अध्याय 11 हिंदी ने जिनकी जिदगी बदल दी
वह दिल्ली के सर्द जाड़ों की कोई आम सुबह ही थी जब जनपथ स्थित हंगेरियन सूचना एवं सांस्कृतिक केंद्र की जनसंपर्क अधिकारी हरलीन अहलूवालिया का फोन आया। हरलीन मुझे हंगरी की एक अंग्रेज़ हिंदी महिला विद्वान से मिलवाना चाहती थीं, जिन्हें हिंदी में किए गए उनके काम के चलते न केवल दुनिया भर में पहचान मिली थी, बल्कि अपने राष्ट्रपति अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम ने उन्हें सम्मानित भी किया था।
वह विदुषी तब चंद दिनों के लिए ही भारत में थीं और
उसी शाम उन्हें दिल्ली से बाहर जाना था। लिहाज़ा सुबह 10 बजे का समय मुलाकात के लिए तय हुआ। भले ही वह महिला हिंदी के चलते जानी-पहचानी जा रही थीं लेकिन थीं तो अंग्रेज़ लिहाज़ा उनसे पूछे जाने वाले सवालों की फेहरिस्त तैयार करते वक्त हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी का भी ध्यान रखा कि क्या पता कब संवाद के लिए इसकी ज़रूरत आ पड़े।
आश्चर्य, अंग्रेजी के सवालों की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। सुबह 10 बजे जब अपने फोटोग्राफर के साथ मैं हंगेरियन सूचना केंद्र पहुँचा तो हरलीन अपने कार्यालयी काम में व्यस्त थीं, हमें स्वागत कक्ष में बैठने को कहा गया। हम बैठकर अभी गरमा-गरम कॉफी की चुसकियाँ ले ही रहे थे कि एक भद्र अंग्रेज़ महिला आ पहुँची।
उन्होंने अभिवादन की शुरुआत हाथ जोड़कर “नमस्ते’ से की। फिर क्षमायाचना की कि दिल्ली के व्यस्त यातायात के चलते वह समय से नहीं पहुँच सकीं। हरलीन के आने के चंद मिनट बाद ही हम बातचीत में इतने मशगूल हो चुके थे कि औपचारिक परिचय की ज़रूरत ही नहों पड़ी।
वह डॉ. मारिया नेज्यैशी थीं। अप्रैल 1953 में हंगरी के बुडापेस्ट में जन्मी नेज्यैशी ने संस्कृत, लेटिन, प्राचीन यूनानी और भारत विज्ञान जैसे विषयों में एम. ए. कर संस्कृत व हिंदी में डाक्टरेट की उपाधि हासिल की।
यूरोप हिंदी समिति की उपाध्यक्ष और इयोत्वोस लोरेंड यूनिवर्सिटी में हिंदी की विभागाध्यक्ष के तौर पर अकादमिक गतिविधियों से जुड़ी नेज्चैशी ने 3 दर्जन से भी अधिक किताबों का हिंदी से हंगेरियन व हंगेरियन से हिंदी में अनुवाद किया।
हमारी बातचीत के बीच छठे विश्व हिंदी सम्मेलन व जार्ज ग्रियर्सन सम्मान से सम्मानित नेज्यैशी को भारत, यहाँ की भाषा, यहाँ के लोग, यहाँ के शहर, यहाँ की फ़िल्में, यहाँ का साहित्य, यहाँ की राजनीति और यहाँ की संस्कृति कैसी लगती है? उनका खुद का बचपन कैसा था? उनका हिंदी से जुड़ाव कैसे हुआ? जैसे तमाम सवालों से होकर गुजरना पड़ा और सभी के जवाब उन्होंने बिंदास अंदाज में दिए।
लेकिन नेज्यैशी ने बातचीत की शुरुआत शिकायतों से की। उनका कहना था कि, “भारत बहुत बड़ा देश है। यहाँ की परंपरा बहुत समृद्ध है पर यहाँ के फ़िल्म वाले इतनी छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलते ही नहीं बल्क्क झूठ दिखाते भी हैं कि उन्हें देखकर दुख होता है। आप फ़िल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ को ही लीजिए। इस पूरी फ़िल्म की शूटिंग हंगरी या यों कहिए कि हमारे शहर बुडापेस्ट में हुई थी। पर फ़िल्म में उसे इटली का शहर बता दिया गया। इस झूठ की ज़रूरत क्या थी? यों यह उस धरती के साथ भी नाइंसाफी है जिसके हुस्न को आपने कैमरे में कैद कर परदे पर दिखाया, पर जगह दूसरी बता दी।”
नेज्यैशी की इस शिकायत का कोई जवाब देते नहीं बना, लिहाजा यह कहकर कि हम आप की बात ‘हम दिल दे चुके सनम’ देखने वाले सभी दर्शकों के पास न भी पहुँचा पाए, तो अपने पाठकों तक ज़रूर पहुँचा देंगे ताकि उन्हें सच्चाई का पता चल जाए, क्षमा माँग ली। उसके बाद हिंदी से उनके जुड़ाव के बारे में मैंने जानना चाहा तो वह जैसे अपने बचपन में लौट गईं।
“हंगरी में संयुक्त परिवार की सोच नहीं है। पति-पत्नी व बच्चे। बच्चे भी केवल 20 साल की उम्र तक माता-पिता के साथ रह सकते हैं। कुल मिलाकर एक इकाई का छोटा परिवार। तकरीबन 30 साल पहले मेरे माता-पिता का तलाक हो गया था। दोनों ने दूसरा विवाह किया।”
“आज मेरी माँ की उम्र 81 साल है, पर वह अकेले रहती हैं। मेरी मौसी 86 साल की हैं, वह भी अकेली हैं। वे दोनों इस उम्र में भी स्वायत्त हैं। मैंने भी शादी नहीं की। काम व शादी में एक को चुनना था। बच्चे, पति व परिवार के साथ मैं वह नहीं कर पाती जो आज कर रही हूँ। मैंने हिंदी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।”
“दरअसल, मेरो जिंदगी के शुरुआती 20 साल बहुत छोटी-सी जगह पर बीते। मैं बचपन से ही इंसानी जीवन के शुरुआती दौर को जानने के लिए लालायित थी। इसीलिए मैंने ग्रीक, लेटिन, यूनानी और संस्कृत भाषाएँ पढ़ीं। एम. ए. की पढ़ाई के बाद मैं एक प्रकाशन संस्थान से भी जुड़ी। उस दौरान हंगरी में केवल 1-2 सज्जन ही हिंदी जानते थे।”
हिंदी ने जिनकी जिंदगी बदल दी-मारिया नेग्यैशी/75
“मेरे प्रोफ़ेसर ने मेरी रुचियों को देखकर मुझे हिंदी पढ़ने के लिए प्रेरित किया और एक बार जो मैं इससे जुड़ी तो जुड़ती चली गई। 1985 में मैं पढ़ाई के सिलसिले में पहली बार भारत आई और यहाँ 10 माह तक रुकी। एक लड़की, जिसने घर से कॉलेज की चारदीवारी ही देखी हो, उसने हिंदी की बदौलत पूरी दुनिया देख ली।”
“आज मैं विएना में पढ़ाती हूँ। मेरे एक शिष्य इमरे बांगा आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाते हैं।”
“इंग्लैंड में हिंदी के तमाम जानकारों के बीच एक हंगेरियन का हिंदी पढ़ाने के लिए चुना जाना कम बड़ी बात नहीं है। जहाँ तक हंगरी की बात है तो मेरे समय में वहाँ न तो हिंदी भाषी लोग थे और न ही किताबें थीं। डॉ. हुकुम सिंह नामक एक गणितज्ञ ने हिंदी सीखने में मेरी काफी मदद की।”
“आज हंगरी में मैंने हिंदी का पुस्तकालय बना रखा है, जिसकी किताबें भारतीय दूतावास ने उपलब्ध कराई हैं। मैं बुडापेस्ट में भारतीय पोशाक ही पहनती हूँ, जिसे देख मेरे छात्रों में भी इसके प्रति ललक बढ़ी है। कड़ाके की ठंड के चलते वहाँ सलवार-सूट ही ठीक है इसलिए साड़ी कम पहनते हैं।”
भारत की कौन-सी चीज़ें आपको सबसे अच्छी…? वाक्य पूरा होता इससे पहले ही वह बोल पड़ीं, “यहाँ के मानवीय संबंध मुझे अच्छे लगते हैं। मेरे खुद के ढेरों रिश्ते
यहाँ हैं, जो सालों-साल से बरकरार हैं। पिता, भाई व दोस्त की तरह। यहाँ के लेखकों ने मुझे प्रभावित किया। असगर वजाहत के साथ हंगरी में 5 साल तक साथ-साथ काम किया। अशोक वाजपेयी, राजेंद्र यादव, अशोक चक्रधर व जैनेंद्र कुमार जैसे लेखकों से मेरा संपर्क रहा। भारतीय खाने में पूरी, मटर-पनीर भी मुझे पसंद है।”
यहाँ का कौन-सा शहर व कौन-सी फ़िल्में आप को पसंद हैं? नेज्यैशी का जवाब था, “दिल्ली तो अपना शहर है, इसलिए कुछ कहूँगी नहीं। मैं 7 साल बाद दिल्ली आई तो सीएनजी का असर देखा। यहाँ का प्रदूषण कम हुआ है, हरियाली बढ़ी है। पांडिचेरी, मैसूर व उदयपुर भी मुझे काफी पसंद हैं। सच कहूँ तो जहाँ भीड़ कम है, हवा ज्यादा है, वे शहर मुझे पसंद हैं।”
“रही फ़िल्मों की बात तो भारतीय फ़िल्में हंगरी में बहुत कम पहुँचती हैं। वैसे भी पूरे हंगरी में केवल 500 हिंदुस्तानी हैं। 10 साल पहले तो ये केवल 50 थे। जहाँ तक मेरी बात है तो मुझे फ़िल्म ‘उमराव जान’ काफी अच्छी लगी। नसीरुद्दीन शाह व शबाना आजमी मुझे अच्छे लगते हैं। शायद इसलिए कि ये कला फ़िल्मों से जुड़े कलाकार हैं। मनोरंजन की ज़रूरत तो इंसान को कभी-कभी पड़ती है पर कला फ़िल्में जिंदगी का हिस्सा हैं। आप इनसे मुँह कैसे मोड़ सकते हैं?”
धर्म और राजनीति के बारे में नेज्यैशी के खयाल पूरी तरह से तार्किक हैं। उनके मुताबिक, “मैं हर तरह के मंदिर, मस्जिद व चर्च गई हूँ, पर मैं न इधर की हूँ, न मैं उधर की। मैंने धर्म के बारे में काफी कुछ पढ़ा है और मैं इसके हर रूप से परिचित हूँ। लेकिन हर धर्म का आदर करते हुए भी मैं किसी एक धर्म को नहीं मानती।”
“रही राजनीति तो चूँकि मैं समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ पढ़ती हूँ, खबरिया चैनल देखती हूँ, इसलिए इसके बारे में थोड़ी बहुत समझ है। दरअसल, हंगरी में रहकर आप राजनीति के प्रभावों से बच नहीं सकते। वहाँ पिछले 15 सालों में काफी बदलाव हुए हैं। लेकिन भारत की राजनीति को समझने के लिए पूरी जिंदगी चाहिए।”
नेज्यैशी से आखिर में आधुनिकता को लेकर उनके विचारों के बारे में पूछा। अचरज यह कि उन्होंने आधुनिकता से असहजता जताई। उनका कहना था, “बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रभाव इतना अधिक बढ़ गया है कि जगह की, सामान की खासियत और विविधता खत्म हो गई है।”
“हर जगह फास्ट फूड, एक जैसे साबुन, एक जैसा पेय, एक जैसे शैंपू… यह क्या है? यह ठीक है कि भूमंडलीकरण ने हमें जोड़ा है, इससे हम एक-दूसरे से जुड़े हैं और एक-दूसरे को समझ पा रहे हैं। पर लोग यह क्यों नहीं समझते कि पूरी धरती ही हमारी है। अगर हम इसे खराब करेंगे, तो इसका नतीजा सबको भुगतना होगा। कैटरीना, सुनामी, विल्मा, भूकंप और भी न जाने क्या क्या?”
“मैं एक अनुभव से अपनी बात खत्म करना चाहूँगी। एक बार मैं सूरीनाम के घनघोर जंगलों की तरफ़ गई, जहाँ से नदी मार्ग के अलावा गुजरने का कोई दूसरा रास्ता नहीं था। हमने नाव पकड़ी, काफी अंदर तक गए। यानी उस इलाके तक गए जहाँ आबादी नहीं थी। बस्तियाँ, कल-कारखाने नहीं थे, उद्योग-धंधे नहीं थे पर वहाँ भी प्लास्टिक से बनी पानी की एक बोतल तैरती हुई मिली।”
“मैंने सुना है समुद्र में कहीं एक प्लास्टिक का द्वीप बन गया है, जो जल्द ही महाद्वीप बन जाएगा। हमें सोचना होगा कि इन चीजों का पर्यावरण पर क्या असर होगा। हम ऐसी दुनिया में जिएँएगे कैसे? क्या ऐसे ही विश्व की कल्पना की थी हम सबने? क्या यही विश्व हमें मिलेगा?”
-जय प्रकाश पांडेय
शब्दार्थ | |
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फेहरिस्त | सूची |
अभिवादन | शिष्टाचार का तरीका |
क्षमा याचना | माफ़ी माँगना |
नाइंसाफी | अन्याय |
ललक | इच्छा |
लालायित | ललचाया हुआ |
बदौलत | कृपा से, दया मेहरबानी से |
कड़ाके | जोरदार |
बरकरार | बनाए रखना |
मुँह मोड़ना | बेरुखी करना,ध्यान न देना |
तार्किक | तर्कपूर्ण |
मुताबिक | अचरज |
अनुसार | आश्चर्य |
खासियत | विशेषता |
विविधता | कई तरह का |
पेय | पीने वाले पदार्थ |
कैटरीना | तूफ़ान का नाम |
सुनामी | समुद्री तूफ़ान |
विल्मा | तूफान |
1. पाठ से
(क) मारिया को किस कार्य के लिए सम्मानित किया गया?
(ख) मारिया ने अनेक भाषाओं का अध्ययन क्यों किया?
(ग) मारिया बुडापेस्ट में कौन-सी भारतीय पोशाक पहनना पसंद करती हैं और क्यों?
2. अपनी-अपनी पसंद
नीचे दी गई तालिका में मारिया की और तुम अपनी पसंद लिखो?
क्र.सं. | मारिया की पसंद | तुम्हारी पसंद |
---|---|---|
(क) भारतीय खाना | ………………………. | ………………………. |
(ख) शहर | ………………………. | ………………………. |
(ग) फ़िल्म | ………………………. | ………………………. |
(घ) कलाकार | ………………………. | ………………………. |
(ङ) भाषा | ………………………. | ………………………. |
(च) भारतीय पोशाक | ………………………. | ………………………. |
(छ) कार्यक्रम | ………………………. | ………………………. |
3. क्षमायाचना और शिकायत
(क) इस भेंटवार्ता की शुरुआत में ही मारिया ने क्षमायाचना क्यों की?
(ख) उसने भेंटवार्ता की शुरुआत किस तरह की शिकायतों से की?
(ग) तुम भी कभी क्षमायाचना और शिकायतों का व्यवहार करते होगे। बताओं वह कौन-कौन से अवसर होते हैं और किन-किन चीज़ों के बारे में किस-किस से तुम क्षमा याचना और शिकायत करते हो?
4. कुछ यह भी करो
मान लो कि तुम्हारे स्कूल और किसी अन्य स्कूल के बीच क्रिकेट मैच हुआ और उसमें तुम्हारे स्कूल की क्रिकेट टीम की जीत हुई हो। मगर, किसी समाचार-पत्र में खबरें तो सही रूप में तुम्हारे स्कूल और किसी अन्य स्कूल के बीच में खेले गए मैचों की छापी गई हो और उसके साथ जो तस्वीरें छापी गई हों, वह किसी दूसरे मैच में खेलने वाली टीम की हो। इसके लिए तुम शिकायत करना चाहो तो क्या-क्या करोगे?
5. झूठ और सच की बात
“यहाँ के फ़िल्म वाले इतनी छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलते ही नहीं बल्कि झूठ दिखाते भी हैं।”
ऊपर मारिया ने भेंटकर्ता से जो बात कही है उसको पढ़ो। अब बताओ कि-
(क) तुम इस बात से कहाँ तक और क्यों सहमत हो?
(ख) क्या सिनेमा में झूठ और सच की बातें दिखाना ज़रूरी होता है? यदि हाँ तो क्यों?
6. साथ-साथ
“हंगरी में संयुक्त परिवार की सोच नहीं है। पति-पत्नी व बच्चे। बच्चे भी केवल 20 साल की उम्र तक माता-पिता के साथ रह सकते हैं। कुल मिलाकर एक इकाई का छोटा परिवार।”
ऊपर के वाक्यों को पढ़ो और बताओ कि-
(क) भारत में बच्चे कब तक माता-पिता के साथ रह सकते है और क्यों?
(ख) तुम्हें अगर हंगरी या किसी अन्य देश में रहने की आवश्यकता हो तो किन-किन चीज़ों को साथ रखना चाहोगे और क्यों?
7. मातृभाषा
नीचे दिए गए शब्दों को अपनी मातृभाषा में लिखो और उन पर अपने मित्रों से चर्चा करो-
(क) नमस्ते -……………………….
(ख) घर -……………………….
(ग) सड़क -……………………….
(घ) समाचार-पत्र -……………………….
(ङ) पानी -……………………….
(च) साबुन -……………………….
(छ) धरती -……………………….
(ज) जंगल -……………………….
( झ) सुबह -……………………….
8. साफ़-सफ़ाई
(क) मारिया को समुद्र में प्लास्टिक के द्वीप और धरती को खराब करने वाली चीज़ों से चिंता हुई है। क्या तुम्हें भी अपने आस-पास में फैली गंदगी, कूड़े-कचरे के ढेर और तुम्हारे वातावरण को खराब करने वाली चीज़ों को देखकर चिंता होती है? कारण सहित उत्तर दो।
(ख) तुम अगर अपने आस-पास, घर, स्कूल व अपने परिवेश की
साफ़-सफ़ाई करना चाहो तो क्या-क्या स्वयं कर सकते हो और क्या-क्या करने में तुम्हें अपने मित्रों, संबंधियों, शिक्षकों और अन्य लोगों की सहायता लेनी पड़ सकती है?
9. दो-दो समान अर्थ
नीचे एक शब्द के दो समान अर्थ दिए गए हैं। जैसे-
नमूना - धरती - पृथ्वी, धरा
अब तुम भी इन शब्दों के दो-दो समान अर्थ लिखो
(क) दोस्त $\quad$-………………………., $\quad$-……………………….
(ख) माँ $\quad$-………………………., $\quad$-……………………….
(ग) पानी $\quad$-………………………., $\quad$-……………………….
(घ) नारी $\quad$-………………………., $\quad$-……………………….
10. काफ़ी या कॉफ़ी?
‘काफ़ी’ शब्द का अर्थ है - पर्याप्त और ‘कॉफ़ी’ का अर्थ होता है एक पेय पदार्थ। दोनों शब्दों की वर्तनी में केवल थोड़ा-सा अंतर होने से अर्थ बदल गया है।
तुम दिए गए शब्दों को पढ़ो और वाक्य बनाओ।
(क) बाल, बॉल
(ख) हाल, हॉल
(ग) चाक, चॉक
(घ) काफ़ी, कॉफ़ी
11. नीचे दिए गए वाक्यों को सही शब्दों से पूरा करो
(क) रमा ने कमरे में फूल ………………………. दिए (सज़ा/सजा)
(ख) माँ दही ………………………. भूल गई। (ज़माना/जमाना)
(ग) घोड़ा ………………………. दौड़ता है। (तेज़/तेज)
(घ) शीला ने मुझे एक ………………………. की बात बताई। (राज/राज़)
(ङ) उदित सितार बजाने के ………………………. में माहिर है। (फ़न/फन)
(च) कप में ………………………. सी चाय बची थी। (जरा/ज़रा)
12. संचार माध्यमों की दुनिया
(क) तुम पढ़ने-लिखने में किन-किन संचार माध्यमों का उपयोग करते हो?
(ख) उनमें से तुम्हें सबसे उपयुक्त क्या और क्यों लगता है?