अध्याय 06 राग परिचय एवं बंदिशें
राग भेरव
राग लिवरण
इस राग की उत्पत्ति भैरव थाट से मानी जाती है। इसमें ऋषभ और धैवत स्वर कोमल तथा शेष स्वर शुद्ध लगते हैं। इसकी जाति संपूर्ण मानी गयी है। राग भैरव का वादी स्वर धैवत तथा संवादी स्वर ऋषभ होता है। इस राग के आरोह में ऋषभ का अल्पत्व रहता है, इस राग की विशेषता रेध स्वरों पर निर्भर करती है। इसमें मध्यम से ऋषभ की मींड बहुत सुंदर दिखाई देती है। इसका गायन समय प्रात:काल है। यह एक गंभीर प्रकृति का राग है। कर्नाटक संगीत में इसे ‘मायामालवगौल’ के नाम से जाना जाता है। संगीत के कुछ मनीषियों ने इसे आदि राग भी माना है।
मुख्य बिंदु
थाट | भैरव |
---|---|
जाति | संपूर्ण |
स्वर | रे ध कोमल, शेष शुद्ध |
वादी | ध् |
संवादी | रेगायन |
समय | प्रात:काल |
आरोह | स रे़ ग म, प ध, नि सं |
अवरोह | सं नि ध, प म ग, रे, स |
पकड़ | ग म ध ध ध प, ग म परेरे स |
राग भैरव-त्रिताल (मध्य लय)
क्रमिक पुस्तक मालिका–भाग 2
स्थायी $ \quad $ धन धन मूरत कृष्ण मुरारी सुलच्छछन गिरिधारी छबि सुंदर लागे अति प्यारी
अंतरा $ \quad $ बंसी धर मन मोहन सुहावे बलि बलि जाऊँ मोरे मन भावे सब रंग ज्ञान विचारी
भैरव-एकताल (विलंबित)
क्रमिक पुस्तक मालिका–भाग 2
स्थायी $ \quad $ बिना हरि कौन खबर मोरी लेत
अंतरा $ \quad $ काहे को सोच करे मन मूरख नित उठि भोजन देत
धमार
ताल-धमार
डागर घराने की बंदिश
स्थायी $ \quad $ आज धूम मची है बृज में आली, अब कैसे मान रहे गोरी
अंतरा $ \quad $ चोहा चंदन और अतर अरगजा केसर रंग मचे गौरी।
राग भैरव (त्रिताल)-मसीतरानी गत
राग भैरव (त्रिताल)-रज़ाखवानी गत
राग भैरव (त्रिताल)-रज़ाखवानी गत
कुछछ लोकप्रिय गीत जो राग भैरव पर आधारित हैं-
जागो मोहन प्यारे जागो
(चित्रपट—जागते रहो (1956), गायिका—लता मंगेशकर, संगीतकार-सलिल चौधरी, गीतकार-शैलेंद्र सिंह)
अम्मा रोढी दे, लाबा रोढी दे
(चित्रपट—संसार (1951), गायिका—्लता मंगेशकर, संगीतकार-वी. एस. कल्ला, इमानी शंकरा शास्त्री और एम. डी. पार्थ शास्त्री, गीतकार——ं. इंद्रा चंद्रा)
मोहे भूल गये साँवरिया
(चित्रपट-बैज बावरा (1952), गायिक-लता मंगेशकर, संगीतकार-नौशाद, गीतकार-शकील बदायूँनी)
इक ॠतु आए इक ऋतु जाए, मौसम बढले ना बढले नसीब
(चित्रपट-गौतम गोविंदा (1979), गायक-किशोर कुमार, संगीतकार-लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, गीतकार-आनंद बख्शी)
अभ्यास
विभाग ‘अ’ के शब्दों का ‘आ’ विभाग में दिए गए शब्दों से मिलान करें-
अ | आ |
---|---|
(क) राग भैरव का थाट | 1. प्रात:काल |
(ख) कोमल स्वर | 2. स रे ग म, प ध, नि सं |
(ग) गायन समय | 3. जागो मोहन प्यारे |
(घ) आरोह | 4. भैरव |
(ड·) अवरोह | 5. रे ध |
(च) आधारित गीत | 6. सं नि ध, प म ग, रे स |
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. राग भैरव की जाति _____________ है।
2. राग भैरव को कर्नाटक संगीत में _____________ राग के नाम से जाना जाता है।
3. इसका वादी ___________ व ___________ संवादी ___________ स्वर है।
4. इसके ____________ व ______________ पर आंदोलन किया जाता है।
5. ‘अम्मा रोटी दे, बाबा रोटी दे’ गीत _______________ फि़ल्म से लिया गया है।
सही या गलत बताइए-
1. राग भैरव में ठुमरी ज्यादा गाई जाती है।
(सही/गलत)
2. यह अपने राग का आश्रय राग नहीं है। (सहीगलत)
(सही/गलत)
3. इस राग में ध्रुपद व तराना भी गाया जाता है।
(सही/गलत)
4. प्रसिद्ध फिल्म बैजू बावरा (1952) में सिनेमा जगत में प्रदर्शित की गई थी।
(सही/गलत)
5. राग भैरव सायंकालीन राग है।
(सही/गलत)
इन प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1. राग भैखर पर आधारित कोई एक श्लोक लिखिए तथा उसका भावार्थ बताइए।
2. राग भैरव पर आधारित कोई एक बंदिश की स्वरलिपि लिखिए।
आइये, पाठ्यक्रम से हढकर संगीत की कुछ अन्य पृष्ठभूमि पर भी चर्चा करें-
1. भारत की आजादी के बाद संगीत क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा? इसके उतार-चढ़ाव को अपने शब्दों में लिखिए।
2. संगीत शिक्षा को स्कूल शिक्षा का एक विषय बना दिया गया। क्या आप इस बदलाव से सहमत हैं या नहीं। कारण सहित बताइए।
राग खमाज
राग विवरण
यह राग खमाज थाट का राग है जो कि आश्रय राग की श्रेणी में आता है। इस राग में दोनों निषाद प्रयोग किए जाते हैं। आरोह में शुद्ध निषाद तथा अवरोह में कोमल निषाद का प्रयोग होता है, शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। इसकी जाति षाड्व-संपूर्ण है। इस राग का वादी स्वर गांधार और संवादी निषाद है। इसके आरोह में ऋषभ वर्जित होता है। इसके अवरोह में अनेक बार पंचम वक्र करके लगाया जाता है। इसका गायन समय रात्रि का दूसरा प्रहर होता है। यह ठुमरी अंग का राग है अत: प्राय: इसमें ठुमरी, भजन व देश-भक्ति गीत आदि गाए जाते हैं। इसके वादन में विलंबित और द्रुत (मसीतखानी व रज़ाखानी) दोनों प्रकार की गतें बजाई जाती हैं। दक्षिण भारतीय संगीत में इसे ‘हरिकाम्भोजी’ कहा जाता है।
मुख्य बिंदु
थाट $\qquad $ खमाज
जाति षाड्व $\qquad $ संपूर्ण
वादी $\qquad $ ग
संवादी $\qquad $ नि
वर्जित स्वर $\qquad $ आरोह में ऋषभ
वर्जित गायन समय $\qquad $ रात्रि का द्वितीय प्रहर
आरोह $\qquad $ स ग, म प, ध नि सं
अवरोह $\qquad $ सं नि ध प, म ग, रे स
पकड़ $\qquad $ नि ध, म प ध 5 म ग
राग खमाज-त्रिताल (मध्यलय)
क्रमिक पुस्तक मालिका-भाग 1
स्थायी $ \quad $ नमन करूँ मैं सद्-गुरु चरणा सब दुख हरणा भव निस्तरणा
अंतरा $ \quad $ शुद्ध भाव धर अंतः करणा सुर नर किन्नर वंदित चरणा
राण ख्वमाज (धमार)-ताल-धमार
डागर घराने की बंदिश
स्थायी $ \quad $ श्याम रंग डारत बरजोरी चुनरी भिजोई गागर फोरी
अंतरा $ \quad $ रंग पिचकारी तक तक मारी छाडो छाड़ो गैलहि मोरी
राग रुमाज (तीनताल)-मसीतखानी गत
राग खमाज (तीनताल)-रज़ाखानी गत
राग रवमाज़ (तीनताल)-रज़ाखवानी गत
कुछ लोकप्रिय गीत जो राग खामाज पर आधारित हैं-
बड़ा नटखट है रे कृष्ण कन्हैया
(चित्रपट—अमर प्रेम (1971), गायिका-लता मंगेशकर, संगीतकार—राहुल देव वर्मन, गीतकार—आनन्द बख्शी)
आन मिलो सजना, अँखियों में ना आये बिंदिया
(चित्रपट—गदर्र-एक प्रेम कथा (2001) गायक-पं. अजय चक्रवर्ती गायिका— परवीन सुल्ताना, संगीतकार-उधमसिंह, गीतकार-आनन्द बख्शी)
भजन-वैष्णल जन तो तैने कहिये
(लेखक—संत कवि नरसी मेहता)
आयो कहाँ से घन श्याम
(चित्रपट-बुड्ढा मिल गया (1971) गायक— मन्ना डे, गायिका— अर्चना, संगीतकारराहुल देव वर्मन, गीतकार-मज़रूह सुल्तानपुरी)
अभ्यास
राग रवमाज के बारे में आप पढ़ चुके हैं। आइए नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करें-
1. राग खमाज किस थाट के अंतर्गत आता है?
2. राग खमाज का गायन समय बताइए।
3. क्या राग खमाज के आरोह में शुद्ध ‘नि’ का प्रयोग होता है?
4. राग खमाज में किस प्रकार की शैलियों की रचनाएँ गाई जाती हैं?
5. राग खमाज पर आधारित कोई दो फिल्मी गीत लिखिए तथा उस गीत के कलाकारों के बारे में भी लिखिए।
6. ‘वैष्षव जन तो तैने कहिये’ किस कवि की रचना है?
7. राग खमाज पर आधारित कोई एक श्लोक लिखिए तथा राग के मुख्य लक्षण बताइए।
8. राग खमाज पर आधारित कोई एक बंदिश की स्वरलिपि लिखिए।
9. कोई दो प्रसिद्ध गीतकार और संगीतकार का योगदान बताए जिन्होंने राग खमाज में कुछ रचनाएँ की हों?
सही या गलत बताइए-
1. राग खमाज आश्रय राग की श्रेणी में नहीं आता है।
(सही/ गलत)
2. इसके आरोह में निषाद वर्जित स्वर होता है।
(सही/गलत)
3. इस राग की जाति षाड्व संपूर्ण होती है।
(सही/गलत)
4. ‘आयो कहाँ से घनश्याम’ गीत लता मंगेशकर द्वारा गाया हुआ गीत है।
(सही/गलत)
5. इसके आरोह तथा अवरोह में क्रमशः शुद्ध व कोमल निषाद प्रयोग होता है।
(सही/गलत)
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. राग खमाज का वादी ___________ तथा _____________ संवादी होता है।
2. राग खमाज की जाति __________________ होती है।
3. इसके वादन में _____________ गतें बजाई जाती हैं।
4. ‘आन मिलो सजना’ गीत _______________ फिल्म से संबंधित है।
5. गीतकार मज़रूह सुल्तानपुरी और संगीतकार राहुल देव वर्मन द्वारा रचित राग खमाज पर आधारित गीत ___________________ है।
आइये, पाठ्यक्रम से हढकर कुछ भिन्न बातों पर भी चर्चा करें-
1. जो राग हम सीखते हैं व गाते हैं उन रागों पर आधारित सुगम संगीत और फिल्मी संगीत आप को कैसा लगता है ? विस्तृत जानकारी अपने शब्दों में लिखिए।
2. एक अच्छे संगीतज्ञ के लिए रियाज़ करना बहुत ज़रूरी होता है, क्यों? अपने शब्दों में लिखिए।
राग यमन (कल्याण)
राग लिवरण
यह राग कल्याण थाट का राग है और आश्रय राग की श्रेणी में आता है। इसमें मध्यम स्वर तीव्र तथा अन्य स्वर शुद्ध लगते हैं। इसके आरोह तथा अवरोह में सातों स्वर प्रयोग में लाये जाते हैं इसीलिए इसकी जाति भी संपूर्ण है। वादी स्वर गंधार तथा संवादी स्वर निषाद होता है। यह गंभीर प्रकृति का राग है। इसका गायन समय रात्रि का प्रथम प्रहर है। इस राग का चलन प्राय: निषाद से शुरू होता है। इसमें छोटा व बड़ा ख्याल, ध्रुपद, तराना तथा विलंबित और द्रुत गतें सभी सामान्य रुप से गाई बजाई जाती हैं। अगर यमन और कल्याण को एक साथ मिश्रित कर देते हैं, तब यह नवीन राग ‘यमन कल्याण’ बन जाता है। इसमें शुद्ध म केवल अवरोह में किंचित दो गंधारों के बीच प्रयोग किया जाता है, जैसे— प म ग म ग रे ज़ि रे स। कर्नाटक पद्धति में इसे ‘कल्याणी’ कहा जाता है।
मुख्य बिंदु
थाट $\quad$ कल्याण
जाति षाड्व $\quad$ संपूर्ण
वादी $\quad$ ग
संवादी $\quad$ नि
वर्जित स्वर $\quad$ कोई नहीं
गायन समय $\quad$ रात्रि का प्रथम प्रहर
आरोह $\quad$ सरे गम प प नि सं
अवरोह $\quad$ सं नि ध प म गरे स
पकड़ $\quad$ निरे गम मी परे गरे निरे स
राग यमन-त्रिताल
क्रमिक पूस्तक मालिका-भाग 1
स्थायी $\quad$ गुरु बिन कैसे गुन गावे गुरु न माने तो गुन नहिं आवे गुनियन में बेगुनी कहावे
अंतरा $\quad$ माने तोरी भावे सबको चरन गहे सादी कनके जब गावे अचपल ताल सुर
लक्षणगीत राग यमन-एकताल (मध्यलय)
क्रमिक पुस्तक मालिका-भाग 1
स्थायी $\quad$ सब गुनि जन इमन गात तीवर सुर करत साथ
अंतरा $\quad$ सुर वादि गंधार साध समवादि कर निखाद रात समय प्रथम प्रहर चतुर सुजन मन रिझात
यमन-एकताल (विलंबित)
क्रमिक पूस्तक मालिका-भाग 2
स्थायी $\quad$ मेरा मन बाँध लीनो रे हाँ रे इन जोगीया के साथ
अंतरा $\quad$ सदारंग करम करो क्यूँ ना इन प्रान नाथ के हाथ
राग-यमन चौताल
क्रमिक पुस्तक मालिका-भाग 2
स्थायी $ \quad $ अधर लगाई रस प्याई बाँसुरी बजाई, मेरो नाम गाई, हाय जादू कियो मन में
अंतरा $ \quad $ नटखट नवल सुघर नंद नंदनी करी के अचेत चेत हरी के जतन में
राग यमन (तीनताल)-रज़ाखानी गत
उस्ताद मुश्ताक अली खान साहब की बंदिश
राग यमन (तीन ताल)-मसीतखानी गत
कुछ लोकप्रिय गीत जो राग यमन पर आधारित हैं-
तू ही राम है, तू रहीम है, तू करीम कृष्ण खुढा हुआ
(भजन—श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन, गायिका—लता मंगेशकर)
अभी ना जाओ छोड़कर, कि दिल अभी भरा नहीं
(चित्रपट-हम दोनों (1961), गायिका-आशा भोंसले गायक-मोहम्मद रफ़ी, संगीतकार—जयदेव, गीतकार—साहिर लुधियानवी)
आये हो मेरी ज़िन्दगी में, तुम बहार बनके
(चित्रपट-राजा हिंदुस्तानी (1996), गायक—उदित नारायण, संगीतकार—-नदीम श्रवण, गीतकार— समीर)
इन्हीं लोगों के ले लीना, दुपद्ठा मेरा
(चित्रपट—पाक़ीजा (1972), गायिका—लता मंगेशकर, संगीतकार—गुलाम मोहम्मद और नौशाद, गीतकार— मजजरूह सुल्तानपुरी)
अभ्यास
आइये, देखते हैं क्या राग यमन को पढ़कर हम निम्न प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं-
1. तीव्र मध्यम का चिन्न कैसा होता है?
2. राग यमन का आरोह तथा अवरोह लिखिए।
3. राग यमन में वर्जित स्वर कौन-सा है?
4. राग यमन को दूसरे किस नाम से प्रसिद्धि मिली हुई है?
5. ‘आये हो मेरी जिंदगी में, तुम बहार बनके’ किस फिल्म का गीत है तथा यह किस राग पर आधारित है?
6. पाकीजा फिल्म जो 1972 में प्रदर्शित हुई, इसका कौन सा गीत राग यमन पर आधारित है तथा इसके गीतकार व गायक कौन हैं?
7. राग यमन पर आधारित कोई एक श्लोक लिखिए तथा उसके लक्षण बताइए।
8. राग यमन पर आधारित कोई एक बंदिश की स्वरलिपि लिखिए।
सही या गलत बताइए-
1. राग यमन का गायन समय रात्रि का तृतीय प्रहर है।
(सही/गलत)
2. यह एक गंभीर प्रकृति का राग भी है।
(सही/गलत)
3. ‘अभी ना जाओ छोड़कर, कि दिल अभी भरा नहीं’ गीत यमन राग पर आधारित गीत नहीं है।
(सही/गलत)
4. राग यमन का अवरोह सं नि ध प, म ग रे स है।
(सही/गलत)
5. ‘इन्हीं लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा’, गीत लता मंगेशकर द्वारा गाया गया है तथा मजरूह सुल्तानपुरी द्वारा लिखा हुआ है।
(सही/गलत)
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. राग यमन का गायन समय _________________ है।
2. राग यमन की जाति _______________ है।
3. राग यमन का वादी स्वर _________________ तथा _____________ संवादी स्वर है।
4. यह ______________ थाट का आश्रय राग है।
5. राग यमन _______________ सप्तकों में गाया जाता है।
आइये, पाठ्यक्रम से हढकर कुछ भिन्न बातों पर भी चर्चा करें-
1. किसी कलाकार को कभी आपने राग यमन गाते सुना है? उनकी गाई या बजाई बंदिशें आपको कैसी लगीं? उनकी विशेषताओं को शब्दों में लिखिए।
2. क्या आप फिल्में देखते हैं, अगर हाँ तो क्यों? क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण भी है? अपने शब्दों में लिखिए।
राग भूपाली
राण विवरण
यह राग कल्याण थाट का राग है। इस राग में मध्यम तथा निषाद दोनों स्वर पूर्णत: वर्जित हैं अत: इसकी जाति औड्व औड्व है। इसका वादी गंधार तथा संवादी धैवत है। यह पूर्वांग प्रधान राग है। यह गंभीर प्रकृति का राग है। इसमें ध्रुपद, बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल व तराना गाया जाता है। इस राग में मसीतखानी तथा रजाखानी दोनों ही बजाई जाती हैं। इसमें ठुमरी नहीं गाई जाती है। गायन समय रात्रि का प्रथम प्रहर है। दक्षिण भारतीय संगीत में इसे ‘मोहनम् राग’ कहते हैं।
मुख्य बिंदु
थाट $ \quad $ कल्याण
वर्जित स्वर $ \quad $ म, नि, अन्य स्वर शद
जाति षाड्व $ \quad $ औडव औडव
वादी $ \quad $ ग
संवादी $ \quad $ ध
गायन समय $ \quad $ रात्रि का प्रथम प्रहर
आरोह $ \quad $ स रे ग प ध स
अवरोह $ \quad $ सं ध प ग रे स
पकड़ $ \quad $ ग रे स ध़, स रे ग, प ग, ध प ग, रे स
भूपाली-त्रिताल (मध्य लय) | स्वरमालिका
क्रमिक पूस्तक मालिका-भाग 3
राग भूपाली-चौताल (विलंबित)
क्रमिक पूस्तक मालिका-भाग 3
स्थायी $ \quad $ तू हि सूर्य तू हि चंद्र तू हि पवन तू हि अगन तू हि आप तू अकास तू हि धरनि यजमान
अंतरा $ \quad $ भव रूद्र उग्र सर्व पशुपती सम समान ईशान भीम सकल तेरे ही अष्ट नाम
राग भूपाली-त्रिताल (मध्यलय)
क्रमिक पुस्तक मालिका-भाग 3
स्थायी $ \quad $ दरशन दीजे त्रिभुवन पाली त्रिभुवन नायक बहुसुख दायक विलम करो मत हाली
अंतरा $ \quad $ अति उदार गत अगम निगम के रसिकन के रस ख्याली
$ \quad $ $ \qquad $ श्री कमलापति बृज के वासी कर खुशाल प्रति पाली
राण भूपाली-त्रिताल (मध्यलय)
क्रमिक पूस्तक मालिका-भाग 3
स्थायी इतनो जोबन पर मान न करिये डरिये प्रभुसों आज आली
अंतरा जो कोई आवे अपने ढिंगवा तासों गरबन कीजिये सदारंग यह रीत माने
राग भूपाली-ध्रिपद (चौताल)
डागर घराने की बंदिश
स्थायी $ \quad $ तान तलवार तार की सिपर लिए फिरत, गुनि अपने मन मानि जहाँ तहाँ बजित तत तुर्त
अंतरा $ \quad $ सुर कमान बोल वाण छूटे जहाँ लागत रीझत सुझावत विद्याधर फुरत
राग भूपाली-तीबताल (मसीतखानी गत)
राग भूपाली-तीनताल (रज़ाखानी गत)
राग भूपाली-तीनताल (रज़ाखवानी गत)
कुछ लोकप्रिय गीत जो राग भूपाली पर आधारित हैं-
चंदा है तू मेरा, सूरज है तू
(चित्रपट— अराधना (1969), गायिका—लता मंगेशकर, संगीतकार—सचिन देव वर्मन, गीतकार— आनन्द बख्शी)
मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरा ना कोई
(चित्रपट—मीरा (1947), गायिका—एम. एस. सुब्बूलक्ष्मी, संगीतकार-एस. वी. बैंकटरमन, गीतकार—पं. नरेन्द्र शर्मा)
इन आँख्यों की मस्ती के, मस्ताने हज़ारों हैं
(चित्रपट—उमराव जान (1981), गायिका—आशा भोंसले, संगीतकार-खैय्याम, गीतकार- हसरत जयपुरी)
पंछी बनूँ, उड़ती फिरूँ, मस्त गगन में
(चित्रपट—चोरी-चोरी (1956), गायिका—लता मंगेशकर, संगीतकार—शंकर जयकिशन, गीतकार- हसरत जयपुरी)
देखा एक रुवाब तो ये सिलसिले हुड
(चित्रपट-सिलसिला (1981), गायिका—आशा भोंसले, गायक- किशोर कुमार, संगीतकार— शिव हरि, गीतकार— जावेद अख्तर)
अभ्यास
आइये, ढेखाते हैं क्या राग भूपाली को पढ़कर हम निम्न प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं-
1. राग भूपाली की जाति व थाट क्या हैं?
2. राग भूपाली की पकड़ व अवरोह लिखिए?
3. दक्षिण भारतीय संगीत में इसे किस नाम से जानते हैं?
4. इस राग में ठुमरी क्यों नहीं गाई जाती है?
5. आशा भोंसले का कौन-सा गीत राग भूपाली पर आधारित है?
6. राग भूपाली पर आधारित कोई एक श्लोक लिखिए तथा उसका भावार्थ बताइए।
7. राग भूपाली पर आधारित कोई एक बंदिश की स्वरलिपि लिखिए।
8. राग भूपाली का विस्तृत वर्णन करते हुए इस पर आधारित गीत भी लिखिए तथा उनसे संबंधित कलाकारों की भी चर्चा करिए।
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. राग भूपाली का वर्जित स्वर _______________ है।
2. इसका गायन समय _______________ है।
3. इसका वादी स्वर ________________ तथा संवादी स्वर ________________ है।
4. इन आँखों की मस्ती के _______________ हजारों हैं। गीत को पूर्ण कीजिए।
5. राजकपूर नर्गिस की फिल्म चोरी-चोरी के गीत “पंछी बनूं, उड़ती फिरू, मस्त गगन में” के गीतकार _______________ व वायक कलाकार _______________ हैं।
सही या गलत बताइए-
1. दक्षिण भारतीय संगीत में भी इसे भूपाली राग नाम से जाना जाता है।
(सही/गलत)
2. यह भूपाली थाट का राग है।
(सही/गलत)
3. यह राग उत्तरांग प्रधान राग है।
(सही/गलत)
4. फिल्म अराधना का गीत ‘चंदा है तू मेरा, सूरज है तू’ भूपाली राग पर आधारित गीत नहीं है।
(सही/गलत)
5. ‘देखा एक ख्वाव तो ये सिलसिले हुए’ के गीतकार जावेद अख्तर, गायिका लता मंगेशकर तथा गायक किशोर कुमार है।
(सहीगलत)
आइये, पाठ्यक्रम से हढकर कुछ भिन्न बातों पर भी चर्चा करें-
1. राग क्या है? रागों की गायकी का इतना महत्त्व क्यों होता है?
2. मानव जीवन में संगीत के क्या फायदे हैं? आप किस तरह से संगीत से अपने आपको जोड़ते हैं? उदाहरण देकर एक लेख लिखिए ( 500 शब्दों में)।
राग अल्हेया बिलावल
राग विवरण
यह राग बिलावल थाट से उत्पन्न राग है। इस राग में सभी स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। इसकी जाति संपूर्ण है। इसका वादी स्वर धैवत तथा संवादी स्वर गंधार है। यह उत्तरांग प्रधान राग है अर्थात् इसका वादी स्वर धैवत सप्तक के उत्तरांग (म प ध नि सं) से लिया गया गया है। यह जानकारी होना भी अति आवश्यक है कि बिलावल और अल्हैया बिलावल दोनों अलग-अलग राग हैं। राग बिलावल इसका मिलता-जुलता राग है किंतु उसमें कोमल निषाद का प्रयोग नहीं होता है। इसका गायन समय दिन का प्रथम प्रहर है।
मुख्य बिंदु
थाट $ \quad $ बिलावल
जाति षाड्व $ \quad $ संपूर्ण
वादी $ \quad $ $ \qquad $ ध
संवादी $ \quad $ $ \qquad $ ग
गायन समय $ \quad $ रात्रि का प्रथम प्रहर
आरोह $ \qquad $ स गरे ग प ध नि सं
अवरोह $ \qquad $ सं नि ध प, ध नि ध प,म ग म रे, स
पकड़ $ \qquad $ गरे ऽ ग प, म ग म रे ग प ध नि ध प
बिलावल-त्रिताल (16 मात्राएँ)
क्रमिक पुस्तक मालिका-भाग 2
स्थायी $ \quad $ तू ही आधार सकल त्रिभुवन को पालक सच राचर भू तन को
अंतरा $ \quad $ तू ही विष्णू तू नारायण कारण तू पर ब्रह्म जगत को।
अल्हैया बिलावल-त्रिताल (मध्र लय)-लक्षणगीत
क्रमिक पुस्तक मालिका-भाग 2
स्थायी $ \quad $ तब कहत बिलावल भेद चतुर जब मेल मिलावत शुद्ध सुरन को प्रात समय नित प्रथम प्रहर
अंतरा $ \quad $ धैवत वादी ग समवादी अष्ट भेद सब गाय मधुर
बिलावल (मध्य लय)
क्रमिक पुस्तक मालिका-भाग 2
स्थायी $ \quad $ जाग उठे सब जन तुम जागो, गौवन के चर वाल चैरैया
अंतरा $ \quad $ ग्वाल बाल सब गौव चरावत, तुमरे कारन आवत धावत, सदारंग मन तुम सों लागो
अल्हैया बिलावल (तीनताल)-मसीतरवानी गत
अल्हैया बिलावल (तीनताल)-रज़ाखानी गत
अल्हैया बिलावल (तीनताल) रज़ाखानी गत
कुछ लोकप्रिय गीत जो राग अल्हैया बिलावल पर आधारित हैं-
एक प्यार का नग़मा है, मोजों की रवानी है
(चित्रपट— शोर (1978), गायिका— लता मंगेशकर, गायक— मुकेश कुमार, संगीतकार- लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, गीतकार- संतोष आनन्द)
तुमको देखाा तो ये खायाल आया
(चित्रपट- साथ-साथ (1992), गायक— जगजीत सिंह, संगीतकार-कुलदीप सिंह, गीतकार— जावेद अख्तर)
सारे के सारे, गा मा को लेकर गाते चले
(चित्रपट— परिचय (1972), गायक— किशोर कुमार, गायिका— आशा भोंसले, संगीतकार—राहुल देव वर्मन, गीतकार——ुलजजार)
बहती हवा सा था वो, उड़ती पतंग सा था वो
(चित्रपट- 3 इडियट्स (2009), गायक— शान एवं शान्तनु मोइत्रा, संगीतकार— शान्तनु मोइत्रा, गीतकार—सवानन्द किरकिरे)
अभ्यास
आइये, देखते हैं क्या राग अल्हैल्या बिलावल को पढ़कर हम निम्न प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं-
1. राग अल्हैया बिलावल की जाति बताइए।
2. इस राग में कौन-कौन से स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं?
3. राग अल्हैया बिलावल का गायन समय बताइए।
4. राग अल्हैया बिलावल का आरोह और अवरोह लिखिए।
5. राग अल्हैया बिलावल पर आधारित कोई दो गीत लिखिए तथा संबंधित कलाकारों के नाम भी लिखिए।
6. राग अल्हैया बिलावल की पकड़ को स्वरों में प्रदर्शित करिए।
7. राग अल्हैया बिलावल पर आधारित कोई एक श्लोक लिखिए तथा उसके लक्षण बताइए।
8. राग अल्हैया बिलावल पर आधारित कोई एक बंदिश की स्वरलिपि लिखिए।
9. राग अल्हैया बिलावल का विस्तृत वर्णन करते हुए इस पर आधारित गीत भी लिखिए तथा उनसे संबंधित कलाकारों की भी चर्चा करिए।
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. राग अल्हैया बिलावल का थाट _______________ है।
2. इसका वादी _______________ और संवादी _________________ है।
3. बिलावल और अल्हैया बिलावल दोनों _________________ राग हैं।
4. इस राग में _________________ स्वर के दोनों रूप प्रयोग होते हैं।
5. “तुमको देखा तो ये ख्याल आया", गीत ___________________ फिल्म में गाया गया है।
सही या गलत बताइए-
1. यह राग उत्तरांग प्रधान राग नहीं है।
(सही/गलत)
2. बिलावल और अल्हैया बिलावल दोनों एक ही राग हैं।
3. ‘इक प्यार का नगगमा है, मोजों की रवानी है’, गीत अल्हैया बिलावल राग पर आधारित गीत नहीं है।
4. फिल्म 3 इडियट्स का गीत ‘बहती हवा सा था वो’ सवानन्द किरकिरे ने लिखा है। (सही/गलत)
5. यह राग प्रातःकालीन प्रथम प्रहर का राग है।
आइये, पाठ्यक्रम से हढकर कुछ भिन्न बातों पर भी चर्चा करें-
1. राग बिलावल एक प्रातःकालीन राग है और भी कोई राग आपने सीखा है जो प्रातःकाल गाया जाता है। अपने शब्दों में लिखिए।
2. अपने घर परिवार या आसपास के प्रचलित लोक संगीत या अन्य किसी लोक संगीत या शैली के बारे में लिखिए। उन कलाकारों का भी उल्लेख करिए जो इस विधा से जुड़े हुए हैं।
राग भैरवी
राग विवरण
यह राग भैरवी थाट से उत्पन्न राग है इसलिए यह राग आश्रय राग की श्रेणी में आता है। इसमें रिषभ, गंधार, धैवत व निषाद स्वर कोमल प्रयोग किये जाते हैं तथा अन्य स्वर शुद्ध लगते हैं। इस राग में कोई भी स्वर वर्जित नहीं होता अतः इसकी जाति संपूर्ण-संपूर्ण होगी। वादी स्वर मध्यम तथा संवादी षड्ज होता है। यह प्रातःकालीन राग है। इसमें छोटा ख्याल, तराना, टप्पा तथा ठुमरी मुख्यतः गाए बजाए जाते हैं इसलिए यह चंचल प्रकृति का राग माना जाता है। कर्नाटक संगीत में इसे ‘हनुमत्त तोड़ी’ के नाम से जाना जाता है।
मुख्य बिंदु
थाट $ \quad $ भैरवी
जाति $ \quad $ संपूर्ण-संपूर्ण
लगने वाले स्वर $ \quad $ रे ग ध धि कोमल तथा अन्य स्वर शुद्ध
वर्जित स्वर $ \quad $ कोई नहीं
वादी $ \quad $ मध्यम
संवादी $ \quad $ षड्ज
गायन समय $ \quad $ प्रातःकाल
आरोह $ \quad $ स रे गु म प ध नि सं
अवरोह $ \quad $ सं नि धि प म ग्रे स
पकड़ $ \quad $ म गु, स रे स, ध़ ऩि स
राग भैरवी-त्रिताल (मध्य लय)
क्रमिक पुस्तक मालिका-भाग 2
स्थायी $ \quad $ कैसी ये भलाईरे कन्हाई, पनियाँ भरत मोरी गगरी गिराइ, करके लराइ
अंतरा $ \quad $ सनद कहे ऐसो ढीठ भयो कन्हाई, का करूँ माने नहिं मानत कन्हाई करत लराइ
राग भैरवी (ढीपचंढी)-रचनाकार- पं. प्रेमप्रकाश जौहरी (मेरठ)
स्थायी $ \quad $ डोले रे जीवन मदमाती गुज़रिया, देखो नाही लागे काहू की नज़रिया
अंतरा $ \quad $ गजगामिनी सी जात कुँजन में, कोई पूछे जाना है कौन नगरिया
राग भैरवी (तीनताल)-रज़ाखानी गत
राग भैरवी (तीनताल)-रज़ाखानी गत
राग भैरवी (तीनताल)-मसीतखानी गत
कुछ लोकप्रिय गीत जो राग भैरवी पर आधारित हैं।
आवारा हूँ या गर्दिश में हूँ आसमान का तारा हूँ
(चित्रपट-आवारा (1951), गायक—मुकेश, संगीतकार-लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, गीतकार-शैलेन्द्र)
भोर भये पनघढ पे, मोरी
(चित्रपट-सत्यम् शिवम् सुन्दरम् (1978), गायिका—लता मंगेशकर, संगीतकारलक्ष्मीकांत प्यारेलाल, गीतकार— जावेद अख्तर)
ढुनिया बनाबे वाले, क्या तेरे मन में समायी
(चित्रपट-तीसरी कसम (1966), गायक-मुकेश, संगीतकार-शंकर जयकिशन, गीतकार—सवानन्द किरकिरे)
अभ्यास
आइये, देखते हैं क्या राग भैरवी को पढ़कर हम निम्न प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं-
1. राग भैरवी पर आधारित कोई एक श्लोक लिखिए तथा उसका भावार्थ बताइए।
2. राग भैरवी में एक विलंबित ख्याल की बंदिश स्वरलिपि में लिखिए।
विभाग ‘अ’ के शब्दों का ‘आ’ cिभाग में दिए गए शब्दों से मिलान करें-
अ | आ |
---|---|
(क) राग भैरव का थाट | 1. प्रात:कालीन संधि प्रकाश राग |
(ख) कोमल स्वर | 2. सरे ग म प ध नि सं |
(ग) गायन समय | 3. भोर भए पनघट पे |
(घ) आरोह | 4. रे ग ध नि |
(ङ.) अवरोह | 5. भैरवी |
(च) आधारित गीत | 6. सं नि ध प म गरे स |
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. राग भैरवी की जाति _________________ है।
2. इसका वादी _______________ और संवादी ___________________ स्वर है।
3. भैरी राग के सम्रकृति राग __________________ व ___________________ हैं।
4. राग भैरवी अपने थाट का _____________________ राग है।
5. ‘मेरे देश की धरती’ गीत _______________________ फिल्म से लिया गया है।
सही या गलत बताइए-
1. राग भैरवी चंचल प्रकृति का राग है।
(सही/गलत)
2. भैरवी राग का गायन समय संध्याकाल है।
(सही/गलत)
3. फिल्म आवारा का गीत ‘आवारा हूँ’ के संगीतकार व गीतकार शैलेंद्र हैं।
(सही/गलत)
4. यह राग ‘भैरवी’ थाट का आश्रय राग है।
(सही/गलत)
5. ‘राग तोड़ी’ भैरवी का समप्रकृति राग है।
(सही/गलत)
राग भीमपलासी
राग विवरण
यह राग काफी थाट का राग है। इसमें ग व नि कोमल तथा शेष शुद्ध स्वर लगते हैं। इसके आरोह में रे व ध वर्जित तथा अवरोह संपूर्ण होता है जिसके कारण इसकी जाति औड्व-संपूर्ण होगी। इसका वादी-संवादी म-स तथा गायन समय दिन का तृतीय प्रहर है। इस राग में स म व प ग की संगति बार-बार दिखायी जाती है। यह एक गंभीर प्रकृति का पूर्वांग प्रधान राग है। इसका सम प्रकृति राग बागेश्री है। इसे कर्नाटक पद्धति में आभेरी नाम से जाना जाता है। इसमें दादरा या ठुमरी गाने का प्रचलन नहीं है।
मुख्य बिंदु
थाट $\quad$ काफी
वर्जित स्वर $\quad$ आरोह मेंरे, ध अन्य स्वर शुद्ध
कोमल स्वर $\quad$ ग नि
वादी-संवादी $\quad$ म-स
गायन-समय $\quad$ दिन का तृतीय प्रहर
रस $\quad$ शृंगार रस
आरोह $\quad$ नि स, ग् म प, नि सं
अवरोह $\quad$ सं नि ध प, म प ग म रे रे स
पकड़ $\quad$ निस म, प ग म, गुरे स
भीमपलासी (छोढा ख्याल) (तीनताल)
क्रमिक पूस्तक मालिका-भाग 3
स्थायी $ \quad $ जा जा रे अपने मन्दिरवा, सुन पावेगी सास ननदिया
अंतरा $ \quad $ सुनहो सदारंग तुमको चाहत है, क्या तुम हमको छगन दिया जा जा रे अपने मन्दिरवा
राग भीमपलासी-द्रुत ख्याल (चौताल)
स्थायी $ \quad $ कुंजन में रच्यो रास, अदूभुत गति लिए गोपाल।
$ \quad $ $ \qquad $ कुंडल की झलक देख, कोटि मदन ढीठ कियो॥
अंतरा $ \quad $ अधर तो सुरंग रंग, बाँसुरी गोपाल संग, तेरी छवि देख-देख, मेरो मन अटक्यो॥
राग भीमपलासी (तीनताल)-मसीतरवानी गत
राग भीमपलासी (तीनताल)-रज़ाखवानी गत
राग भीमपलासी (तीनताल)-रज़ारवानी गत
कुछ लोकप्रिय गीत जो राग भीमपलासी पर आधारित हैं-
तुम मिले, दिल खिले
(चित्रपट- क्रिमिनल (1995), गायक— कुमार सानू, गायिका— अल्का याज्ञनिक, संगीतकार— एम.एम.क्रीम, गीतकार—इंदीवर)
ऐ अजनबी तू भी कभी
(चित्रपट- दिल से (1998), गीतकार— गुलज़ार, संगीतकार-ए.आर.रहमान, गायिका— महालक्ष्मी अय्यर, गायक— उदित नारायण)
दिल के ढुकड़े-ठुकड़े
(चित्रपट— दादा (1979), गायक— येशुदास, संगीतकार— जुगल किशोर, गीतकार- कुलवन्त जानी)
मैंने चाँद और सितारों की तमन्ना की थी
(चित्रपट — चंद्रकांता (1996), गायक— मो. रफ़ी, संगीतकार— एन. दत्त, गीतकार— साहिर लुधियानवी)
नैनों में बदरा छाए
(चित्रपट — मेरा साया (1966), गायिका— लता मंगेशकर, संगीतकार— मदन मोहन, गीतकार— राजा मेंहदी अली खाँ)
अभ्यास
आइये, ढेखते हैं क्या राग भीम पलासी को पढ़कर हम निम्न प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं-
1. राग भीमपलासी पर आधारित कोई एक श्लोक लिखिए तथा उसका भावार्थ बताइए।
2. राग भीमपलासी में एक विलंबित ख्याल की स्वरलिपि लिखिए।
सही या गलत बताइए-
1. राग भीमपलासी में ठुमरी ज़्यादा गाई जाती है।
(सही/गलत)
2. भीमपलासी राग का गायन समय दिन का तृतीय प्रहर है।
(सही/गलत)
3. ‘नैनों में बदरा छाए’ गीत के संगीतकार जुगल किशोर हैं।
(सही/गलत)
4. भीमपलासी काफी थाट का प्रचलित राग है।
(सही/गलत)
5. कर्नाटक संगीत में राग भीमपलासी ‘मायामालवगौल’ नाम से जाना जाता है।
(सही/गलत)
रिक्त स्थार्नों की पूर्ति कीजिए-
1. राग भीमपलासी की जाति __________________ है।
2. इसका वादी ________________ व संवादी _________________ स्वर है।
3. भीमपलासी ________________ प्रधान राग है।
4. कर्नाटक पद्धति में इस राग को __________________ नाम से जाना जाता है।
5. ‘ऐ अजनबी तू भी’ गीत _________________ फिल्म से लिया गया है।
विभाग ‘अ’ के शब्दों का ‘आ’ cिभाग में दिए गए शब्दों से मिलान करें-
अ | आ |
---|---|
(क) राग भीमपलासी का थाट | 1. दिन का तृतीय प्रहर |
(ख) कोमल स्वर | 2. नि स, ग्ग म प, नि सं |
(ग) गायन समय | 3. नैनों में बदरा छाए |
(घ) आरोह | 4. काफी |
(ड·) अवरोह | 5. ग नि |
(च) आधारित गीत | 6. सं नि ध प, म प, ग् म ग्रेे स |
राग बिह्हाग
राग लिवरण
इस राग का थाट बिलावल है। इसके आरोह में रे, ध स्वर वर्जित होने के कारण इसकी जाति भी औड्व-संपूर्ण होती है। इसमें कोमल स्वर प्रयोग नही किये जाते हैं लेकिन तीव्र म स्वर को विवादी स्वर के तौर पर प्रयोग कर लिया जाता है। इसका वादी-संवादी ग-नि तथा गायन समय रात्रि का द्वितीय प्रहर होता है। यह गंभीर प्रकृति का राग है जिसमें मुख्यत: ख्याल, तराना गाये जाते हैं। इसका सम प्रकृति राग यमन कल्याण है।
मुख्य बिंदु
थाट $\quad$ बिलावल
वर्जित स्वर $\quad$ आरोह में रे, ध
कोमल स्वर $\quad$ कोई नहीं
विवादी स्वर $\quad$ तीव्र मे
गायन समय $\quad$ रात्रि का द्वितीय प्रहर
आरोह $\quad$ नि स ग, म प, नि सं
अवरोह $\quad$ सं नि ध प, म गरे स
पकड़ $\quad$ निस, ग म प, ग म ग स
राग बिहाग-तीन ताल
रचनाकार पं. प्रेमप्रकाश जौहरी (मेरठ)
स्थायी $ \quad $ ललन मोरी बैयाँ गहो ना
$ \quad $ $ \qquad $ टूट जाएँगी नई-नई चूरियाँ ऐसी हमें नीकी ना लागे
अंतरा $ \quad $ वंशी सुन सोवत सों लाई ना जानी तेरी चतुराई
$ \quad $ $ \qquad $ पैयाँ परूँ छाड़ो मन हरवा
राग बिहाग-एकताल (बिलंबित)
क्रमिक पूस्तक मालिका-भाग 3
स्थायी $ \quad $ कवन ढंग तोरा सजनी, तू तो इतरात उत रात बीती जात
अंतरा $ \quad $ छांडमा न उठ तेरी बला लेहूँ, सोत लगा रहि घात
राग लिहाग-त्रिताल (मध्यलय)
क्रमिक पुस्तक मालिका-भाग 3
स्थायी $ \quad $ मेरो मन अटक्यो सुंदर ध्यान
अंतरा $ \quad $ निसवास मोहे पलक न लागत निक सो जात प्राण
राग बिहाग-त्रिताल (बिलंबित)
क्रमिक पूस्तक मालिका-भाग 3
स्थायी $ \quad $ जग जीवन थोरा थोरा रे, समझ समझ देख ले
अंतरा $ \quad $ सीख मान ले सदारंग की बहुत गई, अब तो जोगी मेख ले
राग बिहाग (तीनताल)-रज़ाखवानी गत
राग बिहाग (तीनताल)-रज़ाखानी गत
राग बिहाग (तीनताल)-मसीतरवानी गत
कुछ लोकप्रिय गीत जो राग बिहाग पर आधारित हैं-
तेरे प्यार में दिलढ़ार
(चित्रपट- मेरे महबूब (1963), गायिका- लता मंगेशकर, संगीत- नौशाद, गीतकारशकील बदायूँनी)
तेरे सुर और मेरे गीत
(चित्रपट- गूँज उठी शहनाई (1959), गायिका— लता मंगेशकर, गायक- मो. रफी, संगीतकार-बसन्त देसाई, गीतकार- भरत व्यास)
ये क्या जगह है दोस्तों
(चित्रपट- उमराव जान (1981), गायक- आशा भोंसले, संगीतकार- खैय्याम, गीतकार- शाहरयार)
सुहानी बेरियाँ बीती जाएँ
(चित्रपट- मिलान (1946), गायिका- पारूल घोष, संगीतकार- अनिल विश्वास, गीतकार-आरजू लखनवी)
ज़िंदगी के सफर में गुज़र जाते हैं
(चित्रपट-आपकी कसम (1974), गायक— किशोर कुमार, संगीतकार— राहुल देव बर्मन, गीतकार- आनंद बख्शी)
अभ्यास
आइये, देखते हैं क्या इस राग को पढ़कर हम निम्न प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं-
1. राग बिहाग पर आधारित कोई एक श्लोक लिखिए तथा उसका भावार्थ बताइए।
2. राग बिहाग में एक विलंबित ख्याल की बंदिश स्वरलिपि में लिखिए।
सही या गलत बताइए-
1. बिहाग गंभीर प्रकृति का राग है तथा इसमें ख्याल, तराना आदि गाए जाते हैं।
(सही/गलत)
2. राग बिहाग का गायन समय प्रात:काल है।
(सही/गलत)
3. ‘तेरे सुर मेरे गीत’ के संगीतकार आनंद बख्शी हैं।
(सही/गलत)
4. बिहाग आसावरी थाट का एक प्रचलित राग है।
(सही/गलत)
5. राग बिहाग के आरोह में सातों स्वरों का प्रयोग होता है।
(सही/गलत)
विभाग ‘अ’ के शब्दों का ‘आ’ विभाग में दिए गए शब्दों से मिलान करें-
अ | आ |
---|---|
(क) राग बिहाग का थाट | 1. रात्रि का द्वितीय प्रहर |
(ख) वर्जित स्वर | 2. नि स ग, म प, नि सं |
(ग) गायन समय | 3. तेरे सुर मेरे गीत |
(घ) आरोह | 4. बिलावल |
(ड·) अवरोह | 5. आरोह में ऋषभ |
(च) आधारित गीत | 6. संनि ध प, म ग रे स |
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. राग बिहाग _____________ जाति का राग है।
2. इसका वादी _____________ व _____________ संवादी स्वर है।
3. बिहाग का सम प्रकृति राग _____________ है।
4. ‘ज़िंदगी के सफर में गुजर जाते हैं’ गीत _____________ फिल्म से लिया गया है।
5. _____________ स्वर का प्रयोग विवादी स्वर के तौर पर प्रयोग कर लिया जाता है।
राग जौनपुरी
राग विवरण
यह आसावरी थाट से उत्पन्न राग है। इसमें लगने वाले कोमल स्वर ग, ध एवं नि हैं, बाकी सभी शुद्ध स्वर लगते हैं। इसके आरोह में गंधार वर्जित होने के कारण इसकी जाति षाड्व-संपूर्ण होती है। इसके वादी-संवादी ध-ग तथा गायन समय दिन का द्वितीय प्रहर होता है। इसमें प गे की संगति बार-बार की जाती है। यह उत्तरांग प्रधान राग है। इसका सम प्रकृति राग आसावरी है। इसलिए आसावरी राग से बचने के लिए रे म प का प्रयोग किया जाता है। माना जाता है कि इस राग की रचना जौनपुर के सुल्तान हुसैन शर्की ने की थी, इसलिए इसका नाम जौनपुरी पड़ा।
मुख्य बिंदु
थाट $\quad$ आसावरी
कोमल स्वर $\quad$ ग, ध,, नि
वर्जित स्वर $\quad$ आरोह में ग
जाति $\quad$ षाड्व-संपूर्ण
वादी-संवादी $\quad$ ध-ग
गायन समय $\quad$ दिन का द्वितीय प्रहर
आरोह $\quad$ स रे म, प, ध नि सं
अवरोह $\quad$ सं नि ध पम गु रे स
पकड़ $\quad$ म प नि ध प, ध ध म प ग, रे म प
जौनपुरी (तीनताल)
रचनाकार पं. प्रेमप्रकाश जौहरी (मेरठ)
स्थायी $ \quad $ पनियाँ भरन ना ही देत ढीठ लगरवा ना ही माने मोसे करत है रार
अंतरा $ \quad $ सुन री यशोदा तेरौ लाल मीठी-मीठी बतियाँ बनाए माँगत है मोसे जोवनवा को हारे
राग जौनपुरी (तीनताल)-मसीतखानी गत
राग जौनपुरी (तीनताल)-मसीतखानी गत
राग जौनपुरी (तीबताल)-रज़ाखानी गत
कुछ लोकप्रिय गीत जो राग जौनपुरी पर आधारित हैं-
घूँघठ के पठ खोल
(चित्रपट — जोगन (1950), गायिका— गीता दत्त, संगीतकार— बूलो सी. रानी, गीतकारमीरा बाई)
दिल में हो तुम
(चित्रपट- सत्यमेव जयते (1985), गायिका— एस. जानकी, संगीतकार— बप्पी लहरी, गीतकार— फारूख कैसर)
दिल छेड़ कोई नगमा
(चित्रपट- इंस्पेक्टर (1956), गायिका— लता मंगेशकर, संगीतकार— हेमन्त कुमार, गीतकार— एस.एच.बिहारी)
पल पल है भारी
(चित्रपट- स्वदेश (2004), गायिका- अल्का याज्ञनिक, संगीतकार- ए.आर. रहमान, गीतकार- जावेद अख्तर)
मेरी याद में तुम ना
(चित्रपट— मदहोश (1951), गायक— तलत महमूद, संगीतकार— मदन मोहन, गीतकारराजा मेंहदी अली खाँ)
अभ्यास
आइये, देखते हैं क्या इस राग को पढ़कर हम निम्न प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं-
1. राग जौनपुरी पर आधारित कोई एक श्लोक लिखिए तथा उसका भावार्थ बताइए।
2. राग जौनपुरी में एक विलंबित ख्याल की बंदिश स्वरलिपि में लिखिए।
सही या गलत बताइए-
1. राग जौनपुरी के आरोह में सातों स्वरों का प्रयोग होता है।
(सही/गलत)
2. राग जौनपुरी संध्याकालीन राग है।
(सही/गलत)
3. जोगन फिल्म के गीत ‘घूँघट के पट खोल’ गीत की गीतकार मीरा बाई हैं।
(सही/गलत)
4. जौनपुरी बिलावल थाट का एक प्रचलित राग है।
(सही/गलत)
5. ऐसा माना जाता है कि राग की रचना जौनपुर के सुल्तान हुसैन शर्की ने की थी।
(सही/गलत)
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. राग जौनपुरी की जाति ____________________ है।
2. इस राग का वादी ____________________ व संवादी ____________________ स्वर है।
3. जौनपुरी ____________________ प्रधान राग है।
4. इस राग का सम प्रकृति राग ____________________ है।
5. ‘दिल छेड़ कोई नगमा’ गीत के गीतकार ____________________ हैं।
विभाग ‘अ’ के शब्दों का ‘आ’ विभाग में दिए गु शब्दों से मिलान करें-
अ | आ |
---|---|
(क) राग जौनपुरी का थाट | 1. दिन का द्वितीय प्रहर |
(ख) वर्जित स्वर | 2. स रे म, प, ध नि सं |
(ग) गायन समय | 3. घूँघट के पट खोल |
(घ) आरोह | 4. आसावरी |
(ङ) अवरोह | 5. आरोह में गंधार |
(च) आधारित गीत | 6. सं नि ध प म ग गरे स |