अध्याय 07 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ

हम अपने प्रतिदिन के जीवन में विभिन्न सामग्रियों एवं सेवाओं का प्रयोग करते हैं। इनमें से कुछ हमारे आस पास उपलब्ध होती हैं, जबकि कुछ अन्य चीज़ों की जरूरतें दूसरे स्थानों से लाकर पूरी की जाती हैं। वस्तुएँ तथा सेवाएँ माँग स्थल से आपूर्ति स्थल पर अपने आप नहीं पहुँच जाती। वस्तुओं तथा सेवाओं के आपूर्ति स्थानों से माँग स्थानों तक ले जाने हेतु परिवहन की आवश्यकता होती है। कुछ व्यक्ति इसको उपलब्ध करवाने में संलग्न हैं। जो व्यक्ति उत्पाद को परिवहन द्वारा उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं; उन्हें व्यापारी कहा जाता है। अतः एक देश के विकास की गति वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के साथ उनके एक स्थान से दूसरे स्थान तक वहन (movement) की सुविधा पर भी निर्भर करना पड़ता है। इस सक्षम परिवहन के साधन तीव्र विकास हेतु पूर्व अपेक्षित हैं।

वस्तुओं तथा सेवाओं का लाना-ले जाना पृथ्वी के तीन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर किया जाता है- स्थल, जल तथा वायु। इन्हों के आधार पर परिवहन को स्थल, जल व वायु परिवहन में वर्गीकृत किया जा सकता है। में विस्तृत वृद्धि हुई है। सक्षम व तीव्र गति वाले परिवहन से आज संसार एक बड़े गाँव में परिवर्तित हो गया है। परिवहन का यह विकास संचार साधनों के विकास की सहायता से ही संभव हो सका है। इसी परिवहन, संचार व व्यापार एक दूसरे के पूरक हैं।

आज भारत अपने विशाल आकार, विविधताओं, भाषाई तथा सामाजिक व सांस्कृतिक बहुलताओं के बावजूद संसार के सभी क्षेत्रों से सुचारू रूप से जुड़ा हुआ है। रेल, वायु एवं जल परिवहन, समाचारपत्र, रेडियो, दूरदर्शन, सिनेमा तथा इंटरनेट आदि इसके सामाजिक-आर्थिक विकास में अनेक प्रकार से सहायक हैं। स्थानिक से अंतर्राष्ट्रीय स्तरीय व्यापार ने अर्थव्यवस्था को जीवन शक्ति दी है। इसने हमारे जीवन को समृद्ध किया है तथा आरामदायक जीवन के सुविधाओं व साधनों में बढ़ोतरी की है।

इस अध्याय में आप पढ़ेंगे कि किस प्रकार आधुनिक संचार तथा परिवहन के साधन हमारे देश और इसकी आधुनिक अर्थव्यवस्था को संचालित करते हैं। अतः यह


बहुत समय तक व्यापार तथा परिवहन सुविधा एक सीमित क्षेत्र तक ही किया जाता था। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के विकास के साथ व्यापार व परिवहन के प्रभाव क्षेत्र स्पष्ट है कि सघन व सक्षम परिवहन का जाल तथा संचार के साधन आज विश्व, राष्ट्र व स्थानीय व्यापार हेतु पूर्व-अपेक्षित हैं।

परिवहन (Transport)

स्थल परिवहन

भारत विश्व का दूसरा सर्वाधिक सड़क जाल वाला देश है, यह सड़क जाल लगभग 62.16 लाख किमी. है (2020-21)। भारत में सड़क परिवहन, रेल परिवहन से पहले प्रारंभ हुआ। निर्माण तथा व्यवस्था में सड़क परिवहन, रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक है। रेल परिवहन की अपेक्षा सड़क परिवहन की बढ़ती महत्ता निम्नकारणों से है -

  • रेलवे लाइन की अपेक्षा सड़कों की निर्माण लागत बहुत कम है।
  • अपेक्षाकृत ऊबड़-खाबड़ व विच्छिन्न भू-भागों पर सड़कें बनाई जा सकती हैं।
  • अधिक ढाल प्रवणता तथा पहाड़ी क्षेत्रों में भी सड़कें निर्मित की जा सकती हैं।
  • अपेक्षाकृत कम व्यक्तियों, कम दूरी व कम वस्तुओं के परिवहन में सड़क मितव्ययी है।
  • यह घर-घर सेवाएँ उपलब्ध करवाता है तथा सामान चढ़ाने व उतारने की लागत भी अपेक्षाकृत कम है।
  • सड़क परिवहन, अन्य परिवहन साधनों के उपयोग में एक कड़ी के रूप में भी कार्य करता है, जैसे सड़कें, रेलवे स्टेशन, वायु व समुद्री पत्तनों को जोड़ती हैं।

भारत में सड़कों की सक्षमता के आधार पर इन्हें निम्न छः वर्गों में वर्गीकृत किया गया है। राष्ट्रीय राजमार्गों के मानचित्र देखें तथा इन सड़कों की महत्त्वपूर्ण भूमिका बताएँ।

  • स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग (Golden Quadrilateral Super Highways) - भारत सरकार ने दिल्ली-कोलकत्ता, चेन्नई-मुंबई व दिल्ली को जोड़ने वाली 6 लेन वाली महा राजमार्गों की सड़क परियोजना प्रारंभ की है। इस परियोजना के तहत दो गलियारे प्रस्तावित हैं प्रथम उत्तर-दक्षिण गलियारा जो श्रीनगर को कन्याकुमारी से जोड़ता है तथा द्वितीय जो पूर्व-पश्चिम गलियारा जो सिलचर (असम) तथा पोरबंदर (गुजरात) को जोड़ता है। इस महा राजमार्ग का प्रमुख उद्देश्य भारत के मेगासिटी (Mega cities) के मध्य की दूरी व परिवहन समय को न्यूनतम करना है। यह राजमार्ग परियोजना - भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकार क्षेत्र में है।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highways) - राष्ट्रीय राजमार्ग देश के दूरस्थ भागों को जोड़ते हैं। ये प्राथमिक सड़क तंत्र हैं जिनका निर्माण व रखरखाव केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) के अधिकार क्षेत्र में है। अनेक प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम दिशाओं में फैले हैं। दिल्ली व अमृतसर के मध्य ऐतिहासिक शेरशाह सूरी मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 के नाम से जाना जाता है।
  • राज्य राजमार्ग (State Highways) - राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ने वाली सड़कें राज्य राजमार्ग कहलाती हैं। राज्य तथा केंद्रशासित क्षेत्रों में इनकी व्यवस्था तथा निर्माण का दायित्व राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) का होता है।

चित्र 7.1 - अहमदाबाद-वडोदरा द्रुतमार्ग

क्रियाकलाप

राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या (पुरानी तथा नयी) से संबंधित जानकारी वेबसाइट morth.nic.in/nationalhighway-details से एकत्र करें।

  • ज़िला मार्ग - ये सड़कें ज़िले के विभिन्न प्रशासनिक केंद्रों को ज़िला मुख्यालय से जोड़ती हैं। इन सड़कों की व्यवस्था का उत्तरदायित्व ज़िला परिषद् का है।
  • अन्य सड़कें - इस वर्ग के अंतर्गत वे सड़कें आती हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों तथा गाँवों को शहरों से जोड़ती हैं। ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना’ के तहत इन सड़कों के विकास को विशेष प्रोत्साहन मिला है। इस परियोजना के कुछ विशेष प्रावधान हैं जिसमें देश के प्रत्येक गाँव को प्रमुख शहरों से पक्की सड़कों (वे सड़कें जिन पर वर्ष भर वाहन चल सकें) द्वारा जोड़ना प्रस्तावित है।

भारत - राष्ट्रीय राजमार्ग

  • सीमांत सड़कें - उपरोक्त सड़कों के अतिरिक्त, भारत सरकार प्राधिकरण के अधीन सीमा सड़क संगठन है जो देश के सीमांत क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण व उनकी देख-रेख करता है। यह संगठन 1960 में बनाया गया जिसका कार्य उत्तर तथा उतरी-पूर्वी क्षेत्रों में सामरिक महत्त्व की सड़कों का विकास करना था। इन सड़कों के विकास से दुर्गम क्षेत्रों में अभिगम्यता बढ़ी है तथा ये इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास में भी सहायक हुई हैं।
क्या आप जानते हैं?

विश्व की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग-अटल टनल ( 9.02 किलोमीटर) सीमा सड़क संगठन द्वारा बनाई गयी है। यह सुरंग पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ती है। पहले यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग 6 महीने तक अलग-थलग रहती थी। यह सुरंग हिमालय की पीरपंजाल पर्वतमाला में औसत समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर अति-आधुनिक सुविधाओं के साथ बनाई गई है।

$\quad$ स्रोत—-http://www.bro.gov.in/pagefimg.asp? imid=144,And PIBdelhi03October2020

चित्र 7.3 - पहाड़ी रास्ते

सड़क निर्माण में प्रयुक्त पदार्थ के आधार पर भी सड़कों को कच्ची व पक्की सड़कों में वर्गीकृत किया जाता है। पक्की सड़कें, सीमेंट, कंक्रीट व तारकोल द्वारा निर्मित होती है, अतः ये बारहमासी सड़कें हैं। कच्ची सड़कें वर्षा ॠतु में अनुपयोगी हो जाती है।

चित्र 7.4 - उत्तरी-पूर्वी सीमा सड़क पर यातायात (अरुणाचल प्रदेश)

रेल परिवहन

भारत में रेल परिवहन, वस्तुओं तथा यात्रियों के परिवहन का प्रमुख साधन है। रेल परिवहन अनेक कार्यों में सहायक है जैसे - व्यापार, भ्रमण, तीर्थ यात्राएँ व लंबी दूरी तक सामान का परिवहन आदि। एक प्रमुख परिवहन के साधन के अतिरिक्त, पिछले 150 वर्षों से भी अधिक समय से भारतीय रेल एक महत्त्वपूर्ण समंवयक के रूप में भी जानी जाती है। भारतीय रेलवे देश की अर्थव्यवस्था, उद्योगों व कृषि के तीव्र गति से विकास के उत्तरदायी है।

भारतीय रेल परिवहन देश का सर्वाधिक बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का प्राधिकरण है। देश की पहली रेलगाड़ी 1853 में मुंबई और थाणे के मध्य चलाई गई जो 34 किमी. की दूरी तय करती थी।

भारतीय रेल परिवहन को 16 रेल प्रखंडों में पुन: संकलित किया गया है।

क्रियाकलाप

वर्तमान रेल प्रखंड व उनके मुख्यालय बताएँ। भारत के मानचित्र पर रेल प्रखंडों के मुख्यालयों को प्रदर्शित करें।

देश में रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों में भू-आकृतिक, आर्थिक व प्रशासकीय कारक प्रमुख हैं। उत्तरी मैदान अपनी विस्तृत समतल

तालिका 7.1 भारत - रेलवे मार्ग

भारतीय रेल 67956 किमी. लंबे मार्ग को अनेक गेज पर तय करती है।

गेज मीटर में रूट (किमी.)
बड़ी लाइन (1.676) 63950
मीटर लाइन (1.000) 2402
छोटी लाइन (0.762 & 0.610) 1604
कुल 67956

स्रोत - भारतीय रेल वार्षिक पुस्तिका, 2019-20 रेल परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार। वेबसाइट-www.indianrailways.gov.in

भूमि, सघन जनसंख्या घनत्व, संपन्न कृषि व प्रचुर संसाधनों के कारण रेल परिवहन के विकास व वृद्धि में सहायक रहा है, यद्यपि असंख्य नदियों के विस्तृत जल मार्गों पर पुलों के निर्माण में कुछ बाधाएँ आई हैं। प्रायद्वीप भारत में, रेलमार्ग ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी क्षेत्रों, छोटी पहाड़ियों और सुरंगों आदि से होकर गुजरते हैं। हिमालय पर्वतीय क्षेत्र भी दुर्लभ उच्चावच, विरल जनसंख्या तथा आर्थिक अवसरों की कमी के कारण रेलवे लाइन के निर्माण में प्रतिकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न करता है। इसी प्रकार, पश्चिमी राजस्थान, गुजरात के दलदली भाग, मध्यप्रदेश के वन-क्षेत्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा व झारखंड में रेल लाइन निर्माण करना कठिन है। सह्याद्रि तथा उससे सन्निध क्षेत्र को भी घाट या दर्रों के द्वारा ही पार कर पाना संभव है। कुछ वर्ष पहले भारत के महत्त्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्र में पश्चिमी तट के साथ कोंकण रेलवे के विकास ने यात्री व वस्तुओं के आवागमन को सुविधाजनक बनाया है। यद्यपि यहाँ असंख्य समस्याएँ भी हैं, जैसे - भूस्खलन तथा किसी-किसी भाग में रेलवे ट्रैक का धँसना आदि।

आज राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में परिवहन के अन्य सभी साधनों की अपेक्षा रेल परिवहन प्रमुख हो गया है। यद्यपि रेल परिवहन समस्याओं से मुक्त नहीं है। बहुत से यात्री बिना टिकट यात्रा करते हैं। रेल संपत्ति की हानि तथा चोरी जैसी समस्याएँ भी पूर्णतया समाप्त नहीं हुई हैं। जंज़ीर खींच कर यात्री कहीं भी अनावश्यक रूप से गाड़ी रोकते हैं, जिससे रेलवे को भारी हानि उठानी पड़ती है। जरा सोचिए, हम अपनी रेलगाड़ियों को निर्धारित समय पर चलने में कैसे मदद कर सकते हैं?

पाइपलाइन

भारत के परिवहन मानचित्र पर पाइपलाइन एक नया परिवहन का साधन है। पहले पाइपलाइन का उपयोग शहरों व उद्योगों में पानी पहुँचाने हेतु होता था। आज इसका प्रयोग कच्चा तेल, पेट्रोल उत्पाद तथा तेल से प्राप्त प्राकृतिक तथा गैस क्षेत्र से उपलब्ध गैस शोधनशालाओं, उर्वरक कारखानों व बड़े ताप विद्युत गृहों तक पहुँचाने में किया जाता है। ठोस पदार्थों को तरल अवस्था (Slurry) में परिवर्तित कर पाइपलाइनों द्वारा ले जाया जाता है। सुदूर आंतरिक भागों में स्थित शोधनशालाएँ जैसे बरौनी, मथुरा, पानीपत तथा गैस पर आधारित उर्वरक कारखानों की स्थापना पाइपलाइनों के जाल के कारण ही संभव हो पाई है। पाइपलाइन बिछाने की प्रारंभिक लागत अधिक है लेकिन इसको चलाने की (Running) लागत न्यूनतम है। वाहनांतरण देरी तथा हानियाँ इसमें लगभग नहीं के बराबर है।

देश में पाइपलाइन परिवहन के तीन प्रमुख जाल हैं-

  • ऊपरी असम के तेल क्षेत्रों से गुवाहाटी, बरौनी व इलाहाबाद के रास्ते कानपुर (उत्तर प्रदेश) तक। इसकी एक शाखा बरौनी से राजबंध होकर हल्दिया तक है दूसरी राजबंध से मौरी ग्राम तक तथा गुवाहाटी से सिलिगुड़ी तक है।
  • गुजरात में सलाया से वीरमगाँव, मथुरा, दिल्ली व सोनीपत के रास्ते पंजाब में जालंधर तक। इसकी अन्य शाखा वडोदरा के निकट कोयली को चक्शु व अन्य स्थानों से जोड़ती है।

भारत - रेलमार्ग

क्या आप जानते हैं?

रेलवे लाइन कश्मीर घाटी में बनिहाल से बारामुला तक बिछाई जा चुकी है। इन दोनों शहरों को भारत के मानचित्र पर चिहिनत करें।

  • पहली 1,700 किलोमीटर लंबी हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर (एच.वी.जे.) क्रॉस कंट्री गैस पाइपलाइन, मुंबई हाई और बसीन गैस क्षेत्रों को पश्चिमी और उत्तरी भारत के विभिन्न उर्वरक, बिजली और औद्योगिक परिसरों से जोड़ती है। कुल मिलाकर, भारत की गैस पाइपलाइन के बुनियादी ढांचे का विस्तार क्रॉस-कंट्री पाइपलाइनों के 1700 किलोमीटर से बढ़कर 18500 किलोमीटर तक हो गया है।

जल परिवहन

भारत के लोग प्राचीनकाल से समुद्री यात्राएँ करते रहे हैं। इसके नाविकों ने दूर तथा पास के क्षेत्रों में भारतीय संस्कृति व व्यापार को फैलाया है। जल परिवहन, परिवहन का सबसे सस्ता साधन है। यह भारी व स्थूलकाय वस्तुएँ ढोने में अनुकूल है। यह परिवहन साधनों में ऊर्जा सक्षम तथा पर्यावरण अनुकूल हैं। भारत में अंतः स्थलीय नौसंचालन जलमार्ग 14,500 किमी. लंबा है। इसमें केवल 5,685 किमी. मार्ग ही मशीनीकृत नौकाओं द्वारातय किया जाता है।

चित्र 7.5 - उत्तर-पूर्वी राज्यों में आंतरिक जलमार्ग परिवहन अधिक महत्त्वपूर्ण है

निम्न जलमार्गों को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है -

  • हल्दिया तथा इलाहाबाद के मध्य गंगा जलमार्ग जो 1620 किमी. लंबा है - नौगम्य जलमार्ग संख्या-1
  • सदिया व धुबरी के मध्य 891 किमी. लंबा ब्रह्मपुत्र नदी जल मार्ग - नौगम्य जलमार्ग संख्या-2
  • केरल में पश्चिम-तटीय नहर (कोट्टापुरम से कोल्लम तक, उद्योगमंडल तथा चंपक्कारा नहरें - 205 किमी.) नौगम्य जलमार्ग संख्या-3
  • काकीनाडा और पुदुच्चेरी नहर स्ट्रेच के साथ-साथ गोदावरी और कृष्णा नदी का विशेष विस्तार (1078 किमी.)- राष्ट्रीयजलमार्ग-4.
  • मातई नदी, महानदी के डेल्टा चैनल, ब्राह्मणी नदी और पूर्वी तटीय नहर के साथ- ब्रह्ााणी नदी का विशेष विस्तार- ( 588 किमी.)-राष्ट्रीय जलमार्ग-5. कुछ अन्य अंतर जलमार्ग भी हैं जिन पर परिवहन होता है इसमें माण्डवी, जुआरी और कम्बरजुआ, सुन्दरवन, बराक, केरल का पश्चजल।

इन सबके अतिरिक्त, विदेशी व्यापार भारतीय तट पर स्थित पत्तनों द्वारा किया जाता है। देश का 95 प्रतिशत व्यापार (मुद्रा रूप में 68 प्रतिशत) समुद्रों द्वारा ही होता है।

प्रमुख समुद्री पत्तन

भारत की 7,516.6 किमी. लंबी समुद्री तट रेखा के साथ 12 प्रमुख तथा 200 मध्यम व छोटे पत्तन हैं। ये प्रमुख पत्तन देश का 95 प्रतिशत विदेशी व्यापार संचालित करते हैं।

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् कच्छ में कांडला पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया। ऐसा देश विभाजन से कराची पत्तन जो पाकिस्तान में शामिल हो गया था उसकी कमी को पूरा करने तथा मुंबई पत्तन से होने वाले व्यापारिक दबाव को कम करने के किया गया था। कांडला जिसे दीनदयाल पत्तन के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ज्वारीय पत्तन है। यह जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व गुजरात के औद्योगिक तथा खाद्यान्नों के आयात-निर्यात को संचालित करता है।

मुंबई वृहत्तम पत्तन है जिसके प्राकृतिक खुले, विस्तृत व सुचारु पोताश्रय हैं। मुंबई पत्तन के अधिक परिवहन को ध्यान में रखकर इसके सामने जवाहरलाल नेहरू पत्तन विकसित किया गया जो इस पूरे क्षेत्र को एक समूह

चित्र 7.6 - मुंबई पत्तन में जहाज पर ट्रकों को ले जाते हुए

पत्तन की सुविधा भी प्रदान कर सके। लौह-अयस्क के निर्यात के संदर्भ में मारमागाओ पत्तन देश का महत्त्वपूर्ण पत्तन है। यहाँ से देश के कुल निर्यात का आधा ( 50 प्रतिशत) लौह-अयस्क निर्यात किया जाता है। कर्नाटक में स्थित न्यू-मैंगलोर पत्तन कुद्रेमुख खानों से निकले लौह-अयस्क का निर्यात करता है। सुदूर दक्षिण-पश्चिम में कोची पत्तन है; यह एक लैगून के मुहाने पर स्थित एक प्राकृतिक पोताश्रय है।

चित्र 7.7 - न्यू-मंगलौर पत्तन पर टैंकर द्वारा कच्चे तेल का निर्वहन

पूर्वी तट के साथ तमिलनाडु में दक्षिण-पूर्वी छोर पर तूतीकोरन पत्तन है। यह एक प्राकृतिक पोताश्रय है तथा इसकी पृष्ठभूमि भी अत्यंत समृद्ध है। अतः यह पत्तन हमारे पड़ोसी देशों जैसे - श्रीलंका, मालदीव आदि तथा भारत के तटीय क्षेत्रों की भिन्न वस्तुओं के व्यापार को संचालित करता है। चेन्नई हमारे देश का प्राचीनतम कृत्रिम पत्तन है। व्यापार की मात्रा तथा लदे सामान के संदर्भ में इसका मुंबई के बाद दूसरा स्थान है। विशाखापट्नम स्थल से घिरा, गहरा व सुरक्षित पत्तन है। प्रारम्भ में यह पत्तन लौह-अयस्क निर्यातक के रूप में विकसित किया गया था। ओडिशा में स्थित पारादीप पत्तन विशेषतः लौह-अयस्क का निर्यात करता है। कोलकाता एक अंत: स्थलीय नदीय (Riverine) पत्तन है। यह पत्तन गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन के वृहत् व समृद्ध पृष्ठभूमि को सेवाएँ प्रदान करता है। ज्वारीय (Tidal) पत्तन होने के कारण तथा हुगली के तलछट जमाव से इसे नियमित रूप से साफ करना पड़ता है। कोलकाता पत्तन पर बढ़ते व्यापार को कम करने हेतु हल्दिया सहायक पत्तन के रूप में विकसित किया गया है।

चित्र 7.8 - बड़े आकार के कार्गो को उठाने-रखने की सुविधाओं से युक्त तूतीकोरिन पत्तन

वायु परिवहन

आज वायु परिवहन तीव्रतम, आरामदायक व प्रतिष्ठित परिवहन का साधन है। इसके द्वारा अति दुर्गम स्थानों जैसे ऊँचे पर्वत, मरुस्थलों, घने जंगलों व लंबे समुद्री रास्तों को सुगमता से पार किया जा सकता है। वायु परिवहन के अभाव में, देश के उत्तरी पूर्वी राज्यों के विषय में सोचें, जहाँ बड़ी नदियाँ, विच्छिन्न धरातल, घने जंगल, निरंतर बाढ़ आदि एक सामान्य बात है। हवाई यात्रा ने इसे अधिक अभिगम्य बना दिया है।

चित्र 7.9

उत्तर पूर्वी राज्यों में वायु परिवहन अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?

सन् 1953 में वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण किया गया। एयर इंडिया घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय वायु सेवाएँ भी प्रदान करती है। पवन हंस हेलीकाप्टर

भारत - मुख्य पत्तन और कुछ अंरर्राष्ट्रीय हवाई पत्तन

लिमिटेड, तेल व प्राकृतिक गैस आयोग को इसकी अपतटीय संक्रियाओं में तथा अगम्य व दुर्लभ भू-भागों जैसे उत्तरी-पूर्वी राज्यों तथा जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखण्ड के आंतरिक क्षेत्रों में हेलीकाप्टर सेवाएँ उपलब्ध करवाता है।

एयर इंडिया से जुड़े देशों के नाम बताएँ।

हवाई यात्रा सभी व्यक्तियों की पहुँच में नहीं है। केवल उत्तरी-पूर्वी राज्यों में इन सेवाओं को आम आदमी तक उपलब्ध करवाने हेतु विशेष प्रबंध किये गए हैं।

संचार सेवाएँ

जब से मानव पृथ्वी पर अवतरित हुआ है, उसने विभिन्न संचार माध्यमों का प्रयोग किया है। लेकिन आधुनिक समय में बदलाव की गति तीव्र है। संदेश प्राप्तकर्ता या संदेश भेजने वाले के गतिविहीन रहते हुए भी लंबी दूरी का संचार बहुत आसान है। निजी दूरसंचार तथा जनसंचार में दूरदर्शन, रेडियो, समाचार-पत्र समूह, प्रेस तथा सिनेमा, आदि देश के प्रमुख संचार साधन हैं। भारत का डाक-संचार तंत्र विश्व का वृहत्तम है। यह पार्सल, निजी पत्र व्यवहार तथा तार आदि को संचालित करता है। कार्ड व लिफाफा बंद चिट्ठी, पहली श्रेणी की डाक समझी जाती है तथा विभिन्न स्थानों पर वायुयान द्वारा पहुँचाए जाते हैं। द्वितीय श्रेणी की डाक में रजिस्टर्ड पैकेट, किताबें, अखबार तथा मैगज़ीन शामिल हैं। ये धरातलीय डाक द्वारा पहुँचाए जाते हैं तथा इनके स्थल व जल परिवहन का प्रयोग किया जाता है। बड़े शहरों व नगरों में डाक-संचार में शीघ्रता हेतु, हाल ही में छः डाक मार्ग बनाए गए हैं। इन्हें राजधानी मार्ग, मेट्रो चैनल, ग्रीन चैनल,

क्या आप जानते हैं?

डिजिटल भारत एक ज्ञान आधारित परिवर्तन के , भारत को तैयार करने के एक विशाल कार्यक्रम है। डिजिटल भारत कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य IT (भारतीय प्रतिभा) +IT (सूचना प्रौद्योगिकी)=IT (कल का भारत) में होने वाले परिवर्तन को समझना है और तकनीक को केन्द्र में रखकर बदलाव लाना है।

चित्र 7.10 - राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर एक आपातकालीन कॉल बॉक्स

व्यापार (Business) चैनल, भारी चैनल तथा दस्तावेज़ चैनल के नाम से जाना जाता है।

दूर संचार-तंत्र में भारत एशिया महाद्वीप में अग्रणी है। नगरीय क्षेत्रों के अतिरिक्त, भारत के दो तिहाई से अधिक गाँव एस टी डी दूरभाष सेवा से जुड़े हैं। सूचनाओं के प्रसार को आधार स्तर से उच्च स्तर तक समृद्ध करने हेतु भारत सरकार ने देश के प्रत्येक गाँव में चौबीस घंटे एस टी डी सुविधा के विशेष प्रबंध किये हैं। पूरे देश भर में एस टी डी की दरों को भी नियमित किया है। यह सब सूचना, संचार व अंतरिक्ष प्रोद्यौगिकी के समंवित विकास से ही संभव हो पाया है।

जन-संचार, मानव को मनोरंजन के साथ बहुत से राष्ट्रीय कार्यक्रमों व नीतियों के विषय में जागरूक करता है। इसमें रेडियो, दूरदर्शन, समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, किताबें तथा चलचित्र सम्मिलित हैं। आकाशवाणी (आल इंडिया रेडियो) राष्ट्रीय, क्षेत्रीय तथा स्थानीय भाषा में देश के विभिन्न भागों में अनेक वर्गों के व्यक्तियों के विविध कार्यक्रम प्रसारित करता है। दूरदर्शन, देश का राष्ट्रीय समाचार व संदेश माध्यम है तथा विश्व के बृहत्तम संचार-तंत्र में एक है। यह विभिन्न आयु वर्ग के व्यक्तियों हेतु मनोरंजक, ज्ञानवर्धक, व खेल-जगत संबंधी कार्यक्रम प्रसारित करता है।

भारत में वर्ष भर अनेक समाचार-पत्र तथा सामयिक पत्रिकाएँ प्रकाशित की जाती हैं। ये पत्रिकाएँ सामयिक होने के नाते (जैसे मासिक, साप्ताहिक आदि)

प्रकार को हैं। समाचार-पत्र लगभग 100 भाषाओं तथा बोलियों में प्रकाशित होते हैं। क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में सर्वाधिक समाचार-पत्र हिंदी भाषा में प्रकाशित होते हैं तथा इसके बाद अंग्रेजी व उर्दू के समाचार पत्र आते हैं। भारत विश्व में सर्वाधिक चलचित्रों का उत्पादक भी है। यह कम अवधि वाली फिल्में, वीडियो फीचर फिल्म तथा छोटी वीडियो फिल्में बनाता है। भारतीय व विदेशी सभी फिल्मों को प्रमाणित करने का अधिकार केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (Central Board of Film Certification) को है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

राज्यों व देशों में व्यक्तियों के बीच वस्तुओं का आदान-प्रदान व्यापार कहलाता है। बाज़ार एक ऐसी जगह है जहाँ इसका विनिमय होता है। दो देशों के मध्य यह व्यापार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहलाता है। यह समुद्री, हवाई व स्थलीय मार्गों द्वारा हो सकता है। यद्यपि स्थानीय व्यापार शहरों, कस्बों व गाँवों में होता है, राज्यस्तरीय व्यापार दो या अधिक राज्यों के मध्य होता है। एक देश के अंतरराष्ट्रीय व्यापार की प्रगति उसके आर्थिक वैभव का सूचक है। इसी इसे राष्ट्र का आर्थिक बैरोमीटर भी कहा जाता है।

सभी देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर निर्भर हैं क्योंकि संसाधनों की उपलब्धता क्षेत्रीय है अर्थात् इनका वितरण असमान है। आयात तथा निर्यात व्यापार के घटक हैं। आयात व निर्यात का अंतर ही देश के व्यापार संतुलन को निर्धारित करता है। अगर निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक हो तो उसे अनुकूल व्यापार संतुलन कहते हैं। इसके विपरीत निर्यात की अपेक्षा अधिक आयात असंतुलित व्यापार कहलाता है।

विश्व के सभी भौगोलिक प्रदेशों तथा सभी व्यापारिक खंडों के साथ भारत के व्यापारिक संबंध हैं। भारत में निर्यात होने वाली प्रमुख वस्तुएँ रत्न व जवाहरात, रसायन एवं संबंधित उत्पाद तथा कृषि एवं संबंधित उत्पाद हैं। भारत मे आयातित वस्तुओं में कच्चा पेट्रोलियम तथा उत्पाद, रत्न व जवाहरात, आधार धातुएँ, मशीनें, कृषि व अन्य उत्पाद शामिल हैं। भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक सॉफ्टवेयर महाशक्ति के रूप में उभरा है तथा सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से अत्यधिक विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है।

पर्यटन - एक व्यापार के रूप में

पिछले तीन दशकों में भारत में पर्यटन उद्योग में महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई है। 150 लाख से अधिक व्यक्ति पर्यटन उद्योग में प्रत्यक्ष रूप से संलग्न हैं। पर्यटन राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करता है तथा स्थानीय हस्तकला व सांस्कृतिक उद्यमों को प्रश्रय देता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह हमें संस्कृति तथा विरासत की समझ विकसित करने में सहायक है। विदेशी पर्यटक भारत में विरासत पर्यटन, पारि-पर्यटन (eco-tourism), रोमांचकारी पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन तथा व्यापारिक पर्यटन के आते हैं।

देश के विभिन्न भागों में पर्यटन की अपार संभावनाएँ हैं। पर्यटन उद्योग के विकास हेतु विभिन्न प्रकार के पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं।

क्रियाकलाप

भारत के मानचित्र पर अपने राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में स्थित प्रमुख स्थल को प्रदर्शित करें तथा इसका देश के अन्य भागों से रेल/सड़क/वायुमार्ग द्वारा संपर्क भी दिखाएँ।

कक्षा में चर्चा करें -

  • आपके राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में किस प्रकार का पर्यटन विकसित किया जा सकता है और क्यों?
  • आपके राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में किन क्षेत्रों को पर्यटन हेतु विकसित किया जा सकता है और क्यों?
  • सतत पोषणीय विकास को ध्यान में रखते हुए किसी प्रदेश के आर्थिक विकास में पर्यटन किस प्रकार सहायक हो सकता है?

भारत में विरासत पर्यटन पर एक प्रोजेक्ट तैयार करें।

अभ्यास

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) निम्न से कौन-से दो दूरस्थ स्थित स्थान पूर्वी-पश्चिमी गलियारे से जुड़े हैं?

(क) मुंबई तथा नागपुर
(ग) सिलचर तथा पोरबंदर
(ख) मुंबई और कोलकाता
(घ) नागपुर तथा सिलिगुड़ी

(ii) निम्नलिखित में से परिवहन का कौन-सा साधन वहनांतरण हानियों तथा देरी को घटाता है?

(क) रेल परिवहन
(ग) सड़क परिवहन
(ख) पाइपलाइन
(घ) जल परिवहन

(iii) निम्न में से कौन-सा राज्य हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर पाइप लाइन से नहीं जुड़ा है?

(क) मध्य प्रदेश
(ग) महाराष्ट्र
(ख) गुजरात
(घ) उत्तर प्रदेश

(iv) इनमें से कौन-सा पत्तन पूर्वी तट पर स्थित है जो अंत: स्थलीय तथा अधिकतम गहराई का पत्तन है तथा पूर्ण सुरक्षित है

(क) चेन्नई
(ग) पारादीप
(ख) तूतीकोरिन
(घ) विशाखापट्नम

(v) निम्न में से कौन-सा परिवहन साधन भारत में प्रमुख साधन है?

(क) पाइपलाइन
(ग) रेल परिवहन
(ख) सड़क परिवहन
(घ) वायु परिवहन

(vi) निम्न से कौन-सा शब्द दो या अधिक देशों के व्यापार को दर्शाता है-

(क) आंतरिक व्यापार
(ग) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
(ख) बाहरी व्यापार
(घ) स्थानीय व्यापार

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) सड़क परिवहन के तीन गुण बताएँ।
(ii) रेल परिवहन कहाँ पर अत्यधिक सुविधाजनक परिवहन साधन है तथा क्यों?
(iii) सीमांत सड़कों का महत्त्व बताएँ।
(iv) व्यापार से आप क्या समझते हैं? स्थानीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अंतर स्पष्ट करें।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

(i) परिवहन तथा संचार के साधन किसी देश की जीवन रेखा तथा अर्थव्यवस्था क्यों कहे जाते हैं?
(ii) पिछले पंद्रह वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रवृत्ति पर एक लेख लिखें।

प्रश्न पहेली

1. उत्तरी-दक्षिणी गलियारे (corridor) का उत्तरी छोर।
2. राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या- 2 का नाम।
3. दक्षिण रेलवे खंड का मुख्यालय।
4. 1.676 मीटर चौड़ाई वाले रेल मार्ग का नाम।
5. राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-7 का दक्षिणतम किनारा।
6. एक नदीय पत्तन
7. उत्तरी भारत का व्यस्ततम रेलवे जंक्शन।

क्रियाकलाप

क्षैतिज, ऊध्ध्वाधर तथा विकर्ण रूप से शुरू करते हुए देश के विभिन्न गंतव्यों को चिद्नित करें।

नोट : पहेली के उत्तर अंग्रेज़ी के शब्दों में हैं।

SHERSHAHSURIMARG
ARTPRNXELATADLAY
JMMXIPORAYMPGHTX
YCHENNNAIIKMCAIM
ODCDALMCSOTPORCP
APTRGSKJMJLEANER
RAETAJPORMWMASXO
ILSBROADGAUGELOT
ASNLCMECUKZMAAJE
LMUGHALSARAIBSNA
GOETVRAYFTOREAJM
KQAIPMNYRYAYHLIN
GKOLKATAEUITWBEA
NITNKDEMOURPNPJD


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