अध्याय 07 त्रिभुज

7.1 भूमिका

आप पिछली कक्षाओं में, त्रिभुजों और उनके विभिन्न गुणों के बारे में अध्ययन कर चुके हैं। आप जानते हैं कि तीन प्रतिच्छेदी रेखाओं द्वारा बनाई गई एक बंद आकृति (closed figure) एक त्रिभुज (triangle) कहलाती है (‘त्रि’ का अर्थ है ‘तीन’)। एक त्रिभुज की तीन भुजाएँ, तीन कोण और तीन शीर्ष होते हैं। उदाहरणार्थ, आकृति 7.1 में दिए त्रिभुज ABC, जिसे Δ ABC से व्यक्त करते हैं, की तीन भुजाएँ AB,BC और CA हैं, A,B और C इसके तीन कोण हैं तथा A,B और C इसके तीन शीर्ष हैं। अध्याय 6 में, आप त्रिभुजों के कुछ गुणों का भी अध्ययन कर चुके हैं। इस अध्याय में, आप त्रिभुजों की सर्वांगसमता (congruence), सर्वांगसमता के नियमों, त्रिभुजों के कुछ अन्य गुणों और त्रिभुजों में असमिकाओं (inequalities) के बारे में विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे। आप पिछली कक्षाओं के इन गुणों में से अधिकतर गुणों की सत्यता की जाँच क्रियाकलापों द्वारा कर चुके हैं। यहाँ हम इनमें से कुछ गुणों को सिद्ध भी करेंगे।

7.2 त्रिभुजों की सर्वांगसमता

आकृति 7.1

आपने यह अवश्य ही देखा होगा कि आपकी फोटो की एक ही साइज की दो प्रतियाँ सर्वसम (identical) होती हैं। इसी प्रकार, एक ही माप की दो चूड़ियाँ और एक ही बैंक द्वारा जारी किए गए दो एटीएम (ATM) कार्ड सर्वसम होते हैं। आपने देखा होगा कि यदि एक ही वर्ष में ढले (बने) दो एक रुपए के सिक्कों में से एक को दूसरे पर रखें, तो वे एक दूसरे को पूर्णतया ढक लेते हैं।

क्या आपको याद है कि ऐसी आकृतियों को कैसी आकृतियाँ कहते हैं? निःसंदेह ये सर्वांगसम आकृतियाँ (congruent figures) कहलाती हैं (‘सर्वांगसम’ का अर्थ है ‘सभी प्रकार से बराबर’, अर्थात् वे आकृतियाँ जिनके समान आकार और समान माप हैं)।

अब एक ही त्रिज्या के दो वृत्त खींचिए और एक को दूसरे पर रखिए। आप क्या देखते हैं? ये एक दूसरे को पूर्णतया ढक लेते हैं और हम इन्हें सर्वांगसम वृत्त कहते हैं।

इसी क्रियाकलाप की एक ही माप की भुजाओं वाले दो वर्गों को खींच कर और फिर एक वर्ग को दूसरे वर्ग पर रखकर (देखिए आकृति 7.2) अथवा बराबर भुजाओं वाले दो समबाहु त्रिभुजों को एक दूसरे पर रखकर, पुनरावृत्ति कीजिए। आप देखेंगे कि वर्ग सर्वांगसम हैं और समबाहु त्रिभुज भी सर्वांगसम हैं।

आकृति 7.2

आप सोच सकते हैं कि हम सर्वांगसमता का अध्ययन क्यों कर रहे हैं। आपने अपने रेफ्रीजरेटर में बर्फ की ट्रे (ice tray) अवश्य ही देखी होगी। ध्यान दीजिए कि बर्फ जमाने के लिए बने सभी खाँचे सर्वांगसम हैं। ट्रे में (खाँचों के लिए प्रयोग किए गए साँचों की गहराइयाँ भी सर्वांगसम होती हैं (ये सभी आयताकार या सभी वृत्ताकार या सभी त्रिभुजाकार हो सकते हैं)। अतः, जब भी सर्वसम (एक जैसी) वस्तुएँ बनानी होती हैं, तो साँचे बनाने के लिए सर्वांगसमता की संकल्पना का प्रयोग किया जाता है।

कभी-कभी आपको अपने पेन के रिफिल (refill) बदलने में भी कठिनाई हो सकती है, यदि नया रिफिल आपके पेन के साइज का न हो। स्पष्टतः रिफिल तभी पेन में लग पाएगा, जबकि पुरानी रिफिल और नया रिफिल सर्वांगसम होंगे।

इस प्रकार, आप दैनिक जीवन की स्थितियों में ऐसे अनेक उदाहरण ज्ञात कर सकते हैं, जहाँ वस्तुओं की सर्वांगसमता का उपयोग होता है।

क्या आप सर्वांगसम आकृतियों के कुछ और उदाहरण सोच सकते हैं?

अब, निम्न में से कौन-कौन सी आकृतियाँ आकृति 7.3 (i) में दिए वर्ग के सर्वांगसम नहीं हैं?

आकृति 7.3

(ii) और आकृति 7.3 (iii) में दिए बड़े वर्ग स्पष्टतः आकृति 7.3 (i) के वर्ग के सर्वांगसम नहीं हैं। परन्तु आकृति 7.3 (iv) में दिया हुआ वर्ग आकृति 7.3 (i) में दिए वर्ग के सर्वांगसम है।

आइए अब दो त्रिभुजों की सर्वांगसमता की चर्चा करें।

आप पहले से यह जानते हैं कि दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं, यदि एक त्रिभुज की भुजाएँ और कोण दूसरे त्रिभुज की संगत भुजाओं और कोणों के बराबर हों।

अब, निम्न में से कौन-कौन से त्रिभुज आकृति 7.4 (i) में दिए त्रिभुज ABC के सर्वांगसम हैं?

आकृति 7.4

आकृति 7.4 (ii) से आकृति 7.4 (v) तक के प्रत्येक त्रिभुज को काट कर उसे पलट कर ABC पर रखने का प्रयत्न कीजिए। देखिए कि आकृतियों 7.4 (ii), (iii) और (iv) में दिए त्रिभुज ABC के सर्वांगसम हैं, जबकि 7.4(v) का TSU,ABC के सर्वांगसम नहीं है।

यदि PQR,ABC के सर्वांगसम है, तो हम PQRABC लिखते हैं।

ध्यान दीजिए कि जब PQRABC हो, तो PQR की भुजाएँ ABC की संगत बराबर भुजाओं पर पड़ेंगी और ऐसा ही कोणों के लिए भी होगा।

अर्थात् भुजा PQ भुजा AB को ढकती है, भुजा QR भुजा BC को ढकती है और भुजा RP भुजा CA को ढकती है; कोण P कोण A को ढकता है, कोण Q कोण B को ढकता है और कोण R कोण C को ढकता है। साथ ही, दोनों त्रिभुजों के शीर्षों में एक-एक संगतता (oneone correspondence) है। अर्थात् शीर्ष P शीर्ष A के संगत है, शीर्ष Q शीर्ष B के संगत है और शीर्ष R शीर्ष C के संगत है। इसे निम्न रूप में लिखा जाता है :

PA,QB,RC

ध्यान दीजिए कि इस संगतता के अंतर्गत, PQRABC है। परन्तु इसे QRP ABC लिखना गलत होगा।

इसी प्रकार, आकृति 7.4 (iii) के लिए,

FDAB,DEBC और EFCA

तथा FA,DB और EC है।  इसलिए, FDEABC लिखना सही है, परन्तु DEFABC लिखना गलत होगा।

आकृति 7.4 (iv) के त्रिभुज और ABC के बीच संगतता लिखिए।

अतः, त्रिभुजों की सर्वांगसमता को सांकेतिक रूप में लिखने के लिए, उनके शीर्षों की संगतता को सही प्रकार से लिखना आवश्यक है।

ध्यान दीजिए कि सर्वांगसम त्रिभुजों में संगत भाग बराबर होते हैं और ‘सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भागों के लिए’ हम संक्षेप में ’ CPCT ’ लिखते हैं।

7.3 त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए कसौटियाँ

पिछली कक्षाओं में, आप त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए चार कसौटियाँ (criteria) या नियम (rules) पढ़ चुके हैं। आइए इनका पुनर्विलोकन करें।

एक भुजा 3 cm लेकर दो त्रिभुज खींचिए (देखिए आकृति 7.5)। क्या ये त्रिभुज सर्वांगसम हैं? ध्यान दीजिए कि ये त्रिभुज सर्वांगसम नहीं हैं।

आकृति 7.5

अब दो त्रिभुज खींचिए जिनमें एक भुजा 4 cm है और एक कोण 50 है (देखिए आकृति 7.6)। क्या ये त्रिभुज सर्वांगसम हैं?

आकृति 7.6

देखिए कि ये दोनों त्रिभुज सर्वांगसम नहीं हैं।

इस क्रियाकलाप को त्रिभुजों के कुछ और युग्म खींच कर दोहराइए।

अतः, भुजाओं के एक युग्म की समता अथवा भुजाओं के एक युग्म और कोणों के एक युग्म की समता हमें सर्वांगसम त्रिभुज देने के लिए पर्याप्त नहीं है।

उस स्थिति में क्या होगा जब बराबर कोणों की भुजाओं का अन्य युग्म भी बराबर हो जाए?

आकृति 7.7 में BC=QR,B=Q और साथ ही AB=PQ है। अब आप ABC और PQR की सर्वांगसमता के बारे में क्या कह सकते हैं?

पिछली कक्षाओं से याद कीजिए कि इस स्थिति में, दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं। आप इसका सत्यापन, ABC को काट कर और उसे PQR पर रख कर कर सकते हैं। इस क्रियाकलाप को त्रिभुजों के अन्य युग्म लेकर दोहराइए। क्या आप देखते हैं कि दो भुजाओं और अंतर्गत कोण की समता त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए पर्याप्त है? हाँ, यह पर्याप्त है।

आकृति 7.7

यह त्रिभुजों की सर्वांगसमता की पहली कसौटी (criterion) है।

अभिगृहीत 7.1 (SAS सर्वांगसमता नियम): दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं, यदि एक त्रिभुज की दो भुजाएँ और उनका अंतर्गत कोण दूसरे त्रिभुज की दो भुजाओं और उनके अंतर्गत कोण के बराबर हों।

इस परिणाम को इससे पहले ज्ञात परिणामों की सहायता से सिद्ध नहीं किया जा सकता है और इसीलिए इसे एक अभिगृहीत के रूप में सत्य मान लिया गया है (देखिए परिशिष्ट 1)।

आइए अब कुछ उदाहरण लें।

उदाहरण 1 : आकृति 7.8 में OA=OB और OD=OC है। दर्शाइए कि

(i) AODBOC और

(ii) AD||BC है।

हल : (i) AOD और BOC में,

OA=OB

OD=OC

आकृति 7.8

साथ ही, क्योंकि AOD और BOC शीर्षाभिमुख कोणों का एक युग्म है, अतः

AOD=BOC

इसलिए, AODBOC (SAS सर्वांगसमता नियम द्वारा)

(ii) सर्वांगसम त्रिभुजों AOD और BOC में, अन्य संगत भाग भी बराबर होंगे।

अतः, OAD=OBC है। परन्तु ये रेखाखंडों AD और BC के लिए एकांतर कोणों का एक युग्म बनाते हैं।

 अत: AD||BC है। 

उदाहरण 2 : AB एक रेखाखंड है और रेखा l इसका लम्ब समद्विभाजक है। यदि l पर स्थित P कोई बिंदु है, तो दर्शाइए कि P बिंदुओं A और B से समदूरस्थ (equidistant) है।

हल : lAB है और AB के मध्य-बिंदु C से होकर जाती है (देखिए आकृति 7.9)। आपको दर्शाना है कि PA=PB है। इसके लिए PCA और PCB पर विचार कीजिए। हमें प्राप्त है :

AC=BC(C,AB का मध्य-बिंदु है )

PCA=PCB=90 (दिया है) 

PC=PC( उभयनिष्ठ )

अतः, PCAPCB (SAS नियम)

इसलिए, PA=PB (सर्वांगसम त्रिभुजों की संगत भुजाएँ)

आकृति 7.9

आइए अब दो त्रिभुजों की रचना करें जिनकी दो भुजाएँ 4 cm और 5 cm हैं और एक कोण 50 है तथा साथ ही यह कोण बराबर भुजाओं के बीच अंतर्गत कोण नहीं है (देखिए आकृति 7.10)। क्या ये त्रिभुज सर्वांगसम हैं?

आकृति 7.10

ध्यान दीजिए कि ये दोनों त्रिभुज सर्वांगसम नहीं हैं।

त्रिभुजों के कुछ अन्य युग्म लेकर इस क्रियाकलाप को दोहराइए। आप देखेंगे कि दोनों त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए यह आवश्यक है कि बराबर कोण बराबर भुजाओं के अंतर्गत कोण हो।

अतः, SAS नियम तो सत्य है, परन्तु ASS या SSA नियम सत्य नहीं है।

अब, ऐसे दो त्रिभुजों की रचना करने का प्रयत्न करिए, जिनमें दो कोण 60 और 45 हों तथा इन कोणों की अंतर्गत भुजा 4 cm हो (देखिए आकृति 7.11)।

आकृति 7.11

इन दोनों त्रिभुजों को काटिए और एक त्रिभुज को दूसरे के ऊपर रखिए। आप क्या देखते हैं? देखिए कि एक त्रिभुज दूसरे त्रिभुज को पूर्णतया ढक लेता है, अर्थात् दोनों त्रिभुज सर्वांगसम हैं। कुछ और त्रिभुजों को लेकर इस क्रियाकलाप को दोहराइए। आप देखेंगे कि त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए, दो कोणों और उनकी अंतर्गत भुजा की समता पर्याप्त है।

यह परिणाम कोण-भुजा-कोण (Angle-Side-Angle) कसौटी है और इसे ASA सर्वांगसमता कसौटी लिखा जाता है। आप पिछली कक्षाओं में, इसकी सत्यता की जाँच कर चुके हैं। आइए इस परिणाम को सिद्ध करें।

चूँकि इस परिणाम को सिद्ध किया जा सकता है, इसलिए इसे एक प्रमेय (theorem) कहा जाता है। इसे सिद्ध करने के लिए, हम SAS सर्वांगसमता नियम का प्रयोग करेंगे।

प्रमेय 7.1 (ASA सर्वांगसमता नियम) : दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं, यदि एक त्रिभुज के दो कोण और उनकी अंतर्गत भुजा दूसरे त्रिभुज के दो कोणों और उनकी अंतर्गत भुजा के बराबर हों।

उपपत्ति : हमें दो त्रिभुज ABC और DEF दिए हैं,

जिनमें B=E,C=F

और BC=EF है।

हमें ABCDEF सिद्ध करना है।

दोनों त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए देखिए कि यहाँ तीन स्थितियाँ संभव हैं।

स्थिति (i) : मान लीजिए AB=DE है(देखिए आकृति 7.12)।

अब आप क्या देखते हैं? आप देख सकते हैं कि

AB=DE (कल्पना की है) B=E (दिया है) BC=EF (दिया है) ΔABCDEF(SAS नियम द्वारा)

अतः,

आकृति 7.12

स्थिति (ii) : मान लीजिए, यदि संभव है तो, AB>DE है। इसलिए, हम AB पर एक बिंदु P ऐसा ले सकते हैं कि PB=DE हो (देखिए आकृति 7.13)।

आकृति 7.13

अब PBC और DEF में,

PB=DE(रचना से) B=E(दिया है) BC=EF(दिया है) 

अतः, हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि

ΔPBCΔDEF (SAS सर्वांगसमता अभिगृहीत द्वारा) 

चूँकि दोनों त्रिभुज सर्वांगसम हैं, इसलिए इनके संगत भाग बराबर होने चाहिए।

अतः, PCB=DFE

परन्तु हमें दिया है कि

अतः, ACB=DFE

परन्तु क्या यह संभव है?

यह तभी संभव है, जब P बिंदु A के साथ संपाती हो।

या BA=ED

अतः, ABCDEF (SAS अभिगृहीत द्वारा)

स्थिति (iii) : यदि AB<DE हो, तो हम DE पर एक बिंदु M इस प्रकार ले सकते हैं कि ME=AB हो। अब स्थिति (ii) वाले तर्कण को दोहराते हुए, हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि AB=DE है और इसीलिए ABCDEF है।

अब मान लीजिए कि दो त्रिभुजों में दो कोणों के युग्म और संगत भुजाओं का एक युग्म बराबर हैं, परन्तु ये भुजाएँ बराबर कोणों के युग्मों की अंतर्गत भुजाएँ नहीं हैं। क्या ये त्रिभुज अभी भी सर्वांगसम हैं? आप देखेंगे कि ये त्रिभुज सर्वांगसम हैं। क्या आप इसका कारण बता सकते हैं?

आप जानते हैं कि त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180 होता है। अतः त्रिभुजों के कोणों के दो युग्म बराबर होने पर उनके तीसरे कोण भी बराबर होंगे (180 - दोनों बराबर कोणों का योग)।

अतः, दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं, यदि इन त्रिभुजों के दो कोणों के युग्म बराबर हों और संगत भुजाओं का एक युग्म बराबर हो। हम इसे AAS सर्वांगसमता नियम कह सकते हैं।

आइए अब निम्नलिखित क्रियाकलाप करें :

40,50 और 90 वाले कुछ त्रिभुज खींचिए।

आप ऐसे कितने त्रिभुज खींच सकते हें? वास्तव में, भुजाओं की विभिन्न लंबाइयाँ लेकर हम ऐसे जितने चाहे उतने त्रिभुज खींच सकते हैं (देखिए आकृति 7.14)।

आकृति 7.14

देखिए कि ये त्रिभुज सर्वांगसम हो भी सकते हैं और नहीं भी हो सकते हैं।

अतः, तीन कोणों की समता त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए पर्याप्त नहीं है। इसलिए, त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए, तीन बराबर भागों में से एक बराबर भाग भुजा अवश्य होना चाहिए।

आइए अब कुछ और उदाहरण लें।

उदाहरण 3 : रेखाखंड AB एक अन्य रेखाखंड CD के समांतर है और O रेखाखंड AD का मध्य-बिंदु है (देखिए आकृति 7.15)। दर्शाइए कि (i) AOBDOC (ii) O रेखाखंड BC का भी मध्य-बिंदु है।

हल : (i) AOB और DOC पर विचार कीजिए।

ABO=DCO (एकांतर कोण और तिर्यक रेखा BC के साथ AB||CD )

AOB=DOC (शीर्षाभिमुख कोण)

OA=OD(दिया है)

आकृति 7.15

अत:,ΔAOBDOC (AAS नियम)

(ii) OB=OC (CPCT)

अर्थात् O, रेखाखंड BC का भी मध्य-बिंदु है।

प्रश्नावली 7.1

1. चतुर्भुज ACBD में, AC=AD है और AB कोण A को समद्विभाजित करता है (देखिए आकृति 7.16)। दर्शाइए कि ABCABD है। BC और BD के बारे में आप क्या कह सकते हैं?

आकृति 7.16

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2. ABCD एक चतुर्भुज है, जिसमें AD=BC और DAB=CBA है (देखिए आकृति 7.17)। सिद्ध कीजिए कि

(i) ABDBAC

(ii) BD=AC

(iii) ABD=BAC

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3. एक रेखाखंड AB पर AD और BC दो बराबर लंब रेखाखंड हैं (देखिए आकृति 7.18)। दर्शाइए कि CD, रेखाखंड AB को समद्विभाजित करता है।

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4. l और m दो समांतर रेखाएँ हैं जिन्हें समांतर रेखाओं p और q का एक अन्य युग्म प्रतिच्छेदित करता है (देखिए आकृति 7.19)। दर्शाइए कि ABCCDA है।

आकृति 7.19

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5. रेखा l कोण A को समद्विभाजित करती है और B रेखा l पर स्थित कोई बिंदु है। BP और BQ कोण A की भुजाओं पर B से डाले गए लम्ब हैं (देखिए आकृति 7.20)। दर्शाइए कि

(i) APBAQB

(ii) BP=BQ है, अर्थात् बिंदु B कोण की भुजाओं से समदूरस्थ है

आकृति 7.20

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6. आकृति 7.21 में, AC=AE,AB=AD और BAD=EAC है। दर्शाइए कि BC=DE है।

आकृति 7.21

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7. AB एक रेखाखंड है और P इसका मध्य-बिंदु है। D और E रेखाखंड AB के एक ही ओर स्थित दो बिंदु इस प्रकार हैं कि BAD=ABE और EPA=DPB है। (देखिए आकृति 7.22)। दर्शाइए कि

(i) DAPEBP

(ii) AD=BE

आकृति 7.22

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8. एक समकोण त्रिभुज ABC में, जिसमें कोण C समकोण है, M कर्ण AB का मध्य-बिंदु है। C को M से मिलाकर D तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि DM=CM है। बिंदु D को बिंदु B से मिला दिया जाता है (देखिए आकृति 7.23)। दर्शाइए कि

(i) AMCBMD

(ii) DBC एक समकोण है

(iii) DBCACB

(iv) CM=12AB

आकृति 7.23

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7.4 एक त्रिभुज के कुछ गुण

पिछले अनुच्छेद में, आपने त्रिभुजों की सर्वांगसमता की दो कसौटियों का अध्ययन किया है। आइए इन परिणामों का एक ऐसे त्रिभुज के कुछ गुणों का अध्ययन करने में प्रयोग करें जिसकी दो भुजाएँ बराबर होती हैं।

नीचे दिया गया क्रियाकलाप कीजिए:

एक त्रिभुज की रचना कीजिए जिसकी दो भुजाएँ बराबर हों। मान लीजिए दो भुजाएँ 3.5 cm लंबाई की हैं और एक भुजा 5 cm लंबाई की है (देखिए आकृति 7.24)। आप पिछली कक्षाओं में, ऐसी रचनाएँ कर चुके हैं।

आकृति 7.24

क्या आपको याद है कि इस त्रिभुज को क्या कहते हैं?

एक त्रिभुज जिसकी दो भुजाएँ बराबर हों समद्विबाहु त्रिभुज (isosceles triangle) कहलाता है। अतः, आकृति 7.24 का ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है, जिसमें AB=AC है।

अब B और C को मापिए। आप क्या देखते हैं?

विभिन्न भुजाओं वाले अन्य समद्विबाहु त्रिभुज लेकर इस क्रियाकलाप को दोहराइए। आप देख सकते हैं कि ऐसे प्रत्येक त्रिभुज में बराबर भुजाओं के सम्मुख (सामने के) कोण बराबर हैं।

यह एक अति महत्वपूर्ण परिणाम है और प्रत्येक समद्विबाहु त्रिभुज के लिए सत्य है। इसे नीचे दशाई विधि के अनुसार सिद्ध किया जा सकता है:

प्रमेय 7.2 : एक समद्विबाहु त्रिभुज की बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं। इस परिणाम को कई विधियों से सिद्ध किया जा सकता है। इनमें से एक उपपत्ति नीचे दी जा रही है।

उपपत्ति : हमें एक समद्विबाहु ABC दिया है, जिसमें AB=AC है। हमें B=C सिद्ध करना है। आइए A का समद्विभाजक खींचे। मान लीजिए यह BC से D पर मिलता है (देखिए आकृति 7.25)। अब, BAD और CAD में,

आकृति 7.25

AB=AC(दिया है)BAD=CAD(रचना से)AD=AD(उभयनिष्ठ)BADCAD(SAS नियम द्वारा)

ABD=ACD(CPCT)

B=C

क्या इसका विलोम भी सत्य है? अर्थात्

यदि किसी त्रिभुज के दो कोण बराबर हों, तो क्या हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि उनकी सम्मुख भुजाएँ भी बराबर होंगी?

नीचे दिया क्रियाकलाप कीजिए :

एक ABC की रचना कीजिए जिसमें BC किसी भी लंबाई वाली एक भुजा है और B=C=50 है। A का समद्विभाजक खींचिए और मान लीजिए कि यह BC को D पर प्रतिच्छेद करता है (देखिए आकृति 7.26)।

आकृति 7.26

त्रिभुज ABC को कागज में से काट लीजिए और इसे AD के अनुदिश मोड़िए ताकि शीर्ष C शीर्ष B पर गिरे ( पड़े)।

AC और AB के बारे में आप क्या कह सकते हैं?

देखिए कि AC,AB को पूर्णतया ढक लेती है।

अतः, AC=AB

इसी क्रियाकलाप को ऐसे ही कुछ अन्य त्रिभुज लेकर दोहराइए। प्रत्येक बार आप देखेंगे कि एक त्रिभुज के बराबर कोणों की सम्मुख भुजाएँ बराबर हैं। अतः, हम निम्न प्रमेय प्राप्त करते हैं :

प्रमेय 7.3 : किसी त्रिभुज के बराबर कोणों की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।

यह प्रमेय 7.2 का विलोम है।

आप इस प्रमेय को ASA सर्वांगसमता नियम का प्रयोग करके सिद्ध कर सकते हैं। आइए इन परिणामों को स्पष्ट करने के लिए कुछ उदाहरण लें।

उदाहरण 4 : ABC में, A का समद्विभाजक AD भुजा BC पर लम्ब है (देखिए आकृति 7.27)। दर्शाइए कि AB=AC है और ABC समद्विबाहु है।

आकृति 7.27

हल : ABD और ACD में,

BAD=CAD (दिया है) AD=AD(उभयनिष्ठ)ADB=ADC=90(दिया है)

ABDACD(ASA नियम) ए, AB=AC(CPCT)

इसी कारण ABC समद्विबाहु है।

उदाहरण 5 : E और F क्रमशः त्रिभुज ABC की बराबर भुजाओं AB और AC के मध्य-बिंदु हैं (देखिए आकृति 7.28)। दर्शाइए कि BF=CE है।

आकृति 7.28

हल : ABF और ACE में,

AB=AC (दिया है) A=A (उभयनिष्ठ) AF=AE (बराबर भुजाओं के आधे) ΔABFACE (SAS नियम) BF=CE (CPCT) 

उदाहरण 6 : एक समद्विबाहु त्रिभुज ABC जिसमें AB=AC है, की भुजा BC पर दो बिंदु D और E इस प्रकार हैं कि BE=CD है (देखिए आकृति 7.29)। दर्शाइए कि AD=AE है।

आकृति 7.29

हल : ABD और ACE में,

AB=AC(दिया है)(1)B=C(बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण)(2)

साथ ही, BE=CD (दिया है)

इसलिए, BEDE=CDDE

अर्थात्, BD=CE

अतः, ABDACE

इससे प्राप्त होता है: AD=AE [(1),(2),(3) और SAS नियम द्वारा]

प्रश्नावली 7.2

1. एक समद्विबाहु त्रिभुज ABC में जिसमें AB=AC है, B और C के समद्विभाजक परस्पर बिंदु O पर प्रतिच्छेद करते हैं। A और O को जोड़िए। दर्शाइए कि

(i) OB=OC

(ii) AO कोण A को समद्विभाजित करता है

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2. ABC में AD भुजा BC का लम्ब समद्विभाजक है (देखिए आकृति 7.30)। दर्शाइए कि ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है, जिसमें AB=AC है।

आकृति 7.30

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3. ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है, जिसमें बराबर भुजाओं AC और AB पर क्रमशः शीर्षलम्ब BE और CF खींचे गए हैं (देखिए आकृति 7.31)। दर्शाइए कि ये शीर्षलम्ब बराबर हैं।

आकृति 7.31

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4. ABC एक त्रिभुज है जिसमें AC और AB पर खींचे गए शीर्षलम्ब BE और CF बराबर हैं (देखिए आकृति 7.32)। दर्शाइए कि

(i) ABEACF

(ii) AB=AC, अर्थात् ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है।

आकृति 7.32

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5. ABC और DBC समान आधार BC पर स्थित दो समद्विबाहु त्रिभुज हैं (देखिए आकृति 7.33)। दर्शाइए कि ABD=ACD है।

आकृति 7.33

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6. ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है, जिसमें AB=AC है। भुजा BA बिंदु D तक इस प्रकार बढ़ाई गई है कि AD=AB है (देखिए आकृति 7.34)। दर्शाइए कि BCD एक समकोण है।

आकृति 7.34

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7. ABC एक समकोण त्रिभुज है, जिसमें A=90 और AB=AC है। B और C ज्ञात कीजिए।

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8. दर्शाइए कि किसी समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण 60 होता है।

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7.5 त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए कुछ और कसौटियाँ

आप इस अध्याय में, पहले यह देख चुके हैं कि एक त्रिभुज के तीनों कोणों के दूसरे त्रिभुज के तीनों कोणों के बराबर होने पर दोनों त्रिभुजों का सर्वांगसम होना आवश्यक नहीं है। आप सोच सकते हैं कि संभवतः एक त्रिभुज की तीनों भुजाओं के दूसरे त्रिभुज की तीनों भुजाओं के बराबर होने पर त्रिभुज सर्वांगसम हो जाएँ। आप यह पिछली कक्षाओं में पढ़ चुके हैं कि ऐसी स्थिति में त्रिभुज नि:संदेह सर्वांगसम होते हैं।

इस धारणा को निश्चित करने के लिए, 4 cm,3.5 cm और 4.5 cm के दो त्रिभुज खींचिए (देखिए आकृति 7.35)। इन्हें काटकर, एक दूसरे पर रखिए। आप क्या देखते हैं? यदि बराबर भुजाओं को एक दूसरे पर रखा जाए। ये एक दूसरे को पूर्णतया ढक लेते हैं अतः, दोनों त्रिभुज सर्वांगसम हैं।

आकृति 7.35

इस क्रियाकलाप को कुछ अन्य त्रिभुज खींचकर दोहराइए। इस प्रकार, हम सर्वांगसमता के एक और नियम पर पहुँच जाते हैं:

प्रमेय 7.4 (SSS सर्वांगसमता नियम) : यदि एक त्रिभुज की तीनों भुजाएँ एक अन्य त्रिभुज की तीनों भुजाओं के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं।

एक उपयुक्त रचना करके, इस प्रमेय को सिद्ध किया जा सकता है।

आप SAS सर्वांगसमता नियम में पहले ही देख चुके हैं कि बराबर कोणों के युग्म संगत बराबर भुजाओं के युग्मों के बीच में (अंतर्गत) होने चाहिए और यदि ऐसा नहीं हो, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम नहीं भी हो सकते हैं।

इस क्रियाकलाप को कीजिए :

दो समकोण त्रिभुज ऐसे खींचिए जिनमें प्रत्येक का कर्ण 5 सेमी और एक भुजा 4 cm की हो (देखिए आकृति 7.36)।

आकृति 7.36

इन्हें काटिए और एक दूसरे पर इस प्रकार रखिए कि इनकी बराबर भुजाएँ एक दूसरे पर आएँ। यदि आवश्यक हो, तो त्रिभुजों को घुमाइए। आप क्या देखते हैं?

आप देखते हैं कि दोनों त्रिभुज एक दूसरे को पूर्णतया ढक लेते हैं और इसीलिए ये सर्वांगसम हैं। यही क्रियाकलाप समकोण त्रिभुजों के अन्य युग्म लेकर दोहराइए। आप क्या देखते हैं?

आप पाएँगे कि दोनों समकोण त्रिभुज सर्वांगसम होंगे, यदि उनके कर्ण बराबर हों और भुजाओं का एक युग्म बराबर हो। आप इस तथ्य की जाँच पिछली कक्षाओं में कर चुके हैं। ध्यान दीजिए कि इस स्थिति में समकोण अंतर्गत कोण नहीं है।

इस प्रकार, आप निम्नलिखित सर्वांगसमता नियम पर पहुँच गए हैं:

प्रमेय 7.5 (RHS सर्वांगसमता नियम ) : यदि दो समकोण त्रिभुजों में, एक त्रिभुज का कर्ण और एक भुजा क्रमशः दूसरे त्रिभुज के कर्ण और एक भुजा के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं।

ध्यान दीजिए कि यहाँ RHS समकोण (Right angle) - कर्ण (Hypotenuse) - भुजा (Side) को दर्शाता है।

आइए अब कुछ उदाहरण लें।

उदाहरण 7 : AB एक रेखाखंड है तथा बिंदु P और Q इस रेखाखंड AB के विपरीत ओर इस प्रकार स्थित हैं कि इनमें से प्रत्येक A और B से समदूरस्थ है (देखिए आकृति 7.37)। दर्शाइए कि रेखा PQ रेखाखंड AB का लम्ब समद्विभाजक है।

हल : आपको PA=PB और QA=QB दिया हुआ है। आपको दर्शाना है कि PQAB है और PQ रेखाखंड AB को समद्विभाजित करती है। मान लीजिए रेखा PQ रेखाखंड AB को C पर प्रतिच्छेद करती है। क्या आप इस आकृति में दो सर्वांगसम त्रिभुजों को देख सकते हैं?

आकृति 7.37

इन त्रिभुजों में,

AP=BP (दिया है)

AQ=BQ (दिया है)

PQ=PQ (उभयनिष्ठ)

अत:, PAQPBQ (SSS नियम)

इसलिए, APQ=BPQ (CPCT)

अब PAC और PBC को लीजिए। आपको प्राप्त है :

AP=BP (दिया है)

APC=BPC(APQ=BPQ (ऊपर सिद्ध किया है)

PC=PC (उभयनिष्ठ)

अत:, PACPBC (SAS नियम)

इसलिए, AC=BC

और ACP=BCP (CPCT)

साथ ही, ACP+BCP=180 (रैखिक युग्म) इसलिए, 2ACP=180या,ACP=90(2)

(1) और (2) से, आप निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि रेखा PQ रेखाखंड AB का लम्ब समद्विभाजक है।

[ध्यान दीजिए कि PAQ और PBQ की सर्वांगसमता दर्शाए बिना, आप यह नहीं दिखा सकते कि PACPBC है, यद्याप AP=BP (दिया है),

PC=PC (उभयनिष्ठ) और]

PAC=PBC(APB में बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण) है।

यह इस कारण है कि इनसे हमें SSA नियम प्राप्त होता है, जो त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए सदैव मान्य नहीं है। साथ ही, कोण बराबर भुजाओं के अंतर्गत नहीं है।]

आइए कुछ और उदाहरण लें।

उदाहरण 8 : बिंदु A पर प्रतिच्छेद करने वाली दो रेखाओं l और m से समदूरस्थ एक बिंदु P है (देखिए आकृति 7.38)। दर्शाइए कि रेखा AP दोनों रेखाओं के बीच के कोण को समद्विभाजित करती है।

हल : आपको दिया है कि रेखाएँ l और m परस्पर A पर प्रतिच्छेद करती हैं। मान लीजिए PBl और PCm है। यह दिया है कि PB=PC है।

आपको दर्शाना है कि PAB=PAC है।

अब, PAB और PAC में,

PB=PC (दिया है) PBA=PCA=90 (दिया है) PA=PA ( उभयनिष्ठ) 

आकृति 7.38

अत: PABPAC (RHS नियम)

इसलिए, PAB=PAC

ध्यान दीजिए कि यह परिणाम प्रश्नावली 7.1 के प्रश्न 5 में सिद्ध किए गए परिणाम का विलोम है।

प्रश्नावली 7.3

1. ABC और DBC एक ही आधार BC पर बने दो समद्विबाहु त्रिभुज इस प्रकार हैं कि A और D भुजा BC के एक ही ओर स्थित हैं (देखिए आकृति 7.39)। यदि AD बढ़ाने पर BC को P पर प्रतिच्छेद करे, तो दर्शाइए कि

(i) ABDACD

(ii) ABPACP

(iii) AP कोण A और कोण D दोनों को समद्विभाजित करता है।

(iv) AP रेखाखंड BC का लम्ब समद्विभाजक है।

आकृति 7.39

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2. AD एक समद्विबाहु त्रिभुज ABC का एक शीर्षलम्ब है, जिसमें AB=AC है। दर्शाइए कि

(i) AD रेखाखंड BC को समद्विभाजित करता है।\

(ii) AD कोण A को समद्विभाजित करता है।

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3. एक त्रिभुज ABC की दो भुजाएँ AB और BC तथा माध्यिका AM क्रमशः एक दूसरे त्रिभुज की भुजाओं PQ और QR तथा माध्यिका PN के बराबर हैं (देखिए आकृति 7.40)। दर्शाइए कि

(i) ABMPQN

(ii) ABCPQR

आकृति 7.40

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4. BE और CF एक त्रिभुज ABC के दो बराबर शीर्षलम्ब हैं। RHS सर्वांगसमता नियम का प्रयोग करके सिद्ध कीजिए कि ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है।

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5. ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमे AB=AC है। APBC खींच कर दर्शाइए कि B=C है।

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7.6 सारांश

इस अध्याय में, आपने निम्न बिंदुओं का अध्ययन किया है:

1. दो आकृतियाँ सर्वांगसम होती हैं, यदि उनका एक ही आकार हो और एक ही माप हो।

2. समान त्रिज्याओं वाले दो वृत्त सर्वांगसम होते हैं।

3. समान भुजाओं वाले दो वर्ग सर्वांगसम होते हैं।

4. यदि त्रिभुज ABC और PQR संगतता AP,BQ और CR, के अंतर्गत सर्वांगसम हों, तो उन्हें सांकेतिक रूप में ABCPQR लिखते हैं।

5. यदि एक त्रिभुज की दो भुजाएँ और अंतर्गत कोण दूसरे त्रिभुज की दो भुजाओं और अंतर्गत कोण के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं (SAS सर्वांगसमता नियम)।

6. यदि एक त्रिभुज के दो कोण और अंतर्गत भुजा दूसरे त्रिभुज के दो कोणों और अंतर्गत भुजा के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं (ASA सर्वांगसमता नियम)।

7. यदि एक त्रिभुज के दो कोण और एक भुजा दूसरे त्रिभुज के दो कोणों और संगत भुजा के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं (AAS सर्वांगसमता नियम)।

8. त्रिभुज की बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।

9. त्रिभुज के बराबर कोणों की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।

10. किसी समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण 60 का होता है।

11. यदि एक त्रिभुज की तीनों भुजाएँ दूसरे त्रिभुज की तीनों भुजाओं के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं (SSS सर्वांगसमता नियम)।

12. यदि दो समकोण त्रिभुजों में, एक त्रिभुज का कर्ण और एक भुजा क्रमशः दूसरे त्रिभुज के कर्ण और एक भुजा के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं (RHS सर्वांगसमता नियम)।