अध्याय 15 सबसे खतरनाक

पाश

( सन् 1950-1988 )

मूल नाम: अवतार सिंह संधू

जन्म: सन् 1950, तलवंडी सलेम गाँव, ज़िला जालंधर (पंजाब)

प्रमुख रचनाएँ: लौह कथा, उड़दें बाजां मगर, साडै समिया बिच, लड़ेंगे साथी (पंजाबी); बीच का रास्ता नहीं होता, लहू है कि तब भी गाता है (हिंदी अनुवाद)

मृत्यु: सन् 1988

पाश समकालीन पंजाबी साहित्य के महत्वपूर्ण कवि माने जाते हैं। मध्यवर्गीय किसान परिवार में जन्मे पाश की शिक्षा अनियमित ढंग से स्नातक तक हुई। पाश जन आंदोलनों से जुड़े रहे और विद्रोही कविता का नया सौंदर्य विधान विकसित कर उसे तीखा किंतु सृजनात्मक तेवर दिया। पाश की कविताएँ विचार और भाव के सुंदर संयोजन से बनी गहरी राजनीतिक कविताएँ हैं जिनमें लोक संस्कृति और परंपरा का गहरा बोध मिलता है। पाश जनसामान्य की घटनाओं पर ‘आउटसाइडर’ की तरह प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते बल्कि इसकी कविताओं में वह व्यथा, निराशा और गुस्सा नज़र आता है जो गहरी संपृक्तता के बगैर संभव ही नहीं है।

पाश ने जनचेतना फैलाने के लिए अनेक साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया और सिआड़, हेमज्योति, हॉक, एंटी-47 आदि पत्रिकाओं का संपादन किया। कुछ समय तक अमेरिका में रहे।

यह कविता दिनोदिन अधिकाधिक नृशंस और कूर होती जा रही दुनिया की विद्रूपताओं के चित्रण के साथ उस खौफ़नाक स्थिति की ओर इशारा करती है, जहाँ प्रतिकूलताओं से जूझने के संकल्प क्षीण पड़ते जा रहे हैं। पथरायी आँखों-सी तटस्थता से कवि की असहमति है। कवि इस प्रतिकूलता की तरफ़ विशेष संकेत करता है जहाँ आत्मा के सवाल बेमानी हो जाते हैं। जड़ स्थितियों को बदलने की प्यास के मर जाने और बेहतर भविष्य के सपनों के गुम हो जाने को कवि सबसे खतरनाक स्थिति मानता है।

1988 में खालिस्तनियों के हाथों मारे गए और देश की आवाम के लिए शहीद हो गए।

सबसे खतरनाक

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती

पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती

गद्वारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती

बैठे-बिठाए पकड़े जाना-बुरा तो है

सहमी-सी चुप में जकड़े जाना-बुरा तो है

पर सबसे खतरनाक नहीं होता

कपट के शोर में

सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है

किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-बुरा तो है

मुट्रियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो है

सबसे खतरनाक नहीं होता

सबसे खतरनाक होता है

मुर्दा शांति से भर जाना

न होना तड़प का सब सहन कर जाना

घर से निकलना काम पर

और काम से लौटकर घर आना

सबसे खतरनाक होता है

हमारे सपनों का मर जाना

सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है

आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो

आपकी निगाह में रुकी होती है

सबसे खतरनाक वह आँख होती है

जो सब कुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है

जिसकी नज़र दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है

जो चीज़ों से उठती अंधेपन की भाप पर ढुलक जाती है

जो रोज़मर्रा के क्रम को पीती हुई

एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है

सबसे खतरनाक वह चाँद होता है

जो हर हत्याकांड के बाद

वीरान हुए आँगनों में चढ़ता है

पर आपकी आँखों को मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है

सबसे खतरनाक वह गीत होता है

आपके कानों तक पहुँचने के लिए

जो मरसिए पढ़ता है

आतंकित लोगों के दरवाज़ों पर

जो गुंडे की तरह अकड़ता है

सबसे खतरनाक वह रात होती है

जो ज़िंदा रूह के आसमानों पर ढलती है

जिसमें सिर्फ़ उल्लू बोलते और हुआँ हुआँ करते गीदड़

हमेशा के अँधेरे बंद दरवाज़ों-चौगाठों पर चिपक जाते हैं

सबसे खतरनाक वह दिशा होती है

जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए

और उसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा

आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती

पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती

गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती।

अभ्यास

कविता के साथ

1. कवि ने किस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना।

2. सबसे खतरनाक शब्द के बार-बार दोहराए जाने से कविता में क्या असर पैदा हुआ?

3. कवि ने कविता में कई बातों को बुरा है न कहकर बुरा तो है कहा है। तो के प्रयोग से कथन की भंगिमा में क्या बदलाव आया है, स्पष्ट कीजिए।

4. मुद्दा शांति से भर जाना और हमारे सपनों का मर जाना- इनको सबसे खतरनाक माना गया है। आपकी दृष्ट्टि में इन बातों में परस्पर क्या संगति है और ये क्यों सबसे खतरनाक है?

5. सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है/आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो/आपकी निगाह में रुकी होती है। इन पंक्तियों में घड़ी शब्द की व्यंजना से अवगत कराइए।

6. वह चाँद सबसे खतरनाक क्यों होता है, जो हर हत्याकांड के बाद/आपकी आँखों को मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है?

कविता के आस-पास

1. कवि ने मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती से कविता का आरंभ करके फिर इसी से अंत क्यों किया होगा।

2. कवि द्वारा उल्लिखित बातों के अतिरिक्त समाज में अन्य किन बातों को आप खतरनाक मानते हैं?

3. समाज में मौजूद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए आपके क्या सुझाव हैं?

शब्द-छवि

गद्दारी - व्यक्ति, देश या शासन से द्रोह या धोखा
बैठे-बिठाए - अनायास, अकारण
तड़प - बेचैनी
वीरान - उजड़ा हुआ
मरसिया - करुण रस की कविता जो किसी व्यक्ति की मृत्यु पर लिखी जाती है
रूह - आत्मा
चौगाठों - चौखटों


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