Mathematics is the indispensable instrument of all physical research.-BERTHELOT

2.1 भूमिका (Introduction)

गणित का अधिकांश भाग पैटर्न अर्थात् परिवर्तनशील राशियों के बीच अभिज्ञेय (पहचान योग्य)कड़ियों को ज्ञात करने के बारे में है। हमारे दैनिक जीवन में, हम संबंधों को चित्रित करने वाले अनेक पैटर्टों के बारे में जानते हैं, जैसे भाई और बहन, पिता और पुत्र, अध्यापक और विद्यार्थी इत्यादि। गणित में भी हमें बहुत से संबंध मिलते हैं जैसे ‘संख्या m, संख्या n, से छोटी है’, ‘रेखा l, रेखा m, के समांतर है’, ‘समुच्चय A, समुच्चय B का उपसमुच्चय है’। इन सभी में हम देखते हैं कि किसी संबंध मं ऐसे युग्म सम्मिलित होते हैं जिनके घटक एक निश्चित क्रम में होते हैं। इस अध्याय में हम सीखेंगे कि किस प्रकार दो समुच्चयों के सदस्यों के युग्म बनाए जा सकते हैं और फिर उन युग्मों में आने वाले दोनों सदस्यों के बीच बनने वाले संबंधों को सुस्पष्ट करेंगे। अंत में, हम ऐसे विशेष संबंधों के बारे में जानेंगे, जो फलन बनने

G.W.Leibnitz (1646-1716 A.D.) के योग्य हैं। फलन की परिकल्पना गणित में अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह एक वस्तु से दूसरी वस्तु के बीच गणितानुसार यथातथ्य संगतता के विचार का अभिग्रहण करती है।

2.2 समुच्चयों का कार्तीय गुणन (Cartesian Product of Sets)

मान लीजिए कि A, दो प्रकार के रंगों का और B, तीन वस्तुओं का समुच्चय है, अर्थात्

A={ लाल, नीला } और B={b,c,s}

जहाँ b,c और s क्रमशः किसी विशेष बैग, कोट और कमीज को निरूपित करते हैं। इन दोनों समुच्चयों से कितने प्रकार की रंगीन वस्तुओं के युग्म बनाए जा सकते हैं? क्रमबद्ध तरीके से प्रगति करते हुए हम देखते हैं कि निम्नलिखित 6 भिन्न-भिन्न युग्म प्राप्त होते हैं। (लाल, b),( लाल, c ), (लाल, s),( नीला, b),( नीला, c ), (नीला, s )। इस प्रकार हमें 6 भिन्न-भिन्न वस्तुएँ प्राप्त होती हैं (आकृति 2.1)।

लाल नीला आकृति 2.1

पिछली कक्षाओं से स्मरण कीजिए कि, एक क्रमित युग्म, अवयवों का वह युग्म है, जिसे वक्र कोष्ठक में लिखते हैं और जिनको एक दूसरे से किसी विशेष क्रम में समूहित किया जाता है अर्थात् (p,q), pP और qQ । इसे निम्नलिखित परिभाषा से स्पष्ट किया जा सकता है।

परिभाषा 1 दो अरिक्त समुच्चयों P तथा Q का कार्तीय गुणन P×Q उन सभी क्रमित युग्मों का समुच्चय है, जिनको प्रथम घटक P से तथा द्वितीय घटक Q, से लेकर बनाया जा सकता है। अतः

P×Q={(p,q):pP,qQ}

यदि P या Q में से कोई भी रिक्त समुच्चय है, तो उनका कार्तीय गुणन भी रिक्त समुच्चय होता है, अर्थात् P×Q=ϕ

उपरोक्त दृष्टांत से हम जानते हैं कि

A×B={( लाल,b),( लाल,c),( लाल,s),( नीला,b),( नीला,c),( नीला,s)}

पुनः निम्नलिखित दो समुच्चयों पर विचार कीजिए।

A={DL,MP,KA}, जहाँ DL,MP,KA दिल्ली, मध्य प्रदेश, तथा कर्नाटक को निरूपित करते हैं और B={01,02,03} क्रमशः दिल्ली, मध्य प्रदेश और कर्नाटक द्वारा गाड़ियों के लिए जारी लाइसेंस प्लेट की सांकेतिक संख्याएँ प्रकट करते हैं।

यदि तीन राज्य दिल्ली, मध्य प्रदेश और कर्नाटक, गाड़ियों के लाइसेंस प्लेट के लिए संकेत पद्धति (संकेतिकी) इस प्रतिबंध के साथ बना

आकृति 2.2 रहे हों कि संकेत पद्धति, समुच्चय A के अवयव से प्रारंभ हो, तो इन समुच्चयों से प्राप्त होने वाले युग्म कौन से हैं तथा इन युग्मों की कुल संख्या कितनी है (आकृति 2.2)?

प्राप्त होने वाले युग्म इस प्रकार हैं, (DL,01),(DL,02),(DL,03),(MP,01),(MP,02), (MP,03),(KA,01),(KA,02),(KA,03) और समुच्चय A तथा समुच्चय B का कार्तीय गुणन इस प्रकार होगा,

A×B={(DL,01),(DL,02),(DL,03),(MP,01),(MP,02),(MP,03),(KA,01),(KA,02),

(KA,03)}

यह सरलता से देखा जा सकता है कि कार्तीय गुणन में इस प्रकार 9 युग्म हैं क्योंकि समुच्चय A और B में से प्रत्येक में 3 अवयव हैं। इससे हमें 9 संभव संकेत पद्धतियाँ मिलती हैं। यह भी नोट कीजिए कि इन अवयवों के युग्म बनाने का क्रम महत्त्वपूर्ण (निर्णायक) है। उदाहरण के लिए सांकेतिक संख्या (DL, 01) वही नहीं है जो सांकेतिक संख्या (01,DL) है।

अंत में स्पष्टीकरण के लिए समुच्चय A={a1,a2} और

B={b1,b2,b3,b4} पर विचार कीजिए (आकृति 2.3)। यहाँ

आकृति 2.3

A×B={(a1,b1),(a1,b2),(a1,b3),(a1,b4),(a2,b1),(a2,b2),(a2,b3),(a2,b4)}

यदि A और B, वास्तविक संख्याओं के समुच्चय के उपसमुच्चय हों, तो इस प्रकार प्राप्त 8 क्रमित युग्म किसी समतल के बिंदुओं की स्थिति निरूपित करते हैं तथा यह स्पष्ट है कि (a1,b2) पर स्थित बिंदु, (b2,a1) पर स्थित बिंदु से भिन्न हैं।

टिप्पणी

(i) दो क्रमित युग्म समान होते हैं, यदि और केवल यदि उनके संगत प्रथम घटक समान हों और संगत द्वितीय घटक भी समान हों।

(ii) यदि A में p अवयव तथा B में q अवयव हैं, तो A×B में pq अवयव होते हैं अर्थात् यदि n( A)=p तथा n( B)=q, तो n( A×B)=pq.

(iii) यदि A तथा B अरिक्त समुच्चय हैं और A या B में से कोई अपरिमित है, तो A×B भी अपरिमित समुच्चय होता है।

(iv) A×A×A={(a,b,c):a,b,cA}. यहाँ (a,b,c) एक क्रमित त्रिक कहलाता है।

प्रश्नावली 2.1

1. यदि x3+1,y23=53,13, तो x तथा y ज्ञात कीजिए।

2. यदि समुच्चय A में 3 अवयव हैं तथा समुच्चय B={3,4,5}, तो (A×B) में अवयवों की संख्या ज्ञात कीजिए।

3. यदि G={7,8} और H={5,4,2}, तो G×H और H×G ज्ञात कीजिए।

4. बतलाइए कि निम्नलिखित कथनों में से प्रत्येक सत्य है अथवा असत्य है। यदि कथन असत्य है, तो दिए गए कथन को सही बना कर लिखिए।

(i) यदि P={m,n} और Q={n,m}, तो P×Q={(m,n),(n,m)}. (ii) यदि A और B अरिक्त समुच्चय हैं, तो A×B क्रमित युग्मों (x,y) का एक अरिक्त समुच्चय है, इस प्रकार कि xA तथा yB.

(iii) यदि A={1,2},B={3,4}, तो A×(Bϕ)=ϕ.

5. यदि A={1,1}, तो A×A×A ज्ञात कीजिए।

6. यदि A×B={(a,x),(a,y),(b,x),(b,y)} तो A तथा B ज्ञात कीजिए।

7. मान लीजिए कि A={1,2},B={1,2,3,4},C={5,6} तथा D={5,6,7,8}. सत्यापित कीजिए कि

(i) A×(BC)=(A×B)(A×C). (ii) A×C,B×D का एक उपसमुच्चय है।

8. मान लीजिए कि A={1,2} और B={3,4}. A×B लिखिए। A×B के कितने उपसमुच्चय होंगे? उनकी सूची बनाइए।

9. मान लीजिए कि A और B दो समुच्चय हैं, जहाँ n( A)=3 और n( B)=2. यदि (x,1), (y,2),(z,1),A×B में हैं, तो A और B, को ज्ञात कीजिए, जहाँ x,y और z भिन्न-भिन्न अवयव हैं।

10. कार्तीय गुणन A×A में 9 अवयव हैं, जिनमें (1,0) तथा (0,1) भी है। समुच्चय A ज्ञात कीजिए तथा A×A के शेष अवयव भी ज्ञात कीजिए।

2.3 संबंध (Relation)

दो समुच्चयों P={a,b,c} तथा Q={ Ali, Bhanu, Binoy, Chandra, Divya } पर विचार कीजिए। P तथा Q के कार्तीय गुणन में 15 क्रमित युग्म हैं, जिन्हें इस प्रकार सूचीबद्ध किया जा सकता है,

P×Q={(a,Ali),(a,Bhanu),(a,Binoy),

…, (c, Divya )}.

अब हम प्रत्येक क्रमित युग्म (x,y) के प्रथम घटक x तथा द्वितीय घटक y के बीच एक संबंध R स्थापित कर P×Q का एक उपसमुच्चय इस प्रकार प्राप्त कर सकते हैं।

R={(x,y):x, नाम y का प्रथम अक्षर है, xP,yQ} इस प्रकार

R={(a,Ali),(b,Bhanu),(b, Binoy ),(c, Chandra )}

संबंध R का एक दृष्टि-चित्रण, जिसे तीर आरेख कहते हैं, आकृति 2.4 में प्रदर्शित है।

परिभाषा 2 किसी अरिक्त समुच्चय A से अरिक्त समुच्चय B में संबंध कार्तीय गुणन A×B का एक उपसमुच्चय होता है यह उपसमुच्चय A×B के क्रमति युग्मों के प्रथम तथा द्वितीय घटकों के मध्य एक संबंध स्थापित करने से प्राप्त होता है। द्वितीय घटक, प्रथम घटक का प्रतिबिंब कहलाता है।

परिभाषा 3 समुच्चय A से समुच्चय B में संबंध R के क्रमित युग्मों के सभी प्रथम घटकों के समुच्चय को संबंध R का प्रांत कहते हैं।

परिभाषा 4 समुच्चय A से समुच्चय B में संबंध R के क्रमित युग्मों के सभी द्वितीय घटकों के समुच्चय को संबंध R का परिसर कहते हैं। समुच्चय B संबंध R का सह-प्रांत कहलाता है। नोट कीजिए कि, परिसर सहप्रांत

टिप्पणी (i) एक संबंध का बीजीय निरूपण या तो रोस्टर विधि या समुच्चय निर्माण विधि द्वारा किया जा सकता है।

(ii) एक तीर आरेख किसी संबंध का एक दृष्टि चित्रण है।

टिप्पणी A से A के संबंध को ’ A पर संबंध’ भी कहते हैं।

प्रश्नवाली 2.2

1. मान लीजिए कि A={1,2,3,,14}R={(x,y):3xy=0, जहाँ x,yA} द्वारा, A से A का एक संबंध R लिखिए। इसके प्रांत, सहप्रांत और परिसर लिखिए।

2. प्राकृत संख्याओं के समुच्चय पर R={(x,y):y=x+5,x संख्या 4 से कम, एक प्राकृत संख्या है, x,yN \} द्वारा एक संबंध R परिभाषित कीजिए। इस संबंध को (i) रोस्टर रूप में इसके प्रांत और परिसर लिखिए।

3. A={1,2,3,5} और B={4,6,9}.A से B में एक संबंध

R={(x,y):x और y का अंतर विषम है, xA,yB} द्वारा परिभाषित कीजिए। R को रोस्टर रूप में लिखिए।

4. आकृति 2.7, समुच्चय P से Q का एक संबंध दर्शाती है। इस संबंध को

(i) समुच्चय निर्माण रूप (ii) रोस्टर रूप में लिखिए। इसके प्रांत तथा परिसर क्या हैं?

5. मान लीजिए कि A={1,2,3,4,6}. मान लीजिए कि R,A पर {(a,b):a,bA, संख्या a संख्या b को यथावथ विभाजित करती है } द्वारा परिभाषित एक संबंध है।

आकृति 2.7

(i) R को रोस्टर रूप में लिखिए

(ii) R का प्रांत ज्ञात कीजिए

(iii) R का परिसर ज्ञात कीजिए।

6. R={(x,x+5):x{0,1,2,3,4,5}} द्वारा परिभाषित संबंध R के प्रांत और परिसर ज्ञात कीजिए।

7. संबंध R={(x,x3):x संख्या 10 से कम एक अभाज्य संख्या है } को रोस्टर रूप में लिखिए।

8. मान लीजिए कि A={x,y,z} और B={1,2},A से B के संबंधों की संख्या ज्ञात कीजिए।

9. मान लीजिए कि R,Z पर, R={(a,b):a,bZ,ab एक पूर्णांक है }, द्वारा परिभाषित एक संबंध है। R के प्रांत तथा परिसर ज्ञात कीजिए।

2.4 फलन (Function)

इस अनुच्छेद में, हम एक विशेष प्रकार के संबंध का अध्ययन करेंगे, जिसे फलन कहते हैं। हम फलन को एक नियम के रूप में देख सकते हैं, जिससे कुछ दिए हुए अवयवों से नए अवयव उत्पन्न होते हैं। फलन को सूचित करने के लिए अनेक पद प्रयुक्त किए जाते हैं, जैसे ‘प्रतिचित्र’ अथवा ‘प्रतिचित्रण’ परिभाषा 5 एक समुच्चय A से समुच्चय B का संबंध, f एक फलन कहलाता है, यदि समुच्चय A के प्रत्येक अवयव का समुच्चय B में, एक और केवल एक प्रतिबिंब होता है।

दूसरे शब्दों में, फलन f, किसी अरिक्त समुच्चय A से एक अरिक्त समुच्चय B का है, इस प्रकार का संबंध कि f का प्रांत A है तथा f के किसी भी दो भिन्न क्रमित युग्मों के प्रथम घटक समान नहीं हैं।

यदि f, A से B का एक फलन है तथा (a,b)f, तो f(a)=b, जहाँ b को f के अंतर्गत a का प्रतिबम्ब तथा a को b का ‘पूर्व प्रतिबिंब’ कहते हैं।

A से B के फलन f को प्रतीकात्मक रूप में f:AB से निरूपित करते हैं।

पिछले उदाहरणों पर ध्यान देने से हम सरलता से देखते हैं कि उदाहरण 7 में दिया संबंध एक फलन नहीं है, कयोंकि अवयव 6 का कोई प्रतिबिंब नहीं है।

पुनः उदाहरण 8 में दिया संबंध एक फलन नहीं है क्योंकि इसके प्रांत के कुछ अवयवों के एक से अधिक प्रतिबिंब हैं। उदहारण 9 भी फलन नहीं है (क्यों?)। नीचे दिए उदाहरणों में बहुत से संबंधों पर विचार करेंगे, जिनमें से कुछ फलन हैं और दूसरे फलन नहीं हैं।

2.4.1 कुछ फलन और उनके आलेख (Some

functions and their graphs)(i) तत्समक फलन (Identity function) मान लीजिए R वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है। y=f(x), प्रत्येक xR द्वारा परिभाषित वास्तविक मान फलन f:RR है। इस प्रकार के फलन को तत्समक फलन कहते हैं। यहाँ पर f के प्रांत तथा परिसर R हैं। इसका आलेख एक सरल रेखा होता है (आकृति 2.8)। यह रेखा मूल बिंदु से हो कर जाती है।

(ii) अचर फलन (Constant function) y=f(x)=c जहाँ c एक अचर है और प्रत्येक xR द्वारा परिभाषित एक वास्तविक मान फलन f:RR है। यहाँ पर f का प्रांत R है और उसका परिसर {c} है। f का आलेख x-अक्ष के समांतर एक रेखा है, उदाहरण के लिए यदि f(x)=3 प्रत्येक xR है, तो इसका आलेख आकृति 2.9 में दर्शाई रेखा है।

आकृति 2.9

(iii) बहुपद फलन या बहुपदीय फलन (Polynomial function) फलन f:RR, एक बहुपदीय फलन कहलाता है, यदि R के प्रत्येक x के लिए, y=f(x)=a0+a1x+a2x2 ++anxn, जहाँ n एक ऋणेतर पूर्णांक है तथा a0,a1,a2,,anR.

f(x)=x3x2+2, और g(x)=x4+2x, द्वारा परिभाषित फलन एक बहुपदीय फलन है जब कि h(x)=x23+2x द्वारा परिभाषित फलन h, बहुपदीय फलन नहीं है। (क्यों?)

2.4.2 वास्तविक फलनों का बीजगणित (Algebra of real functions)

इस अनुच्छेद में, हम सीखेंगे कि किस प्रकार दो वास्तविक फलनों को जोड़ा जाता है, एक वास्तविक फलन को दूसरे में से घटाया जाता है, एक वास्तविक फलन को किसी अदिश (यहाँ आदिश का अभिप्राय वास्तविक संख्या से है) से गुणा किया जाता है, दो वास्तविक फलनों का गुणा किया जाता है तथा एक वास्तविक फलन को दूसरे से भाग दिया जाता है।

(i) दो वास्तविक फलनों का योग मान लीजिए कि f:XR तथा g:XR कोई दो वास्तविक फलन हैं, जहाँ XR. तब हम (f+g):XR को, सभी xX के लिए, (f+g)(x)=f(x)+g(x), द्वारा परिभाषित करते हैं।

(ii) एक वास्तविक फलन में से दूसरे को घटाना मान लीजिए कि f:XR तथा g:XR कोई दो वास्तविक फलन हैं, जहाँ XR. तब हम (fg):XR को सभी xX, के लिए (fg)(x)=f(x)g(x), द्वारा परिभाषित करते हैं।

(iii) एक अदिश से गुणा मान लीजिए कि f:XR एक वास्तविक मान फलन है तथा α एक अदिश है। यहाँ अदिश से हमारा अभिप्राय किसी वास्तविक संख्या से है। तब गुणनफल αf,X से R में एक फलन है, जो (αf)(x)=αf(x),xX से परिभाषित होता है।

(iv) दो वास्तविक फलनों का गुणन दो वास्तविक फलनों f:XR तथा g:XR का गुणनफल (या गुणा) एक फलन fg:XR है, जो सभी (fg)(x)=f(x)g(x),xX द्वारा परिभाषित है। इसे बिंदुशः गुणन भी कहते हैं।

(v) दो वास्तविक फलनों का भागफल मान लीजिए कि f तथा g,XR द्वारा परिभाषित, दो वास्तविक फलन हैं, जहाँ XR.f का g से भागफल, जिसे fg से निरूपित करते हैं, एक फलन है, जो सभी xX जहाँ g(x)0, के लिए, (fg)(x)=f(x)g(x), द्वारा परिभाषित है।

प्रश्नावली 2.3

1. निम्नलिखित संबंधों में कौन से फलन हैं? कारण का उल्लेख कीजिए। यदि संबंध एक फलन है, तो उसका परिसर निर्धारित कीजिए:

(i) {(2,1),(5,1),(8,1),(11,1),(14,1),(17,1)}

(ii) {(2,1),(4,2),(6,3),(8,4),(10,5),(12,6),(14,7)}

(iii) {(1,3),(1,5),(2,5)}.

2. निम्नलिखित वास्तविक फलनों के प्रांत तथा परिसर ज्ञात कीजिए:

(i) f(x)=|x|

(ii) f(x)=9x2.

3. एक फलन f(x)=2x5 द्वारा परिभाषित है। निम्नलिखित के मान लिखिए:

(i) f(0),

(ii) f(7),

(iii) f(3).

4. फलन ’ t ’ सेल्सियस तापमान का फारेनहाइट तापमान में प्रतिचित्रण करता है, जो t(C)=9C5+32 द्वारा परिभाषित हैं निम्नलिखित को ज्ञात कीजिए:

(i) t(0) (ii) t(28) (iii) t(10) (iv) C का मान, जब t(C)=212.

5. निम्नलिखित में से प्रत्येक फलन का परिसर ज्ञात कीजिए:

(i) f(x)=23x,xR,x>0.

(ii) f(x)=x2+2,x एक वास्तविक संख्या है।

(iii) f(x)=x,x एक वास्तविक संख्या है।

अध्याय 2 पर विविध प्रश्नावली

1. संबंध f,f(x)={x2,0x3 3x,3x10 द्वारा परिभाषित है।

संबंध g,g(x)={x2,0x2 3x,2x10 द्वारा परिभाषित है।

दर्शाइए कि क्यों f एक फलन है और g फलन नहीं है।

2. यदि f(x)=x2, तो f(1.1)f(1)(1.11) ज्ञात कीजिए।

3. फलन f(x)=x2+2x+1x28x+12 का प्रांत ज्ञात कीजिए।

4. f(x)=(x1) द्वारा परिभाषित वास्तविक फलन f का प्रांत तथा परिसर ज्ञात कीजिए।

5. f(x)=|x1| द्वारा परिभाषित वास्तविक फलन f का प्रांत तथा परिसर ज्ञात कीजिए।

6. मान लीजिए कि f={(x,x21+x2),:xR}R से R में एक फलन है। f का परिसर निर्धारित कीजिए।

7. मान लीजिए कि f,g:RR क्रमशः f(x)=x+1,g(x)=2x3. द्वारा परिभाषित है। f+g,fg और fg ज्ञात कीजिए।

8. मान लीजिए कि f={(1,1),(2,3),(0,1),(1,3)}Z से Z में, f(x)=ax+b, द्वारा परिभाषित एक फलन है, जहाँ a,b. कोई पूर्णांक हैं। a,b को निर्धारित कीजिए।

9. R={(a,b):a,bN तथा a=b2} द्वारा परिभाषित N से N में, एक संबंध R है। क्या निम्नलिखित कथन सत्य हैं?

(i) (a,a)R, सभी aN, (ii) (a,b)R, का तात्पर्य है कि (b,a)R

(iii) (a,b)R,(b,c)R का तात्पर्य है कि (a,c)R ?

प्रत्येक दशा में अपने उत्तर का औचित्य भी बतलाइए।

10. मान लीजिए कि A={1,2,3,4},B={1,5,9,11,15,16} और f={(1,5),(2,9),(3,1),(4,5), (2,11)}. क्या निम्नलिखित कथन सत्य हैं? (i) f, A से B में एक संबंध है। (ii) f, A से B में एक फलन है।

प्रत्येक दशा में अपने उत्तर का औचित्य बतलाइए।

11. मान लीजिए कि f,f={(ab,a+b):a,bZ} द्वारा परिभाषित Z×Z का एक उपसमुच्चय है। क्या f,Z से Z में एक फलन है? अपने उत्तर का औचित्य भी स्पष्ट कीजिए।

12. मान लीजिए कि A={9,10,11,12,13} तथा f:AN,f(n)=n का महत्तम अभाज्य गुणक द्वारा, परिभाषित है। f का परिसर ज्ञात कीजिए।

सारांश

इस अध्याय में हमनें संबंध तथा फलन का अध्ययन किया है। इस अध्याय की मुख्य बातों को नीचे दिया जा रहा है।

क्रमित युग्म किसी विशेष क्रम में समूहित अवयवों का एक युग्म।

कार्तीय गुणन समुच्चयों A तथा B का कार्तीय गुणन, समुच्चय

A×B={(a,b):aA,bB} होता है। विशेष रूप से

R×R={(x,y):x,yR} और R×R×R={(x,y,z):x,y,zR}

यदि (a,b)=(x,y), तो a=x तथा b=y.

यदि n( A)=p तथा n( B)=q, तो n( A×B)=pq.

A×ϕ=ϕ

सामान्यत: A×BB×A.

संबंध समुच्चय A से समुच्चय B में संबंध R, कार्तीय गुणन A×B का एक उपसमुच्चय होता है, जिसे A×B के क्रमित युग्मों के प्रथम घटक x तथा द्वितीय घटक y के बीच किसी संबंध को वर्णित करके प्राप्त किया जाता है।

किसी अवयव x का, संबंध R के अंतर्गत, प्रतिबिंब y होता है, जहाँ (x,y)R,

संबंध R के क्रमित युग्मों के प्रथम घटकों का समुच्चय, संबंध R का प्रांत होता है।

संबंध R के क्रमित युग्मों के द्वितीय घटकों का समुच्चय, संबंध R का परिसर होता है।

फलन समुच्चय A से समुच्चय B में फलन f एक विशिष्ट प्रकार का संबंध होता है, जिसमें समुच्चय A के प्रत्येक अवयव x का समुच्चय B में एक और केवल एक प्रतिबिंब y होता है इस बात को हम f:AB जहाँ f(x)=y लिखते हैं। ।

A फलन f का प्रांत तथा B उसका सहप्रांत होता है।

फलन f का परिसर, f के प्रतिबिंबों का समुच्चय होता है।

किसी वास्तविक फलन के प्रांत तथा परिसर दोनों ही वास्तविक संख्याओं का समुच्चय अथवा उसका एक उपसमुच्चय होता है:

फलनों का बीजगणित फलन f:XR तथा g:XR, के लिए हम निम्नलिखित परिभाषाएँ देते हैं।

(f+g)(x)=f(x)+g(x),xX(fg)(x)=f(x)g(x),xX(f.g)(x)=f(x)g(x),xX,k कोई अचर है। (kf)(x)=k(f(x)),xXfg(x)=f(x)g(x),xX,g(x)0

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

फलन शब्द सर्वप्रथम Gottfried Wilhelm Leibnitz (1646-1716 ई०) द्वारा सन् 1673 में लिखित लैटिन पाण्डुलिपि “Methodus tangentium inversa, seu de fuctionibus” में परिलक्षित हुआ है। Leibnitz ने इस शब्द का प्रयोग अविश्लेषणात्मक भाव में किया है। उन्होंने

फलन को ‘गणितीय कार्य’ तथा ‘कर्मचारी’ के पदों द्वारा उत्पत्न मात्र एक वक्र के रूप में अधिकल्पित किया है।

जुलाई 5, सन् 1698 में John Bernoulli नें Leibnitz को लिखे एक प्रत्र में पहली बार सुविचारित रूप से फलन शब्द का विश्लेषणात्मक भाव में विशिष्ट प्रयोग निर्धारित किया है। उसी माह में Leibnitz ने अपनी सहमति दर्शाते हुए उत्तर भी दे दिया था।

अंग्रेज़ी भाषा में फलन (Function) शब्द सन् 1779 के Chamber’s Cyclopaedia में पाया जाता है। बीजगणित में फलन शब्द का प्रयोग चर राशियों और संख्याओं अथवा स्थिर राशियों द्वारा संयुक्त रूप से बने विश्लेषणात्मक व्यंजको के लिए किया गया है।