अध्याय 14 निगमित संर्रेषण तथा जनसंपर्क

प्रस्तावना

प्रत्येक विचार, तथ्य अथवा सम्मति गतिहीन होती है, जब तक उसे संप्रेषित न किया जाए या समझा न जाए। जानकारी के बल पर चलने वाले आज के समाज में यह बार-बार स्वीकार किया गया है कि संप्रेषण का महत्त्व रोटी, कपड़ा और मकान जैसा है। इस अध्याय में हम संप्रेषण पर विचार करेंगे, क्योंकि यह संगठनों और व्यापारिक संस्थानों से संबंधित है। निगमित संत्रेषण को प्रबंधन के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में माना जाता है। इसे विकसित होने में वर्षों का समय लगा है।

निगमित संत्रेषण को सभी आंतरिक और बाह्य संत्रेषणों के प्रबंधन और संगठन में सम्मिलित गतिविधियों के समूह के रूप में वर्णित किया गया है, जिनका डिज़ाइन अनुकूल प्रांरभिक बिंदुओं के सृजन के लिए बनाया जाता है।

निगमित संत्रेषण किसी भी संगठन में विविध प्रकार के विशेषज्ञों और संवाददाताओं द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित होता है। यह लोगों, संगठन की प्रक्रियाओं, लोगों की गतिविधियों और संचार माध्यमों से संबंधित है।

महत्त्व

किसी संगठन की सफलता का प्रमुख आधार जनता का बोध होता है। संगठन के बारे में जनसाधारण, प्रतिद्धंदी तथा कर्मचारीगण जो धारणा रखते हैं, वही उसकी प्रतिष्ठा, उसकी स्थिति और अंततः उसकी सफलता को परिभाषित करती है। निगमित संग्रेषण का प्राथमिक उद्देश्य अपने सभी साझेदारों के समक्ष अपना दृष्टिकोण (सच्चा अथवा अन्य प्रकार का) स्थापित करना है। निगमित संर्रेषण का महत्वपूर्ण उद्देश्य है, ‘विश्व आपको किस रूप में देखता है, इसका नियंत्रण करना।’ उदाहरण के लिए संकट के समय, यह महत्वपूर्ण नहीं कि वास्तव में क्या हुआ, महत्वपूर्ण है कि जनता और कर्मचारियों की संकट के बारे में समझ तथा संगठन द्वारा उसका सामना कैसे किया गया है। यही संगठन के प्रति उसकी प्रतिक्रिया निर्धारित करेगा। यदि कंपनी स्वंय को स्थिर, प्रतिष्ठित और शांत रूप में प्रस्तुत नहीं करती और आक्रामक व्यवहार दर्शाती है तो उसके साझेदार प्रश्न उठा सकते हैं।

कंपनी का भविष्य जनता के मूल्यांकन से प्रभावित होता है कि क्या आक्रामक व्यवहार आवश्यक था या नहीं। निगमित संर्रेषण दल के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस प्रकार के व्यवहार के प्रति साझेदारों की प्रतिक्रिया कैसी होगी। उन्हें प्रेस विज्ञप्तियों, संवाद पत्रों, विज्ञापनों और संत्रेषण के अन्य माध्यमों द्वारा सुनिश्चित करना होगा कि जनता वही जानकारी प्राप्त करे जो संगठन उन्हें देना चाहता है।

जनसंपर्क किसी भी संगठन का महत्वपूर्ण प्रकार्य या गतिविधि है, अतः इसका दायित्व किसी प्रभावी और अनुभवी अधिकारी को सौंपना चाहिए। प्रत्येक जनसंपर्क कार्यक्रम के उद्देश्य, नीति और योजना भिन्न हो सकती है। उदाहरण के लिए कंपनी की सकारात्मक छवि सृजित करना, कंपनी के संकट को निपटाना, कर्मचारियों को प्रेरित करना, किसी उत्पाद के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न करना, उत्पाद का विज्ञापन करना और किसी घटना की पूर्व सूचना देना। जनसंपर्क ऊपर वर्णित प्रत्येक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विभिन्न योजनाएँ बनाता है। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं- किसी भी कार्यक्रम से पहले पत्रकार सम्मेलन, प्रेस विज्ञाप्ति पार्टी व स्नेह मिलन आदि। जनसंपर्क तथा विज्ञापन और संचार माध्यम परस्पर संबंधित हैं, अतः इनके कुछ लक्षण और गतिविधियाँ समान हो सकती हैं।

मूलभूत संकल्पनाएँ

निगमित संत्रेषण — निगमित संप्रेषण स्थानीय और वैश्विक स्तर पर कर्मचारियों, उपभोक्ताओं, नियोजकों तथा अन्य व्यक्तियों के साथ संत्रेषण का सक्षम और प्रभावी मार्ग है। कर्मचारियों की उत्पादकता और लोगों के सशक्तिकरण की आवश्यकता के लिए प्रंबधकों का मुख्य सरोकार निगमित संप्रेषण दल के उपयोग से संबंधित होता है, परंतु अकसर जिसकी आवश्यकता होती है वह सभी की सर्वसाधारण आवश्यकता अर्थात संत्रेषण है। इसे निम्नलिखित अध्ययन द्वारा दर्शाया गया है-

वर्ष 1990 के एक अध्ययन के दौरान जब औद्योगिक अभियंताओं के एक समूह से पूछा गया कि उत्पादकता को कैसे बेहतर किया जा सकता है तो सर्वेक्षण के प्रत्येक प्रश्न के उत्तर में संप्रेषण का मुद्ा मुख्य रूप से उभरकर आया। 88 प्रतिशत से अधिक अभियंताओं की दृढ़ मान्यता थी कि संत्रेषण और व्यापार के विभिन्न घटकों में समन्वयन की कमी से उत्पादकता में कमी आती है ( ‘पी और क्यू सर्वेक्षण’ 1990)।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी.ई.ओ.) भी संप्रेषण के महत्त्व को पहचानते हैं। ए फ़ॉस्टर हिगिंस एंड कंपनी ने जो कि कर्मचारी हितों के लिए परामर्श देने वाली फर्म है, अपने अध्ययन में पाया कि संर्वेक्षण किए गए 97 प्रतिशत मुख्य कार्यकारी अधिकारियों का मानना है कि कर्मचारियों के साथ संप्रेषण करने से रोज़गार तुष्टि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त 79 प्रतिशत का सोचना है कि संप्रेषण से कनिष्ठ कर्मचारी को लाभ पहुँचता है। आश्चर्यजनक यह था कि इसके बावजूद केवल 22 प्रतिशत ही सप्ताह में एक या अधिक बार कर्मचारियों के साथ संप्रेषण करते हैं (फार्नहाम 1989)।

जनसंपर्क

जनसंपर्क एक कला भी है और विज्ञान भी। इसमें कला का सौंदर्य और भावात्मकता तथा विज्ञान की पद्धति है। यह भिन्न लोगों के लिए भिन्न अर्थ वाला हो सकता है। यद्यपि भारत और पूरे विश्व में ही इसका उद्भव हाल ही में हुआ है, पर इसका उपयोग सरकार, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों तथा अन्य संस्थानों में हो रहा है। जनसंपर्क तकनीकें, पद्धतियाँ और प्रथाएँ, संस्था अनुसार परिवर्तित होती हैं।

आर्थर डब्ल्यू. पेज के अनुसार ‘जन अनुमोदन प्राप्त करने का आधारभूत तरीका है कि उसके योग्य बनो’।

जनसंपर्क की निम्नलिखित परिभाषाओं से आपको इसकी प्रकृति और कार्य क्षेत्र का कुछ अनुमान होगा-

‘जनसाधारण के दो समूहों के बीच संबंधों और संपर्कों के बंध स्थापित करना।’

‘किसी संगठन और उसके लोगों के बीच आपसी समझ स्थापित करने और उसे बनाए रखने के लिए विवेकशील, सुनियोजित और दीर्घकालिक प्रयास करना।'

‘किसी गतिविधि, कारण, आंदोलन, संस्थान, उत्पाद या सेवा प्राप्त करने के लिए जानकारी, अनुनय, समायोजन और संपर्कों द्वारा प्रयास जनसंपर्क कहलाता है।'

किसी भी पेशे में आचार संहिता नीति अत्यंत आवश्यक होती है। जनसंपर्क व्यावसायिक इस आवश्यकता के अपवाद नहीं हैं। उन्हें आने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी या ज्ञान होता है, परंतु इस जानकारी के व्यावसायीकरण के दबाव या प्रलोभन से हर कीमत पर बचना चाहिए। अपने ग्राहक या कर्मचारियों के हितों के लिए काम करते हुए जनसंपर्क व्यावसायिकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि वे आचार संहिता नीति और आचार संहिता का पालन कर रहे हैं, जिससे कि उन पर सट्टेबाज या जोड़-तोड़ करने वालों का लेबल न लगे।

निगमित संप्रेषण प्राथमिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सृजित करता है-

  • सकारात्मक और अनुकूल सार्वजनिक ज्ञान
  • संत्रेषण के प्रभावी और कार्यकुशल मार्ग
  • प्रबल निगमित संस्कृति,निगमित पहचान और निगमित दर्शन
  • निगमित नागरिकता की वास्तविक समझ

निगमित संप्रेषण के प्रकार्य

निगमित संत्रेषण एक स्वस्थ संगठनात्मक परिवेश का निर्माण करता है। किसी भी संगठन/संस्थान में कर्मचारियों, साझेदारों, संचार माध्यमों और ग्राहकों में जानकारी साझा करने के अतिरिक्त विशेषज्ञों और सामान्य जानकारी रखने वाले व्यक्तियों को विभिन्न प्रकार के लोगों में जानकारी का प्रसार करना होता है। निगमित संर्रेषण ब्रांड का सृजन और रख-रखाव करता है और संगठन की प्रतिष्ठा का भी ध्यान रखता है। यह कंपनी के ब्रांड को संगठन के भीतर और बाहर दर्शाता है, अतः निगमित संप्रेषण का प्रक्रम संगठन और बाहरी संस्थाओं के मध्य संपर्क सुनिश्चित करता है। आजकल इसका उपयोग एक सकारात्मक निगमित छवि प्रदर्शित करने, साझेदारों के साथ मज़बूत संबंध निर्मित करने, जनता को नए उत्पाद और उपलव्धियों की जानकारी देने के लिए जन-संपर्क साधन के रूप में किया जाता है। साझेदारों के साथ मधुर और स्वीकारात्मक संबंध,एक सकारात्मक निगमित छवि बनाए रखने में मदद करता है। चाहे वह निगमित संस्था, कंपनी, संगठन, संस्थान, गैर-सरकारी संगठन अथवा एक सरकारी प्रतिष्ठान हो — सभी को सम्मानजनक छवि और प्रतिष्ठा की आवश्यकता होती है। प्रतिस्पर्धा में वृद्धि, जानकारी की उपलब्धता और संचार माध्यमों की बहुलता

ने अधिकांश संगठनों के लिए “प्रतिष्ठा प्रबंधन” को प्राथमिक बना दिया है। इसे निगमित संग्रेषकों द्वारा व्यावसायिक तरीके से संभाला जाता है। संकट नियंत्रण के लिए कार्य करना, वैश्विक संत्रेषण और समझ के लिए विवेकपूर्ण दृष्टिकोण बनाना और जटिल संप्रेषण साधनों और प्रौद्योगिकियों को उपयोग में लाना, निगमित संप्रेषण के महत्वपूर्ण प्रकार्य हैं।

जनसंपर्क के प्रकार्य

निगमित जनसंपर्क विभाग और जनसंपर्क एजेंसियों द्वारा किए जाने वाले प्रकार्यों में से बहुत से प्रकार्य एक जैसे होते हैं। नीचे इनके अधिकांश समान प्रकार्य दिए जा रहे हैं-

1. जनसंपर्क नीति — निगमित जनसंपर्क नीति को विकसित और अनुशासित करना और इसे शीर्ष प्रबंधकों और सभी विभागों के साथ साझा करना। जनसंपर्क एजेंसियाँ भी यही कार्य करती हैं।

2. वक्तव्य और प्रेस विज्ञप्तियाँ— जनसंपर्क कार्मिकों द्वारा निगमित वक्तव्य, प्रेस विज्ञप्तियाँ और अधिकारियों के भाषण आदि तैयार किए जाते हैं। इस प्रक्रम में वे कंपनी, उत्पाद या नीतियों की सकारात्मक छवि को निर्मित और प्रस्तुत करते हैं।

3. प्रचार करना — संचार माध्यमों और समुदायों को कंपनी की गतिविधियों और उत्पादों संबंधी घोषणाएँ प्रेषित करना । प्रोत्साहन अभियानों की योजनाएँ बनाकर संचार माध्यमों द्वारा उनका प्रचार करना भी एक अत्यावश्यक प्रकार्य है। व्यापक रूप से प्रेस और लोगों की पूछताछ का उत्तर देना भी इसका एक प्रकार्य है।

4. संबंध बनाना—जनसंपर्क कार्मिकों से अपेक्षा की जाती है कि वे सरकारी इकाइयों के साथ स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर संबंध बनाएँ। उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे समाज के साथ “अच्छे पड़ोसियों”, जैसे संबंध बनाएँ। इसमें पर्यावरण संरक्षण मानकों का अनुपालन, स्थानीय लोगों को रोज़गार के अवसर देना, इलाके के विकास कार्यक्रमों में सहयोग करना और भाग

लेना आदि शामिल हैं। कंपनी, साझेदारों और अन्य निवेशकों के मध्य संप्रेषण और संबंध बनाए रखना भी एक महत्वपूर्ण प्रकार्य है। कभी-कभी जनसंपर्क एजेंसियों को वार्षिक/त्रैमासिक रिपोर्ट भी तैयार करनी पड़ सकती है और साझेदारों के साथ बैठकर योजनाएँ भी तैयार करनी पड़ सकती हैं।

5. प्रकाशन — कभी-कभी जनसंपर्क एजेंसियों को संस्थानिक पत्रिकाएँ तैयार करने और प्रकाशित करने का काम भी करना होता है।

जनसंपर्क गतिविधियों के प्रमुख क्षेत्र

1. प्रेस से संबंध-जनसंपर्क व्यक्तियों को प्रेस के सभी स्तरों अर्थात् संपादक से संवाददाता तक, मधुर संबंध रखने होते हैं। प्रेस और जनसंपर्क दोनों अपनी रोजी-रोटी के लिए एक-दूसरे पर निर्भर हैं। अच्छी लिखी हुई और सही समय पर प्रेस विज्ञात्तियाँ उपलब्ध कराना, संवाददाता को उनके लेख लिखने में मदद करना, आसान उपलब्धता, प्रेस की आलोचना से दूर रहना, पक्षपात और कुछ पत्रों का अनुचित पक्ष लेने से बचना, प्रेस संबंधों की कुछ विशेषताएँ हैं। जनसंपर्क कर्मी को संगठन के उत्पाद या सेवाओं की जानकारी के प्रसार के समय संगठन की संस्कृति को सामने लाना चाहिए। पत्रकारों को व्यापार में बने रहने के लिए समाचार चाहिए और जनसंपर्क को प्रचार चाहिए। इस प्रकार दोनों के मध्य लेन-देन रहता है। जनसंपर्क और प्रेस की इस अंतर निर्भरता को समझना चाहिए।

2. विज्ञापन देना — एक उत्पाद स्वयं के गुणों के आधार पर नहीं बिकता, इसका विज्ञापन करना पड़ता है। विज्ञापन करने का उद्देश्य जानकारी फैलाना, लोगों को उत्पाद के उपभोग के लिए राजी करना या प्रभावित करना हो सकता है। विज्ञापन देने के लिए बहुत से संचार माध्यम हैं, जैसे - समाचार-पत्र, रेडियो, टी.वी. और कई अन्य। सामान्यतः जनसंपर्क व्यक्ति विज्ञापन के लिए बजट और माध्यम तय करते हैं।

3. प्रकाशन — विवरणिकाएँ, फ़ोल्डर, प्रचार पुस्तिका (पैम्फ़्लेट) परिपत्र, संस्थानिक पत्रिकाएँ और इसी प्रकार की सामग्री को प्रकाशित करने का दायित्व जनसंपर्क विभाग का होता है। सामग्री तैयार करते समय सरलता, स्पष्टता, लागत, संगठन की सही छवि और उसके आकर्षक होने का ध्यान रखना चाहिए।

4. अन्य संचार माध्यमों से समन्वयन — अन्य श्रन्य-दृश्य संचार माध्यमों, फ़िल्मों, प्रदर्शनियों, विज्ञापन पट्टों, कठपुतली और लोकगीतों का उपयोग जनसंपर्क विभाग के प्रचालनों के दायरे में आते हैं। अच्छी सार्वजनिक बातचीत और फ़ोन पर शिष्ट बातचीत भी संगठन की सकारात्मक छवि में योगदान दे सकती है, क्योंकि बोले गए शब्द अभी भी संत्रेषण के सबसे पुराने तरीकों में से एक हैं। उन्हें अन्य प्रचार माध्यमों जैसे - रेडियो और दूरदर्शन से भी अच्छे संबंध बनाए रखने होते हैं।

5. जनसंपर्क के संघटक-स्थानीय प्रेस के साथ-साथ जनससपर्क व्यक्तियों को स्थानीय समाज, वित्तीय विश्लेषकों, बैंक वालों, प्रमुख बड़े संस्थानों, शेयर धारकों और संभावित निवेशकों से भी संबंध बनाकर रखने होते हैं। आंतरिक जनसंपर्क गतिविधियों में अधिकारियों सहित सभी

कर्मचारियों और अन्य वरिष्ठ कार्मिकों से संबंध बनाए रखना शामिल है, जिससे जनसंपर्क कर्मी को सभी जानकारी मिलती है, इससे उसे संगठन में होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी रहती है।

जनसंपर्क के सात सिद्धांत

आर्थर पेज ने अपने दर्शन के क्रियान्वयन के माध्यम के रूप में जनसंपर्क के सात सिद्धांतों को अभ्यास में लिया—

1. सच बताइए — जनता को जानने दीजिए कि क्या हो रहा है और कंपनी के चरित्र, विचारों एवं प्रथाओं का यथार्थ चित्र प्रस्तुत कीजिए।

2. काम द्वारा सिद्ध कीजिए-संगठन के प्रति जनता की धारणा 90 प्रतिशत उससे बनती है जो वह करता है और 10 प्रतिशत उससे जो वह कहता है।

3. ग्राहकों की सुनिए-कंपनी को अच्छी सेवा देने के लिए यह समझना आवश्यक है कि जनता क्या चाहती है और उसकी क्या आवश्यकताएँ हैं। कंपनी के उत्पादों, नीतियों और प्रथाओं के बारे में मिली जन प्रतिक्रिया को शीर्ष निर्णयकर्ताओं और अन्य कर्मचारियों को सूचित करते रहिए।

4. आने वाले कल के लिए प्रबंध कीजिए — जनता की प्रतिक्रिया का पूर्वानुमान लगाइए और कठिनाई पैदा करने वाले तरीकों को हटा दीजिए। प्रतिष्ठा बनाइए।

5. जनसंपर्क को इस तरह संचालित कीजिए जैसे कि सारी कंपनी उस पर निर्भर करती है- निगमित संबंध एक प्रबंधन प्रकार्य है। किसी भी निगमित नीति को यह जाने बिना कि उसका जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा लागू नहीं करना चाहिए। जनसंपर्क व्यावसायिक एक नीति निर्माता होता है जो कि विविध प्रकार की निगमित संत्रेषण गतिविधियों को संभालने के योग्य होता है।

6. इसे समझें कि कंपनी का वास्तविक चरित्र उसके लोगों द्वारा प्रदर्शित होता है — एक कंपनी के बारे में सबसे सशक्त राय—अच्छी या बुरी—उसके कर्मचारियों के शब्दों और कार्यों से ही बनती है, परिणामस्वरूप प्रत्येक कर्मचारी — सक्रिय अथवा सेवानिवृत्त—-जनसंपर्क में शामिल होता है। निगमित संर्रेषण का उत्तरदायित्व है कि प्रत्येक कर्मचारी की क्षमता को बढ़ाएँ और ग्राहकों मित्रों, साझेदारों और सार्वजनिक अधिकारियों के प्रति ईमानदार, ज्ञानवान दूत बने।

7. शांत, धैर्यवान और प्रसन्नचित्त रहिए — जानकारी और जनसंपर्कों के दृढ़ और तार्किक ध्यान के साथ अच्छे जनसंपर्क के लिए आधार तैयार कीजिए। वर्तमान के विवादास्पद 24 -घंटे के समाचार चक्रों और भारी संख्या में निगरानी रखने वाले संगठनों के रहते यह कठिन हो सकता है, परंतु याद रखिए कि जब संकट खड़ा होता है तो ठंडे दिमाग वाले ही सर्वश्रेष्ठ संर्रेषण करते हैं।

निगमित संत्रेषण में दो प्रकार के संंर्रेषणों का अधिक उपयोग होता है। 1 आंतरिक संत्रेषण 2 बाह्य संत्रेषण

आंतरिक संत्रेषण — यह संप्रेषण संगठन के नियोक्ता और कर्मचारियों के मध्य होता है। यह किसी संगठन को बाँधे रखने, कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाने, पारदर्शिता को प्रोत्साहित करने और धीर–धीरे होने वाली क्षति को कम करने में एक महत्वपूर्ण साधन समझा जाता है। किसी कंपनी की अधिकांश आंतरिक समस्याओं का मूल कारण अप्रभावी संप्रेषण होता है।

आंतरिक संत्रेषण भिन्न दिशाओं में बहता है-ऊर्ध्वाधर, क्षैतिज, विकर्ष, संगठन के ढाँचे के आर-पार। आंतिरक संप्रेषण औपचारिक अथवा अनौपचारिक हो सकता है। यह नियोजन, निर्देशन समन्वयन, प्रेरणा इत्यादि जैसे प्रबंधकीय प्रकार्यों को करने में मदद करता है। व्यापक नीतियाँ और उद्देश्य प्रबंधन के शीर्ष से नीचे के स्तरों तक पहुँचते हैं। संदेश संप्रेषित करने के लिए लिखित और मौखिक दोनों संचार माध्यम उपयोग में लाए जाते हैं। लिखित संचार माध्यमों में निर्देश, आदेश, पत्र, ज्ञापन, संस्थानिक जर्नल, पोस्टर, बुलेटिन बोर्ड, सूचना रैक, पुस्तिकाएँ, नियमावलियाँ, गतिविधि रिपोर्ट आदि सम्मिलित हैं।

बाह्य संत्रेषण— यह संप्रेषण संगठन के सदस्यों और बाहरी दुनिया के बीच होता है। बाह्य संप्रेषण भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सकारात्मक छवि का सृजन करने, ब्रांड संरक्षण और जनसंपर्क बनाए रखने जैसे महत्वपूर्ण प्रकार्यों के योग्य बनाता है और इनमें वृद्धि करता है। वैश्विक समाज में बाह्य संप्रेषण विपणन में भी मदद करता है।

बाह्य संत्रेषण, संगठन के बाहर सरकार, उसके विभागों, ग्राहकों, वितरकों, अंतरनिगमित संस्थाओं, जनसाधारण इत्यादि को संदेश संत्रेषित करने से संबंधित है। बाह्य संत्रेषण जनता के साथ अच्छे संबंधों को प्रोत्साहित करता है। कुछ तथ्यों और जानकारियों का बाहरी व्यक्तियों के साथ साझा आदान-प्रदान किया जाना चाहिए। लिखित और मौखिक दोनों संचार माध्यमों का उपयोग किया जा सकता है। लिखित संचार माध्यमों में पत्र, ज्ञापन, संस्थानिक पत्रिकाएँ, पोस्टर, बुलेटिन, वार्षिक रिपोर्ट आदि सम्मिलित होते हैं।

संप्रेषण गतिविधियों के दो प्रमुख क्षेत्र हैं-

1. संदेश बनाना

2. संदेश संर्रेषित करना

संदेश बनाते समय अंग्रेज़ी के अक्षर $\mathrm{C}$ से प्रारंभ होने वाले संप्रेपण के सात शब्दों को ध्यान में रखना चाहिए-

1. संक्षिप्त (Conciseness) - यह सूचित किया जाना चाहिए कि संदेश संक्षिप्त हो, जिससे पाठकों का ध्यान आकर्षित किया जा सके।

2. मूर्तता (Concreteness) - संदेश ठोस होना चाहिए, जिसमें कही जाने वाली सब बातों का अर्थ हो, परंतु वह लंबाई में छोटा हो।

3. स्पष्टता (Clarity) — संदेश सदैव उपयुक्त और सुस्पष्ट अर्थ देने वाला होना चाहिए, जो विविधता उत्पन्न न करे और पाठक को उलझन में न डाले।

4. संपूर्ण (Completeness) - यह भी महत्वपूर्ण है कि संदेश पूर्ण अर्थ देने वाला हो तथा पाठक को पर्याप्त जानकारी दे सके।

5. शिष्टाचार (Courtesy) — अन्य महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि संदेश प्रेषक की शिष्ट अभिव्यक्ति पर बल देना चाहिए। उसे अपने पाठकों को समुचित सम्मान, शुभकामनाएँ तथा उनके हित की बातें करनी चाहिए।

6. परिशुद्धता (Correctness) - संदेश के सही होने की जाँच की जानी चाहिए और इसमें व्याकरण की कोई त्रुटि नहीं होनी चाहिए।

7. सोच-विचार (Consideration) — संदेश को पूरे सोच-विचार के साथ तैयार किया जाना चाहिए। इसमें अपनी अभिवृत्ति पर बल दें न कि ‘में’ और ‘हम’ जैसे शब्दों पर।

आवश्यक ज्ञान एवं कौशल

कौशल आपको एक बेहतर और प्रभावी संप्रेषक बनने में सक्षम बनाते हैं। ये आपको संदेशों को बनाने और सफलता पूर्वक संर्रेषित करने में सहायता करते हैं। श्रवण कौशल स्वयं सीखे जाते हैं, अंतर्वैयक्तिक कौशल, बातचीत के कौशल और संपर्क स्थापना कौशल, सफल और प्रभावी लोगों का अवलोकन करके सीख सकते हैं। प्रस्तुतीकरण कौशलों में सॉफ़्टवेयर-हार्डवेयर का उपयोग शामिल होता है, जिसमें औपचारिक प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार उच्चारण निष्प्रभावन, सार्वजनिक भाषण, टेलीफ़ोन शिष्टाचार, आधारभूत लेखन कौशल, निर्णय लेना और तनाव प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम होते हैं। समय प्रबंधन के लिए भी कुछ प्रशिक्षण की आवश्यकता हो सकती है। बहुत से कार्यप्रबंधक इसे अनुभव द्वारा भी विकसित कर लेते हैं।

1. श्रवण कौशल-श्रवण एक सक्रिय प्रक्रिया है, जिसके तीन भाग होते हैं। सुनना, समझना और प्रतिक्रिया। सुनना आपके शरीर का एक भौतिक पहलू हैं जिसमें ध्वनियों को ग्रहण करना और उनका अर्थ निकालना शामिल होता है। आप बातचीत के हिस्से के रूप में ये शब्द सुन सकते हैं। सुनना,ध्यान से सुनने से भिन्न है और यह कौशल का पहला भाग है। समझना वह है जहाँ आपका मस्तिष्क आप द्वारा सुने गए शब्दों का प्रक्रमण करके पूरी बातचीत के संदर्भ में उनके अर्थ निकालता है। इस स्तर पर आपको जानकारी संप्रेषित होती है। आपने जो सुना उसे आप समझ लेते हैं, तो आखिरी भाग प्रतिक्रिया या उत्तर देना होता है। बातचीत में प्रतिक्रिया करना प्रदर्शित करता है कि जो कहा गया आपने उसे सुना है और आप वक्ता के उद्देश्य को समझते हैं। प्रतिक्रिया में आप द्वारा समझी गई जानकारी पर क्रिया करने हेतु निर्णय लेना और संभवतः अपने विचार या टिप्पणियों के साथ उत्तर देना सम्मिलित हो सकता है।

2. अंतर्वैयक्तिक कौशल-अंतर्वैयक्तिक कौशल किसी व्यक्ति की व्यापारिक संगठनों के अंदर सामाजिक संत्रेषण और बातचीत द्वारा संचालन करने की योग्यता का माप है। ये ऐसे कौशल हैं, जिन्हें व्यक्ति अन्य लोगों के साथ पारस्परिक क्रिया के लिए उपयोग में लाता है। सकारात्मक अंतर्वैयक्तिक कौशल होने से प्रतिष्ठान की उत्पादकता बढ़ जाती है, क्योंकि द्वंद कम हो जाते हैं। औपचारिक परिस्थितियों में, यह संग्रेषण को सरल और सुविधाजनक बनाता है। अच्छी अंतर्वैयक्तिक कौशलों वाले लोग सामान्यतः उन भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं, जो कठिन परिस्थितियों में उत्पन्न होती हैं। वे भावुक होकर दुखी होने के बजाय सही तरीके से प्रतिक्रिया करते हैं।

3. समझौते के कौशल -समझौते की प्रक्रिया वह है, जिसमें किसी मुद्दे या सौदे के संदर्भ में दोनों पक्षों में कुछ बिंदुओं पर असहमति होती है। समझौते द्वारा प्रत्येक पक्ष दूसरे को मनाने का प्रयास करता है। याँ सामान्यतः उससे अधिक मुद्दे और तथ्य होंगे, जिनका ऐसे सौदे में उपयोग किया जा सकता है, दोनों पक्ष इसके लिए पूरी तरह तैयार होने चाहिए। अच्छे समझौते द्वारा यह संभव है कि दोनों पक्ष एक सुखद सौदे पर पहुँच जाएँ। यदि ठीक से होता है तो प्रत्येक समझौता एक-दूसरे के साथ रियायत के साथ व्यापार करने वाला होगा। अच्छे समझौते करने वालों को बैठक से पहले सभी संभावित परिवर्ती कारकों पर विचार कर लेना चाहिए, यह गणना या आकलन करना चाहिए कि

प्रत्येक परिवर्ती पर कितनी लागत आएगी और उसके बाद यह निर्णय लेना चाहिए कि समझौता न होने पर वह किस परिवर्ती कारक का उपयोग करना पसंद करेगा/करेगी और अन्य लोग किसके लिए तैयार होंगे।

4. प्रस्तुतीकरण कौशल —्यह कौशल विचारों और जानकारी को संप्रेषित करने में प्रयुक्त होता है। प्रस्तुतीकरण में वक्ता का व्यक्तित्व सामने आता है और यह सभी भागीदारों के बीच तुरंत पारस्परिक संवाद करने की अनुमति देता है। एक अच्छे प्रस्तुतीकरण में सम्मिलित हैं- विषय-वस्तु, रूपरेखा, पैकेजिंग और मानवीय तत्व। विषय-वस्तु में वह जानकारी होती है जिसकी लोगों को आवश्यकता होती है। जानकारी उतनी होनी चाहिए, जितनी एक बैठक में श्रोता ग्रहण कर सकें। रूपरेखा में एक औचित्यपूर्ण प्रारंभ, बीच का भाग और अंत होना चाहिए। यह क्रम से व्यवस्थित होना चाहिए ताकि श्रोता इसे समझ सकें। प्रस्तुतकर्ता को ध्यान रखना चाहिए कि वह श्रोताओं का ध्यानाकर्षित कर सके। पैकेजिंग का अर्थ विषय-वस्तु के सही उपयोग से है। प्रस्तुतीकरण कौशलों में सॉफ़्टवेयर, सॉफ़्टवेयर के प्रयोग के साथ पी.पी.टी. (पावर प्वाइंट टेक्नोलॉजी) जैसी प्रौद्योगिकियों के उपयोग की बहुत गुंजाइश है।

5. मानवीय तत्व — एक अच्छा प्रस्तुतीकरण याद रखा जाता है, क्योंकि उसके साथ एक व्यक्ति जुड़ा होता है। आपको फिर भी श्रोताओं की आवश्यकताओं का विश्लेषण करने और एक उपागम का चयन करने की जरूरत है। उदाहरण के लिए बहुत से दफ़्तरों में कर्मचारियों के जन्मदिवसों अथवा अन्य अवसरों पर कार्ड भेजे जाते हैं। कार्ड के साथ यदि वरिष्ठ व्यक्ति उन्हें व्यक्तिगत रूप से बधाई देते हैं तो उन्हें बहुत अच्छा लगता है।

6. तालमेल स्थापित करना — " “तालमेल किसी संबंध में विश्वास और सामंजस्य को स्थापित करना है।” अन्य लोगों का समर्थन और सहयोग प्राप्त करने की कला का यह एक मुख्य तत्व है। संप्रेषण का 93 प्रतिशत आपके हावभाव और बात करने के ढंग से (तुल्यरूप संं्रेषण) संप्रेषित होता है। संदेश का केवल 7 प्रतिशत भाग ही शब्दों (अंकीय संप्रेषण) द्वारा पहुँचाया जाता है। संप्रेषण के चेतन और अचेतन दोनों स्तरों पर कार्य करने की योग्यता विकसित कर, आप सीखेंगे कि कैसे कम अवधि में भी किसी के साथ गहन संपर्क, विश्वास और सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है। हममें से अधिकांश एक विशेष प्रकार के लोगों के साथ संपर्क बना पाते हैं, परंतु विशेषज्ञ संत्रेषक में व्यापक श्रेणी के लोगों के साथ संपर्क स्थापित करने की क्षमता होती है।

7. प्रभावी निर्णय लेना — निणर्य लेना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है साथ ही, प्रत्येक सफल व्यक्ति के पास यह कौशल होना ज़रूरी है। निर्णय लेने में मानवीय और भौतिक तत्त्व सम्मिलित होते हैं। इन सभी घटकों का आकलन या वरीयता निर्धारित कर, परिणाम का पूर्वानुमान लगाकर सभी संबंधित पक्षों के अधिकतम हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने चाहिए। उदाहरण के लिए विद्यार्थियों के रूप में आपको कुछ जेब खर्च मिलता है। इसको खर्च करने के बहुत से विकल्प होते हैं, जैसे खाद्य पदार्थ, सिनेमा, मित्रोंपरिवार के सदस्यों के लिए उपहार, अध्ययन सामग्री की फ़ोटो कॉपी करवाना इत्यादि। आप स्वयं की संतुष्टि के लिए और अपनी आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए

इसे किस प्रकार खर्च करते हैं, यह आपके निर्णय लेने के कौशल पर निर्भर करेगा। आपके पास हर सप्ताह अपनी अभिरुचियों को पूरा करने और समय बिताने के अन्य कार्यों के लिए कुछ घंटे होते हैं। महत्वपूर्ण गतिविधियों का क्रम तय करने की योग्यता आपको गतिविधियों के चयन का निर्णय लेने में मार्गदर्शन करेगी। निगमित प्रतिष्ठानों में प्रबंधकों के सामने प्रभावी निर्णय लेने की चुनौती होती है, क्योंकि उन्हें दक्षता, लाभ, साझेदारों, कर्मचारियों और मालिकों की संतुष्टि के बीच संतुलन बनाने की समस्या का समाधान करना पड़ता है।

8. टेलीफ़ोन शिष्टाचार, मौलिक लेखन कौशल (ई-मेल, टिप्पणियाँ इत्यादि लिखना), सार्वजनिक व्याख्यान कौशल—आपको इन तीनों कौशलों का अनुभव होना चाहिए। हो सकता है अब तक आपको इनमें काफ़ी अच्छी प्रवीणता प्राप्त हो गई हो। टेलीफ़ोन शिष्टाचार का अच्छा प्रभाव छोड़ते हैं। इससे दूसरे व्यक्ति को अच्छा लगता है। मौलिक लेखन कौशल आपकी भाषा की पाठ्यचर्या का हिस्सा है। आप में से अनेकों ने वाक्पटुता (एलोक्यूशन) प्रतियोगिताओं में भाग लिया होगा, पुरस्कार जीते होंगे और अच्छे वक्ताओं, व्याख्याताओं के भाषण सुने होंगे। निगमित संत्रेषक के रूप में आपको अपने व्यापार की सफलता के लिए इन्हें विकसित कर प्रयोग में लाना है।

9. उच्चारण निष्प्रभावन — भाषा सांस्कृतिक प्रभाव के अनुरूप उसी लहजे़ में बोली जाती है। हम सभी ने भारतीयों, अंग्रेजों, अमेरिकनों, ऑस्ट्रेलिया वासियों और अन्य अंग्रेजों के विभिन्न उच्चारणों का अनुभव किया है। इन सभी के उच्चारणों में अंतर है। उच्चारण निष्प्रभावन में व्यक्ति शब्दों का उच्चारण इस प्रकार करता है कि संप्रेषक को सुनने वाला समझ जाता है कि क्या बोला गया है। ऐसा करने के कई अन्य कारण हैं, जैसे - व्यक्तिगत और व्यावसायिक अवसरों में वृद्धि करना, अपनी कंपनी की व्यावसायिक छवि में सुधार करना, व्यापक वार्तालाप, प्रस्तुतीकरणों और टेलीफ़ोन वार्ताओं में व्यस्त रखना, सामाजिक व्यावसायिक दोनों प्रकार से अधिक आत्मविश्वासी और प्रभावी होना, श्रोताओं के साथ अधिक समझ बनाना।

10. समय प्रबंधन — समय अद्वितीय और मूल्यवान संसाधन है, जिसकी विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए आवश्यकता होती है जैसे - अपना काम करने, अपने लक्ष्य पूरे करने, अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने और उस सबका आनंद लेने के लिए जो जीवन में आपको मिलता है। अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए समय का उपयोग करना एक कौशल है। यदि यह आपके पास नहीं है तो इसे विकसित किया जा सकता है। इस कौशल को सीखने या सुधारने के तरीके हैं। समय प्रबंधन, सिद्धांतों, प्रचालनों, कौशलों, साधनों और कार्य करने की पद्धतियों का समूह है, जो आपको जीवन की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से समय का अधिक मूल्य प्राप्त करने में सहायक है। इससे प्रक्रमों और साधनों का विकास होता है, जिससे क्षमता और उत्पादकता में वृद्धि होती है। समय प्रबंधन हममें से प्रत्येक को सुधारने और अधिक उत्पादक बनने और व्यक्तिगत रूप से पूर्ण होने योग्य बनाता है, अतः तार्किक रूप से पूरे संगठन में अच्छे या बुरे समय प्रबंधन के प्रभाव व्यापक रूप से होते हैं। समय प्रबंधन से तनाव कम होता है।

11. तनाव प्रबंधन — यद्यपि हममें से अधिकांश प्रतिदिन किसी न किसी प्रकार के तनाव का अनुभव करते हैं, चाहे वह केवल विद्यालय समय पर पहुँचने, परीक्षा की तैयारी करने, किसी विशेष अवसर पर

आकर्षक दिखने का प्रयास करने जैसा ही हो, परंतु कुछ लोग ही जानते हैं कि वास्तव में तनाव क्या होता है। तनाव क्या है? एक परिस्थिति जो दबाव अथवा चिंता पैदा करती है, तनाव कहलाती है। तनाव हमारे जीवन की विभिन्न माँगों, परिवर्तनों और घटनाओं के प्रति भौतिक, मानसिक और भावनात्मक प्रतिक्रिया होती है। कुछ मामलों में तनाव हमें वह कार्य पूरा करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करता है, जिसे हम कठिन समझते हैं, जिससे हम स्वयं पर और अपनी उपलब्धि पर गर्व कर सकें। तनाव के लक्षण उस समय प्रकट होने प्रारंभ होते हैं, जब हम अनुभव करते हैं कि जीवन की आवश्यकताएँ उन्हें पूरा करने की हमारी क्षमताओं से अधिक होती जा रही हैं। इससे पहले कि तनाव कोई हानि पहुँचाए, हमें इसे कम करने, नियंत्रित करने और इसके नकारात्मक पार्श्व प्रभावों के प्रति जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए। तनाव प्रबंधन का तात्पर्य आपके अपने विचारों, अपनी भावनाओं, अपने कार्यक्रमों, अपने पर्यावरण और आपके द्वारा समस्याओं से निपटने के तरीके से संबंधित है। अंतिम लक्ष्य एक संतुलित जीवन है, जहाँ काम, संबंधों, विश्राम और मनोरंजन के लिए समय हो साथ ही तनाव सहने और आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए लचीलापन हो।

जनसंपर्क के काम में संदेश तैयार करने के अलावा उसे उपयुक्त संचार माध्यम द्वारा संप्रेषित करने तथा लक्षित श्रोताओं की विशेषताओं को ध्यान में रखना होगा। भाषा का उपयोग लक्षित समूह पर निर्भर करेगा। जनसंपर्क से जुड़े व्यक्तियों को अपनी मनोवृत्ति और अंतर्वैयक्तिक कौशलों को भी ध्यान में रखना चाहिए।

संत्रेषण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग

प्रौद्योगिकी ने संं्रेषण के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इसने विश्व भर में विविध सूचनाओं, ज्ञान और समाचारों के द्वार खोल दिए हैं। अधिक प्रचलित पद सूचना और संर्रेषण प्रौद्योगिकी है। सूचना और संप्रेषण प्रौद्योगिकियाँ (आई.सी.टी.) एक छाते जैसा पद है, जिसमें सूचना के प्रसंस्करण और संत्रेषण के सभी तकनीकी साधन सम्मिलित हैं, जबकि इसमें तकनीकी दृष्टि से प्री-डिजिटल प्रौद्योगिकी, जिसमें कागज-आधारित लेखन सम्मिलित है। यह प्रायः डिजिटल प्रौद्योगिकियों को बताने के उपयोग में आती है, जिसमें संत्रेषण विधियाँ, संत्रेषण तकनीकें, संत्रेषण उपकरण, संचार माध्यम के साथ-साथ सूचनाओं के भंडारण, प्रसंस्करण की तकनीकें भी सम्मिलित हैं। इस नाम ने काफ़ी ख्याति प्राप्त कर ली है, क्योंकि यह सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) और टेलीकॉम प्रौद्योगिकी का संयुक्त रूप है।

कार्यक्षेत्र

  • निगमित कार्यालयों और अन्य संगठनों में नियोक्ताओं और कर्मचारियों के मध्य होने वाले सभी संप्रेषण कार्य
  • साझेदारों, संचार माध्यमों, प्रेस, गैर-सरकारी संगठनों, सरकार, ग्राहकों और जनसाधारण से संप्रेषण करने के लिए जनसंपर्क अधिकारी। जनसंपर्क बाहरी एजेंसियों के साथ काम करने में निर्णायक भूमिका निभाता है।
  • संचार माध्यमों और प्रौद्योगिकियों के उपयोग में नवाचारी
प्रमुख शब्द

संत्रेषण, विस्तार, निगमित संत्रेषण, आंतरिक और बाह्य संत्रेषण, जनसाधारण का बोध, सूचना और संत्रेषण प्रौद्योगिकी (आई.सी.टी.), सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.), तनाव प्रबंधन, समय प्रबंधन, उच्चारण निष्प्रभावन, श्रवण कौशल, बातचीत करने के कौशल, अंतर्वैयक्तिक कौशल, प्रस्तुतीकरण कौशल, संपर्क स्थापित करने के कौशल, जनसंपर्क, विज्ञापन, जनसाधारण बोध।

पुनरवलोकन प्रश्न

1. आज के समय में निगमित संप्रेषण का क्या महत्त्व है?

2. निगमित संप्रेषण के प्रकार्यों के नाम लिखिए।

3. आंतरिक और बाह्य संप्रेषणों की तुलना कीजिए।

4. संत्रेषण के कार्यक्षेत्र में क्रांति लाने वाले एक मात्र कारक का वर्णन कीजिए।

5. मौखिक और शब्दोत्तर कौशलों की सूची बनाइए और प्रत्येक वर्ग से किन्हीं तीन को संक्षिप्त रूप में समझाइए।

6. आज के जनसंपर्क के अर्थ और महत्त्व को समझाइए।

7. आपके विचार से जनसंपर्क के कौन से दो क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं और क्यों?

8. जनसंपर्क कार्य के सिद्धांत क्या हैं?

9. निगमित संत्रेषण, जनसंपर्क और संचार माध्यमों में परस्पर क्या संबंध है?

दत्तकार्य

1. निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित एक जनसंपर्क ऐजेंसी का केस अध्ययन तैयार कीजिए-

(i) ग्राहक की कंपनी में स्थिति का वर्णन

(ii) परिस्थिति को तय करने के लिए उद्देश्य बनाना

(iii) उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कार्य योजना का अध्ययन-

(क) लक्षित समूह की स्थिति का निर्धारण।

(ख) संदेश चयन

(ग) संचार माध्यम का चयन

(घ) सर्जनात्मकता और नवाचार

(ङ) संसाधन आकलन

(च) जन-शक्ति पुनरवलोकन

(iv) योजना के क्रियान्वयन और उसके बाद के परिणामों को समझना।

2. किसी पुस्तक/पत्रिका या किसी अन्य स्रोत से एक केस अध्ययन तैयार कीजिए। संदर्भ

परिशिष्ट — परियोजनाएँ

टिप्पणी — निम्नलिखित परियोजनाओं में से कोई एक ली जा सकती है और उसका मूल्यांकन हो सकता है।

परियोजना 1 पारंपरिक व्यवसायों का विश्लेषण

अपने स्वयं के स्थानीय क्षेत्र में प्रचलित पारंपरिक व्यवसायों का विश्लेषण, उनका प्रारंभ, वर्तमान स्थिति तथा समक्ष आईं चुनौतियाँ। जेंडर भूमिकाओं, उद्यमी अवसर तथा भावी जीविकाएँ (करियर) और परिवार की सहभागिता का विश्लेषण कीजिए।

परियोजना की विषय-वस्तु

अपने क्षेत्र में प्रचलित पारंपरिक व्यवसायों की पहचान कीजिए। कुछ शिल्पकारों से व्यवसाय प्रारंभ करने, वर्तमान स्थिति और समस्याएँ तथा चुनौतियाँ जो उनके सामने आती हैं, के बारे में साक्षात्कार कीजिए।

परियोजना का उद्देश्य

आपने इकाई 1 में भारत में पारंपरिक व्यवसायों के बारे में पढ़ा| इस परियोजना को करना, आपको शिल्प की उत्पत्ति तथा इतिहास, आधुनिक संदर्भ में जो परिवर्तन उभरकर आए हैं, इसके विक्रेता तथा शिल्पकारों के सामने आईं चुनौतियों के लिए अंतःदृष्टि देगा। आप यह भी जान पाएँगे कि इनमें से कुछ उद्यमी कैसे बने। अभिप्राय यह है कि यह आपको आधुनिक संदर्भ में उद्यमी संभावनाओं पर विचार करने योग्य बनाएगी।

प्रक्रिया

1. शिक्षक कक्षा में विद्यार्थियों से अपने क्षेत्र या राज्य में प्रचलित विभिन्न व्यवसायों की पहचान करने के लिए प्रश्न पूछकर विचारावेश सत्र प्रारंभ कीजिए।

2. श्यामपट्ट पर सभी व्यवसायों की सूची लिखिए। उदाहरण के लिए-

(क) खाद्य उद्योग से संबंधित व्यवसाय -अचार, जैम, नाश्ता, मिठाइयाँ, पारंपरिक त्यौहारों की विशिष्टता वाले भोजन इत्यादि

(ख) वस्त्र उद्योग संबंधी व्यवसाय-बुनना, सिलना, कसीदाकारी, बँधाई इत्यादि

(ग) हस्तशिल्प उद्योग संबंधी व्यवसाय - दरी बनाना, मृद् भांड (पॉटरी), बाँस कला, पारंपरिक चित्रकारी, कागज़ कला, असेसर बनाना इत्यादि।

(घ) स्थानीय क्षेत्र में प्रचलित कोई अन्य व्यवसाय

3. कक्षा को समूहों में बाँटा जा सकता है, एक समूह में 5 से अधिक विद्यार्थी न हों।

4. प्रत्येक समूह एक विशिष्ट पारंपरिक शिल्प या कला या उत्पाद की पहचान करेगा।

5. प्रत्येक समूह चयनित शिल्प/कला में कार्यरत कारीगरों/शिल्पकारों की पहचान करेगा।

6. आगे दिए गए ‘परिचर्चा बिंदुओं’ के अंतर्गत दी गईं बिंदुओं की सूची के आधार पर एक साक्षात्कार प्रारूप विकसित कीजिए।

7. विद्यार्थी लगभग $2-3$ ऐसे व्यक्तियों से पारस्परिक क्रिया करेंगें तथा उनके साथ निम्नलिखित बिंदुओं पर परिचर्चा करेंगे।

परिचर्चा बिंदु

  • विशिष्ट कला या शिल्प की उत्पत्ति, यदि वे कोई ऐतिहासिक संदर्भ जानते हों।
  • बनाए गए उत्पाद का प्रकार, प्रयोग में लाई गई कच्ची सामग्री, बड़े पैमाने पर निर्माण का प्रक्रम
  • उत्पादन प्रतिमाह और अनुमानित आय, ग्राहक तथा लाभप्रदता
  • आधुनिक परिवेश में हुए परिवर्तन और सामने आईं चुनौतियाँ या समस्याएँ
  • उपाय के लिए कार्रवाइयाँ तथा आवश्यक सहायता, यदि कोई हो
  • उपलब्ध तथा काम में ली गईं सरकारी अथवा निजी योजनाएँ
  • निम्नलिखित से संबंधित जेंडर पहलू — (क) बनाए गए उत्पादों का प्रकार (ख) उत्पादन के लिए दिए गए विशिष्ट कार्य (ग) परिवार का समर्थन तथा सहभागिता, बच्चों सहित (घ) पुरुषों और महिलाओं को वेतन
  • अपनाई गईं विपणन नीतियाँ
  • आवश्यक सहयोग, सहायता तथा निधि
  • स्वरोजारार तथा उद्यम की संभावना

साक्षात्कार किए गए लोगों के उत्तर रिकॉर्ड किए जाने चाहिए तथा एक परियोजना रिपोर्ट तैयार की जाए। प्रत्येक समूह तब उद्यम संभावनाओं के साथ-साथ बाल श्रम में जेंडर भूमिका के संबंध में निष्कर्ष निकालेगा। प्रत्येक समूह कक्षा में प्रस्तुति देगा, जिसका शिक्षक/शिक्षकों द्वारा मूल्यांकन किया जाएगा।

परियोजना रिपोर्ट की रूपरेखा —व्यवसाय का परिचय, काम का विवरण तथा आवश्यक कौशल इत्यादि में दोहराने के द्वारा, बाद का प्रस्तुतीकरण तथा परिचर्चा।

परियोजना 2 किसी सार्वजनिक/जन अभियान का प्रलेखन

किसी सार्वजनिक /जन अभियान का प्रलेखन जो आपके क्षेत्र में निम्नलिखित के संदर्भ में कार्यान्वित किया गया हो—

(क) अभियान का उद्देश्य

(ख) केंद्रीय समूह

(ग) कार्यान्वयन के ढंग

(घ) शामिल साझेदार

(ङ) संचार माध्यम तथा उपयोग में ली गई विधियाँ

(च) अभियान की प्रासंगिकता पर टिप्पणी

परियोजना की विषय-वस्तु

अपने क्षेत्र में कार्यान्वित एक सार्वजनिक या जन अभियान का प्रलेखन

परियोजना का उद्देश्य

आपने विभिन्न उद्देश्यों के लिए संचार माध्यमों के उपयोग के बारे में सीखा है। यह परियोजना आपको, अभियान कैसे संचालित किए जाते हैं, पर प्रत्यक्ष अनुभव करने में समर्थ बनाएगी।

प्रक्रिया

कक्षा को चार समूहों में बाँट दीजिए। कक्षा को दो सार्वजनिक या जन अभियानों को चिह्नित करना और चुनना चाहिए जो उनके इलाके या क्षेत्र में संचालित किए जा चुके हैं या किए जा रहे हैं। प्रत्येक अभियान के लिए एक समूह को अयोजित करने वाली समिति के कुछ सदस्यों का साक्षात्कार करना चाहिए और दूसरे समूह को केंद्रीय या लक्षित समूह के कुछ सदस्यों का साक्षात्कार करना चाहिए।

1. प्रत्येक समूह को एक फ़ाइल बनानी चाहिए, जिसमें घटना का विस्तृत रिकॉर्ड हो।

2. निम्नलिखित ब्यौरों से संबंधित साक्षात्कारों का रिकॉर्ड रखा जाना चाहिए-

(क) अभियान का उद्देश्य

(ख) केंद्रीय या लक्षित समूह जिसको सम्मिलित करना है।

(ग) कार्यान्वयन के तरीके

(घ) उपयोग किए गए संचार माध्यम

(ङ) संर्रेषण के तरीके

(च) अभियान की अवधि

(छ) योजना और कार्यान्वयन में सम्मिलित व्यक्तियों/संगठनों (पणधारियों) का

(ज) केंद्रीय और लक्षित समूह की संख्या या भौगोलिक क्षेत्रों आयुवर्गों के विषय में वास्तविक आवरण

(झ) जरूरी योजना की मात्रा और प्रकार

(ज) धन के स्रोत

(ट) अभियान की प्रतिक्रियाएँ

(ठ) संगठनकर्ताओं का आकलन

प्रत्येक समूह को अपने अभिमतों (रायों) को संक्षेप में प्रस्तुत करना चाहिए। अध्यापक और छात्र कक्षा में चर्चा कर सकते हैं कि क्या उद्देश्य की पूर्ति हो चुकी है और क्या किसी पहलू को दूसरे तरीके से किया जाना चाहिए था।

परियोजना 3 - एक एकीकृत समुदाय-आधारित कार्यक्रम का अध्ययन

निम्नलिखित के संदर्भ में आपके क्षेत्र में कार्यान्वित किए जा रहे, एक एकीकृत समुदाय-आधारित पोषण/स्वास्थ्य कार्यक्रम का अध्ययन -

  • कार्यक्रम का उद्देश्य
  • केंद्रीय समूह
  • कार्यान्वयन के ढंग
  • शामिल साझेदार (पणधारी)

परियोजना की विषय-वस्तु

आपके क्षेत्र में कार्यान्वित किए जा रहे एक एकीकृत समुदाय-आधारित पोषण/स्वास्थ्य कार्यक्रम का अध्ययन

परियोजना का उद्देश्य

आपने पढ़ा है कि हमारे यहाँ पोषण संबंधी बहुत-सी समस्याएँ हैं, जिनका देश को मुकाबला करना है। यह प्रयोग आज-कल कार्यान्वित किए जा रहे कार्यक्रम (कार्यक्रमों) के विषय में आपको कुछ जानकारी और अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में समर्थ बनाएगा।

प्रक्रिया

कक्षा को 4-5 समूहों में बाँट दीजिए। प्रत्येक समूह निम्नलिखित कार्यक्रमों/योजनाओं में से किसी एक का अध्ययन करे-

  • आई.सी.डी.एस. (एकीकृत बाल विकास योजना)
  • मध्याह्न भोजन कार्यक्रम
  • पल्स पोलियो कार्यक्रम
  • जनन तथा शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम
  • सुरक्षित/स्वच्छ जल तथा सफ़ाई कार्यक्रम
  • क्षेत्र में कार्यान्वित अन्य कोई कार्यक्रम

1. प्रत्येक समूह एक फ़ाइल तैयार करे, जिसमें घटना का विस्तृत रिकॉर्ड हो।

2. प्रत्येक समूह उस स्थान पर जाकर देखे जहाँ कार्यक्रम हो रहा है और प्रभारी व्यक्ति अर्थात् एकीकृत बाल विकास योजना में बाल विकास परियोजना अधिकारी और क्षेत्र कार्यकर्ताओं (अर्थात् आँगनवाड़ी सेविका/ कार्यकर्ता) से पारस्परिक क्रिया करे, जो गतिविधियाँ हो रही हैं, उन्हें देखे तथा भाग लेने वालों/लाभार्थियों से पारस्परिक क्रिया करे।

3. प्रेक्षण, जिस ढंग से कार्यक्रम कार्यान्वित हो रहा है उसे समझना, भाग लेने वालों/लाभार्थियों की संख्या, भाग लेने वालों द्वारा दी गई सेवाओं तथा लाभों को अनुभव करना, कार्यक्रम के सुधार के लिए भाग लेने वालों के सुझाव।

शिक्षकों के लिए नोट — यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विद्यार्थियों को कार्यक्रम के उद्देश्य संबंधी विस्तृत विवरण को कवर करने और समझने, सम्मिलित साथी/साझेदार, केंद्रीय समूह/लक्षित समूह तथा कार्यान्वयन की नीतियाँ, सहायक (वित्तीय) लागत तथा लाभ, कुल कवरेज के लिए मार्गदर्शन मिल रहा है।

4. प्रत्येक समूह को कक्षा में प्रस्तुतीकरण देना चाहिए और अपनी टिप्पणियाँ तथा सुझाव देने चाहिए कि वे कार्यक्रम के लिए क्या योगदान कर सकते हैं।

परियोजना 4- विशेष आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों के संबंध में किशोरों तथा वयस्कों का बोध

पड़ोस के क्षेत्रों का भ्रमण कीजिए तथा दो किशोरों और दो वयस्कों से विशेष आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों के संबंध में उनके बोध के लिए साक्षात्कार कीजिए।

परियोजना की विषय-वस्तु

अपने पड़ोस में दो किशोरों तथा दो वयस्कों की पहचान कीजिए और विशेष आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों संबंधी उनके बोध के लिए, दिए गए साक्षात्कार कार्यक्रम के अनुसार उनका साक्षात्कार कीजिए।

परियोजना का उद्देश्य

आपने पढ़ा है कि मानव विकास/बाल विकास की दिशा में विशेषजता प्राप्त करने के बाद जीविका के विकल्पों में से एक जो आप ले सकते हैं, वह विशेष आवश्यकता वाले बच्चों तथा वयस्कों के साथ काम करना है। यह परियोजना (तथा इससे अगली) करना आपको इस जीविका विकल्प के बारे में कुछ विचार विकसित करने में मदद करेगा। विशेष रूप से, यह परियोजना आपको यह समझने में मदद करेगी कि लोग विशेष आवश्यकता वाले लोगों के बारे में क्या सोचते हैं। लोगों के साथ बात करने पर आप अपनी धारणाओं तथा अपने बोध संबंधी आत्म निरीक्षण कर सकते हैं। आपको ज्ञात हो सकता है कि आपकी सोच में बहुत समानताएँ हैं। सोचें कि क्या आपको अपनी कुछ धारणाएँ बदलने की आवश्यकता है।

परियोजना में प्रमुख संकल्पनाएँ/ परियोजना में अधिगम बिंदु

इस क्षेत्र के कुछ महत्वपूर्ण शब्दों में सम्मिलित हैं — किशोर, वयस्क, पड़ोस, साक्षात्कार, साक्षात्कार अनुसूची। हम कह सकते हैं कि ये प्रमुख संकल्पनाएँ हैं, जो हम आपको इस परियोजना के माध्यम से समझाना चाहते हैं। आपको किशोरों तथा वयस्कों से साक्षात्कार करने के लिए क्यों कहा जा रहा है? पड़ोस में ही क्यों? और एक साक्षात्कार क्या है तथा यह एक व्यक्ति से बातचीत करने से किस प्रकार भिन्न है? आप जानते हैं कि-

1. किशोरावस्था वह समय है, जब व्यक्ति स्वयं पर और दूसरों पर एक बहुत सुविचारित तथा सचेतन ढंग से केंद्रित करना प्रारंभ करता है। कक्षा 11 के अध्ययन में स्वयं के विकास प्रसंग का स्मरण कीजिए। अमूर्त चिंतन की योग्यता व्यक्ति के लिए संभव बनाती है कि वह विभिन्न संभावनाओं के विषय में सोच सके। यह वह समय भी होता है, जब बहुत से मूल्य निर्माण के प्रक्रम में होते हैं। मानव जाति में विविधता के संबंध में किशोर के मूल्य तथा धारणाएँ महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये प्रतिदिन की पारस्परिक क्रियाओं को आकार देती हैं।

2. वयस्कों में भली-भाँति स्थापित विचार तथा धारणाएँ होती हैं- हो सकता है कि इनमें से सभी आवश्यक रूप से मानवोचित तथा न्यायसंगत न हों। वयस्क वे भी हैं, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपने शब्दों तथा क्रियाओं द्वारा बच्चों की मनोवृत्ति को आकार देते हैं। उनकी धारणाओं को जानना महत्वपूर्ण है।

3. आपको अपने पड़ोस में किशोरों तथा वयस्कों से साक्षात्कार करने को कहा गया है, बजाय इसके कि विशेष आवश्यकता वाले लोगों के लिए स्थापित केंद्र या संस्थान पर जाकर लोगों से साक्षात्कार कीजिए। इसका अर्थ यह है विशेष आवश्यकता वाले लोग समाज का एक हिस्सा हैं और हम अपेक्षा करते हैं कि अधिकांश लोगों को विशेष आवश्यकता वाले लोगों के साथ पारस्परिक क्रिया करने का कुछ अनुभव होगा, अतः हम आपको अपने पड़ोस में लोगों से साक्षात्कार करने के लिए कह रहे हैं- हम आपसे नहीं कह रहे हैं कि आप विशेष स्थानों पर

4. आपको लोगों से साक्षात्कार करके प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करना होगा — केवल उनसे बातचीत करके ही नहीं। एक साक्षात्कार तथा बातचीत में क्या अंतर है? साक्षात्कार जानकारी या ‘आँकड़े’ इकट्डे करने की एक प्रमुख विधि है तथा यह परियोजना आपको इससे अभिमुख कराएगी। बातचीत दो व्यक्तियों के मध्य एक अनौपचारिक पारस्परिक क्रिया है। साक्षात्कार एक वार्तालाप है जो किसी सीमा तक साक्षात्कार करने वाले व्यक्ति की बातचीत को दिशा देने के लिए कुछ नियमों का पालन करता है। साक्षात्कार करने के कुछ तरीके होते हैं तथा साक्षात्कार की कुछ आचार नीतियाँ हैं। हम इन पहलुओं पर विस्तार से चर्चा कुछ देर बाद में करेंगे।

5. अच्छा साक्षात्कार करने के लिए, जिससे आपको चाही गई सारी जानकारी मिल जाए, आपको पूर्व तैयारी की आवश्यकता होगी। आपको वे सब प्रश्न सोचने होंगे, जो आप पूछेंगे। ये साक्षात्कार अनुसूची के रूप में लिखे जाते हैं। जबकि हम आपको अनुसूची दे रहे हैं, जो आप साक्षात्कार करने के लिए उपयोग में लेंगे। दूसरे सत्र में हम अनुसूचियों को विकसित करने के लिए मार्गदर्शी सिद्वांतों की बात करेंगे। यह आपको समझने में मदद करेगा कि हमने इस प्रकार अपनी साक्षात्कार अनुसूची क्यों बनाई है।

परियोजना के लिए प्रारंभिक क्रियाकलाप

1. कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तक में संबंधित भाग को पढ़ें। आपको जानकारी होनी चाहिए कि विशेष आवश्यकताओं वाले व्यक्ति कौन होते हैं।

2. एक किशोर तथा एक वयस्क का पता लगाएँ। यह बेहतर होगा कि आप एक पुरुष तथा एक महिला की पहचान करें।

3. हमारे द्वारा दी गई साक्षात्कार अनुसूची से परिचित हो जाएँ, आप जिसका उपयोग इस परियोजना के लिए आवश्यक जानकारी इकड्ठा करने के लिए करेंगे।

साक्षात्कार अनुसूची

अनुदेश — प्रश्न प्रारंभ करने से पहले अनुदेशों को पढ़ लें।

परिचय - मैं कक्षा 12 का एक विद्यार्थी हूँ। हम जनसाधारण का साक्षात्कार कर रहे हैं, विशेष आवश्यकता वाले लोगों के बारे में उनके विचार जानने के लिए। कृपया निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर देकर हमारी सहायता कीजिए-

1. क्या आप विशेष आवश्यकता वाले या दिव्यांग व्यक्ति से मिले हैं या उसके बारे में सुना है? हाँ या नहीं? यदि हाँ, तो वह कौन है तथा कहाँ है? उनके साथ होने वाली समस्याओं का वर्णन कीजिए।

2. क्या आप वर्णन कर सकते हैं कि आपको कैसा लगा जब आप इस व्यक्ति को मिले या उसको देखा?

3. आपने उस व्यक्ति के बारे में पहली क्या बात नोट की?

4. आप क्या सोचते हैं कि उस व्यक्ति में क्या क्षमताएँ थीं?

शिक्षकों के लिए नोट-

1. कक्षा में निम्नलिखित पर एक मार्गदर्शित परिचर्चा आयोजित कीजिए-

(क) साक्षात्कार करना

(ख) साक्षात्कार देने वालों द्वारा दिए गए प्रश्नों के उत्तरों को रिकॉर्ड करना

(ग) यह क्रियाकलाप आपके पड़ोस में क्यों किया गया?

(घ) दिव्यांगता की दशा में क्रियाकलाप

2. विद्यार्थियों द्वारा दी गई रिपोर्ट में होने चाहिए-

(क) साक्षात्कार के उत्तर

(ख) निष्कर्ष बिंदु

परियोजना 5 विद्यालय में एक कार्यक्रम की योजना बनाना तथा कार्यान्वित करना।

अपने विद्यालय में किसी कार्यक्रम की योजना बनाइए और उसे कार्यान्वित करिए। निम्नलिखित के संदर्भ में उसका मूल्यांकन कीजिए -

(क) इसकी प्रासंगिकता

(ख) संसाधन उपलब्धता तथा कार्यप्रवर्तता

(ग) कार्यक्रम की योजना बनाना तथा कार्यान्वित करना

(घ) वित्तीय उलझनें

(ङ) साझेदारों से प्रतिपुष्टि

(च) भविष्य के लिए सुधारों के सुझाव दीजिए।

उद्देश्य- विद्यार्थियों को दक्षतापूर्वक कार्यक्रम बनाने के योग्य बनाना।

प्रक्रिया

कार्यक्रम की आवश्यकतानुसार दल के सदस्यों के बारे में अपने ज्ञान का उपयोग करते हुए योजना बनाइए तथा दल के विभिन्न व्यक्तियों को, उनके कार्यों का आवंटन कीजिए। तीन कॉलम बनाइए तथा कार्यक्रम-पूर्व, कार्यक्रम के समय तथा कार्यक्रम-पश्चात् के क्रियाकलापों की चर्चा कीजिए।

1. जो कार्यक्रम आप भविष्य में करना चाहते हैं, उसके लिए योजना बनाइए तथा कार्यक्रम-पश्चात् क्रियाकलापों की सूची तैयार कीजिए।

  • यह क्रियाकलाप करने के पश्चात् आप कार्यक्रम के सफलतापूर्ण निष्पादन के लिए आयोजन में सम्मिलित विभिन्न व्यक्तियों को कार्य आवंटन करने के योग्य हो जाएँगे।

2. विद्यार्थियों को समूहों में बाँट दीजिए।

3. समूहों को निम्नलिखित कार्य आवंटित कीजिए-

  • निमंत्रण पत्र को डिज़ाइन करना
  • निमंत्रण पत्र की प्रतिलिपियाँ बनाना तथा उनका वितरण करना
  • कार्यक्रम के लिए (यदि चाहा गया हो) तो एक थीम का चयन कीजिए
  • बजट तय कीजिए
  • अल्पाहार के लिए व्यंजन सूची का निर्धारण कीजिए
  • कार्यक्रम स्थल की सजावट के बारे में निर्णय लीजिए
  • कार्यक्रम के समय दिए जाने वाले संगीत, की जाने वाली गतिविधियों इत्यादि का चयन कीजिए
  • कार्यक्रम का संचालन कीजिए
  • आय तथा व्यय का रिकॉर्ड रखिए

4. कार्यक्रम-पश्चात् मूल्यांकन निम्नलिखित बिंदुओं का उपयोग करके कीजिए कार्यक्रम का नाम

दिनांक

कार्यक्रम का प्रकार

स्थान

  • क्या आपने कार्यक्रम का आनंद लिया? यदि नहीं, तो कृपया कारण बताएँ।
  • कार्यक्रम में आपको सबसे अधिक अच्छा क्या लगा ?
  • कार्यक्रम में आपको सबसे कम अच्छा क्या लगा ?
  • कार्यक्रम के दौरान आपके सामने क्या समस्याएँ आईं?
  • इस कार्यक्रम को और अच्छा बनाने के लिए क्या-क्या किया जा सकता था ?
  • आप हमारे द्वारा दी गई विभिन्न सेवाओं का आकलन कैसे करते हैं (कृपया एक विकल्प पर निशान लगाइए) -
अतिउत्तम उत्तम औसत निम्न
आतिथ्य-सत्कार
भोजन-व्यवस्था
परिवहन
प्रबंध स्टाफ़ का व्यवहार
प्रबंध स्टाफ़ की सेवाएँ

क्या आप हमारे अगले कार्यक्रम में भाग लेना पसंद करेंगे?

नोट - दस विभिन्न कार्यक्रमों के निमंत्रण पत्र इकहे कीजिए तथा कार्यक्रम अनुसूची को विस्तार से समझाइए। इक्टी की गई जानकारी के आधार पर निमंत्रण पत्र का डिजाइइन तैयार कीजिए।

कार्ड मूल्यांकन या डिज़ाइन के लिए विद्यार्थी, यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी विवेचनात्मक विशेषताओं को सम्मिलित कर लिया गया है, निम्नलिखित अनुसूची का उपयोग कर सकते हैं।

क्र.सं. निमंत्रण पत्र की विशेषताएँ उपस्थित/अनुपस्थित उत्तम औसत निम्न
1. पाठ्यसामग्री
(क) स्थान
(ख) पहुँचने के लिए मानचित्र
(ग) महत्वपूर्ण स्थलचिह्न
(घ) समय अवधि
(ङ) कार्यक्रम का विवरण
2. जानकारी का प्रदर्शन (खाका)
3. पत्र का आकर्षण
4. जानकारी की स्पष्टता
5. कार्यक्रम की थीम/विषय-वस्तु
6. अतिथियों से अपेक्षाएँ
7. नवीन डिज़ाइन संकल्पना
8. आयोजन दल और उनके संपर्क नंबर
9. कोई अन्य

शिक्षकों के लिए नोट

शिक्षक विद्यार्थियों से विभिन्न कार्यक्रमों के निमंत्रण पत्र लाने के लिए कह सकते हैं और पत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा कर सकते हैं, जैसे

  • संबंधित पाठ्यसामग्री जैसे - स्थान और वहाँ पहुँचने का मानचित्र अथवा महत्वपूर्ण स्थलचिन्,, समय, अवसर, कार्यक्रम विवरण इत्यादि
  • जानकारी का प्रर्दशन (खाका)
  • पत्र का आकर्षण
  • जानकारी की स्पष्टता
  • कार्यक्रम की विषय-वस्तु तथा अतिथियों से अपेक्षाएँ
  • नवीन डिजाइइन संकल्पनाएँ
  • आयोजक दल तथा उनके संपर्क नंबर

परियोजना 6 - पोषण, स्वास्थ्य और जीवन कौशलों के लिए संदेशों की योजना बनाना

विभिन्न केंद्रीय समूहों के लिए संचार के विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हुए पोषण, स्वास्थ्य तथा जीवन कौशलों के लिए संदेशों की योजना बनाना।

विषय-वस्तु

1. शिक्षा के लिए एक लक्षित समूह की पहचान करना

2. चयनित समूह के लिए विशेष आवश्यकताओं तथा उनकी विशेष समस्याओं की पहचान करना

3. समूह को शिक्षित करने के लिए एक उपयुक्त संदेश की आयोजना

4. संचार के माध्यम का चयन करना

5. शैक्षिक सामग्री विकसित करना

उद्देश्य

यह प्रयोग विद्यार्थियों को समाज के विभिन्न समूहों के लिए स्वास्थ्य तथा पोषण शिक्षा के लिए संदेशों की योजना बनाने के योग्य, बनाने के उद्देश्य तथा संदेश देने के लिए संचार का एक उपयुक्त माध्यम चयनित करने के लिए है।

प्रक्रिया

1. कक्षा को $4-5$ विद्यार्थी प्रति समूह के समूहों में बाँट दीजिए।

2. पहला कार्य केंद्रीय/लक्षित समूह की पहचान करना है, जिसके लिए संदेश बनाना है। विभिन्न केंद्रीय समूह हो सकते हैं - किशोर, विद्यालय के बच्चे, गर्भवती महिलाएँ, वयस्क।

3. एक बार जब केंद्रीय/लक्षित समूह का चयन हो जाता है, तो पोषण समस्या अथवा उस विषय की पहचान करिए जिसके बारे में आप समूह को शिक्षित करना पसंद करेंगे।

4. एक उपयुक्त संदेश (चयनित समूह पर लक्षित) की पहचान करिए, जो चयनित समूह के पोषण तथा स्वास्थ्य रूपरेखा में सुधार के लिए सहायक होगा। यह प्रत्येक समूह की विशिष्ट आवश्यकताओं तथा विशिष्ट वर्तमान समस्याओं पर निर्भर करेगा। उदाहरण के लिए गर्भवती माताओं को दिया जाने वाला संदेश उनकी गर्भावस्था की अवधि में उनके आहार में सुधार के लिए हो सकता है। वयस्कों के लिए संदेश उनके भार को सही बनाए रखने और स्फूर्ति बढ़ाने तथा स्वास्थ्य के लिए शारीरिक गतिविधि को बढ़ाने के लिए हो सकता है।

5. संदेश देने के लिए एक उपयुक्त संचार माध्यम का चयन करिए। संदेश देने के लिए बहुत से तरीके हैं, जैसे - पोस्टर, चार्ट, फिलिपबुक्स, कठपुतली प्रदर्शन तथा लघु नाटिकाएँ। शिक्षार्थी समय तथा संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार इनमें से किसी एक का चयन कर सकते हैं।

6. प्रत्येक समूह जो लक्षित समूह चुनना चाहता है तथा जो संदेश देना चाहता है, उसकी चर्चा करेगा। इस प्रक्रम में शिक्षक उनकी सहायता करेगा। तब वे निर्णय लेंगे कि उन्हें संदेश किस प्रकार संप्रेषित करना है। एक बार जब योजना अंतिम रूप ले लेती है, तो समूह संदेश पर कार्य करता है तथा अंतिम उत्पाद का विकास करता है।

7. प्रत्येक समूह अपने उत्पाद को शिक्षकों तथा सहपाठियों के समक्ष प्रस्तुत करेगा।

8. उत्पाद तथा प्रस्तुतीकरण का समूह मूल्यांकन।

परियोजना 7 - संसाधित खाद्य पदार्थों का बाज़ार सर्वेक्षण

विषय-वस्तु

संसाधित खाद्य पदार्थों, उन्हें पैक करने तथा लेबल जानकारी का बाजार सर्वेक्षण

उद्देश्य

यह प्रयोग विद्यार्थियों को बाजार में उपलब्ध विविध प्रकार के संसाधित खाद्य पदार्थों से परिचित कराने, संसाधित खाद्य पदार्थों को पैक करने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की सामग्रियों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए और लेबल की जानकारी के अध्ययन में रुचि जागृत करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।

प्रक्रिया

विद्यार्थी प्रत्येक समूह में 4-5 विद्यार्थी के समूहों में कार्य करेंगे।

1. प्रत्येक समूह एक अलग बाज़ार में जाएगा तथा निम्नलिखित पर जानकारी इकह्टी करेगा-

(i) निम्नलिखित खाद्य पदार्थों की उपलब्धता -

(क) अनाज वाले खाद्य पदार्थ जैसे - सुबह के नाश्ते के खाद्य पदार्थ, नूडल, आटा,

(ख) डेयरी उत्पाद — दूध, पनीर, मक्खन, घी, आइसक्रीम,

(ग) संरक्षित खाद्य पदार्थ — जैम, अचार, शर्बत, कैचप, सॉस,

(घ) अल्पाहार — चिप्स, भुजिया, बिस्कुट,

(ङ) पोषण पूरक जैसे - कॉम्प्लैन, बॉर्नवीटा, हॉरलिक्स, मीलो, बूस्ट तथा अन्य ब्रांड वाले उत्पाद।

(च) पेय पदार्थ —फलों के रस, कार्बन डाइऑक्साइड युक्त मृदुपेय, बोतल वाला जल।

(ii) इन उत्पादों को पैक करने के लिए उपयोग में लाई गई सामग्री को नोट कीजिए।

2. विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों को पैक करने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली सामग्रियों के लिए एक सारणी तैयार कीजिए-

उत्पाद
का नाम
उपयोग में लाई
गई, पैक करने
की सामग्री
लेबल जानकारी
पैक करने
की दिनांक
दिनांक जिससे
पहले उपयोग
में लाएँ
भार प्रमाणक चिह्,,
जैसे एमाकी
एफ.पी.आ./
आई.एस.आई.
पोषण
जानकारी
टिप्पणी
यदि कोई
हो

3. एक ही उत्पाद को विभिन्न सामग्रियों तथा तरीकों से पैक करने की लागतों (यदि उपलब्ध हो) की तुलना कीजिए।

परिणाम/निष्कर्ष — इकड्डी की गई जानकारी को एक चार्ट पर सारणीबद्ध कीजिए तथा प्रदर्शित करिए। जाँच की चर्चा कक्षा में की जा सकती है, जहाँ शिक्षक विभिन्न पैक करने वाली सामग्रियों की तुलनात्मक खूबियों तथा दोषों के बारे में बता सकता है।



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