}=a r^{15} $$

इसलिए यह प्रतिरूप बताता है कि गुणोत्तर श्रेणी का $n$ वाँ पद $a _{n}=a r^{n-1}$. अर्थात् गुणोत्तर श्रेणी इस रूप में लिखी जा सकती हैं : $a, a r, a r^{2}, a r^{3}, \ldots a r^{n-1} ; a, a r, a r^{2} \ldots$, $a r^{n-1} \ldots$ क्रमशः जब श्रेणी परिमित हो या जब श्रेणी अपरिमित हो। श्रेणी $a+a r+a r^{2}+\ldots+a r^{n-1}$ अथवा $a+a r+a r^{2}+\ldots+a r^{n-1}+\ldots$ क्रमशः परिमित या अपरिमित गुणोत्तर श्रेणी कहलाते हैं।

8.4.2. गुणोत्तर श्रेणी के $n$ पदों का योगफल (Sum to $n$ terms of a G.P.)

माना कि गुणोत्तर श्रेणी का प्रथम पद $a$ तथा सार्व अनुपात $r$ हैं। माना गुणोत्तर श्रेणी के $n$ पदों का योगफल $\mathrm{S} _{n}$ से लिखते हैं। तब

$$ \begin{equation*} \mathrm{S} _{n}=a+a r+a r^{2}+\ldots+a r^{n-1} \tag{1} \end{equation*} $$

स्थिति 1 यदि $r=1$, तो हम पाते हैं

$$ \mathrm{S} _{n}=a+a+a+\ldots+a(n \text { पदों तक })=n a $$

स्थिति 2 यदि $r \neq 1$, तो (1) को $r$ से गुणा करने पर हम पाते हैं

$$ \begin{equation*} r \mathrm{~S} _{n}=a r+a r^{2}+a r^{3}+\ldots+a r^{n} \tag{2} \end{equation*} $$

(2) को (1) में से घटाने पर हम पाते हैं

$$ (1-r) \mathrm{S} _{n}=a-a r^{n}=a\left(1-r^{n}\right) $$

इससे हम पाते हैं :

$$ \mathrm{S} n=\frac{a\left(1-r^{n}\right)}{1-r} \text { या } \mathrm{S} _{n}=\frac{a\left(r^{n}-1\right)}{r-1} $$

8.4.3 गुणोत्तर माध्य [Geometric Mean G.M.)]

दो धनात्मक संख्याओं $a$ तथा $b$ का गुणोत्तर माध्य संख्या $\sqrt{a b}$ है। इसलिए 2 तथा 8 का गुणोत्तर माध्य 4 है। हम देखते हैं कि तीन संख्याओं $2,4,8$ गुणोत्तर श्रेणी के क्रमागत पद हैं। यह दो संख्याओं के गुणोत्तर माध्य की धारणा के व्यापकीकरण की ओर अग्रसर करता है।

यदि दो धनात्मक संख्याएँ $a$ तथा $b$ दी गई हो तो उनके बीच इच्छित संख्याएँ रखी जा सकती हैं ताकि प्राप्त अनुक्रम एक गुणोत्तर श्रेणी बन जाए।

मान लीजिए $a$ तथा $b$ के बीच $n$ संख्याएँ $\mathrm{G} _{1}, \mathrm{G} _{2}, \mathrm{G} _{3}, \ldots, \mathrm{G} _{n}$, इस प्रकार हैं कि $a, \mathrm{G} _{1}, \mathrm{G} _{2}, \mathrm{G} _{3}, \ldots, \mathrm{G} _{n}, b$ गुणोत्तर श्रेणी है। इस प्रकार $b$ गुणोत्तर श्रेणी का $(n+2)$ वाँ पद है। हम पाते हैं:

अत: $\quad \mathrm{G} _{1}=a r=a\left(\frac{b}{a}\right)^{\frac{1}{n+1}}, \mathrm{G} _{2}=a r^{2}=a\left(\frac{b}{a}\right)^{\frac{2}{n+1}}, \mathrm{G} _{3}=a r^{3}=a\left(\frac{b}{a}\right)^{\frac{3}{n+1}}$,

$$ \mathrm{G} _{n}=a r^{n}=a\left(\frac{b}{a}\right)^{\frac{n}{n+1}} $$

8.5 समांतर माध्य तथा गुणोत्तर माध्य के बीच संबंध (Relationship between A.M. and G.M.)

माना कि $\mathrm{A}$ तथा $\mathrm{G}$ दी गई दो धनात्मक वास्तविक संख्याओं $a$ तथा $b$ के बीच क्रमशः समांतर माध्य (A.M.) तथा गुणोत्तर माध्य (A.M.) हैं। तो

$$ \mathrm{A}=\frac{a+b}{2} \text { तथा } \mathrm{G}=\sqrt{a b} $$

इस प्रकार

$$ \begin{equation*} \mathrm{A}-\mathrm{G}=\frac{a+b}{2}-\sqrt{a b}=\frac{a+b-2 \sqrt{a b}}{2}=\frac{(\sqrt{a}-\sqrt{b})^{2}}{2} \geq 0 \tag{1} \end{equation*} $$

(1) से हम $\mathrm{A} \geq \mathrm{G}$ संबंध पाते हैं।

प्रश्नावली 8.2

1. गुणोत्तर श्रेणी $\frac{5}{2}, \frac{5}{4}, \frac{5}{8}, \ldots$ का 20 वाँ तथा $n$ वाँ पद ज्ञात कीजिए।

2. उस गुणोत्तर श्रेणी का 12 वाँ पद ज्ञात कीजिए, जिसका 8 वाँ पद 192 तथा सार्व अनुपात 2 है।

3. किसी गुणोत्तर श्रेणी का 5 वाँ, 8 वाँ तथा 11 वाँ पद क्रमश: $p, q$ तथा $s$ हैं तो दिखाइए कि $q^{2}=p s$.

4. किसी गुणोत्तर श्रेणी का चौथा पद उसके दूसरे पद का वर्ग है तथा प्रथम पद -3 है तो 7 वाँ पद ज्ञात कीजिए।

5. अनुक्रम का कौन सा पद:

(a) $2,2 \sqrt{2}, 4, \ldots ; 128$ है?

(b) $\sqrt{3}, 33 \sqrt{3}, \ldots ; 729$ है?

(c) $\frac{1}{3}, \frac{1}{9}, \frac{1}{27}, \ldots ; \frac{1}{19683}$ है?

6. $x$ के किस मान के लिए संख्याएँ $-\frac{2}{7}, x, \frac{-7}{2}$ गुणोत्तर श्रेणी में हैं?

प्रश्न 7 से 10 तक प्रत्येक गुणोत्तर श्रेणी का योगफल निर्दिष्ट पदों तक ज्ञात कीजिए।

7. $0.15,0.015,0.0015, \ldots 20$ पदों तक

8. $\sqrt{7}, \sqrt{21}, 3 \sqrt{7}, \ldots n$ पदों तक

9. $1,-a, a^{2},-a^{3}, \ldots n$ पदों तक (यदि $a \neq-1$ )

10. $x^{3}, x^{5}, x^{7}, \ldots n$ पदों तक (यदि $x \neq \pm 1$ )

11. मान ज्ञात कीजिए $\sum\limits _{k=1}^{11}\left(2+3^{k}\right)$

12. एक गुणोत्तर श्रेणी के तीन पदों का योगफल $\frac{39}{10}$ हैं तथा उनका गुणनफल 1 है। सार्व अनुपात तथा पदों को ज्ञात कीजिए।

13. गुणोत्तर श्रेणी $3,3^{2}, 3^{3}, \ldots$ के कितने पद आवश्यक हैं ताकि उनका योगफल 120 हो जाए।

14. किसी गुणोत्तर श्रेणी के प्रथम तीन पदों का योगफल 16 है तथा अगले तीन पदों का योग 128 है तो गुणोत्तर श्रेणी का प्रथम पद, सार्व अनुपात तथा $n$ पदों का योगफल ज्ञात कीजिए।

15. एक गुणोत्तर श्रेणी का प्रथम पद $a=729$ तथा 7 वाँ पद 64 है तो $\mathrm{S} _{7}$ ज्ञात कीजिए?

16. एक गुणोत्तर श्रेणी को ज्ञात कीजिए, जिसके प्रथम दो पदों का योगफल -4 है तथा 5 वाँ पद तृतीय पद का 4 गुना है।

17. यदि किसी गुणोत्तर श्रेणी का 4 वाँ, 10 वाँ तथा 16 वाँ पद क्रमशः $x, y$ तथा $z$ हैं, तो सिद्ध कीजिए कि $x, y, z$ गुणोत्तर श्रेणी में हैं।

18. अनुक्रम $8,88,888,8888 \ldots$ के $n$ पदों का योग ज्ञात कीजिए।

19. अनुक्रम $2,4,8,16,32$ तथा $128,32,8,2, \frac{1}{2}$ के संगत पदों के गुणनफल से बने अनुक्रम का योगफल ज्ञात कीजिए।

20. दिखाइए कि अनुक्रम $a, a r, a r^{2}, \ldots a r^{n-1}$ तथा $\mathrm{A}, \mathrm{AR}, \mathrm{AR}^{2}, \ldots \mathrm{AR}^{n-1}$ के संगत पदों के गुणनफल से बना अनुक्रम गुणोत्तर श्रेणी होती है तथा सार्व अनुपात ज्ञात कीजिए।

21. ऐसे चार पद ज्ञात कीजिए जो गुणोत्तर श्रेणी में हो, जिसका तीसरा पद प्रथम पद से 9 अधिक हो तथा दूसरा पद चौथे पद से 18 अधिक हो।

22. यदि किसी गुणोत्तर श्रेणी का $p$ वाँ, $q$ वाँ तथा $r$ वाँ पद क्रमशः $a, b$ तथा $c$ हो, तो सिद्ध कीजिए कि $a^{q-r} b^{r-p} c^{p-q}=1$

23. यदि किसी गुणोत्तर श्रेणी का प्रथम तथा $n$ वाँ पद क्रमशः $a$ तथा $b$ हैं, एवं $\mathrm{P}, n$ पदों का गुणनफल हो, तो सिद्ध कीजिए कि $\mathrm{P}^{2}=(a b)^{n}$

24. दिखाइए कि एक गुणोत्तर श्रेणी के प्रथम $n$ पदों के योगफल तथा $(n+1)$ वें पद से $(2 n)$ वें पद तक के पदों के योगफल का अनुपात $\frac{1}{r^{n}}$ है।

25. यदि $a, b, c$ तथा $d$ गुणोत्तर श्रेणी में हैं तो दिखाइए कि $\left(a^{2}+b^{2}+c^{2}\right)\left(b^{2}+c^{2}+d^{2}\right)=$ $(a b+b c+c d)^{2}$.

26. ऐसी दो संख्याएँ ज्ञात कीजिए जिनको 3 तथा 81 के बीच रखने पर प्राप्त अनुक्रम एक गुणोत्तर श्रेणी बन जाय।

27. $n$ का मान ज्ञात कीजिए ताकि $\frac{a^{n+1}+b^{n+1}}{a^{n}+b^{n}}, a$ तथा $b$ के बीच गुणोत्तर माध्य हो।

28. दो संख्याओं का योगफल उनके गुणोत्तर माध्य का 6 गुना है तो दिखाइए कि संख्याएँ $(3+2 \sqrt{2}):(3-2 \sqrt{2})$ के अनुपात में हैं।

29. यदि $A$ तथा $G$ दो धनात्मक संख्याओं के बीच क्रमशः समांतर माध्य तथा गुणोत्तर माध्य हों, तो सिद्ध कीजिए कि संख्याएँ $\mathrm{A} \pm \sqrt{(\mathrm{A}+\mathrm{G})(\mathrm{A}-\mathrm{G})}$ हैं।

30. किसी कल्चर में बैक्टीरिया की संख्या प्रत्येक घंटे पश्चात् दुगुनी हो जाती है। यदि प्रारंभ में उसमें 30 बैक्टीरिया उपस्थित थे, तो बैक्टीरिया की संख्या दूसरे, चौथे तथा $n$ वें घंटों बाद क्या होगी?

31. 500 रुपये धनराशि $10 %$ वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज पर 10 वर्षों बाद क्या हो जाएगी, ज्ञात कीजिए?

32. यदि किसी द्विघात समीकरण के मूलों के समांतर माध्य एवं गुणोत्तर माध्य क्रमशः 8 तथा 5 हैं, तो द्विघात समीकरण ज्ञात कीजिए।

अध्याय 8 पर विविध प्रश्नावली

1. सभी $x, y \in \mathrm{N}$ के लिए $f(x+y)=f(x) . f(y)$ को संतुष्ट करता हुआ $f$ एक ऐसा फलन है कि $f(1)=3$ एवं $\sum\limits _{x=1}^{n} f(x)=120$ तो $n$ का मान ज्ञात कीजिए।

2. गुणोत्तर श्रेणी के कुछ पदों का योग 315 है, उसका प्रथम पद तथा सार्व अनुपात क्रमशः 5 तथा 2 हैं। अंतिम पद तथा पदों की संख्या ज्ञात कीजिए।

3. किसी गुणोत्तर श्रेणी का प्रथम पद 1 है। तीसरे एवं पाँचवें पदों का योग 90 हो तो गुणोत्तर श्रेणी का सार्व अनुपात ज्ञात कीजिए।

4. किसी गुणोत्तर श्रेणी के तीन पदों का योग 56 है। यदि हम क्रम से इन संख्याओं में से 1,7 , 21 घटाएँ तो हमें एक समांतर श्रेणी प्राप्त होती है। संख्याएँ ज्ञात कीजिए।

5. किसी गुणोत्तर श्रेणी के पदों की संख्या सम है। यदि उसके सभी पदों का योगफल, विषम स्थान पर रखे पदों के योगफल का 5 गुना है, तो सार्व अनुपात ज्ञात कीजिए।

6. यदि $\frac{a+b x}{a-b x}=\frac{b+c x}{b-c x}=\frac{c+d x}{c-d x}(x \neq 0)$, हो तो दिखाइए कि $a, b, c$ तथा $d$ गुणोत्तर श्रेणी में हैं।

7. किसी गुणोत्तर श्रेणी में $\mathrm{S}, n$ पदों का योग, $\mathrm{P}$ उनका गुणनफल तथा $\mathrm{R}$ उनके व्युत्क्रमों का योग हो तो सिद्ध कीजिए कि $\mathrm{P}^{2} \mathrm{R}^{n}=\mathrm{S}^{n}$.

8. यदि $a, b, c, d$ गुणोत्तर श्रेणी में हैं, तो सिद्ध कीजिए कि $\left(a^{n}+b^{n}\right),\left(b^{n}+c^{n}\right),\left(c^{n}+d^{n}\right)$ गुणोत्तर श्रेणी में हैं।

9. यदि $x^{2}-3 x+p=0$ के मूल $a$ तथा $b$ हैं तथा $x^{2}-12 x+q=0$, के मूल $c$ तथा $d$ हैं, जहाँ $a, b, c, d$ गुणोत्तर श्रेणी के रूप में हैं। सिद्ध कीजिए कि $(q+p):(q-p)=17: 15$

10. दो धनात्मक संख्याओं $a$ तथा $b$ के बीच समांतर माध्य तथा गुणोत्तर माध्य का अनुपात $m: n$. है। दर्शाइए कि $a: b=\left(m+\sqrt{m^{2}-n^{2}}\right):\left(m-\sqrt{m^{2}-n^{2}}\right)$

11. निम्नलिखित श्रेणियों के $n$ पदों का योग ज्ञात कीजिए।

(i) $5+55+555+\ldots$

(ii) $.6+.66+.666+\ldots$

12. श्रेणी का 20 वाँ पद ज्ञात कीजिए :

$2 \times 4+4 \times 6+6 \times 8+\ldots+n$ पदों तक

13. कोई किसान एक पुराने ट्रैक्टर को ₹ 12000 में खरीदता है। वह ₹ 6000 नकद भुगतान करता है और शेष राशि को ₹ 500 की वार्षिक किस्त के अतिरिक्त उस धन पर जिसका भुगतान न किया गया हो $12 %$ वार्षिक ब्याज भी देता है। किसान को ट्रैक्टर की कुल कितनी कीमत देनी पड़ेगी?

14. शमशाद अली 22000 रुपये में एक स्कूटर खरीदता है। वह 4000 रुपये नकद देता है तथा शेष राशि को 1000 रुपयें वार्षिक किश्त के अतिरिक्त उस धन पर जिसका भुगतान न किया गया हो $10 %$ वार्षिक ब्याज भी देता है। उसे स्कूटर के लिए कुल कितनी राशि चुकानी पड़ेगी?

15. एक व्यक्ति अपने चार मित्रों को पत्र लिखता है। वह प्रत्येक को उसकी नकल करके चार दूसरे व्यक्तियों को भेजने का निर्देश देता है, तथा उनसे यह भी करने को कहता हैं कि प्रत्येक पत्र प्राप्त करने वाला व्यक्ति इस शृंखला को जारी रखे। यह कल्पना करके कि शृंखला न टूटे तो 8 वें पत्रों के समूह भेजे जाने तक कितना डाक खर्च होगा जबकि एक पत्र का डाक खर्च 50 पैसे है।

16. एक आदमी ने एक बैंक में 10000 रुपये $5 %$ वार्षिक साधारण ब्याज पर जमा किया। जब से रकम बैंक में जमा की गई तब से, 15 वें वर्ष में उसके खातें में कितनी रकम हो गई, तथा 20 वर्षो बाद कुल कितनी रकम हो गई, ज्ञात कीजिए।

17. एक निर्माता घोषित करता है कि उसकी मशीन जिसका मूल्य 15625 रुपये है, हर वर्ष $20 %$ की दर से उसका अवमूल्यन होता है। 5 वर्ष बाद मशीन का अनुमानित मूल्य ज्ञात कीजिए।

18. किसी कार्य को कुछ दिनों में पूरा करने के लिए 150 कर्मचारी लगाए गए। दूसरे दिन 4 कर्मचारियों ने काम छोड़ दिया, तीसरे दिन 4 और कर्मचारियों ने काम छोड़ दिया तथा इस प्रकार अन्य। अब कार्य पूर्ण करने में 8 दिन अधिक लगते हैं, तो दिनों की संख्या ज्ञात कीजिए, जिनमें कार्य पूर्ण किया गया।

सारांश

  • अनुक्रम से हमारा तात्पर्य है, “किसी नियम के अनुसार एक परिभाषित (निश्चित) क्रम में संख्याओं की व्यवस्था"। पुनः हम एक अनुक्रम को एक फलन के रूप में परिभाषित कर सकते हैं, जिसका प्रांत प्राकृत संख्याओं का समुच्चय हो अथवा उसका उपसमुच्चय $\{1,2,3, \ldots, k\}$ के प्रकार का हो। वे अनुक्रम, जिनमें पदों की संख्या सीमित होती है, “परिमित अनुक्रम” कहलाते हैं। यदि कोई अनुक्रम परिमित नहीं है तो उसे अपरिमित अनुक्रम कहते हैं। मान लीजिए $a _{1}, a _{2}, a _{3}, \ldots$ एक अनुक्रम हैं तो $a _{1}+a _{2}+a _{3}+\ldots$ के रूप में व्यक्त किया गया योग श्रेणी कहलाता है जिस श्रेणी के पदों की संख्या सीमित होती है उसे परिमित श्रेणी कहते हैं।

किसी अनुक्रम को गुणोत्तर श्रेणी या G.P. कहते हैं, यदि कोई पद, अपने पिछले पद से एक अचर अनुपात में बढ़ता है। इस अचर गुणांक को सार्व अनुपात कहते हैं। साधारणतः हम गुणोत्तर श्रेणी के प्रथम पद को $a$ तथा सार्व अनुपात $r$ से सांकेतिक करते हैं। गुणोत्तर श्रेणी का व्यापक पद या $n$ वाँ पद $a _{n}=a r^{n-1}$ होता है।

गुणोत्तर श्रेणी के प्रथम $n$ पदों का योग $\mathrm{S} _{n}=\frac{a\left(r^{n}-1\right)}{r-1}$ या $\frac{a\left(1-r^{n}\right)}{1-r}$ यदि $r \neq 1$ होता है।

कोई दो धनात्मक संख्याएँ $a$ तथा $b$ का गुणोत्तर माध्य $\sqrt{a b}$ है अर्थात् अनुक्रम $a, G, b$ गुणोत्तर श्रेणी में हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि 4000 वर्ष पूर्व बेबीलोनिया के निवासियों को समांतर तथा गुणोत्तर अनुक्रमों का ज्ञान था। Boethius (510 A.D.) के अनुसार समांतर तथा गुणोत्तर अनुक्रमों की जानकारी प्रारंभिक यूनानी (ग्रीक) लेखकों को थी। भारतीय गणितज्ञों में से आर्यभट (476 A.D.) ने पहली बार प्राकृत संख्याओं के वर्गों तथा घनों का योग अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘आर्यभटीयम्’ जो लगभग 499 A.D. में लिखी गई थी, में दिया। उन्होंने $p$ वाँ पद से आरंभ, समांतर अनुक्रम के $n$ पदों के योग का सूत्र भी दिया। अन्य महान भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त (598 A.D.), महावीर (850 A.D.) तथा भास्कर (1114-1185 A.D.) ने संख्याओं के वर्गों एवं घनों के योग पर विचार किया। एक दूसरे विशिष्ट प्रकार का अनुक्रम जिसका गणित में महत्त्वपूर्ण गुणधर्म है जो Fibonacci sequence कहलाता है, का आविष्कार इटली के महान गणितज्ञ Leonardo Fibonacci (1170-1250 A.D.) ने किया। सत्रहवीं शताब्दी में श्रेणियों का वर्गीकरण विशिष्ट रूप से हुआ। 1671 ई. में James Gregory ने अपरिमित अनुक्रम के संदर्भ में अपरिमित श्रेणी शब्द का उपयोग किया। बीजगणितीय तथा समुच्चय सिद्धांतों के समुचित विकास के उपरांत ही अनुक्रम तथा श्रेणियों से संबंधित जानकारी अच्छे ढ़ंग से प्रस्तुत हो सकी।



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