दो चर वाले रैखिक समीकरण युग्म

3.1 भूमिका

आपने इस प्रकार की स्थिति का सामना अवश्य किया होगा, जैसी नीचे दी गई है:

अखिला अपने गाँव के एक मेले में गई। वह एक चरखी (Giant wheel) की सवारी करना चाहती थी और हूपला (Hoopla) [एक खेल जिसमें आप एक स्टाल में रखी किसी वस्तु पर एक वलय (ring) को फेंकते हैं और यदि वह वस्तु को पूर्णरूप से घेर ले, तो आपको वह वस्तु मिल जाती है] खेलना चाहती थी। जितनी बार उसने हूपला खेल खेला उससे आधी बार उसने चरखी की सवारी की। यदि प्रत्येक बार की सवारी के लिए उसे ₹3 तथा हूपला खेलने के लिए ₹ 4 खर्च करने पड़े, तो आप कैसे ज्ञात करेंगे कि उसने कितनी बार चरखी की सवारी की और कितनी बार हूपला खेला, जबकि उसने इसके लिए कुल ₹20 खर्च किए?

हो सकता है कि आप इसे ज्ञात करने के लिए अलग-अलग स्थितियाँ लेकर चलें। यदि उसने एक बार सवारी की, क्या यह संभव है? क्या यह भी संभव है कि उसने दो बार

सवारी की? इत्यादि। अथवा आप कक्षा IX के ज्ञान का उपयोग करते हुए, इन स्थितियों को दो चरों वाले रैखिक समीकरणों द्वारा निरूपित कर सकते हैं।

आइए इस प्रक्रिया को समझें।

अखिला द्वारा सवारी करने की संख्या को x तथा उसके द्वारा हूपला खेल खेलने की संख्या को y से निरूपित कीजिए। अब दी हुई स्थिति को दो समीकरणों द्वारा व्यक्त किया जा सकता है :

(1)y=12x(2)3x+4y=20

क्या हम इस समीकरण युग्म का हल ज्ञात कर सकते हैं? इन्हें ज्ञात करने की कई विधियाँ हैं, जिनका हम इस अध्याय में अध्ययन करेंगे।

इसलिए, हमने कई स्थितियाँ देखी हैं जिन्हें एक रैखिक समीकरण युग्म द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है। हमने उनके बीजगणितीय और ज्यामितीय निरूपण देखे। अगले कुछ अनुच्छेदों में हम चर्चा करेंगे कि कैसे इन निरूपणों को एक रैखिक समीकरण युग्म के हल ज्ञात करने में उपयोग किया जा सकता है।

3.2 रैखिक समीकरण युग्म का ग्राफीय विधि से हल

एक रैखिक समीकरण युग्म, जिसका कोई हल नहीं होता, रैखिक समीकरणों का असंगत (inconsistent) युग्म कहलाता है। एक रैखिक समीकरण युग्म, जिसका हल होता है, रैखिक समीकरणों का संगत (consistent) युग्म कहलाता है। तुल्य रैखिक समीकरणों के एक युग्म के अपरिमित रूप से अनेक हल होते हैं। इस युग्म को दो चरों के रैखिक समीकरणों का आश्रित (dependent) युग्म कहते हैं। ध्यान दीजिए कि रैखिक समीकरणों का आश्रित युग्म सदैव संगत होता है।

अब हम दो चरों में एक रैखिक समीकरण युग्म द्वारा निरूपित रेखाओं के व्यवहार को तथा हल के अस्तित्व होने को निम्न प्रकार से एक सारांश के रूप में व्यक्त कर सकते हैं:

(i) रेखाएँ एक बिंदु पर प्रतिच्छेद कर सकती हैं। इस स्थिति में, समीकरण युग्म का अद्वितीय हल होता है (अविरोधी समीकरण युग्म)।

(ii) रेखाएँ समांतर हो सकती हैं। इस स्थिति में, समीकरणों का कोई हल नहीं होता है (असंगत समीकरण युग्म)। (iii) रेखाएँ संपाती हो सकती हैं। इस स्थिति में, समीकरणों के अपरिमित रूप से अनेक हल होते हैं [आश्रित (संगत) समीकरण युग्म]।

आइए अब हम निम्नलिखित रैखिक समीकरण युग्मों पर विचार करें।

(i) x2y=0 और 3x+4y20=0 (रेखाएँ प्रतिच्छेद करती हैं)

(ii) 2x+3y9=0 और 4x+6y18=0 (रेखाएँ संपाती हैं)

(iii) x+2y4=0 और 2x+4y12=0 (रेखाएँ समांतर हैं)

अब आइए सभी तीनों उदाहरणों में, a1a2,b1b2 और c1c2 के मान लिखें और उनकी तुलना करें। यहाँ a1,b1,c1 और a2,b2,c2 व्यापक रूप में दिए गए समीकरणों के गुणांक को व्यक्त करते हैं।

सारणी 3.1

सं. रेखा युग्म a1a2 b1b2 c1c2 अनुपातों की
तुलना
ग्राफीय
निरूपण
बीजगणितीय
निरूपण
1 x2y=0
3x+4y20=0
13 24 020 a1a2b1b2 प्रतिच्छेद
करती हुई रेखाएँ
केवल एक
हल (अद्वितीय)
2 2x+3y9=0
4x+6y18=0
24 36 918 a1a2=b1b2=c1c2 संपाती
रेखाएँ
अपरिमित रूप
से अनेक हल
3 x+2y4=0
2x+4y12=0
12 24 412 a1a2=b1b2c1c2 समांतर रेखाएँ कोई हल नहीं

सारणी 3.1 से आप देख सकते हैं कि

और

a1x+b1y+c1=0

a2x+b2y+c2=0 से निरूपित रेखाएँ: 

(i) प्रतिच्छेद करती हैं, तो a1a2b1b2 है।

(ii) संपाती हैं, तो a1a2=b1b2=c1c2 है। (iii) समांतर हैं, तो a1a2=b1b2c1c2 है।

वास्तव में, इसका विलोम भी किसी भी रेखा युग्म के लिए सत्य है। आप कुछ और उदाहरण लेकर इसकी जाँच कर सकते हैं।

आइए अब इसको स्पष्ट करने के लिए कुछ उदाहरण लें।

सारणी 3.3

x 2 0
y=2x2 2 -2
x 0 1
y=4x4 -4 0

बिंदुओं को आलेखित कीजिए और समीकरणों को निरूपित करने के लिए उनसे जाने वाली रेखाएँ खींचिए, जैसा आकृति 3.2 में दिखाया गया है।

ये दोनों रेखाएँ बिंदु (1,0) पर प्रतिच्छेद करती हैं। इसलिए x=1,y=0 रैखिक समीकरण युग्म का अभीष्ट हल है, अर्थात् उसके द्वारा खरीदी गई पैंटों की संख्या 1 है और उसने कोई स्कर्ट नहीं खरीदी है।

जाँच : (1) और (2) में x=1 और y=0 रखने पर हम पाते हैं कि दोनों समीकरण संतुष्ट हो जाती हैं।

3.3 एक रैखिक समीकरण युग्म को हल करने की बीजगणितीय विधि

पिछले अनुच्छेद में, हमने एक रैखिक समीकरण युग्म को हल करने के लिए ग्राफीय विधि की चर्चा की। ग्राफीय विधि उस स्थिति में सुविधाजनक नहीं होती है, जब रैखिक समीकरणों के हलों को निरूपित करने वाले बिंदुओं के निर्देशांक पूर्णांक न हों, जैसे (3,27), (1.75,3.3),(413,119) आदि। इस प्रकार के बिंदुओं को पढ़ने में आवश्यक रूप से त्रुटि होने की संभावना रहती है। क्या हल ज्ञात करने की कोई अन्य विधि भी है? इसकी कई बीजगणितीय ( बीजीय) विधियाँ हैं, जिनकी हम अब चर्चा करेंगे।

3.3.1 प्रतिस्थापन विधि : हम प्रतिस्थापन विधि को कुछ उदाहरण लेकर समझाएँगे।

सत्यापन : x=4929 और y=1929 को प्रतिस्थापित करने पर, आप जाँच कर सकते हैं कि दोनों समीकरण (1) और (2) संतुष्ट हो जाते हैं।

प्रतिस्थापन विधि को और अधिक स्पष्ट रूप से समझने के लिए, आइए इस पर चरणबद्ध रूप से विचार करें।

चरण 1 : एक चर का मान, माना y को दूसरे चर, माना x के पदों में किसी भी समीकरण से ज्ञात कीजिए, जो सुविधाजनक हो।

चरण 2: y के इस मान को दूसरे समीकरण में प्रतिस्थापित कीजिए और इसको एक चर x के समीकरण के रूप में बदलिए, जिसको हल किया जा सकता है। कभी-कभी, जैसा कि निम्न उदाहरणों 9 तथा 10 में है, आप बिना किसी चर के कथन प्राप्त कर सकते हैं। यदि यह कथन सत्य है, तो आप यह निर्णय कर सकते हैं कि रैखिक समीकरण युग्म के अपरिमित रूप से अनेक हल हैं। यदि चरण 2 में प्राप्त कथन असत्य है, तो रैखिक समीकरण युग्म विरोधी है।

चरण 3 : चरण 2 से प्राप्त x (अथवा y ) का मान उस समीकरण, जिसे चरण 1 में प्रयोग किया है, में प्रतिस्थापित करके दूसरे चर का मान प्राप्त कीजिए।

टिप्पणी: हमने एक चर का मान दूसरे चर के पद में व्यक्त करके, रैखिक समीकरण युग्म को हल करने के लिए प्रतिस्थापित किया है। इसलिए इस विधि को प्रतिस्थापन विधि कहते हैं।

3.3.2 विलोपन विधि

अब आइए एक और विधि पर विचार करें जिसे एक चर को विलुप्त करने की विधि कहा जाता है। यह कभी-कभी प्रतिस्थापन विधि से अधिक सुविधाजनक रहती है। आइए अब देखें कि यह विधि कैसे की जाती है।

टिप्पणी :

1. उपर्युक्त उदाहरण को हल करने में, उपयोग की गई विधि को विलोपन विधि (elimination method) कहते हैं, क्योंकि हम सर्वप्रथम एक चर को विलुप्त करके, एक चर में एक रैखिक समीकरण प्राप्त करते हैं। उपर्युक्त उदाहरण में, हमने y को विलुप्त किया है। हम x को भी विलुप्त कर सकते थे। इस प्रकार भी समीकरणों को हल करने का प्रयत्न कीजिए।

2. आप इसको हल करने के लिए प्रतिस्थापन विधि या ग्राफीय विधि का प्रयोग भी कर सकते थे। इन विधियों से भी हल कीजिए और देखिए कौन-सी विधि सबसे उपयुक्त है। आइए अब हम विलोपन विधि के प्रयोग के विभिन्न चरण बताएँ:

चरण 1 : सर्वप्रथम दोनों समीकरणों को उपयुक्त शून्येतर अचरों से, किसी एक चर (x अथवा y) के गुणांकों को संख्यात्मक रूप में समान करने के लिए, गुणा कीजिए।

चरण 2 : पुनः एक समीकरण को दूसरे में जोड़ें या उसमें से घटाएँ जिससे कि एक चर विलुप्त हो जाए। यदि आप एक चर में समीकरण पाते हैं, तो चरण 3 में जाइए।

यदि चरण 2 में, हमें चर रहित एक सत्य कथन प्राप्त हो, तो मूल समीकरण युग्म के अपरिमित रूप से अनेक हल हैं।

यदि चरण 2 में, हमें एक चर रहित असत्य कथन मिले, तो मूल समीकरण युग्म का कोई हल नहीं है, अर्थात् यह असंगत है।

चरण 3 : इस प्रकार एक चर (x या y ) में प्राप्त समीकरण को, उस चर का मान ज्ञात करने के लिए, हल कीजिए।

चरण 4:x (या y ) के इस मान को मूल समीकरणों में से किसी एक में, दूसरे चर का मान ज्ञात करने के लिए, प्रतिस्थापित कीजिए।

अब इसे समझाने के लिए, हम कुछ और उदाहरण हल करते हैं :

3.4 सारांश

इस अध्याय में, आपने निम्न तथ्यों का अध्ययन किया है :

1. एक रैखिक समीकरण युग्म को ग्राफीय रूप में निरूपित किया जा सकता है और हल किया जा सकता है

(i) ग्राफीय विधि द्वारा

(ii) बीजगणितीय विधि द्वारा

2. ग्राफीय विधि:

दो चरों में एक रैखिक समीकरण युग्म का ग्राफ दो रेखाएँ निरूपित करता है।

(i) यदि रेखाएँ एक बिंदु पर प्रतिच्छेद करती हैं तो, वह बिंदु दोनों समीकरण का अद्वितीय हल होता है। इस स्थिति में, समीकरण युग्म संगत होता है।

(ii) यदि रेखाएँ संपाती हैं, तो उसके अपरिमित रूप से अनेक हल होते हैं-रेखा पर स्थित प्रत्येक बिंदु हल होता है। इस स्थिति में, समीकरण युग्म आश्रित (संगत) होता है।

(iii) यदि रेखाएँ समांतर हैं, तो समीकरण युग्म का कोई हल नहीं होता है। इस स्थिति में, समीकरण युग्म असंगत होता है।

3. बीजगणितीय विधि : हमने एक रैखिक समीकरण युग्म के हल ज्ञात करने के लिए निम्न विधियों की चर्चा की है:

(i) प्रतिस्थापन विधि

(ii) विलोपन विधि

(iii) वज्र-गुणन विधि

4. यदि दिए गए रैखिक समीकरण a1x+b1y+c1=0 और a2x+b2y+c2=0 एक रैखिक समीकरण युग्म को प्रदर्शित करते हैं, तो निम्न स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं:

(i) a1a2b1b1 : इस स्थिति में, रैखिक समीकरण युग्म संगत होता है।

(ii) a1a2=b1b2c1c2 : इस स्थिति में, रैखिक समीकरण युग्म असंगत होता है।

(iii) a1a2=b1b2=c1c2 : इस स्थिति में, रैखिक समीकरण युग्म आश्रित (संगत) होता है।

5. अनेक स्थितियाँ हैं जिन्हें गणितीय रूप में ऐसी दो समीकरणों से प्रदर्शित किया जा सकता है, जो प्रारंभ में रैखिक नहीं हों। परंतु हम उन्हें परिवर्तित कर एक रैखिक समीकरण युग्म में बदल सकते हैं।