अध्याय 08 बीजीय व्यंजक एवं सर्वसमिकाएँ
8. 1 बीजीय व्यंजकों का योग एवं व्यवकलन
पिछली कक्षाओं में हम बीजीय व्यंजकों (अथवा केवल व्यंजकों) के बारे में जानकारी प्राप्त कर चुके हैं।
पिछली कक्षाओं में हमने यह भी सीखा है कि बीजीय व्यंजकों को कैसे जोड़ा और घटाया जाता है, उदाहरणार्थ
विचार कीजिए कि हम योगफल कैसे ज्ञात करते हैं। जोड़े जाने वाले प्रत्येक व्यंजक को हम विभिन्न पंक्तियों में लिखते हैं। ऐसा करते समय हम समान पदों को एक दूसरे के ऊपर-नीचे लिखते हैं और, जैसा ऊपर दर्शाया गया है, हम उन समान पदों को जोड़ते हैं। अतः
उदाहरण 1:
हल : समान पदों को एक दूसरे के ऊपर-नीचे रखकर तीन व्यंजकों को विभिन्न पंक्तियों में लिखते हुए, हम प्राप्त करते हैं :
इस प्रकार व्यंजकों का योग
उदाहरण 2:
हल :
नोट किसी संख्या का घटाना उसके योज्य प्रतिलोम को जोड़ने के समान है। इस प्रकार -3 को घटाना, +3 को जोड़ने के समान है, इसी प्रकार
को घटाना, को जोड़ने जैसा है। को घटाना को जोड़ने के समान है और इसी प्रकार अन्य दूसरी पंक्ति के प्रत्येक पद के नीचे तीसरी पंक्ति में लिखे चिह्न से यह जानने में सहायता मिलती है कि कौन सी संक्रिया की जाती हैं।
प्रश्नावली 8.1
1. निम्नलिखित का योग ज्ञात कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
2. (a)
(b)
(c)
8.2 बीजीय व्यंजकों का गुणन
(i) बिंदुओं के निम्नलिखित प्रतिरूप को देखिए :


बिंदुओं की संख्या ज्ञात करने के लिए हमें पंक्तियों की संख्या के व्यंजक को स्तंभों की संख्या के व्यंजक से गुणा करना है।
यहाँ पंक्तियों की संख्या 2 बढ़ाई गई है, अर्थात्
और स्तंभों की संख्या 3 बढ़ाई गई है, अर्थात्
(ii) क्या आप ऐसी और परिस्थितियों के बारे में सोच सकते हैं जिनमें दो बीजीय व्यंजकों को गुणा करना पड़ता हो? अमीना उठकर कहती है। “हम आयत के क्षेत्रफल के बारे में सोच सकते हैं।” आयत का क्षेत्रफल

आयत का क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए - हमें
अथवा के रूप के बीजीय व्यंजकों को गुणा करना पड़ता है।
(iii) क्या आप आयतन के बारे में सोच सकते हैं? (एक आयताकार बक्से का आयतन उसकी लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई के गुणनफल से प्राप्त होता है।)
(iv) सरिता कहती है कि जब हम वस्तुएँ खरीदते हैं तो हमें गुणा करना पड़ता है। उदाहरणार्थ यदि प्रति दर्जन केलों का मूल्य

मान लीजिए, प्रति दर्जन केलों का मूल्य 2 रुपये कम होता और पिकनिक के लिए 4 दर्जन कम केलों की आवश्यकता होती तो, प्रति दर्जन केलों का मूल्य
प्रयास कीजिए
क्या आप ऐसी और दो परिस्थितियों के बारे में सोच सकते हैं जहाँ हमें बीजीय व्यंजकों को गुणा करना पड़ सकता है?
[नोट :
चाल और समय के बारे में सोचिए।
- साधारण ब्याज, मूलधन और साधारण ब्याज की दर इत्यादि के बारे में सोचिए।]
उपर्युक्त सभी उदाहरणों में हमने दो अथवा अधिक राशियों का गुणन किया है। यदि राशियाँ बीजीय व्यंजकों के रूप में दी हुई हैं और हमें उनका गुणनफल ज्ञात करना है तो इसका अर्थ यह हुआ कि हमें यह जानना चाहिए कि यह गुणनफल कैसे प्राप्त किया जाए। आइए, इसे क्रमानुसार करते हैं। सबसे पहले हम दो एकपदियों का गुणन करते हैं।
8.3 एकपदी को एकपदी से गुणा करना
जिस व्यंजक में केवल एक पद होता है उसे एकपदी कहते हैं।
8.3.1 दो एकपदियों को गुणा करना
हम प्रारंभ करते हैं
इसी प्रकार,
ध्यान दीजिए एकपदियों के तीनों गुणनफल
, भी एकपदी हैं।
अब निम्नलिखित गुणनफलों पर विचार कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
कुछ और उपयोगी उदाहरण इस प्रकार हैं :
(iv)
नोट कीजिए :
अर्थात्, गुणनफल का गुणांक प्रथम एकपदी का गुणांक द्वितीय एकपदी का गुणांक और अर्थात्, गुणनफल का बीजीय गुणनखंड
प्रथम एकपदी का बीजीय गुणनखंड द्वितीय एकपदी का बीजीय गुणनखंड।
(v)
ध्यान दीजिए कि हमने दोनों एकपदियों के बीजीय भागों के विभिन्न चरों की घातों को कैसे इकट्ठा किया है। ऐसा करने के लिए हमने घातों के नियमों का उपयोग किया है।
8.3.2 तीन अथवा अधिक एकपदियों को गुणा करना
निम्नलिखित उदाहरणों पर विचार कीजिए :
(i)
(ii)
यह स्पष्ट है कि हम सर्वप्रथम पहले दो एकपदियों को गुणा करते हैं और इस प्रकार गुणनफल के रूप में प्राप्त एकपदी को तीसरे एकपदी से गुणा करते हैं। बहुसंख्य एकपदियों को गुणा करने के लिए इस विधि का विस्तार किया जा सकता है।
प्रयास कीजिए
ज्ञात कीजिए : सर्वप्रथम
ज्ञात कीजिए और फिर उसे से गुणा कीजिए, अथवा सर्वप्रथम ज्ञात कीजिए और इसे से गुणा कीजिए। क्या परिणाम एक जैसा है? आप क्या विचार करते हैं? क्या गुणा करते समय क्रम का महत्त्व है? हम दूसरे तरीके से भी इस गुणनफल को ज्ञात कर सकते हैं :
उदाहरण 3 : एक आयत के, जिसकी लंबाई और चौड़ाई दी हुई है, क्षेत्रफल की सारणी को पूरा कीजिए :
हल :
लंबाई | चौड़ाई | क्षेत्रफल |
---|---|---|
उदाहरण 4 : निम्नलिखित सारणी में तीन आयताकार बक्सों की लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई दी हुई हैं। प्रत्येक का आयतन ज्ञात कीजिए :
लंबाई | चौड़ाई | ऊँचाई | |
---|---|---|---|
(i) | |||
(ii) | |||
(iii) |
हल : आयतन
अत:
(i)
प्रश्नावली 8.2
1. निम्नलिखित एकपदी युग्मों का गुणनफल ज्ञात कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
2. निम्नलिखित एकपदी युग्मों के रूप में लंबाई एवं चौड़ाई रखने वाले आयतों का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए :
3. गुणनफलों की सारणी को पूरा कीजिए :
4. ऐसे घना आकार बक्सों का आयतन ज्ञात कीजिए जिनकी लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई क्रमश: निम्नलिखित हैं :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
5. निम्नलिखित का गुणनफल ज्ञात कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
8.4 एकपदी को बहुपद से गुणा करना
दो पदों वाला व्यंजक द्विपद कहलाता है। तीन पदों वाले व्यंजक को त्रिपद कहते हैं और इसी प्रकार अन्य। व्यापकतः एक अथवा अधिक पदों वाला व्यंजक जिसके गुणांक शून्येतर हों और जिसके चरों की घात ॠणेतर पूर्णांक हों, बहुपद कहलाता है।
8.4.1 एकपदी को द्विपद से गुणा करना
आइए, एकपदी
एकपदी और द्विपद का गुणा द्विपद होता है।
हम सामान्यतः अपने परिकलनों में वितरण के नियम का उपयोग करते हैं। उदाहरणार्थ
इसी प्रकार,
और
द्विपद एवं एकपदी के गुणनफल के बारे में आपका क्या विचार है? उदाहरणार्थ
इसी प्रकार
प्रयास कीजिए
गुणनफल ज्ञात कीजिए :
(i)
(ii)
8.3.2 एकपदी को त्रिपद से गुणा करना
त्रिपद के प्रत्येक पद को एकपदी से गुणा कीजिए और गुणनफल को जोड़ दीजिए।
विचार कीजिए वितरण नियम के उपयोग से हम एक पद का एक पद के साथ गुणन करने में सक्षम हैं।
प्रयास कीजिए
का गुणनफल ज्ञात कीजिए।
उदाहरण 5 : व्यंजकों को सरल कीजिए और निर्देशानुसार मान ज्ञात कीजिए :
(i)
(ii)
हल :
(i)
उदाहरण 6 : जोडिए :
(i)
(ii)
हल :
(i) प्रथम व्यंजक
अब द्वितीय व्यंजक जोड़ने पर
(ii) प्रथम व्यंजक
उदाहरण 7:
हल : हम प्राप्त करते हैं
घटाने पर
प्रश्नावली 8.3
1. निम्नलिखित युग्मों में प्रत्येक के व्यंजकों का गुणन कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
2. सारणी पूरा कीजिए :
प्रथम व्यंजक | द्वितीय व्यंजक | गुणनफल | |
---|---|---|---|
(i) | - | ||
(ii) | - | ||
(iii) | - | ||
(iv) | - | ||
(v) | - |
3. गुणनफल ज्ञात कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
4. (a)
(b)
5. (a)
(b)
(c)
(d)
8.5 बहुपद को बहुपद से गुणा करना
8.5.1 द्विपद को द्विपद से गुणा करना
आइए, एक द्विपद
ध्यान दीजिए एक द्विपद् का प्रत्येक पद दूसरे द्विपद के प्रत्येक पद् से गुणा होता है।
जब हम एक द्विपद का एक द्विपद के साथ गुणन करते हैं, तो हम आशा करते हैं कि
बहुपद को बहुपद से गुणा करते समय हमें समान पदों को ढूँढ़ लेना चाहिए और उन्हें मिला लेना चाहिए।
उदाहरण 8 : गुणा कीजिए :
(i)
(ii)
हल :
(i)
(ii)
उदाहरण 9 : गुणा कीजिए :
(i)
(ii)
हल :
नोट कीजिए कि इस गुणन में कोई भी समान पद नहीं हैं।
(ii)
8.5.2 द्विपद को त्रिपद से गुणा करना
इस गुणन में हमें त्रिपद के प्रत्येक पद को द्विपद के प्रत्येक पद से गुणा करना पड़ेगा। इस प्रकार हमें
उदाहरण 10 : सरल कीजिए :
हल : हम प्राप्त करते हैं :
(ध्यान दीजिए
और
इसलिए,
प्रश्नावली 8.4
1. द्विपदों को गुणा कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
2. गुणनफल ज्ञात कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
3. सरल कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
(vii)
(viii)
हमने क्या चर्चा की?
1. चरों एवं अचरों की सहायता से व्यंजक बनते हैं।
2. व्यंजक बनाने के लिए पदों को जोड़ा जाता है। स्वयं पदों का निर्माण गुणनखंडों के गुणनफल के रूप में होता है।
3. व्यंजक जिनमें एक, दो तथा तीन पद होते हैं क्रमशः एकपदी, द्विपदी और त्रिपदी कहलाते हैं। सामान्यत: एक अथवा अधिक पदों वाला व्यंजक जिसमें पदों के गुणांक शून्येतर पूर्णांक हैं और चरों की घात ॠणेतर है, बहुपद कहलाता है।
4. समान चरों से समान पद बनते हैं, और इन चरों की घात भी समान होती है। समान पदों के गुणांक समान होने आवश्यक नहीं है।
5. बहुपदों को जोड़ने (अथवा घटाने) के लिए सबसे पहले समान पदों को ढूँढ़िए और उन्हें जोड़ (अथवा घटा) दीजिए, उसके पश्चात् असमान पदों को उपयोग में लीजिए।
6. बहुत सी परिस्थितियों में हमें बीजीय व्यंजकों को गुणा करने की आवश्यकता होती है। उदाहरणार्थ आयत का क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए, जिसकी भुजाएँ बीजीय व्यंजकों के रूप में दी हुई हैं।
7. एकपदी को एकपदी से गुणा करने पर हमेशा एकपदी प्राप्त होता है।
8. बहुपद को एकपदी से गुणा करने के लिए बहुपद का प्रत्येक पद एकपदी से गुणा किया जाता है।
9. बहुपद का द्विपद (अथवा त्रिपद) से गुणन करने के लिए हम एक पद को एक-एक पद से गुणा करते हैं, अर्थात् बहुपद का प्रत्येक पद द्विपद (अथवा त्रिपद) के प्रत्येक पद से गुणा किया जाता है। ध्यान दीजिए इस प्रकार के गुणन में, हमें गुणनफल में समान पद प्राप्त हो सकते हैं और उन्हें मिलाना पड़ सकता है।