अध्याय 17 वह सुबह कभी तो आएगी (निबंध)
मैं बहुत छोटी थी जब गैस रिसी थी। मेरी अम्मी बताती हैं कि वह मुझे जकड़कर जहाँगीराबाद भागी थी। मेरी याददाश्त में मैंने अपना पहला कदम बीमारी में ही बढ़ाया था। और अब भी मैं उससे बच नहीं पाई हूँ। बीच में कुछ समय तक कुछ राहत थी पर अब फिर सब कुछ वापस आ गया है। मेरा गला और आँखें सूज जाती हैं, मेरा चेहरा सूजन की वजह से बड़ा रहता है, गले से अंदर ही अंदर खून बहता है। मेरी साँसें बुरी तरह से फूलने लगती हैं और मैं होश खो देती हूँ। मेरे पूरे बदन पर लाल-लाल धब्बे हैं। शुरू में ये धब्बे एक-एक रुपये के सिक्के जितने बड़े थे, पर अब तो ये छोटे हो गए हैं। मेरे दाहिने पाँव के कारण मुझे चलने में दिक्कत होती है और मेरे पैर देखो-ये छाले पड़े हुए हैं। कितना कुछ हुआ है हमें-हमारी जिंदगी गैस के कारण हमेशा के लिए बदल गई है।
मेरे अब्बू इस दुर्घटना के कारण खत्म हो गए, जब हम बहुत छोटे थे। मेरी माँ की मानसिक हालत बिगड़ गई। वह दरवाज़े पर बैठकर अब्बू का इंतज़ार करती रहती थीं। हमसे कहती कि अब्बू घर आने वाले हैं, उनके लिए चाय बना लें। वह उनके पैरों की आहट सुनतीं और चिल्लाकर कहतों कि वे घर आ गए हैं। हम उनसे कहते कि अब्बू
मर चुके हैं पर वह हमसे कहतीं कि ऐसी बातें नहीं कहते, और अगर हम फिर ऐसा कहते तो वह हमें मार देतीं। हम उनसे कहते कि जब हम बड़े हो जाएँगे तो उनकी देखभाल करेंगे। डॉक्टर लोग हमसे कहते कि उन्हें खुश रखा करें पर उनकी हालत देखकर रोए बिना रह पाना मुश्किल होता था। यह सब कुछ महीनों तक चलता रहा। धीरे-धीरे किसी तरह अम्मी ने अपने आप को सँभाला। शायद इस एहसास ने उन्हें ठीक होने में मदद की कि उन्हें ही कुछ उपाय करने होंगे ताकि हम सब जिंदा रह सकें।
मेरे अब्बू की एक दुकान थी। किसी ने उन्हें समझा-बुझाकर वह दुकान पाँच सौ रुपये में बिकवा दी। जब तक वह पैसा चला, हमें खाने को मिला। फिर मेरी अम्मी कितनी जगहों पर गईं, हर जान-पहचानवाले के पास, उधार माँगने! उन्हें दूसरों के लिए काम भी करना पड़ता। तिस पर मेरी सेहत ने मेरी अम्मी से इतना खर्च करवाया है। मैं हमेशा से ही बीमार हूँ। मेरी एक जुड़वाँ बहन है जो बिल्कुल ठीक है। मेरी अम्मी चिल्ला पड़ती थीं कि वह मेरे इतने बीमार रहने और इतने पैसे खर्च करवाने से तंग आ गई हैं।
एक बार की बात है, जब मैं बहुत बीमार थी। किसी ने मेरी अम्मी से कहा कि मुझे एक प्राइवेट डॉक्टर के पास ले जाएँ। वह डॉक्टर अच्छा माना जाता है। मुझे नर्सिंग होम ले जाया गया।
डॉक्टर ने उन्हें बताया कि मैं मरने ही वाली हूँ और मेरे इलाज के लिए सिर्फ नर्सिंग होम के बिस्तर का खर्चा ही ढाई सौ रुपये हर दिन का आएगा, इलाज का अलग। मेरी माँ ने उन्हें बताया कि हमारे पास इतने पैसे नहीं है। तब उसने कहा कि मुझे घर ले जाएँ। पर वह नहीं मानीं। मैं वहीं पड़ी रहती जब तक कि दोपहर को वह न आतीं। मुझे नहीं मालूम कि वह कहाँ से पैसे लाती। पर वह मेंरे इलाज के लिए पैसे जुटा ही लेतीं।
अब मैं आयुर्वेद की दवाएँ लेने लगी हूँ और उससे मुझे काफी आराम है। मेरे पाँव के छाले सूख रहे हैं, पसलियों का दर्द चला गया है, चेहरे की सूजन, सिर दर्द, बदन दर्द और गले से खून बहना बंद हो गया है। अब मुझे पहली बार ऐसा लगने लगा है कि मैं ठीक हो सकती हूँ। मैं यह जानती हूँ कि अभी हमें बहुत दूर जाना है। मैं इतनी खुश रहती हूँ। मैं तो अब जीना चाहती हूँ।
शब्दार्थ | |||
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जकड़ना - | कसकर पकड़ना | बदन | - शरीर |
याददाश्त - | याद रखने की शक्ति | धब्बे | - दाग |
राहत | - आराम | आहट | - आवाज़ |
सूजन | - किसी अंग का फूलना | सेहत | - स्वास्थ्य |
1. पाठ से
(क) सलमा का पहला कदम बीमारी में ही क्यों बढ़ा था?
(ख) सलमा अपनी अम्माँ से क्या कहती थी जिससे उसकी अम्माँ उसे मार देती थी?
(ग) सलमा ने ऐसा क्यों कहा कि मैं तो अब जीना चाहती हूँ?
2. दुर्घटना
“मेरे अब्बू इस दुर्घटना के कारण खत्म हो गए, जब हम बहुत छोटे थे।”
ऊपर के वाक्य से पता चलता है कि सलमा के अब्बू किसी गैस दुर्घटना के कारण मर गए थे। दुर्घटना में कुछ लोगों को अपने शरीर के अंगों को गँवाना भी पड़ जाता है। तुम हवा, आग और पानी से होने वाली दुर्घटनाओं की एक सूची बनाओ। तुम इस सूची के आगे यह भी लिखो कि इसमें क्या-क्या नुकसान होता है।
3. देखभाल
“हम उनसे कहते कि जब हम बड़े हो जाएँगे तो उनकी देखभाल करेंगे” इस वाक्य को पढ़ो और बताओ कि-
(क) कौन किसकी देखभाल करना चाहता/चाहती है?
(ख) वह बड़ा/बड़ी होकर ही देखभाल करना क्यों चाहता/चाहती है?
(ग) क्या वह छोटे होने पर देखभाल नहीं कर सकता/सकती है?
(घ) अगर वह छोटे होने पर भी देखभाल करेगा/करेगी तो क्या हो सकता है?
4. निबंध या संस्मरण
इस पाठ में भोपाल गैस त्रासदी का वर्णन हुआ है, जिसे इस त्रासदी को सहने वाली सलमा ने ‘वह सुबह कभी तो आएगी’ शीर्षक से लिखा है। अब तुम बताओ कि-
(क) तुम इसे निबंध या संस्मरण में से क्या कह सकते हो और क्यों?
(ख) अगर इसे कोई कहानी कहे तो क्या होगा?
(ग) मान लो कि अगर तुम इसे लिखते तो इसका क्या शीर्षक देते और क्यों?
(संकेत-इन प्रश्नों के उत्तर देने के लिए तुम अपने बड़ों की सहायता भी ले सकते हो।)
5. पंक्ति और शीर्षक
‘वह सुबह कभी तो आएगी’-यह इस पाठ का शीर्षक है। साथ ही यह साहिर लुधयानवी के ‘गीत’ की पंक्ति भी है। इस तरह तुम
कुछ अन्य गीतों, कविताओं, लेखों, कहानियों और प्रसिद्ध लोगों के विचारों आदि की किसी पंक्ति का चयन कर उसकी सूची बनाओ जिस पर अपने विचारों को लिख सकते हो और वह तुम्हारे लेख के लिए सही शीर्षक हो सकता है।
6. भेंट-मुलाकात
तुम्हारी भेंट-मुलाकात अक्सर कुछ ऐसे लोगों से भी होती होगी या हो सकती है जिनकी आँखें नहीं होतों, जो बोल और सुन नहीं सकते। कुछ वैसे भी लोग होंगे या हो सकते हैं जो हाथ-पैर या अपने किसी अन्य अंग से सामान्य मनुष्य की तरह काम नहीं कर सकते। अब तुम बताओ कि-
(क) यदि तुम्हें किसी गूँगे व्यक्ति से कुछ समझना हो तो क्या करोगे?
(ख) यदि तुम्हें किसी बहरे व्यक्ति को कुछ बताना हो तो क्या करोगे?
(ग) यदि तुम्हें किसी अंधे व्यक्ति को कुछ बताना हो तो क्या करोगे?
(घ) किसी ऐसे व्यक्ति के साथ खेलने का अवसर मिल जाए जो चल फिर नहीं सकता हो तो क्या करोगे?
7. उपाय
नीचे कुछ दुर्घटनाओं के बारे में लिखा हुआ है; जैसे-
(क) सड़क दुर्घटना - सड़क पर होती है
(ख) ट्रेन दुर्घटना - ट्रेन की पटरी पर होती है
(ग) हवाई दुर्घटना - धरती या आसमान कहीं भी हो सकती है
(घ) नौका दुर्घटना - जल में हो सकती है
इनके कारणों में मानवीय भूल, जानबूझकर और प्राकृतिक रूप से संबंधित कोई भी कारण हो सकता है। मान लो कि तुम्हारे आस-पास ऐसी कोई भी दुर्घटना घट जाती है तो तुम क्या-क्या करोगे?
(क) क्या तुम स्वयं को बचाओगे?
(ख) किसी और को बचाओगे?
(ग) किसी अन्य को बचने और बचाने का उपाय बताओगे?
(घ) किसी अन्य को उस दुर्घटना के बारे में बताओगे और बुलाओगे?
(ङ) क्या तुम चुपचाप रह जाओगे?
इसमें तुम जो भी करना चाहते हो, उसका कारण भी बताओ।
8. शब्द प्रयोग
मेरा गला और आँखें सूज जाती हैं, मेरा चेहरा सूजन की वजह से बड़ा रहता है।
ऊपर के वाक्य में सूज और सूजन शब्द का प्रयोग सार्थक ढंग से हुआ है। इसके साथ सूजना शब्द का प्रयोग भी किया जा सकता है। तुम भी अपने ढंग से कुछ ऐसे शब्दों की सूची बनाओ जिनके रूप में थोड़ा-बहुत अंतर हो तभी सार्थक ढंग से उसका प्रयोग किया जा सकता है; जैसे- टूट, टूटना, टूटन आदि।