अध्याय 12 गुणनखंड
12.1 भूमिका
12.1.1 प्राकृत संख्याओं के गुणनखंड
आपको याद होगा कि आपने गुणनखंडों (factors) के बारे में कक्षा VI में पढ़ा था। आइए, एक प्राकृत संख्या लेते हैं। मान लीजिए यह संख्या 30 है। हम इसे अन्य प्राकृत संख्याओं के गुणनफल के रूप में लिखते हैं, जैसे
इस प्रकार
हम जानते हैं कि 30 को इस रूप में भी लिखा जा सकता है :
इस प्रकार, 1 और 30 भी 30 के गुणनखंड हैं। आप देखेंगे कि 1 प्रत्येक संख्या का एक गुणनखंड होता है उदाहरणार्थ,
होता है। परंतु जब भी हम किसी संख्या को गुणनखंडों के गुणनफल के रूप में लिखेंगे, तो हम, 1 को गुणनखंड के रूप में तब तक नहीं लिखेंगे। जब तक विशेष रूप से आवश्यक न हो। अभाज्य गुणनखंड रूप में
लिखते हैं।
70 का अभाज्य गुणनखंड रूप
इसी प्रकार, हम बीजीय व्यंजकों (algebraic expression) को भी उनके गुणनखंडों के गुणनफलों के रूप में व्यक्त कर सकते हैं। इसका हम इस अध्याय में अध्ययन करेंगे।
12.1.2 बीजीय व्यंजकों के गुणनखंड
हम कक्षा VII में देख चुके हैं कि बीजीय व्यंजकों के पद (terms) गुणनखंडों के गुणनफलों के रूप में बनते हैं। उदाहरणार्थ, बीजीय व्यंजक
ध्यान दीजिए कि 1 पद
, का एक गुणनखंड है, क्योंक
वास्तव में, 1 प्रत्येक पद का एक गुणनखंड होता है। प्राकृत संख्याओं की स्थिति की ही तरह, जब तक विशेष रूप से आवश्यक न हो, हम 1 को किसी भी पद का अलग से गुणनखंड नहीं लिखते हैं।
ध्यान दीजिए कि
अब, व्यंजक
व्यंजक
12.2 गुणनखंडन क्या है?
जब हम किसी बीजीय व्यंजक के गुणनखंड करते हैं, तो हम उसे गुणनखंडों के गुणनफल के रूप में लिखते हैं। ये गुणनखंड, संख्याएँ, बीजीय चर या बीजीय व्यंजक हो सकते हैं।
इसके विपरीत
12.2.1 सार्व गुणनखंडों की विधि
- हम एक सरल उदाहरण से प्रारंभ करते हैं :
के गुणनखंड कीजिए। हम इसके प्रत्येक पद को अखंडनीय गुणनखंडों के गुणनफल के रूप में लिखेंगे :
ध्यान दीजिए कि गुणनखंड 2 दोनों पदों में उभयनिष्ठ (सार्व) है। देखिए, बंटन नियम द्वारा
अत: हम लिख सकते हैं कि
इस प्रकार, व्यंजक
अब,
ध्यान दीजिए कि दोनों पदों में 5 और
हम दोनों पदों को बंटन नियम द्वारा संयोजित करते हैं :
अतः
उदाहरण 1:
हल : हम पाते हैं :
इन दोनों पदों में
अत:
उदाहरण 2:
हल :
इन तीनों पदों में सार्व गुणनखंड
अत:

प्रयास कीजिए
गुणनखंड कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
12.2.2 पदों के पुनः समूहन द्वारा गुणनखंडन
व्यंजक
आइए,
इसी प्रकार,
अत :
ध्यान दीजिए कि यहाँ दाएँ पक्ष के दोनों पदों में एक सार्व गुणनखंड
अब, व्यंजक
पुनः समूहन ( regrouping) क्या है?
मान लीजिए कि उपरोक्त व्यंजक
पुन: समूहन एक से अधिक विधियों द्वारा संभव हो सकता है। मान लीजिए कि हम उपरोक्त व्यंजक को
गुणनखंड वही हैं (जैसा कि उन्हें होना चाहिए), यद्यपि वे विभिन्न क्रम में दिखाई दे रहे हैं।
उदाहरण 3 :
हल :
चरण 1 जाँच कीजिए कि क्या सभी पदों में कोई सार्व गुणनखंड है। यहाँ कोई नहीं है।
चरण 2 समूहन के बारे में सोचिए। ध्यान दीजिए कि पहले दो पदों में सार्व गुणनखंड
अंतिम दो पदों के बारे में क्या कहा जा सकता है? उन्हें देखिए। यदि आप इनका क्रम बदलकर
अत:
चरण 3 (a) और (b) को एक साथ रखने पर,
इस प्रकार,
प्रश्नावली 12.1
1. दिए हुए पदों में सार्व गुणनखंड ज्ञात कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
(vii)
(viii)
2. निम्नलिखित व्यंजकों के गुणनखंड कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
(vii)
(viii)
(ix)
(x)
(तीनों पदों को मिलाने पर)
3. गुणनखंड कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
12.2.3 सर्वसमिकाओं के प्रयोग द्वारा गुणनखंडन
हम जानते हैं कि
निम्नलिखित हल किए उदाहरणों से यह स्पष्ट हो जाएगा कि गुणनखंडन के लिए इन सर्वसमिकाओं (identities) का किस प्रकार प्रयोग किया जा सकता है। पहले हम दिए हुए व्यंजक को देखते हैं। यदि यह उपरोक्त सर्वसमिकाओं में से किसी एक के दाएँ पक्ष के रूप का है, तो उस सर्वसमिका के बाएँ पक्ष के संगत व्यंजक से वांछित गुणनखंड प्राप्त हो जाते हैं।
उदाहरण 4:
हल : इस व्यंजक को देखिए। इसके तीन पद हैं। अतः इसमें सर्वसमिका III का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। साथ ही, इसके पहले और तीसरे पद पूर्ण वर्ग हैं तथा बीच वाले पद का चिह्न धनात्मक है। अतः यह
इस प्रकार,
उदाहरण 5 :
हल : ध्यान दीजिए कि
उदाहरण 6:
हल : यहाँ दो पद हैं। दोनों ही पूर्ण वर्ग हैं तथा दूसरा ॠणात्मक है अर्थात् यह व्यंजक
उदाहरण 7:
हल : दिए हुए व्यंजक के पहले तीन पदों से
इस प्रकार
ध्यान दीजिए कि वांछित गुणनखंडन प्राप्त करने के लिए, हमने किस प्रकार एक के बाद एक दो सर्वसमिकाओं का प्रयोग किया है।
उदाहरण 8:
हल : हम देखते हैं कि
अतः दिए हुए व्यंजक में सर्वसमिका III का प्रयोग होगा।
इसलिए
अब
अब
इसलिए
12.2.4 के रूप के गुणनखंड
आइए अब चर्चा करें कि हम एक चर वाले व्यंजकों, जैसे
परंतु ये
इसके लिए हमें
उदाहरण 9:
हल : यदि हम सर्वसमिका (IV) के दाएँ पक्ष (RHS) से
यदि
आइए,
आइए
तब, इस दिए हुए व्यंजक का गुणनखंड रूप
व्यापक रूप में,
के प्रकार के बीजीय व्यंजक के गुणनखंड करने के लिए, हम के (अर्थात् अचर >पद के) दो गुणनखंड और इस प्रकार ज्ञात करते हैं कि
तब, यह व्यंजक हो जाता है :
या
या
या
उदाहरण 10:
हल : हम देखते हैं कि
इसलिए
ध्यान दीजिए कि इस बार हमने
उदाहरण 11:
हल : यहाँ
अत:
उदाहरण 12:
हल : हम देखते हैं कि 3 सभी पदों का एक सार्व गुणनखंड है।
अत :
अब,
प्रश्नावली 12.2
1. निम्नलिखित व्यंजकों के गुणनखंड कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
(vii)
(viii)
2. गुणनखंड कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
(vii)
(viii)
3. निम्नलिखित व्यंजकों के गुणनखंड कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
(vii)
(viii)
(ix)
4. गुणनखंड कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
5. निम्नलिखित व्यंजकों के गुणनखंड कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
12.3 बीजीय व्यंजकों का विभाजन
हम सीख चुके हैं कि बीजीय व्यंजकों को किस प्रकार जोड़ा और घटाया जाता है। हम यह भी जानते हैं कि दो व्यंजकों को किस प्रकार गुणा किया जाता है। परंतु हमने एक बीजीय व्यंजक से दूसरे व्यंजक के विभाजन पर अभी तक चर्चा नहीं की है इस अनुच्छेद में, हम यही करना चाहते हैं।
आपको याद होगा कि विभाजन (division) गुणन (multiplication) की प्रतिलोम संक्रिया है। इस प्रकार,
यही हम बीजीय व्यंजकों के विभाजन (या भाग देने) के लिए भी कर सकते हैं। उदाहरणार्थ,
(i)
अत:
तथा साथ ही,
(ii)
अत:
तथा साथ ही,
अब हम ध्यानपूर्वक देखेंगे कि एक व्यंजक को अन्य व्यंजक से किस प्रकार विभाजित किया जा सकता है। प्रारंभ करने के लिए, हम एक एकपदी (monomial) का एक अन्य एकपदी से विभाजन पर विचार करेंगे।
12.3.1 एकपदी का एक अन्य एकपदी से विभाजन
हम
अब हम
इस प्रकार,
सार्व गुणनखंडों को निरस्त करने की एक संक्षिप्त विधि वह है जो हम संख्याओं के विभाजन में करते हैं।
जैसे
उदाहरण 13 : निम्नलिखित विभाजन कीजिए :
(i)
(ii)
हल :
(i)
अत:
प्रयास कीजिए
भाग दीजिए :
(i)
को से (ii)
को से
12.3 .2 एक बहुपद का एक एकपदी से विभाजन
आइए, एक त्रिपद (trinomial)
[यहाँ, हम बहुपद (polynomial) के प्रत्येक पद को गुणनखंड के रूप में लिखते हैं।] हम पाते हैं कि
अत:
वैकल्पिक रूप में, हम त्रिपद के प्रत्येक पद को, निरस्तीकरण की विधि का प्रयोग करते हुए, उस एकपदी से भाग दे सकते थे :

उदाहरण 14 : उपरोक्त दोनों विधियों का प्रयोग करते हुए,
हल :
अतः
वैकल्पिक रूप में
12.4 बहुपद का बहुपद से विभाजन
पर विचार कीजिए।
हर के साथ
क्या यह अंश के प्रत्येक पद् को हर में दिए द्विपद से भाग देने में कोई सहायता करेगा?
अब,
उदाहरण 15:
हल :
(कोष्ठक में से सार्व गुणनखंड
अत:
उदाहरण 16:
हम अंश और हर में से सार्व गुणनखंड
और को काट देते हैं।
हल : भाज्य
इस प्रकार,
प्रश्नावली 12.3
1. निम्नलिखित विभाजन कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
2. दिए हुए बहुपद को दिए हुए एकपदी से भाग दीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
3. निम्नलिखित विभाजन कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
4. निर्देशानुसार भाग दीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
5. व्यंजक के गुणनखंड कीजिए और निर्देशानुसार भाग दीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
(vii)
हमने क्या चर्चा की?
1. जब हम किसी व्यंजक का गुणनखंड करते हैं, तो हम उसे गुणनखंडों के गुणनफल के रूप में लिखते हैं। ये गुणनखंड, संख्याएँ, बीजीय चर या बीजीय व्यंजक हो सकते हैं।
2. एक अखंडनीय गुणनखंड वह गुणनखंड है जिसे और आगे गुणनखंडों के गुणनफल के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता है।
3. किसी व्यंजक का गुणनखंड करने की एक क्रमबद्ध विधि सार्व गुणनखंड विधि है। इस विधि के तीन चरण होते हैं : (i) व्यंजक के प्रत्येक पद को अखंडनीय गुणनखंडों के गुणनफल के रूप में लिखिए। (ii) सार्व गुणनखंडों का पता लगाइए और उन्हें अलग कर लीजिए। (iii) प्रत्येक पद में शेष गुणनखंडों को बंटन नियम के अनुसार संयोजित कीजिए।
4. कभी-कभी एक दिए हुए व्यंजक के सभी पदों में एक सार्व गुणनखंड नहीं होता है, परंतु इन पदों के कुछ समूह इस प्रकार बनाए जा सकते हैं कि प्रत्येक समूह के सभी पदों में एक सार्व गुणनखंड होता है। जब हम ऐसा करते हैं, तो सभी समूहों में एक सार्व गुणनखंड प्रकट हो जाता है, जिससे हम व्यंजक के गुणनखंड प्राप्त कर लेते हैं। यह विधि पुन:समूहन विधि कहलाती है।
5. पुनःसमूहन द्वारा गुणनखंडन में, यह याद रखना चाहिए कि व्यंजक के पदों के प्रत्येक पुनःसमूहन पुनःव्यवस्था से गुणनखंड प्राप्त नहीं होते हैं। हमें व्यंजक को देखना चाहिए तथा प्रयास और भूल-विधि से वांकित पुनःसमूहन प्राप्त करना चाहिए।
6. गुणनखंडन किए जा सकने वाले व्यंजकों में से अनेक
7. उन व्यंजकों में, जिनके गुणनखंड
8. हम जानते हैं कि संख्याओं की स्थिति में विभाजन, गुणा की प्रतिलोम संक्रिया होती है। यही बात बीजीय व्यंजकों के विभाजन के लिए भी लागू रहती है।
9. एक बहुपद को एक एकपदी से विभाजन की स्थिति में, हम या तो विभाजन, बहुपद के प्रत्येक पद को उस एकपदी से भाग देकर कर सकते हैं या सार्व गुणनखंड विधि से कर सकते हैं।
10. एक बहुपद को एक बहुपद से विभाजन की स्थिति में, हम भाज्य बहुपद के प्रत्येक पद को भाजक बहुपद से भाग देकर विभाजन नहीं कर सकते। इसके स्थान पर, हम प्रत्येक बहुपद के गुणनखंड करते हैं और इनमें सार्वगुणनखंडों को काट देते हैं।
11. इस अध्याय में पढ़े गए बीजीय व्यंजकों के विभाजनों की स्थिति से हमें
भाज्य
परंतु व्यापक रूप में यह संबंध निम्नलिखित है :
भाज्य
इस प्रकार, इस अध्याय में हमने केवल उन विभाजनों की चर्चा की है, जिनमें शेषफल शून्य है।