खण्ड अवस्था अभ्यास ०१

प्रश्न:

आप निम्नलिखित शब्दों के बीच अंतर कैसे निर्धारित करेंगे: (i) हेक्सेगोनल क्लोज-पैकिंग और क्यूबिक क्लोज-पैकिंग? (ii) क्रिस्टल लैटिस और यूनिट सेल? (iii) टेट्राहीड्रल वॉयड और ऑक्टाहीड्रल वॉयड?

उत्तर:

(i) हेक्सेगोनल क्लोज-पैकिंग और क्यूबिक क्लोज-पैकिंग: हेक्सेगोनल क्लोज-पैकिंग एक प्रकार की पदार्थों के संरचना है जिसमें पदार्थों को स्तरों में पैक किया जाता है, प्रत्येक स्तर नीचे वाले स्तर से थोड़ा offset होता है, जिसके परिणामस्वरूप एक हेक्सेगोनल पैटर्न बनता है। क्यूबिक क्लोज-पैकिंग एक प्रकार की पदार्थों के संरचना है जिसमें पदार्थों को स्तरों में पैक किया जाता है, प्रत्येक स्तर पूरी तरह से नीचे वाले स्तर के साथ संरेखित होता है, जिसका परिणामस्वरूप एक घन पैटर्न बनता है।

(ii) क्रिस्टल लैटिस और यूनिट सेल: क्रिस्टल लैटिस एक त्रिआयामी स्थान में सूत्रों का एक त्रिआयामी सरणी है जहां प्रत्येक सूत्र एक परमाणु, आयन या अणु को प्रतिष्ठान देता है। यूनिट सेल क्रिस्टल लैटिस का सबसे छोटा दोहरान कोष्ठ है, और इसमें संपूर्ण लैटिस की संरचना का वर्णन करने के लिए सभी जानकारी शामिल होती है।

(iii) टेट्राहीड्रल वॉयड और ऑक्टाहीड्रल वॉयड: टेट्राहीड्रल वॉयड एक क्लोज-पैक मिलान में चार पैंडलों के बीच का खाली स्थान है, और इसका टेट्राहीड्रल आकार होता है। ऑक्टाहीड्रल वॉयड एक क्लोज-पैक मिलान में छह पैंडलों के बीच का खाली स्थान होता है, और इसका ऑक्टाहीड्रल आकार होता है।

प्रश्न:

उचित उदाहरणों के साथ निम्न को समझाइए: (i) फेरोमैग्नेटिज्‍म (ii) पैरामैग्नेटिज़्म (iii) फेर्रीमैग्नेटिज्‍म (iv) एंटीफेरोमैग्नेटिज्‍म

उत्तर:

(i) फेरोमैग्नेटिज्‍म: फेरोमैग्नेटिज़्म एक प्रकार का चुंबकत्व है जो इस्पात, निकेल, कोबाल्ट और कुछ दुर्लभ पृथ्वी धातुओं जैसे कुछ पदार्थों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, जहां परमाणुओं के चुंबकीय क्रमचरित्र (या इलेक्ट्रॉनों के स्पिन) एक ही दिशा में संरेखित होते हैं। इस संरेखण के कारण एक शेष चुंबकीय क्षेत्र बनता है, जो पदार्थ को दूसरे चुंबकीय पदार्थों के प्रति मजबूत आकर्षण के लिए उत्तेजित करता है। फेरोमैग्नेटिक पदार्थों के उदाहरण में इस्पात, निकेल, कोबाल्ट, और कुछ दुर्लभ पृथ्वी धातु शामिल होते हैं।

(ii) पैरामैग्नेटिज्‍म: पैरामैग्नेटिज़्म एक प्रकार का चुंबकत्व है जो ऑक्सीजन और एल्यूमीनियम जैसे कुछ पदार्थों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, जहां परमाणुओं के चुंबकीय क्रमचरित्र (या इलेक्ट्रॉनों के स्पिन) यादृच्छिक रूप से मुखायमान होते हैं। इस यादृच्छिक संरेखण के कारण दूसरे चुंबकीय पदार्थों के प्रति कमजोर आकर्षण होता है। पैरामैग्नेटिक पदार्थों के उदाहरण में ऑक्सीजन, एल्यूमीनियम, और कुछ दुर्लभ पृथ्वी धातु शामिल होते हैं।

(iii) फेर्रीमैग्नेटिज्‍म: फेर्रीमैग्नेटिज़्म एक प्रकार का चुंबकत्व है जो बेरियम फेराइट जैसे कुछ पदार्थों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, जहां परमाणुओं के चुंबकीय क्रमचरित्र (या इलेक्ट्रॉनों के स्पिन) एक दिशा में विपरीत संरेखित होते हैं। इस संरेखण के कारण एक शेष चुंबकीय क्षेत्र बनता है, जो पदार्थ को दूसरे चुंबकीय पदार्थों के प्रति कमजोर आकर्षण के लिए उत्तेजित करता है। फेर्रीमैग्नेटिक पदार्थों के उदाहरण में बेरियम फेराइट और कुछ दुर्लभ पृथ्वी धातु शामिल होते हैं।

(iv) एंटीफेरोमैग्नेटिज्‍म: एंटीफेरोमैग्नेटिज़्म एक प्रकार का चुंबकत्व है जो एल्यूमीनियम जैसे कुछ पदार्थों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, जहां परमाणुओं के चुंबकीय क्रमचरित्र (या इलेक्ट्रॉनों के स्पिन) एक दिशा में पूरी तरह संरेखित होते हैं। इस संरेखण के कारण कोई शेष चुंबकीय क्षेत्र नहीं बनता है, और पदार्थ किसी अन्य चुंबकीय पदार्थ के प्रति कोई आकर्षण नहीं होती है। एंटीफेरोमैग्नेटिक पदार्थों के उदाहरण में एल्यूमीनियम और कुछ दुर्लभ पृथ्वी धातु शामिल होते हैं।

(iv) अण्टीफेरोमैग्नेटिज़्म: अण्टीफेरोमैग्नेटिज़्म एक प्रकार का चुंबकत्व है जो कुछ विशेष पदार्थों, जैसे कि क्रोमियम डाइऑक्साइड, में प्रदर्शित होता है, जहां परमाणु चुंबकीय क्षण (या इलेक्ट्रॉनों के स्पिन) एक साथी दिशाओं में संरेखित होते हैं। इस प्रतिसाधारित ओरिएंटेशन का परिणामस्वरूप एक निवाल्य चुंबकीय क्षेत्र होता है, जो विभिन्न चुंबकीय पदार्थों के प्रति उबेरते मिलने के लिए उत्कृष्ट आकर्षण का ज़िम्मेदार होता है। अण्टीफेरोमैग्नेटिक पदार्थों के उदाहरण में क्रोमियम डाइऑक्साइड और कुछ दुर्लभ पृथ्वी धातुएं शामिल हैं।

प्रश्न: निम्नलिखित क्रिस्टल संरचना की मामूली दबाव में सुदृढ़ता की गणना कीजिए (इस मान्यता के साथ कि परमाणुओं को एक दूसरे से स्पर्श कर रहे हों): (i) सरल घन (ii) सर्व-केंद्रित घन (iii) मुख-केंद्रित घन

उत्तर: (i) सरल घन: चरण 1: क्रिस्टल संरचना में कुल परमाणुओं की गणना करें। इसे क्यूब के आयतन की गणना करके और तब उसे एक परमाणु के आयतन से विभाजित करके किया जा सकता है।

चरण 2: क्यूब में रखा जा सकने वाले कुल परमाणुओं की गणना करें। इसे क्यूब में कुल यूनिट सेलों की गणना करके और तब उसे एक यूनिट सेल में परमाणुओं की संख्या से गुणा करके किया जा सकता है।

चरण 3: क्यूब में कुल परमाणुओं को क्यूब में रखा जा सकने वाले परमाणुओं की संख्या से भाग करके सुदृढ़ता की गणना करें।

(ii) सर्व-केंद्रित घन: चरण 1: क्रिस्टल संरचना में कुल परमाणुओं की गणना करें। इसे क्यूब के आयतन की गणना करके और तब उसे एक परमाणु के आयतन से विभाजित करके किया जा सकता है।

चरण 2: क्यूब में रखा जा सकने वाले कुल परमाणुओं की गणना करें। इसे क्यूब में कुल यूनिट सेलों की गणना करके और तब उसे एक यूनिट सेल में परमाणुओं की संख्या से गुणा करके, प्लस क्यूब के केंद्र में एक अतिरिक्त परमाणु के साथ किया जा सकता है।

चरण 3: क्यूब में कुल परमाणुओं को क्यूब में रखा जा सकने वाले परमाणुओं की संख्या से भाग करके सुदृढ़ता की गणना करें।

(iii) मुख-केंद्रित घन: चरण 1: क्रिस्टल संरचना में कुल परमाणुओं की गणना करें। इसे क्यूब के आयतन की गणना करके और तब उसे एक परमाणु के आयतन से विभाजित करके किया जा सकता है।

चरण 2: क्यूब में रखा जा सकने वाले कुल परमाणुओं की गणना करें। इसे क्यूब में कुल यूनिट सेलों की गणना करके और तब उसे एक यूनिट सेल में परमाणुओं की संख्या से गुणा करके, प्लस क्यूब के हर वक्त की महत्त्वपूर्ण दिशा में चार अतिरिक्त परमाणु निर्धारित कर सकते हैं।

चरण 3: क्यूब में कुल परमाणुओं को क्यूब में रखा जा सकने वाले परमाणुओं की संख्या से भाग करके सुदृढ़ता की गणना करें।

प्रश्न: एक घनक कठोर में दो तत्वों पी और क्यू के प्रतिमान होते हैं। घन में क्यू के परमाणु कोनों पर होते हैं और पी के परमाणु का कोऑर्डिनेशन संख्या क्या होती है?

उत्तर: उत्तर:

यह संयोजन का सूत्र PQ2 है, क्योंकि हर कोने पर दो क्यू के परमाणु होते हैं।

भूमध्यवार के चारों ओर 8 एटम्स से घिरे हुए होने के कारण, P की समन्वयात्मक संख्या 8 है।

Q की समन्वयात्मक संख्या 4 है, क्योंकि Q के प्रत्येक एटम को क्यूब के कोने पर स्थित होता है और यह 4 P के एटमों से घिरा होता है।

प्रश्न:

तांत्रिक तत्व का संकुचन 3.61×10-8 सेमी के एक एज के साथ एफसीसी जाली बनाता है। इसका मापित मूल्य 8.92 ग्राम सेमी3 के साथ संगत सिद्ध कराएं।

उत्तर:

  1. इकाई कक्ष का आयतन क्षेत्र की गणना करें: V = (3.61 × 10-8 सेमी)3 V = 4.16 × 10-23 सेमी3

  2. तांत्रिक तत्व का मोलीय मास गणना करें: M = 63.55 ग्राम/मोल

  3. इकाई कक्ष के प्रति मोलों की संख्या गणना करें: n = V/M n = 4.16 × 10-23 सेमी3 / 63.55 ग्राम/मोल n = 6.54 × 10-25 मोल

  4. इकाई कक्ष के प्रति तांत्रिक तत्व का मास गणना करें: m = n × M m = 6.54 × 10-25 मोल × 63.55 ग्राम/मोल m = 4.14 × 10-22 ग्राम

  5. तांत्रिक तत्व का घनत्व गणना करें: d = m/V d = 4.14 × 10-22 ग्राम / 4.16 × 10-23 सेमी3 d = 8.92 ग्राम/सेमी3

  6. गणितीय घनत्व को मापित मान के साथ तुलना करें: गणितीय घनत्व (8.92 ग्राम/सेमी3) मापित मान (8.92 ग्राम/सेमी3) के साथ संगत है।

प्रश्न:

निम्नलिखित खण्डों को प्रायिकता आयोजक, धातुय, आणविक, नेटवर्क (सख्तीय) या अप्रत्यायस्थ रूप में वर्गीकृत कीजिए: (i) टेट्रा फॉस्फोरस डिऑक्साइड (P4O10) (ii) अमोनियम फॉस्फेट (NH4)3PO4 (iii) SiC (iv) I2 (v) P4 (vi) प्लास्टिक (vii) ग्रेफाइट (viii) संयमधोत (ix) Rb (x) LiBr (xi) Si

उत्तर:

(i) टेट्रा फॉस्फोरस डिऑक्साइड (P4O10) - नेटवर्क (सख्तीय)

(ii) अमोनियम फॉस्फेट (NH4)3PO4 - आयोनिक

(iii) SiC - नेटवर्क (सख्तीय)

(iv) I2 - आणविक

(v) P4 - नेटवर्क (सख्तीय)

(vi) प्लास्टिक - अप्रत्यायस्थ

(vii) ग्रेफाइट - नेटवर्क (सख्तीय)

(viii) संयमधोत - धातुय

(ix) Rb - धातुय

(x) LiBr - आयोनिक

(xi) Si - नेटवर्क (सख्तीय)

प्रश्न:

निम्नलिखित खण्डों को प्रमुखरूप संविहित करें: (i) इंडियम के साथ डोप किए गए जर्मेनियम (ii) बोराने के साथ डोप किए गए सिलिकॉन

उत्तर:

(i) इंडियम के साथ डोप किए गए जर्मेनियम - n-प्रकार का प्रमुखरूप तत्व (ii) बोराने के साथ डोप किए गए सिलिकॉन - p-प्रकार का प्रमुखरूप तत्व

प्रश्न:

सुलभ उदाहरणों के साथ निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या कीजिए: (i) शाटकीय दोष (ii) फ्रेंकल दोष (iii) इंटरस्टिशियल और (iv) एफ-केंद्र

उत्तर:

(i) शाटकीय दोष: एक शाटकीय दोष एक कक्ष के ज्यामिति ज्यामिति में आई स्थानिक दोष है जो धातुओं और आयोनों के असंतुलन से उत्पन्न होता है। इसे 1918 में पहली बार वाल्टर शाटकी ने वर्णन किया था। शाटकीय दोष का एक उदाहरण तब होता है जब एक कक्ष में आयोनों की तुलना में कक्ष में कमतर धातुएं होती हैं। इससे कक्ष में सकारात्मक चार्ज का एक क्षेत्र उत्पन्न होता है, जो इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित कर सकता है और इलेक्ट्रिकीय असंतुलन का कारण बनता है।

(ii) फ्रेंकल दोष: फ्रेंकल दोष एक क्रिस्टल जाली में दोष के प्रकारों में से एक है जो किसी परमाणु को उसके जाली स्थान से हट जाने के कारण उत्पन्न होता है। इसे 1926 में पहली बार दोष के रूप में वर्णन करने वाले याकोव फ्रेंकल के नाम पर रखा गया है। एक फ्रेंकल दोष का उदाहरण होता है जब किसी परमाणु को उसके जाली स्थान से हटा दिया जाता है और अब वह जाली स्थानों के बीच में स्थित होता है। इससे जाली में सकारात्मक आवेश का क्षेत्र बनता है, जो इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित कर सकता है और बिजलीय असंतुलन का कारण बना सकता है।

(iii) इंटर्स्टीशल: इंटर्स्टीशल क्रिस्टल जाली में दोष के प्रकार हैं जो जाली स्थानों के बीच स्थित एक परमाणु से उत्पन्न होते हैं। एक इंटर्स्टीशल का उदाहरण होता है जब किसी परमाणु को जाली स्थानों के बीच स्थित होते हैं। इससे जाली में सकारात्मक आवेश का क्षेत्र बनता है, जो इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित कर सकता है और बिजलीय असंतुलन का कारण बना सकता है।

(iv) एफ-केंद्र: एफ-केंद्र क्रिस्टल जाली में दोष के प्रकार हैं जो किसी परमाणु के बदले में एक इलेक्ट्रॉन होने के कारण उत्पन्न होते हैं। इसे 1927 में पहली बार दोष के रूप में वर्णन करने वाले जर्मन भौतिकीय, फ्रेडरिक हुंड के नाम पर रखा गया है। एक एफ-केंद्र का उदाहरण होता है जब किसी परमाणु को एक इलेक्ट्रॉन के साथ बदल दिया जाता है। इससे जाली में नकारात्मक आवेश का क्षेत्र बनता है, जो इलेक्ट्रॉनों को दुर्भाग्यशालीता कर सकता है और बिजलीय असंतुलन का कारण बना सकता है।

आपात: यदि अष्टाधेय समतली स्थान का त्रिज्या r है और क्लोज पैकिंग में एटमों की त्रिज्या R है, तो r और R के बीच संबंध निर्माण करें।

उत्तर: चरण 1: अष्टाधेय समतली आपात एक ऐसी जगह है जिसे छह एटमों द्वारा घिरे जाते हैं एक क्लोज-पैक ढांचे में।

चरण 2: क्लोज-पैक ढांचे में एटमों के बीच की दूरी एटमों की त्रिज्याओं के योग के बराबर होती है।

चरण 3: इसलिए, अष्टाधेय समतली की त्रिज्या (r) क्लोज-पैक ढांचे में एटमों की त्रिज्या (R) प्लस एटमों के बीच की दूरी के आधे (R/2) के बराबर होती है।

चरण 4: इस प्रकार, r और R के बीच का संबंध इस रूप में व्यक्त किया जा सकता है: r = R + R/2 या r = 1.5R

प्रश्न: ‘अअ’ का परिभाषा करें। कुछ अअ ठोसों के उदाहरण दें।

उत्तर: परिभाषा: अअ ठोस ऐसे ठोस होते हैं जो क्रिस्टलीय संरचना की कमी होती है और उनमें कोई लंबी-दूसरी क्रम की प्यारी नहीं होती है।

उदाहरण: कांच, प्लास्टिक, रबर, कुछ पॉलिमर, कुछ जेल्स, और कुछ सिलिकेट्स।

प्रश्न: निम्नलिखित प्रत्येक जाली के एक यूनिट सेल में कितने जाली बिंदु होते हैं? (i) मुख्य-मुख्य वर्गीकृतता वर्ग
(ii) मुख्य वर्गीकृतता चतुर्भुजीय (iii) शरीरीय

उत्तर: (i) मुख्य-मुख्य वर्गीकृतता वर्ग: 8 जाली बिंदु

(ii) मुख्य वर्गीकृतता चतुर्भुजीय: 4 जाली बिंदु

(iii) शरीरीय: 2 जाली बिंदु

प्रश्न: विश्लेषण दिखाता है कि निकेल ऑक्साइड का सूत्र Ni0.98 O1.00 है। निकेल का कौन सा भाग Ni2+ और Ni3+ आयन के रूप में मौजूद है?

उत्तर:

  1. Ni की कुल मोलों की गणना करें: 0.98 मोल Ni × 1 मोल Ni / 1 मोल Ni0.98O1.00 = 0.98 मोल Ni

  2. Ni2+ आयन का भाग गणित करें: 0.98 मोल Ni × 1 मोल Ni2+ / 2 मोल Ni = 0.49 मोल Ni2+

क्या हम प्लास्टिक की जगह कुछ और उपयोग कर सकते हैं जो पर्यावरण के लिए अधिक सुरक्षित हो और साइट में प्रदूषण कम करेगा?

उत्तर:

हां, हम प्लास्टिक की जगह कुछ और उपयोग कर सकते हैं जो पर्यावरण के लिए अधिक सुरक्षित हो और साइट में प्रदूषण कम करेगा। यहाँ कुछ विकल्प हैं:

  1. बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक: बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक एक प्रकार का प्लास्टिक है जो प्राकृतिक सामग्रीयों से बना होता है और पर्यावरण में तेजी से टूट जाता है। यह प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकता है।

  2. कचरे की समस्या का पुनर्चक्रण: कचरे की समस्या को पुन: चक्रित करने के लिए हम रीसायकल की प्रक्रिया का उपयोग कर सकते हैं। यह हमारे पूर्ववर्ती प्लास्टिक को फिर से उपयोग में लाने में मदद करता है और नये प्लास्टिक के निर्माण में प्रदूषण कम कर सकता है।

  3. वैकल्पिक मार्गों का उपयोग: कई स्थानों में, हम वैकल्पिक मार्गों का उपयोग कर सकते हैं जैसे कि कपड़े टोटा, कागज़ी बैग, धातु के डिब्बे आदि। इन मार्गों का उपयोग करके हम प्लास्टिक प्रदूषण को कम कर सकते हैं।

हालांकि, आपके प्रश्न के आधार पर, हम केवल कुछ उपाय दे सकते हैं। लेकिन, यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी मिलकर इन उपायों को अपनाएं और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए अपना योगदान दें।

सवाल: NaCl में 10−3 मोल प्रतिशत SrCl2 से डोप किया जाता है, कैशियन खाली स्थानों की गति कितनी होगी?

उत्तर: चरण 1: SrCl2 के लिए सूत्र तय करें। SrCl2 = स्ट्रॉंटियम क्लोराइड

चरण 2: कैशियन खाली स्थानों की गति की गणना करें।

(i) The coordination number refers to the number of nearest neighboring atoms or ions that directly surround a given atom or ion in a crystal lattice.

(ii) (a) In a cubic close-packed structure, the coordination number of atoms is 12. Each atom is surrounded by 12 nearest neighboring atoms.

(b) In a body-centred cubic structure, the coordination number of atoms is 8. Each atom is surrounded by 8 nearest neighboring atoms.

(i) समन्वय संख्या मौलिक या क्रिस्टल झलक में केंद्रीय परमाणु के संपर्क में होने वाले परमाणु, आयन या अणु की संख्या है।

(ii) (a) एक घनात्मक बंद संरचना में, परमाणुओं की समन्वय संख्या 12 होती है। (b) एक शरीर-केंद्रीय घनात्मक संरचना में, परमाणुओं की समन्वय संख्या 8 होती है।

प्रश्न:

प्रयोगशाला में अस्थायीरूप से तैयार किया जा सकता है कि पर्याय कप्रस ऑक्साइड, Cu2O प्रमाण्य-इक्षु नहीं है। क्या आप बता सकते हैं कि इस तथ्य के साथ इस पदार्थ के एक प्रकार को प-प्रकारी कैसे बनाया जा सकता है?

उत्तर:

  1. Non-stoichiometric cuprous oxide, Cu2O, प-प्रकारी प्रमाणय-इक्षु है क्योंकि कॉपर से ऑक्सीजन अनुपात थोड़ा 2:1 से कम होता है। इसके कारण पदार्थ में इलेक्ट्रॉन्स और होल्स की असमता होती है, जो प-प्रकारी प्रमाणय-इक्षु की विशेषताएं हैं।

  2. इलेक्ट्रॉन्स और होल्स की असमता अतिरिक्त ऑक्सीजन परमाणुओं की मौजूदगी के कारण होती है, जो इलेक्ट्रॉनों की कमी उत्पन्न करती है। इलेक्ट्रॉनों की इस कमी के कारण पदार्थ प-प्रकारी प्रमाणय-इक्षु होता है।

  3. पदार्थ में अतिरिक्त ऑक्सीजन परमाणुओं के कारण होल्स की कमी उत्पन्न होती है, जो पदार्थ की निर्वाह योग्यता में कुल मिलाकर कमी का कारण होता है। इसीलिए non-stoichiometric cuprous oxide प-प्रकारी प्रमाणय-इक्षु होता है।

प्रश्न:

सेमीकंडक्टर क्या है? दो प्रमुख प्रकार के सेमीकंडक्टर का वर्णन करें और उनके चालकता तंत्र की विरोधीता को तुलनात्मक करें।

उत्तर:

सेमीकंडक्टर एक ऐसा पदार्थ है जिसकी गुणधर्म इत्र और चालक के बीच होती है। यह विद्युत सिग्नल को नियंत्रित और उन्नत करने के लिए उपयोग होता है और इसे बहुत सारे दैनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में पाया जाता है।

दो प्रमुख प्रकार के सेमीकंडक्टर होते हैं - अप्रविसंघी प्रमुख और बाह्य प्रमुख सेमीकंडक्टर।

अप्रविसंघी प्रमुख सेमीकंडक्टर एक पवित्र तत्व जैसे सिलिकॉन या जर्मनियम से बनाए जाते हैं। उनमें बहुत कम संख्या में मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं और ये बिजली के अच्छे चालक नहीं होते हैं। ये बिजली की चालकता कर सकते हैं जब किसी ऊर्जा स्रोत जैसे प्रकाश या गर्मी के प्रभाव में आएं।

बाह्य प्रमुख सेमीकंडक्टर एक हीसंयोजन में सिलिकॉन और बोरॉन जैसे तत्वों के मिश्रण से बनाए जाते हैं। उनमें मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या अप्रविसंघी सेमीकंडक्टर से बहुत अधिक होती है और ये बिजली के अच्छे चालक होते हैं। इनमें आवश्यक ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता नहीं होती है, इनके पास बिना किसी बाहरी ऊर्जा स्रोत के भी बिजली की चालकता होती है।

दोनों प्रकार के सेमीकंडक्टर के बीच मुख्य अंतर उनके चालकता तंत्र में होता है। अप्रविसंघी सेमीकंडक्टर को बिजली की चालकता के लिए बाहरी ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता होती है, जबकि बाह्य प्रमुख सेमीकंडक्टर बिजली की चालकता के लिए किसी बाहरी ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता नहीं होती है।



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