अध्याय 13 विकास संचार तथा पत्रकारिता

प्रस्तावना

संचार हमारे सामाजिक एवं व्यावसायिक जीवन का एक अभिन्न अंग है। टेलीविज़न, रेडियो तथा समाचार-पत्रों में समाचारों के अतिरिक्त आपने स्वास्थ्य, पर्यावरण, उपभोग, निर्धनता तथा अन्य विषयों के बारे में अवश्य सुना, देखा अथवा पढ़ा होगा। क्या कभी आपने सोचा है कि इन विषयों के बारे में कौन लिखता है? क्या आपने अनुभव किया है कि जनसंचार माध्यमों के पास यह शक्ति है कि वे इसका पता लगाने की कोशिश करते हैं कि क्या घटनाएँ घट रही हैं और ये कहाँ, कैसे और क्यों घट रही है? इनसे पता चलता है कि पत्रकारिता और मीडिया की भूमिका का समाज के लिए विशेष महत्त्व है। विकास पत्रकारिता एक सामाजिक गतिविधि है तथा पत्रकार अनेक माध्यमों द्वारा समुदाय की भावनाओं को समुदाय तक पहुँचाता है। पत्रकारिता का महत्व इसलिए है कि जनता को अपना मत प्रकट करने तथा अभिव्यक्ति का अधिकार होता है, क्योंकि मत तथा अभिव्यक्ति का अधिकार पत्र-पत्रिकाओं तथा मुद्रण माध्यम के बगैर नहीं हो सकता, इसलिए आजकल लोग जानकारी प्राप्त करने के लिए मुख्य रूप से मीडिया पर निर्भर रहते हैं।

किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए पत्रकारिता एक अविभाज्य अंग है। लोकतांत्रिक समाज में पत्रकार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जनता की भागीदारी प्रजातंत्र की नींव है। विकास संचार तथा पत्रकारिता के सिद्धांत तथा व्यवहार लगातार विकसित हो रहे हैं और हमारे जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन गए हैं। संकल्पना का लचीलापन इसकी विशेषता है।

महत्त्व

विकास की ओर बढ़ने में संचार किस प्रकार सहायता करता है? यह उपलब्ध प्रौद्योगिकियों के बारे में जानकारी देता है और उनका उपयोग समाज की उन्नति करने के लिए व्यक्तियों को संगठित करता है। यह सरकारी संस्थाओं, गैर-सरकारी संस्थाओं (एन.जी.ओ.) तथा व्यक्तियों को जोड़ता है। विकास संचार तथा विकास पत्रकारिता अध्ययन के ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, जो उन्हें न्यायसंगत तथा निष्पक्ष समाज से संबंधित विषयों पर लिखने और / या बोलने के लिए प्रशिक्षित करते हैं। विकास संचार तथा पत्रकारिता छात्रों का उद्देश्य, विकास के मुद्दों पर वर्तमान तथा भविष्य के पत्रकारों को, अभियान चलाने वालों तथा मीडिया व्यावसायिकों का ज्ञान बढ़ाने तथा व्यावहारिक कौशलों को दृढ़ करना है।

मूलभूत संकल्पनाएँ

विकास का अर्थ है, अधिकांश व्यक्तियों के सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक जीवन में बगैर शोषण या हिंसा के स्थायी रूप से सकारात्मक परिवर्तन लाना। संसार के अधिकांश भागों में विकास द्वारा व्यापक निरक्षरता, जनसंख्या, कुपोषण, खराब स्वास्थ्य, भूख तथा प्रदूषण आदि की समस्याओं का सामना करने के लिए गहन प्रयास करने की आवश्यकता है।

विकास पत्रकारिता अपेक्षाकृत नयी संकल्पना है। यह उपनिवेशी युग के समाप्त होने पर अस्तित्व में आई। स्वाधीनता से पहले संघर्ष, लड़ाई-झगड़े, हत्याएँ, आपदाएँ, युद्ध और अन्य ऐसे मामलों के ही समाचार लोगों को दिए जाते थे, जो उपनिवेशी शासक चाहते थे। भारत जैसे - नयी स्वाधीनता प्राप्त किए हुए देशों में विकास क्रियाकलापों का बहुत विस्तार हो रहा था। पत्रकार और सूचना देने वालों को इन क्रियाकलापों को ध्यान में रखना होता है। आजकल विकास पत्रकारिता ऐसे व्यक्तियों की सफलता के समाचार पर ध्यान केंद्रित करती है, जिन्होंने नयी प्रौद्योगिकियाँ अपनाई हैं, नयी विधियों का परीक्षण किया है और समाज की सहायता की है। यह नयी परियोजनाओं तथा नयी प्रक्रियाओं में कार्य कर रहे व्यक्तियों का विवरण प्रदान करती है।

विकास संचार का अर्थ है संचार की क्षमता को सामाजिक विकास के लिए एक प्रमुख उत्प्रेरक की भाँति उपयोग में लाना। यह सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन लाने के उद्देश्य से प्रक्रियाओं, योजनाओं तथा संचार के सिद्धांतों को क्रमबद्ध तरीके से प्रयोग करने की विधि है। ‘डेवलपमेंट कम्यूनिकेशन’ (अर्थात् विकास संचार) शब्द को सबसे पहले 1972 में नोरा क्यूब्राल (Nora Quebral) ने प्रयोग किया। यह कला तथा मानवीय संचार का वह विज्ञान है, जिसका उपयोग किसी अभावग्रस्त समाज के विकास की गति को तीव्र करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है जिससे समानता तथा व्यक्ति की क्षमता को सुनिश्चित किया जा सके।

विकास संचार की निम्नलिखित मुख्य विशेषताएँ हैं-

  • यह सामाजिक, आर्थिक विकास तथा व्यक्तियों तथा सामान्य जन-समुदाय की सुख-शांति की ओर उन्मुख है।
  • इसका उद्देश्य समुदाय को सूचना देना तथा शिक्षित करना है।
  • अधिक प्रभाव के लिए यह उपयुक्त जनसंचार साधनों तथा अंतर्वैयक्तिक संचार चैनलों को जोड़ता है।
  • यह श्रोताओं की विशिष्टताओं तथा उनके परिवेश पर आधारित है।

विकास संचार ऐसे दो पक्षों के बीच दुतरफ़ा संत्रेषण है, जिसमें एक के पास सूचनाएँ हैं तथा दूसरा उससे अनभिज्ञ है। यह ऐसा मानता है कि जो व्यक्ति समस्या का सामना करते हैं, उनमें उसका हल ढूँढ़ने की स्वाभाविक क्षमता होती है, उन्हें संसाधन जुटाने में सहायता की आवश्यकता महसूस हो सकती है। यह अभिप्रेरण को प्रमुख घटक के रूप में देखता है। यह व्यक्तियों तथा विकास एजेंसियों के बीच संवाद बनाने का प्रयत्न करता है। इसलिए यह एक ऐसी सामाजिक प्रक्रिया है, जिसे इस प्रकार डिजाइइन किया गया है कि इसमें सम्मिलित सभी सहभागियों के बीच एक आम सहमति या समझ उत्पन्न हो, जिससे वे संगठित कार्रवाई कर सकें।

अब आप भारत में विकास संचार की पहल के कुछ विशिष्ट उदाहरणों के बारे में पढ़ेंगे। इसी प्रकार की पहल संसार के विभिन्न भागों में की गई है, जैसे - ब्राज़ील, पेरू, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और अन्य अनेक देश। यह आपको केवल यह समझने में ही सहायक नहीं होगा कि विकास संचार के प्रयासों से प्रौद्योगिकी तथा जनसंचार के साधनों का उपयोग कैसे किया जाता है, अपितु यह भी ज्ञात होगा कि उनका उपयोग विकास के लक्ष्यों में कैसे किया जाता है। यह आपको इस बारे में भी जानकारी देगा कि भविष्य में इस क्षेत्र के विस्तार तथा इस क्षेत्र में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए रोज़गार के क्या अवसर उपलब्ध हैं।

हम विकास संचार के साधनों के रूप में पत्रकारिता, रेडियो / टेलीविजन / मुद्रण माध्यमों / वीडियो पर अभियान के बारे में सीखेंगे, जिससे आप इसके बारे में जान सकें और दूसरे जनसंचार साधनों पर इसी प्रकार के प्रयासों की सूचना पा सकें, जैसे - धूम्रपान की रोकथाम, तपेदिक, एच.आई.वी/एड्स तथा साक्षरता को बढ़ावा देना, टीकाकरण, सुरक्षित प्रसव तथा ‘जागो ग्राहक जागो’ जैसे अभियान से उपभोक्ता की जागरूकता।

आगे बहुमाध्यम (मल्टी मीडिया) अभियान का एक उदाहरण दिया गया है, जिसमें सभी सहभागी या पणधारी आपसी समन्वयन से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में एच.आई.वी. एड्स के बारे में खुलेपन से बातचीत करने को तैयार हैं।

रेड रिबन एक्सप्रेस (आर.आर.ई.)

चित्र 12.1 -रेड रिबन एक्सप्रेस (आर.आर.ई.)

रेड रिबन एक्सप्रेस एच.आई.वी. एड्स के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए देशव्यापी अभियान था। विशेष रूप से डिजाइइ की गई एक रेलगाड़ी एक वर्ष में 9,000 किलोमीटर से अधिक चली। इसने 180 ज़िले/ हॉल्ट स्टेशन तय किए एवं 43,200 गाँवों में कार्यक्रम तथा क्रियाकलाप आयोजित किए। इसमें सात डिब्बे थे, जो शैक्षिक साधनों, मुख्य रूप से एच.आई.वी./एड्स, अन्योन्यक्रियात्मक टच स्क्रीन तथा $3-D$ मॉडल, एच. आई.वी. / टी.बी. संक्रमण के संदर्भ में सेवाएँ, एल.सी.डी. प्रोजेक्टर तथा लोक कार्यक्रम मंच, परामर्श देने के लिए केबिन तथा डॉक्टों के दो केबिन, जिनमें परामर्श तथा चिकित्सा की व्यवस्था थी।

रेड रिबन एक्सप्रेस की यात्रा कन्याकुमारी से प्रारंभ हुई। इसने ‘परिक्रमा’ शैली को अपनाया और 180 स्टेशनों पर रुककर भारत के लगभग सभी राज्यों से होकर गुज़ी। प्रत्येक स्टेशन पर रुकने पर अभिनय करने वाले कलाकार विभिन्न समूहों में बँट गए। प्रत्येक समूह में निपुण वक्ता तथा अभिनय करने वाले कलाकार थे जो विभिन्न गाँवों में गए और वहाँ उन्होंने सूचना शिक्षा संचार (आई.ई.सी.) के क्रियाकलापों, जैसे - नुक्कड़ नाटक/लोकगीत, कहानियाँ तथा समूह परामर्श सत्र आयोजित किए। स्थानीय रूप से जुटाए गए युवक समूह ने भी गाड़ी वाली टीम के कार्यक्रमों में भाग लिया।

परियोजना को राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको), नेहरू युवा केंद्र संगठन तथा यूनिसेफ़ तथा यू.एन.एड्स आदि अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने भारतीय रेलवे के साथ मिलकर कार्यान्वित किया।

इसका उद्देश्य था-

  • प्राथमिक निवारण सेवाओं के बारे में सूचनाओं का प्रसार करना
  • बीमारी की समझ उत्पन्न करके, एड्स को कलंक न मानकर, इससे पीड़ित व्यक्तियों के प्रति भेदभाव को कम करना
  • रोगों की रोकथाम, स्वास्थ्यय्रद आदतें तथा जीवन शैली के बारे में लोगों की जानकारी बढ़ाना

चित्र 12.2 - रेड रिबन एक्सप्रेस द्वारा आयोजित कार्यक्रम

इस क्षेत्र में अनेक विधियाँ उपयोग में लाई गई हैं। इस इकाई में हम कुछ चुनी हुई विधियों का पुनरीक्षण करेंगे।

1. अभियान — अभियान का अर्थ है विभिन्न संचार विधियों तथा सामग्री जैसे - बैठकें, भ्रमण, समाचार-पत्रों के लेख, पत्रक (लीफ़लेटसू) तथा पूर्व-निश्चित समय के लिए किसी विषय पर प्रदर्शनियों का मिलाजुला उपयोग। यह एक संकेंद्रित तथा भली-भाँति आयोजित क्रियाकलाप है। अभियान से जनता को जानकारी प्राप्त होती है तथा यह विशिष्ट संदेश प्रदान करता है। विभिन्न चैनलों द्वारा नाटकों का उपयोग ध्यान तथा रुचि को सुनिश्चित करता है। यह व्यक्ति की स्मृति से जुड़ जाता है और कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह उपयुक्त कार्य-व्यवहार अपनाने के लिए अनुकूल वातावरण उत्पन्न करता है।

क्रियाकलाप 12.1

ऐसे दो विषयों (मुद्धों) को लिखिए जिन पर अभियान चलाया गया। अभियान के लिए उपयोग में लाई गई विधियों तथा सामग्री का संक्षेप में वर्णन कीजिए। क्या इस अभियान में आपका भी योगदान था? यदि हाँ, तो किस क्षमता से?

2. रेडियो तथा टेलीविज़न — रेडियो तथा टेलीविज़न सर्वाधिक लोकप्रिय, सबसे सस्ते तथा सुविधाजनक जनसंचार माध्यम हैं, जो विकास के प्रयोजन के लिए उपयोग किए जा सकते हैं। रेडियो प्रसारण पत्रकारिता (मुर्रण माध्यम अर्थात् प्रिंट मीडिया) की अपेक्षा अधिक लाभदायी है, क्योंकि इसका उपयोग अधिक से अधिक व्यक्तियों, विशेष रूप से निम्न साक्षरता स्तर के लोगों के लिए किया जा सकता है। इसका टेलीविज़न की अपेक्षा भी अधिक लाभ है, क्योंकि यह अपेक्षाकृत सस्ता है। रेडियो सर्वाधिक सुगम जनसंचार माध्यम है। यह चल माध्यम है, अर्थात् यह कार्य पर या आराम के समय भी श्रोता के पास रहता है।

रेडियो कार्यक्रम — समाचार, साक्षात्कार, चर्चाएँ, वृत्त चित्रों, नाटक, प्रश्नोत्तरी आदि के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं। समाचार में अल्प समय में अनेक विभिन्न विषयों को सम्मिलित कर लिया जाता है। मानव रुचि के सामयिक मनोरंजक तथ्यों तथा कहानियों को नियमित अंतराल से प्रसारित किया जाता है। जन सेवा

उद्घोषणा सामान्यतः तुकबंदी के रूप में, कार्यक्रम के बीच में $10-60$ सेकंड का संक्षिप्त संदेश होता है। इनसे कार्य करने के लिए सूचना या सुझाव प्राप्त होते हैं। मूलतया: ये जनता की भलाई के लिए किसी विचार अथवा संदेश का विज्ञापन होते हैं, जैसे - ‘यातायात के नियमों का पालन कीजिए’ या ‘तंबाकू को मना कीजिए’ और अन्य विषय। सामान्यतः ये अपने आकर्षक नारों तथा प्रसारण की पुनरावृत्ति के कारण बहुत प्रभावशाली होते हैं।

रेडियो स्टेशन की शुरुआती (प्रतिपुष्टि प्राप्त न होने की) सीमा पर नए अन्योन्य क्रियात्मक संरूप (फ़्र्मेट) तथा स्थानीय रेडियो, जिसे समुदाय-रेडियो कहा जाता है और जो सफलतापूर्वक जन माध्यम के रूप में उपयोग किया जा रहा है, संचार माध्यम के रूप में रेडियो की लोकप्रियता के कारण, सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने ‘स्थानीय रेडियो स्टेशन’ पिनको कम्यूनिटी रेडियो स्टेशन कहते हैं (सी.आर.एस.), की नयी संकल्पना को प्रारंभ किया है, जिसमें प्रसारण पत्रकारिता-व्यवसायियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। थोड़ी-सी लागत से, सी.आर.एस. को समर्थन देने के लिए और क्षमता निर्माण के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों द्वारा कुछ स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देकर एक सीमित क्षेत्र में प्रसारण की संभावना सहित एक रेडियो स्टेशन स्थापित किया जा सकता है। यह स्थानीय लोगों द्वारा चलाया और नियंत्रित किया जाता है और इसके विषय उन लोगों की स्थानीय बोली में तथा स्थानीय उपयोग के लिए होते हैं। स्थानीय रेडियो स्टेशन सामान्यतया विकास के स्थानीय कार्यक्रमों को बढ़ावा देते हैं। ये व्यक्तियों को इन कार्यक्रमों में भाग लेने और अपने विचार व्यक्त करने तथा अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करते हैं। इस प्रकार रेडियो व्यक्तियों की आवाज़ बन जाता है और व्यक्तियों के विकास के लिए उत्प्रेरक का कार्य करता है तथा नवयुवकों को विकास, संचार तथा पत्रकारिता (डी.सी.जे.) के क्षेत्र में जीविका के लिए तैयार होने के लिए प्रोत्साहित करता है।

समुदाय रेडियो क्षेत्र प्रसारण, उद्योग में जीविका का एक मार्ग है। समुदाय के साथ सौहार्द्र स्थापित करने के साथ-साथ सहभागिता से संबंध, विषय-वस्तु का विकास तथा मूल्य निर्धारण सफल समुदाय रेडियो पहल के लिए महत्वपूर्ण

क्रियाकलाप 12.2

आप अपने विद्यालय या कॉलोनी के परिसर रेडियो से अपने श्रोताओं के लिए जो कार्यक्रम प्रसारित करना चाहेंगे, उसकी योजना तथा सूची बनाइए।

पूर्वपेक्षाएँ बन जाती हैं। गैर-सरकारी संस्थाओं तथा शिक्षण संस्थाओं को विकास के विषयों पर सूचनाएँ प्रसारित करने के लिए स्थानीय समुदाय रेडियो स्थापित करने के लिए अनुज्ञप्ति प्रदान की जाती है। स्थानीय समुदाय की सहभागिता को बढ़ावा दिया जाता है। इस शक्तिशाली मीडिया का उपयोग सरकारी नीतियों, अधिकारों, कार्यक्रमों, योजनाओं और सेवाओं की जानकारी देने के लिए भी किया जाता है। देश के विभिन्न भागों में समुदाय रेडियो का उपयोग करने में कुछ सफ़ल प्रयास किए गए हैं। इनमें से कुछ उदाहरण हैं — वनस्थली विद्यापीठ (राजस्थान), स्व-नियोजित महिला संस्था सेवा (गुजरात), दिल्ली विश्वविद्यालय एफ.एम. उत्तरी दिल्ली में तथा ऐसे ही समुदाय रेडियो अनेक समुदायों को उनकी समस्याओं तथा उनके हलों के लिए आवाज़ उठाने में सहायता कर रहे हैं।

सितंबर 2004 में, भारत ने अपने शिक्षा उपग्रह (एडुसैट) का प्रमोचन किया जो पहला भारतीय उपग्रह था, जिसे केवल शिक्षा के क्षेत्र की सेवा के लिए निर्मित किया गया। इस शिक्षा उपग्रह का उपयोग भारत में उपग्रह-आधारित अन्योन्य क्रियात्मक दूस्थ शिक्षा पद्धति की माँग को पूरा करने के लिए किया गया।

आजकल टेलीविजजन अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा स्थानीय स्तरों के अनेक चैनलों द्वारा विविध कार्यक्रमों को प्रस्तुत करता है। इनमें से कुछ कार्यक्रमों में व्यक्तियों को वार्ता कार्यक्रमों, वास्तविक घटना कार्यक्रम (रियलिटी-शो) तथा प्रतियोगिताओं आदि में भाग लेने का अवसर मिलता है। अन्य गहन शैक्षिक महत्त्व के कार्यक्रमों को भी निजी चैनलों पर देखा जा सकता है। इनसे पता चलता है कि शिक्षा तथा मनोरंजन, दोनों का उपयोग किस सीमा तक एक साथ किया जा सकता है।

क्रियाकलाप 12.3

विभिन्न राष्ट्रीय तथा स्थानीय चैनलों पर प्रसारित होने वाले ऐसे कार्यक्रमों/तुकबंदियों की सुविस्तृत सूची तैयार कीजिए जो जनसाधारण में स्वास्थ्य, स्वच्छता, भोजन, साक्षरता, पर्यावरण, प्रदूषण, ऊर्जा संरक्षण या किसी प्रकार के दान के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने का प्रयास करते हैं। इसके अतिरिक्त आप छात्रों को प्रश्नोत्तरी की योजना बनाने और उसे संचालित करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

3. मुद्रण माध्यम— राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय दैनिक समाचार-पत्रों में छपने वाले अधिकांश समाचार शहरों के लिए होते हैं। सामान्यतया, कृषि पर रिपोर्ट, ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याएँ और विकास की दूसरी समस्याएँ प्राथमिकता में नीचे रहती हैं। ऐसे समाचार-पत्र तथा पत्रिकाएँ कम ही हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में चलते हैं और स्थानीय मुद्दों को छापते हैं। फिर भी प्रेस की शक्ति को नकारा नहीं जा सकता। यद्यपि अच्छे उदाहरण बहुत कम हैं, फिर भी यह सतत शिक्षा का एक माध्यम है।

नीचे ‘छतेरा ग्राम परियोजना’, नामक प्रयोग का एक उदाहरण दिया गया है जो कि सफलता की एक कहानी मानी जाती है।

छतेरा ग्राम परियोजना 1969 में प्रारंभ हुईई इस परियोजना में उत्तर पश्चिम दिल्ली के एक छोटे गाँव छतेरा पर ध्यान केंद्रित किया गया और हिन्दुस्तान टाइम्स ने व्यक्तियों के जीवन का वर्णन करते हुए नियमित रूप से एक पाक्षिक कॉलम छापना प्रारंभ किया। उत्साही रिपोर्टों के एक दल ने गाँव की स्थिति के बारे में संवेदनशीलता से विस्तृत कहानियाँ देना प्रारंभ किया। उन्होंने ग्राम चौपाल, व्यक्तियों की महत्वाकांक्षाओं, जीवनयापन की समस्याओं और त्योहारों के बारे में लिखा। बिजली तथा जल की समस्याओं और वर्षा की कमी आदि को फ़ोटोग्राफ़ों के साथ प्रस्तुत किया गया। यह अनेक सेवाओं और लाभों की प्राप्ति की दिशा में उत्र्रेरक की भाँति सिद्ध हुआ। स्थानीय नेताओं के मनोयोग से समस्या का समाधन हो गया। समाचार छपने के कारण परियोजना क्षेत्र में मशीनें, पुल, सड़कें तथा बैंक आ गए।

ग्रामीण निर्धनों के लिए मनोयोग तथा संवेदनशीलता से लिखने वाले विकास संचार पत्रकारिता व्यावसायिकों की संख्या कम ही है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे चुनकर संचार तथा विकास के विद्यार्थी विकास के क्षेत्र में प्रेस के प्रभाव को प्रदर्शित कर सकते हैं। मुर्रण माध्यम के पत्रकार विभिन्न घटनाओं के समाचार एकत्र करके उन्हें विभिन्न दैनिकों के संपादकों को भेज सकते हैं। उनको अपने कार्यदिवस में समाचार योग्य घटनाओं आदि के कथामुख (लीड) तैयार करने के लिए व्यक्तियों से साक्षात्कार करना, पत्रकार सम्मेलन में भाग लेना या टेलीफ़ोन से संपर्क करना और ई-मेल भेजना आदि कार्य करने होते हैं। विकास पत्रकारों के लिए इंटरनेट एक बहुमूल्य अनुसंधान साधन है और कंप्यूटर साक्षरता के आधारभूत स्तर के बगैर इसका संतोषजनक रूप से कार्य करना असंभव है।

4. सूचना और संचार प्रौद्योगिकी एक समावेशी शब्द है, जिसमें कंप्यूटर का हार्डवेयर तथा सॉफ़टवेयर (यंत्र सामग्री तथा प्रक्रिया सामग्री), अंकीय प्रसारण तथा दूरसंचार प्रौद्योगिकियाँ सम्मिलित हैं। सूचना संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग व्यक्तियों को सूचना या जानकारी प्रदान करने के लिए किया जाता रहा है। निर्धन तथा धनवान दोनों ही देशों में, मोबाइल फ़ोन के उपयोग ने बाज़ारों के प्रसार तथा सामाजिक कारोबार एवं जन सेवाओं को सक्षम तथा सुसाध्य बना दिया है। मोबाइल फ़ोनों से क्षमता प्राप्त करके समग्र वित्तीय सेवाओं ने बैंकिंग तथा वित्तीय लेन-देनों, विपणन तथा वितरण, रोज़गार तथा जन सेवाओं को सक्षम बना दिया है। सूचना संचार प्रौद्योगिकी ने वित्तीय, सामाजिक तथा राजनैतिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला दिया है।

क्रियाकलाप 12.4

आपके क्षेत्र में प्रचलित किसी छोटे समाचारपत्र या सूचना पत्र को छाँटिए। इसके वितरण, इसमें प्रकाशनार्थ सामग्री भेजने वालों तथा संपादक मंडल के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कीजिए।

क्रियाकलाप 12.5

अपने क्षेत्र, गाँव या कॉलोनी में रहने वाले व्यक्तियों से संबंधित किसी समस्या के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए या लिखिए।

निर्धन व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए-सूचना संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग का अधिक सीधा तरीका टेलीसेंटरों का निर्माण हो सकता है। पिछले दशक में भारत में अनेक परियोजनाएँ प्रारंभ की गई थीं और इस विषय पर पर्याप्त अनुसंधान साहित्य उपलब्ध है, जिसमें से कुछ का सार नीचे बॉक्स में दिया गया है।

  • तमिलनाडु राज्य में ग्रामीण भारत में टिकाऊ पद्धति (एस.ए.आर.आई.) परियोजना—लगभग 80 टेलीसेंटर मंडप बनाए गए, जिनमें अनेक सेवाएँ, जिनमें मूलभूत कंप्यूटर शिक्षा, ई-मेल, वेब ब्राउज़िंग तथा अनेक ई-नियंत्रित सेवाएँ सम्मिलित हैं, जिनमें प्रमाण-पत्रों की व्यवस्था भी है।
  • ज्ञमीनी स्तर पर जुड़ी महिलाओं का सशक्तीकरण— सूचना और संचार प्रौद्योगिकी तथा स्व-नियोजित महिला संघ (सेवा)|

स्व- नियोजित महिला संघ भारत में अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत कई हजजार निर्धन महिलाओं की संस्था है। इस संघ का उदेश्य है, महिला श्रमिकों को पूर्ण रोज़गार तथा आत्मनिर्भरता प्रदान करना। इसके लिए उन्हें अन्य संबंधित क्षेत्रों, जैसे - आय, भोजन तथा सामाजिक सुरक्षा (स्वास्थ्य, शिशु देखभाल तथा आश्रय) की गतिविधियों में कार्य तथा सहारा देना। निर्धनता के बारे में कम जानकारी मिलने के प्रभाव को समझ लेने के पश्चात, स्व-नियोजित महिला संघ ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी को भी अपने कार्य में सम्मिलित कर लिया। इसका उद्देश्य था ज़मीनी सतह से जुड़े लगातार बढ़ते हुए सदस्यों को अधिकार दिलाने के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी को हथियार बनाना। यह अब ऐसे कार्यक्रम चलाते हैं जिससे महिलाओं की क्षमता कंप्यूटर, रेडियो, टेलीविजजन, वीडियो, टेलीफ़ोन, फ़ैक्स मशीनों, मोबाइल फ़ोनों तथा उपग्रह संचार में उपयोग के लिए विकसित हो सके। ग्रामीण क्षेत्रों में समुदाय शिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं तथा सदस्यों की क्षमता बढ़ाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के प्रशिक्षण पर बल दिया गया है, जिनमें वैद्युत, यांत्रिक तथा सूचना प्रौद्योगिकी इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्र सम्मिलित हैं। समय तथा धन की बचत के साथ इस माध्यम से स्व-नियोजित महिला संघ के सदस्यों को विभिन्न ज़िलों में तीव्र तथा आसान संचार तथा समस्याएँ सुलझाने में सहायता भी मिलती है।

इस क्षेत्र में जीविका के लिए ज्ञान और कौशल

संज्ञानात्मक कौशल — किसी समस्या को समझ पाने के लिए संज्ञानात्मक कौशलों की आवश्यकता होती है। समस्याओं तथा संकल्पनाओं को रचनात्मक तरीके से प्रस्तुत करने के लिए (जिससे दूसरों का ध्यान आकर्षित कर सकें और उन पर प्रभाव डाल सकें) सर्जनात्मक कौशलों की आवश्यकता होती है। जनसंचार माध्यम अभिकल्पना, उत्पादन तथा तकनीकी यंत्रों के संचालन में कौशलों के साथ कोई भी विद्यार्थी जब किसी जनसंचार माध्यम कार्यालय (मीडिया हाउस) की विज्ञापन एजेंसी में कोई नियुक्ति या नौकरी लेता है तो वह लाभ की स्थिति में होता है।

तकनीकी कौशल — जो विकास संबंधी फ़िल्म बनाने में रुचि रखते हैं, उन्हें विषय-वस्तु के विकास तथा कार्यान्वयन के अतिरिक्त कैमरे की तकनीकों तथा वीडियो उत्पादन के बारे में जानना आवश्यक है। इनके अतिरिक्त विपणन प्रबंध में संपादन कौशल सहायक होता है।

विकास संचार तथा पत्रकारिता व्यवसायियों को उपकरणों को ठीक ढंग से परिचालित करना आना चाहिए, जिससे कि वे उनका प्रस्तुतीकरण इष्टतम ढंग से कर सकें। उन्हें सभी कानूनों और विनियमों की जानकारी होनी चाहिए, ताकि उन्हें ज्ञात रहे कि वे क्या कर सकते हैं और क्या नहीं। साक्षात्कार तकनीकों के विकास के साथ-साथ प्रवाहपूर्ण तथा मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए प्रस्तुतीकरण तकनीकों का विकास भी आवश्यक है। उन्हें स्टेशन को चलाने में उपयोग किए जाने वाले कंप्यूटरों, उचित यंत्रोतर सामग्री का उपयोग करके मूलभूत रेडियो प्रस्तुति कौशलों तथा प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त करने के लिए सर्जनात्मक संक्षिप्त लेख लिखना, सीखना आवश्यक है। विकास संचार विद्यार्थी, प्रशिक्षु की तरह प्रायः रेडियो का विज्ञापन लेख लिखकर और उसे रिकॉर्ड करके प्रसारित करने पर वास्तविक अनुभव प्राप्त करता है। विकास संचार तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में जीविका के लिए, पत्रकारिता तथा प्स्तुति कौशलों का मिश्रण आवश्यक है। सामायिक विषयों तथा स्थानीय परिस्थितियों में रुचि, रेडियो में प्रत्यक्ष सीखने का अनुभव, संचारित करने की क्षमता तथा संगीत का ज्ञान भी लाभकारी है।

प्रश्न करने की क्षमता किसी भी समस्या के सूक्ष्म ब्यौरे जानने में सहायता करती है। साहसिक यात्रा का शौक भी लाभकारी है, क्योंकि देश के दुर्गम भागों की यात्रा अद्वितीय तथा रोचक घटना-वार्ताओं को एकत्रित करने में सहायक होती है।

विविध प्रकार के समूहों के साथ कार्य करने की क्षमता विकास संचार विद्यार्थी के लिए अनिवार्य है। उसे जन केंद्रस्थ होना चाहिए, जिससे कि वह उनके जीवन को प्रभावित करने वाली समस्याओं के बारे में उनके विचार समझ सके और ऐसे हल ढूँढ सके जो उनके लिए कारगर हों। इसके लिए सामाजिक कार्य के सिद्धांतों को जानना आवश्यक है। इस संबंध में मार्गदर्शक सिद्धांत हैं, ‘व्यक्तियों की सहायता इस तरह कीजिए कि वे स्वयं की सहायता कर सकें।’ इसके साथ ही नेतृत्व के कौशलों को प्राप्त करना और व्यवहार में लाना सफल होने में सहायक होता है। यदि कोई व्यक्ति विकास संचार विशेषज्ञ बनने का इच्छुक है, तो उसे अच्छा

श्रोता भी होना चाहिए, ताकि वह संवेदनशीलता के साथ लिख सके। अंतरा-वैयक्तिक कौशल कर्मचारियों, सहभागियों तथा परामर्शदाताओं के साथ वृत्तिक रूप से अन्योन्यक्रिया करने की क्षमता का होना आज की कार्य-संस्कृति की माँग है।

भाषा तथा कंप्यूटर कौशल अति आवश्यक हैं। किसी भी एक भाषा पर अधिकार, जिसमें बोलना, लिखना और पढ़ना एवं तकनीकी रिपोर्ट तथा प्रलेख लिखने की क्षमता सम्मिलित हैं, महत्वपूर्ण है। ‘माइक्रोसॉफ़्ट ऑफ़िस एप्लीकेशन’ जिसमें ‘वर्ड’, ‘एक्सेल’ तथा ‘पावर पॉइंट’ सम्मिलित हैं, जैसे - कंप्यूटर के मूलभूत कौशलों का ज्ञान होना सफलता के लिए वांछनीय हैं।

विकास संचार में कार्यक्षेत्र और जीविका के अवसर

इस क्षेत्र में सूचना प्रसार तथा शिक्षा, व्यवहार परिवर्तन, सामाजिक विपणन, संचार-माध्यम अनुशंसा, सामाजिक परिवर्तन के लिए संचार तथा सहभागिता विकास संचार जैसी समस्याओं को संबोधित करने के लिए माध्यम तथा संचार की अनेक तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार, विषय तथा उपयोग की दृष्टि से इस क्षेत्र का व्यापक कार्यक्षेत्र है। प्रशिक्षण कार्य, परामर्शी तथा क्रियात्मक परियोजनाएँ आरंभ करना, जो विकास प्रक्रिया में लगे व्यक्तियों की संचार क्षमताओं तथा संसाधनों का निर्माण करने में सहायक हों, भी इसके अध्ययन क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

विकास संचार विशेषज्ञ, सरकारी तथा गै-सरकारी संस्थाओं तथा जनसंचार संगठनों आदि के सामाजिक क्षेत्र में जीविका के अनेक प्रकार के मार्गों को चुन सकता है, क्योंकि बड़ी परियोजनाएँ अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहायता से सरकारी विभागों द्वारा चलाई जाती हैं, इसलिए रोज़गार के ये अवसर, आर्थिक तथा मनोवैज्ञानिक, दोनों ही प्रकार से संतोषकारी होते हैं।

कुछ अन्य विकल्पों को निम्न प्रकार से सारांशित किया जा सकता है-

  • विकास पत्रकार मुद्रण माध्यम में, दूरदर्शन, रेडियो, सामुदायिक जन संचार माध्यम, परंपरागत संचार माध्यम, में रेडियो-जॉकी तथा एंकर वृत्ति में विकल्प ढूँढ सकते हैं।
  • अनुसंधान-छात्र अनुसंधान संस्थाओं में, स्त्री-पुरुष (जेंडर) तथा विकास समस्याओं, पर्यावरण, उपभोग-व्यवहार, स्वास्थ्य, कृषि तथा जीवन-यापन समस्याओं का अध्ययन करने के लिए
  • प्रशिक्षक ज़मीनी स्तर तथा क्षेत्रगत के कार्यकर्ताओं, नीतियाँ बनाने वाले तथा निगम-गृहों के अफ़सरों को प्रशिक्षित करने के लिए
  • स्वतंत्र-पत्रकार अथवा लेखक संस्थाओं के लिए परामर्शदाता

इस प्रकार यह स्पष्ट है कि विकास संचार के क्षेत्र में जीविका के अनेक अवसर उपलब्ध हैं और भविष्य में भी इनमें विविधताएँ आती रहेंगी।

प्रमुख शब्द

विकास संचार, जनसंचार, अभियान, समुदाय रेडियो, मुद्रण माध्यम, सूचना, संचार प्रौद्योगिकियाँ (आई.सी.टी.), प्रश्न करना।

पुनरवलोकन प्रश्न

1. विकास संचार क्या है और विकास में इसकी क्या भूमिका है?

2. विकास संचार की अपेक्षित विशिष्टताएँ क्या हैं?

3. अभियान क्या है? अपनी पसंद की समस्या पर अभियान के लिए एक नारा बनाइए।

4. समुदाय रेडियो आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) से किस प्रकार भिन्न है?

5. अपने विद्यालय के पुस्तकालय से एक समाचार-पत्र लीजिए। पर्यावरण से संबंधित समाचारों को देखिए। कक्षा में छात्रों से सिनेमा, जीवन शैलियों तथा विकास से संबंधित समाचारों की दृष्टि सीमा और उनके संभावित कारणों की चर्चा कीजिए।

6. ‘सूचना संचार प्रौद्योगिकियाँ विकास की भावी वाहिका हैं। टिप्पणी कीजिए।

प्रयोग

विषय-वस्तु - रेडियो जन सेवा उद्घोषणा का अध्ययन

कार्य - रेडियो पर जन सेवा उद्घोषणा की अंतर्वस्तु, प्रासंगिकता, प्रभाव तथा तकनीक के बारे C में सुनिए तथा उसे रिकॉर्ड कीजिए।

उद्देश्य - इस बात की गहन जानकारी प्राप्त कीजिए कि रेडियो जनसंचार माध्यम के रूपजन सेवा उ‌द्घोषणा के द्वारा किस प्रकार जागरूकता उत्पन्न करने में सक्षम हैं।

विधि - रेडियो जन सेवा उद्घोषणा के विश्लेषण के लिए कक्षा को चार वर्गों में बाँटिए। विद्यार्थियों का समूह रिकॉर्ड की गई उद्घोषणा को सुनता है और तब दिए गए प्राचलों के आधार पर इसका विश्लेषण करता है। विश्लेषण के पश्चात् जनसेवा उद्घोषणा की गुणवत्ता के विश्लेषण के लिए अंक दिए जा सकते हैं।

रिकॉर्ड की गई जन सेवा उद्घोषणा का निम्नलिखित प्राचलों के आधार पर विश्लेषण कीजिए-

विषय/संदेश
तिथि तथा समय
अवधि
प्रयुक्त तकनीक उदाहरण के लिए——रिहास सहित संवाद/तुकबंदी
चैनल
लक्ष्य समूह
अनुदेश माध्यम
उद्देश्य
उत्तम (1) अच्छा(2) औसत (1) खराब(0)
दिन/तिथि/समय की उपयुक्तता
श्रोताओं को व्यस्त रखना
रुचि उत्पन्न करना
जागरूकता को प्रेरित करना
श्रोताओं को प्रेरित करना
अधिस्वर (वॉइस ओवर)का चयन
संदेश की स्पष्टता
ध्वनि अंकन की स्पष्टता
ध्वनि प्रभावों की उपयुक्तता
जन सेवा उद्घोषणा के प्रवर्त्तक या स्रोत बताइए

कुल प्राप्तांक -30

जनसंचार उद्घोषणा के द्वारा सामाजिक समस्याओं, जैसे — ‘स्वच्छ भारत अभियान’ स्वच्छता के लिए जागरूकता उत्पन्न करने में रेडियो के योगदान पर चर्चा की जा सकती है।



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