विकिरण रसायनिकी अभ्यास ०५
प्रश्न:
विज्ञापन और सोखन के शब्दों के अर्थ में अंतर परिभाषित कीजिए। हर एक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
चरण 1: विज्ञापन वह प्रक्रिया है जिसमें एक पदार्थ दूसरे पदार्थ की सतह पर चिपक जाता है। विज्ञापन का एक उदाहरण है जैसे पत्ती की सतह पर पानी की बूंदें चिपक जाती हैं।
चरण 2: सोखन वह प्रक्रिया है जिसमें एक पदार्थ दूसरे पदार्थ को सोख लेता है। सोखन का एक उदाहरण हैं जैसे स्पंज में पानी लेना।
प्रश्न:
गैसों के ठोस पर विज्ञापन पर दबाव और तापमान के प्रभाव पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
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“दबाव” और “तापमान” के शब्दों की परिभाषा बताकर यह बताएं कि वे कैसे संबंधित होते हैं।
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चर्चा कीजिए की दबाव और तापमान गैसों के ठोस पर विज्ञापन पर कैसे प्रभाव डालते हैं। उदाहरण के रूप में, तापमान में वृद्धि विज्ञापन की दर में वृद्धि का कारण बन सकती है, जबकि दबाव के वृद्धि से विज्ञापन की दर में गिरावट हो सकती है।
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जाएंकि दबाव और तापमान गैसों के ठोस पर विज्ञापन पर कैसे प्रभाव डाल सकते हैं। उदाहरण के रूप में, तापमान में घटाव विज्ञापन की दर में घटाने का कारण बन सकता है, जबकि दबाव में वृद्धि विज्ञापन की दर में वृद्धि का कारण बन सकती है।
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दबाव और तापमान के गैसों के ठोस पर विज्ञापन पर प्रभाव पर चर्चा की प्रासंगिकता चर्चा कीजिए। उदाहरण के रूप में, विज्ञापन दर में वृद्धि विज्ञापित गैस की मात्रा में वृद्धि के कारण हो सकती है, जबकि विज्ञापन दर में घटाव गैस की मात्रा में घटाने के कारण हो सकती है।
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चर्चा की मुख्य बिंदुओं की सारांश कीजिए, जैसे दबाव और तापमान गैसों के ठोस पर विज्ञापन पर कैसे प्रभाव डालते हैं।
प्रश्न:
जैव संरचना के आधार पर कोलाइड्स को कैसे वर्गीकृत किया जाता है: (i) घटनात्मक अवस्थाओं के अनुसार, (ii) क्षयित अवस्था का प्रकृति और (iii) फैलते अवस्था और विश्रामण माध्यम के मध्य प्रतिक्रिया के
उत्तर:
(i) घटनात्मक अवस्थाओं के अनुसार: कोलाइड्स को तत्वों की घटनात्मक अवस्थाओं के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि ठोस कोलाइड्स, तरल कोलाइड्स, या गैस कोलाइड्स।
(ii) घटित अवस्था का प्रकृति: कोलाइड्स को जर्मनी वाले कोलाइड्स, नयाभिन्न रहित कोलाइड्स, या मिश्रित कोलाइड्स के रुप में दिए गए घटित अवस्था की प्रकृति के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
(iii) फैलते अवस्था और विश्रामण माध्यम के मध्य प्रतिक्रिया के: कोलाइड्स को विश्रामण माध्यम और फैलते अवस्था के मध्य प्रतिक्रियाओं के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि विधुतमय कोलाइड्स, स्टेरिक कोलाइड्स, या मिश्रित कोलाइड्स।
प्रश्न:
सार्वभौमिक धात्व क्रिया क्या है?
उत्तर:
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सार्वभौमिक धात्व क्रिया वह प्रकार की धात्विकता है जो धात्विक को चयनसूत्र की आवश्यकता से पूर्वतया सूचितीकरण करने के लिए धातु के आकर का उपयोग करती है।
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सार्वभौमिक धात्व क्रिया उसी प्रकार कार्य करती है जिसमें धातु कनेक्ट और एक प्रतिक्रियाशीलता को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रतिक्रियाएं होने की अनुमति देती है। उदाहरण के रूप में, धातु के आकर के कारण यह धातु एक प्रतिक्रियाशीलता के साथ उपरोक्त किसी और प्रतिक्रियां करने की और प्रबलतापूर्वक प्रभावित हो सकती है।
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इस प्रकार की कैटलिसिस बहुत सारे औद्योगिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण है, जैसे कि फार्मास्युटिकल्स, प्लास्टिक और अन्य सामग्रियों का उत्पादन। यह केमिकल प्रतिक्रियाओं की क्षमता को बढ़ाने और उत्तेजना के लिए आवश्यक ऊर्जा की मात्रा कम करने में भी प्रयोग किया जा सकता है।
प्रश्न:
क्यों हर समय एडसोप्शन निकटता संभव है?
जवाब:
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एडसोर्पशन एक प्रक्रिया है जिसमें एक ठोस या तरलता वाले पदार्थ के मोलेक्यूल गैस, तरल या विघटित ठोस के सतह पर आकर्षित होते हैं और वहां बंद किए जाते हैं।
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एडसोर्पशन प्रक्रिया के दौरान, ऊर्जा ऊष्मा के रूप में छोड़ी जाती है, जिसके कारण यह एक निकटतमित प्रतिक्रिया होती है।
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इसका कारण यह है कि जब मोलेक्यूल एक ठोस या तरल पदार्थ की सतह पर आकर्षित होते हैं, तो उनके बीच सामंजस्यिक बल महत्त्वपूर्ण बन जाते हैं, जो गैस, तरल या विघटित ठोस अवस्था में उनके बीच से कम महत्त्वपूर्ण होते हैं, जिससे ऊर्जा का उत्सर्जन होता है।
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इसलिए, हमेशा ही एडसोर्पशन तापोग्रम होती है क्योंकि ऊर्जा ऊष्मा के रूप में छोड़ी जाती है।
प्रश्न:
एंजाइम्स क्या होते हैं? एंजाइम कैटलिसिस की व्याख्या की तरह-तरह करें
जवाब:
एंजाइम्स बायोरासायनिक प्रतिक्रियाओं में कैटलिस्ट के रूप में कार्य करने वाले प्रोटीन हैं। वे एक प्रतिक्रिया की दर को बढ़ाते हैं बिना किसी प्रक्रिया में सेवा कराई जाती हैं। एंजाइम कैटलिसिस में एक एंजाइम-उपदाति समूह के गठन से जुड़ता है, जहां एंजाइम उपदाति को बांधता है और इसका आकार परिवर्तित करके एक सक्रिय स्थान बनाता है। सक्रिय स्थान वहां होता है जहां उपादान लगातार जुड़ता है और एंजाइम प्रतिक्रिया को कैटलाइज करता है। एंजाइम फिर प्रतिक्रिया के उत्पादों को छोड़ देता है और एंजाइम-उपदाति समूह विच्छेदित हो जाता है।
प्रश्न:
इमलशन्स क्या होता है? उनके विभिन्न प्रकार क्या होते हैं? हर प्रकार के उदाहरण दें।
जवाब:
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इमलशन्स एक ऐसे दो या अधिक तरल पदार्थों के मिश्रण होते हैं जो सामान्यतः अपमिश्रित होते हैं।
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इमलशन्स के विभिन्न प्रकार हैं और वे आयल-इन-वॉटर इमलशन और वॉटर-इन-आयल इमलशन हैं।
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आयल-इन-वॉटर इमलशन के उदाहरण में मेयोनेज, विनेगरेट और दूध शामिल हैं।
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वॉटर-इन-आयल इमलशन के उदाहरण में मक्खन, मार्जरीन और क्रीम शामिल हैं।
प्रश्न:
मल्टीमोलेक्युलर और मैक्रोमोलेक्युलर कोलॉइड से क्या अंतर होता है? प्रत्येक प्रकार का एक उदाहरण दें। इन दो प्रकार के कोलॉइड से एसोसिएटेड कोलॉइड किस प्रकार अलग होते हैं?
जवाब:
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मल्टीमोलेक्युलर कोलॉइड छोटे मोलेक्यूलों से मिश्रित होते हैं जो एक माध्यम में लटकते हैं, जबकि मैक्रोमोलेक्युलर कोलॉइड बड़े मोलेक्यूलों से मिश्रित होते हैं, जैसे कि पॉलिमर्स, जो एक माध्यम में लटकते हैं। एक मल्टीमोलेक्युलर कोलॉइड का उदाहरण एक कोहरा है, जबकि एक मैक्रोमोलेक्युलर कोलॉइड का उदाहरण एक जेल है।
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एसोसिएटेड कोलॉइड बड़े मोलेक्यूलों से बने होते हैं जो एक दूसरे से जुड़े होते हैं, एक माध्यम में लटकते हैं। उनका एक उदाहरण प्रोटीन की एक साल्यूशन होता है।
प्रश्न:
जिओलाइट्स द्वारा कैटलिसिस की कुछ विशेषताएं वर्णित करें।
जवाब:
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जिओलाइट्स अल्युमिनो-सिलिकेट्स के पोरस तत्व हैं जो विभिन्न कैमिकल प्रतिक्रियाओं में कैटलिस्ट के रूप में प्रयोग होते हैं।
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Adsorption plays a crucial role in heterogeneous catalysis. It is the process by which reactant molecules are adsorbed onto the surface of the catalyst.
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The adsorption of reactant molecules onto the catalyst surface allows for the formation of chemical bonds between the reactant molecules and the catalyst. This bonding leads to changes in the electronic structure and chemical reactivity of the reactant molecules, making them more likely to undergo a desired chemical reaction.
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Adsorption also promotes the proximity of reactant molecules to each other, increasing the chances of collision and reaction. Furthermore, adsorption can stabilize reaction intermediates and transition states, lowering the activation energy required for the reaction to occur.
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Overall, adsorption in heterogeneous catalysis serves to enhance the rate of chemical reactions, increase reaction selectivity, and improve overall catalytic efficiency. It is a fundamental step in the catalytic process, allowing for the transformation of reactants into desired products.
सवाल:
विज्ञानों के प्रकार के बारे में जानने के लिए समझें। उधारण सहित दो प्रकारों का उदाहरण दें। हायड्रोफोबिक सोल्स क्यों आसानी से जमावार होते हैं?
उत्तर:
उत्तर: लाइोफिलिक सोल्स उपोद्घाटनीय विपरीत में चिंतित करके पदार्थों के सदमे के अवसरग्राहक समाधान हैं। उदाहरण रूप में गम अरेबिक और जेलेटिन शामिल हैं।
ल्योफोबिक सोल्स उपोद्घाटनीय विपरीत में चिंतित करके पदार्थों के प्रदीपित अस्षय समाधान हैं। उदाहरण रूप में धातु हाइड्रॉक्साइड और सल्फाइड शामिल हैं।
Hydrophobic sols आसानी से कोएगैलेट हो जाते हैं क्योंकि उनके कण द्रव को आकर्षित नहीं होते हैं, इसलिए वे ऐसे सम्मिश्रणों का गठन कर सकते हैं जो पर्याप्त बड़े होते हैं ताकि समाधान से बाहर ही बैठ सकें।
प्रश्न: अलग जैव रसायन विक्रिया के चार उदाहरण दें।
उत्तर:
- एक अल्कीन के हाइड्रोजनेशन को प्रोत्साहित करने के लिए पलेडियम जैसा एक धातु जीव उपयोग करना।
- एक एल्कोहल के इस्टेरीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए सल्फ्यूरिक एसिड जैसे एक अम्ल जीव उपयोग करना।
- एक एल्कोहल की डीहाइड्रेशन को प्रोत्साहित करने के लिए सोडियम हाइड्रोक्साइड जैसा एक बेस जीव उपयोग करना।
- हाइड्रोकार्बन की क्रैकिंग को प्रोत्साहित करने के लिए जियोलाइट जैसे एक ठोस जीव उपयोग करना।
प्रश्न: कैटलिस्ट की गतिविधि और चुनावशीलता का क्या मतलब होता है?
उत्तर:
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कैटलिस्ट की गतिविधि एक धातु रिक्रिया को होने के लिए कितनी वेग से कर सकता है का माप होती है।
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कैटलिस्ट की चुनावशीलता कैटलिस्ट की विशिष्ट उत्तेजना को प्रोत्साहित करने की क्षमता होती है। यह एक प्रतिक्रिया के कई संभावित प्रतिक्रियाओं में से एक को प्रोत्साहित करने की कैटलिस्ट की क्षमता का मापन होता है।
प्रश्न: एडसोर्प्शन आइसोथर्म क्या होता है? फ्राइंडलिच एडसोर्प्शन आइसोथर्म की विवरण कीजिए।
उत्तर: एडसोर्प्शन आइसोथर्म उस सतह पर एक पदार्थ की मात्रा का नक्कल करके उस पदार्थ के सम्पर्क में मौजूद उस पदार्थ की आइसोथर्मिक क्षमता का मापन करने के लिए एक ग्राफ़ होता है।
फ्राइंडलिच एडसोर्प्शन आइसोथर्म एक गणितीय समीकरण होता है जो पदार्थों की एक सतह पर एडसोर्प्शन का विवरण करता है। यह धारणा पर आधारित है कि सतह के लिए उत्कृष्ट सम्पर्क हवा से अधिक धारण करने वाले पदार्थों की तुलना में कम आकर्षण वाले पदार्थों की तुलना में अधिक धारण होती है। समीकरण का रूप लेता है: q = kCn, यहां q एडसोर्प्ड पदार्थ की मात्रा है, k एडसोर्प्शन क्षमता है, और n एडसोर्प्शन तीव्रता है।
प्रश्न: व्याख्या करें कि क्या देखा जाता है जब: (i) प्रकाश की एक किरण को एक संयुक्त रसायनिक वाष्प के माध्यम से पारित किया जाता है। (ii) एक विद्युत नाके हाइड्रेटेड फेरिक ऑक्साइड रसायनिक वाष्प में नाईट्रिकली डाला जाता है। (iii) एक एकलग रसायनिक विद्युत प्रवाहित होता है।
उत्तर: (i) जब प्रकाश की एक किरण संयुक्त रसायनिक वाष्प में पारित की जाती है, तो प्रकाश सभी दिशाओं में विकर्षित होगा। यह तिंडल प्रभाव के रूप में जाना जाता है, जो कि रसायनिक वाष्प में कारणों से किरणों को प्रतिफलित और विकर्षित करने से होता है।
(ii) जब एक विद्युत नाईट्रक्ली हाईड्रेटेड लोहे के रसायनिक वाष्प में नाईट्रिकली जोड़ा जाता है, तो हाईड्रेटेड लोहे के कण चार्जधारी हो जाते हैं और एक कटाक्ष बनाते हैं। इसे फ्लोक्युलेशन प्रक्रिया कहा जाता है।
(iii) जब एक संयुक्त रसायनिक विद्युत कोलॉइडल वाष्प के माध्यम से पारित किया जाता है, तो कोलॉइडल वाष्प में कणों को चार्जधारी हो जाते हैं और एक कटाक्ष बनाते हैं। इसे विद्युत चालित्रता प्रक्रिया कहा जाता है।
प्रश्न: विस्तारण दें कि कैसे व्यावहारिक रूप से श्रृंखलाओं को विभिन्न पच्ची अवस्था के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है?
उत्तर:
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श्रृंखला विषयक समाधान दो पदार्थों के मिश्रण हैं, एक विच्छेदित अवस्था और एक विस्तारण माध्यम।
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विच्छेदित अवस्था आमतौर पर एक ठोस, तरल या गैस होती है, जबकि विस्तारण माध्यम आमतौर पर एक तरल या गैस होती है।
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कलोइडी विलयन के अनुसार तरंगीत दशा और बहिर्भूत अव्यावर्त तत्व के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
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ठोस बहिर्भूत तत्व और तरल अव्यावर्त तत्व के साथ साधारण विलयन को ठोस-में-तरल विलयन कहते हैं।
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तरल बहिर्भूत तत्व और तरल अव्यावर्त तत्व के साथ साधारण विलयन को तरल-में-तरल विलयन कहते हैं।
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गैसी बहिर्भूत तत्व और तरल अव्यावर्त तत्व के साथ साधारण विलयन को गैस-में-तरल विलयन कहा जाता है।
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ठोस बहिर्भूत तत्व और गैसी अव्यावर्त तत्व के साथ साधारण विलयन को ठोस-में-गैस विलयन कहा जाता है।
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तरल बहिर्भूत तत्व और गैसी अव्यावर्त तत्व के साथ साधारण विलयन को तरल-में-गैस विलयन कहते हैं।
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गैसी बहिर्भूत तत्व और गैसी अव्यावर्त तत्व के साथ साधारण विलयन को गैस-में-गैस विलयन कहते हैं।
प्रश्न:
एमल्सफाइंग एजेंट इमल्शन को स्थिर कैसे करते हैं?
उत्तर:
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एमल्सफाइंग एजेंट एक पदार्थ होता है जो इमल्शन बनाने या स्थिर करने में मदद करता है।
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एमल्शन दो या अधिक तत्वों का मिश्रण होता है जो सामान्यतः अमिश्रित या मिश्रण नहीं हो सकते हैं।
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एमल्सफाइंग एजेंट एमल्शन में एक तत्व की छोटी बूंदों को एक पतली परत में लेपित करके काम करते हैं। यह परत बूंदों को पुन: एकत्र करने और मूल अमिश्रित तत्व को पुनर्स्थापित करने से रोकती है।
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एमल्सफाइंग एजेंट के आणविक पदार्थ भी बूँदों को एक दूसरे से अलग करने में मदद करते हैं, जिससे यह पका रहता है।
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इस तरीके से, एमल्सफाइंग एजेंट एमल्शन को स्थिर करने में मदद करते हैं और इसे मूल अमिश्रित घटकों में विभाजित नहीं होने देते हैं।
प्रश्न:
एमल्शन के चार उपयोग बताएं।
उत्तर:
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एमल्शन सामान्यतः खाद्य उत्पादों में उपयोग होते हैं जैसे मेयोनेज और सलाद ड्रेसिंग।
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एमल्शन का उपयोग सौंदर्य और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में किया जाता है जैसे लोशन, क्रीम और मेकअप।
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एमल्शन का उपयोग औजारों के रूप में औद्योगिक अनुप्रयोगों में किया जाता है जैसे मशीन उपकरण।
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एमल्शन का उपयोग छपाई इंक और पेंट में प्रोडक्ट की सतह स्थिरता और स्थिरता को सुधारने के लिए किया जाता है।
प्रश्न:
उचित उदाहरणों के साथ निम्नलिखित शब्दों का व्याख्यान करें: (i) अल्कोसॉल (ii) एरोसॉल (iii) हाइड्रोसॉल
उत्तर:
(i) अल्कोसॉल: अल्कोसॉल एक ऐसा विलयन है जिसमें एल्कोहॉल, जैसे कि रबिंग एल्कोहॉल, मौथवॉश और एंटीसेप्टिक वाइप्स, शामिल होता है।
(ii) एरोसॉल: एरोसॉल एक गैस में छोटे अणुओं का द्रव यात्रा करने वाला विलयन होता है। उदाहरणों में हेयरस्प्रे, कीटमारकस्प्रे और एयर फ्रेशनर्स शामिल होते हैं।
(iii) हाइड्रोसॉल: हाइड्रोसॉल एक विलयन होता है जिसमें पानी, जैसे कि सेलाइन विलयन, शामिल होता है। इसमें सलाइन नेजल स्प्रे, कॉन्टैक्ट लेंस सॉल्यूशन और आँख की नशीली बूँदें शामिल होती हैं।
प्रश्न:
निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या करें: (i) इलेक्ट्रोफोरेसिस (ii) कोग्यूलेशन (iii) डायलाइसिस (iv) टिंडल प्रभाव
उत्तर:
(i) इलेक्ट्रोफोरेसिस: इलेक्ट्रोफोरेसिस एक प्रयोगशाला तकनीक है जिसमें आकर्षित आयों, जैसे कि प्रोटीन्स, के आधार पर आकार और आयों को अलग करने के लिए प्रयोग की जाती है। इसमें तरल में लटके हुए अणुओं के मिश्रण पर एक विद्युत क्षेत्र का अनुप्रयोग किया जाता है, जिसके कारण वे तरल में अलग-अलग गति से चलते हैं।
(ii) संकुचन: संकुचन एक प्रक्रिया है जिसमें तरल में एकट्टा हो जाते हैं और ठोस एक मास बनाते हैं। यह सामान्यतः जल से अविशुद्धियों को हटाने या तरल समाधान से ठोस एक मास बनाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
(iii) डायलिसिस: डायलिसिस एक प्रक्रिया है जिसमें एक अर्धवायरणीय पारदर्शी मेम्ब्रेन का उपयोग करके अणुओं को उनका आकार और आवेश से अलग किया जाता है। यह सामान्यतः रक्त से विषाक्ति हटाने या अन्य अणुओं से प्रोटीन को अलग करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
(iv) टिंडल प्रभाव: टिंडल प्रभाव एक तरल या गैस में तलबे हुए कणों द्वारा प्रकाश का छितरन है। यह सबसे अधिक आमतौर पर जब एक प्रकाश की किरण को कोलोयडियल समाधान से प्रकाशित किया जाता है, तो कण प्रतीत होते हैं।
सवाल:
माइसेल क्या होते हैं? कोई माइसेलर सिस्टम का उदाहरण दें।
उत्तर:
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माइसेल भौतिकीय और प्रोटीनों से मिश्रित छोटे गोलाकार संरचनाएं हैं जो जल में बनती हैं।
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माइसेलर प्रणाली का एक उदाहरण डीटर्जेंट का उपयोग करने वाला समाधान है, जो माइसेल बनाते हैं और मिट्टी और तेल के कणों को तोड़ने में मदद करते हैं।
सवाल:
एक गैस को ठोस पर जोड़ने के लिए कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
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तापमान: तापमान एक गैस को ठोस पर जोड़ने के प्रतिरोध को प्रभावित करता है, ताकि उष्णता के प्रभाव से गैस अणु चलते हैं, जिससे उन्हें ठोस पर जोड़ना कठिन हो जाता है।
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दबाव: गैस का दबाव एक ठोस पर गैस को ठोस पर जोड़ने पर प्रभाव डालता है। उच्च दबाव के कारण, ठोस पर गैस के अणु में संपर्क में रहने वाले अणुओं की संख्या बढ़ती है, जिससे जोड़ने की संभावना बढ़ती है।
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पृष्ठ क्षेत्र: ठोस का पृष्ठ क्षेत्र गैस को ठोस पर जोड़ने पर प्रभावित करता है। बड़े पृष्ठ क्षेत्र गैस के अणुओं को जोड़ने के लिए अधिक स्थान प्रदान करते हैं।
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ठोस की प्रकृति: ठोस की प्रकृति गैस को ठोस पर जोड़ने पर प्रभावित करती है। विभिन्न ठोसों में विभिन्न रासायनिक गुण होते हैं, जो ठोस की सतह पर गैस को जोड़ने पर प्रभाव डाल सकते हैं।
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गैस की प्रकृति: गैस की प्रकृति गैस को ठोस पर जोड़ने पर प्रभावित करती है। विभिन्न गैसों में विभिन्न रासायनिक गुण होते हैं, जो ठोस की सतह पर गैस को जोड़ने पर प्रभाव डाल सकते हैं।
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आवर्धन: गैस की आवर्धन गैस को ठोस पर जोड़ने पर प्रभावित करती है। गैस की अधिक मात्रा जोड़ने की संभावना बढ़ाती है।