A mathematician knows how to solve a problem,
he can not solve it. - MILNE
3.1 भूमिका (Introduction)
शब्द ‘ट्रिगोनोमेट्री’ की व्युत्पत्ति ग्रीक शब्दों ‘ट्रिगोन’ तथा ‘मेट्रोन’ से हुई है तथा इसका अर्थ ‘त्रिभुज की भुजाओं को मापना’ होता है। इस विषय का विकास मूलतः त्रिभुजों से संबंधित ज्यामितीय समस्याओं को हल करने के लिए किया गया था। इसका अध्ययन समुद्री यात्राओं के कप्तानों, सर्वेयरों, जिन्हें नए भू-भागों का चित्र तैयार करना होता था तथा अभियंताओं आदि के द्वारा किया गया। वर्तमान में इसका उपयोग बहुत सारे क्षेत्रों जैसे विज्ञान, भूकंप शास्त्र, विद्युत परिपथ (सर्किट) के डिजाइन तैयार करने, अणु की अवस्था का वर्णन करने, समुद्र में आनेवाले ज्वार की ऊँचाई के विषय में पूर्वानुमान लगाने में, सांगीतिक लय (टोन) का विश्लेषण करने तथा अन्य दूसरे क्षेत्रों में होता है।
Arya Bhatt (476-550 B.C.)
पिछली कक्षाओं में हमने न्यून कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपात के विषय में अध्ययन किया है, जिसे समकोणीय त्रिभुजों की भुजाओं के अनुपात के रूप में बताया गया है। हमने त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाओं तथा उनके त्रिकोणमितीय अनुपातों के अनुप्रयोगों को ऊँचाई तथा दूरी के प्रश्नों को हल करने में किया है। इस अध्याय में, हम त्रिकोणमितीय अनुपातों के संबंधों का त्रिकोणमितीय फलनों के रूप में व्यापकीकरण करेंगे तथा उनके गुणधर्मों का अध्ययन करेंगे।
3.2 कोण (Angles)
एक कोण वह माप है जो एक किरण के उसके प्रारंभिक बिंदु के परितः घूमने पर बनता है। किरण के घूर्णन की मूल स्थिति को प्रारंभिक भुजा तथा घूर्णन के अंतिम स्थिति को कोण की अंतिम भुजा कहते हैं। घूर्णन बिंदु को शीर्ष कहते हैं। यदि घूर्णन वामावर्त्त है तो कोण धनात्मक तथा यदि घूर्णन दक्षिणावर्त्त है तो कोण ऋणात्मक कहलाता है (आकृत्ति 3.1)। किसी कोण का माप, घूर्णन (घुमाव)
(i) धनात्मक कोण
आकृति 3.1 (ii) ॠणात्मक कोण
की वह मात्रा है जो भुजा को प्रारंभिक स्थिति से अंतिम स्थिति तक घुमाने पर प्राप्त होता है। कोण को मापने के लिए अनेक इकाइयाँ हैं। कोण की परिभाषा इसकी इकाई का संकेत देती है, उदाहरण के लिए प्रारंभिक रेखा की स्थिति से एक पूर्ण घुमाव को कोंण की
एक इकाई लिया जा सकता है जैसा, आकृति 3.2 में दर्शाया गया है।
यह सर्वदा बड़े कोणों के लिए सुविधाजनक है। उदाहरणतः एक घूमते हुए पहिये के घुमाव में बनाए गए कोण के विषय में कह सकते हैं कि यह 15 परिक्रमा प्रति सेकंड है। हम कोण के मापने की दो अन्य इकाइयों के विषय में बताएँगे जिनका सामान्यतः प्रयोग किया जाता है, ये डिग्री माप तथा रेडियन माप हैं।
3.2.1 डिग्री माप (Degree measure)
यदि प्रारंभिक भुजा से अंतिम भुजा का घुमाव एक पूर्ण परिक्रमण का $\left(\frac{1}{360}\right)$ वाँ भाग हो तो हम कोण का माप एक डिग्री कहते हैं, इसे $1^{\circ}$ से लिखते हैं। एक डिग्री को मिनट में तथा एक मिनट को सेकंड में विभाजित किया जाता है। एक डिग्री का साठवाँ भाग एक मिनट कहलाता है, इसे $1^{\prime}$ से लिखते हैं तथा एक मिनट का साठवाँ भाग एक सेकंड कहलाता है, इसे $1^{\prime \prime}$ से लिखते हैं। अर्थात् $1^{\circ}=60^{\prime}, 1^{\prime}=60^{\prime \prime}$
कुछ कोण जिनका माप $360^{\circ}, 180^{\circ}, 270^{\circ}, 420^{\circ},-30^{\circ},-420^{\circ}$ है उन्हें आकृति 3.3 में दर्शाया गया है।
आकृति 3.3
B
3.2.2 रेडियन माप (Radian measure)
कोण को मापने के लिए एक दूसरी इकाई भी है, जिसे रेडियन माप कहते हैं। इकाई वृत्त (वृत्त की त्रिज्या एक इकाई हो) के केंद्र पर एक इकाई लंबाई के चाप द्वारा बने कोण को एक रेडियन माप कहते हैं। आकृति 3.4 (i)-(iv) में, OA प्रारंभिक भुजा है तथा $\mathrm{OB}$ अंतिम भुजा है। आकृतियों में कोण दिखाए गए हैं जिनके माप 1 रेडियन, -1 रेडियन, $1 \frac{1}{2}$ रेडियन तथा $-1 \frac{1}{2}$ रेडियन हैं।
(i)
(ii)
(iv)
(iii)
आकृति 3.4 (i) - (iv)
हम जानते हैं कि इकाई त्रिज्या के वृत्त की परिधि $2 \pi$ होती है। अतः प्रारंभिक भुजा की एक पूर्ण परिक्रमा केंद्र पर $2 \pi$ रेडियन का कोण अंतरित करती है।
यह सर्वविदित है कि $r$ त्रिज्या वाले एक वृत्त में, $r$ लंबाई का चाप केंद्र पर एक रेडियन का कोण अंतरित करता है। हम जानते हैं कि वृत्त के समान चाप केंद्र पर समान कोण अंतरित करते हैं। चूंकि $r$ त्रिज्या के वृत्त में $r$ लंबाई का चाप केंद्र पर एक रेडियन का कोण अंतरित करता है, इसलिए $l$ लंबाई का चाप केंद्र पर $\frac{l}{r}$ रेडियन का कोण अंतरित करेगा। अतः यदि एक वृत्त, जिसकी त्रिज्या $r$ है, चाप की लंबाई $l$ तथा केंद्र पर अंतरित कोण $\theta$ रेडियन है, तो हम पाते हैं कि $\theta=\frac{l}{r}$ या $l=r \theta$.
3.2.3 रेडियन तथा वास्तविक संख्याओं के मध्य संबंध (Re- lation between radian and real numbers)
माना कि इकाई वृत्त का केंद्र, $O$ पर हैं तथा वृत्त पर कोई बिंदु $A$ है। माना कोण की प्रारंभिक भुजा $\mathrm{OA}$ है, तो वृत्त के चाप की लंबाई से वृत्त के केंद्र पर चाप द्वारा अंतरित कोण की माप रेडियन में प्राप्त होती है। मान लीजिए वृत्त के बिंदु $A$ पर स्पर्श रेखा PAQ है। माना बिंदु $A$ वास्तविक संख्या शून्य प्रदर्शित करता है, AP धनात्मक वास्तविक संख्या दर्शाता है तथा $\mathrm{AQ}$ ॠणात्मक वास्तविक संख्या दर्शाता है (आकृत्ति 3.5)। यदि हम वृत्त की ओर रेखा AP को घड़ी की विपरीत दिशा में घुमाने पर तथा रेखा $\mathrm{AQ}$ को घड़ी की दिशा में घुमाएँ तो प्रत्येक वास्तविक संख्या के संगत रेडियन माप होगा तथा विलोमतः। इस प्रकार रेडियन माप तथा वास्तविक संख्याओं को एक तथा समान मान सकते हैं।
3.2.4 डिग्री तथा रेडियन के मध्य संबंध (Relation between degree and radian)
क्योंकि वृत्त, केंद्र पर एक कोण बनाता है जिसकी माप $2 \pi$ रेडियन है तथा यह $360^{\circ}$ डिग्री माप है, इसलिए
$$ 2 \pi \text { रेडियन }=360^{\circ} \text { या } \pi \text { रेडियन }=180^{\circ} $$
उपर्युक्त संबंध हमें रेडियन माप को डिग्री माप तथा डिग्री माप को रेडियन माप में व्यक्त करते हैं। $\pi$ का निकटतम मान $\frac{22}{7}$ का उपयोग करके, हम पाते हैं कि
1 रेडियन $=\frac{180^{\circ}}{\pi}=57^{\circ} 16^{\prime}$ निकटतम
पुन: $\quad 1^{\circ}=\frac{\pi}{180}$ रेडियन $=0.01746$ रेडियन (निकटतम)
कुछ सामान्य कोणों के डिग्री माप तथा रेडियन माप के संबंध निम्नलिखित सारणी में दिए गए हैं:
डिग्री | $30^{\circ}$ | $45^{\circ}$ | $60^{\circ}$ | $90^{\circ}$ | $180^{\circ}$ | $270^{\circ}$ | $360^{\circ}$ |
---|---|---|---|---|---|---|---|
रेडियन | $\frac{\pi}{6}$ | $\frac{\pi}{4}$ | $\frac{\pi}{3}$ | $\frac{\pi}{2}$ | $\pi$ | $\frac{3 \pi}{2}$ | $2 \pi$ |
सांकेतिक प्रचलन
चूँकि कोणों की माप या तो डिग्री में या रेडियन में होती है, अतः प्रचलित परिपाटी के अनुसार जब हम कोण $\theta^{\circ}$ लिखते हैं, हम समझते हैं कि कोण का माप $\theta$ डिग्री है तथा जब हम कोण $\beta$ लिखते हैं, हम समझते हैं कि कोण का माप $\beta$ रेडियन है।
ध्यान दीजिए जब कोण को रेडियन माप में व्यक्त करते हैं, तो प्रायः रेडियन लिखना छोड़ देते
हैं अर्थात् $\pi=180^{\circ}$ और $\frac{\pi}{4}=45^{\circ}$ को इस विचार को ध्यान में रखकर लिखते हैं कि $\pi$ तथा $\frac{\pi}{4}$ की माप रेडियन है। अतः हम कह सकते हैं कि
रेडियन माप $=\frac{\pi}{180} \times$ डिग्री माप
डिग्री माप $=\frac{180}{\pi} \times$ रेडियन माप
प्रश्नावली 3.1
1. निम्नलिखित डिग्री माप के संगत रेडियन माप ज्ञात कीजिए:
(i) $25^{\circ}$
(ii) $-47^{\circ} 30^{\prime}$
(iii) $240^{\circ}$
(iv) $520^{\circ}$
2. निम्नलिखित रेडियन माप के संगत डिग्री माप ज्ञात कीजिए ( $\pi=\frac{22}{7}$ का प्रयोग करें):
(i) $\frac{11}{16}$
(ii) -4
(iii) $\frac{5 \pi}{3}$
(iv) $\frac{7 \pi}{6}$
3. एक पहिया एक मिनट में $360^{\circ}$ परिक्रमण करता है तो एक सेकंड में कितने रेडियन माप का कोण बनाएगा?
4. एक वृत्त, जिसकी त्रिज्या 100 सेमी है, की 22 सेमी लंबाई की चाप वृत्त के केंद्र पर कितने डिग्री माप का कोण बनाएगी ( $\pi=\frac{22}{7}$ का प्रयोग कीजिए)।
5. एक वृत्त, जिसका व्यास 40 सेमी है, की एक जीवा 20 सेमी लंबाई की है तो इसके संगत छोटे चाप की लंबाई ज्ञात कीजिए।
6. यदि दो वृत्तों के समान लंबाई वाले चाप अपने केंद्रों पर क्रमशः $60^{\circ}$ तथा $75^{\circ}$ के कोण बनाते हों, तो उनकी त्रिज्याओं का अनुपात ज्ञात कीजिए।
7. 75 सेमी लंबाई वाले एक दोलायमान दोलक का एक सिरे से दूसरे सिरे तक दोलन करने से जो कोण बनता है, उसका माप रेडियन में ज्ञात कीजिए, जबकि उसके नोक द्वारा बनाए गए चाप की लंबाई निम्नलिखित हैं:
(i) 10 सेमी
(ii) 15 सेमी
(iii) 21 सेमी
3.3 त्रिकोणमितीय फलन (Trigonometric Function)
पूर्व कक्षाओं में, हमने न्यून कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपातों को समकोण त्रिभुज की भुजाओं के रूप में अध्ययन किया है। अब हम किसी कोण के त्रिकोणमितीय अनुपात की परिभाषा को रेडियन माप के पदों में तथा त्रिकोणमितीय फलन के रूप में अध्ययन करेंगे।
मान लीजिए कि एक इकाई वृत्त, जिसका केंद्र निर्देशांक अक्षों का मूल बिंदु हो। माना कि $\mathrm{P}(a, b)$ वृत्त पर कोई बिंदु है तथा कोण $\mathrm{AOP}=x$ रेडियन अर्थात् चाप की लंबाई $\mathrm{AP}=x($ आकृति 3.6) है। हम परिभाषित करते हैं:
आकृति 3.6
$$ \cos x=a \text { तथा } \sin x=b $$
चूँकि $\triangle \mathrm{OMP}$ समकोण त्रिभुज है, हम पाते हैं,
$$ \mathrm{OM}^{2}+\mathrm{MP}^{2}=\mathrm{OP}^{2} \text { या } a^{2}+b^{2}=1 $$
इस प्रकार इकाई वृत्त पर प्रत्येक बिंदु के लिए, हम पाते हैं कि
$$ a^{2}+b^{2}=1 \text { या } \cos ^{2} x+\sin ^{2} x=1 $$
क्योंकि एक पूर्ण परिक्रमा (घूर्णन) द्वारा वृत्त के केंद्र पर $2 \pi$ रेडियन का कोण अंतरित होता है,
इसलिए $\angle \mathrm{AOB}=\frac{\pi}{2}, \angle \mathrm{AOC}=\pi$ तथा $\angle \mathrm{AOD}=\frac{3 \pi}{2}$ । $\frac{\pi}{2}$ के प्रांत गुणज वाले सभी कोणों को चतुर्थांशीय कोण या वृत्तपादीय कोण (quadrantal angles) कहते हैं।
बिंदुओं A, B, C तथा D के निर्देशांक क्रमशः $(1,0),(0,1),(-1,0)$ तथा $(0,-1)$ हैं, इसलिए चतुर्थांशीय कोणों के लिए हम पाते हैं,
$$ \begin{aligned} & \cos 0^{\circ}=1 \quad \sin 0^{\circ}=0 \ & \cos \frac{\pi}{2}=0 \quad \sin \frac{\pi}{2}=1 \ & \cos \pi=-1 \quad \sin \pi=0 \ & \cos \frac{3 \pi}{2}=0 \quad \sin \frac{3 \pi}{2}=-1 \ & \cos 2 \pi=1 \quad \sin 2 \pi=0 \end{aligned} $$
अब, यदि हम बिंदु $\mathrm{P}$ से एक पूर्ण परिक्रमा लेते हैं, तो हम उसी बिंदु $\mathrm{P}$ पर पहुँचते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि यदि $x, 2 \pi$ के पूर्णाक गुणज में बढ़ते (या घटते) हैं, तो त्रिकोणमितीय फलनों के मानों में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
इस प्रकार
$$ \begin{aligned} & \sin (2 n \pi+x)=\sin x, n \in \mathbf{Z} \ & \cos (2 n \pi+x)=\cos x, n \in \mathbf{Z} \end{aligned} $$
पुनः $\sin x=0$, यदि $x=0, \pm \pi, \pm 2 \pi, \pm 3 \pi, \ldots$ अर्थात् $x, \pi$ का पूर्णाक गुणज है।
तथा $\cos x=0$, यदि $x= \pm \frac{\pi}{2}, \pm \frac{3 \pi}{2}, \pm \frac{5 \pi}{2}, \ldots$ अर्थात् $\cos x=0$, जब $x, \frac{\pi}{2}$ का विषम गुणज है। इस प्रकार
$$ \begin{aligned} & \sin x=0 \text { से प्राप्त होता है कि } x=n \pi \text {, जहाँ } n \text { कोई पूर्णांक है। } \ & \cos x=0 \text { से प्राप्त होता है कि } x=(2 n+1) \frac{\pi}{2} \text {, जहाँ } n \text { कोई पूर्णांक है। } \end{aligned} $$
अब हम अन्य त्रिकोणमितीय फलनों को sine तथा cosine के पदों में परिभाषित करते हैं:
$$ \begin{aligned} & \operatorname{cosec} x=\frac{1}{\sin x}, x \neq n \pi \text {, जहाँ } n \text { कोई पूर्णांक है। } \ & \sec x=\frac{1}{\cos x}, x \neq(2 n+1) \frac{\pi}{2}, \text { जहाँ } n \text { कोई पूर्णांक है। } \ & \tan x=\frac{\sin x}{\cos x}, x \neq(2 n+1) \frac{\pi}{2}, \text { जहाँ } n \text { कोई पूर्णांक है। } \ & \cot x=\frac{\cos x}{\sin x}, x \neq n \pi \text {, जहाँ } n \text { कोई पूर्णांक है। } \end{aligned} $$
हम सभी वास्तविक $x$ के लिए देखते हैं कि $\sin ^{2} x+\cos ^{2} x=1$
इस प्रकार
$$ \begin{align*} & 1+\tan ^{2} x=\sec ^{2} x \tag{क्यों?}\ & 1+\cot ^{2} x=\operatorname{cosec}^{2} x \tag{क्यों?} \end{align*} $$
पूर्व कक्षाओं में, हम $0^{\circ}, 30^{\circ}, 45^{\circ}, 60^{\circ}$ तथा $90^{\circ}$ के त्रिकोणमितीय अनुपातों के मानों की चर्चा कर चुके हैं। इन कोणों के त्रिकोणमितीय फलनों के मान वही हैं जो पिछली कक्षाओं में पढ़ चुके त्रिकोणमितीय अनुपातों के हैं। इस प्रकार, हम निम्नलिखित सारणी पाते हैं:
$0^{\circ}$ | $\frac{\pi}{6}$ | $\frac{\pi}{4}$ | $\frac{\pi}{3}$ | $\frac{\pi}{2}$ | $\pi$ | $\frac{3 \pi}{2}$ | $2 \pi$ | |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
$\sin$ | 0 | $\frac{1}{2}$ | $\frac{1}{\sqrt{2}}$ | $\frac{\sqrt{3}}{2}$ | 1 | 0 | -1 | 0 |
$\cos$ | 1 | $\frac{\sqrt{3}}{2}$ | $\frac{1}{\sqrt{2}}$ | $\frac{1}{2}$ | 0 | -1 | 0 | 1 |
$\tan$ | 0 | $\frac{1}{\sqrt{3}}$ | 1 | $\sqrt{3}$ | $0^{\Delta}$ | 0 | 0 |
$\operatorname{cosec} x, \sec x$ तथा $\cot x$ का मान क्रमशः $\sin x, \cos x$ तथा $\tan x$ के मान से उल्टा (विलोम) है।
3.3.1 त्रिकोणमितीय फलनों के चिह्न (Signs of trigonometric functions)
माना कि इकाई वृत्त पर $\mathrm{P}(a, b)$ कोई बिंदु हैं, जिसका केंद्र मूल बिंदु हैं, तथा $\angle \mathrm{AOP}=x$, यदि $\angle \mathrm{AOQ}=-x$, तो बिंदु $\mathrm{Q}$ के निर्देशांक $(a,-b)$ होंगे (आकृति 3.7)। इसलिए $\cos (-x)=\cos x$ तथा $\sin (-x)=-\sin x$ चूँकि इकाई वृत्त के प्रत्येक बिंदु $\mathrm{P}(a, b)$ के लिए $-1 \leq a \leq 1$ तथा $-1 \leq b$ $\leq 1$, अतः, हम $x$ के सभी मानों के लिए $-1 \leq \cos x \leq 1$ तथा $-1 \leq \sin x \leq 1$, पाते हैं। पिछली कक्षाओं से हमको ज्ञात है कि प्रथम चतुर्थांश $\left(0<x<\frac{\pi}{2}\right)$ में $a$ तथा $b$ दोनों धनात्मक हैं, दूसरे चतुर्थांश $\left(\frac{\pi}{2}<x<\pi\right)$ में
आकृति 3.7
$a$ ॠणात्मक तथा $b$ धनात्मक हैं, तीसरे चतुर्थांश $\left(\pi<x<\frac{3 \pi}{2}\right)$ में $a$ तथा $b$ दोनों ऋणात्मक हैं, तथा चतुर्थ चतुर्थांश $\left(\frac{3 \pi}{2}<x<2 \pi\right)$ में $a$ धनात्मक तथा $b$ ॠणात्मक है। इसलिए $0<x<\pi$ के लिए $\sin x$ धनात्मक तथा $\pi<x<2 \pi$ के लिए ऋणात्मक होता है। इसी प्रकार, $0<x<\frac{\pi}{2}$ के लिए $\cos x$ धनात्मक, $\frac{\pi}{2}<x<\frac{3 \pi}{2}$ के लिए ऋणात्मक तथा $\frac{3 \pi}{2}<x<2 \pi$ के लिए धनात्मक होता है। इसी प्रकार, हम अन्य त्रिकोणमितीय फलनों के चिह्न विभिन्न चतुर्थांशों में ज्ञात कर सकते हैं। इसके लिए हमारे पास निम्नलिखित सारणी है:
I | II | III | IV | |
---|---|---|---|---|
$\sin x$ | + | + | - | - |
$\cos x$ | + | - | - | + |
$\tan x$ | + | - | + | - |
$\operatorname{cosec} x$ | + | + | - | - |
$\sec x$ | + | - | - | + |
$\cot x$ | + | - | + | - |
3.3.2 त्रिकोणमितीय फलनों का प्रांत तथा परिसर (Domain and range of trigonometric
functions) sine तथा cosine फलनों की परिभाषा से, हम यह पाते हैं कि वे सभी वास्तविक संख्याओं के लिए परिभाषित हैं। पुनः, हम यह भी पाते हैं कि प्रत्येक वास्तविक संख्या $x$ के लिए,
$$ -1 \leq \sin x \leq 1 \text { तथा }-1 \leq \cos x \leq 1 $$
अत: $y=\sin x$ तथा $y=\cos x$ का प्रांत सभी वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है तथा परिसर अंतराल $[-1,1]$, अर्थात्, $-1 \leq y \leq 1$ है।
चूँकि, $\operatorname{cosec} x=\frac{1}{\sin x}, y=\operatorname{cosec} x$ का प्रांत, समुच्चय $\{x: x \in \mathbf{R}$ तथा $x \neq n \pi, n \in \mathbf{Z}\}$ तथा परिसर समुच्चय $\{y: y \in \mathbf{R}, y \geq 1$ या $y \leq-1\}$ है। इसी प्रकार, $y=\sec x$ का प्रांत, समुच्चय $\left\{x: x \in \mathbf{R}\right.$ तथा $\left.x \neq(2 n+1) \frac{\pi}{2}, n \in \mathbf{Z}\right\}$ तथा, परिसर, समुच्चय $\{y: y \in \mathbf{R}, y \leq-1$ या $y \geq 1\}$ है। $y=\tan x$ का प्रांत, समुच्चय $\{x: x \in \mathbf{R}$ तथा $\left.x \neq(2 n+1) \frac{\pi}{2}, n \in \mathbf{Z}\right\}$ तथा परिसर सभी वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है। $y=\cot x$ का प्रांत, समुच्चय $\{x: x \in \mathbf{R}$ तथा $x \neq n \pi, n \in \mathbf{Z}\}$, परिसर सभी वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है।
हम देखते हैं कि प्रथम चतुर्थांश में, जब $x, 0$ से $\frac{\pi}{2}$ की ओर बढ़ता है, तो $\sin x$ भी 0 से 1 की ओर बढ़ता है, दूसरे चतुर्थांश में जब $x, \frac{\pi}{2}$ से $\pi$ की ओर बढ़ता है तो $\sin x, 1$ से 0 की ओर घटता है। तीसरे चतुर्थांश में जब $x, \pi$ से $\frac{3 \pi}{2}$ की ओर बढ़ता है तो $\sin x, 0$ से -1 की ओर घटता है तथा अंत में कोण $\frac{3 \pi}{2}$ से $2 \pi$ की ओर बढ़ता है तो $\sin x,-1$ से 0 की ओर बढ़ता जाता है। इसी प्रकार हम अन्य त्रिकोणमितीय फलनों के विषय में विचार कर सकते हैं। वस्तुतः हमारे पास निम्नलिखित सारणी है:
I चतुर्थांश | II चतुर्थांश | III चतुर्थांश | IV चतुर्थांश | |
---|---|---|---|---|
$\sin$ | 0 से 1 की ओर बढ़ता है | 1 से 0 की ओर घटता है | 0 से -1 की ओर घटता है | -1 से 0 की ओर बढ़ता है |
$\cos$ | 1 से 0 की ओर घटता है | 0 से -1 की ओर घटता है | -1 से 0 की ओर बढ़ता है | 0 से 1 की ओर बढ़ता है |
$\tan$ | 0 से $\infty$ की ओर बढ़ता है | $-\infty$ से 0 की ओर बढ़ता है | 0 से $\infty$ की ओर बढ़ता है | $-\infty$ से 0 की ओर बढ़ता है |
$\cot$ | $\infty$ से 0 की ओर घटता है | 0 से $-\infty$ की ओर घटता है | $\infty$ से 0 की ओर घटता है | 0 से $-\infty$ की ओर घटता है |
$\sec$ | 1 से $\infty$ की ओर बढ़ता है | $-\infty$ से -1 की ओर बढ़ता है | -1 से $-\infty$ की ओर घटता है $\infty$ से 1 की ओर घटता है | |
$\operatorname{cosec}$ | $\infty$ से 1 की ओर घटता है | 1 से $\infty$ की ओर बढ़ता है | $-\infty$ से -1 की ओर बढ़ता है | -1 से $-\infty$ की ओर घटता है |
टिप्पणी उपर्युक्त सारणी में, यह कथन कि अंतराल $0<x<\frac{\pi}{2}$ में $\tan x$ का मान 0 से $\infty$ (अनंत) तक बढ़ता है का अर्थ है कि जैसे-जैसे $x$ का मान $\frac{\pi}{2}$ की ओर बढ़ता है वैसे-वैसे $\tan x$ का मान बहुत अधिक हो जाता है। इसी प्रकार, जब हम यह कह सकते हैं कि चतुर्थ चतुर्थांश में $\operatorname{cosec} x$ का मान -1 से $-\infty$ (ऋणात्मक अनंत) तक में घटता है तो इसका अर्थ है कि जब $x \in\left(\frac{3 \pi}{2}, 2 \pi\right)$ तब जैसे-जैसे $x, 2 \pi$ की ओर अग्रसर होता है, $\operatorname{cosec} x$ बहुत अधिक ऋणात्मक मान लेता है। साधारणतः चिह्न $\infty$ तथा $-\infty$ फलनों तथा चरों के विशेष प्रकार के व्यवहार को बताते हैं।
हमने देखा कि $\sin x$ तथा $\cos x$ के मानों का अंतराल $2 \pi$ के पश्चात् पुनरावृत्ति होती है। जैसे, $\operatorname{cosec} x$ तथा $\sec x$ के मानों की भी अंतराल $2 \pi$ के बाद पुनरावृत्ति होती है। हम अगले अनुच्छेद में $\tan (\pi+x)=\tan x$ देखते हैं। जैसे, $\tan x$ के मानों में अंतराल $\pi$ के पश्चात् पुनरावृत्ति होती है, क्योंकि $\cot x, \tan x$ का पूरक है, इसके मानो में भी अंतराल $\pi$ के पश्चात् पुनरावृत्ति होती है। त्रिकोणमितीय फलनों में इस ज्ञान (गुणधर्म) तथा व्यवहार का उपयोग करने पर, हम फलनों का आलेख खींच सकते हैं। इन फलनों का आलेख नीचे दिए गए हैं:
आकृति 3.8
आकृति 3.10
आकृति 3.11
आकृति 3.12
$y=\operatorname{cosec} x$
आकृति 3.13
प्रश्नावली 3.2
निम्नलिखित प्रश्नों में पाँच अन्य त्रिकोणमितीय फलनों का मान ज्ञात कीजिए:
1. $\cos x=-\frac{1}{2}, x$ तीसरे चतुर्थांश में स्थित है।
2. $\sin x=\frac{3}{5}, x$ दूसरे चतुर्थांश में स्थित है।
3. $\cot x=\frac{3}{4}, x$ तृतीय चतुर्थांश में स्थित है।
4. $\sec x=\frac{13}{5}, x$ चतुर्थ चतुर्थांश में स्थित है।
5. $\tan x=-\frac{5}{12}, x$ दूसरे चतुर्थांश में स्थित है।
प्रश्न संख्या 6 से 10 के मान ज्ञात कीजिए:
6. $\sin 765^{\circ}$
7. $\operatorname{cosec}\left(-1410^{\circ}\right)$
8. $\tan \frac{19 \pi}{3}$
9. $\sin \left(-\frac{11 \pi}{3}\right)$
10. $\cot \left(-\frac{15 \pi}{4}\right)$
3.4 दो कोणों के योग और अंतर का त्रिकोणमितीय फलन (Trigonometric Functions of Sum and Difference of two Angles)
इस भाग में हम दो संख्याओं (कोणों) के योग एवं अंतर के लिए त्रिकोणमितीय फलनों तथा उनसे संबंधित व्यंजकों को व्युत्पन्न करेंगे। इस संबंध में इन मूल परिणामों को हम त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएँ कहेंगे। हम देखते हैं कि
1. $\sin (-x)=-\sin x$
2. $\cos (-x)=\cos x$
अब हम कुछ और परिणाम सिद्ध करेंगे:
3. $\cos (x+y)=\cos x \cos y-\sin x \sin y$
इकाई वृत्त पर विचार कीजिए, जिसका केंद्र मूल बिंदु पर हो। माना कि कोण $\mathrm{P}{4} \mathrm{OP}{1}, x$ तथा कोण $\mathrm{P}{1} \mathrm{OP}{2}, y$ हैं तो कोण $\mathrm{P}{4} \mathrm{OP}{2},(x+y)$ होगा। पुन: माना कोण $\mathrm{P}{4} \mathrm{OP}{3},(-y)$ हैं। अत: $\mathrm{P}{1}, \mathrm{P}{2}$,
आकृति 3.14
$\mathrm{P} _{3}$ तथा $\mathrm{P} _{4}$ के निर्देशांक $\mathrm{P} _{1}(\cos x, \sin x), \mathrm{P} _{2}[\cos (x+y), \sin (x+y)], \mathrm{P} _{3}[\cos (-y), \sin$ $(-y)]$ और $\mathrm{P} _{4}(1,0)$ होंगे (आकृति 3.14)।
त्रिभुजों $\mathrm{P} _{1} \mathrm{OP} _{3}$ तथा $\mathrm{P} _{2} \mathrm{OP} _{4}$ पर विचार कीजिए। वे सर्वांगासम हैं (क्यों)। इसलिए $\mathrm{P} _{1} \mathrm{P} _{3}$ और $\mathrm{P} _{2} \mathrm{P} _{4}$ बराबर हैं। दूरी सूत्र का उपयोग करने पर
$$ \begin{align*} \mathrm{P} _{1} \mathrm{P} _{3}{ }^{2} & =[\cos x-\cos (-y)]^{2}+[\sin x-\sin (-y)]^{2} \\ & =(\cos x-\cos y)^{2}+(\sin x+\sin y)^{2} \\ & =\cos ^{2} x+\cos ^{2} y-2 \cos x \cos y+\sin ^{2} x+\sin ^{2} y+2 \sin x \sin y \\ & =2-2(\cos x \cos y-\sin x \sin y) \quad \text { (क्यों?) } \tag{क्यों?} \end{align*} $$
पुन: $\quad \mathrm{P} _{2} \mathrm{P} _{4}{ }^{2}=[1-\cos (x+y)]^{2}+[0-\sin (x+y)]^{2}$
$$ \begin{aligned} & =1-2 \cos (x+y)+\cos ^{2}(x+y)+\sin ^{2}(x+y) \\ & =2-2 \cos (x+y) \end{aligned} $$
क्योंकि $\mathrm{P} _{1} \mathrm{P} _{3}=\mathrm{P} _{2} \mathrm{P} _{4}$, हम पाते हैं; $\mathrm{P} _{1} \mathrm{P} _{3}{ }^{2}=\mathrm{P} _{2} \mathrm{P} _{4}{ }^{2}$
इसलिए, $2-2(\cos x \cos y-\sin x \sin y)=2-2 \cos (x+y)$
अतः $\cos (x+y)=\cos x \cos y-\sin x \sin y$
4. $\cos (x-y)=\cos x \cos y+\sin x \sin y$
सर्वसमिका 3 में $y$ के स्थान पर $-y$ रखने पर
$$ \cos (x+(-y))=\cos x \cos (-y)-\sin x \sin (-y) $$
या
$$ \cos (x-y)=\cos x \cos y+\sin x \sin y $$
5. $\cos \left(\frac{\pi}{2}-x\right)=\sin x$
सर्वसमिका 4 में $x$ के स्थान पर $\frac{\pi}{2}$ तथा $y$ के स्थान पर $x$ रखने पर हम पाते हैं
$$ \cos \left(\frac{\pi}{2}-x\right)=\cos \frac{\pi}{2} \cos x+\sin \frac{\pi}{2} \sin x=\sin x $$
6. $\sin \left(\frac{\pi}{2}-x\right)=\cos x$
सर्वसमिका 5 का उपयोग करने पर हम पाते हैं
$$ \sin \left(\frac{\pi}{2}-x\right)=\cos \frac{\pi}{2}-\frac{\pi}{2}-x=\cos x . $$
7. $\sin (x+y)=\sin x \cos y+\cos x \sin y$ हम जानते हैं कि
$$ \begin{aligned} \sin (x+y) & =\cos \frac{\pi}{2}-(x+y)=\cos \left(\frac{\pi}{2}-x\right)-y \ & =\cos \left(\frac{\pi}{2}-x\right) \cos y+\sin \left(\frac{\pi}{2}-x\right) \sin y \ & =\sin x \cos y+\cos x \sin y \end{aligned} $$
8. $\sin (x-y)=\sin x \cos y-\cos x \sin y$ यदि हम सर्वसमिका 7 में $y$ के स्थान पर $-\boldsymbol{y}$ रखें तो उपरोक्त परिणाम पाते हैं।
9. $x$ और $y$ के उपर्युक्त मानों को सर्वसमिकाओं $3,4,7$ और 8 में रखने पर हम निम्नलिखित परिणाम निकाल सकते हैं:
$$ \begin{array}{ll} \cos \left(\frac{\pi}{2}+x\right)=-\sin x & \sin \left(\frac{\pi}{2}+x\right)=\cos x \ \cos (\pi-x)=-\cos x & \sin (\pi-x)=\sin x \ \cos (\pi+x)=-\cos x & \sin (\pi+x)=-\sin x \ \cos (2 \pi-x)=\cos x & \sin (2 \pi-x)=-\sin x \end{array} $$
इसी प्रकार के संगत परिणाम $\tan x, \cot x, \sec x$ एवं $\operatorname{cosec} x$ के लिए $\sin x$ और $\cos x$ के फलनों के परिणामों से आसानी से निकाले जा सकते हैं।
10. यदि $x, y$ और $(x+y)$ में से कोई $\frac{\pi}{2}$ का विषम गुणांक नहीं हैं तो,
$$ \tan (x+y)=\frac{\tan x+\tan y}{1-\tan x \tan y} $$
क्योंकि $x, y$ तथा $(x+y)$ में से कोई $\frac{\pi}{2}$ का विषम गुणांक नहीं हैं, इसलिए $\cos x$, $\cos y$ तथा $\cos (x+y)$ शून्य नहीं हैं। अब
$$ \tan (x+y)=\frac{\sin (x+y)}{\cos (x+y)}=\frac{\sin x \cos y+\cos x \sin y}{\cos x \cos y-\sin x \sin y} $$
अंश और हर में $\cos x \cos y$, से विभाजित करने पर हम पाते हैं।
$$ \begin{aligned} & \tan (x+y)= \frac{\frac{\sin x \cos y}{\cos x \cos y}+\frac{\cos x \sin y}{\cos x \cos y}}{\frac{\cos x \cos y}{\cos x \cos y}-\frac{\sin x \sin y}{\cos x \cos y}} \ &=\frac{\tan x+\tan y}{1-\tan x \tan y} \ & \tan (x-y) \quad=\frac{\tan x-\tan y}{1+\tan x \tan y} \end{aligned} $$
11.
यदि सर्वसमिका 10 में $y$ के स्थान पर $-y$ रखने पर, हम पाते हैं
$$ \begin{aligned} \tan (x-y) & =\tan [x+(-y)] \ & =\frac{\tan x+\tan (-y)}{1-\tan x \tan (-y)}=\frac{\tan x-\tan y}{1+\tan x \tan y} \end{aligned} $$
12. यदि $x, y$ तथा $(x+y)$ में से कोई भी कोण $\pi$, का गुणांक नहीं हैं, तो
$$ \cot (x+y)=\frac{\cot x \cot y-1}{\cot y+\cot x} $$
क्योंकि $x, y$ तथा $(x+y)$ कोणों में से कोई भी $\pi$, का गुणांक नहीं हैं, इसलिए $\sin x, \sin y$ तथा $\sin (x+y)$ शून्य नहीं हैं। अब
$\cot (x+y)=\frac{\cos (x+y)}{\sin (x+y)}=\frac{\cos x \cos y-\sin x \sin y}{\sin x \cos y+\cos x \sin y}$
अंश और हर को $\sin x \sin y$, से विभाजित करने पर, हम पाते हैं
$\cot (x+y)=\frac{\cot x \cot y-1}{\cot y+\cot x}$
13. $\cot (x-y)=\frac{\cot x \boldsymbol{\operatorname { c o t }} \boldsymbol{y}+\mathbf{1}}{\boldsymbol{\operatorname { c o t }} \boldsymbol{y}-\boldsymbol{\operatorname { c o t } x}}$ जहाँ $x, y$ तथा $x-y ; \pi$ के गणांक नहीं हैं।
यदि सर्वसमिका 12 में $y$ के स्थान पर $-y$ रखते हैं तो हम उपरोक्त परिणाम पाते हैं।
14. $\cos 2 x=\cos ^{2} x-\sin ^{2} x=2 \cos ^{2} x-1=1-2 \sin ^{2} x=\frac{1-\tan ^{2} x}{1+\tan ^{2} x}$ हम जानते हैं कि
$$ \cos (x+y)=\cos x \cos y-\sin x \sin y $$
$y$ के स्थान पर $x$, रखें तो, हम पाते हैं
$$ \begin{aligned} \cos 2 x & =\cos ^{2} x-\sin ^{2} x \ & =\cos ^{2} x-\left(1-\cos ^{2} x\right)=2 \cos ^{2} x-1 \end{aligned} $$
पुन: $\cos 2 x=\cos ^{2} x-\sin ^{2} x$
$$ =1-\sin ^{2} x-\sin ^{2} x=1-2 \sin ^{2} x . $$
अतः हम पाते हैं $\cos 2 x=\cos ^{2} x-\sin ^{2} x=\frac{\cos ^{2} x-\sin ^{2} x}{\cos ^{2} x+\sin ^{2} x}$
अंश और हर को $\cos ^{2} x$ से विभाजित करने पर, हम पाते हैं
$$ \cos 2 x=\frac{1-\tan ^{2} x}{1+\tan ^{2} x} x \neq n \pi+\frac{\pi}{2} \text { जहाँ } n \text { पूर्णांक है। } $$
15. $\sin 2 x=2 \sin x \cos x=\frac{2 \tan x}{1+\tan ^{2} x}$
हम जानते हैं कि
$$ \sin (x+y)=\sin x \cos y+\cos x \sin y $$
$y$ के स्थान पर $x$ रखने पर, हम पाते हैं: $\sin 2 x=2 \sin x \cos x$.
पुन: $\quad \sin 2 x=\frac{2 \sin x \cos x}{\cos ^{2} x+\sin ^{2} x}$
प्रत्येक पद को $\cos ^{2} x$ से विभाजित करने पर, हम पाते हैं:
$$ \sin 2 x=\frac{2 \tan x}{1+\tan ^{2} x} $$
16. $\tan 2 x=\frac{2 \tan x}{1-\tan ^{2} x}, 2 x \neq n \pi+\frac{\pi}{2}$ जहाँ $n$ पूर्णांक है।
हम जानते हैं कि
$$ \tan (x+y)=\frac{\tan x+\tan y}{1-\tan x \tan y} $$
$y$ के स्थान पर $x$ रखने पर, हम पाते हैं, $\tan 2 x=\frac{2 \tan x}{1-\tan ^{2} x}$
17. $\sin 3 x=3 \sin x-4 \sin ^{3} x$ हम पाते हैं,
$$ \begin{aligned} \sin 3 x & =\sin (2 x+x) \ & =\sin 2 x \cos x+\cos 2 x \sin x \ & =2 \sin x \cos x \cos x+\left(1-2 \sin ^{2} x\right) \sin x \ & =2 \sin x\left(1-\sin ^{2} x\right)+\sin x-2 \sin ^{3} x \ & =2 \sin x-2 \sin ^{3} x+\sin x-2 \sin ^{3} x \ & =3 \sin x-4 \sin ^{3} x \end{aligned} $$
18. $\cos 3 x=4 \cos ^{3} x-3 \cos x$
हम पाते हैं,
$$ \begin{aligned} \cos 3 x & =\cos (2 x+x) \ & =\cos 2 x \cos x-\sin 2 x \sin x \ & =\left(2 \cos ^{2} x-1\right) \cos x-2 \sin x \cos x \sin x \ & =\left(2 \cos ^{2} x-1\right) \cos x-2 \cos x\left(1-\cos ^{2} x\right) \ & =2 \cos ^{3} x-\cos x-2 \cos x+2 \cos ^{3} x \ & =4 \cos ^{3} x-3 \cos x \end{aligned} $$
19. $\tan 3 x=\frac{3 \tan x-\tan ^{3} x}{1-3 \tan ^{2} x} 3 x \neq n \pi+\frac{\pi}{2}$ जहाँ $n$ पूर्णांक है। हम पाते हैं, $\tan 3 x=\tan (2 x+x)$
$$ \begin{aligned} & =\frac{\tan 2 x+\tan x}{1-\tan 2 x \tan x}=\frac{\frac{2 \tan x}{1-\tan ^{2} x}+\tan x}{1-\frac{2 \tan x \cdot \tan x}{1-\tan ^{2} x}} \ & =\frac{2 \tan x+\tan x-\tan ^{3} x}{1-\tan ^{2} x-2 \tan ^{2} x}=\frac{3 \tan x-\tan ^{3} x}{1-3 \tan ^{2} x} \end{aligned} $$
20. (i) $\cos x+\cos y=2 \cos \frac{x+y}{2} \cos \frac{x-y}{2}$
(ii) $\cos x-\cos y=-2 \sin \frac{x+y}{2} \sin \frac{x-y}{2}$
(iii) $\sin x+\sin y=2 \sin \frac{x+y}{2} \cos \frac{x-y}{2}$
(iv) $\sin x-\sin y=2 \cos \frac{x+y}{2} \sin \frac{x-y}{2}$
हम जानते हैं कि
$$ \begin{equation*} \cos (x+y)=\cos x \cos y-\sin x \sin y \tag{1} \end{equation*} $$
$$ \begin{equation*} \text { और } \quad \cos (x-y)=\cos x \cos y+\sin x \sin y \tag{2} \end{equation*} $$
(1) और (2) को जोड़ने एवं घटाने पर, हम पाते हैं,
$$ \begin{equation*} \cos (x+y)+\cos (x-y)=2 \cos x \cos y \tag{3} \end{equation*} $$
और
$$ \begin{equation*} \cos (x+y)-\cos (x-y)=-2 \sin x \sin y \tag{4} \end{equation*} $$
और भी
$\sin (x+y)=\sin x \cos y+\cos x \sin y$
और
$$ \begin{equation*} \sin (x-y)=\sin x \cos y-\cos x \sin y \tag{5} \end{equation*} $$
(5) और (6) को जोड़ने एवं घटाने पर, हम पाते हैं,
$$ \begin{align*} & \sin (x+y)+\sin (x-y)=2 \sin x \cos y \tag{7}\\ & \sin (x+y)-\sin (x-y)=2 \cos x \sin y \tag{8} \end{align*} $$
माना कि $x+y=\theta$ तथा $x-y=\phi$, इसलिए
$$ x=\left(\frac{\theta+\phi}{2}\right) \text { तथा } y=\left(\frac{\theta-\phi}{2}\right) $$
$(3),(4),(7)$ तथा (8) में $x$ और $y$ के मान रखने पर, हम पाते हैं,
$$ \begin{aligned} & \cos \theta+\cos \phi=2 \cos \left(\frac{\theta+\phi}{2}\right) \cos \left(\frac{\theta-\phi}{2}\right) \\ & \cos \theta-\cos \phi=-2 \sin \left(\frac{\theta+\phi}{2}\right) \sin \left(\frac{\theta-\phi}{2}\right) \\ & \sin \theta+\sin \phi=2 \sin \left(\frac{\theta+\phi}{2}\right) \cos \left(\frac{\theta-\phi}{2}\right) \\ & \sin \theta-\sin \phi=2 \cos \left(\frac{\theta+\phi}{2}\right) \sin \left(\frac{\theta-\phi}{2}\right) \end{aligned} $$
क्योंकि $\theta$ तथा $\phi$ को कोई वास्तविक संख्या मान सकते हैं। हम $\theta$ के स्थान पर $x$ तथा $\phi$ के स्थान पर $y$ रखने पर, हम पाते हैं:
$$ \begin{aligned} & \cos x+\cos y=2 \cos \frac{x+y}{2} \cos \frac{x-y}{2} ; \cos x-\cos y=-2 \sin \frac{x+y}{2} \sin \frac{x-y}{2}, \\ & \sin x+\sin y=2 \sin \frac{x+y}{2} \cos \frac{x-y}{2} ; \sin x-\sin y=2 \cos \frac{x+y}{2} \sin \frac{x-y}{2} \end{aligned} $$
टिप्पणी सर्वसमिका 20 से हम निम्न परिणाम पाते हैं:
21. (i) $2 \cos x \cos y=\cos (x+y)+\cos (x-y)$
(ii) $-2 \sin x \sin y=\cos (x+y)-\cos (x-y)$
(iii) $2 \sin x \cos y=\sin (x+y)+\sin (x-y)$
(iv) $2 \cos x \sin y=\sin (x+y)-\sin (x-y)$
प्रश्नावली 3.3
सिद्ध कीजिए:
1. $\sin ^{2} \frac{\pi}{6}+\cos ^{2} \frac{\pi}{3}-\tan ^{2} \frac{\pi}{4}=-\frac{1}{2}$ 2. $2 \sin ^{2} \frac{\pi}{6}+\operatorname{cosec}^{2} \frac{7 \pi}{6} \cos ^{2} \frac{\pi}{3}=\frac{3}{2}$
2. $\cot ^{2} \frac{\pi}{6}+\operatorname{cosec} \frac{5 \pi}{6}+3 \tan ^{2} \frac{\pi}{6}=6$ 4. $2 \sin ^{2} \frac{3 \pi}{4}+2 \cos ^{2} \frac{\pi}{4}+2 \sec ^{2} \frac{\pi}{3}=10$
3. मान ज्ञात कीजिए: (i) $\sin 75^{\circ}$ (ii) $\tan 15^{\circ}$
निम्नलिखित को सिद्ध कीजिए:
6. $\cos \left(\frac{\pi}{4}-x\right) \cos \left(\frac{\pi}{4}-y\right)-\sin \left(\frac{\pi}{4}-x\right) \sin \left(\frac{\pi}{4}-y\right)=\sin (x+y)$
7. $\frac{\tan \left(\frac{\pi}{4}+x\right)}{\tan \left(\frac{\pi}{4}-x\right)}=\left(\frac{1+\tan x}{1-\tan x}\right)^{2}$
8. $\frac{\cos (\pi+x) \cos (-x)}{\sin (\pi-x) \cos \left(\frac{\pi}{2}+x\right)}=\cot ^{2} x$
9. $\cos \left(\frac{3 \pi}{2}+x\right) \cos (2 \pi+x)\left[\cot \left(\frac{3 \pi}{2}-x\right)+\cot (2 \pi+x)\right]=1$
10. $\sin (n+1) x \sin (n+2) x+\cos (n+1) x \cos (n+2) x=\cos x$
11. $\cos \left(\frac{3 \pi}{4}+x\right)-\cos \left(\frac{3 \pi}{4}-x\right)=-\sqrt{2} \sin x$
12. $\sin ^{2} 6 x-\sin ^{2} 4 x=\sin 2 x \sin 10 x$
13. $\cos ^{2} 2 x-\cos ^{2} 6 x=\sin 4 x \sin 8 x$
14. $\sin 2 x+2 \sin 4 x+\sin 6 x=4 \cos ^{2} x \sin 4 x$
15. $\cot 4 x(\sin 5 x+\sin 3 x)=\cot x(\sin 5 x-\sin 3 x)$
16. $\frac{\cos 9 x-\cos 5 x}{\sin 17 x-\sin 3 x}=-\frac{\sin 2 x}{\cos 10 x}$
17. $\frac{\sin 5 x+\sin 3 x}{\cos 5 x+\cos 3 x}=\tan 4 x$
18. $\frac{\sin x-\sin y}{\cos x+\cos y}=\tan \frac{x-y}{2}$
19. $\frac{\sin x+\sin 3 x}{\cos x+\cos 3 x}=\tan 2 x$
20. $\frac{\sin x-\sin 3 x}{\sin ^{2} x-\cos ^{2} x}=2 \sin x$
21. $\frac{\cos 4 x+\cos 3 x+\cos 2 x}{\sin 4 x+\sin 3 x+\sin 2 x}=\cot 3 x$
22. $\cot x \cot 2 x-\cot 2 x \cot 3 x-\cot 3 x \cot x=1$
23. $\tan 4 x=\frac{4 \tan x\left(1-\tan ^{2} x\right)}{1-6 \tan ^{2} x+\tan ^{4} x} \quad$ 24. $\cos 4 x=1-8 \sin ^{2} x \cos ^{2} x$
24. $\cos 6 x=32 \cos ^{6} x-48 \cos ^{4} x+18 \cos ^{2} x-1$
अध्याय 3 पर विविध प्रश्नावली
सिद्ध कीजिए:
1. $2 \cos \frac{\pi}{13} \cos \frac{9 \pi}{13}+\cos \frac{3 \pi}{13}+\cos \frac{5 \pi}{13}=0$
2. $(\sin 3 x+\sin x) \sin x+(\cos 3 x-\cos x) \cos x=0$
3. $(\cos x+\cos y)^{2}+(\sin x-\sin y)^{2}=4 \cos ^{2} \frac{x+y}{2}$
4. $(\cos x-\cos y)^{2}+(\sin x-\sin y)^{2}=4 \sin ^{2} \frac{x-y}{2}$
5. $\sin x+\sin 3 x+\sin 5 x+\sin 7 x=4 \cos x \cos 2 x \sin 4 x$
6. $\frac{(\sin 7 x+\sin 5 x)+(\sin 9 x+\sin 3 x)}{(\cos 7 x+\cos 5 x)+(\cos 9 x+\cos 3 x)}=\tan 6 x$
7. $\sin 3 x+\sin 2 x-\sin x=4 \sin x \cos \frac{x}{2} \cos \frac{3 x}{2}$
निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न में $\sin \frac{x}{2}, \cos \frac{x}{2}$ तथा $\tan \frac{x}{2}$ ज्ञात कीजिए:
8. $\tan x=-\frac{4}{3}, x$ द्वितीय चतुर्थांश में है। $\cos x=-\frac{1}{3}, x$ तृतीय चतुर्थांश में है।
10. $\sin x=\frac{1}{4}, x$ द्वितीय चतुर्थांश में है।
सारांश
यदि एक वृत्त, जिसकी त्रिज्या $r$, चाप की लंबाई $l$ तथा केंद्र पर अंतरित कोण $\theta$ रेडियन हैं, तो $l=r \theta$
रेडियन माप $=\frac{\pi}{180} \times$ डिग्री माप
डिग्री माप $=\frac{180}{\pi} \times$ रेडियन माप
$\cos ^{2} x+\sin ^{2} x=1$
$1+\tan ^{2} x=\sec ^{2} x$
$1+\cot ^{2} x=\operatorname{cosec}^{2} x$
$\cos (2 n \pi+x)=\cos x$
$\sin (2 n \pi+x)=\sin x$
$\sin (-x)=-\sin x$
$\Delta \cos (-x)=\cos x$
- $\cos (x+y)=\cos x \cos y-\sin x \sin y$
- $\cos (x-y)=\cos x \cos y+\sin x \sin y$
$\cos \left(\frac{\pi}{2}-x\right)=\sin x$ $\sin \left(\frac{\pi}{2}-x\right)=\cos x$
$\sin (x+y)=\sin x \cos y+\cos x \sin y$
- $\sin (x-y)=\sin x \cos y-\cos x \sin y$
$\cos \left(\frac{\pi}{2}+x\right)=-\sin x$
$$ \sin \left(\frac{\pi}{2}+x\right)=\cos x $$
$\cos (\pi-x)=-\cos x$
$$ \sin (\pi-x)=\sin x $$
$\cos (\pi+x)=-\cos x$
$\sin (\pi+x)=-\sin x$
$\cos (2 \pi-x)=\cos x$
$\sin (2 \pi-x)=-\sin x$
यदि $x, y$ और $(x \pm y)$ में से कोई कोण $\frac{\pi}{2}$ का विषम गुणांक नहीं हैं, तो
$\tan (x+y)=\frac{\tan x+\tan y}{1-\tan x \tan y}$
$\tan (x-y)=\frac{\tan x-\tan y}{1+\tan x \tan y}$
यदि $x, y$ और $(x \pm y)$ में से कोई कोण $\pi$ का विषम गुणांक नहीं हैं, तो $\cot (x+y)=\frac{\cot x \cot y-1}{\cot y+\cot x}$
$\cot (x-y)=\frac{\cot x \cot y+1}{\cot y-\cot x}$
$\cos 2 x=\cos ^{2} x-\sin ^{2} x=2 \cos ^{2} x-1=1-2 \sin ^{2} x=\frac{1-\tan ^{2} x}{1+\tan ^{2} x}$
$\sin 2 x=2 \sin x \cos x=\frac{2 \tan x}{1+\tan ^{2} x}$
$\tan 2 x=\frac{2 \tan x}{1-\tan ^{2} x}$
$\sin 3 x=3 \sin x-4 \sin ^{3} x$
$\cos 3 x=4 \cos ^{3} x-3 \cos x$
$\tan 3 x=\frac{3 \tan x-\tan ^{3} x}{1-3 \tan ^{2} x}$ (i)
$$ \cos x+\cos y=2 \cos \frac{x+y}{2} \cos \frac{x-y}{2} $$
(ii) $\cos x-\cos y=-2 \sin \frac{x+y}{2} \sin \frac{x-y}{2}$
(iii) $\quad \sin x+\sin y=2 \sin \frac{x+y}{2} \cos \frac{x-y}{2}$
(iv) $\sin x-\sin y=2 \cos \frac{x+y}{2} \sin \frac{x-y}{2}$
(i) $2 \cos x \cos y=\cos (x+y)+\cos (x-y)$
(ii) $\quad-2 \sin x \sin y=\cos (x+y)-\cos (x-y)$
(iii) $2 \sin x \cos y=\sin (x+y)+\sin (x-y)$
(iv) $\quad 2 \cos x \sin y=\sin (x+y)-\sin (x-y)$
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ऐसा विश्वास किया जाता है कि त्रिकोणमिती का अध्ययन सर्वप्रथम भारत में आरंभ हुआ था। आर्यभट्ट्ट ( 476 ई.), ब्रह्मगुप्त (598 ई.) भास्कर प्रथम (600 ई.) तथा भास्कर द्वितीय ( 1114 ई.) ने प्रमुख परिणामों को प्राप्त किया था। यह संपूर्ण ज्ञान भारत से मध्यपूर्व और पुनः वहाँ से यूरोप गया। यूनानियों ने भी त्रिकोणमिति का अध्ययन आरंभ किया परंतु उनकी कार्य विधि इतनी अनुपयुक्त थी, कि भारतीय विधि के ज्ञात हो जाने पर यह संपूर्ण विश्व द्वारा अपनाई गई।
भारत में आधुनिक त्रिकोणमितीय फलन जैसे किसी कोण की ज्या (sine) और फलन के परिचय का पूर्व विवरण सिद्धांत (संस्कृत भाषा में लिखा गया ज्योतिषीय कार्य) में दिया गया है जिसका योगदान गणित के इतिहास में प्रमुख है।
भास्कर प्रथम ( 600 ई.) ने $90^{\circ}$ से अधिक, कोणों के sine के मान के लए सूत्र दिया था। सोलहवीं शताब्दी का मलयालम भाषा में कार्य युक्ति भाषा में $\sin (\mathrm{A}+\mathrm{B})$ के प्रसार की एक उपपत्ति है। $18^{\circ}, 36^{\circ}, 54^{\circ}, 72^{\circ}$, आदि के sine तथा cosine के विशुद्ध मान भास्कर द्वितीय द्वारा दिए गए हैं।
$\sin ^{-1} x, \cos ^{-1} x$, आदि को चाप $\sin x$, चाप $\cos x$, आदि के स्थान पर प्रयोग करने का सुझाव ज्योतिषविद Sir John F.W. Hersehel ( 1813 ई.) द्वारा दिए गए थे। ऊँचाई और दूरी संबंधित प्रश्नों के साथ Thales (600 ई. पूर्व) का नाम अपरिहाय रूप से जुड़ा हुआ है। उन्हें मिश्र के महान पिरामिड की ऊँचाई के मापन का श्रेय प्राप्त है। इसके लिए उन्होंने एक ज्ञात
ऊँचाई के सहायक दंड तथा पिरामिड की परछाइयों को नापकर उनके अनुपातों की तुलना का प्रयोग किया था। ये अनुपात हैं
$$ \frac{\mathrm{H}}{\mathrm{S}}=\frac{h}{s}=\tan (\text { सूर्य का उन्नतांश }) $$
Thales को समुद्री जहाज़ की दूरी की गणना करने का भी श्रेय दिया जाता है। इसके लिए उन्होंने समरूप त्रिभुजों के अनुपात का प्रयोग किया था। ऊँचाई और दूरी संबधी प्रश्नों का हल समरूप त्रिभुजों की सहायता से प्राचीन भारतीय कार्यों में मिलते हैं।