अध्याय 06 जनसंख्या
क्या आप मानवरहित विश्व की कल्पना कर सकते हैं? संसाधनों का उप 7 योग एवं सामाजिक तथा सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण कौन करता है? समाज एवं अर्थव्यवस्था के विकास में मानव का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। मानव, संसाधनों का निर्माण एवं उपयोग तो करते ही हैं, वे स्वयं भी विभिन्न गुणों वाले संसाधन होते हैं। कोयला तब तक चट्टान का एक टुकड़ा था जब तक कि मानव ने उसे प्राप्त करने की तकनीक का आविष्कार करके उसे एक संसाधन नहीं बनाया। प्राकृतिक घटनाएँ, जैसे - बाढ़ या सुनामी, जब किसी घनी आबादी वाले गाँव या शहर को प्रभावित करते हैं, तभी वो ‘आपदा’ बनते हैं।
इस, सामाजिक अध्ययन में जनसंख्या एक आधारी तत्त्व है। यह एक संदर्भ बिंदु है जिससे दूसरे तत्त्वों का अवलोकन किया जाता है तथा उसके अर्थ एवं महत्त्व ज्ञात किए जाते हैं। ‘संसाधन’, ‘आपदा’ एवं ‘विनाश’ का अर्थ केवल मानव के ही महत्त्वपूर्ण है। उनकी संख्या, वितरण, वृद्धि एवं विशेषताएँ या गुण पर्यावरण के सभी स्वरूपों को समझने तथा उनकी विवेचना करने के मूल पृष्ठभूमि प्रदान करते हैं।
मानव पृथ्वी के संसाधनों का उत्पादन एवं उपभोग करता है। इस यह जानना आवश्यक है कि एक देश में कितने लोग निवास करते हैं, वे कहाँ एवं कैसे रहते हैं, उनकी संख्याओं में वृद्धि क्यों हो रही है तथा उनकी कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं। भारतीय जनगणना हमारे देश की जनसंख्या से संबंधित जानकारी हमें प्रदान करती है।
जनसंख्या का आकार एवं वितरण
भारत की जनसंख्या का आकार एवं संख्या के आधार पर वितरण
मार्च 2011 तक भारत की जनसंख्या 12,106 लाख थी, जो कि विश्व की कुल जनसंख्या का 17.5 प्रतिशत थी। यह 12.1 करोड़ लोग भारत के 32.8 लाख वर्ग कि० मी० (विश्व के स्थलीय भूभाग का 2.4 प्रतिशत) के विशाल क्षेत्र में असमान रूप से वितरित हुए हैं (चित्र 6.1)।
2011 की जनगणना के अनुसार देश की सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश है जहाँ की कुल आबादी 1,990 लाख है। उत्तर प्रदेश में देश की कुल जनसंख्या का 16 प्रतिशत हिस्सा निवास करता है। दूसरी ओर हिमालय क्षेत्र के राज्य, सिक्किम की आबादी केवल 6 लाख ही है तथा लक्षद्वीप में केवल 64,429 हजार लोग निवास करते हैं।
भारत की लगभग आधी आबादी केवल पाँच राज्यों में निवास करती है। ये राज्य हैं - उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं आंध्र प्रदेश। क्षेत्रफल की
जनगणना
एक निश्चित समयांतराल में जनसंख्या की आधिकारिक गणना, ‘जनगणना’ कहलाती है। भारत में सबसे पहले 1872 में जनगणना की गई थी। हालांकि 1881 में पहली बार एक संपूर्ण जनगणना की जा सकी। उसी समय से प्रत्येक दस वर्ष पर जनगणना होती है। भारतीय जनगणना जनसांख्यिकी, सामाजिक तथा आर्थिक आँकड़ों का सबसे वृहद् स्रोत है। क्या अपने कभी जनगणना रिपोर्ट देखी है? आप अपने पुस्तकालय में इसे देख सकते हैं।

चित्र 6.1 : विश्व के क्षेत्रफल एवं जनसंख्या में भारत का भाग
दृष्टि से राजस्थान सबसे बड़ा राज्य है, जिसकी आबादी भारत की कुल जनसंख्या का केवल 5.5 प्रतिशत है।
ज्ञात कीजिए
- भारत में जनसंख्या के असमान वितरण का क्या कारण है?
घनत्व के आधार पर भारत में जनसंख्या वितरण
जनसंख्या घनत्व, असमान वितरण का बेहतर चित्र प्रस्तुत करता है। प्रति इकाई क्षेत्रफल में रहने वाले लोगों की संख्या को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। भारत विश्व के घनी आबादी वाले देशों में से एक है।
क्या आप जानते हैं?
- केवल बांग्लादेश तथा जापान का जनससंख्या घनत्व भारत से अधिक है। बांग्लादेश एवं जापान का जनसंख्या घनत्व ज्ञात कीजिए।
2011 में भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि॰मी॰ था। जहाँ बिहार का जनसंख्या घनत्व 1,102 व्यक्ति प्रति कि॰मी० है, वहीं अरुणाचल प्रदेश में यह 17 व्यक्ति प्रति कि॰मी॰ है। चित्र 6.3 राज्यस्तरीय जनसंख्या घनत्व के असमान वितरण को दर्शाता है।

स्रोत : भारत की जनगणना 2011
चित्र 6.2 : जनसंख्या वितरण

स्रोत : भारत की जनगणना 2011
नोट : आंध्र प्रदेश के पुर्गठन के बाद, 2 जून 2014 को तेलंगाना भारत का 29 वाँ राज्य बना।
- 05.08.2019 को जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों-जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित किया गया।
क्रियाकलाप चित्र 6.3 का अध्ययन कर इसकी तुलना चित्र 2.2 एवं चित्र 4.3 से करें। इन मानचित्रों के बीच क्या आपको कोई संबंध नजर आता है?
250 व्यक्ति प्रति वर्ग कि॰मी॰ से कम जनसंख्या घनत्व वाले राज्यों के नाम बताइए। पर्वतीय क्षेत्र तथा प्रतिकूल जलवायवी अवस्थाएँ इन क्षेत्रों की विरल जनसंख्या के उत्तरदायी है। किस राज्य का जनसंख्या घनत्व 250 व्यक्ति प्रति वर्ग कि॰मी॰ से भी कम है और क्यों?
असम एवं अधिकतर प्रायद्वीपीय राज्यों का जनसंख्या घनत्व मध्यम है। पहाड़ी, कटे-छँटे एवं पथरीले भूभाग, मध्यम से कम वर्षा, छिछली एवं कम उपजाऊ मिट्टी इन राज्यों के जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करती है।
उत्तरी मैदानी भाग एवं दक्षिण में केरल का जनसंख्या घनत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यहाँ समतल मैदान एवं उपजाऊ मिट्टी पायी जाती है तथा पर्याप्त मात्रा में वर्षा होती है। उत्तरी मैदान के अधिक जनसंख्या घनत्व वाले तीन राज्यों के नाम बताएँ।
जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या परिवर्तन की प्रक्रिया
जनसंख्या एक परिवर्तनशील प्रक्रिया है। आबादी की संख्या, वितरण एवं संघटन में लगातार परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन तीन प्रक्रियाओं- जन्म, मृत्यु एवं प्रवास के आपसी संयोजन के प्रभाव के कारण होता है।
जनसंख्या वृद्धि
जनसंख्या वृद्धि का अर्थ होता है, किसी विशेष समय अंतराल में, जैसे 10 वर्षों के भीतर, किसी देश/राज्य के निवासियों की संख्या में परिवर्तन। इस प्रकार के परिवर्तन को दो प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है। पहला, सापेक्ष वृद्धि तथा दूसरा, प्रति वर्ष होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के द्वारा।
प्रत्येक वर्ष या एक दशक में बढ़ी जनसंख्या, कुल संख्या में वृद्धि का परिमाण है। पहले की जनसंख्या (जैसे 2001 की जनसंख्या) को बाद की जनसंख्या (जैसे 2011 की जनसंख्या) से घटा कर इसे प्राप्त किया जाता है। इसे ‘निरपेक्ष वृद्धि’ कहा जाता है।
जनसंख्या की वृद्धि का दर दूसरा महत्त्वपूर्ण पहलू है। इसका अध्ययन प्रति वर्ष प्रतिशत में किया जाता है, जैसे

चित्र 6.4(अ): भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 1951-2011 के दौरान

चित्र 6.4 (ब) भारत की कुल जनसंख्या 1901-2011 जनसंख्या (दस लाख में)
प्रति वर्ष 2 प्रतिशत वृद्धि की दर का अर्थ है कि दिए हुए किसी वर्ष की मूल जनसंख्या में प्रत्येक 100 व्यक्तियों पर 2 व्यक्तियों की वृद्धि। इसे वार्षिक वृद्धि दर कहा जाता है।
भारत की आबादी 1951 में 3,610 लाख से बढ़ कर 2011 में 12,100 लाख हो गई है।
सारणी 6.1: भारत की जनसंख्या वृद्धि का परिमाण एवं दर
वर्ष | कुल जनसंख्या (दस लाख में) |
एक वृद्धि (लाख में) में सापेक्ष |
वार्षिक वृद्धि दर (प्रतिशत) |
---|---|---|---|
1951 | 361.0 | 42.43 | 1.25 |
1961 | 439.2 | 78.15 | 1.96 |
1971 | 548.2 | 108.92 | 2.20 |
1981 | 683.3 | 135.17 | 2.22 |
1991 | 846.4 | 163.09 | 2.16 |
2011 | 1028.7 | 182.32 | 1.97 |
2011 | 1210.6 | 181.4 | 1.64 |
सारणी 6.1 एवं चित्र 6.4 (अ) व 6.4 (ब) दर्शाते हैं कि 1951 से 1981 तक जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर नियमित रूप से बढ़ रही थी। ये जनसंख्या में तीव्र वृद्धि की व्याख्या करता है, जो 1951 में 3,610 लाख से 1981 में 6,830 लाख हो गई।
ज्ञात कीजिए
- सारणी 6.1 से पता चलता है कि वृद्धि दर में कमी के बावजूद प्रत्येक दशक लोगों की संख्या में नियमित रूप से वृद्धि हो रही है। ऐसा क्यों?
किंतु 1981 से वृद्धि दर धीरे-धीरे कम होने लगी। इस दौरान जन्म दर में तेजी से कमी आई, फिर भी केवल 1990 में कुल जनसंख्या में 1,820 लाख की वृद्धि हुई थी (इतनी बड़ी वार्षिक वृद्धि इससे पहले कभी नहों हुई)।
इस पर ध्यान देना आवश्यक है कि भारत की आबादी बहुत अधिक है। जब विशाल जनसंख्या में कम वार्षिक दर लगाया जाता है तब इसमें सापेक्ष वृद्धि बहुत अधिक होती है। जब 10 करोड़ जनसंख्या में न्यूनतम दर से भी वृद्धि होती है तब भी जुड़ने वाले लोगों की कुल संख्या बहुत अधिक होती है। भारत की वर्तमान जनसंख्या में वार्षिक वृद्धि संसाधनों एवं पर्यावरण के संरक्षण को निष्क्रिय करने के पर्याप्त है।
वृद्धि दर में कमी, जन्म दर नियंत्रण के किए जा रहे प्रयासों की सफलता को प्रदर्शित करता है। इसके बावजूद जनसंख्या की वृद्धि जारी है तथा 2,045 तक भारत, चीन को पीछे छोड़ते हुए विश्व के सबसे अधिक आबादी वाला देश बन सकता है।
जनसंख्या वृद्धि/परिवर्तन की प्रक्रिया
जनसंख्या में होने वाले परिवर्तन की तीन मुख्य प्रक्रियाएँ हैं - जन्म दर, मृत्यु दर एवं प्रवास। जन्म दर एवं मृत्यु दर के बीच का अंतर जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि है।
एक वर्ष में प्रति हज़ार व्यक्तियों में जितने जीवित बच्चों का जन्म होता है, उसे ‘जन्म दर’ कहते हैं। यह वृद्धि का एक प्रमुख घटक है क्योंकि भारत में हमेशा जन्म दर, मृत्यु दर से अधिक रहा है।
एक वर्ष में प्रति हज़ार व्यक्तियों में मरने वालों की संख्या को ‘मृत्यु दर’ कहा जाता है। मृत्यु दर में तेज़ गिरावट भारत की जनसंख्या में वृद्धि की दर का मुख्य कारण है।
1980 तक उच्च जन्म दर एवं मृत्यु दर में लगातार गिरावट के कारण जन्म दर तथा मृत्यु दर में काफी बड़ा अंतर आ गया एवं इसके कारण जनसंख्या वृद्धि दर अधिक हो गई। 1981 से धीरे-धीरे जन्म दर में भी गिरावट आनी शुरू हुई जिसके परिणामस्वरूप जनसंख्या वृद्धि दर में भी गिरावट आई। इस प्रकार के चलन का क्या कारण है?
जनसंख्या वृद्धि का तीसरा घटक है प्रवास। लोगों का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चले जाने को प्रवास कहते हैं। प्रवास आंतरिक (देश के भीतर) या अंतर्राष्ट्रीय (देशों के बीच) हो सकता है।
आंतरिक प्रवास जनसंख्या के आकार में कोई परिवर्तन नहीं लाता है, लेकिन यह एक देश के भीतर जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करता है। जनसंख्या वितरण एवं उसके घटकों को परिवर्तित करने में प्रवास की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
क्रियाकलाप
एक मानचित्र पर अपने दादा-दादी/नाना-नानी और माता-पिता के जन्म के समय से प्रवास को दर्शाइए। प्रत्येक प्रवास के कारणों की व्याख्या करने का प्रयास कीजिए।
भारत में अधिकतर प्रवास ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों की ओर होता है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में “अपकर्षण’ (Push) कारक प्रभावी होते हैं। ये ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी एवं बेरोज़गारी की प्रतिकूल अवस्थाएँ हैं तथा नगर का ‘अभिकर्षण’ (Pull) प्रभाव रोजगार में वृद्धि एवं अच्छे जीवन स्तर को दर्शाता है।
प्रवास जनसंख्या परिवर्तन का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। ये केवल जनसंख्या के आकार को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि उम्र एवं लिंग के दृष्टिकोण से नगरीय एवं ग्रामीण जनसंख्या की संरचना को भी परिवर्तित करता है। भारत में, ग्रामीण-नगरीय प्रवास के कारण शहरों तथा नगरों की जनसंख्या में नियमित वृद्धि हुई है। 1951 में कुल जनसंख्या की 17.29 प्रतिशत नगरीय जनसंख्या थी, जो 2011 में बढ़कर 31.80 प्रतिशत हो गई। एक दशक (2001 से 2011) के भीतर दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों की संख्या 35 से बढ़कर 53 हो गई है।
किशोर जनसंख्या
भारत की जनसंख्या का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण इसकी किशोर जनसंख्या का आकार है। यह भारत की कुल जनसंख्या का पाँचवाँ भाग है। किशोर प्राय: 10 से 19 वर्ष की आयु वर्ग के होते हैं। ये भविष्य के सबसे महत्त्वपूर्ण मानव संसाधन हैं। किशोरों के पोषक तत्त्वों की आवश्यकताएँ बच्चों तथा वयस्कों से अधिक होती हैं। कुपोषण से इनका स्वास्थ्य खराब तथा विकास अवरोधित हो सकता है। परंतु भारत में किशोरों को प्राप्त भोजन में पोषक तत्त्व अपर्याप्त होते हैं। बहुत-सी किशोर बालिकाएँ रक्तहीनता से पीड़ित रहती हैं। विकास की प्रक्रिया में उनकी समस्याओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। किशोर बालिकाओं को अपनी समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनाना चाहिए। शिक्षा के प्रसार तथा इसमें सुधार के द्वारा उनमें इन समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ायी जा सकती है।
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति
परिवारों के आकार को सीमित रखकर एक व्यक्ति के स्वास्थ्य एवं कल्याण को सुधारा जा सकता है, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 1952 में एक व्यापक परिवार नियोजन कार्यक्रम को प्रारंभ किया। परिवार कल्याण कार्यक्रम जिम्मेदार तथा सुनियोजित पितृत्व को बढ़ावा देने के कार्यरत है। राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000, कई वर्षों के नियोजित प्रयासों का परिणाम है।
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000,14 वर्ष से कम आयु के बच्चे को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने, शिशु मृत्यु दर को प्रति 1,000 में 30 से कम करने, व्यापक स्तर पर टीकारोधी बीमारियों से बच्चों को छुटकारा दिलाने, लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ाने के प्रोत्साहित करने तथा परिवार नियोजन को एक जन केंद्रित कार्यक्रम बनाने के नीतिगत ढाँचा प्रदान करती है।
अभ्यास
- नीचे दिए गए चार विकल्पों में सही विकल्प चुनिए:
(i) निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में प्रवास, आबादी की संख्या, वितरण एवं संरचना में परिवर्तन लाता है
(क) प्रस्थान करने वाले क्षेत्र में
(ग) प्रस्थान एवं आगमन दोनों क्षेत्रों में
(ii) जनसंख्या में बच्चों का एक बहुत बड़ा अनुपात निम्नलिखित में से किसका परिणाम है
(क) उच्च जन्म दर
(ग) उच्च जीवन दर
(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा एक जनसंख्या वृद्धि का परिमाण दर्शाता है
(क) एक क्षेत्र की कुल जनसंख्या
(ग) जनसंख्या वृद्धि की दर
(iv) 2011 की जनगणना के अनुसार एक ‘साक्षर’ व्यक्ति वह है
(क) जो अपने नाम को पढ़ एवं लिख सकता है।
(ग) जिसकी उम्र 7 वर्ष है तथा वह किसी भी भाषा को समझ के साथ पढ़ एवं लिख सकता है।
- निम्नलिखित के उत्तर संक्षेप में दें।
(i) जनसंख्या वृद्धि के महत्त्वपूर्ण घटकों की व्याख्या करें।
(ii) 1981 से भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर क्यों घट रही है?
(iii) आयु संरचना, जन्म दर एवं मृत्यु दर को परिभाषित करें।
(iv) प्रवास, जनसंख्या परिवर्तन का एक कारक।
- जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या परिवर्तन के बीच अंतर स्पष्ट करें।
- व्यावसायिक संरचना एवं विकास के बीच क्या संबंध है ?
- स्वस्थ जनसंख्या कैसे लाभकारी है?
- राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं ?
परियोजना कार्य एक प्रश्नावली बनाकर कक्षा की जनगणना कीजिए। प्रश्नावली में कम से कम पाँच प्रश्न होने चाहिए। ये प्रश्न विद्यार्थियों के परिवारजनों, कक्षा में उनकी उपलब्धि, उनके स्वास्थ्य आदि से संबंधित हों। प्रत्येक विद्यार्थी को वह प्रश्नावली भरनी चाहिए। बाद में सूचना को संख्याओं में (प्रतिशत में) संग्रहित कीजिए। इस सूचना को वृत्त रेखा, दंड-आरेख या अन्य किसी प्रकार से प्रदर्शित कीजिए।
शब्दावली
अवदाब
अवसादी शैलें
आग्नेय शैलें
आधार जनसंख्या
आश्रित अनुपात
आंतरिक अपवाह
उच्चावच
उपमहाद्वीप
किशोरावस्था
जनसंख्या का घनत्व
जनसंख्या की वृद्धि दर
जन्म दर
जलोढ़ मैदान
जीवन प्रत्याशा
जीवोम
झील
नवीन/युवा पर्वत
नेशनल पार्क
पठार
पर्यावरण
पर्वत
पशु-पक्षी
प्रवसन
पारिस्थितिक तंत्र
भ्रंश
भारतीय भू-भाग
भारतीय मानक समय
भूगर्भीय
भूगर्भीय प्लेट
भूसन्नति
मृत्यु दर
मानसून
मिलियन प्लस सिटी
मैदान
रूपांतरिंत या कायांतरिंत शेल
लिंगानुपात
लैगून
वनस्पति
वलय
स्थलमंडलीय प्लेटें
स्थानीय समय
हिमानी