अध्याय 01 विकास
विकास अथवा प्रगति की धारणा हमेशा से हमारे साथ है। हमारी आकांक्षाएँ और इच्छाएँ हैं कि हम क्या करना चाहते हैं और अपना जीवन कैसे जीना चाहते हैं? इसी तरह हम विचार रखते हैं कि कोई देश कैसा होना चाहिए? हमें किन अनिवार्य वस्तुओं की आवश्यकता है? क्या सभी का जीवन बेहतर हो सकता है? लोग मिल-जुलकर कैसे रह सकते हैं? क्या और अधिक समानता हो सकती है? विकास इन सभी प्रश्नों पर विचार करने और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के उपायों से जुड़ा है। यह काम जटिल है और इस अध्याय में हम विकास को समझने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। आप उच्च कक्षाओं में इन मुद्दों को अधिक गहराई से सीखेंगे। इसके अतिरिक्त, ऐसे बहुत से प्रश्नों के उत्तर आपको अर्थशास्त्र में ही नहीं बल्कि इतिहास और राजनीति विज्ञान के पाठयक्रम मे भी मिलेंगे। ऐसा इस है कि हम आज जो जीवन जी रहे हैं, वह अतीत से प्रभावित है। हम इसे जाने बिना बदलाव की इच्छा नहीं रख सकते। इसी तरह, हम केवल एक लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रक्रिया के द्वारा ही इन आशाओं और संभावनाओं को वास्तविक जीवन में प्राप्त कर सकते हैं।
मेरे बगैर वे विकास नहीं कर सकते… इस व्यवस्था में मेरा विकास नहीं हो सकता
विकास कन्या वादा करता है-विभिन्न व्यकित, विभिन्न लक्ष्य
हम यह कल्पना करने का प्रयास करें कि तालिका 1.1 में दी गई सूची के अनुसार लोगों के विकास का क्या अर्थ हो सकता है। उनकी क्या आकांक्षाएँ हैं? आप देखेंगे कि कुछ स्तम्भ अधूरे भरे हुए हैं। इस तालिका को पूरा करने की कोशिश कीजिए। आप चाहें तो किन्हीं और श्रेणी के व्यक्तियों को जोड़ सकते हैं।
तुम एक कार चाहते हो? अभी देश की जो स्थिति है, उसमें तुम यही आशा कर सकते हो कि काश, तुम्हारे पास एक रिक्शा होता!
तालिका 1.1 विभिन्न श्रेणी के लोगों के विकारस के लक्ष्य
व्यक्ति की श्रेणी विकास के लक्ष्य/आकांक्षाएँ भूमिहीन ग्रामीण मज़दूर काम करने के अधिक दिन और बेहतर मज़दूरी; स्थानीय स्कूल उनके बच्चों को उत्तम
शिक्षा प्रदान करने में सक्षम; कोई सामाजिक भेदभाव नहीं और गाँव में वे भी नेता
बन सकते हैं।पंजाब के समृद्ध किसान किसानों को उनकी उपज के ज़्यादा समर्थन मूल्यों और मेहनती और सस्ते मज़दूरों
द्वारा उच्च पारिवारिक आय सुनिश्चित करना ताकि वे अपने बच्चों को विदेशों में बसा
सकें।किसान जो खेती के
केवल वर्षा पर निर्भर हैंभूस्वामी परिवार की एक ग्रामीण महिला शहरी बेरोज़गार युवक शहर के अमीर परिवार का एक लड़का शहर के अमीर परिवार की एक लड़की उसे अपने भाई के जैसी आज़ादी मिलती है और वह अपने फ़ैसले खुद कर सकती
है। वह अपनी पढ़ाई विदेश में कर सकती है।नर्मदा घाटी का एक आदिवासी
तालिका 1.1 को भरने के बाद अब इसका निरीक्षण करते हैं। क्या इन सभी लोगों की विकास या प्रगति के बारे में एक जैसा विचार है? संभवतः नहीं। इनमें से हर एक अलग-अलग चीजें पाना चाहता है। वे ऐसी चीजें चाहते हैं जो उनके आर्थिक विकास की समझ सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं, अर्थात् वे चीजें जो उनकी आकांक्षाओं और इच्छाओं को पूरा कर सकें। वास्तव में, कई बार दो व्यक्ति या दो गुट ऐसी चीजें चाह सकते हैं, जिनमें परस्पर विरोध हो सकता है। एक लड़की अपने भाई के समकक्ष आजादी और अवसर मिलने और भाई भी घर के कामकाज में हाथ बटायेगा, की आशा रखती है। हो सकता है कि भाई को यह पसंद न हो। इसी तरह, अधिक बिजली पाने के , उद्योगपति ज़्यादा बाँध चाहते हैं। लेकिन इससे ज़मीन जलमग्न हो सकती है और उन लोगों का जीवन अस्तव्यस्त हो सकता है जो बेघर हो जायें, जैसे कि आदिवासी। वे इसका विरोध कर सकते हैं और हो सकता है कि वे अपने खेतों की सिंचाई के केवल छोटे चैक बाँध या तालाब पसंद करें।
इस तरह दो बातें साफ हैं - एक, अलग-अलग लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न हो सकते हैं और दूसरा, एक के जो विकास है वह दूसरे के विकास न हो। यहाँ तक कि वह दूसरे के विनाशकारी भी हो सकता है।
इस तरह के लोग विकसित होना नहीं चाहते!
आय और अन्य लक्ष्य
आप अगर एक बार फिर तालिका 1.1 देखें तो एक बात समान पायेंगे: लोग चाहते हैं कि उन्हें नियमित काम, बेहतर मज़दूरी और अपनी उपज अथवा अन्य उत्पादों के अच्छी कीमतें मिलें। दूसरे शब्दों मे वे ज्यादा आय चाहते हैं।
किसी भी तरह से ज़्यादा आय चाहने के अतिरिक्त, लोग बराबरी का व्यवहार, स्वतंत्रता, सुरक्षा और दूसरों से आदर मिलने की इच्छा भी रखते हैं। वे भेदभाव से अप्रसन्न होते हैं। ये सभी महत्त्वपूर्ण लक्ष्य हैं। बल्कि, कुछ मामलों में ये अधिक आय और अधिक उपभोग से अधिक महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं, क्योंकि जीने के केवल भौतिक वस्तुएँ ही पर्याप्त नहीं होती। द्रव्य या उससे खरीदी जा सकने वाली भौतिक वस्तुएँ एक कारक है जिस पर हमारा जीवन निर्भर है। लेकिन हमारा बेहतर जीवन ऊपर लिखी अभौतिक वस्तुओं पर भी निर्भर करता है। अगर आप को यह बात स्पष्ट नहीं लगती है, तो अपने जीवन में अपने मित्रों की भूमिका के बारे में ज़रा सोचिए। आप को उनकी मित्रता की इच्छा हो सकती है। इसी तरह और भी बहुत सी चीजें हैं जिन्हें आसानी से मापा नहीं जा सकता, लेकिन उनका हमारे जीवन में बहुत महत्त्व हैं। इनकी प्रायः उपेक्षा कर दी जाती है। लेकिन, यह निष्कर्ष निकालना गलत होगा कि जिसे मापा नहीं जा सकता, वह महत्त्व नहीं रखता।
नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई में वृद्धि किये जाने के विरुद्ध प्रदर्शन
एक और उदाहरण देखिए। अगर आप को कहीं दूर-दराज के इलाके में नौकरी मिलती है, उसे स्वीकार करने से पहले आप आय के अतिरिक्त बहुत से कारकों पर विचार करेंगे, जैसे कि आपके परिवार के क्या सुविधाएँ उपलब्ध होंगी, काम करने का वातावरण कैसा होगा या सीखने के क्या अवसर हैं? दूसरी नौकरी में यद्यपि आप को वेतन कम मिलता है लेकिन यह नियमित रोज़गार हो सकता है, जो आपकी सुरक्षा की भावना को बढ़ाता है। एक अन्य नौकरी अधिक वेतन दे सकती है, लेकिन कार्य की सुरक्षा नहीं, और हो सकता है आपको परिवार के पर्याप्त समय भी न मिले। इससे आपकी सुरक्षा और स्वतंत्रता की भावना कम हो जाएगी। इसी तरह, विकास के , लोग मिले-जुले लक्ष्यों को देखते हैं। यह सच है कि यदि महिलाएँ वेतनभोगी कार्य करती हैं, तो घर और समाज में उनका आदर बढ़ता है। तथापि, यह भी सच है कि अगर महिलाओं के आदर है, तो घर में उनके काम-काज में ज़्यादा हाथ बँटाया जाएगा और घर से बाहर काम करने वाली महिलाओं को अधिक स्वीकार किया जायेगा। सुरक्षित और संरक्षित वातावरण के कारण ज्यादा महिलाएँ विभिन्न प्रकार की नौकरियाँ या व्यापार कर सकती हैं। इस लोगों के विकास के लक्ष्य केवल बेहतर आय के ही नहीं होते बल्कि जीवन में अन्य महत्त्वपूर्ण चीज़ों के बारे में भी होते हैं।
आओ-इन पर विचार करें
- अलग-अलग लोगों की विकास की धारणाएँ अलग क्यों हैं? नीचे दी गई व्याख्याओं में कौन सी अधिक महत्त्वपूर्ण है और क्यों?
(क) क्योंकि लोग भिन्न होते हैं।
(ख) क्योंकि लोगों के जीवन की परिस्थितियाँ भिन्न हैं।
- क्या निम्न दो कथनों का एक अर्थ है, कारण सहित उत्तर दीजिए।
(क) लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न होते हैं।
(ख) लोगों के विकास के लक्ष्यों में परस्पर विरोध होता है।
- कुछ ऐसे उदाहरण दीजिए, जहाँ आय के अतिरिक्त अन्य कारक हमारे जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं।
- ऊपर दिये गए खण्ड के कुछ महत्वपूर्ण विचारों को अपनी भाषा में समझाइए।
राष्टीय विकास
जैसा कि हमने ऊपर देखा, यदि लोगों के लक्ष्य भिन्न हैं, तो उनकी राष्ट्रीय विकास के बारे में धारणा भी भिन्न होगी। आपस में इस विषय पर चर्चा कीजिए कि भारत को विकास के क्या करना चाहिए?
संभव है कि कक्षा के विभिन्न विद्यार्थियों ने उपर्युक्त प्रश्नों के अलग-अलग उत्तर दिये होंगे। हो सकता है, आपने स्वयं इन प्रश्नों के बहुत से उत्तर सोचे हों और उनमें से किसी एक के विषय में आप स्वयं भी निश्चित न हो। यह समझना बहुत आवश्यक है कि देश के विकास के विषय में विभिन्न लोगों की धारणाएँ भिन्न या परस्पर विरोधी हो सकती है।
लेकिन क्या सभी विचारों को बराबर का महत्त्व दिया जा सकता है? या यदि परस्पर विरोधी हैं तो निर्णय कैसे किया जाए? सभी के न्यायपूर्ण और सही राह क्या होगी? हमें यह भी सोचना होगा कि क्या कार्य करने का कोई बेहतर तरीका है? क्या इस विचार से बहुत से लोगों को लाभ होगा या कुछ को ही? राष्ट्रीय विकास का अभिप्राय इन सब प्रश्नों पर विचार करना है।
आओ-इन पर विचार करें
निम्नलिखित स्थितियों पर चर्चा कीजिए -
- दाहिनी ओर दिए गए चित्र को देखिए। इस प्रकार के क्षेत्र के विकासात्मक लक्ष्य क्या होने चाहिए?
- इस अख़बार की रिपोर्ट देखिए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
एक जहाज़ ने 500 टन तरल ज़हरीले अवशेष एक शहर के खुले कूड़े घर और आसपास के समुद्र में डाल दिए। यह अफ्रीका देश के आइवरी कोस्ट में अबिदजान शहर में हुआ। इन ख़तरनाक ज़हरीले अवशेषों से निकलने वाले धुएँ से लोगों ने जी मितलाना, चमड़ी पर ददोरे पड़ना, बेहोश होना, दस्त लगना इत्यादि की शिकायतें कीं। एक महीने के बाद 7 लोग मारे गए, 20 अस्पताल में भरती हुए और विषाक्तता के कारण 26,000 लोगों का इलाज किया गया।
पेट्रोल और धातुओं से संबंधित एक बहुराष्ट्रीय कंपनी ने आइवरी कोस्ट की एक स्थानीय कंपनी को अपने जहाज़ से ज़हरीले पदार्थ फेंकने का ठेका दिया था।
(क) किन लोगों को लाभ हुआ और किन को नहीं?
(ख) इस देश के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए?
- आपके गाँव या शहर या स्थानीय इलाके के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए?
कार्यकलाप 1
यदि विकास की धारणा में ही भिन्नता और परस्पर विरोध हो सकता है, तो निश्चित रूप से विकास के तरीकों में भी भिन्नता हो सकती है। अगर आप ऐसे किसी विवाद से परिचित हैं, तो आप विभिन्न व्यक्तियों के तर्क जानने का प्रयास कीजिए। यह आप लोगों से बातचीत करके या अख़बारों और टेलीविज़्न के माध्यम से जान सकते हैं।
विभिन्न देशों या राज्यों की तुलना कैसे की जाए?
आप पूछ सकते हैं कि अगर विकास का अर्थ अलग-अलग हो सकता है, तो फिर कुछ देशों को विकसित और कुछ को अविकसित कैसे कहा जा सकता है? इससे पहले कि हम इस विषय पर आएँ, एक अन्य प्रश्न के बारे में सोचते हैं।
जब हम भिन्न-भिन्न चीजों की तुलना करते हैं तो उसमें समानताएँ और अंतर दोनों हो सकते हैं। हम इनकी तुलना करने के किन पहलुओं का प्रयोग करते हैं? कक्षा में विद्यार्थियों को ही देखते हैं। हम विभिन्न विद्यार्थियों की तुलना कैसे करते हैं? उनमें ऊँचाई, स्वास्थ्य, प्रतिभा और रुचि के अनुसार अंतर हैं। हो सकता है, सबसे स्वस्थ विद्यार्थी सबसे पढ़ाकू विद्यार्थी न हो। सबसे बुद्धिमान विद्यार्थी हो सकता है मित्रता व्यवहार न रखता हो। तो, हम विद्यार्थियों की तुलना कैसे करते हैं? हम जो मापदण्ड प्रयोग करेंगे वह तुलना के उद्देश्य पर निर्भर करेगा। खेलकूद टीम, वाद विवाद टीम, संगीत टीम या पिकनिक के टीम, सबके चयन के अलग मापदण्ड होंगे। फिर भी, अगर हमें किसी उद्देश्य से कक्षा के विद्यार्थियों की सर्वांगीण प्रगति के बारे में मानक चाहिए तो हम उसे कैसे चुनेंगे?
सामान्यतया हम व्यक्तियों की एक या दो महत्त्वपूर्ण विशिष्टताएँ लेकर उनके आधार पर तुलना करते हैं। तुलना के क्या महत्त्वपूर्ण विशिष्टताएँ चुनी जाएँ इस पर मतभेद हो सकते हैं- विद्यार्थियों का मित्रतापूर्ण व्यवहार और सहयोग भावना, उनकी रचनात्मकता या उनके द्वारा प्राप्त अंक?
यही बात विकास पर भी लागू होती है। देशों की तुलना करने के उनकी आय सबसे महत्त्वपूर्ण विशिष्टता समझी जाती है। जिन देशों की आय अधिक है उन्हें कम आय वाले देशों से अधिक विकसित समझा जाता है। यह इस समझ पर आधारित है कि अधिक आय का अर्थ है मानवीय आवश्यकताओं की सभी वस्तुओं का अधिक होना। जो भी लोगों को पसंद है और जो उनके पास होना चाहिए, वे उन सभी वस्तुओं को अधिक आय के द्वारा प्राप्त कर पायेंगे। इसलिये, ज़्यादा आय अपने आप में एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य समझा जाता है।
अब, एक देश की आय क्या है? अन्तर्दृष्टि से, किसी देश की आय उस देश के सभी निवासियों की आय है। इससे हमें देश की कुल आय ज्ञात होती है।
लेकिन, देशों के बीच तुलना करने के कुल आय इतना उपयुक्त माप नहीं है। क्योंकि देशों की जनसंख्या अलग-अलग होती है, कुल आय की तुलना करने से हमें यह ज्ञात नहीं होगा कि औसत व्यक्ति क्या कमा सकता है? क्या एक देश के लोग दूसरे देश के लोगों से बेहतर हैं? इस , हम औसत आय की तुलना करते हैं जो कि देश की कुल आय को कुल जनसंख्या से भाग देकर निकाली जाती है। औसत आय को प्रतिव्यक्ति आय भी कहा जाता है।
विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार, देशों का वर्गीकरण करने में इस मापदण्ड का प्रयोग किया गया है। वे देश जिनकी 2019 में प्रतिव्यक्ति आय US $$ 49,300$ प्रति वर्ष या उससे अधिक है, उसे समृद्ध अथवा उच्च आय देश और वे देश जिनकी प्रतिव्यक्ति आय US $ 2500 प्रति वर्ष या उससे कम है, उन्हें निम्न आय वाला देश कहा गया है। भारत मध्य आय वर्ग के देशों में आता है क्योंकि उसकी प्रतिव्यक्ति आय 2019 में केवल US $ 6700 प्रति वर्ष थी। समृद्ध देशों, जिनमें मध्य पूर्व के देश और कुछ अन्य छोटे देश शामिल नहीं हैं, को आमतौर पर विकसित देश कहा जाता है।
औसत आय
यद्यपि ‘औसत आय’ तुलना के उपयोगी हैं, परंतु इनके द्वारा असमानताओं की जानकारी नहीं मिलती
उदाहरण के , दो देश क और ख पर विचार करते हैं। सरलता के , हम मानते हैं कि प्रत्येक देश में 5 निवासी हैं। तालिका 1.2 में दिए आंकड़ों के अनुसार, दोनों देशों की औसत आय निका।
तालिका 1.2 $\quad \quad \quad \quad \quad \quad$ दो देशों की तुलना
देश नागरिकों की मासिक आय ( रुपये में) $\mathbf{1}$ $\mathbf{2}$ $\mathbf{3}$ 4 $\mathbf{5}$ औसत देश क 9,500 10,500 9,800 10,000 10,200 देश ख 500 500 500 500 48,000 क्या आप इन दोनों देशों में रहकर समान रूप से सुखी होंगे? क्या दोनों देश बराबर विकसित हैं? शायद हममें से कुछ लोग देश ‘ख’ में रहना पसंद करेंगे अगर हमें यह आश्वासन हो कि हम उस देश के पाँचवें नागरिक होंगे। लेकिन अगर हमारी नागारिकता संख्या लॉटरी के द्वारा निश्चित होगी तो शायद हममें से ज़्यादातर लोग देश ‘क’ में रहना पसंद करेंगे। ऐसा इस है क्योंकि यद्यपि दोनों देशों की औसत आय एक समान है, देश ‘क’ के लोग न तो बहुत अमीर हैं न बहुत गरीब, जबकि देश ‘ख’ के ज्यादातर नागरिक गरीब हैं और एक व्यक्ति बहुत अमीर है। इस यद्यपि औसत आय तुलना के उपयोगी है, लेकिन इससे यह पता नहीं चलता कि यह आय लोगों में किस प्रकार वितरित है।
गरीब विहीन तथा अमीर विहीन व्यक्तियों का देश हमने कुर्सियों को बनाया तथा उनका उपयोग करते हैं
गरीब तथा अमीर व्यक्तियों का देश हमने कुर्सियों को बनाया तथा उसने ले लिया
आओ-इन पर विचार करें
- तीन उदाहरण दीजिए, जहाँ स्थितियों की तुलना के औसत का प्रयोग किया जाता है।
- आप क्यों सोचते हैं कि औसत आय विकास को समझने का एक महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है? व्याख्या कीजिए।
- प्रतिव्यक्ति आय के माप के अतिरिक्त, आय के कौन से अन्य लक्षण हैं जो दो या दो से अधिक देशों की तुलना के महत्त्व रखते हैं?
- मान लीजिए कि रिकॉर्ड ये दिखाते हैं कि किसी देश की आय समय के साथ बढ़ती जा रही है। क्या इससे हम इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि अर्थव्यवस्था के सभी भाग बेहतर हो गए हैं? अपना उत्तर उदाहरण सहित दीजिए।
- विश्व विकास रिपोर्ट 2012 के अनुसार निम्न-आय वाले लगभग 10-15 देशों की प्रतिव्यक्ति आय ज्ञात कीजिए।
- एक अनुच्छेद लिखिए कि भारत को एक विकसित देश बनने के क्या करना या प्राप्त करना चाहिए?
आय और अन्य मापदण्ड
जब हमने व्यक्तिगत आकांक्षाओं और लक्ष्यों को देखा, तो पाया कि लोग केवल बेहतर आय के बारे में ही नहीं सोचते बल्कि वे अपनी सुरक्षा, दूसरों से आदर और समानता का व्यवहार पाना, आज़ादी इत्यादि जैसे लक्ष्यों के बारे में भी सोचते हैं। इसी प्रकार जब हम किसी देश या क्षेत्र के बारे में सोचते हैं तो हम औसत आय के अतिरिक्त अन्य महत्त्वपूर्ण लक्षणों के विषय में भी सोचते हैं।
तालिका 1.3 चयनित राज्यों की प्रति-व्यक्ति आय
राज्य 2018-19 के प्रति
व्यक्ति आय ( रुपयों में )हरियाणा $2,36,147$ केरल $2,04,105$ बिहार 40,982 स्रोतः आर्थिक सर्वक्षण 2020-21 P.A. 29 सोचते हैं।
ये विशेषताएँ क्या हो सकती हैं? इसका निरीक्षण हम एक उदाहरण के द्वारा करते हैं। तालिका 1.3 हरियाणा, केरल और बिहार की प्रति-व्यक्ति आय दर्शाती है। वास्तव में, ये आँकड़े वर्ष 2018-19 की वर्तमान कीमतों पर प्रति-व्यक्ति निवल राज्य घरेलू उत्पाद के हैं। अभी हम इस जटिल शब्द का क्या वास्तविक अर्थ है, उसे छोड़ देते हैं। मोटे तौर पर, हम इसे राज्य की प्रति-व्यक्ति आय मान सकते हैं। हम देखते हैं कि इन तीनों राज्यों में हरियाणा की प्रति-व्यक्ति आय सबसे अधिक है और बिहार सबसे पीछे है। इसका अर्थ है कि औसतन, हरियाणा में एक व्यक्ति एक वर्ष में $2,36,147$ रुपए कमाता है, जबकि बिहार में औसतन वह केवल 40,982 रुपए कमा पाता है। इस अगर विकास को मापने के प्रति-व्यक्ति आय का प्रयोग किया जाए तो तीनों राज्यों में हरियाणा सबसे अधिक और बिहार सबसे कम विकसित राज्य माना जाएगा। अब हम इन तीनों राज्यों के कुछ और आँकड़ों पर नजर डालते हैं, जो कि तालिका 1.4 में दिये गए हैं।
तालिका 1.4 हरियाणा, केरल और बिहार के कुछ तुलनात्मक आँकड़े
राज्य शिशु मृत्यु दर प्रति
1,000 व्यक्ति ( 2018 )साक्षरता दर %
( 2017-18)निवल उपस्थिति अनुपात ( प्रति 100 व्यक्ति )
उच्चतर ( आयु 14 तथा 15 वर्ष ) 2017-18हरियाणा 30 80 67 केरल 7 96 77 बिहार 32 71 55 स्रोतः आर्थिक सर्वेक्षण, 2020-21 P.A. 157 वॉल्यूम 2, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, भारत सरकार, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (रिपोर्ट संख्या 585)
( अ ) अनंतिम
इस तालिका में प्रयोग किये गए कुछ शब्दों की व्याख्या -
शिशु मृत्यु दर - किसी वर्ष में पैदा हुए 1,000 जीवित बच्चों में से एक वर्ष की आयु से पहले मर जाने वाले बच्चों का अनुपात दिखाती है।
साक्षरता दर - 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षर जनसंख्या का अनुपात।
निवल उपस्थिति अनुपात - 14 तथा 15 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले कुल बच्चों का उस आयु-वर्ग के कुल बच्चों के साथ प्रतिशत।
यह तालिका क्या दर्शाती है? तालिका का पहला स्तंभ दिखाता है कि केरल में 1000 जीवित पैदा हुए बच्चों में से 7 बच्चे 1 वर्ष की आयु तक पहुँचने से पहले मर जाते हैं, लेकिन हरियाणा में यह अनुपात 30 था जो केरल की तुलना में लगभग 3 गुना से ज़्यादा है। दूसरी ओर हरियाणा की प्रति-व्यक्ति आय केरल से ज्यादा है जैसा तालिका 1.3 में दिखाया गया है। ज़रा सोचिए कि अपने माता-पिता के आप कितने प्यारे हैं, यह सोचिए कि सब लोग कितना प्रसन्न होते हैं, जब कोई बच्चा जन्म लेता है। अब ऐसे माता-पिताओं के बारे में सोचिए जिनके बच्चे अपने पहले जन्म दिन से पहले ही मर जाते हैं। ऐसे माता-पिताओं को कितना दुख महसूस होता होगा। दूसरा, यह देखिए कि ये आँकड़े किस वर्ष के हैं। वर्ष 2018-19 के हैं तो हम बहुत पुराने समय की बात नहीं कर रहे हैं; यह हमारी स्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद की बात है जब हमारे देश के बड़े शहर ऊँची-ऊँची इमारतों और खरीददारी के शॉपिंग पातों मॉल से भरे हुए हैं।
अधिकाश शिशुओं को बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता होती है।
समस्या शिशु मृत्यु दर पर समाप्त नहीं हो जाती। तालिका 1.4 का अंतिम स्तंभ दिखाता है कि बिहार के लगभग आधे बच्चे कक्षा आठवीं के बाद स्कूल नहीं जा रहे हैं अर्थात् यदि आप बिहार के किसी स्कूल में पढ़ते होते, तो आपकी प्रारंभिक कक्षा के लगभग आधे से अधिक बच्चे गायब होते। जिन बच्चों को स्कूल में होना चाहिए था, वे वहाँ नहीं होते। अगर ये आपके साथ होता, तो आप अभी यह सब न पढ़ पाते जो पढ़ रहे हैं।
सार्वजनिक सुविधाएँ
ऐसा क्यों है कि हरियाणा में औसत व्यक्ति की आय केरल के औसत व्यक्ति की आय से अधिक है, लेकिन इन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में वह केरल से पीछे है? इसका कारण यह है कि यह आवश्यक नहीं कि जेब में रखा रुपया वे सब वस्तुएँ और सेवाएँ खरीद सके, जिनकी आपको एक बेहतर जीवन के आवश्यकता हो सकती है। नागरिक कितनी भौतिक वस्तुएँ और सेवाएँ प्रयोग कर सकते हैं, इसके आय अपने आप में संपूर्ण रूप से पर्याप्त सूचक नहीं है। उदाहरण के , सामान्यता आपका द्रव्य आपके प्रदूषण मुक्त वातावरण नहीं खरीद सकता या बिना मिलावट की दवाएँ आपको नहीं दिला सकता, जब तक आप ऐसे समुदाय में ही जाकर नहीं रहने लग जाते जहाँ ये सुविधाएँ पहले से उपलब्ध हैं। द्रव्य आपको संक्रामक बीमारियों से भी नहीं बचा सकता, जब तक आपका पूरा समुदाय इनसे बचाव के कदम नहीं उठाता।
वास्तव में जीवन में बहुत सी महत्त्वपूर्ण चीज़ों के सबसे अच्छा और सस्ता तरीका इन वस्तुओं और सेवाओं को सामूहिक रूप से उपलन्ध कराना है। ज़रा सोचिए, किसी स्थानीय इलाके के सामूहिक सुरक्षा प्रदान करना अधिक सस्ता है अथवा हर घर के अलग-अलग सुरक्षा गार्ड रखना? आप क्या करते, अगर आपके गाँव या इलाके में आपके अतिरिक्त कोई और पढ़ने में रुचि नहों रखता? क्या तुम पढ़ पाओगे? शायद तब तक नहीं जब तक तुम्हारे माता-पिता तुम्हें कहीं और निजी स्कूल में पढ़ने भेजने की क्षमता न रखते हों। आप इस पढ़ पा रहे हो क्योंकि बहुत से अन्य बच्चे पढ़ना चाहते हैं और बहुत से लोग ये मानते हैं कि सरकार को स्कूल खोलने चाहिए और अन्य प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध करानी चाहिए जिससे सभी बच्चों को पढ़ने का अवसर मिले। अभी भी बहुत से क्षेत्रों में बच्चे मुख्य रूप से लड़कियाँ, उच्च विद्यालयी शिक्षा भी नहीं ले पाती हैं। क्योंकि सरकार/समाज ने इसके पर्याप्त सुविधाएँ उपलब्ध नहीं कराई हैं।
केरल में शिशु मृत्यु दर कम है क्योंकि यहाँ स्वास्थ्य और शिक्षा की मौलिक सुविधाएँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। इसी प्रकार, कुछ राज्यों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली ( सा.वि.प्र.) ठीक प्रकार कार्य करती है। ऐसे राज्यों में लोगों के स्वास्थ्य और पोषण स्तर निश्चित रूप से बेहतर होने की संभावना है।
आओ-इन पर विचार करें
- तालिका 1.3 और 1.4 के आँकड़ों को देखिए। क्या हरियाणा केरल से साक्षरता दर आदि में उतना ही आगे है जितना कि प्रतिव्यक्ति आय के विषय में?
- ऐसे दूसरे उदाहरण सोचिए, जहाँ वस्तुएँ और सेवाएँ व्यक्तिगत स्तर की अपेक्षा सामूहिक स्तर पर उपलन्ध कराना अधिक सस्ता है।
- अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की उपलब्धता क्या केवल सरकार द्वारा इन सुविधाओं के किए गए व्यय पर ही निर्भर करती है? अन्य कौन से कारक प्रासांगिक हो सकते हैं?
- तमिलनाडु में ग्रामीण क्षेत्रों के 90 प्रतिशत लोग राशन की दुकानों का प्रयोग करते हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में केवल 35 प्रतिशत ग्रामीण निवासी इसका प्रयोग करते हैं। कहाँ के लोगों का जीवन बेहतर होगा और क्यों?
कार्यंगलाप 2
तालिका 1.5 को ध्यान से अध्ययन कीजिए और निम्न अनुच्छेदों में रिक्त स्थानों को भरिए। हो सकता है इसके आपको तालिका के आधार पर कुछ गणना करनी पड़े।
तालिका 1.5 उत्तर प्रदेश की ग्रामीण जनसंख्या
की शैक्षिक उपलब्भि श्रेणी
श्रेणी पुरूष महिला ग्रामीण जनसंख्या की साक्षरता दर $76 %$ $54 %$ $10-14$ वर्ष के ग्रामीण बच्चों में साक्षरता दर $90 %$ $87 %$ $10-14$ वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले ग्रामीण बच्चों की प्रतिशत $85 %$ $82 %$ (क) सभी आयु वर्गों की साक्षरता दर, जिसमें युवक और वृद्ध दोनों सम्मिलित हैं, ग्रामीण पुरुषों के ……… थी और ग्रामीण महिलाओं के ……… थी। यही नहीं कि बहुत से वयस्क स्कूल ही नहीं जा पाए बल्कि ……… इस समय स्कूल में नहीं है।
(ख) इस तालिका से स्पष्ट है कि ……… प्रतिशत ग्रामीण लड़कियाँ और ……… प्रतिशत ग्रामीण लड़के स्कूल नहीं जा रहे हैं। इस, 10 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों में से ……………… प्रतिशत ग्रामीण लड़कियाँ और ……… प्रतिशत ग्रामीण लड़के निरक्षर हैं।
(ग) हमारी स्वतंत्रता के 70 वर्षों के बाद भी, ……… आयु के वर्ग में इस उच्च स्तर की निरक्षरता चिंताजनक है। बहुत से अन्य राज्यों में भी 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के संवैधानिक लक्ष्य के निकट भी नहीं पहुँच पाए हैं, जबकि इस लक्ष्य को 1960 तक पूरा करना था।
कार्यकलाप 3
यह ज्ञात करने के कि क्या हम उचित प्रकार से पोषित हैं। एक तरीका है, जिसे वैज्ञानिक शरीर द्रव्यमान सूचकांक (बी.एम.आई.) कहते हैं। इसकी गणना करना सरल है, कक्षा में प्रत्येक विद्यार्थी अपना भार और ऊँचाई ज्ञात करें। प्रत्येक बच्चे का भार किलोग्राम में लें। फिर दीवार पर एक पैमाना बनाकर, सिर को सीधा रखते हुए, ऊँचाई का सही माप करें। सेंटीमीटर में नापी गई ऊँचाई का सही माप करें। किलोग्राम में व्यक्त भार को, ऊँचाई के वर्ग से भाग दें। आपको जो अंक प्राप्त होगा, वही बी.एम. आई. (BMI) कहलाता है। फिर इस पुस्तक के पृष्ठ 90 और 91 पर दी गई, ‘आयु-अनुसार बी.एम.आई.’ तालिका को देखें। विद्यार्थी का बी.एम.आई. सामान्य, सामान्य से कम या सामान्य से अधिक हो सकता है। यदि एक विद्यार्थी की बी.एम.आई. -2 एस.डी. से 2 एस.डी. के बीच में है तो उसे सामान्य कहा जाएगा। यदि यह -2 एस.डी. से अधिक है तो वह ‘न्यूनभारित’ है और उसे अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता है। उदाहरण के , यदि एक विद्यार्थी की आयु 14 वर्ष 8 माह है और उसकी बी.एम.आई. 15.2 है तो वह अल्प-पोषित है। इसी भांति यदि एक विद्यार्थी जिसकी बी.एम.आई. 28 है और आयु 15 वर्ष 6 माह है, को न्यूनभारित कहेंगे। विद्यार्थियों की जीवनपरिस्थिति, भोजन एवं व्यायाम संबंधी आदतों को बिना किसी को लज्जित किये सामान्य रूप से चर्चा करें।
मानव विकास रिपोर्ट
एक बार यह बात समझ में आ जाए कि यद्यपि आय का स्तर महत्त्वपूर्ण है, पर यह विकास के स्तर को मापने का अपर्याप्त मापदंड है, तो हम अन्य मापदंडों के बारे में सोचने लगेंगे। ऐसे मापदंडों की सूची लम्बी हो सकती है, लेकिन वह इतनी उपयोगी नहीं रहेगी। हमें अधिक महत्त्वपूर्ण चीज़ों की कम संख्या में आवश्यकता है। स्वास्थ्य और शिक्षा के सूचक-जैसे हमने केरल और हरियाणा की तुलना करने के प्रयोग किये, ऐसे ही सूचकों में हैं। पिछले लगभग एक दशक में, स्वास्थ्य और शिक्षा सूचकों का आय के साथ व्यापक स्तर पर विकास के माप के प्रयोग किया जाने लगा है। उदाहरण के , यूएनडीपी द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट देशों की तुलना लोगों के शैक्षिक स्तर, उनकी स्वास्थ्य स्थिति और प्रति व्यक्ति आय के आधार पर करती है। भारत और उसके पड़ोसी देशों की 2020 की मानव विकास रिपोर्ट के कुछ संबद्ध आँकड़ों पर दृष्टि डालना रुचिकर होगा।
तालिका 1.6 वर्ष 2019 के भारत और उसके पड़ोसी देशों के कुछ आँकड़े
देश सकल राष्ट्रीय आय
(स.रा.आ. ) प्रति व्यक्ति
अमेरिकी डॉलर मेंजन्म के समय
संभावित आयु
( 2017 क्रय शकित क्षमता )विद्यालयी औसत आयु
$\mathbf{2 5}$ वर्ष या उसके
अधिकविश्व में मानव
विकास सूचकांक
( HDI ) का क्रमांक
( 2018 )श्रीलंका 12,707 77 10.6 73 भारत 6,681 69.7 6.5 130 म्यांमार 4,961 67.1 5.0 148 पाकिस्तान 5,005 67.3 5.2 154 नेपाल 3,457 70.8 5.0 143 बंगलादेश 4,976 72.6 6.2 134 स्रोत: मानव विकास रिपोर्ट, 2020, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम न्यूयार्क।
टिप्पणी
- HDI का अर्थ है मानव विकास सूचकांक। ऊपर दी गई तालिका मे HDI सूचकांक का क्रमांक कुल 189 देशों में से है।
- जन्म के समय संभावित आयु, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, व्यक्ति की जन्म के समय औसत आयु की संभावना दर्शाती है।
- प्रतिव्यक्ति आय की गणना सभी देशों के डॉलर में की जाती है, ताकि उसकी तुलना की जा सके। यह इस तरीके से भी की जाती है कि एक डॉलर किसी भी देश में समान मात्रा में वस्तुएँ और सेवाएँ खरीद सके।
क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि हमारे पड़ोस का एक छोटा-सा देश श्रीलंका हर विषय में भारत से आगे है और हमारे जैसे बड़े देश का विश्व में इतना नीचा क्रमांक है? तालिका 1.6 यह भी दिखाती है कि यद्यपि नेपाल और बांग्लादेश की प्रतिव्यक्ति आय भारत की तुलना में कम है, फिर भी वे भारत से आयु संभाविता में पीछे नहीं है।
एच.डी.आई. के परिकलन के बहुत से सुधारों का सुझाव दिया गया है। मानव विकास रिपोर्ट में बहुत से नए घटक जोड़े गए हैं, लेकिन मानव के विकास से पहले, यह बात स्पष्ट कर दी गई है कि विकास महत्त्वपूर्ण है - एक देश के नागरिकों के साथ क्या हो रहा है। लोगों का स्वास्थ्य, उनका कल्याण सबसे अधिक ज़रूरी है।
क्या आप सोचते हैं कि मानव विकास को मापने के कुछ और पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए?
विकास की धारणीयता
हम विकास को जिस तरह भी परिभाषित करें, अभी के मान लें कि एक विशेष देश काफ़ी विकसित है। हम निश्चित रूप से यह चाहेंगे कि विकास का यह स्तर और ऊँचा हो या कम से कम भावी पीढ़ी के यह स्तर बना रहे। यह स्पष्ट रूप से वांछनीय है। लेकिन बीसवी सदी के उत्तरार्द्ध से बहुत से वैज्ञानिक यह चेतावनी देते आ रहे हैं कि विकास का वर्तमान प्रकार और स्तर धारणीय नहीं है।
“हमने विश्व को अपने पूर्वजों से उत्तराधिकार में प्राप्त नहीं किया है- हमने इसे अपने बच्चों से उधार लिया है।”
अब हम इसे निम्न उदाहरण द्वारा समझने का प्रयत्न करते हैं।
उदाहरण 1- भारत में भूमिगत जल
“हाल के प्रमाणों से पता चलता है कि देश के कई भागों में भूमिगत जल के अति-उपयोग होने का गंभीर संकट है। 300 ज़िलों से सूचना मिली है कि वहाँ पिछले 20 सालों में पानी के स्तर में 4 मीटर से अधिक की गिरावट आयी है। देश का लगभग एक तिहाई भाग, भूमिगत जल भण्डारों का अति-उपयोग कर रहा है। यदि इस साधन के प्रयोग करने का वर्तमान तरीका जारी रहा तो अगले 25 वर्षों में देश का 60 प्रतिशत भाग इस साधन का अति-उपयोग कर रहा होगा। भूमिगत जल का अति-उपयोग विशेष रूप से पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कृषि की दृष्टि से समृद्ध क्षेत्रों , मध्य और दक्षिण भारत के चट्टानी पठारी क्षेत्रों, कुछ तटवर्ती क्षेत्रों और तेज़ी से विकसित होती शहरी बस्तियों में पाया जाता है।”
- आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि भूमिगत जल का अति-उपयोग हो रहा है?
- क्या बिना अति-उपयोग के विकास हो सकता है?
भूमिगत जल नवीकरणीय साधन का उदाहरण हैं। फसल और पौधों की तरह इन साधनों की पुन: पूर्ति प्रकृति करती है, लेकिन यहाँ भी हम इन साधनों का अति-उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के , भूमिगत जल का यदि बरसात द्वारा हो रही पुनः पूर्ति से अधिक प्रयोग करते हैं, तो हम इस साधन का अति-उपयोग कर रहे होंगे।
गैर नवीकरणीय साधन वो हैं, जो कुछ ही वर्षों के प्रयोग के पश्चात् समाप्त हो जाते हैं। इन संसाधनों का धरती पर एक निश्चित भण्डार है और इनकी पुन: पूर्ति नहीं हो सकती। कभी-कभी हमें ऐसे नए साधन मिल जाते हैं, जिनके बारे में हमें पहले कोई जानकारी नहीं थी। नये स्रोत भण्डार में वृद्धि करते हैं, लेकिन समय के साथ यह भी समाप्त हो जाएँगे।
उदाहरण के , हम ज़मीन से जो कच्चा तेल निकालते हैं वह एक गैर नवीकरणीय संसाधन है लेकिन हमें तेल का ऐसा स्रोत मिल सकता है जिसके बारे में हमें पहले जानकारी न हो। इसके हर समय खोज चलती रहती है। नीचे दी गई तालिका को देखिए।
उदाहरण 2 - प्राकृतिक संसाधनों का दोहन
कच्चे तेल के निम्न आंकड़ों को देखिए।
तालिका 1.7 किये तेल के अरिरिता भण्डार क्षेत्र/देश भण्डार ( 2017 )
( हजार मिलियन बैटल)भण्डारों के चलने की अवधि
( वर्षों में )मध्य-पूर्व 807.7 70 संयुक्त राज्य अमरीका 50 10.5 विश्व 1696.6 50.2 स्रोत: बी.पी. स्टैटिस्टीकल रि्यू ऑफ वर्ल्ड एनर्जी, जून 2018, पृष्ठ-12
यह तालिका कच्चे तेल के भण्डारों के अनुमान (कॉलम 1) को दर्शाती है। अधिक महत्त्वपूर्ण यह है कि यह बताती है कि यदि कच्चे तेल का प्रयोग वर्तमान दर पर चालू रहे तो ये भण्डार कितने वर्ष चलेंगे। यह संपूर्ण विश्व के है। किंतु अलग-अलग देशों की अलग-अलग स्थितियाँ हैं। यह भण्डार केवल 50 वर्षों में समाप्त हो जाएँगे। भारत जैसे देश इसके आयात पर निर्भर हैं, जिसके पास तेल के पर्याप्त भण्डार नहीं है। तेल की कीमतें बढ़ती है, तो प्रत्येक पर भार पड़ता है। संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे कुछ देश हैं जिनके पास भण्डार तो कम है लेकिन वे इसे सैन्य और आर्थिक शक्ति के द्वारा पाना चाहते हैं। विकास की धारणीयता का प्रश्न, इसकी प्रकृति और प्रक्रिया के बारे में कई अन्य मूल नए विषय खड़े कर देता है।
- क्या किसी देश की विकास प्रक्रिया के कच्चा तेल अनिवार्य है? चर्चा कीजिए।
- भारत को कच्चे तेल का आयात करना पड़ता है। उपरोक्त स्थिति को देखते हुए आप भारत के आने वाले समय में किन समस्याओं का पूर्वानुमान करते हैं?
पर्यावरण में गिरावट के परिणाम राष्ट्रीय और राज्य सीमाओं का ख्याल नहीं करते; यह एक क्षेत्र या देशगत विषय नहीं रह गया है। हम सब का भविष्य परस्पर जुड़ा हुआ है। विकास की धारणीयता तुलनात्मक स्तर पर ज्ञान का नया क्षेत्र है, जिसमें वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, दार्शानिक और अन्य सामाजिक वैज्ञानिक मिल-जुल कर काम कर रहे हैं। विकास या प्रगति का प्रश्न हमेशा चलने वाला प्रश्न है। हर वक्त में, हमें व्यक्तिगत स्तर पर और समाज का सदस्य होने के नाते यह प्रश्न पूछने की आवश्यकता है कि हम कहाँ जाना चाहते हैं, हम क्या बनना चाहते हैं और हमारे लक्ष्य क्या हैं? इस विकास पर बहस जारी है।
अभ्यास
- सामान्यत: किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है -
(क) प्रतिव्यक्ति आय
(ख) औसत साक्षरता स्तर
(ग) लोगों की स्वास्थ्य स्थिति
(घ) उपरोक्त सभी
- निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज़ से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है?
(क) बांग्लादेश
(ख) श्रीलंका
(ग) नेपाल
(घ) पाकिस्तान
- मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रतिव्यक्ति आय 5,000 रुपये हैं। अगर तीन परिवारों की आय क्रमशः $4,000,7,000$ और 3,000 रुपये हैं, तो चौथे परिवार की आय क्या है?
(क) 7,500 रुपये
(ख) 3,000 रुपये
(ग) 2,000 रुपये
(घ) 6,000 रुपये ? 4. विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिये किस प्रमुख मापदण्ड का प्रयोग करता है? इस मापदण्ड की, अगर कोई हैं, तो सीमाएँ क्या हैं? 5. विकास मापने का यू.एन.डी.पी. का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग है? 6. हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएँ हैं? विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए। 7. प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक हरियाणा से ऊँचा है। इस प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना के इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं? चर्चा कीजिए। 8. भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है? ज्ञात कीजिए। अब से 50 वर्ष पश्चात् क्या संभावनाएँ हो सकती हैं? 9. धारणीयता का विषय विकास के क्यों महत्त्वपूर्ण है? 10. धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए। 11. पर्यावरण में गिरावट के कुछ ऐसे उदाहरणों की सूची बनाइए जो आपने अपने आसपास देखे हों। 12. तालिका 1.6 में दी गई प्रत्येक मद के ज्ञात कीजिए कि कौन-सा देश सबसे ऊपर है और कौन-सा सबसे नीचे। 13. नीचे दी गई तालिका में भारत में व्यस्कों (15-49 वर्ष आयु वाले) जिनका बी.एम.आई. सामान्य से कम है (बी.एम.आई. $<18.5 \mathrm{~kg} / \mathrm{m}^{2}$ ) का अनुपात दिखाया गया है। यह वर्ष $2015-16$ में देश के विभिन्न राज्यों के एक सर्वेक्षण पर आधारित है। तालिका का अध्ययन करके निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
राज्य पुरूष
(%)महिला
(%)केरल 8.5 10 कर्नाटक 17 21 मध्य प्रदेश 28 28 सभी राज्य $\mathbf{2 0}$ $\mathbf{2 3}$ स्रोत : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4, 2015-16, http://rchiips.org.
(क) केरल और मध्य प्रदेश के लोगों के पोषण स्तरों की तुलना कीजिए।
(ख) क्या आप अन्दाज़ लगा सकते हैं कि देश में लगभग हर पाँच में से एक व्यक्ति अल्पपोषित क्यों है, यद्यपि यह तर्क दिया जाता है कि देश में पर्याप्त खाद्य है? अपने शब्दों में विवरण दीजिए।
अतिरिका परियोजना/कार्यकलाप
अपने क्षेत्र के विकास के विषय में चर्चा के तीन भिन्न वक्ताओं को आमंत्रित कीजिए। अपने मस्तिष्क में आने वाले सभी प्रश्नों को उनसे पूछिए। इन विचारों की समूहों में चर्चा कीजिए। प्रत्येक समूह एक दीवार-चार्ट बनाए जिसमें कारण सहित उन विचारों का उल्लेख करे, जिनसे आप सहमत अथवा असहमत हैं।