“Statistics may be rightly called the science of averages and their estimates”-A.L.BOWLEY & A.L. BODDINGTON
13.1 भूमिका (Introduction)
हम जानते हैं कि सांख्यिकी का सरोकार किसी विशेष उद्देश्य के लिए एकत्रित आँकड़ों से होता है। हम आँकड़ों का विश्लेषण एवं व्याख्या कर उनके बारे में निर्णय लेते हैं। हमने पिछली कक्षाओं में आँकड़ों को आलेखिक एवं सारणीबद्ध रूप में व्यक्त करने की विधियों का अध्ययन किया है। यह निरूपण आँकड़ों के महत्वपूर्ण गुणों एवं विशेषताओं को दर्शाता है। हमने दिए गए आँकड़ों का एक प्रतिनिधिक मान ज्ञात करने की विधियों के बारे में भी अध्ययन किया है। इस मूल्य को केंद्रीय प्रवृत्ति की माप कहते हैं। स्मरण कीजिए कि माध्य (समांतर माध्य), माध्यिका और बहुलक केंद्रीय प्रवृत्ति की तीन माप हैं। केंद्रीय प्रवृत्ति के माप हमें इस बात का आभास दिलाते
Karl Pearson (1857-1936 A.D.)
हैं कि आँकड़े किस स्थान पर केंद्रित हैं किंतु आँकड़ों के समुचित अर्थ विवेचन के लिए हमें यह भी पता होना चाहिए कि आँकड़ों में कितना बिखराव है या वे केंद्रीय प्रवृत्ति की माप के चारों ओर किस प्रकार एकत्रित हैं।
दो बल्लेबाजों द्वारा पिछले दस मैचों में बनाए गए रनों पर विचार करें:
बल्लेबाज
बल्लेबाज
स्पष्टतया आँकड़ों का माध्य व माध्यिका निम्नलिखित हैं:
बल्लेबाज
माध्य
माध्यिका 53
53
स्मरण कीजिए कि हम प्रेक्षणों का माध्य (
अर्थात्
माध्यिका की गणना के लिए आँकड़ों को पहले आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया जाता है और फिर निम्नलिखित नियम लगाया जाता है:
यदि प्रेक्षणों की संख्या विषम है तो माध्यिका
हम पाते हैं कि दोनों बल्लेबाजों
आइए अब उपर्युक्त स्कोरों को एक संख्या रेखा पर अंकित करें। हमें नीचे दर्शाई गई आकृतियाँ प्राप्त होती हैं (आकृति 13.1 और 13.2 )।
बल्लेबाज
आकृति 13.1
बल्लेबाज
आकृति 13.2
हम देख सकते हैं कि बल्लेबाज
अतः दिए गए आँकड़ों के बारे में संपूर्ण सूचना देने के लिए केंद्रीय प्रवृत्ति की माप पर्याप्त नहीं हैं। परिवर्तनशीलता एक अन्य घटक है जिसका अध्ययन सांख्यिकी के अंतर्गत किया जाना चाहिए।
केंद्रीय प्रवृत्ति की माप की तरह ही हमें परिवर्तनशीलता के वर्णन के लिए एकल संख्या चाहिए। इस संख्या को ‘प्रकीर्णन की माप (Measure of dispersion)’ कहा जाता है। इस अध्याय में हम प्रकीर्णन की माप के महत्व व उनकी वर्गीकृत एवं अवर्गीकृत आँकड़ों के लिए गणना की विधियों के बारे में पढ़ेंगे।
13.2 प्रकीर्णन की माप (Measures of dispersion)
आँकड़ों में प्रकीर्णन या विक्षेपण का माप प्रेक्षणों व वहाँ प्रयुक्त केंद्रीय प्रवृत्ति की माप के आधार पर किया जाता है।
प्रकीर्णन के निम्नलिखित माप हैं:
(i) परिसर (Range) (ii) चतुर्थक विचलन (Quartile deviation) (iii) माध्य विचलन (Mean deviation) (iv) मानक विचलन (Standard deviation).
इस अध्याय में हम, चतुर्थक विचलन के अतिरिक्त अन्य सभी मापों का अध्ययन करेंगे।
13.3 परिसर (Range)
स्मरण कीजिए कि दो बल्लेबाजों
बल्लेबाज
और बल्लेबाज
स्पष्टतया परिसर
अतः एक शृंखला का परिसर = अधिकतम मान - न्यूनतम मान
आँकड़ों का परिसर हमें बिखराव या प्रकीर्णन का मोटा-मोटा (rough) ज्ञान देता है, किंतु केंद्रीय प्रवृत्ति की माप, विचरण के बारे में कुछ नहीं बताता है। इस उद्देश्य के लिए हमें प्रकीर्णन के अन्य माप की आवश्यकता है। स्पष्टतया इस प्रकार की माप प्रेक्षणों की केंद्रीय प्रवृत्ति से अंतर (या विचलन) पर आधारित होनी चाहिए।
केंद्रीय प्रवृत्ति से प्रेक्षणों के अंतर के आधार पर ज्ञात की जाने वाली प्रकीर्णन की महत्वपूर्ण माप माध्य विचलन व मानक विचलन हैं। आइए इन पर विस्तार से चर्चा करें।
13.4 माध्य विचलन (Mean deviation)
याद कीजिए कि प्रेक्षण
अतः माध्य के सापेक्ष माध्य विचलन ज्ञात करने का कोई औचित्य नहीं है।
स्मरण कीजिए कि प्रकीर्णन की उपर्युक्त माप ज्ञात करने के लिए हमें प्रत्येक मान की केंद्रीय प्रवृत्ति की माप या किसी स्थिर संख्या ’
टिप्पणी माध्य विचलन केंद्रीय प्रवृत्ति की किसी भी माप से ज्ञात किया जा सकता है। किंतु सांख्यिकीय अध्ययन में सामान्यतः माध्य और माध्यिका के सापेक्ष माध्य विचलन का उपयोग किया जाता है।
13.4.1 अवर्गीकृत आँकडों के लिए माध्य विचलन (Mean deviation for ungrouped
data) मान लीजिए कि
चरण-2 प्रत्येक प्रेक्षण
चरण-3 विचलनों का निरपेक्ष मान ज्ञात करें अर्थात् यदि विचलनों में ऋण चिह्न लगा है तो उसे हटा
चरण-4 विचलनों के निरपेक्ष मानों का माध्य ज्ञात करें। यही माध्य ’
तथा
टिप्पणी इस अध्याय में माध्यिका को चिह्न
टिप्पणी प्रत्येक बार चरणों को लिखने के स्थान पर हम, चरणों का वर्णन किए बिना ही क्रमानुसार परिकलन कर सकते हैं।
13.4.2 वर्गीकृत आँकड़ों के लिए माध्य विचलन (Mean deviation for grouped data)
हम जानते हैं कि आँकड़ों को दो प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है।(a) असतत बारंबारता बंटन (Discrete frequency distribution)
(b) सतत बारंबारता बंटन (Continuous frequency distribution)
आइए इन दोनों प्रकार के आँकड़ों के लिए माध्य विचलन ज्ञात करने की विधियों पर चर्चा करें।
(a) असतत बारंबारता बंटन मान लीजिए कि दिए गए आँकड़ों में
(i) माध्य के सापेक्ष माध्य विचलन सर्वप्रथम हम दिए गए आँकड़ों का निम्नलिखित सूत्र द्वारा माध्य
जहाँ
तब हम प्रेक्षणों
इसके पश्चात् विचलनों के निरपेक्ष मान का माध्य ज्ञात करते हैं, जोकि माध्य के सापेक्ष वांछित माध्य विचलन है।
अत:
(ii) माध्यिका के सापेक्ष माध्य विचलन माध्यिका के सापेक्ष माध्य विचलन ज्ञात करने के लिए हम दिए गए असतत बारंबारता बंटन की माध्यिका ज्ञात करते हैं। इसके लिए प्रेक्षणों को आरोही क्रम में व्यवस्थित करते हैं। इसके पश्चात् संचयी बांरबारताएँ ज्ञात की जाती हैं। तब उस प्रेक्षण का निर्धारण करते हैं जिसकी संचयी बांरबारता
(b) सतत बारंबारता बंटन एक सतत बांरबारता बंटन वह भृंखला होती है जिसमें आँकड़ों को विभिन्न बिना अंतर वाले वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है और उनकी क्रमशः बारंबारता लिखी जाती है। उदाहरण के लिए 100 छात्रों द्वारा प्राप्ताकों को सतत बांरबारता बंटन में निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त किया गया है:
प्राप्तांक | ||||||
---|---|---|---|---|---|---|
छात्रों की संख्या | 12 | 18 | 27 | 20 | 17 | 6 |
(i) माध्य के सापेक्ष माध्य विचलन एक सतत बांरबारता बंटन के माध्य की गणना के समय हमने यह माना था कि प्रत्येक वर्ग (Class ) की बारंबारता उसके मध्य-बिंदु पर केंद्रित होती है। यहाँ भी हम प्रत्येक वर्ग का मध्य-बिंदु लिखते हैं और असतत बारंबारता बंटन की तरह माध्य विचलन ज्ञात करते हैं।
आइए निम्नलिखित उदाहरण देखें
टिप्पणी पद विचलन विधि का उपयोग
(ii) माध्यिका के सापेक्ष माध्य विचलन दिए गए आँकड़ों के लिए माध्यिका से माध्य विचलन ज्ञात करने की प्रक्रिया वैसी ही है जैसी कि हमने माध्य के सापेक्ष माध्य विचलन ज्ञात करने के लिए की थी। इसमें विशेष अंतर केवल विचलन लेने के समय माध्य के स्थान पर माध्यिका लेने में होता है।
आइए सतत बारंबारता बटंन के लिए माध्यिका ज्ञात करने की प्रक्रिया का स्मरण करें। आँकडों को पहले आरोही क्रम में व्यवस्थित करते हैं। तब सतत बारंबारता बंटन की माध्यिका ज्ञात करने के लिए पहले उस वर्ग को निर्धारित करते हैं जिसमें माध्यिका स्थित होती है (इस वर्ग को माध्यिका वर्ग कहते हैं) और तब निम्नलिखित सूत्र लगाते हैं:
जहाँ माध्यिका वर्ग वह वर्ग है जिसकी संचयी बारंबारता
तब
इस प्रक्रिया को निम्नलिखित उदाहरण से स्पष्ट किया गया है:
प्रश्नावली 13.1
प्रश्न 1 व 2 में दिए गए आँकड़ों के लिए माध्य के सापेक्ष माध्य विचलन ज्ञात कीजिए।
1.
2.
प्रश्न 3 व 4 के आँकड़ों के लिए माध्यिका के सापेक्ष माध्य विचलन ज्ञात कीजिए।
3.
4.
प्रश्न 5 व 6 के आँकड़ों के लिए माध्य के सापेक्ष माध्य विचलन ज्ञात कीजिए।
5.
6.
प्रश्न 7 व 8 के आँकड़ों के लिए माध्यिका के सापेक्ष माध्य विचलन ज्ञात कीजिए।
7.
8.
प्रश्न 9 व 10 के आँकड़ों के लिए माध्य के सापेक्ष माध्य विचलन ज्ञात कीजिए।
9.
आय प्रतिदिन (₹ में) |
||||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
व्यक्तियों की संख्या |
4 | 8 | 9 | 10 | 7 | 5 | 4 | 3 |
ऊँचाई (cm में) |
||||||||
लड़कों की संख्या |
9 | 13 | 26 | 30 | 12 | 10 |
11. निम्नलिखित आँकड़ों के लिए माध्यिका के सापेक्ष माध्य विचलन ज्ञात कीजिए:
अंक | ||||||
---|---|---|---|---|---|---|
लड़कियों की संख्या |
6 | 8 | 14 | 16 | 4 | 2 |
12. नीचे दिए गए 100 व्यक्तियों की आयु के बंटन की माध्यिका आयु के सापेक्ष माध्य विचलन की गणना कीजिए:
आयु (वर्ष में) | ||||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
संख्या | 5 | 6 | 12 | 14 | 26 | 12 | 16 | 9 |
[संकेत प्रत्येक वर्ग की निम्न सीमा में से 0.5 घटा कर व उसकी उच्च सीमा में 0.5 जोड़ कर दिए गए आँकड़ों को सतत बारंबारता बंटन में बदलिए]
13.4.3 माध्य विचलन की परिसीमाएँ (Limitations of mean deviation)
बहुत अधिक विचरण या बिखराव वाली शृंखलाओं में माध्यिका केंद्रीय प्रवृत्ति की उपयुक्त माप नहीं होती है। अतः इस दशा में माध्यिका के सापेक्ष माध्य विचलन पर पूरी तरह विश्वास नहीं किया जा सकता है।
माध्य से विचलनों का योग (ऋण चिह्न को छोड़कर) माध्यिका से विचलनों के योग से अधिक होता है। इसलिए माध्य के सापेक्ष माध्य विचलन अधिक वैज्ञानिक नहीं है। अतः कई दशाओं में माध्य विचलन असंतोषजनक परिणाम दे सकता है। साथ ही माध्य विचलन को विचलनों के निरपेक्ष मान पर ज्ञात किया जाता है। इसलिए यह और बीजगणितीय गणनाओं के योग्य नहीं होता है। इसका अभिप्राय है कि हमें प्रकीर्णन की अन्य माप की आवश्यकता है। मानक विचलन प्रकीर्णन की ऐसी ही एक माप है।
13.5 प्रसरण और मानक विचलन (Variance and Standard Deviation)
याद कीजिए कि केंद्रीय प्रवृत्ति की माप के सापेक्ष माध्य विचलन ज्ञात करने के लिए हमने विचलनों के निरपेक्ष मानों का योग किया था। ऐसा माध्य विचलन को सार्थक बनाने के लिए किया था, अन्यथा विचलनों का योग शून्य हो जाता है।
विचलनों के चिह्नों के कारण उत्पन्न इस समस्या को विचलनों के वर्ग लेकर भी दूर किया जा सकता है। निसंदेह यह स्पष्ट है कि विचलनों के यह वर्ग ऋणेतर होते हैं।
माना
यदि यह योग शून्य हो तो प्रत्येक
का विचरण नहीं है क्योंकि तब सभी प्रेक्षण
अधिक है। क्या हम कह सकते हैं कि योग
आइए इसके लिए छ: प्रेक्षणों
एक अन्य समुच्चय
इन प्रेक्षणों का माध्य
दोनों समुच्चयों
समुच्चय
(क्योंकि प्रथम
कि 31 प्रेक्षणों के समुच्चय
समुच्चय
आकृति 13.5
समुच्चय
आकृति 13.6
अतः हम कह सकते हैं कि माध्य से विचलनों के वर्गों का योग प्रकीर्णन की उपयुक्त माप नहीं है। इस कठिनाई को दूर करने के लिए हम विचलनों के वर्गों का माध्य लें अर्थात् हम
माध्य
यह इंगित करता है कि समुच्चय
अतः हम
अतः
**13.**5.1 मानक विचलन (Standard Deviation) प्रसरण की गणना में हम पाते हैं कि व्यक्तिगत प्रेक्षणों
आइए अवर्गीकृत आँकड़ों का प्रसरण व मानक विचलन ज्ञात करने के लिए कुछ उदाहरण लेते हैं।
13.5.2 एक असतत बारंबारता बंटन का मानक विचलन (Standard deviation of discrete frequency distribution)
मान लें दिया गया असतत बंटन निम्नलिखित है:
इस बंटन के लिए मानक विचलन
जहाँ
आइए निम्नलिखित उदाहरण लें।
13.5.3 एक सतत बारंबारता बंटन का मानक विचलन (Standard deviation of a continuous frequency distribution)
दिए गए सतत बारंबारता बंटन के सभी वर्गों के मध्य मान लेकर उसे असतत बारंबारता बंटन में निरूपित कर सकते हैं। तब असतत बारंबारता बंटन के लिए अपनाई गई विधि द्वारा मानक विचलन ज्ञात किया जाता है।यदि एक
जहाँ
मानक विचलन के लिए अन्य सूत्र हमें ज्ञात है कि
अत: मानक विचलन
13.5.4. प्रसरण व मानक विचलन ज्ञात करने के लिए लघु विधि (Shortcut method to find variance and standard deviation)
कभी-कभी एक बारंबारता बंटन के प्रेक्षणों
अर्थात्
हम जानते हैं कि
(1) से
अत:
अब, चर
अर्थात्
या
(3) और (4), से हमें प्राप्त होता है कि
आइए उदाहरण 11 के आँकड़ों में सूत्र (5) के उपयोग द्वारा लघु विधि से माध्य, प्रसरण व मानक विचलन ज्ञात करें।
प्रश्नावली 13.2
प्रश्न 1 से 5 तक के आँकड़ों के लिए माध्य व प्रसरण ज्ञात कीजिए।
1.
2. प्रथम
3. तीन के प्रथम 10 गुणज
4.
6 | 10 | 14 | 18 | 24 | 28 | 30 | |
---|---|---|---|---|---|---|---|
2 | 4 | 7 | 12 | 8 | 4 | 3 |
5.
92 | 93 | 97 | 98 | 102 | 104 | 109 | |
---|---|---|---|---|---|---|---|
3 | 2 | 3 | 2 | 6 | 3 | 3 |
6. लघु विधि द्वारा माध्य व मानक विचलन ज्ञात कीजिए।
60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
2 | 1 | 12 | 29 | 25 | 12 | 10 | 4 | 5 |
प्रश्न 7 व 8 में दिए गए बारंबारता बंटन के लिए माध्य व प्रसरण ज्ञात कीजिए।
7.
वर्ग | |||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|
बारंबारता | 2 | 3 | 5 | 10 | 3 | 5 | 2 |
8.
वर्ग | |||||
---|---|---|---|---|---|
बारंबारता | 5 | 8 | 15 | 16 | 6 |
9. लघु विधि द्वारा माध्य, प्रसरण व मानक विचलन ज्ञात कीजिए।
ऊँचाई (सेमी में) |
|||||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
बच्चों की संख्या |
3 | 4 | 7 | 7 | 15 | 9 | 6 | 6 | 3 |
10. एक डिज़ाइन में बनाए गए वृत्तों के व्यास (मिमी में) नीचे दिए गए हैं।
व्यास | |||||
---|---|---|---|---|---|
वृत्तों संख्या | 15 | 17 | 21 | 22 | 25 |
वृत्तों के व्यासों का मानक विचलन व माध्य व्यास ज्ञात कीजिए।
[संकेत पहले आँकड़ों को सतत बना लें। वर्गों को 32.5-36.5, 36.5-40.5, 40.5-44.5, 44.5-48.5, 48.5 - 52.5 लें और फिर आगे बढ़ें ]
अध्याय 13 पर विविध प्रश्नावली
1. आठ प्रेक्षणों का माध्य तथा प्रसरण क्रमशः 9 और 9.25 हैं। यदि इनमें से छः प्रेक्षण
2. सात प्रेक्षणों का माध्य तथा प्रसरण क्रमश: 8 तथा 16 हैं। यदि इनमें से पाँच प्रेक्षण
3. छः प्रेक्षणों का माध्य तथा मानक विचलन क्रमशः 8 तथा 4 हैं। यदि प्रत्येक प्रेक्षण को तीन से गुणा कर दिया जाए तो परिणामी प्रेक्षणों का माध्य व मानक विचलन ज्ञात कीजिए।
4. यदि
5. बीस प्रेक्षणों का माध्य तथा मानक विचलन क्रमशः 10 तथा 2 हैं। जाँच करने पर यह पाया गया कि प्रेक्षण 8 गलत है। निम्न में से प्रत्येक का सही माध्य तथा मानक विचलन ज्ञात कीजिए यदि
(i) गलत प्रेक्षण हटा दिया जाए।
(ii) उसे 12 से बदल दिया जाए।
6. 100 प्रेक्षणों का माध्य और मानक विचलन क्रमशः 20 और 3 हैं। बाद में यह पाया गया कि तीन प्रेक्षण 21,21 तथा 18 गलत थे। यदि गलत प्रेक्षणों को हटा दिया जाए तो माध्य व मानक विचलन ज्ञात कीजिए।
सारांश
-
प्रकीर्णन की माप आँकड़ों में बिखराव या विचरण की माप। परिसर, चतुर्थक विचलन, माध्य विचलन व मानक विचलन प्रकीर्णन की माप हैं।
-
परिसर
अधिकतम मूल्य - न्यूनतम मूल्य -
अवर्गीकृत आँकड़ों का माध्य विचलन
M.D.
M.D. (M)जहाँ
माध्य और माध्यिका -
वर्गीकृत आँकड़ों का माध्य विचलन
M.D.
M.D. , जहाँ -
अवर्गीकृत आँकड़ों का प्रसरण और मानक विचलन
- असतत बारंबारता बंटन का प्रसरण तथा मानक विचलन
- सतत बारंबारता बंटन का प्रसरण तथा मानक विचलन
- प्रसरण और मानक विचलन ज्ञात करने की लघु विधि
- समान माध्य वाली शृंखलाओं में छोटी मानक विचलन वाली शृंखला अधिक संगत या कम विचरण वाली होती है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
सांख्यिकी का उद्भव लैटिन शब्द ‘status’ से हुआ है जिसका अर्थ एक राजनैतिक राज्य होता है। इससे पता लगता है कि सांख्यिकी मानव सभ्यता जितनी पुरानी है। शायद वर्ष 3050 ई.पू. में यूनान में पहली जनगणना की गई थी। भारत में भी लगभग 2000 वर्ष पहले प्रशासनिक आँकड़े एकत्रित करने की कुशल प्रणाली थी। विशेषतः चंद्रगुप्त मौर्य (324-300 ई.पू.) के राज्य काल में कौटिल्य (लगभग 300 ई.पू.) के अर्थशास्त्र में जन्म और मृत्यु के आँकड़े एकत्रित करने की प्रणाली का उल्लेख मिला है। अकबर के शासनकाल में किए गये प्रशासनिक सर्वेक्षणों का वर्णन अबुलफज़ल द्वारा लिखित पुस्तक आइने-अकबरी मे दिया गया है।
लंदन के केप्टन John Graunt (1620-1675) को उनके द्वारा जन्म और मृत्यु की सांख्यिकी के अध्ययन के कारण उन्हें जन्म और मृत्यु सांख्यिकी का जनक माना जाता है। Jacob Bernoulli (1654-1705) ने 1713 मे प्रकाशित अपनी पुस्तक Ars Conjectandi में बड़ी संख्याओं के नियम को लिखा है।
सांख्यिकी का सैद्धांतिक विकास सत्रहवीं शताब्दी के दौरान खेलों और संयोग घटना के सिद्धांत के परिचय के साथ हुआ तथा इसके आगे भी विकास जारी रहा। एक अंग्रेज़ Francis Galton (1822-1921) ने जीव सांख्यिकी (Biometry) के क्षेत्र में सांख्यिकी विधियों के उपयोग का मार्ग प्रशस्त किया। Karl Pearson (1857-1936) ने काई वर्ग परीक्षण (Chi square test) तथा इंग्लैंड में सांख्यिकी प्रयोगशाला की स्थापना के साथ सांख्यिकीय अध्ययन के विकास में बहुत योगदान दिया है।
Sir Ronald a. Fisher (1890-1962) जिन्हें आधुनिक सांख्यिकी का जनक माना जाता है, ने इसे विभिन्न क्षेत्रों जैसे अनुवांशिकी, जीव-सांख्यिकी, शिक्षा, कृषि आदि में लगाया।