अध्याय 04 संसाधन प्रबंधन

4.1 परिचय

प्रतिदिन हम विभिन्न कार्यकलाप करते हैं। आप किसी एक कार्यकलाप के बारे में सोचिए, जो आप करते हैं, आप देखेंगे कि उस कार्यकलाप को करने के लिए आपको निम्न में से एक या अधिक को आवश्यकता होगी -

  • समय
  • ऊर्जा
  • आवश्यक सामग्री खरीदने हेतु धनराशि
  • ज्ञान
  • रुचित्प्र्रेरण
  • कौशल/क्षमताएँ/रुझान
  • भौतिकी सामग्री, जैसे - पेपर, पेन, पेंसिल, रंग आदि
  • जल, वायु
  • विद्यालय भवन

समय, ऊर्जा, धनराशि, ज्ञान, रुचि, कौशल, सामग्री इत्यादि सब संसाधन हैं। संसाधन वह होते हैं जिनका हम किसी कार्यकलाप को करने में उपयोग करते हैं। ये हमें लक्ष्य प्राप्ति में सहायता करते हैं। आपको किसी विशेष कार्यकलाप के लिए अन्य संसाधनों की तुलना में किसी एक संसाधन की अधिक आवश्यकता हो सकती है। पिछले अध्याय में आपने अपनी क्षमताओं के बारे में पढ़ा है। ये आपके संसाधन हैं।

कोई भी चीज़ जिसका उपयोग हम नहीं करते, संसाधन नहीं है। उदाहरण के लिए एक साइकिल जिसका काफी समय से उपयोग नहीं किया गया है और आपके घर में बेकार पड़ी है आपके लिए संसाधन नहीं है। लेकिन यह किसी और के लिए संसाधन हो सकती है।

यदि आप संसाधनों की उक्त सूची को पुन: देखेंगे तो आप पाएँगे कि संसाधनों को निम्नलिखित रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है-

  • मानव संसाधन
  • गैर-मानव संसाधन अथवा भौतिक सामग्री

संसाधन

संसाधनों को विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है -

  • मानव/गैर-मानव संसाधन
  • व्यक्तिगत/साझे संसाधन
  • प्राकृतिक/सामुदायिक संसाधन

अब हम इन वर्गीकरणों में प्रत्येक के बारे में पढ़ेंगे।

मानव और गैर-मानव संसाधन

मानव संसाधन

किसी भी कार्यकलाप को करने के लिए मानव संसाधन प्रमुख होते हैं। ये संसाधन प्रशिक्षण और आत्म विकास के माध्यम से विकसित किए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, किसी क्षेत्र/कार्य के संबंध में ज्ञान अर्जित किया जा सकता है, कौशल का विकास किया जा सकता है जिससे आपको रुझान को विकसित करने में सहायता मिलेगी। आइए हम मानव संसाधन के बारे में विस्तार से पढ़ते हैं-

(क) ज्ञान- इस संसाधन का उपयोग व्यक्ति जीवन भर करता है और यह किसी भी कार्यकलाप को सफलतापूर्वक करने के लिए पहली आवश्यकता है। एक रसोइए को खाना बनाने से पूर्व इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि कुकिंग गैस स्टोव अथवा चूल्हा कैसे जलाना है। एक अध्यापक जिसे अपने विषय का संपूर्ण ज्ञान नहीं है, एक लोकप्रिय अध्यापक नहीं बन सकता। व्यक्ति को जीवन पर्यन्त ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

(ख) उत्प्रेरण/रुचि- एक कहावत है कि “जहाँ चाह वहाँ राह”’। इसका तात्पर्य है कि किसी कार्य को करने के लिए कामगार को प्रेरित होना चाहिए और कार्य में उसकी रुचि होनी चाहिए। उदाहरणार्थ यदि एक विद्यार्थी अन्य संसाधन उपलब्ध होने पर भी यदि किसी कार्य को सीखने का इच्छुक नहीं है तो वह बहाने बनाता रहेगा/रहेगी और कार्य को पूरा नहीं करेगा/करेगी। हम अपनी प्रेरणा के अनुरूप नृत्य, पेंटिंग, कथा साहित्य पठन, कला, शिल्प और अन्य शौक पूरा करने के प्रयत्न करते हैं।

(ग) कौशल/क्षमताएँ/रुझान- सभी व्यक्ति समस्त कार्यकलापों को करने में कुशल नहीं हो सकते। हममें से प्रत्येक का किसी एक विशेष क्षेत्र में रुझान होता है। अतः हम इन क्षेत्रों में अन्य क्षेत्रों की तुलना में बेहतर ढंग से कार्यकलापों का निष्पादन कर सकते हैं। उदाहरण के लिए अलग-अलग लोगों द्वारा बनाए गए अचार और चटनी का स्वाद उनके कौशल के अनुसार अलग-अलग होगा। फिर भी, हम उस कौशल को जो हममें नहीं है, सीख कर और प्रशिक्षण द्वारा प्राप्त कर सकते हैं।

(घ) समय- यह संसाधन सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध होता है। एक दिन में 24 घंटे होते हैं और प्रत्येक व्यक्ति इसे अपने तरीके से व्यतीत करता है/करती है। बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता। अतः यह सबसे अधिक बहुमूल्य संसाधन है। विशेष अवधि में समय प्रबंधन करना और लक्ष्य प्राप्त करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। हमें निरंतर योजना बनानी चाहिए और वांछित कार्य को पूरा करने के लिए उपलब्ध समय का उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए।

समय पर तीन आयामों की दृष्टि से विचार किया जा सकता है - कार्य का समय, कार्य न करने का समय, विश्राम और खाली समय। हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए समय को इन तीन आयामों के बीच संतुलित करना सीखना चाहिए। जब व्यक्ति इन तीनों आयामों को संतुलित करना सीख जाता है तो इससे उसको शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने, भावात्मक रूप से दृढ़ रहने और बौद्धिक रूप से सतर्क रहने में सहायता मिलती है। आपको उन प्रबलतम अवधियों के बारे में पता होना चाहिए जब आप सर्वोत्तम रूप से कार्य करने और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए इस बहुमूल्य संसाधन का उपयोग करने में सक्षम होते हैं।

(ङ) ऊर्जा- व्यक्तिगत वृद्धि और शारीरिक निष्पादन क्षमता को बनाए रखने के लिए ऊर्जा अनिवार्य है। ऊर्जा का स्तर प्रत्येक व्यक्ति में उसके शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति, व्यक्तित्व, आयु, पारिवारिक पृष्ठभूमि और उसके रहन-सहन के स्तर के अनुसार भिन्न-भिन्न होता है। ऊर्जा संरक्षण और इसके प्रभावी उपयोग के लिए व्यक्ति को कार्यकलाप के बारे में सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए और उसकी योजना बनानी चाहिए ताकि कार्य को सक्षमतापूर्वक पूरा किया जा सके।

गैर-मानव संसाधन

(क) धन - हम सभी को इस संसाधन की आवश्यकता होती है लेकिन यह सभी में समान रूप से वितरित नहों होता। कुछ लोगों के पास यह संसाधन अन्य लोगों की तुलना में कम होता है। हमें यह याद रखना चाहिए कि धन एक सीमित संसाधन है और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हमें इसको विवेकपूर्ण ढंग से खर्च करना चाहिए।

(ख) भौतिक संसाधन - स्थान, फ़र्नीचर, कपड़े, स्टेशनरी, खाद्य वस्तुएँ इत्यादि कुछ भौतिक संसाधन हैं। हमें कार्यकलाप करने के लिए इन संसाधनों की आवश्यकता होती है।

व्यक्तिगत और साझे संसाधन

(क) व्यक्तिगत संसाधन - ये वे संसाधन हैं जो व्यक्ति के पास केवल निजी उपयोग के लिए उपलब्ध होते हैं। ये मानव या गैर-मानव संसाधन हो सकते हैं। आपका अपना कौशल, ज्ञान, समय, स्कूल बैग, आपके कपड़े व्यक्तिगत संसाधनों के कुछ उदाहरण हैं।

(ख) साझे संसाधन - ये वे संसाधन हैं जो समुदाय/सोसाइटी के अनेकों सदस्यों के लिए उपलब्ध होते हैं। साझा संसाधन प्राकृतिक अथवा समुदाय आधारित हो सकते हैं।

प्राकृतिक और सामुदायिक संसाधन

(क) प्राकृतिक संसाधन - प्रकृति में उपलब्ध संसाधन प्राकृतिक संसाधन होते हैं। जल, पहाड़ वायु इत्यादि प्राकृतिक संसाधन हैं। ये हम सभी के लिए उपलब्ध होते हैं। अपने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हम सभी का दायित्व है कि हम इनका उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से करें।

(ख) सामुदायिक संसाधन - ये संसाधन किसी व्यक्ति को समुदाय/सोसाइटी के सदस्य के रूप में उपलन्ध होते हैं। ये सामान्यतः सरकार द्वारा प्रदान किए जाते हैं। ये मानव अथवा गैर-मानव हो सकते हैं। सरकारी अस्पतालों द्वारा दी जाने वाली परामर्श सेवाएँ, डॉक्टर, सड़कें, पार्क और डाकघर सामुदायिक संसाधनों के कुछ उदाहरण हैं। प्रत्येक व्यक्ति को इन संसाधनों का इष्टतम उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए और इनके रख-रखाव के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझनी चाहिए।

संसाधनों की विशेषताएँ

यद्यपि हम संसाधनों को विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत कर सकते हैं, लेकिन उनमें कुछ समानताएँ भी होती हैं। संसाधनों की कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -

(क) उपयोगिता - यह संसाधनों की सबसे अनिवार्य विशेषता है। उपयोगिता का अर्थ है कि कोई संसाधन व्यक्ति की लक्ष्य प्राप्ति में कितना महत्वपूर्ण अथवा उपयोगी है। संसाधन उपयोगी

क्रियाकलाप 1

स्वयं के बारे में सोचें और अपने पास उपलब्ध मानव संसाधनों की सूची बनाएँ। इस पर विचार करने के लिए निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का उपयोग करें -

  • ज्ञान - किन क्षेत्रों के बारे में आपको जानकारी है।
  • उत्प्रेरण/रुचि - किन कार्यकलापों को करने में आपको सबसे अधिक आनंद आता है।
  • कौशल/क्षमताएँ/रुझान - आप किस काम को सबसे अच्छी तरह से कर सकते हैं।
  • समय - दिन की कौन-सी अवधियों में आप सबसे अधिक सक्रिय रहते हैं।
  • ऊर्जा -क्या आप अधिकतर ऊर्जायुक्त अथवा रुचिहीन/थका हुआ महसूस करते हैं।

है या नहीं यह लक्ष्य और स्थिति पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए गाय के गोबर को बेकार माना जाता है। लेकिन इसका उपयोग ईंधन के रूप में और ह्यूमस (खाद) बनाने के लिए भी किया जा सकता है। परिवार अथवा समुदाय में उपलब्ध महत्वपूर्ण संसाधनों के उचित उपयोग से अत्यधिक संतुष्टि मिलती है।

(ख) सुलभता - पहला, कुछ संसाधन अन्य संसाधनों की तुलना में अधिक सरलता से उपलब्ध होते हैं। दूसरे, कुछ लोगों को अन्य लोगों की तुलना में संसाधन अधिक सरलता से उपलब्ध होते हैं। तीसरे, संसाधनों की उपलब्धता समय के साथ बदलती रहती है। अतः हम कह सकते हैं कि संसाधनों की सुलभता प्रत्येक व्यक्ति के अनुसार और समय-समय पर बदलती रहती है। जैसे - प्रत्येक परिवार में धन संसाधन के रूप में उपलब्ध रहता है। कुछ लोगों के पास तो अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त धन होता है जबकि अन्य लोगों के पास सीमित बजट होता है। उपलब्ध धनराशि की मात्रा भी माह के आरंभ की तुलना में माह के अंत में भिन्न होती है।

(ग) विनिमेयता - लगभग सभी संसाधनों के स्थानापन्न या विकल्प होते हैं। यदि एक संसाधन उपलब्ध नहीं होता तो इसके स्थान पर दूसरे को प्रतिस्थापित किया जा सकता है। जैसे यदि आपकी स्कूल बस आपको लेने के लिए समय पर नहीं आती है, तब आप अपनी कार, ट्रैक्टर, बैलगाड़ी अथवा स्कूटर से स्कूल जा सकते हैं। अतः एक ही कार्य कई संसाधनों द्वारा किया जा सकता है।

(घ) प्रबंधनीय - संसाधनों का प्रबंधन किया जा सकता है। चूँकि संसाधन सीमित होते हैं अत: इनका प्रबंधन उचित प्रकार से और प्रभावी ढंग से किया जाना चाहिए ताकि इनका इष्टतम उपयोग किया जा सके। संसाधनों का उपयोग इस प्रकार किया जाना चाहिए कि हमें न्यूनतम संसाधनों के उपयोग से अधिकतम लाभ प्राप्त हो। जैसे हमें कपड़े धोने के लिए तीन-चार बाल्टी पानी का उपयोग नहीं करना चाहिए, अगर हम उन कपड़ों को एक बाल्टी पानी से धो सकते हैं।

संसाधनों का प्रबंधन

यह नोट करना महत्वपूर्ण है कि कोई भी संसाधन असीमित नहीं है। सभी संसाधन सीमित हैं। अपने उद्देश्यों को शीघ्र और दक्षता से पाने के लिए उन संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहिए। अतः संसाधनों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और उन्हें बर्बाद भी नहीं करना चाहिए। इसलिए लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है।

संसाधनों के प्रबंधन का अर्थ है, उपलब्ध संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करना। जैसे- हर किसी के पास दिन में 24 घंटे होते हैं। जहाँ कुछ लोग प्रतिदिन की समय-सारणी बनाते हैं और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रत्येक घंटे का उपयोग करते हैं, वहीं अन्य अपना समय नष्ट करते हैं और पूरे दिन में कुछ भी उत्पादक कार्य नहीं कर पाते।

संसाधनों के प्रबंधन में संसाधन प्रबंधन प्रक्रियाओं का कार्यान्वयन शामिल है जिसमें नियोजन, आयोजन, कार्यान्वयन, नियंत्रण और मूल्यांकन सम्मिलित हैं। हम इनके बारे में विस्तार से निम्नलिखित भाग में पढ़ेंगे।

प्रबंधन प्रक्रिया

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि प्रबंधन प्रक्रिया के पाँच पहलू हैं- नियोजन, आयोजन, कार्यान्वयन, नियंत्रण और मूल्यांकन।

(क) नियोजन - यह किसी भी प्रबंधन प्रक्रिया का पहला चरण है। इससे हमें लक्ष्यों की प्राप्ति तक पहुँचने के मार्ग की कल्पना करने में सहायता मिलती है। दूसरे शब्दों में, नियोजन का अर्थ है उपलब्ध संसाधनों के उपयोग द्वारा निश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु, कार्रवाई करने के लिए योजना बनाना।

नियोजन में कार्यविधि का चुनाव किया जाता है। लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रभावी ढंग से योजना बनाने के लिए आपको निम्नलिखित चार मूलभूत प्रश्न अवश्य पूछने चाहिए। इन प्रश्नों के उत्तर से आपको योजना बनाने में सहायता मिलेगी।

1. हमारी वर्तमान स्थिति क्या है? इसमें वर्तमान स्थिति का निर्धारण करना शामिल है। इसके लिए यह विश्लेषण करना होता है कि आपके पास अभी क्या है और भविष्य में आप क्या पाना चाहेंगे।

2. हम कहाँ पहुँचना चाहते हैं? इसमें वर्तमान और भावी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उन विशिष्ट उद्देश्यों अथवा लक्ष्यों का निर्धारण किया जाता है जिन्हें हम प्राप्त करना चाहते हैं।

3. अंतर (अंतराल) - यह हमारी वर्तमान स्थिति और वांछित स्थिति के बीच का अंतर है। हमें हमारे लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इस अंतर को समाप्त करना है।

4. हम अपने वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति कैसे कर सकते हैं? इस प्रश्न का उत्तर देने से आपको यह निर्णय करने में सहायता मिलेगी कि इस अंतर को कैसे समाप्त करना है। इसमें उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु योजना बनाना शामिल है।

  • नियोजन के चरण - निम्नलिखित आयोजना के बुनियादी चरण हैं -

1. समस्या को पहचानना

2. विभिन्न विकल्पों को पहचानना

3. विकल्पों में से उचित विकल्प का चयन करना

4. योजना पर कार्य करना/योजना को कार्यान्वित करना

5. परिणामों को स्वीकार करना

उदाहरण के लिए, आपकी वार्षिक परीक्षा के लिए केवल एक माह बाकी है और आपने पाठ्यक्रम दोहराया नहीं है (वर्तमान स्थिति); आपका उद्देश्य है अच्छे अंक प्राप्त करना (लक्ष्य)। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आपको निश्चित समय अवधि (अंतराल) में पाँच विषयों का अध्ययन करना है। आप इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु तरीका खोजेंगे (कार्य योजना बनाएँगे) जिसमें प्रत्येक विषय का अध्ययन करने के लिए आपके द्वारा लगाए जाने वाले घंटों की संख्या, विषयों की प्राथमिकता निर्धारण करना, अन्य कार्यकलाप कम करना इत्यादि शामिल होगा।

क्रियाकलाप 2

उन संसाधनों की सूची बनाएँ जिनकी आपको अच्छे अंक प्राप्त करने और बेहतर अध्ययन करने के लिए आवश्यकता है। अपनी सूची की तुलना अन्य शिक्षार्थियों की सूची से करें।




(ख) आयोजन - इसमें योजनाओं का प्रभावी और सक्षम तरीके से कार्यान्वयन करने हेतु समुचित संसाधनों को एकत्र और व्यवस्थित किया जाता है। यदि हम उक्त उदाहरण को लेते हैं तो आप उन सभी संसाधनों का संघटन और व्यवस्था करेंगे जिनकी आपको अध्ययन करने और अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए आवश्यकता है। इसमें शामिल कुछ संसाधन हैं - पुस्तक, नोट्स, अध्ययन हेतु स्थान, प्रकाश, स्टेशनरी, ऊर्जा, समय।

(ग) कार्यान्वयन - इस अवस्था में तैयार योजना को कार्यान्वित किया जाता है। उक्त उदाहरण में, आप उपलब्ध संसाधनों (जैसे पुस्तक, स्टेशनरी, नोट्स आदि) से अध्ययन आरंभ करके योजना को कार्यान्वित करेंगे।

(घ) नियंत्रण - इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि आपके कार्यकलाप वांछित फल प्रदान कर रहे हैं। अन्य शब्दों में, जिस योजना को आपने कार्यान्वित किया है उससे वांछित परिणाम मिल रहे हैं। नियंत्रण से कार्यकलापों के परिणामों की निगरानी करने में सहायता मिलती है और यह सुनिश्चित होता है कि योजनाएँ सही ढंग से कार्यान्वित की जा रही हैं। नियंत्रण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फीडबैक (प्रतिपुष्टि) प्रदान करना है और त्रुटियाँ होने से रोकता है। फीडबैक से आपको अपनी कार्ययोजना में संशोधन करने में सहायता मिलती है ताकि आप लक्ष्य की प्राप्ति कर सकें। अतः जब आप अपनी अध्ययन योजना को कार्यान्वित कर रहे हों और फिर भी नियत अध्याय को टीवी देखने के कारण पूरा नहीं कर पाते तो इससे आपको यह फीडबैक मिलता है कि आपको अपनी अरुचि को कम करना चाहिए। आप अध्ययन के समय टीवी नहीं देखेंगे, मित्रों के साथ नहीं खेलेंगे अथवा बात नहीं करेंगे क्योंकि यह आपकी सुनिश्चित योजना (अर्थात् योजना में निर्धारित घंटों के अनुसार अध्ययन) के परिणाम को प्रभावित कर सकता है।

(ङ) मूल्यांकन - अंतिम अवस्था में, योजना को कार्यान्वित करने के पश्चात् प्राप्त परिणामों का मूल्यांकन किया जाता है। कार्य के अंतिम परिणाम की वांछित परिणाम से तुलना की जाती है कार्य की सभी सीमाओं और विशेषताओं को नोट किया जाता है ताकि लक्ष्य की प्रभावी ढंग से प्राप्ति हेतु भविष्य में उनका उपयोग किया जा सके। अध्ययन के उदाहरण को लेते हुए मूल्यांकन वह है जो आप परीक्षा की जाँच की गई उत्तर पुस्तिकाओं के मिलने के पश्चात् करते हैं। आप अपनी अंकित उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन परीक्षा हेतु की गई अपनी तैयारी तथा आपके द्वारा अपेक्षित परिणामों के अनुसार करते हैं। यदि किसी विषय में आपके अंक आपकी अपेक्षा से कम आते हैं तो आप उसका कारण जानने की कोशिश करते हैं। साथ ही, आप अपनी उन क्षमताओं को जानने का भी प्रयास करते हैं जिनसे आपको अन्य विषयों में अच्छे अंक प्राप्त करने में सहायता मिली। तत्पश्चात् आप इन क्षमताओं का उपयोग अपनी कमियों को दूर करने के लिए करते हैं ताकि आपको परीक्षा में अगली बार अच्छे अंक मिलें।

इस अध्याय में जिन विभिन्न संसाधनों पर चर्चा की गई है, उनके अतिरिक्त कुछ अन्य गैर-मानव संसाधन हैं जो हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग हैं। ऐसा ही एक संसाधन फैब्रिक्स (कपड़ा) है। आगामी अध्याय में विभिन्न प्रकार के कपड़ों (फैब्रिक्स) तथा उनकी विशेषताओं के बारे में बताया गया है जिनका हम प्रायः प्रयोग करते हैं।

प्रमुख शब्द

संसाधन, मानव संसाधन, गैर-मानव संसाधन, नियोजन, आयोजन, कार्यान्वयन, नियंत्रण, मूल्यांकन।

क्रियाकलाप 3

आप कक्षा 12 के छात्रों के लिए विदाई पार्टी का आयोजन करना चाहते हैं। अपने संसाधनों को पहचानें और पार्टी का आयोजन करने में प्रत्येक अवस्था पर ध्यान में रखे जाने वाले पहलुओं के बारे में जानकारी दें।

कक्षा 12 के छात्रों के लिए विदाई पार्टी

क्र.सं. उपलब्ध संसाधन नियोजन आयोजन कार्यान्वयन नियंत्रण मूल्यांकन
1 . मानव - गैर-मानव स्थान? मेन्यू? (व्यंजन सूची ) उत्तरदायित्व का विभाजन (क) स्थल सजाना? (ख) भोजन रखना? यह जाँच करना कि सजावट योजना के अनुसार जा रही है अथवा नहीं? मूल्यांकन करें कि स्थल अच्छा दिखाई दे रहा है अथवा नहीं?
2 .
3.
4 .
5 .
6 .
7.

समीक्षात्मक प्रश्न

1. संसाधन को परिभाषित कीजिए।

2. संसाधनों को तीन विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत करें और प्रत्येक संसाधन की परिभाषा बताएँ और प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दें।

3. संसाधनों का प्रबंधन क्यों किया जाना चाहिए?

4. प्रबंधन प्रक्रिया के चरणों की जानकारी दीजिए और प्रत्येक चरण को स्पष्ट करने हेतु एक-एक उदाहरण दीजिए।

प्रायोगिक कार्य 4

संसाधनों का प्रबंधन - समय, धन, ऊर्जा और स्थान

(क) प्रातः 6.00 बजे से अपने दिनभर के क्रियाकलाप को लिखें।

घंटे क्रियाकलाप

(ख) वार्षिक परीक्षा हेतु केवल एक सप्ताह शेष है। प्रत्येक दिन के लिए अध्ययन के घंटों की संख्या दर्शाते हुए समय योजना तैयार करें। सोमवार हेतु एक उदाहरण दिया गया है।

दिन घंटे
7-8 8-9 9-10 10-11 11-12 12-1 1-2 2-3 3-4 4-5 5-6 6-7 7-8 9-10 10-11 11 से प्रात: 6
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