अध्याय 06 राग परिचय एवं बंदिशें

चित्र 6.1 - हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की विदुषी पद्मजा चक्रवर्ती

राग बागेश्री

राग परिचय

यह राग काफी थाट से उत्पन्न होता है अर्थात इसमें गांधार और निषाद स्वर कोमल हैं व शेष सब स्वर शुद्ध हैं। वादी मध्यम व संवादी बड्ज है। इसका गायन समय मध्य रात्रि मानते हैं। इसके आरोह में ऋषभ तथा पंचम वर्जित है। इस आधार पर इस राग की जाति औडव-संपूर्ण है। इस राग में पंचम स्वर का प्रयोग अवरोह में वक्र रूप से किया जाता है जो राग को सुमधुर बनाता है। हिंदुस्तानी संगीत में स्वर स्थानों पर स्वर संगतियों का कैसा-कैसा प्रभाव होता है, यह अनुभव से ही जाना जा सकता है। बागेश्री भी बहुत सौंदर्य संपन्न राग है, लेकिन स्वरों को विभिन्न तरह के समुदायों में लेने की प्रक्रिया आनी चाहिए।

मुख्य बिंदु

थाट $-$ काफी

जाति $-$ षाड्व संपूर्ण

स्वर $-$ गु नि कोमल, शेष स्वर शुद्ध

वादी $-$ म

संवादी $-$ स

समय $-$ मध्य रात्रि

आरोह $-$ तिस $ग$ म ध नि सं

अवरोह $-$ सं नि ध म प ध म गुरे स

पकड़ $-$ ध निस म, ध नि ध, म प ध मगु, म गु्रे, स

स्वर विस्तार — स ऩि ध ऩि स म ग रे स ऩि ध म ध नि ध ऩि स नि ध म ध ऩि स| ग
$ \qquad $ $ \qquad $ म ध नि ध म प ध म गुरे स| ध़ ऩि स म ग म ध ध नि सं नि ध म ग म ध नि
$ \qquad $ $ \qquad $ सं, नि ध म प ध म ग, म ग रे स ऩि ध ऩि स| ग म ध नि सं, ध नि सं मं ग रें
$ \qquad $ $ \qquad $ सं नि सं ध नि सं मं गरें सं नि सं नि ध म ग ग म ध नि सं नि ध म प ध भ म ग म
$ \qquad $ $ \qquad $ ग रे स ऩि ध ऩि स म ग रे स|

राग बागेश्री

ताल- एकताल गायन शैली-_ विलंबित ख्याल

गायन शैली— विलंबित ख्याल

शब्द

स्थायी— मोहे मनावन आए हो, सगरी रतियाँ किन सौतन घर जागे

अंतरा- तें तो रंगीले छबि दिखलाए लालन के मन ललचावे

राग बागेश्री- त्रिताल (मध्य लय)

ताल- त्रिताल

गायन शैली— छोटा ख्याल

शब्द

स्थायी— कौन गत भई ली मोरी रे पिया न पूछे एक हूँ बात

अंतरा— एक बन ढूँडी, सकल बन ढूँडी डार डार कर पात

राग बागेश्री- त्रिताल (मध्य लय)

ताल- त्रिताल

गायन शैली— छोटा ख्याल हमरी बात

शब्द

स्थायी- कौन करत तोरी बिनति पियरवा मानो न मानो

अंतरा— जब से गए मोरी सुधहु न लीनी चाहे सौतन के घर जागे

राग बाठेथ्री

ताल- तीनताल

गत - मसीतरवानी

राग बाठेश्री

ताल- तीनताल

गत- रज़ाखानी

अभ्यास

इस राग के बारे में आप पढ़ चुके हैं। आइए, नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करें-

1. राग बागेश्री किस थाट के अंतर्गत आता है?

2. राग बागेश्री का गायन समय बताइए।

3. क्या राग बागेश्री के आरोह में शुद्ध नि का प्रयोग होता है?

4. राग बागेश्री में पंचम का प्रयोग किस प्रकार किया जाता है?

5. राग बागेश्री पर आधारित कोई दो फिल्मी गीत लिखिए तथा उस गीत के कलाकारों के बारे में भी लिखिए।

6. राग चन्द्रिकासार में बागेश्री का विवरण किस तरह किया गया है, समझाइए।

7. राग बागेश्री पर आधारित किसी एक बंदिश की स्वरलिपि लिखिए।

8. ध नि स ग म ध नि ध में कोमल और शुद्ध स्वर रेखांकित कीजिए।

सही या गलत बताइए-

1. राग बागेश्री, आश्रय राग की श्रेणी में नहीं आता है। $ \qquad $ (सही/गलत)

2. इसके आरोह में निषाद वर्जित स्वर होता है। $ \qquad $ (सही/गलत)

3. इस राग की जाति षाड्व संपूर्ण होती है। $ \qquad $ (सही/गलत)

4. इस राग में पंचम स्वर वक्र लिया जाता है। $ \qquad $ (सही/गलत)

5. इसके आरोह तथा अवरोह में क्रमशः शुद्ध व कोमल निषाद प्रयोग होता है। $ \qquad $ (सही/गलत)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. राग बागेश्री का वादी ________________ तथा संवादी ________________ होता है।

2. राग बागेश्री की जाति ________________ होती है।

3. राग बागेश्री में पंचम ________________ में लिया जाता है।

4. मोहे मना ________________ ख्याल है।

5. कौन करत तोरी राग बागेश्री का ________________ ख्याल है।

सुमेलित कीजिए-

1. राग बागेश्री का थाट (क) मध्य रात्रि
2. कोमल स्वर (ख) नि स ग् म ध नि सं
3. गायन समय (ग) छोटा ख्याल
4. आरोह (घ) ग नि
5. अवरोह (ङ) काफी
6. कौन गत भई ली मोरी (च) सां नि ध ध म प ध म ग गु रे सा

आइए, पाठ्यक्रम से हठकर कुछ भिन्न बातों पर भी चर्चा करें-

1. जो राग हम सीखते हैं व गाते हैं, उन रागों पर आधारित सुगम संगीत और फिल्मी संगीत आपको कैसा लगता है? विस्तृत जानकारी अपने शब्दों में लिखिए।

2. एक अच्छे संगीतज्ञ के लिए रियाज़ करना जरूरी है, क्यों? अपने शब्दों में लिखिए।

3. शास्त्रीय संगीत और फिल्म संगीत गाने की शैली कैसे अभिन्न है?

राग आसावरी

राग विवरण

राग आसावरी बहुत ही मधुर और लोकप्रिय राग है। यह आसावरी ठाठ से उत्पन्न होता है। इसमें गांधार, धैवत व निषाद स्वर कोमल लगते हैं और शेष स्वर शुद्ध हैं। इसका वादी स्वर धैवत और संवादी गांधार है। गायन समय दिन का दूसरा प्रहर है। आरोह में गांधार व निषाद वर्ज्य करते हैं और अवरोह संपूर्ण है, अत: इसकी जाति औड्व-संपूर्ण है। इस राग से मिलता-जुलता राग जौनपुरी है। इस राग के विशेष स्वर गांधार, पंचम व धैवत हैं।

मुख्य बिंदु

थाट $-$ आसावरी

जाति $-$ औड्व-संपूर्ण

स्वर $-$ गु ध्र नि कोमल स्वर, शेष स्वर शुद्ध

वादी $-$ ध

संवादी $ - \underline{ग}$

समय $-$ दिन का दूसरा प्रहर

आरोह $-$ सारे म प $\hat{\text { e }}$, सां

अवरोह $-$ सां नि धि प म गुरे सा

पकड़ $—$ रे म प नि ध प, म प ध म प ग, रे स

स्वर विस्तार $—$ स रे म, प ग रे, स रे नि स ध प, म प नि ध प, म प ध स, रे म प, ध ध प ध म
$ \qquad $ $ \qquad $ प गुरे स। स रे म प ध ध प म म प ध ध सं, ध सं रें नि सं ध प म प नि ध प म प
$ \qquad $ $ \qquad $ ग रे स रे म प। म प ध सं रें मं पं ग रें स रें नि सं ध प, म प नि ध प म प ग रे स रे
$ \qquad $ $ \qquad $ नि स ध प़ म़ प़ ध स

आसावरी- त्रिताल (मध्य लय)

ताल— त्रिताल (मध्य लय)

गायन शैली— छोटा ख्याल

शब्द

स्थायी— अँखिया लागी रहत निसदिन प्यारे तिहारे देखन काहि

अंतरा— घरिपल छिन मोहे जुग सी बीतत निसदिन चटपटि लाग रहत महि

राग आसावरी

ताल- त्रिताल (मध्य लय)

गायन शैली— छोटा ख्याल

शब्द

स्थायी— अरे मन समझ-समझ पग धरिए अरे मन इस जग में नहीं अपना कोई, परछाईं सों डरिए

अंतरा— दौलत दुनिया कुटुम कबीला इनसों नेहन कबहु न करिए, राम नाम सुख धाम जगत पति सुमिरन, सौं जग तरिए, अरे मन

राग आसावरी

ताल- तीनताल

गत- मसीतरवानी

राग आसावरी

ताल- तीनताल

गत- रज़ारवानी

अभ्यास

इस राग के बारे में आप पढ़ चुके हैं। आइए, नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करें-

1. राग आसावरी किस थाट के अंतर्गत आता है?

2. राग आसावरी का गायन समय बताइए।

3. क्या राग आसावरी के आरोह में शुद्ध नि का प्रयोग होता है?

4. राग आसावरी में कौन-से स्वर कोमल हैं?

5. राग आसावरी पर आधारित कोई दो फिल्मी गीत लिखिए तथा उस गीत के कलाकारों के बारे में भी लिखिए।

6. आरोह में राग आसावरी के चार स्वर समूह लिखिए।

7. राग आसावरी पर आधारित कोई एक श्लोक लिखिए तथा राग के मुख्य लक्षण बताइए।

8. राग आसावरी पर आधारित कोई एक बंदिश की स्वरलिपि लिखिए।

9. राग आसावरी में मंद्र सप्तक से मध्य सप्तक की दो एवं मध्य सप्तक की दो तानें बनाइए।

सही या गलत बताइए-

1. राग आसावरी आश्रय राग की श्रेणी में नहीं आता है। $ \qquad $ (सही/गलत)

2. इसके आरोह में निषाद वर्जित स्वर होता है। $ \qquad $ (सही/गलत)

3. इस राग की जाति षाड्व संपूर्ण होती है। $ \qquad $ (सहीगगलत)

4. राग आसावरी का गायन समय संध्याकाल है। $ \qquad $ (सही/गलत)

5. इसके आरोह तथा अवरोह में क्रमशः शुद्ध व कोमल निषाद प्रयोग होता है। $ \qquad $ (सही/गलत)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. राग आसावरी का वादी ______________ तथा संवादी ______________ होता है।

2. राग आसावरी की जाति ______________ होती है।

3. म म प ध प ध स्वर समूह ______________ के अंतर्गत है। (आरोह/अवरोह)

4. सं नि ध ध प ध प म स्वर समूह ______________ के अंतर्गत है। (आरोह/अवरोह)

सुमेलित कीजिए-

1. राग आसावरी का थाट (क) दिन का दूसरा प्रहर
2. कोमल स्वर (ख) सा रे म प ध सां
3. गायन समय (ग) $\underline{\text {ध}}$
4. आरोह (घ) ग ध नि
5. अवरोह (ड़) आसावरी
6. वादी स्वर (च) सां नि ध प म ग ग रे सा

आइए, पाठ्यक्रम से हठकर कुछ भिन्न बातों पर भी चर्चा करें-

1. आप राग आसावरी में तीन-चार रिकॉर्डिंग सुनिए। 100 शब्दों में उनकी विवेचना लिखिए।

2. राग आसावरी पर आधारित कुछ फिल्मी गीतों की सूची बनाइए और उनमें प्रयुक्त स्वर संयोजन को लिखिए।

राग देस

राग लिकरण

इस राग की उत्पत्ति खमाज थाट से मानी जाती है। इसमें दोनों निषाद का प्रयोग होता हैआरोह में शुद्ध तथा अवरोह में कोमल। अन्य सभी स्वर शुद्ध प्रयोग होते हैं। आरोह में गंधार व धैवत वर्ज्य हैं तथा अवरोह में सातों स्वरों का प्रयोग होता है; अत: इस राग की जाति औड्व-संपूर्ण है। वादी स्वर ऋषभ तथा संवादी पंचम है। गायन/वादन का समय रात्रि का दूसरा प्रहर है।

मुख्य बिंदु

थाट $-$ खमाज

जाति $-$ औड़्व-संपूर्ण

स्वर $—$ अवरोह कोमल नि, शेष स्वर शुद्ध

वादी $—$ रे

संवादी $-$ प

समय $-$ रात्रि का दूसरा प्रहर

आरोह $-$ सा रे म प नि सां

अवरोह $-$ सं नि ध प म ग रे स

पकड़ $-$ रे मप निधप, म प धऽ म गरे गऽ नि स

स्वर विस्तार $—$ स रे म प नि ध प म प ध प म ग रे ग नि स। रे नि ध प प़ म़ प़ नि ध प़ मे प़ नि
$ \qquad $ $ \qquad $ स। रे म प ध म प म प नि ध प म ग रे ग नि सा म गरे स रे म प म प नि ध प
$ \qquad $ $ \qquad $ म प नि सं नि ध प म रे नि धे नि प, ध म गरे म गरे ग नि स। म प नि सं रें सं
$ \qquad $ $ \qquad $ नि सं रे मं गं रें सं पं मं गं रें गं नि सं प नि सं रें नि ध प ध म ग रे म प नि ध प
$ \qquad $ $ \qquad $ म ग रे ग नि स।

राग देस- धमार

ताल- धमार

गायन शैली— धमार

शब्द

स्थायी— साँवरे रंग डार गयो, मै तो बौराई जाने कहाँ कछु कीनों

अंतरा— सुध बुध छीन लई, छीन माई ऐसो महादुख दीनों, सावरे रंग

राग देस - त्रिताल (मध्य लय)

ताल- त्रिताल (मध्य लय)

गायन शैली— छोटा ख्याल

शब्द

स्थायी— मेहा रे बन-बन डार-डार मुरला बोले मेहा बौछारन बरसे मे।

अंतरा- कारि घटा घन फिर उमडावत पपिहा बोले सदारंग मनवा लरजे मेहा बौछारन बरसे मे॥

देस त्रिताल (मध्य लय)

शब्द

ताल— तीनताल

गायन शैली— छोटा ख्याल

स्‍थायी— झूम-झूम आए कारे-कारे बदरा, बरसन लागे बड़ी बड़ी बूँदन, झूम-झूम

अंतरा— निशि अंधियारी जिया डर पावे प्रेम रसिक घर आ जा आ जा झूम-झूम

राग देस

ताल- एकताल

गायन शैली— छोटा ख्याल

शब्‍द

स्थायी— नाचत कान्ह नचावे गुइयां, होरी के खेलैया।

अंतरा 1- अबीर गुलाल लै, मुख पर मलो री, बजावे मिरदंग, फाग में रमैया।

अंतरा 2- छेड़त कान्हौ डोरे रंग, भर-भर पिचकारी, अरज करूँ मैं तोसे, छोड़ो मोरी बैंगा।

राग देस- त्रिताल (रचनाकार- श्रीगुरू लालाबोबा देशपांडे) शब्द

ताल- तीनताल

गायन शैली— तराना

शब्‍द

स्थायी— तदिया रे त दीम्तनन दीम्त दीम्तनन देरे ना दीम्तन देर-देरे तदीम्त दारे दानी नित तन देरे ताना रे दानि।

अंतरा— नितन्न तन देरे तदानी दिए-दिर तोम् देरे ना देरे ना तोम् तदारे तारे दानी तनूम-तनूम तोम् तने दीम-दीम तन दिर-दिर तदारे दानि तदानि दानि ओदेतन तदिया नारे तारे दानि।

राग देस

ताल- तीनताल

गत- मसीतखानी

राग देस

ताल-तीनताल

गत-रज़ाखानी

अभ्यास

इस राग के बारे में आप पढ़ चुके हैं। आइए, नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करें-

1. राग देस में ज़्यादातर किस ऋतु के गीत गाए जाते हैं?

2. राग देस का गायन समय बताइए।

3. राग देस का वादी एवं संवादी स्वर बताइए।

4. राग देस की पकड़ लिखिए।

5. राग देस पर आधारित कोई दो फिल्मीगीतलिखिए तथा उस गीत की पृष्ठभूमि कीविवेचना कीजिए।

6. राग देस में चार तानें लिखिए— आठ मात्रा तथा बारह मात्रा में।

7. राग देस पर आधारित कोई एक श्लोक लिखिए तथा राग के मुख्य लक्षण बताइए।

8. राग देस पर आधारित किसी एक बंदिश की स्वरलिपि लिखिए।

सही या गलत बताइए-

1. राग देस आश्रय राग की श्रेणी में नहीं आता है। $\qquad $ (सही/गलत)

2. इसके आरोह में गंधार वर्जित स्वर होता है। $\qquad $ (सही/गलत)

3. इस राग की जाति षाड्व संपूर्ण है। $\qquad $ (सही/गलत)

4. इसके आरोह तथा अवरोह में क्रमशः शुद्ध व कोमल निषाद प्रयोग होता है। $\qquad $ (सही/गलत)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. राग देस का वादी ____________ तथा संवादी ____________ होता है।

2. राग देस की जाति ____________ होती है।

3. मेहारे ____________ डार-डार ____________ ।

4. राग देस के अवरोह में ____________ का प्रयोग होता है।

5. झूम-झूम ____________ कारे ____________ बदरा ____________ बरसने लागे ____________ बड़ी।

सुमेलित कीजिए-

1. राग देस का थाट (क) रात्रि का दूसरा प्रहर
2. कोमल स्वर (ख) स रे म प नि सां
3. गायन समय (ग) झूम झूम आए
4. आरोह (घ) अवरोह में निषाद कोमल
5. अवरोह (ङ) खमाज
6. छोटा ख्याल (च) सां नि ध प म ग रे सा

आइए, पाठयक्रम से हठकर कुछ भिन्न बातों पर भी चर्चा करें-

1. राग देस में कितने तरह के स्वर समूह हैं, सोचिए और लिखिए।

2. राग देस पर आधारित फिल्मी संगीत ढूँढकर उनमें प्रयोग किए गए स्वरों का विवेचन कीजिए।

राग मालकौंस

राग लिवरण

यह राग भैरवी थाट से उत्पन्न है। इसमे ऋषभ व पंचम स्वर आरोह एवं अवरोह में वर्ज्य हैं, अत: इसकी जाति औड्व-औड्व मानते हैं। वादी स्वर मध्यम व संवादी षड्ज है। गायन समय रात्रि का तीसरा प्रहर है। यह गंभीर प्रकृति का अत्यंत लोकप्रिय राग है। अतः बहुत से गायक-वादक इससे परिचित हैं। पुरानी फिल्मों के बहुत से गीत इस राग पर आधारित हैं।

मुख्य बिंदु

थाट $-$ भैरवी

जाति $-$ औड्र-औड्व

स्वर $—$ रे, प वर्जित, ग ध नि कोमल, म शुद्ध

वादी $—$ मध्यम

संवादी $-$ षड्ज

समय $-$ रात्रि का तीसरा प्रहर

आरोह $-$ नि सा ग म ध धि सां

अवरोह — सां $\underline{\text { नि } \underline{\epsilon}}$ म $\underline{ग}$ म ग सा,

पकड़ $- ध़ नि स म, ग म ग स

स्वर विस्तार — ध़ नि स म ग म ग स ऩि स ध़ ऩि स। ऩि स ग म ध म ग म ग स ऩि स ध़ ऩि
$ \qquad $ $ \qquad $ स म ग म ग स। म ग म ग स ग म ध नि ध म ग म ध नि सं नि ध म ग म ग् स।
$ \qquad $ $ \qquad $ ग म ध नि सं गं मं गं सं नि ध नि सं — ग म ध नि सं मं गं मं ग सं नि सं ध नि
$ \qquad $ $ \qquad $ सं नि ध नि ध म ग म ध नि ध म ग म ध म ग म ग स नि स ध नि स म ग म ग
$ \qquad $ $ \qquad $ स धִ ऩि स।

मालकौंस- एकताल (विलंबित)

ताल- एकताल

गायन शैली— विलंबित ख्याल

शब्द

स्थायी— पगला गन दे महाराज कुँवर

अंतरा— सदा रंगीली पीतमु ने पावन दे

मालकौंस

ताल- तीनताल

गायन शैली— छोटा ख्याल

शब्द

स्थायी— कोयलिया बोले अमुवा डार पर, ऋतु बसंत को देत संदेसवा

अंतरा— नव कलियन पर गूँजत भँवरा, उनके संग करत रंगरलियाँ, ऋतु बसंत को देत संदेसवा।

मालकौंस

ताल- तीनताल

गायन शैली— छोटा ख्याल (मध्य लय)

शब्द

स्थायी— मोहे लागा ध्यान, तोरा त्रिपुरारी गिरिजा के नाथ मोहे

अंतरा— अंग भस्म गरे विषधर माला जटा जूट सू, मेला भाला सीस सोहे सुर

मालकौंस (रचनाकार- उस्ताद वासिफ़ु्छीन डागर)

ताल— चौताल

गायन शैली— ध्रुपद

शब्द

स्थायी— पूजन चली महादेव चंद्रवदनी मृगनयनी हंस गमनी पारवती।

अंतरा— कर लिये अग्र थाल, पुष्पन के गुंधे हार मुख दियारा जराए देवन देव महादेव।

संचारी— साज नख शिख सोलाहू भृंगार बरनी ना जात सुंदरता छवि

आभोग— तानसेन धूप दीप नई वई दले ध्यान लगो हर हर हर आदि देव

मालकौंस

ताल- तीनताल

गत- मसीतरवानी

मालकौंस

ताल- तीनताल

गत-रज़ाखानी

मालकौंस

ताल-तीबताल

गत-रज़ाखानी

अभ्यास

इस राग के बारे में आप पढ़ चुके हैं। आइए, बीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करें-

1. राग मालकौंस किस थाट के अंतर्गत आता है?

2. राग मालकौंस किस समय गाया-बजाया जाता है?

3. राग मालकौंस में शुद्ध स्वर कौन से हैं?

4. राग मालकौंस में पंचम की क्या स्थिति है?

5. राग मालकौंस पर आधारित कोई दो फिल्मी गीत लिखिए तथा उस गीत के कलाकारों के बारे में भी लिखिए।

6. राग मालकौंस पर आधारित कोई एक श्लोक लिखिए तथा राग के मुख्य लक्षण बताइए।

7. राग मालकौंस पर आधारित किसी एक बंदिश की स्वरलिपि लिखिए।

8. किन्हीं दो प्रसिद्ध गीतकार और संगीतकार का योगदान बताइए जिन्होंने राग मालकौंस में कुछ रचनाएँ की हों।

सही या गलत बताइए-

1. राग मालकौंस आश्रय राग की श्रेणी में नहीं आता है$ \qquad $ ।(सही/गलत)

2. इसके आरोह में निषाद वर्जित स्वर है।$ \qquad $ (सही/गलत)

3. इस राग की जाति $ \qquad $ षाड्व होती है।

4. राग मालकौंस भोर के समय गाया जाता है।$ \qquad $ (सही/गलत)

5. इसके आरोह तथा अवरोह में क्रमशः शुद्ध व कोमल निषाद प्रयोग होता है। $ \qquad $ (सही /गलत)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. राग मालकौंस का वादी ___________ तथा संवादी ___________ होता है।

2. राग मालकौंस की जाति ___________ होती है।

3. ध़ ऩि स ___________ म ___________ म ग ___________ नि स।

4. ग म ___________ नि ___________ सं ___________ म ग स।

5. इस राग की जाति ___________ है।

सुमेलित कीजिए—

1) राग मालकौंस का थाट क) रात्रि का तीसरा प्रहर
2) कोमल स्वर ख) स ग म ध ध नि सं
3) गायन समय ग) औड्व-औड्व
4) आरोह घ) ग ध नि
5) अवरोह ड़) भैरवी
6) जाति च) सं नि ध म ग म म ग म

आइए, पाठयक्रम से हठकर कुछ भिन्न बातों पर भी चर्चा करें-

1. राग मालकौंस में गाए गए कुछ भजनों का संकलन कीजिए। खुद गाकर रिकॉर्ड कीजिए और कक्षा में सुनाइए।

2. राग मालकौंस पर कोई धुन बजाइए और बताइए कि जब वह धुन गाते या बजाते हैं तो क्या अंतर होता है।

राग काफी

राण लिवरण

यह राग काफी थाट से उत्पन्न होता है। इसमें गांधार व निषाद कोमल तथा शेष सब स्वर शुद्ध लगते हैं। किंतु कभी-कभी शुद्ध गांधार एवं शुद्ध निषाद का अल्प प्रयोग सौंदर्यवर्धन के लिए भी किया जाता है। इसका वादी स्वर पंचम व संवादी स्वर षड्ज है। कुछ गुणीजन गांधार और निषाद का संवाद मानते हैं। इस राग की जाति संपूर्ण-संपूर्ण है। गायन-समय मध्य रात्रि का माना जाता है। कोई-कोई इसका गायन समय साँयकाल भी मानते हैं। सर्वसाधारण में यह राग लोकप्रिय है। इसके आरोह में तीव्र गांधार और तीव्र निषाद अनेक बार लगाए हुए दिखाई देते हैं। इन स्वरों के उचित प्रयोग से इस राग का वैचित्य बढ़ता है। किंतु यह ध्यान रखना चाहिए कि तीव्र ग और तीव्र नि इस राग के नियमित स्वर नहीं हैं। कभी-कभी क्वचित कोमल धैवत लेकर भी समझदार गायक राग-हानि नहीं होने देते, किंतु यह प्रयोग गायक की कुशलता पर निर्भर है। इस राग की विशेषता सा, ग, प, नि, स्वरों में है। साधारण श्रोतागण ‘सासा, रेरे, ग ग, म म, प’ विशिष्ट स्वर-समुदाय से तत्कालीन ही इस राग को पहचान लेते हैं। इस राग में ठुमरी, दादरा और होरी गाने का प्रचलन है।

मुख्य बिंदु

थाट $-$ काफी

जाति $-$ संपूर्ण-संपूर्ण

स्वर $-$ गु, नि, कोमल-शेष स्वर शुद्ध

वादी $—$ पंचम

संवादी $—$ षड्ज

समय $-$ म मध्य रात्रि

आरोह $—$ सा रे, गु, म, प, ध नि सां

अवरोह $—$ सां नि ध, प, म ग, रे, सा

पकड़ $-$ सा सा, रे रे, ग ग, म म, प

स्वर विस्तार $—$ स रे ग म प ध नि ध प म ग स। स नि धि प़ म प़ ध नि ध प़ म प़
$ \qquad $ $ \qquad $ ध नि स रे ग म प म ग रे स। स स रे रे ग ग म म प प म ग म प ध नि ध प म ग
$ \qquad $ $ \qquad $ रे स। स, नि स रे ग म प, ग म प ध नि सं प सं नि ध प म प ध नि सं रें ग मं पं
$ \qquad $ $ \qquad $ मं ग रें स नि ध प म ग रे प म ग रे स ऩि स रे ग म प म ग रे स।

काफी

ताल- रिताल

गायन शैली— छोटा ख्याल

शब्द

स्थायी— कदर पिया नैया मोरि कैसे लागे पार, तू खेवट अनाड़ी हूँ ठाड़ि मझधार

अंतरा- ना मोरे नैया ना रे खिवैया आन पड़ी मझधार कदर पिया नैया मोरि कैसे लागे पार

काफी

ताल- त्रिताल

गायन शैली— छोटा ख्याल

शब्द

स्थायी— जिन डारो रंग मानो गिरीधारी मोरी बात, जिन डारो रंग मानो गिरधारी, अब सास सुनेगी देगी गारी हम हारी

अंतरा 1- डमक डमक डमरू गत बाजत मत संगीत बिचारी ततकारी

अंतरा 2- हर रंग कहाकहुँ अब मैं तो सोऽ अनगिन देऊँ में गारी दे दे तारी

काफी

ताल- त्रिताल मध्य लय

गायन शैली— छोटा ख्याल . कलाई कैसे तुम कैसे तुम निडर लाल मग रोकत पराई छाँड़ो

शब्द

स्थायी— छाँड़ो-छाँड़ो छैला मोरे बैंयाँ दुखत मोरि नरम

अंतरा— कैसे तुम महाराज आवत न तोको लाज जानो ना कस को राज पकड़ म मागावे वाकी फिरत दुहाई छाँड़ो

काफी

ताल- तीनताल

गत- मसीतरवानी

काफी

ताल- तीनताल

गत- रज़ाखवानी

अभ्यास

इस राग के बारे में आप पढ़ चुके हैं। आइए, नीचे लिखे प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करें-

1. राग काफी किस थाट के अंतर्गत आता है?

2. राग काफी पर आधारित होरी गाने वाले कलाकारों से बातचीत करके या यूटूयूब आदि से अन्वेषण कर ‘होरी’ के शब्दों और स्वर समूह पर विचार करें।

3. क्या राग काफी में दोनों निषाद का प्रयोग होता है?

4. राग काफी में किस प्रकार की शैलियों की रचनाएँ गाई जाती हैं?

5. राग काफी पर आधारित कोई दो फिल्मी गीत लिखिए तथा उस गीत के कलाकारों के बारे में भी लिखिए।

6. राग काफी पर आधारित कोई एक श्लोक लिखिए तथा राग के मुख्य लक्षण बताइए।

7. राग काफी पर आधारित कोई एक बंदिश की स्वरलिपि लिखिए।

8. किन्हीं दो प्रसिद्ध गीतकार और संगीतकारों का योगदान बताइए जिन्होंने राग ‘काफी’ में कुछ रचनाएँ बनाई हों।

सही या गलत बताइए-

1. राग काफी आश्रय राग की श्रेणी में नहीं आता है। $ \qquad $ (सही/गलत)

2. इसके आरोह में निषाद वर्जित स्वर होता है। $ \qquad $ (सही/गलत)

3. इस राग की जाति षाड्व संपूर्ण होती है। $ \qquad $ (सही/गलत)

4. इसके आरोह तथा अवरोह में क्रमशः शुद्ध व कोमल गंधार प्रयोग होता है। $ \qquad $ (सही/गलत)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. राग काफी का वादी _____________ तथा संवादी _____________ होता है।

2. राग काफी की जाति _____________ होती है।

3. इस राग को गाने का समय _____________ है।

4. इसका पकड़ स स _____________ ग ग म म _____________ हैं।

5. इस राग में _____________ , दादरा, _____________ , गाई जाती है।

सुमेलित कीजिए—

1. राग काफी का थाट (क) मध्य रात्रि
2. कोमल स्वर (ख) सा रे ग म प ध नि सां
3. गायन समय (ग) कदर पिया नैया
4. आरोह (घ) ग नि
5. अवरोह (ङ) काफी
6. बंदिश के बोल (च) सां नि ध प म ग रे सा

आइए, पाठ्यक्रम से हठकर कुछ भिन्न बातों पर भी चर्चा करें-

1. सुप्रसिद्ध कलाकार गिरिजा देवी एवं सिद्धेश्वरी देवी की राग काफी पर गाई हुईं रचनाएँ सुनकर परियोजना बनाएइए।

2. उक्त रचनाओं में अधिकांशत: किस तरह के स्वर समूह, ताल इत्यादि का प्रयोग किया गया है।

राग शुद्ध सारंग

राग लिवरण

इस राग को कल्याण थाटजन्य माना जाता है। इसमें ऋषभ वादी और पंचम संवादी लगते हैं। गायन समय मध्याह्न काल है। आरोह में ग-ध और अवरोह में केवल गांधार वर्ज्य होने से इसकी जाति औड्व-षाड्व है। दोनों मध्यम और शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किए जाते हैं। इसके आरोह में तीव्र और अवरोह में शुद्ध म प्रयोग किया जाता है। कभी-कभी दोनों मध्यम एक साथ प्रयोग करते हैं, जैसे— रे मे म रे, सा नि। आरोह में ऋषभ पर शुद्ध मध्यम का कण लेकर तीव्र मध्यम पर जाते हैं। उदाहरणार्थ आरोह देखिए। यह गंभीर प्रकृति का राग है। इसका चलन विशेषकर मंद्र और मध्य सप्तकों में होता है। स्वयं नाम से स्पष्ट है कि यह सारंग का एक प्रकार है।

मुख्य बिंदु

थाट $—$ कल्याण

जाति $—$ औड्व-षाड्व

स्वर $—$ दोनों मध्यम तथा शेष स्वर शुद्ध

वादी $—$ ऋषभ

संवादी $—$ पंचम

समय $—$ मध्याह्न काल

राग-शुद्ध सारंग (रचनाकार- उँ वासिफुछ्छीन डागर)

ताल- चौताल

गायन शैली— ध्रुपद

शब्द

स्थायी— आज तो बधाई भई, भवन-भवन बाज रही, महाराजा दशरथ घर प्रगटे सुखधाम धाम

अंतरा— रनवासी अति आनंद निरख बदन अवध चंद्र पुनि-पुनि उड़ी लावत सुख पावत सब धाम

राग शुद्ध सारंग

ताल- विलंबित एकताल

गायन शैली— बड़ा ख्याल श्याम रूप अनुरागी

शब्द

स्थायी— तुम तो बड़े बिरागी हम तो निपट अनाड़ी ग्वालिन

अंतरा— जेहिं उन सन होवे नैनो से नैना तेंहि मग्न हिया में तीर लागी

राग शुद्ध सारंग

ताल- तीनताल

गायन शैली— छोटा ख्याल

शब्द

स्थायी— अब मोरी बात मान ले पिहरवा जाऊँ मैं तोपे वारी-वारी-वारी

अंतरा- प्रेम पिया हम से नहीं बोलत बिनति करत मैं तो हारी-हारी-हारी

राग शुद्ध सारंग

ताल- त्रिताल

गायन शैली— छोटा ख्याल

शब्द

स्थायी— मान-मान हमरी कहि बतियाँ मोहन रसिया तुम बिन तरसत मीन सलिल बिन गोकुल सखियाँ

अंतरा- अति कठोर चित नंद कुंवारो कछु ना कहत है कोमल मनवा खेलन खेलो ऐसो सुन्दरवा

शुद्ध सारंग

ताल— तीनताल

गत- मसीतरवानी

शुद्ध सारंग

ताल- तीनताल

गत- रज़ाखानी

अभ्यास

इस राग के बारे में आप पढ़ चुके हैं। आइए, नीचे लिखे प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करें-

1. राग शुद्ध सारंग किस थाट के अंतर्गत आता है?

2. राग शुद्ध सारंग का गायन समय बताइए।

3. क्या राग शुद्ध सारंग के आरोह में ‘शुद्ध म’ का प्रयोग होता है?

4. राग शुद्ध सारंग में मध्यम के प्रयोग का विवेचनात्मक लेख लिखिए।

5. छह पंक्तियों में राग शुद्ध सारंग का आलाप लिखिए।

6. राग शुद्ध सारंग पर आधारित कोई एक श्लोक लिखिए तथा राग के मुख्य लक्षण बताइए।

7. राग शुद्ध सारंग पर आधारित किसी एक बंदिश की स्वरलिपि लिखिए।

8. इस राग में पाँच तानें लिखिए।

सही या गलत बताइए-

1. राग शुद्ध सारंग आश्रय राग की श्रेणी में नहीं आता है। $ \qquad $ (सही/गलत)

2. इसके आरोह में पंचम वर्जित स्वर होता है। $ \qquad $ (सही/गलत)

3. इस राग की जाति षाड्व संपूर्ण होती है। $ \qquad $ (सही/गलत)

4. इस राग का गायन समय दिन का तीसरा प्रहर है। $ \qquad $ (सही/गलत)

5. इसके आरोह तथा अवरोह में क्रमशः शुद्ध व कोमल गंधार का प्रयोग होता है। $ \qquad $ (सही/गलत)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. राग शुद्ध सारंग का वादी ___________ तथा संवादी ___________ होता है।

2. राग शुद्ध सारंग की जाति ___________ होती है।

3. नि स रे _____________ प म प _____________ रे मरे ___________ स।

4. रे मे ___________ म रे मे प ___________ ध प म प नि ___________

5. राग शुद्ध सारंग का पकड़ ___________ है।

सुमेलित कीजिए-

1. राग शुद्ध सारंग का थाट (क) मध्याह्न
2. मध्यम स्वर (ख) नि स म रे मे प ध नि सां
3. गायन समय (ग) शुद्ध एवं तीव्र
4. आरोह (घ) रे ग ध नि
5. अवरोह (ङ) कल्याण
6. वादी (च) सां नि ध प म प म मे नि स

आइए, पाठ्यक्रम से हढकर कुछ भिन्न बातों पर भी चर्चा करें-

1. यूट्यूब या किसी अन्य माध्यम से राग ‘शुद्ध सारंग’ में बजाए गए विभिन्न कलाकारों का वादन सुनें। उन कलाकारों द्वारा बजाए गए स्वर समूहों को पहचानें तथा उन्हें गाएँ एवं लिखें।



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