आर्गेनिक रसायन शास्त्र: कुछ मूल सिद्धांत और तकनीकों के अभ्यास 12
प्रश्न:
निम्नलिखित में से कौन सा कार्बोकैटाइन सबसे स्थिर है? (a)(CH3)3C−CH2+ (b) (CH3)3C+ (c) CH3CH2CH2+ (d) CH3CH+CH2CH3
उत्तर:
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पहले, हमें स्थिर कार्बोकैटाइन क्या बनाता है इसे समझना चाहिए। कार्बोकैटाइन को इलेक्ट्रॉन दान करने वाले समूह से जुड़ा होने से स्थिर किया जाता है, जो पॉजिटिव धारा को कम करता है।
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अब, हम प्रश्न में दिए गए चार कार्बोकैटाइन का तुलनात्मक मूल्यांकन कर सकते हैं। (a) (CH3)3C−CH2+ पॉजिटिव धारा वाले कार्बन में तीन मेथाइल समूह होते हैं, इसलिए यह सबसे स्थिर कार्बोकैटाइन है। (b) (CH3)3C+ पॉजिटिव धारा वाले कार्बन में तीन मेथाइल समूह हैं, लेकिन इलेक्ट्रॉन दान करने वाला समूह नहीं है, इसलिए यह (a) से कम स्थिर है। (c) CH3CH2CH2+ पॉजिटिव धारा वाले कार्बन में दो मेथाइल समूह और एक इथाइल समूह हैं, इसलिए यह (b) से अधिक स्थिर है। (d) CH3CH+CH2CH3 पॉजिटिव धारा वाले कार्बन में दो मेथाइल समूह और दो इथाइल समूह होते हैं, इसलिए यह चारों विकल्पों में सबसे स्थिर है।
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इसलिए, सबसे स्थिर कार्बोकैटाइन (d) CH3CH+CH2CH3 है।
प्रश्न:
प्रतिक्रिया: CH3CH2I+KOH(aq)→CH3CH2OH+KI एक संकर्षण प्रतिस्थापन की प्रक्रिया है। समझाएं।
उत्तर:
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संकर्षण प्रतिस्थापन एक प्रकार का रासायनिक प्रतिक्रिया है जिसमें एक संकर्षक (एक इलेक्ट्रॉन-धनी प्रजाति) एक प्रतिस्थापन समूह (एक इलेक्ट्रॉन-गरीब प्रजाति) को सबस्थान से हटा देता है।
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प्रतिक्रिया CH3CH2I+KOH(aq)→CH3CH2OH+KI में, संकर्षक KOH (aq) है और प्रतिस्थापन समूह I है।
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KOH (aq) संकर्षक CH3CH2I प्राणी के साथ जुड़ता है, कार्बन एटम के साथ एक बांध बनाता है और I प्रतिस्थापन समूह को धकेलता है।
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इस फलस्वरूप, CH3CH2OH और KI के निर्माण होते हैं, जो प्रतिक्रिया के उत्पाद हैं।
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इसलिए, प्रतिक्रिया CH3CH2I+KOH(aq)→CH3CH2OH+KI एक संकर्षण प्रतिस्थापन प्रतिक्रिया है।
प्रश्न:
कागज क्रोमैटोग्राफी का सिद्धांत समझाएं।
उत्तर:
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कागज क्रोमैटोग्राफी एक तकनीक है जिसका उपयोग मिश्रण के घटकों को अलग करने और पहचानने के लिए किया जाता है।
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इसका काम एक विलयनशील पदार्थ, जैसे पानी या एल्कोहल, का उपयोग करके मिश्रण का एक नमूना एक पत्रिका ऊपर ले जाने का होता है।
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जैसे ही विलयनशील पदार्थ पत्रिका में आगे बढ़ता है, वह मिश्रण के घटकों को अपने साथ ले जाता है।
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मिश्रण के घटक विलयनशीलता के आधार पर अलग-अलग दरों पर यात्रा करते हैं।
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जब वे यात्रा करते हैं, वे अलग हो जाते हैं और पत्रिका पर अलग-अलग बैंड बनाते हैं।
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बैंडों का अध्ययन करके, वैज्ञानिक मिश्रण के घटकों की पहचान कर सकते हैं।
प्रश्न:
Benzaldehyde के लिए सभी संभव आत्मस्थिरता संरचनाओं को बनाएं।
उत्तर:
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Benzaldehyde का Lewis संरचना बनाएं, जो C6H5CHO होता है।
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Benzaldehyde के लिए संभव आत्मस्थिरता संरचनाओं की संख्या निर्धारित करें। इसे मोलेक्यूल के चारों ओर घुमाने के लिए इलेक्ट्रॉनों की संख्या गिनकर किया जा सकता है।
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Benzaldehyde के लिए आत्मस्थिरता संरचनाएं बनाएं। मूल संरचना बनाने शुरू करें, फिर विभिन्न आत्मस्थिरता संरचनाओं को बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनों को आस-पास ले जाएं। सुनिश्चित करें कि मोलेक्यूल का कुल धारा एक ही रहता है।
Translate the following phrase into hi: “Please make sure to follow the instructions carefully.”
Answer: Lassaignes परीक्षण में में Prussian नीला रंग उत्पन्न होता हैं।
The best and latest technique for isolation, purification, and separation of organic compounds is chromatography.
यहां तत्वविज्ञान के क्रिस्टलाइजेशन के सिद्धांतों के बारे में एक संक्षिप्त विवरण देंगे। इसके साथ ही यहां उदाहरण भी दिए जाएंगे।
इसका निष्पादन १. क्रिस्टल्लीकरण एक प्रक्रम है जो पदार्थ को शुद्ध करने और तरल समाधान से एक ठोस पदार्थ को अलग करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें समाधान को सामान्य पदार्थ उत्पन्न होने वाले विचित्रों में ठंडा करके ठंडा किया जाता है, जबकि अशुद्धियां तरल समाधान में बनी रहती हैं।
२. क्रिस्टल्लीकरण का सिद्धांत यह है कि अलग-अलग पदार्थों की अलग-अलग विलयनीयताएं अलग-अलग तापमानों पर होती हैं। उदाहरण के लिए, चीनी गर्म पानी में ठंडा पानी की तुलना में अधिक विलयनीय होती है, इसलिए यदि आप गर्म चीनी समाधान को ठंडा करते हैं, तो चीनी क्रिस्टल्लीकरण होगी और अशुद्धियां तरल में बनी रहेंगी।
३. क्रिस्टल्लीकरण का और भी एक सिद्धांत है जिसे ‘बीज’ का सिद्धांत कहते हैं। बीज में थोड़ी मात्रा में पदार्थ जोड़कर उत्पन्न होता है ताकि क्रिस्टल्लीकरण प्रक्रिया को गति मिल सके और बड़े, अधिक समान रूप में क्रिस्टल्स उत्पन्न हों।
४. क्रिस्टल्लीकरण प्रक्रियाओं के उदाहरण में शक्कर, नमक और कुछ फार्मास्यूटिकल शामिल हैं। क्रिस्टल्लीकरण एल्यूमिनियम और तांबे जैसे धातुओं को भी शुद्ध करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
सवाल:
C6H5−CH2+ से चित्रण संरचनाओं को खींचें। साथ ही कर्वड़ तीर विन्यास का उपयोग करके इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण दिखाएं।
उत्तर:
- C6H5−CH2+ का लूइस संरचना खींचें:
C6H5−CH2+ | | H-C-C-C-C-C-H | | | H H H | | | H H H | | | H H H | | | H H H | | | H H H | | H H | H
- C6H5−CH2+ की दो रेसोनेंस संरचनाओं को खींचें:
रेसोनेंस संरचना 1: C6H5−CH2+ | | H-C-C-C-C-C-H | | | H H H | | | H H H | | | H H H | | | H H H | | | H H H | | H + | H
रेसोनेंस संरचना 2: C6H5−CH2+ | | H-C-C-C-C-C-H | | | H H H | | | H H H | | | H H H | | | H H H | | | H + H | | H H | H
- कर्वड़ तीर नोटेशन का उपयोग करके इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण दिखाएं:
रेसोनेंस संरचना 1 से रेसोनेंस संरचना 2 तक:
↑ ← ← ← ← ↑
सवाल:
निम्नलिखित समीकरणों में बोल्ड तत्वों की पहचान करें कि वे न्यूक्लियोफाइल या इलेक्ट्रोफाइल हैं: H3COOH3+CN−→(CH3)2C(CN)(OH)
उत्तर:
तत्व: H3COOH3 (न्यूक्लियोफाइल) और CN− (इलेक्ट्रोफाइल)
सवाल:
निम्नलिखित में से कौन सा सही IUPAC नाम पदार्थों के लिए प्रतिष्ठित करता है? a. 2,2−Dimethylpentane या 2−Dimethylpentane b. 2,4,7−Trimethyloctane या 2,5,7−Trimethyloctane c. 2−Chloro−4−methylpentane या 4−Chloro−2−methylpentane d. But−3−yn−1−ol या But−4−ol−1−yne। O2NCH2CH2O−औरCH3CH2O− में से कौन सा अधिक स्थिर माना जाता है और क्यों?
उत्तर:
उत्तर: c. 2−Chloro−4−methylpentane या 4−Chloro−2−methylpentane
यहां अधिक स्थिर माने जाने की उम्मीद है CH3CH2O− क्योंकि यह O2NCH2CH2O− की तुलना में अधिक स्थिर कार्बन-ऑक्सीजन बांध का होता है। यह इसलिए है क्योंकि CH3CH2O− में कार्बन-ऑक्सीजन बांध अधिक ध्युतिमान होता है क्योंकि ओक्सीजन परमानु की mahatvapoorna क्रम योग्यता के कारण और इसलिए इसे अधिक स्थिर बनाता है।
इंग्रजी अनुवाद: उत्पादन को प्रिट करें: सही संरचना के लिए
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पहले, यह यौगिक एक परीक्षण ट्यूब में कन्सेंट्रेटेड सल्फुरिक एसिड और कॉपर टर्निंग्स के साथ गर्म होता है।
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मिश्रण को फिर ठंडा होने दिया जाता है और किसी अविनाशी पदार्थ को हटाने के लिए छांट लगाई जाती है।
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छांट को फिर अमोनियम हाइड्रोक्साइड के साथ उपचार किया जाता है ताकि कॉपर निकटता प्रेसिपिटेट बनाए जा सके।
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कम्प्लेक्स निकटता उष्ण किए जाते हैं जिससे कॉपर क्लोराइड और एमोनिया बनते हैं।
डिस्टिलेशन के सिद्धांतों की संक्षेप में विवरण दें।
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वाष्पसंश्लेषण एक प्रक्रिया है जिसका उपयोग अपनी उबलने के बिंदु के आधार पर तरल और ठोस के मिश्रणों को अलग करने के लिए किया जाता है।
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मिश्रण को तापित किया जाता है और वाष्प संग्रहीत किए जाते हैं और फिर से तरल में संकुचित किए जाते हैं।
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उबलने के औरंग़े बिंदु वाष्प को पहले उबल जाते हैं, जिससे वह मिश्रण के अन्य घटकों से अलग तरह से संकुलित किया जा सकता है।
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यह प्रक्रिया अधिक पवित्र करने के लिए कई बार दोहराई जा सकती है।
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वाष्पसंश्लेषण वाटर और एल्कोहल जैसे विभिन्न उबलने बिंदुओं वाले तारलों के मिश्रणों को अलग करने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।
सवाल:
2,3-डाइमिथाइल ब्यूटनाल के लिए बॉन्ड लाइन सूत्र लिखें।
उत्तर:
- 2,3-डाइमिथाइल ब्यूटनाल के आणविक संरचना की पहचान करें:
- 2,3-डाइमिथाइल ब्यूटनाल का संरचनात्मक सूत्र बनाएं:
H3C–CH2–CH(CH3)–CHO
- बॉन्ड लाइन सूत्र लिखें: H3C–CH2–CH(CH3)–COOH
सवाल:
सल्फेट टेस्ट में सोडियम निकाल के लिए सल्फ्यूर की जांच के लिए, सल्फ्यूरिक एसिड की बजाय सुल्फ़ॉरिक एसिड का उपयोग करना आवश्यक क्यों है?
उत्तर:
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सल्फ्यूरिक एसिड एक मजबूत एसिड है और सल्फ़ॉरिक एसिड एक मजबूत एसिड है।
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नमूने के असिडीकरण के समय, एक नमूने में परिवर्तन को विस्तारित करने के लिए एक कमजोर एसिड पसंद किया जाता है, जो परीक्षण परिणामों की सटीकता प्रभावित कर सकता है।
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स्वचालित रंगनिकारी परीक्षण एक टेस्ट है, जिसका मतलब है कि उत्पन्न रंग की प्रतिवत्ता में सल्फ्यूर की मात्रा से संबंधित है।
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एक मजबूत एसिड के कारण नमूने के pH में एक भयंकर परिवर्तन संक्षेप्त होने के कारण, रंगनिकारी परीक्षण की सटीकता के साथ हस्तक्षेप कर सकता है।
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इसलिए, सल्फ़ॉरिक एसिड की बजाय सोडियम निकाल का सल्फेट टेस्ट करने के लिए एसिटिक एसिड का उपयोग करना आवश्यक है।
सवाल:
कैल्शियम सल्फेट और कैम्फर के मिश्रण के घटकों को अलग करने के लिए एक उपयुक्त तकनीक का नाम बताएं।
उत्तर:
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छानन: छानन के लिए एक उपयुक्त तकनीक है, जिसका उपयोग कैल्शियम सल्फेट और कैम्फर के मिश्रण के घटकों को छान सकते हैं। कैल्शियम सल्फेट के ठोस अणुओं को एक फ़िल्टर पेपर का उपयोग करके छाना जा सकता है।
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संबद्धीकरण: संबद्धीकरण एक और उपयुक्त तकनीक है, जिसका उपयोग कैल्शियम सल्फेट और कैम्फर के मिश्रण के घटकों को अलग करने के लिए किया जा सकता है। कैम्फर को उद्घाटित करा जा सकता है, जिससे कैल्शियम सल्फेट पीछे छोड़ देगा।
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वाष्पीयन: वाष्पीयन एक और उपयुक्त तकनीक है, जिसका उपयोग कैल्शियम सल्फेट और कैम्फर के मिश्रण के घटकों को अलग करने के लिए किया जा सकता है। कैम्फर को मिश्रण से अलग करने के लिए वाष्पीयन किया जा सकता है, जो कैल्शियम सल्फेट को पीछे छोड़ देगा।
सवाल:
इंदुक्टिव और इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव के परिभाषा समझाएं। कौन सा इलेक्ट्रॉन प्रतिस्थान प्रभाव निम्नलिखित सही अम्लता के क्रम की व्याख्या करता है? CH3CH2COOH>(CH3)2CHCOOH>(CH3)3CCOOH
उत्तर:
इंदुक्टिव प्रभाव: जब कोई अणु या आयन स्थायी द्विधारित्रित्व प्रतीति रखता है क्योंकि इलेक्ट्रॉनीयतापूर्ण अणु मौजूद है। यह अणु आस-पास के अणुओं से इलेक्ट्रॉन्स को आकर्षित करता है, जिससे अणु पर द्विधारित्रित्व और आस-पास के अणु पर आंशिक नेगेटिव आवेश होता है।
डूमास विधि आवयविक यौगिक के नाइट्रोजन का मापन करने का एक महत्वपूर्ण मेथड है। इस विधि में, आवयविक यौगिक को ऊष्माग्र सुचालितियों में ठगा जाता है और उसकी निकासी होती है। उसके बाद, ऊष्माग्र निकलता है और निकासी होता है। निकाली गई ऊष्माग्र को निकासी में नाइट्रोजन की मात्रा मापी जाती है।
(ii) Kjeldahl’s Method: क्जेलडाल मेथड भी आवयविक यौगिक में नाइट्रोजन की मात्रा का मापन करने के लिए एक प्रमुख विधि है। इस विधि में, आवयविक यौगिक को सीलन के साथ मिश्रित किया जाता है और इसे सिलिंडर में चढ़ा दिया जाता है। फिर, हीटिंग और पानी और सल्फुरिक अम्ल के संयोजन के माध्यम से इसे उष्मीकृत किया जाता है। नाइट्रोजन यौगिक में प्रवेश करने वाले अमोनिया में परिवर्तनित होता है। उसके बाद, अमोनिया को आंकलन सामान्य एकीकीत कर्मिक के साथ परीक्षण किया जाता है और यहां नाइट्रोजन की मात्रा को मापा जाता है।
Anu, Rohit, and Shyam invested Rs. 5000, Rs. 8000, and Rs. 10000 respectively in a business. They gained Rs. 5000, Rs. 8000, and Rs. 10000 respectively after a year. Find the ratio of their investments.
Answer:
Let’s calculate the ratio of their investments:
Anu’s investment = Rs. 5000 Rohit’s investment = Rs. 8000 Shyam’s investment = Rs. 10000
Ratio of Anu’s investment : Ratio of Rohit’s investment : Ratio of Shyam’s investment = 5000 : 8000 : 10000 = 5 : 8 : 10
So, the ratio of their investments is 5:8:10.
क्या है कंटेंट का हिंदी संस्करण: एक जीवाणुय यौगिक का 0.50 ग्राम का नमूना Kjeldahls विधि के अनुसार उपचार किया गया। उत्पन्न अमोनिया को 0.5M H2SO4 के 50 मिलीलीटर में शोषित किया गया। केवलिकरण के लिए शेष अम्ल 0.5 M नाओह के 60 मिलीलीटर की आवश्यकता थी। यौगिक में नाइट्रोजन का प्रतिशत संयोजन ढूंढें।
उत्तर:
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अभिक्रिया में प्रयोग किए गए NaOH की मात्रा की गणना करें: 60 मिलीलीटर x 0.5 M = 30 मिमेर नाओह
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उत्पन्न अमोनिया की मात्रा का अनुमान लगाएं: 30 मिमेर नाओह x 1 मोल NH3/1 मोल NaOH = 30 मिमेर NH3
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नमूने में नाइट्रोजन की मात्रा का अनुमान लगाएं: 30 मिमेर NH3 x 1 मोल N/1 मोल NH3 = 30 मिमेर N
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नमूने में नाइट्रोजन की मात्रा की गणना करें: 30 मिमेर N x 14.01 ग्राम/1 मोल N = 420.3 ग्राम N
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नमूने में नाइट्रोजन का प्रतिशत संयोजन ढूंढें: 420.3 ग्राम N/0.50 ग्राम नमूना x 100% = 84.06% N
सवाल:
एक जीवाणुय यौगिक में कार्बन के आंकड़ों का अनुमान लगाने के दौरान उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड को शोषित करने के लिए पोटेशियम हाइड्रोक्साइड का एक समाधान क्यों उपयोग किया जाता है?
उत्तर:
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पोटेशियम हाइड्रोक्साइड (KOH) एक मजबूत बेस है जो कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के साथ पोटेशियम कार्बोनेट (K2CO3) बनाने के लिए प्रतिक्रिया करता है।
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कार्बन डाइऑक्साइड को एक जीवाणुय यौगिक में कार्बन के आंकड़ों का अनुमान लगाने के दौरान उत्पन्न किया जाता है, आम तौर पर ज्वालामुखी व प्रलंब परिक्रियाओं के माध्यम से।
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पोटेशियम हाइड्रोक्साइड का समाधान कार्बन डाइऑक्साइड को शोषित करने के लिए उपयोग किया जाता है, ताकि इससे संग्रह में मौजूद कार्बन के आंकड़ों के माप को बाधित न करे।
सवाल:
Carius विधि द्वारा गंधक का मूल्यांकन करते समय, एक जीवाणुय गंधक यौगिक का 0.468 ग्राम 0.668 ग्राम बेरियम सल्फेट उत्पन्न करता है। दिए गए यौगिक में गंधक का प्रतिशत ढूंढें।
Answer:
चरण 1: बेरियम सल्फेट में गंधक की मात्रा की गणना करें। इसे अशुद्धता के सूत्र का उपयोग करके किया जा सकता है: गंधक की मात्रा = (बेरियम सल्फेट के मास x बेरियम सल्फेट में गंधक का आंकड़ा)/100
गंधक की मात्रा = (0.668 ग्राम x 48%)/100 गंधक की मात्रा = 0.32256 ग्राम
चरण 2: दिए गए यौगिक में गंधक का प्रतिशत ढूंढें। इसे अशुद्धता के सूत्र का उपयोग करके किया जा सकता है: दिए गए यौगिक में गंधक का प्रतिशत = (बेरियम सल्फेट में गंधक की मात्रा x 100)/जीवाणुय गंधक यौगिक की मास
दिए गए यौगिक में गंधक का प्रतिशत = (0.32256 ग्राम x 100)/0.468 ग्राम दिए गए यौगिक में गंधक का प्रतिशत = 68.9%
सवाल:
2-हाइड्रोक्सी-1,2,3-प्रोपेन ट्राइकार्बोक्सिलिक एसिड के लिए संक्षिप्त और बॉन्ड लाइन संरचनात्मक सूत्र दें और उपस्थित फंक्शनल समूहों की पहचान करें, यदि कोई हों।
उत्तर:
संक्षिप्त संरचनात्मक सूत्र: HOOC-C(OH)-COOH
बॉन्ड लाइन संरचनात्मक सूत्र:
H - O - O - C - C - O - H | | H O
सामरिक समूह(जैसे COOH): कार्बोक्सिलिक एसिड (COOH)
सवाल:
संक्षेपित और बॉन्ड लाइन संरचनात्मक सूत्र और उपस्थित फंक्शनल समूहों की पहचान करें, यदि कोई हों, हेक्सानडाइयल के लिए।
उत्तर:
संक्षेपित संरचनात्मक सूत्र: C6H10O2
बॉन्ड लाइन संरचनात्मक सूत्र:
H-C-C-C-C-C-C-O-O-H
सामरिक समूह(जैसे O=C-H): ऐल्डिहाइड (O=C-H)
हिंदुलाकारी प्रभाव और इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव के लक्षणों का स्पष्टीकरण कीजिए। कार्बोक्सिलिक अम्लों की संयोज्यता के सही क्रम का व्याख्यान किस इलेक्ट्रॉन विस्थापन प्रभाव से किया जाता है? Cl3CCOOH>Cl2CHCOOH>ClCH2COOH
जवाब: हिंदुलाकारी प्रभाव: यह एक प्रभाव है जिसमें मोलेक्यूल की इलेक्ट्रॉन घनत्व पड़ोसी अणु या अणु समूह की मौजूदगी से प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, एक विद्युतीयतापी अणु या अणु समूह की मौजूदगी मोलेक्यूल की इलेक्ट्रॉन घनत्व को कम कर सकती है और उसे अधिक अम्लीय बना सकती है।
इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव: यह एक प्रभाव है जिसमें मोलेक्यूल की इलेक्ट्रॉन घनत्व पड़ोसी अणु या अणु समूह की मौजूदगी से प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, एक विद्युतीयतापी अणु या अणु समूह की मौजूदगी मोलेक्यूल की इलेक्ट्रॉन घनत्व को बढ़ा सकती है और उसे अधिक आधारीय बना सकती है।
कार्बोक्सिलिक अम्लों की सही अम्लता क्रम इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव से व्याख्या होता है। कार्बोक्सिलिक अम्ल में ज्यादा विद्युतीयतापी अणु या अणु समूह होने के कारण, वह अम्लतर होगा। दिए गए उदाहरण में, Cl3CCOOH में सबसे अधिक विद्युतीयतापी अणु होते हैं (तीन क्लोरीन अणु) और इसलिए यह सबसे अधिक अम्लीय होता है, इसके बाद Cl2CHCOOH होता है, जिसमें दो क्लोरीन अणु होते हैं, और फिर ClCH2COOH होता है, जिसमें केवल एक क्लोरीन अणु होता है।