Mathematics is a most exact science and its conclusions are capable of absolute proofs. - C.P. STEINMETZ
7.1 भूमिका (Introduction)
पिछली कक्षाओं में हमने सीखा है कि किस प्रकार
फिर भी, अधिक घात वाली संख्याओं जैसे
इससे हमें
Blaise Pascal (1623-1662 A.D.)
7.2 धन पूर्णांकों के लिए द्विपद प्रमेय (Binomial Theorem for Positive Integral
Indices)
आइए पूर्व में की गई निम्नलिखित सर्वसमिकाओं पर हम विचार करें:
इन प्रसारों में हम देखते हैं कि
(i) प्रसार में पदों की कुल संख्या, घातांक से 1 अधिक है। उदाहरणतः
(ii) प्रसार के उत्तरोत्तर पदों में प्रथम
अब हम
घातांक | गुणांक | ||||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
0 | 1 | ||||||||
1 | 1 | 1 | |||||||
2 | 1 | 2 | 1 | ||||||
3 | 1 | 3 | 3 | 1 | |||||
4 | 1 | 4 | 6 | 4 | 1 |
आकृति 7.1
क्या हम इस सारणी में अगली पंक्ति लिखने के लिए किसी प्रतिरूप का अवलोकन करते हैं? हाँ। यह देखा जा सकता है कि घात 1 की पंक्ति में लिखे 1 और 1 का योग घात 2 की पंक्ति के लिए 2 देता है। घात 2 की पंक्ति में लिखे 1 और 2 तथा 2 और 1 का योग घात 3 की पंक्ति के लिए 3 और 3 देता है और आगे भी इसी प्रकार 1 पुनः प्रत्येक पंक्ति के प्रारंभ व अंत में स्थित है। इस प्रक्रिया को किसी भी इच्छित घात तक के लिए लिखा जा सकता है।
हम आकृति 7.2 में दिए गए प्रतिरूप को कुछ और पंक्तियाँ लिखकर आगे बढ़ा सकते हैं।
पास्कल त्रिभुज
आकृति 7.2 पास्कल त्रिभुज
आकृति 7.2 में दी गई सारणी को अपनी रूचि के अनुसार किसी भी घात तक बढ़ा सकते हैं। यह संरचना एक ऐसे त्रिभुज की तरह लगती है जिसके शीर्ष पर 1 लिखा है और दो तिरछी भुजाएं नीचे की ओर जा रही हैं। संख्याओं का व्यूह फ्रांसीसी गणितज्ञ Blaise Pascal के नाम पर पास्कल त्रिभुज के नाम से प्रसिद्ध है। इसे पिंगल के मेरुप्रस्त्र के नाम से भी जाना जाता है।
एक द्विपद की उच्च घातों का प्रसार भी पास्कल के त्रिभुज के प्रयोग द्वारा संभव है। आइए हम पास्कल त्रिभुज का प्रयोग कर के
इस पंक्ति का, और हमारे परीक्षणों (i), (ii), (iii), का प्रयोग करते हुए हम पाते हैं कि
अब यदि हम
अतः हम एक ऐसा नियम ढूँढने का प्रयत्न करते हैं जिससे पास्कल त्रिभुज की ऐच्छिक पंक्ति से पहले की सारी पंक्तियों को लिखे बिना ही, द्विपद के किसी भी घात का विस्तार ज्ञात कर सकें।
इसके लिए हम पहले पढ़ चुके ‘संचय’ के सूत्रों का प्रयोग करके, पास्कल त्रिभुज में लिखी संख्याओं को पुनः लिखते हैं। हम जानते हैं कि
अब पास्कल त्रिभुज को पुनः इस प्रकार लिख सकते हैं (आकृति 7.3)
0
3
4
5 गुणांक
आकृति 7.3 पास्कल त्रिभुज
उपरोक्त प्रतिरूप (pattern) को देखकर, पूर्व पंक्तियों को लिखे बिना हम पास्कल त्रिभुज की किसी भी घात के लिए पंक्ति को लिख सकते हैं। उदाहरणतः घात 7 के लिए पंक्ति होगी:
इस प्रकार, इस पंक्ति और प्रेक्षण (i), (ii) व (iii), का प्रयोग करके हम पाते हैं,
इन प्रेक्षणों का उपयोग करके एक द्विपद के किसी ऋणेतर पूर्णांक
7.2.1 द्विपद प्रमेय किसी धन पूर्णांक के लिए (Binomial theorem for any positive integer )
उपपत्ति इस प्रमेय की उपपत्ति गणितीय आगमन सिद्धांत द्वारा प्राप्त की जाती है।
मान लीजिए कथन
अतः
मान लीजिए कि
हम सिद्ध करेंगें कि
अब,
इससे सिद्ध होता है कि यदि
हम इस प्रमेय को
इस प्रकार,
प्रेक्षण
1.
का संकेतन
अतः इस प्रमेय को इस प्रकार भी लिख सकते हैं।
2. द्विपद प्रमेय में आने वाले गुणांक
3.
4. प्रसार के उत्तरोत्तर पदों में,
5.
7.2.2 के प्रसार की कुछ विशिष्ट स्थितियाँ (Some special cases)
(i)
इस प्रकार
इसका प्रयोग करके हम पाते हैं,
(ii)
इस प्रकार,
विशेषत
(iii)
विशेषत
प्रश्नावली 7.1
प्रश्न 1 से 5 तक प्रत्येक व्यंजक का प्रसार कीजिए: 5 .
1.
2.
3.
4.
5.
द्विपद प्रमेय का प्रयोग करके निम्नलिखित का मान ज्ञात कीजिए
6.
7.
8.
9.
10. द्विपद प्रमेय का प्रयोग करते हुए बताइए कौन-सी संख्या बड़ी है (1.1) 10000 या 1000.
11.
12.
13. दिखाइए कि
14. सिद्ध कीजिए कि
अध्याय 7 पर विविध प्रश्नावली
1. यदि
[ संकेत
2.
3.
4.
5.
6.
सारांश
एक द्विपद का किसी भी धन पूर्णांक
प्रसार के पदों के गुणांकों का व्यवस्थित क्रम पास्कल त्रिभुज कहलाता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
प्राचीन भारतीय गणितज्ञ