अध्याय 08 त्रिकोणमिति का परिचय
संभवतः त्रिकोणमिति के अतिरिक्त गणणित की कोई ऐसी शाखा नहीं है, जो उसकी मध्य स्थिति का स्थान ले सकी।
J.F. Herbart (1890)
8.1 भूमिका
आप अपनी पिछली कक्षाओं में त्रिभुजों, विशेष रूप से समकोण त्रिभुजों के बारे में अध्ययन कर चुके हैं। आइए हम अपने आस-पास के परिवेश से कुछ ऐसे उदाहरण लें, जहाँ समकोण त्रिभुजों के बनने की कल्पना की जा सकती है। उदाहरण के लिए :
1. मान लीजिए एक स्कूल के छात्र कुतुबमीनार देखने गए हैं। अब, यदि कोई छात्र मीनार के शिखर को देख रहा हो, तो एक समकोण त्रिभुज बनने की कल्पना की जा सकती है जैसाकि आकृति 8.1 में दिखाया गया है। क्या वास्तव में मापे बिना ही छात्र मीनार की ऊँचाई ज्ञात कर सकता है?

आकृति 8.1
2. मान लीजिए एक लड़की नदी के किनारे स्थित अपने मकान की बालकनी पर बैठी हुई है और वह इस नदी के दूसरे किनारे पर स्थित पास ही के मंदिर की एक निचली सीढ़ी पर रखे गमले को देख रही है। इस स्थिति में, एक समकोण त्रिभुज बनने की कल्पना की जा सकती है जैसाकि आकृति 8.2 में दिखाया गया है, यदि आपको वह ऊँचाई ज्ञात हो, जिस पर लड़की बैठी हुई है, तो क्या आप नदी की चौड़ाई ज्ञात कर सकते हैं?

आकृति 8.2
3. मान लीजिए एक गर्म हवा वाला गुब्बारा हवा में उड़ रहा है। आसमान में उड़ने पर आकृति 8.2 इस गुब्बारे को एक लड़की देख लेती है और इस बात को बताने के लिए वह अपनी माँ के पास दौड़कर जाती है। गुब्बारे को देखने के लिए उसकी माँ तुरंत घर से बाहर निकल आती है। अब मान लीजिए कि जब पहले-पहल लड़की गुब्बारे को देखती है, तब गुब्बारा बिंदु

आकृति 8.3
ऊपर बताई गई सभी स्थितियों में दूरियाँ अथवा ऊँचाईयाँ कुछ गणितीय तकनीकों को, जो त्रिकोणमिति नामक गणित की एक शाखा के अंतर्गत आते हैं, लागू करके ज्ञात किया जा सकता है। अंग्रेजी शब्द ’trigonometry’ की व्युत्पत्ति ग्रीक शब्दों ’tri’ (जिसका अर्थ है तीन), ‘gon’ (जिसका अर्थ है, भुजा) और ‘metron’ (जिसका अर्थ है माप) से हुई है। वस्तुतः त्रिकोणमिति में एक त्रिभुज की भुजाओं और कोणों के बीच के संबंधों का अध्ययन किया जाता है। प्राचीन काल में त्रिकोणमिति पर किए गए कार्य का उल्लेख मिस्र और बेबीलॉन में मिलता है। प्राचीन काल के खगोलविद् त्रिकोणमिति का प्रयोग पृथ्वी से तारों और ग्रहों की दूरियाँ मापने में करते थे। आज भी इंजीनियरिंग और भौतिक विज्ञान में प्रयुक्त अधिकांश प्रौद्योगिकीय उन्नत विधियाँ त्रिकोणमितीय संकल्पनाओं पर आधारित हैं।
इस अध्याय में हम एक समकोण त्रिभुज की भुजाओं के कुछ अनुपातों का उसके न्यून कोणों के सापेक्ष अध्ययन करेंगे जिन्हें कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपात कहते हैं। यहाँ हम अपनी चर्चा केवल न्यून कोणों तक ही सीमित रखेंगे। यद्यपि इन अनुपातों का विस्तार दूसरे कोणों के लिए भी किया जा सकता है। यहाँ हम
8.2 त्रिकोणमितीय अनुपात
अनुच्छेद 8.1 में आप विभिन्न स्थितियों में बने कुछ समकोण त्रिभुजों की कल्पना कर चुके हैं।
आइए हम एक समकोण त्रिभुज

आकृति 8.4
यहाँ,
ध्यान दीजिए कि कोण

आकृति 8.5
पिछली कक्षाओं में आप “अनुपात” की संकल्पना के बारे में अध्ययन कर चुके हैं। यहाँ अब हम समकोण त्रिभुज की भुजाओं से संबंधित कुछ अनुपातों को, जिन्हें हम त्रिकोणमितीय अनुपात कहते हैं, परिभाषित करेंगे।
समकोण त्रिभुज
ऊपर परिभाषित किए गए अनुपातों को संक्षेप में क्रमशः
और आप यहाँ यह भी देख सकते हैं कि
अतः एक समकोण त्रिभुज के एक न्यून कोण के त्रिकोणमितीय अनुपात त्रिभुज के कोण और उसकी भुजाओं की लंबाई के बीच के संबंध को व्यक्त करते हैं।
क्यों न यहाँ आप एक समकोण त्रिभुज के कोण
शब्द “sine” का सबसे पहला प्रयोग जिस रूप में आज हम करते हैं उसका उल्लेख 500 ई. में आर्यभट्ट द्वारा लिखित पुस्तक आर्यभटीयम में मिलता है। आर्यभट्ट ने शब्द अर्ध-ज्या का प्रयोग अर्ध-जीवा के लिए किया था जिसने समय-अंतराल में ज्या या जीवा का संक्षिप्त रूप ले लिया। जब पुस्तक आर्यभटीयम का अनुवाद अरबी भाषा में किया गया, तब शब्द जीवा को यथावत रख लिया गया। शब्द जीवा को साइनस (Sinus) के रूप में अनूदित किया गया, जिसका अर्थ वक्र है, जबकि अरबी रूपांतर को लैटिन में अनूदित किया गया। इसके तुरंत बाद sine के रूप में प्रयुक्त शब्द sinus भी पूरे यूरोप में गणितीय पाठों में प्रयुक्त होने लगा। खगोलविद् के एक अंग्रेजी प्रोफ़ेसर एडमंड गुंटर (1581-1626) ने पहले-पहल संक्षिप्त संकेत ’

आर्यभट्ट
शब्दों ‘cosine’ और ’tangent’ का उद्गम बहुत बाद में हुआ था। cosine फलन का उद्गम पूरक कोण के sine का अभिकलन करने को ध्यान में रखकर किया गया था। आर्यभट्ट ने इसे कोटिज्या का नाम दिया था। नाम cosinus का उद्गम एडमंड गुंटर के साथ हुआ था। 1674 में अंग्रेज गणितज्ञ सर जोनास मूरे ने पहले-पहल संक्षिप्त संकेत ‘cos’ का प्रयोग किया था।
टिप्पणी : ध्यान दीजिए कि प्रतीक
अब, यदि हम समकोण त्रिभुज

आकृति 8.6
इस प्रश्न का उत्तर ज्ञात करने के लिए आइए पहले हम इन त्रिभुजों को देखें। क्या
अत:
इससे हमें यह प्राप्त होता है
इसी प्रकार
इससे यह पता चलता है कि
इसी प्रकार आप यह जाँच कर सकते हैं कि
अपने प्रेक्षणों से अब यह स्पष्ट हो जाता है कि यदि कोण समान बना रहता हो, तो एक कोण के त्रिकोणमितीय अनुपातों के मानों में त्रिभुज की भुजाओं की लंबाइयों के साथ कोई परिवर्तन नहीं होता।
टिप्पणी: सुविधा के लिए
यहाँ हमने एक न्यून कोण के छः त्रिकोणमितीय अनुपात परिभाषित किए हैं। यदि हमें कोई एक अनुपात ज्ञात हो, तो क्या हम अन्य अनुपात प्राप्त कर सकते हैं? आइए हम इस पर विचार करें।
यदि एक समकोण त्रिभुज

आकृति 8.7
अत:
अतः हमें प्राप्त होता है
अब
इसी प्रकार, आप कोण
टिप्पणी: क्योंकि समकोण त्रिभुज का कर्ण, त्रिभुज की सबसे लंबी भुजा होता है, इसलिए
आइए अब हम कुछ उदाहरण लें।
उदाहरण 1 : यदि
हल : आइए सबसे पहले हम एक समकोण

आकृति 8.8
अब, हम जानते हैं कि
अतः यदि
अब पाइथागोरस प्रमेय लागू करने पर हमें यह प्राप्त होता है
इसलिए
अब हम इनकी परिभाषाओं की सहायता से सभी त्रिकोणमितीय अनुपात लिख सकते हैं।
अत:
उदाहरण 2 : यदि
हल : आइए हम दो समकोण त्रिभुज

आकृति 8.9
यहाँ
तब
अत :
अब, पाइथागोरस प्रमेय लागू करने पर हमें ये प्राप्त होते हैं
और
अत:
(1) और (2) से हमें यह प्राप्त होता है
तब प्रमेय 6.4 का प्रयोग करने पर
उदाहरण 3 :

आकृति 8.10
(i)
(ii)
हल :
अतः
अब , (i)
और (ii)
उदाहरण 4 : एक समकोण त्रिभुज
हल :

आकृति 8.11
अर्थात्
मान लीजिए
अब
अतः
इसलिए
उदाहरण 5:

आकृति 8.12
हल :
अर्थात्
अर्थात्
अर्थात्
अर्थात्
अत :
प्रश्नावली 8.1
1.
(i)
(ii)
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#missing2. आकृति 8.13 में,

आकृति 8.13
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#missing3. यदि
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#missing4. यदि
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#missing5. यदि
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#missing6. यदि
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#missing7. यदि
(i)
(ii)
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#missing8. यदि
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#missing9. त्रिभुज
(i)
(ii)
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#missing10.
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#missing11. बताइए कि निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य। कारण सहित अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
(i)
(ii) कोण
(iii)
(iv)
(v) किसी भी कोण
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#missing8.3 कुछ विशिष्ट कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपात
ज्यामिति के अध्ययन से आप

आकृति 8.14
अत:
अब मान लीजिए
तब पाइथागोरस प्रमेय के अनुसार
इसलिए
त्रिकोणमितीय अनुपातों की परिभाषाओं को लागू करने पर हमें यह प्राप्त होता है :
और
आइए, अब हम

आकृति 8.15
अब आप यह देख सकते हैं कि:
जैसा कि आप जानते हैं, कि त्रिकोणमितीय अनुपातों को ज्ञात करने के लिए हमें त्रिभुज की भुजाओं की लंबाइयाँ ज्ञात करने की आवश्यकता होती है। आइए, हम यह मान लें कि
तब
और
इसलिए
अब
और
इसी प्रकार
आइए, हम देखें कि यदि समकोण त्रिभुज

आकृति 8.16

आकृति 8.17
जब
इसकी सहायता से हम उस स्थिति में
इनका प्रयोग करने पर हमें ये प्राप्त होते हैं:
आइए अब हम उस स्थिति में देखें कि

आकृति 8.18
जब
अतः हम यह परिभाषित करते हैं :
अब आप क्यों नहीं
अब हम तुरंत संदर्भ के लिए एक सारणी 8.1 के रूप में
सारणी 8.1
0 | 1 | ||||
1 | 0 | ||||
0 | 1 | अपरिभाषित | |||
अपरिभाषित | 2 | 1 | |||
1 | 2 | अपरिभाषित | |||
अपरिभाषित | 1 | 0 |
टिप्पणी : उपर्युक्त सारणी से आप देख सकते हैं कि जैसे-जैसे
आइए, अब हम कुछ उदाहरण लेकर ऊपर की सारणी में दिए गए मानों के प्रयोग को प्रदर्शित करें।
उदाहरण 6:

आकृति 8.19
हल : भुजा
अर्थात्
जिससे
भुजा
ध्यान दीजिए कि ऊपर के उदाहरण में तीसरी भुजा की लंबाई ज्ञात करने के लिए विकल्प के रूप में हम पाइथागोरस प्रमेय को लागू कर सकते थे,
अर्थात्
उदाहरण 7:

आकृति 8.20
हल : दिया हुआ है
इसलिए
या
अत:
और, इसलिए
आप यहाँ यह देख सकते हैं कि यदि एक समकोण त्रिभुज की एक भुजा और कोई एक अन्य भाग (जो या तो न्यून कोण हो या कोई एक भुजा हो) ज्ञात हो, तो त्रिभुज की शेष भुजाएँ और कोण ज्ञात किए जा सकते हैं।
उदाहरण 8 : यदि
हल : क्योंकि
और, क्योंकि
(1) और (2) को हल करने पर हमें
प्रश्नावली 8.2
1. निम्नलिखित के मान निकालिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
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#missing2. सही विकल्प चुनिए और अपने विकल्प का औचित्य दीजिए:
(i)
(A)
(B)
(C)
(D)
(ii)
(A)
(B) 1
(C)
(D) 0
(iii)
(A)
(B)
(C)
(D)
(iv)
(A)
(B)
(C)
(D)
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#missing3. यदि
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#missing4. बताइए कि निम्नलिखित में कौन-कौन सत्य हैं या असत्य हैं। कारण सहित अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
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#missing8.4 त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएँ
आपको याद होगा कि एक समीकरण को एक सर्वसमिका तब कहा जाता है जबकि यह संबंधित चरों के सभी मानों के लिए सत्य हो। इसी प्रकार एक कोण के त्रिकोणमितीय अनुपातों से संबंधित सर्वसमिका को त्रिकोणमितीय सर्वसमिका कहा जाता है। जबकि यह संबंधित कोण (कोणों) के सभी मानों के लिए सत्य होता है।
इस भाग में, हम एक त्रिकोणमितीय सर्वसमिका सिद्ध करेंगे और इसका प्रयोग अन्य उपयोगी त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाओं को सिद्ध करने में करेंगे।

आकृति 8.21
(1) के प्रत्येक पद को
या
अर्थात्
अर्थात्
यह सभी
आइए, अब हम (1) को
या
क्या यह समीकरण,
आइए हम यह देखें कि (1) को
ध्यान दीजिए कि
इन सर्वसमिकाओं का प्रयोग करके हम प्रत्येक त्रिकोणमितीय अनुपात को अन्य त्रिकोणमितीय अनुपातों के पदों में व्यक्त कर सकते हैं अर्थात् यदि कोई एक अनुपात ज्ञात हो, तो हम अन्य त्रिकोणमितीय अनुपातों के मान भी ज्ञात कर सकते हैं।
आइए हम यह देखें कि इन सर्वसमिकाओं का प्रयोग करके इसे हम कैसे ज्ञात कर सकते हैं। मान लीजिए हमें
क्योंकि
और, क्योंकि
उदाहरण 9 : अनुपातों
हल : क्योंकि
इससे यह प्राप्त होता है
अत:
उदाहरण 10 : सिद्ध कीजिए कि
हल :
वाम पक्ष
उदाहरण 11: सिद्ध कीजिए कि
हल : वाम पक्ष
उदाहरण 12 : सर्वसमिका
हल : क्योंकि हमें
जो सिद्ध की जाने वाली अपेक्षित सर्वसमिका का दाँया पक्ष है।
प्रश्नावली 8.3
1. त्रिकोणमितीय अनुपातों
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#missing2.
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#missing3. सही विकल्प चुनिए और अपने विकल्प की पुष्टि कीजिए :
(i)
(A) 1
(B) 9
(C) 8
(D) 0
(ii)
(A) 0
(B) 1
(C) 2
(D) -1
(iii)
(A)
(B)
(C)
(D)
(iv)
(A)
(B) -1
(C)
(D)
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#missing4. निम्नलिखित सर्वसमिकाएँ सिद्ध कीजिए, जहाँ वे कोण, जिनके लिए व्यंजक परिभाषित है, न्यून कोण है :
(i)
(ii)
(iii)
[संकेतः व्यंजक को
(iv)
[संकेत: वाम पक्ष और दाँया पक्ष को अलग-अलग सरल कीजिए।]
(v) सर्वसमिका
(vi)
(vii)
(viii)
(ix)
[संकेत : वाम पक्ष और दाँया पक्ष को अलग-अलग सरल कीजिए]
(x)
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#missing8.5 सारांश
इस अध्याय में, आपने निम्नलिखित तथ्यों का अध्ययन किया है:
1. समकोण त्रिभुज
2.
3. यदि एक न्यून कोण का एक त्रिकोणमितीय अनुपात ज्ञात हो, तो कोण के शेष त्रिकोणमितीय अनुपात सरलता से ज्ञात किए जा सकते हैं।
4.
5.
6.