अध्याय 08 बल तथा दाब
कक्षा VII में आप सीख चुके हैं कि वस्तुएँ गति कैसे करती हैं। क्या आप बता सकते हैं कि हम यह कैसे निश्चित करते हैं कि कोई वस्तु दूसरी वस्तु से अधिक तेज़ी से गतिशील है? किसी वस्तु द्वारा एकांक समय में चली गई दूरी क्या सूचित करती है? आप यह भी जानते हैं कि ज़मीन पर लुढ़कती हुई गेंद जैसी कोई गतिशील वस्तु धीमी हो जाती है। कभी-कभी यह अपनी गति की दिशा भी बदल सकती है। यह भी संभव है कि गेंद धीमी हो जाए तथा अपनी दिशा भी बदल ले। क्या आपने कभी सोचा है कि गतिशील वस्तु धीमी या तेज़ कैसे हो जाती है, अथवा अपनी गति की दिशा कैसे बदल लेती है?
आइए अपने प्रतिदिन के कुछ अनुभवों को स्मरण करें। किसी फुटबाल को गतिशील करने के लिए क्या करते हैं? किसी गतिशील गेंद को, और अधिक तेज़ी से चलाने के लिए आप क्या करते हैं? एक गोली (गोलरक्षक) गेंद को किस प्रकार रोकता है? हॉकी का खिलाड़ी हॉकी से प्रहार करके किसी गतिशील गेंद की दिशा बदल देता है। क्षेत्र रक्षक, बल्लेबाज द्वारा हिट की गई गेंद को कैसे रोकते हैं? (चित्र 8.1)। इन सभी स्थितियों में गेंद की गति को तेज़ या धीमा कर दिया जाता है अथवा इसकी गति की दिशा को बदल दिया जाता है।
हम प्रायः कहते हैं कि जब किसी गेंद को धक्का देते हैं, फेंकते हैं, ठोकर मारते हैं या प्रहार करते हैं तो उस पर बल लगाया जाता है। बल क्या है? जिन वस्तुओं पर यह लगाया जाता है उन पर यह क्या प्रभाव डालता है? इस अध्याय में हम ऐसे ही प्रश्नों के उत्तर खोजेंगे।
8.1 बल अपकर्षण या अभिकर्षण
उठाना, खोलना, बंद करना, ठोकर मारना, हिट करना, प्रहार करना, धक्का देना, खींचना आदि ऐसी क्रियाएँ हैं जो प्रायः कुछ कार्यों का वर्णन करने के लिए प्रयोग की जाती हैं। इनमें से प्रत्येक कार्य प्राय: वस्तु की गति में किसी प्रकार का परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। क्या इन शब्दों की जगह एक या अधिक अन्य शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं? आइए ज्ञात करें।
चित्र 8.1 : (a) गोली, गोल को बचाते हुए (b) हॉकी का खिलाड़ी गेंद पर प्रहार करते हुए (c) क्षेत्ररक्षक गेंद को रोकते हुए।
क्रियाकलाप 8.1
सारणी 8.1 में वस्तुओं की गति की सुपरिचित स्थितियों के कुछ उदाहरण दिये गए हैं। आप इनमें कुछ ऐसी ही और अधिक स्थितियों को जोड़ सकते हैं अथवा इन उदाहरणों में से कुछ को बदल सकते हैं। प्रत्येक दशा में कार्य को धक्का देना अथवा/या खींचना के रूप में पहचानिए तथा सारणी में लिखिये। आपकी सहायता के लिए एक उदाहरण दिया गया है।
सारणी 8.1 कुछ कार्यों को अपकर्षण तथा अभिकर्षण के रूप में पहचानना
क्र.सं. स्थिति का वर्णन कार्य : (धक्का देना/चयन करना/खींचना/ठोकर मारना/उठाना/झुकाना/उड़ाना/पेंगकना/बंद करना/ प्रछार करना/कपर उठाना) कार्य को व्यक्त कर सकते हैं अपकर्षण $\quad$ अभिकर्षण 1. मेज़ पर रखी पुस्तक को गतिशील बनाना धक्का देना $\qquad$ खींचना $\qquad$ उठाना हाँ $\qquad \qquad $ हाँ 2 . दरवाज़े को खोलना या बंद करना 3. कुएँ से पानी की बाल्टी को खींचना 4. फुटबाल के खिलाड़ी का पेनल्टी किक लेना 5 . एक बल्लेबाज द्वारा क्रिकेट की गेंद् पर प्रहार करना 6 . लदी हुई बैलगाड़ी को चलाना 7 . किसी मेज़ की दराज को खोलना
क्या आपने ध्यान दिया कि इनमें से प्रत्येक कार्य को अभिकर्षण (खींचना) या अपकर्षण (धक्का देना) अथवा दोनों के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। क्या हम इससे यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि किसी वस्तु को गति में लाने के लिए, उसे धक्का देना (अपकर्षित करना) या खींचना (अभिकर्षित करना) पड़ता है?
विज्ञान में किसी वस्तु पर लगने वाले धक्के (अभिकर्षण) या खिंचाव (अपकर्षण) को बल कहते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि वस्तुओं को दी गई गति बल लगने के कारण होती है। वस्तु पर बल कब लगता है? आइए ज्ञात करें।
मैंने कक्षा VI में पढ़ा है कि चुंबक एक लोहे के टुकड़े को अपनी ओर आकर्षित करता है। क्या आकर्षण भी एक खिंचाव (अभिकर्षण) है? किसी चुंबक के दो समान ध्रुवों के बीच प्रतिकर्षण के बारे में आप क्या सोचते हैं? यह खिंचाव (अभिकर्षण) है या धक्का (अपकर्षण)?
8.2 बल अन्योन्यक्रिया के कारण लगते हैं
मान लीजिए कोई आदमी स्थिर कार के पीछे खड़ा है [चित्र 8.2(a)]। क्या उसकी उपस्थिति के कारण कार गति में आएगी? मान लीजिए अब आदमी कार को धक्का लगाना प्रारम्भ करता है [चित्र 8.2(b)], अर्थात, वह इस पर बल लगाता है। कार लगाए गए बल की दिशा में गति करना प्रारम्भ कर सकती है। ध्यान दीजिए
कि कार को गति देने के लिए आदमी को इसे धक्का लगाते रहना होगा।
चित्र 8.3(a) : कौन किसे धकेल रहा है? चित्र 8.3 तीन स्थितियाँ दर्शाता है जिनसे संभवतः आप परिचित होंगे। क्या आप बता सकते हैं कि इन स्थितियों में कौन खींच रहा है और कौन धक्का दे रहा है? चित्र $8.3(\mathrm{a})$ में दोनों लड़कियाँ एक-दूसरे को
चित्र 8.3(b) : कौन किसे खींच रहा है?
धक्का देती हुई प्रतीत होती हैं जबकि चित्र $8.3(\mathrm{~b})$ में लड़कियों का युग्म एक दूसरे को खींचने का प्रयत्न कर रहा है। इसी प्रकार चित्र 8.3(c) में गाय तथा
चित्र 8.3(c) : कौन किसे खींच रहा है?
आदमी दोनों एक दूसरे को खींचते प्रतीत होते हैं। यहाँ पर दर्शायी गई दोनों स्थितियों में लड़कियाँ एक-दूसरे पर बल लगा रही हैं। क्या यह बात आदमी तथा गाय पर भी लागू होती है?
इन उदाहरणों से हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि बल लगने के लिए कम से कम दो वस्तुओं में अन्योन्यक्रिया होनी आवश्यक है। इस प्रकार दो वस्तुओं के बीच अन्योन्यक्रिया के कारण उनके बीच बल लगता है।
8.3 बलों की खोजबीन
आइए बलों के बारे में कुछ अधिक सीखने का प्रयत्न करें।
क्रियाकलाप 8.2
कोई भारी वस्तु जैसे मेज़ या संदूक लीजिए जिसे आप जोर से धकेलने पर ही गति में ला सकें। इसे अकेले धकेलने का प्रयत्न कीजिए। क्या आप इसे खिसका पाते हैं? अब अपने किसी मित्र से कहिए कि बक्से को उसी दिशा में धकेलने में आपकी सहायता करे [चित्र 8.4(a)]। क्या अब इसको खिसकाना आसान है? क्या आप बता सकते हैं कि ऐसा क्यों हुआ?
अब उसी वस्तु को फिर से धकेलिए लेकिन इस बार अपने मित्र से कहिए कि वह इसे विपरीत दिशा से धकेले [चित्र 8.4(b)]। क्या वस्तु गतिमान होती है? यदि यह गति में आती है तो इसकी गति की दिशा को नोट कीजिए। क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि आप में से कौन अधिक बल लगा रहा है?
चित्र 8.4 : दो मित्र एक भारी वस्तु को धक्का देते हुए (a) एक ही दिशा में (b) विपरीत दिशा में।
क्या आपने कभी रस्साकशी का खेल देखा है? इस खेल में दो टोलियाँ एक रस्से को विपरीत दिशा में खींचती हैं (चित्र 8.5)। दोनों टोलियों के सदस्य रस्से को अपनी दिशा में खींचने का प्रयत्न करते हैं। कभी-कभी
चित्र 8.5 : यदि दोनों टोलियाँ रस्से को समान बल से खींचती हैं तो रस्सा खिसकता नहीं।
रस्सा बिलकुल नहीं खिसकता। क्या यह चित्र 8.3(b) में दर्शायी गई स्थिति के समान नहीं है? जो टोली अधिक जोर से खींचती है, अर्थात अधिक बल लगाती है, अंत में वही खेल में विजयी होती है।
ये उदाहरण बल के बारे में क्या सुझाते हैं?
किसी वस्तु पर एक ही दिशा में लगाए गए बल जुड़ जाते हैं। अब स्मरण कीजिए कि क्रियाकलाप 8.2 में जब आप तथा आपके मित्र ने भारी संदूक को एक ही दिशा में धकेला था तो क्या हुआ था।
यदि किसी वस्तु पर दो बल विपरीत दिशा में कार्य करते हैं तो इस पर लगने वाला कुल (नेट) बल दोनों बलों के अंतर के बराबर होता है। क्रियाकलाप 8.2 में जब आप दोनों भारी संदूक को विपरीत दिशा में धकेल रहे थे तो आपने क्या देखा था?
स्मरण कीजिए कि रस्साकशी के खेल में जब दोनों टोलियाँ रस्से पर बराबर बल लगा कर खींचती हैं तो रस्सा किसी भी दिशा में नहीं जाता।
इस प्रकार हमने सीखा कि एक बल दूसरे से बड़ा छोटा या बराबर हो सकता है। बल की प्रबलता प्राय: इसके परिमाण से मापी जाती है। बल के बारे में बताते समय हमें उस दिशा का उल्लेख करना भी आवश्यक है जिसमें बल कार्य करता है। यह भी याद रखिए, यदि लगाए गए बल की दिशा या परिमाण में परिवर्तन हो जाए तो इसका प्रभाव भी बदल जाता है।
क्या इसका अर्थ यह है कि यदि किसी वस्तु पर विपरीत दिशाओं में लगने वाले बल बराबर हैं तो उस पर लगने वाला नेट बल शून्य होगा?
सामान्य रूप में, किसी वस्तु पर एक से अधिक बल लगे हो सकते हैं। तथापि, वस्तु पर इनका प्रभाव नेट बल के कारण ही होता है।
8.4 बल वस्तु की गति की अवस्था में परिवर्तन कर सकता है
आइए अब ज्ञात करें कि जब किसी वस्तु पर बल लगता है तो क्या होता है।
क्रियाकलाप 8.3
रबड़ की एक गेंद लीजिए तथा इसे किसी समतल सतह जैसे मेज़ पर या कंकरीट के फर्श पर रखिए। अब गेंद को धीरे से समतल सतह पर धक्का दीजिए (चित्र 8.6)। क्या गेंद गति में आ जाती है? गतिशील गेंद को फिर से धक्का दीजिए। क्या इसकी चाल में कुछ परिवर्तन होता है? यह बढ़ती है या घटती है? अब अपनी हथेली को गतिशील गेंद के सामने रखिए। जैसे ही गतिशील गेंद इसे स्पर्श करे हथेली को हटा लीजिए। क्या आपकी हथेली गेंद पर कोई बल लगाती है? गेंद की चाल पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है? क्या यह बढ़ती है या घटती है? यदि आप गतिशील गेंद को अपनी हथेली से रोक लें तो क्या होगा?
चित्र 8.6 : विराम अवस्था में गेंद पर बल लगाने पर वह गतिशील हो जाती है।
आप इसी प्रकार की अन्य स्थितियों पर विचार कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, पेनल्टी किक लेते समय खिलाड़ी गेंद पर बल लगाता है। किक लगने से पहले गेंद विराम अवस्था में थी, अतः इसकी चाल शून्य थी। लगाए गए बल ने गेंद को गोल की ओर गति प्रदान की। मान लीजिए गोली, गोल बचाने के लिए गेंद पर झपटता है या उछलता है। इस क्रिया द्वारा गोली गतिशील गेंद पर बल लगाने का प्रयत्न करता है। उसकेन द्वारा लगाया गया बल गेंद को रोक सकता है या विक्षेपित कर सकता है और गोल होने से बचा सकता है। यदि गोली गेंद को रोकने में सफल हो जाता है तो इसकी चाल शून्य हो जाती है।
ये प्रेक्षण सुझाते हैं कि किसी वस्तु पर लगाए गए बल द्वारा उसकी चाल बदली जा सकती है। यदि लगाया गया बल गति की दिशा में है तो वस्तु की चाल बढ़ जाती है। यदि बल वस्तु की गति की दिशा के विपरीत दिशा में लगाया जाए तो वस्तु की चाल कम हो जाती है।
मैंने बच्चों को एक-दूसरे से, रबड़ के टायर या किसी घेरे को धकेल कर तेज़ चलाने की होड़ लगाते देखा है (चित्र 8.7)। अब मैं समझ गया हूँ कि धक्का देने पर टायर की चाल क्यों बढ़ जाती है।
चित्र 8.7 : टायर को तेज़ गति से चलाने के लिए इसे लगातार धक्का लगाना पड़ता है।
पहेली यह जानने के लिए उत्सुक है कि क्या बल लगाने से केवल वस्तु की चाल ही परिवर्तित होती है। आइए ज्ञात करें।
क्रियाकलाप 8.4
एक गेंद लीजिए तथा इसे क्रियाकलाप 8.3 की भांति किसी समतल सतह पर रखिए। गेंद को धक्का देकर चलाइए [चित्र 8.8(a)]। अब चित्र 8.8(b) में दर्शाए अनुसार इसके रास्ते में एक पैमाना रखिए। ऐसा करने से आप गतिशील गेंद पर एक बल लगाएँगे। क्या पैमाने से टकराने के पश्चात गेंद उसी दिशा में गति करती रहती है? इस क्रियाकलाप को दोहराइए तथा प्रत्येक बार पैमाने को इस प्रकार रखिए कि ये गतिशील गेंद के पथ से पहले से भिन्न कोण बनाए। प्रत्येक स्थिति में पैमाने से टकराने के पश्चात् गेंद की गति की दिशा के बारे में अपने प्रेक्षणों को नोट कीजिए।
चित्र 8.8 : (a) किसी समतल सतह पर गेंद को धक्का देकर गतिशील करना (b) गेंद के रास्ते में रखे पैमाने से टकराने के पश्चात गेंद की गति की दिशा।
अब कुछ और उदाहरणों पर विचार करते हैं। बॉलीबाल के खेल में खिलाड़ी प्राय: विजयी चाल बनाने के लिए गतिशील गेंद को धकेल कर अपनी टीम के साथियों के पास पहुँचा देते हैं। कभी-कभी जोर से प्रहार करके गेंद को मैदान के दूसरी ओर पहुँचा दिया जाता है। क्रिकेट में बल्लेबाज़ बल्ले से गेंद पर बल लगाकर अपना शॉट खेलते हैं। क्या इन स्थितियों में गेंद की गति की दिशा में कोई परिवर्तन होता है? इन सभी उदाहरणों में बल लगने के कारण गतिशील गेंद की चाल तथा दिशा बदल जाती है। क्या आप इस प्रकार के कुछ और उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं?
किसी वस्तु की चाल अथवा उसकी गति की दिशा, अथवा दोनों में होने वाले परिवर्तन को इसकी गति की अवस्था में परिवर्तन द्वारा व्यक्त किया जाता है। अतः, बल द्वारा किसी वस्तु की गति की अवस्था में परिवर्तन लाया जा सकता है।
गति की अवस्था
किसी वस्तु की गति की अवस्था का वर्णन इसकी चाल तथा गति की दिशा से किया जाता है। विराम अवस्था को शून्य चाल की अवस्था माना जाता है। कोई वस्तु विराम अवस्था में अथवा गतिशील में हो सकती है. दोनों ही इसकी गति की अवस्थाएँ हैं।
क्या इसका यह अर्थ है कि बल लगने पर सदैव ही किसी वस्तु की गति की अवस्था में परिवर्तन होगा? आइए पता करें।
यह हमारा सामान्य अनुभव है कि अनेक बार बल लगाने पर भी वस्तु की गति की अवस्था में परिवर्तन नहीं होता। उदाहरण के लिए, एक भारी संदूक आपके द्वारा अधिकतम बल लगाए जाने पर भी गति न करे। इसी प्रकार, यदि आप किसी दीवार को धकेलने का प्रयास करें तो उस पर आपको बल का कोई प्रभाव दिखाई नहीं देगा।
8.5 बल किसी वस्तु की आकृति में परिवर्तन कर सकता है
क्रियाकलाप 8.5
सारणी 8.2 के स्तंभ 1 में कुछ ऐसी स्थितियाँ दी गई हैं जिनमें वस्तुएँ गति नहीं कर सकतीं। सारणी के स्तंभ 2 में वे विधियाँ सुझाई गई हैं जिसमें प्रत्येक वस्तु पर बल लगाया जा सकता है जबकि स्तंभ 3 इन क्रियाओं का चित्र दर्शाता है। जितनी स्थितियों में संभव हो बल का प्रभाव देखने का प्रयत्न कीजिए। आप अपने पर्यावरण में उपलब्ध सामग्री का उपयोग करके इसी प्रकार की कुछ अन्य स्थितियों को भी यहाँ पर जोड़ सकते हैं। अपने प्रेक्षणों को सारणी के स्तंभ 4 तथा 5 में नोट कीजिए।
सारणी 8.2 वस्तुओं पर बल के प्रभाव का अध्ययन करना
सारणी 8.2 के प्रेक्षणों से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं? जब आप अपनी हथेलियों के बीच एक फूले हुए गुब्बारे को रख कर दबाते हैं तो क्या होता है? जब गुँधे आटे की लोई को बेल कर चपाती बनाते हैं तो उसकी आकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है? जब आप मेज़ पर रखी किसी रबड़ की गेंद को दबाते हैं तो क्या होता है? इन सभी उदाहरणों में आपने देखा कि किसी वस्तु पर बल लगाने से उसकी आकृति में परिवर्तन हो सकता है।
उपरोक्त सभी क्रियाकलाप कर लेने के पश्चात, अब आप समझ गए होंगे कि बल :
- किसी वस्तु को विराम अवस्था से गति में ला सकता है।
- गतिशील वस्तु की चाल में परिवर्तन कर सकता है।
- गतिशील वस्तु की दिशा में परिवर्तन कर सकता है।
- वस्तु की आकृति में परिवर्तन ला सकता है।
- इनमें से कुछ अथवा सभी प्रभावों को उत्पन्न कर सकता है।
यह स्मरण रखना आवश्यक है कि यद्यपि बल इनमें से एक या अधिक प्रभावों को उत्पन्न कर सकता है, तथापि, इनमें से कोई भी प्रभाव बगैर बल लगाए उत्पन्न नहीं हो सकता। अतः कोई वस्तु बिना बल लगाए, अपने आप गति में नहीं आ सकती, अपने आप दिशा परिवर्तित नहीं कर सकती तथा अपने आप आकृति में परिवर्तन नहीं ला सकती।
8.6 सम्पर्क बल
पेशीय बल
क्या आप मेज़ पर रखी किसी पुस्तक को बगैर छुए धकेल या उठा सकते हैं? क्या बगैर पकड़े पानी की किसी बाल्टी को उठा सकते हैं? सामान्यतः, किसी वस्तु पर बल लगाने के लिए, आपके शरीर का वस्तु के साथ सम्पर्क होना चाहिए। सम्पर्क किसी छड़ी या रस्सी की सहायता से भी हो सकता है। जब हम किसी वस्तु, जैसे अपने विद्यालय के बस्ते को धकेलते हैं या पानी की बाल्टी को उठाते हैं, तो बल कहाँ से आता है? यह बल हमारे शरीर की मांसपेशियों द्वारा लगता है। हमारी मांसपेशियों के क्रियास्वरूप लगने वाले बल को पेशीय बल कहते हैं।
पेशीय बल ही हमें अपने सभी क्रियाकलाप करने योग्य बनाता है। इन क्रियाकलापों में शरीर की गति तथा मुड़ना भी सम्मिलित है। कक्षा VII में आपने पढ़ा है कि पाचन प्रक्रिया में भोजन आहार नाल में आगे की ओर धकेला जाता है। क्या इस प्रक्रिया को पेशीय बल करता है? आप यह भी जानते हैं कि श्वसन प्रक्रिया में, वायु अन्दर लेते तथा बाहर निकालते समय, फेफड़े फैलते और सिकुडते हैं। श्वसन प्रक्रिया को संभव बनाने के लिए ये पेशियाँ कहाँ स्थित हैं? हमारे शरीर में पेशियों द्वारा बल लगाने के क्या कुछ और उदाहरण आप बतला सकते हैं?
पशु भी अपने शारीरिक क्रियाकलापों तथा अन्य कार्यों को करने के लिए पेशीय बल का उपयोग करते हैं। बैल, घोड़े, गधे तथा ऊँट जैसे पशु हमारे लिए विभिन्न कार्य करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इन कार्यों को करने के लिए वे पेशीय बल का उपयोग करते हैं (चित्र 8.9)।
चित्र 8.9 : पशुओं का पेशीय बल अनेक कठिन कार्यों को करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
क्योंकि पेशीय बल तभी लगाया जा सकता है जब पेशियाँ किसी वस्तु के सम्पर्क में हों, इसलिए इसे सम्पर्क बल भी कहते हैं। क्या अन्य प्रकार के सम्पर्क बल भी हैं। आइए पता करें।
घर्षण
अपने कुछ अनुभवों को स्मरण कीजिए। फर्श पर लुढ़कने वाली गेंद धीरे-धीरे धीमी हो जाती है और अन्त में रुक जाती है। साइकिल चलाते समय जब हम पेडल चलाना बंद कर देते हैं तो ये भी धीरे-धीरे धीमी होती है और अंत में रुक जाती है। किसी कार या स्कूटर के इंजन को बंद कर देने पर वह भी कुछ समय बाद रुक जाता है। इसी प्रकार नाव भी खेना बंद कर देने पर, कुछ दूर चलकर रुक जाती है। क्या आप इस प्रकार के कुछ अन्य अनुभवों को इनमें जोड़ सकते हैं?
इन सभी स्थितियों में वस्तुओं पर कोई बल लगता प्रतीत नहीं होता फिर भी इनकी चाल धीरे-धीरे कम होती जाती है और अन्त में ये विराम अवस्था में आ जाती हैं। इनकी गति की अवस्था में परिवर्तन किस कारण होता है? क्या इन पर कोई बल लग रहा होता है। क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि प्रत्येक दशा में बल किस दिशा में लग रहा होगा?
इन सभी उदाहरणों में वस्तुओं की गति की अवस्था में परिवर्तन का कारण घर्षण बल है। फर्श तथा गेंद की सतहों के बीच लगने वाला घर्षण बल ही गतिशील गेंद को विराम अवस्था में लाता है। इसी प्रकार पानी तथा नाव की सतहों के बीच घर्षण, खेना बंद करने पर नाव को रोक देता है।
घर्षण बल सभी गतिशील वस्तुओं पर लगता है और इसकी दिशा सदैव गति की दिशा के विपरीत होती है। क्योंकि घर्षण बल दो सतहों के बीच सम्पर्क के कारण उत्पन्न होता है इसलिए यह भी सम्पर्क बल का एक उदाहरण है। इस बल के बारे में आप अधिक जानकारी अध्याय 9 में प्राप्त करेंगे। आप यह जानने के लिए उत्सुक होंगे कि क्या यह आवश्यक है कि किसी वस्तु पर बल लगने वाला बल सदैव सम्पर्क बल ही हो। आइए पता लगाएँ।
8.7 असम्पर्क बल
चुंबकीय बल
क्रियाकलाप 8.6
छड़ चुंबकों का एक युग्म लीजिए। चित्र 8.10 में दर्शाए अनुसार एक चुंबक को तीन गोल पेंसिलों या लकड़ी के बेलनों (रोलरों) पर रखिए। अब दूसरे चुंबक के एक सिरे को बेलनों पर रखे चुंबक के सिरे के समीप लाइए। ध्यान रखिए कि दोनों चुंबक एक-दूसरे को स्पर्श न करें। देखिए क्या होता है। अब चुंबक के दूसरे सिरे को बेलनों पर रखे चुंबक के उसी सिरे के समीप लाइए (चित्र 8.10)। प्रत्येक बार नोट कीजिए कि क्या होता है जब दूसरे चुंबक को बेलनों पर रखे चुंबक के समीप लाया जाता है।
चित्र 8.10 : दो चुंबकों के बीच आकर्षण तथा प्रतिकर्षण का प्रेक्षण करना।
क्या बेलनों पर रखा चुंबक, दूसरे चुंबक को समीप लाने पर गति करने लगता है? क्या यह सदैव समीप आने वाले चुंबक की दिशा में गति करता है? ये प्रेक्षण क्या सुझाते हैं? क्या इसका अर्थ यह है कि चुंबकों के बीच कोई बल अवश्य ही कार्य कर रहा है?
कक्षा VI में आप सीख चुके हैं कि दो चुंबकों के समान ध्रुव एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं तथा असमान ध्रुव एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं। दो वस्तुओं के बीच आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण को भी खींचने या धक्का देने के रूप में देखा जा सकता है। क्या चुंबकों के बीच लगने वाले बल को देखने के लिए आपको इन्हें सम्पर्क में लाना पड़ता है? एक चुंबक दूसरे चुंबक पर बगैर सम्पर्क में आए ही बल लगा सकता है। चुंबक द्वारा लगाया गया बल असम्पर्क बल का एक उदाहरण है।
इसी प्रकार, चुंबक द्वारा किसी लोहे के टुकड़े पर लगाया गया बल भी असम्पर्क बल है।
स्थिरवैद्युत बल
क्रियाकलाप 8.7
प्लास्टिक का एक स्ट्रॉ लीजिए और इसको लगभग दो बराबर भागों में काट लीजिए। धागे की सहायता से एक टुकड़े को किसी मेज़ के किनारे से लटकाइए (चित्र 8.11)। अब स्ट्रॉ के दूसरे टुकड़े को अपने हाथ में पकड़िए और इसके स्वतंत्र सिरे को कागज़ की एक शीट से रगड़िए। स्ट्रॉ के रगड़े हुए सिरे को लटके हुए स्ट्रॉ के समीप लाइए। सुनिश्चित कीजिए कि दोनों टुकड़े एक-दूसरे को स्पर्श न करें। आप क्या देखते हैं?
अब, लटके हुए स्ट्रॉ के स्वतंत्र सिरे को कागज़ की शीट से रगड़िए। फिर से दूसरे स्ट्रॉ के टुकड़े को जिसे पहले ही कागज़ की शीट से रगड़ा जा चुका है, लटके हुए स्ट्रॉ के स्वतंत्र सिरे के समीप लाइए। अब आप क्या देखते हैं?
चित्र 8.11 : कागज़ से रगड़ा हुआ स्ट्रॉ दूसरे स्ट्रॉ को आकर्षित करता है लेकिन यदि लटका हुआ स्ट्रा भी कागज़ की शीट से रगड़ा जाए तो यह उसे प्रतिकर्षित करता है।
कागज़ की शीट से रगड़ा जाने पर स्ट्रा स्थिरवैद्युत आवेश उपार्जित कर लेता है। ऐसा स्ट्रॉ आवेशित वस्तु का एक उदाहरण है।
एक आवेशित वस्तु द्वारा किसी दूसरी आवेशित अथवा अनावेशित वस्तु पर लगाया गया बल स्थिरवैद्युत बल कहलाता है। वस्तुओं के सम्पर्क में न होने पर भी यह बल कार्य करता है। इसलिए स्थिरवैद्युत बल असम्पर्क बल का एक अन्य उदाहरण है। आप अध्याय 12 में विद्युत आवेशों के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे।
गुरुत्वाकर्षण बल
आप जानते हैं कि यदि कोई सिक्का या पेन आपके हाथ से छूट जाए तो यह धरती की ओर गिरता है। पेड़ से अलग होने के पश्चात पत्तियाँ या फल भी धरती की ओर ही गिरते हैं। क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?
जब सिक्का आपके हाथ में पकड़ा हुआ है तो यह विराम अवस्था में है। जैसे ही इसको छोड़ा जाता है, यह नीचे की ओर गिरना प्रारम्भ हो जाता है। इससे स्पष्ट है कि सिक्के की गति की अवस्था में परिवर्तन होता है। क्या इस पर बिना बल लगे ऐसा हो सकता है? यह बल कौन सा है?
वस्तुएँ पृथ्वी की ओर इसलिए गिरती हैं क्योंकि यह उन्हें अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इस बल को गुरुत्व बल या केवल गुरुत्व कहते हैं। यह एक आकर्षण बल है। गुरुत्व बल प्रत्येक वस्तु पर लगता है। गुरुत्व बल हम सभी पर हर समय बगैर हमारी जानकारी के लगता रहता है। जैसे ही हम कोई नल खोलते हैं पानी धरती की ओर बहने लगता है। गुरुत्व बल के कारण ही नदियों में पानी नीचे की ओर बहता है।
गुरुत्व केवल पृथ्वी का ही गुण नहीं है। वास्तव में विश्व में सभी वस्तुएँ, चाहे वे छोटी हों या बड़ी हों, एक दूसरे के ऊपर बल लगाती हैं। यह गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है।
8.8 दाब
क्या दाब तथा बल में कोई संबंध है? आइए पता लगाएँ। किसी लकड़ी के तख्ते में एक कील को इसके शीर्ष से ठोकने का प्रयत्न कीजिए। क्या आप सफल हो पाते हैं? अब कील को नुकीले सिरे से ठोकने का प्रयत्न कीजिए (चित्र 8.12)। क्या आप इस बार इसे ठोक पाते हैं? सब्जियों को किसी कुंठित (blunt) चाकू तथा उसके बाद एक तीखे चाकू से काटने का प्रयास कीजिए। किसमें आसानी है?
चित्र 8.12 : लकड़ी के तख्ते में कील ठोकना।
क्या आपको ऐसा लगता है कि जिस क्षेत्रफल पर बल लगाया जाता है (उदाहरण के लिए, कील के नुकीले सिरे पर) वह इन कार्यों को आसान बनाने में एक भूमिका निभाता है?
किसी पृष्ठ के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को दाब कहते हैं।
$\text { दाब }=\frac{\text { बल }}{\text { क्षेत्रफल जिस पर यह लगता है }}$
यहाँ पर हम केवल उन बलों पर विचार करते हैं जो उस पृष्ठ के लम्बवत् हैं जिस पर दाब ज्ञात करना है।
अब मेरी समझ में आया कि कुलियों को जब भारी बोझ उठाना होता है तो वे अपने सिर पर एक कपड़े को गोल लपेट कर क्यों रखते हैं (चित्र 8.13)। इस प्रकार वे अपने शरीर से बोझ के सम्पर्क क्षेत्रफल को बढ़ा देते हैं। अतः उनके शरीर पर लगने वाला दाब कम हो जाता है और वे बोझा को आसानी से उठा सकते हैं।
चित्र 8.13 भारी बोझ को ले जाते हुए कुली।
ध्यान दीजिए कि उपरोक्त व्यंजक में क्षेत्रफल ‘हर’ में है। इसलिए यदि बल बराबर हो तो पृष्ठ का क्षेत्रफल जितना कम होगा उस पर दाब उतना ही अधिक होगा। कील के नुकीले सिरे का क्षेत्रफल इसके शीर्ष की अपेक्षा बहुत कम है। इसलिए वही बल कील के नुकीले सिरे को लकड़ी के तख्ते में ठोकने के लिए पर्याप्त दाब उत्पन्न कर देता है।
क्या अब आप बता सकते हैं कि कंधे पर लटकाने वाले थैलों में चौड़ी पट्टी क्यों लगाई जाती है? इन थैलों में बारीक पट्टी क्यों नहीं लगाई जाती? और, काटने तथा सूराख करने वाले औज़ारों के किनारे सदैव तीक्ष्ण क्यों होते हैं?
क्या द्रवों तथा गैसों द्वारा भी दाब लगता है? क्या यह भी उस क्षेत्रफल पर निर्भर होता है जिस पर बल कार्य करता है? आइए ज्ञात करें।
8.9 द्रवों तथा गैसों द्वारा लगाया गया दाब
क्रियाकलाप 8.8
पारदर्शी काँच की एक नली अथवा प्लास्टिक का पाइप लीजिए। पाइप/नली की लम्बाई लगभग 25 सेंटीमीटर तथा इसका व्यास लगभग 5-7.5 सेंटीमीटर होना चाहिए। एक अच्छी, पतली रबड़ की शीट भी लीजिए। आप गुब्बारे की रबड़ का प्रयोग कर सकते हैं। पाइप के एक सिरे पर रबड़ की शीट को तान कर बाँध दीजिए। पाइप को ऊर्ध्वाधर स्थिति में रखते हुए बीच में से पकड़िए (चित्र 8.14)। अपने किसी मित्र से पाइप में कुछ पानी उड़ेलने के लिए कहिए। क्या रबड़ की शीट बाहर की ओर फूल जाती है? पाइप में पानी के स्तम्भ की ऊँचाई भी नोट कीजिए। पाइप में कुछ पानी और उड़ेलिए। रबड़ शीट के फुलाव तथा पाइप में पानी के स्तम्भ की ऊँचाई को पुनः नोट कीजिए। इस प्रक्रिया को कुछ बार दोहराइए। क्या आप रबड़ शीट के फुलाव तथा पाइप में पानी के स्तम्भ की ऊँचाई में कुछ संबंध देख पाते हैं?
चित्र 8.14 : किसी बर्तन की तली पर पानी द्वारा लगाया जाने वाला दाब पानी के स्तम्भ की ऊँचाई पर निर्भर करता है।
क्रियाकलाप 8.9
प्लास्टिक की एक बोतल लीजिए। आप पानी या मृदुपेय (soft drink) की उपयोग की जा चुकी कोई बोतल ले सकते हैं। चित्र 8.15 में दर्शाए अनुसार बोतल के पेंदे के पास कुछ सेंटीमीटर लम्बी काँच की एक बेलनाकार नली लगाइए। ऐसा करने के लिए काँच की नली के एक सिरे को थोड़ा सा गर्म कीजिए और फिर जल्दी से बोतल के पेंदे के समीप घुसा दीजिए। सुनिश्चित कीजिए कि जोड़ के पास से पानी न रिसे। यदि पानी रिसता है तो इसको पिघले मोम से अच्छी प्रकार बंद कीजिए। काँच की नली के मुँह को क्रियाकलाप 8.8 के अनुसार एक पतली रबड़ की शीट से बंद कीजिए। अब बोतल को पानी से आधा भरिए। आप क्या देखते हैं? इस बार काँच की नली के मुँह पर लगाई गई रबड़ की शीट क्यों फूल जाती है?
बोतल में कुछ पानी और डालिए। क्या रबड़ की शीट के फुलाव में कुछ अन्तर आता है? ध्यान दीजिए कि रबड़ की शीट को बर्तन के नीचे
चित्र 8.15 : द्रव बर्तन की दीवारों पर दाब डालता है।
नहीं बल्कि पार्श्व में (दीवार में) लगाया गया है। क्या इस स्थिति में रबड़ शीट का फूलना यह दर्शाता है कि पानी बर्तन की दीवारों पर भी दाब डालता है? आइए इसकी और अधिक छानबीन करें।
क्रियाकलाप 8.10
प्लास्टिक की एक खाली बोतल अथवा एक बेलनाकार बर्तन लीजिए। आप खाली डिब्बा या प्लास्टिक की बोतल का उपयोग कर सकते हैं। बोतल के पेंदे के पास चारों दिशाओं में चार सूराख कीजिए। ध्यान दीजिए कि सूराख पेंदे से समान ऊँचाई पर हों। (चित्र 8.16)। अब बोतल को पानी से भरिए। आप क्या देखते हैं?
क्या सूराखों से निकलता पानी बोतल से बराबर की दूरी पर गिरता है? यह क्या दर्शाता है?
क्या अब आप कह सकते हैं कि द्रव बर्तन की दीवारों पर दाब डालते हैं?
चित्र 8.16 : द्रव बर्तन की दीवारों पर समान गहराई पर समान दाब डालते हैं।
क्या गैसें भी दाब डालती हैं? क्या वे भी जिस बर्तन में रखी जाती हैं उसकी दीवारों पर दाब डालती हैं? आइए ज्ञात करें।
जब आप किसी गुब्बारे को फुलाते हैं तो उसके मुँह को क्यों बंद करना पड़ता है? यदि किसी फुलाए
जल-संभरण के लिए प्रयोग किए जाने वाले पाइपों के लीक करते हुए जोड़ों या सूराखों से मैंने पानी के फुव्वारों को बाहर आते देखा है। क्या यह पानी द्वारा पाइप की दीवारों पर लगाए जाने वाले दाब के कारण नहीं है?
हुए गुब्बारे के मुँह को खोल दें तो क्या होता है? मान लीजिए आपके पास एक ऐसा गुब्बारा है जिसमें सूराख है। क्या आप इसे फुला पाएँगे? यदि नहीं, तो क्यों? क्या हम कह सकते हैं कि वायु प्रत्येक दिशा में दाब लगाती है?
स्मरण कीजिए कि यदि साइकिल की ट्यूब में पंक्चर हो तो इसके अंदर की हवा का क्या होता है? क्या ये प्रेक्षण दर्शाते हैं कि वायु किसी फुलाए हुए गुब्बारे या साइकिल की ट्यूब की अंदर की दीवारों पर दाब डालती है? इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गैसें जिस बर्तन में रखी जाती हैं उसकी दीवारों पर दाब डालती हैं।
8.10 वायुमंडलीय दाब
हम जानते हैं कि हमारे चारों ओर वायु है। वायु के इस आवरण को वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडलीय वायु पृथ्वी के तल से कई किलोमीटर ऊपर तक फैली हुई है। इस वायु द्वारा लगाए गए दाब को वायुमंडलीय दाब कहते हैं। हम जानते हैं कि प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को दाब कहते हैं। यदि हम एक इकाई क्षेत्रफल की कल्पना करें, और इसके ऊपर वायु से भरा एक लम्बा बेलन खड़ा हुआ मानें, तब इस बेलन में वायु पर लगने वाला गुरुत्व बल वायुमंडलीय दाब के बराबर होगा (चित्र 8.17)
चित्र 8.17 : इकाई क्षेत्रफल के वायुस्तम्भ पर लगने वाला गुरुत्व बल वायुमंडलीय दाब के बराबर है। लेकिन वायुमंडलीय दाब है कितना? आइए इसके परिमाण के बारे में विचार करें।
क्रियाकलाप 8.11
एक अच्छी रबड़ का एक चूषक (sucker) लीजिए। यह रबड़ के एक छोटे प्याले की भांति दिखाई देता है (चित्र 8.18)। इसको किसी समतल चिकने पृष्ठ पर जोर से दबाइए। क्या यह पृष्ठ से चिपक जाता है? इसको खींच कर पृष्ठ से उठाने का प्रयत्न कीजिए। क्या आप सफल हो पाते हैं?
जब आप चूषक को दबाते हैं तो कप तथा पृष्ठ के बीच की अधिकांश वायु बाहर निकल जाती है। चूषक पर वायुमंडलीय दाब लगता है इसलिए यह पृष्ठ के साथ चिपक जाता है। चूषक को पृष्ठ से खींच कर अलग करने के लिए लगाया गया बल इतना अधिक होना चाहिए कि यह वायुमंडलीय दाब पर पार पा सके। इस क्रियाकलाप से संभवतः आपको वायुमंडलीय दाब के परिमाण का अनुमान लग गया होगा। वास्तव में, यदि चूषक तथा पृष्ठ के बीच में से समस्त वायु को
निकाल दिया जाए तो किसी भी मनुष्य के लिए चूषक पृष्ठ से खींच कर अलग करना संभव नहीं होगा। क्या इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि वायुमंडलीय दाब कितना अधिक होता है?
यदि मेरे सिर का क्षेत्रफल $15 \mathrm{~cm} \times 15 \mathrm{~cm}$ हो तो मेरे सिर पर वायु कितना बल लगा रही है?
एक $15 \mathrm{~cm} \times 15 \mathrm{~cm}$ क्षेत्रफल तथा वायुमंडल की ऊँचाई के बराबर ऊँचाई के स्तम्भ में वायु के कारण लगने वाला बल लगभग $225 \mathrm{~kg}$ द्रव्यमान के किसी पिंड पर लगने वाले गुरुत्व बल (2250N) के बराबर होता है (चित्र 8.19)। इस गुरुत्व बल के नीचे हम दब कर पिचक क्यों नहीं जाते? इसका कारण है कि हमारे शरीर के अन्दर का दाब भी वायुमंडलीय दाब के बराबर है और यह बाहर के दाब को संतुलित कर देता है।
चित्र 8.19 : आपके सिर पर वायुमंडलीय दाब।
क्या आप जानते हैं?
17 वीं शताब्दी में जर्मनी के एक वैज्ञानिक ऑटो वॉन गेरिक ने बर्तनों से वायु बाहर निकालने के एक पम्प का आविष्कार किया। इस पम्प की सहायता से उन्होंने नाटकीय ढंग से वायु दाब के बल का प्रदर्शन किया। उन्होंने धातु के दो खोखले अर्धगोले लिए जिनमें प्रत्येक का व्यास $51 \mathrm{~cm}$ था। इन गोलों को एक साथ जोड़कर उनके बीच की वायु निकाल दी गई। तब प्रत्येक अर्धगोले पर आठ-आठ घोड़े विपरीत दिशा में खींचकर अलग करने के लिए लगाए। (चित्र 11.20)। वायु दाब का बल इतना अधिक था कि इतने घोड़े भी अर्धगोलों को अलग न कर पाए।
चित्र 8.20 : अर्थगोलों को खींचते हुए घोड़े।
प्रमुख शब्द
वायुमंडलीय दाब
सम्पर्क बल
स्थिरवैद्युत बल
बल
घर्षण
गुरुत्वीय बल
गुरुत्व
चुंबकीय बल
पेशीय बल
असम्पर्क बल
दाब
अभिकर्षण (खींचना)
अपकर्षण (धक्का देना)।
आपने क्या सीखा
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बल धक्का देना (अपकर्षित करना) या खींचना (अभिकर्षित करना) हो सकता है।
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बल दो वस्तुओं के बीच अन्योन्यक्रिया के कारण लगता है।
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बल का परिमाण तथा दिशा दोनों होते हैं।
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किसी वस्तु की चाल में परिवर्तन अथवा गति की दिशा में परिवर्तन अथवा दोनों में होने वाले परिवर्तन का अर्थ है इसकी गति की अवस्था में परिवर्तन होना।
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किसी वस्तु पर लगने वाला बल उसकी गति की अवस्था में अथवा उसकी आकृति में परिवर्तन कर सकता है।
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किसी वस्तु पर लगने वाला बल उसके साथ सम्पर्क में आने पर या सम्पर्क में आए बगैर लग सकता है।
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प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को दाब कहते हैं।
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द्रव तथा गैसें बर्तनों की दीवारों पर दाब लगाते हैं।
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हमारे चारों ओर की वायु द्वारा लगाए गए दाब को वायुमंडलीय दाब कहते हैं।
अभ्यास
1. धक्के या खिंचाव के द्वारा वस्तुओं की गति की अवस्था में परिवर्तन के दो-दो उदाहरण दीजिए।
2. ऐसे दो उदाहरण दीजिए जिनमें लगाए गए बल द्वारा वस्तु की आकृति में परिवर्तन हो जाए।
3. निम्नलिखित कथनों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) कुएँ से पानी निकालते समय हमें रस्सी को ……………………. पड़ता है।
(ख) एक आवेशित वस्तु अनावेशित वस्तु को ……………………. करती है।
(ग) सामान से लदी ट्रॉली को चलाने के लिए हमें उसको ……………………. पड़ता है।
(घ) किसी चुंबक का उत्तरी ध्रुव दूसरे चुंबक के उत्तरी ध्रुव को ……………………. करता है।
4. एक धनुर्धर लक्ष्य पर निशाना साधते हुए अपने धनुष को खींचती है। तब वह तीर को छोड़ती है जो लक्ष्य की ओर बढ़ने लगता है। इस सूचना के आधार पर निम्नलिखित प्रकथनों में दिए गए शब्दों का उपयोग करके रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
(ख) धनुष को खींचने के लिए धनुर्धर द्वारा लगाया गया बल ……………………. बल का उदाहरण है।
(ग) तीर की गति की अवस्था में परिवर्तन के लिए उत्तरदायी बल का प्रकार ……………………. बल का उदाहरण है।
(घ) जब तीर लक्ष्य की ओर गति करता है तो इस पर लगने वाले बल ……………………. तथा वायु के ……………………. के कारण होते हैं।
5. निम्न स्थितियों में बल लगाने वाले कारक, तथा जिस वस्तु पर बल लग रहा है, उनको पहचानिए। प्रत्येक स्थिति में जिस रूप में बल का प्रभाव दिखाई दे रहा है उसे भी बताइए।
(क) रस निकालने के लिए नींबू के टुकड़ों को अँगुलियों से दबाना।
(ख) दंत मंजन की ट्यूब से पेस्ट बाहर निकालना।
(ग) दीवार में लगे हुए हुक से लटकी कमानी के दूसरे सिरे पर लटका एक भार।
(घ) ऊँची कूद करते समय एक खिलाड़ी द्वारा एक निश्चित ऊँचाई की छड़ (बाधा) को पार करना।
6. एक औज़ार बनाते समय कोई लोहार लोहे के गर्म टुकड़े को हथौड़े से पीटता है। पीटने के कारण लगने वाला बल लोहे के टुकड़े को किस प्रकार प्रभावित करता है?
7. एक फुलाए हुए गुब्बारे को संश्लिष्ट कपड़े के टुकड़े से रगड़कर एक दीवार पर दबाया गया। यह देखा गया कि गुब्बारा दीवार से चिपक जाता है। दीवार तथा गुब्बारे के बीच आकर्षण के लिए उत्तरदायी बल का नाम बताइए।
8. आप अपने हाथ में पानी से भरी एक प्लास्टिक की बाल्टी लटकाए हुए हैं। बाल्टी पर लगने वाले बलों के नाम बताइए। विचार-विमर्श कीजिए कि बाल्टी पर लगने वाले बलों द्वारा इसकी गति की अवस्था में परिवर्तन क्यों नहीं होता।
9. किसी उपग्रह को इसकी कक्षा में प्रमोचित करने के लिए किसी रॉकेट को ऊपर की ओर प्रक्षेपित किया गया। प्रमोचन मंच को छोड़ने के तुरंत बाद रॉकेट पर लगने वाले दो बलों के नाम बताइए।
10. जब किसी ड्रॉपर के चंचु (नोज़ल) को पानी में रखकर इसके बल्ब को दबाते हैं तो ड्रॉपर की वायु बुलबुलों के रूप में बाहर निकलती हुई दिखलाई देती है। बल्ब पर से दाब हटा लेने पर ड्रॉपर में पानी भर जाता है। ड्रॉपर में पानी के चढ़ने का कारण है
(क) पानी का दाब
(ख) पृथ्वी का गुरुत्व
(ग) रबड़ के बल्ब की आकृति
(घ) वायुमंडलीय दाब
विस्तारित अधिगम - क्रियाकलाप एवं परियोजनाएँ
1. सूखे रेत की लगभग $10 \mathrm{~cm}$ मोटाई की तथा $50 \mathrm{~cm} \times 50 \mathrm{~cm}$ क्षेत्रफल की एक क्यारी बनाइए। सुनिश्चित कीजिए कि इसका ऊपरी पृष्ठ समतल हो। लकड़ी या प्लास्टिक का एक स्टूल लीजिए। ग्राफ-पेपर से $1 \mathrm{~cm}$ चौड़ी दो पट्टियाँ काटिए। स्टूल की किसी भी टाँग पर एक पट्टी को निचले सिरे पर तथा दूसरी पट्टी को ऊपर के सिरे पर चिपकाइए। अब धीरे से स्टूल को रेत की क्यारी पर इस प्रकार रखिए कि इसकी टाँगें रेत पर टिकी रहें। यदि आवश्यकता हो तो रेत की क्यारी के साइज़ को बढ़ा लीजिए। अब स्टूल की सीट पर एक बोझा, जैसे किताबों से भरा स्कूल का बस्ता, रखिए। ग्राफ-पेपर पर रेत के तल का चिह्न लगाइए। इससे आपको ज्ञात होगा कि स्टूल की टाँगें रेत में कितनी गहराई तक धँसी हैं। अब स्टूल को उलटा कीजिए जिससे कि इसकी सीट रेत की क्यारी पर टिके। स्टूल अब जिस गहराई तक धँसता है उसे नोट कीजिए। अब फिर से उसी बोझे को स्टूल पर रखिए जो आपने पहली बार रखा था। नोट कीजिए कि स्टूल कितनी गहराई तक रेत में धँसता है। दोनों स्थितियों में स्टूल द्वारा लगाए गए दाब की तुलना कीजिए।
2. एक गिलास लीजिए और इसे पानी से भरिए। गिलास के मुँह को पोस्टकार्ड जैसे एक मोटे कार्ड से ढकिए। एक हाथ से गिलास को पकड़िए तथा दूसरे हाथ से कार्ड को इसके मुँह पर दबा कर रखिए। कार्ड को हाथ से दबाते हुए गिलास को उलटा कीजिए। सुनिश्चित कीजिए कि गिलास ऊर्ध्वाधर रहे। कार्ड पर लगाए हुए हाथ को धीरे से हटाइए। आप क्या देखते हैं? क्या कार्ड नीचे गिरता है और पानी बिखर जाता है? थोड़े अभ्यास के पश्चात् आप देखेंगे कि कार्ड को सहारा देने वाले हाथ को हटा लेने पर भी कार्ड गिरता नहीं और यह पानी को गिलास में रोके रखता है। इस क्रियाकलाप को कार्ड के स्थान पर कपड़े का प्रयोग करके, करने का प्रयत्न कीजिए (चित्र 8.21)।
चित्र 8.21
3. विभिन्न साइज़ तथा आकृतियों की $4-5$ प्लास्टिक की बोतलें लीजिए। चित्र 8.22 में दर्शाए अनुसार इन्हें काँच या रबड़ की ट्यूब के छोटे टुकड़ों से जोड़िए। इस व्यवस्था को एक समतल सतह पर रखिए। अब किसी भी एक बोतल में पानी डालिए। देखिए कि जिस बोतल में पानी डाला गया है, वह पहले भरती है या सभी बोतलें साथ-साथ भरती हैं। सभी बोतलों में पानी के तल को समय-समय पर नोट कीजिए। अपने प्रेक्षणों की व्याख्या करने का प्रयत्न कीजिए।
चित्र 8.22