अध्याय 03 चिट्ठियों में यूरोप (पत्र)

प्रिय नीलू, शेरू, ककू, पूत्रक और तुम सबकी मम्मी

तुम सबको खूब प्यार।

आज यहाँ पहुँचे एक हफ़्ता हो गया। मौसम अच्छा चल रहा है। यहाँ बसंत आ रहा है। सारे पेड़ नंगे खड़े हैं; एक अपनी विद्या जैसा पेड़ है जो हरा है, एक और जो नए साल पर घर-घर लगाया जाता है। फिर भी फूल आ रहे हैं। एक नीले और बैंगनी रंग का फूल है जो अपने यहाँ की सफ़ेद कुमुदनी जैसे होते हैं। कुछ लाल, कुछ पीले। खुशबू नहीं होती। आज इतवार है-सो एक बजे खाना खाकर आए और लिखने बैठ गए। आज हमने जो खाना खाया वह योगर्ट से शुरू हुआ-जैसा आइसक्रीम कप होता है वैसा बड़े कप में। रोज सूप होता है। उसमें सफेद सेम जैसी-यहाँ की बीन लंबी और पतली होती है-बरबटी जैसी। फिर आइसक्रीम। यही तीन कोर्स रोज सुबह शाम होते हैं। खाते खाते उकताहट हो रही है। कभी-कभी चावल होता है- स्ट्यू यानी करी के साथ खाने के लिए। एक दिन

खरे सिके चिल्ले जैसी एक मिठाई आई उसमें खट्टी बेरी का गूदा भरा था। सेवइयाँ पानी में उबली-सूप में रहती हैं। और ब्रेड। सुबह ब्रेड बटर, मार्मलेड (जेली) या शहद। 30 ग्राम की छोटी-छोटी प्लास्टिक डिबियों में।

शहर के बीच ‘दूना’ (Danube) नदी बहती है। यह यूरोप के कई देशों में बहती है। नक्शे में देखोगे तो मिल जाएगी, ‘नेविसाद’ (NOVISAD)

शहर भी मिल जाएगा। हमने तुम लोगों के लिए इटली के सिक्के, यहाँ के सिक्के, एक सिक्का इण्डोनेशिया का - मॉरिशस की कुछ टिकटें इकट्ठे किए हैं। चीज़ें यहाँ बहुत महंगी हैं - लोग कहते हैं मत खरीदो! रोज़ बाज़ार से गुजरते हैं तो तुम लोगों की याद आती है बच्चों को देखकर।

जो नदी है उसमें बड़े-बड़े यात्री जहाज चलते हैं। इस देश के भी और हंगरी के भी। कल हमने देखे। यहाँ फुटबॉल बहुत खेलते हैं। 14 से 20 अप्रैल तक यहाँ विश्व टेबल टेनिस चैम्पियनशिप होने वाली है। एकाध रोज़ देखेंगे। बाज़ार में 20-20 मंजिल, $10-10$ मंजिल की बिल्डिगें हैं। यहाँ इस शहर में हज़ारों वर्षों पहले आए भारतीयों की संतानें हैं - यूरोपीय मालूम होते हैं। यहीं की वेशभूषा,

भाषा। लड़के स्केटिंग के बहुत शौकीन हैं। हमारे कमरे की खिड़की से खेल के मैदान दिखते हैं। इस समय एक मैदान में फुटबॉल मैच हो रहा है। एक टीम की वर्दी सफ़ेद है दूसरे की लाल। मैदान यहाँ से लगभग आधा फर्लांग दूर है पर हमारा कमरा पाँचवों मंजिल पर है- इसलिए साफ दिखता है। कमरे की खिड़की कमरे के बराबर ऊँची और चौड़ी है। अब हम लोग 22 हो गए हैं - 17 देश। माल्टा, मारीशस, मेक्सिको, बोलीविया, नाइजीरिया, माली, अंगोला, बंगलादेश, अफगानिस्तान, इजिप्ट, जॉर्डन, इण्डोनेशिया, भारत, चीन, कोरिया, थाइलैंड। नेपाल का एक लड़का दुभाषिया है टंक प्रसाद ढकाल। कल हम लोग शहर से बाहर एक पॉल्ट्री फार्म देखने जाएँगे - यूनिवर्सिटी की बस से।

कल दोपहर हमने शादी पार्टी के बाद घर जा रही एक दुल्हन भी देखी, अपनी खिड़की से। सफ़ेद कपड़े पहने थी, नीचे से ऊपर तक। सर पर सफ़ेद टोपी जैसी दिख रही थी। पचासेक लोग थे। आगे के हाल बाद की चिट्डी में लिखेंगे। तुम लोग गौतम से एरोग्राम मँगा कर हमको चिट्ठी लिखना। तुम सबको प्यार। अच्छे से रहना ताकि माँ को तकलीफ़ न हो।

अभ्यास

शब्दार्थ
हफ़्ता - सप्ताह
उकताहट - बेचैनी, अधीरता
दुभाषिया - दो भाषाएँ जाननेवाला मध्यस्थ जो उन भाषाओं के बोलनेवाले दो व्यक्तियों की वार्ता के अवसर पर एक को दूसरे का अभिप्राय समझाए
विद्या जैसा पेड़ - पत्र लेखक का संकेत मोरपंखी की ओर है।
योगर्ट - दही जैसा खाने का एक पदार्थ
बरबटी - एक पतली लंबी फली
खरा सिका - खूब अच्छी तरह सिका सिका हुआ, करारा
चिल्ला - खाने की चीज
पचासेक - लगभग पचास (संख्या)
फर्लांग - दूरी का एक माप
एरोग्राम - विदेश भेजे जाने वाली चिट्ठी

1 पत्र के आधार पर

इस पत्र के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दो -

(क) इस पत्र का लेखक किस शहर/देश की यात्रा पर गया था?

(ख) उस देश में कौन-कौन से खेल-खेले जाते हैं? वहाँ कौन-सा खेल सबसे अधिक लोकप्रिय है?

(ग) उस देश के कुछ खाद्य पदार्थों के नाम बताओ।

(घ) लेखक ने यह क्यों कहा कि “अच्छे से रहना ताकि माँ को तकलीफ़ न हो?”

2 पत्र से आगे

(क) भारतीय खाने की कुछ चीज़ें जैसे-चावल, सेवइयाँ, मिठाइयाँ यूरोप में अलग ढंग से खाई जाती हैं। क्या भारत में ये चीज़ें अलग-अलग ढंग/तरीकों से बनाई और खाई जाती हैं? पता करो और बताओ।

(ख) दूना नदी यूरोप के कई देशों में बहती है। भारत में भी अनेक ऐसी नदियाँ हैं जो कई राज्यों के बीच बहती हैं। ऐसी कुछ नदियों के नाम लिखो। यह भी पता करो कि वे कौन-कौन से राज्यों में से होकर बहती हैं।

नदी का नाम राज्यों के नाम
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3 मौसम और ॠतुएँ

पत्र में लिखा गया है कि “मौसम अच्छा चल रहा है। यहाँ बसंत आ रहा है।”

भारत के अलग-अलग भागों में भी अलग-अलग तरह का मौसम रहता है। साल भर अलग-अलग ऋतुएँ अपना प्रभाव दिखाती हैं। अब तुम बताओ कि तुम्हारे प्रदेश में साल भर मौसम कैसा रहता है?

4 खान-पान

(क) अपने प्रदेश की कुछ खाने-पीने की चीज़ों के नाम बताओ।

(ख) अपने मनपसंद व्यंजन को बनाने का तरीका पता करो और लिखो।

सामग्री -

विधि -

5. इकट्ठा करने का शौक

इसी पुस्तक के किसी पाठ में है कि कुछ लोगों को कोई खास वस्तु इकट्वा करने का शौक होता है। कुछ लोग गुड़िया, पुस्तकें, चित्र तो कुछ लोग डाक-टिकट इकट्ठे करते हैं।

(i) यदि तुम्हें भी कोई चीज़ इकट्ठा करने का शौक है तो उसके बारे

में अपने साथियों को बताओ।

(ii) अपने या अपने किसी परिचित के बारे में लिखो जो इस तरह की चीज़ें इकट्ठा करता हो। तुम इन चीज़ों के बारे में लिख सकते हो-

(क) उन्हें कौन-सी चीज़ इकट्ठा करने का शौक है?

(ख) वे इन्हें कहाँ-कहाँ से इकट्ठा करते हैं?

(ग) उनके इस शौक की शुरुआत कैसे हुई?

(घ) वे इकट्ठी की गई चीज़ों को कैसे सँभालकर रखते हैं?

(ङ) इन चीज़ों को इकट्ठा करने और रखने में कौन-कौन सी समस्याएँ होती हैं?

6. पेड़-पौधों के नाम

इस पत्र में लेखक ने अलग-अलग तरह के पेड़-पौधों का ज़िक्र किया है। पता लगाओ, वे कौन से पेड़-पौधे हो सकते हैं। इस काम के लिए तुम अपने अध्यापकों, अपने साथियों, पुस्तकालय या अन्य साधनों की भी सहायता ले सकते हो।

संकेत

(क) जिसे नए साल पर लगाते/सजाते हैं

(ख) सफेेद कुमुदनी जैसा नीला-बैंगनी फूल

(ग) लाल और पीले फूल वाले पौधे

7. मानचित्र में

इस पत्र में अनेक देशों, शहरों और नदियों का ज़िक्र किया गया है। नीचे दिए गए मानचित्र में उन स्थानों के नाम भरो-

8 पत्रों के माध्यम

(क) “तुम लोग गौतम से एरोग्राम मँगाकर हमको चिट्डी लिखना।”

ऊपर के वाक्य पर ध्यान दो और किसी डाकघर में जाकर पता करो कि ‘एरोग्राम’ किसे कहते हैं। साथ ही यह भी पता करो कि पत्र भेजने के लिए वहाँ कौन-कौन से साधन उपलब्ध हैं?

(ख) आधुनिक तकनीक द्वारा भेजे जाने वाले पत्रों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करो। जैसे-ई-मेल, फैक्स आदि।

9 पत्रों का संकलन

पत्र अपने समय के महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की बातों/विचारों का दस्तावेज़ होता है। इसलिए महत्त्वपूर्ण पत्रों का संकलन भी किया जाता है और समय-समय पर उससे लाभ भी उठाया जाता है। तुम्हें पता होगा कि भारत की आज़ादी के लिए क्रांतिकारी आंदोलन भी चला था जिसमें सरदार भगत सिंह भी शामिल थे। स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान उनके द्वारा अपने मित्रों को लिखे गए एक पत्र को आगे दिया गया है। तुम इसे पढ़ो।

साथियो,

जिंदा रहने की ख्वाहिश कुदरती तौर पर मुझमें भी होनी चाहिए। मैं इसे छिपाना नहीं चाहता। लेकिन मेरा जिंदा रहना मशरूत (सशर्त) है। मैं बंदी बनकर या पाबंद होकर जिंदा रहना नहीं चाहता। मेरा नाम हिंदुस्तानी इंकलाब पार्टी का निशान बन चुका है और इंकलाब पसंद पार्टी के आदर्शों और बलिदानों ने मुझे बहुत ऊँचा कर दिया है। इतना ऊँचा कि जिंदा रहने की सूरत में इससे ऊँचा मैं हरगिज नहीं हो सकता।

आज मेरी कमज़ोरियाँ लोगों के सामने नहीं हैं। अगर मैं फाँसी से बच गया तो वे जाहिर हो जाएँगी और इंकलाब का निशान मद्धिम पड़ जाएगा या शायद मिट ही जाए। लेकिन मेरे दिलेराना ढंग से हँसते-हँसते फाँसी पाने की सूरत में हिंदुस्तानी माताएँ अपने बच्चों के भगत सिंह बनने की आरजू किया करेंगी और देश की आजादी के लिए बलिदान होने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि इंकलाब को रोकना साम्राज्यवाद की संपूर्ण शैतानी शक्तियों के बस की बात न रहेगी।

हाँ, एक विचार आज भी कचोटता है। देश और इंसानियत के लिए जो कुछ हसरतें मेरे दिल में थीं, उनका हजारवाँ हिस्सा भी मैं पूरा नहीं कर पाया। अगर जिंदा रह सकता तो शायद इनको पूरा करने का मौका मिल जाता और मैं अपनी हसरतें पूरी कर सकता।

इसके सिवा कोई लालच मेरे दिल में फाँसी से बचा रहने के लिए कभी नहीं आया। मुझसे ज्यादा खुशकिस्मत और कौन होगा? मुझे आजकल अपने आप पर बहुत नाज है। अब तो बड़ी बेताबी से आखिरी इतिहां का इंतजार है। आरजू है कि यह और करीब हो जाए।

आपका साथी

अब तुम बताओ कि

1. तुम्हें इस पत्र द्वारा आज़ादी से पहले किसके बारे में और क्या जानकारी मिली।

2. तुमने देखा कि पत्रों द्वारा तुम्हें देश-विदेश की ही नहीं बल्कि किसी भी समय, किसी भी महत्त्वपूर्ण बात की जानकारी मिल सकती है। तुम अपनी पसंद के विभिन्न समय, समाज और महत्त्वपूर्ण संदर्भों से जुड़े कुछ पत्रों का एक संकलन तैयार करो तथा उस पर अपने साथियों के साथ बातचीत भी करो।



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