अध्याय 06 जीवों में श्वसन

बूझो अपने दादा-दादी से मिलने के लिए उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा था, जो एक साल के बाद शहर आ रहे थे। वह शीघ्र से शीघ्र बस स्टॉप पहुँचना चाहता था, ताकि उनका स्वागत कर सके। इसलिए वह भागता हुआ गया और कुछ ही मिनट में बस स्टॉप पहुँच गया। उसकी साँस तेज़ी से चल रही थी। उसकी दादी ने उससे पूछा कि वह हाँफ क्यों रहा है? बूझो ने बताया कि वह घर से दौड़ता हुआ आया है। उसे आश्चर्य हुआ कि दौड़ने के बाद वह साँस तेज़ी से क्यों लेने लगता है। यह प्रश्न उसके मस्तिष्क में घूमता रहा। बूझो के प्रश्न का उत्तर जानने से पहले यह समझना आवश्यक है कि हम साँस क्यों लेते हैं? साँस लेना श्वसन प्रक्रम का एक चरण है। आइए, हम श्वसन के बारे में पढ़ें।

6.1 हम श्वसन क्यों करते हैं?

अध्याय 2 में आपने पढ़ा था कि सभी जीव सूक्ष्म इकाइयों के बने होते हैं, जिन्हें कोशिकाएँ कहते हैं। कोशिका जीव की सबसे छोटी संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई होती है। जीव की प्रत्येक कोशिका पोषण, परिवहन, उत्सर्जन और जनन जैसे कुछ कार्यों को संपादित करने में कुछ न कुछ भूमिका निभाती है। इन कार्यों को करने के लिए कोशिका को ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यहाँ तक कि हमें खाना खाते, सोते अथवा पढ़ते समय भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। लेकिन यह ऊर्जा आती कहाँ से है? क्या आप बता सकते हैं कि आपके माता-पिता आपसे नियमित रूप से भोजन करने के लिए आग्रह क्यों करते हैं? भोजन में संचित ऊर्जा श्वसन के समय निर्मुक्त होती है। अतः सभी जीवों को भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए श्वसन की आवश्यकता होती है। श्वसन के प्रक्रम में हम पहले साँस द्वारा वायु को शरीर के अंदर ले जाते हैं। आप जानते हैं कि वायु में ऑक्सीजन होती है। फिर हम साँस छोड़ते हुए वायु को शरीर से बाहर निकालते हैं। इस वायु में साँस द्वारा अंदर ली गई वायु की तुलना में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है, अर्थात् यह कार्बन डाइऑक्साइड समृद्ध होती है। हम जिस वायु को साँस द्वारा अंदर लेते हैं, उसमें उपस्थित ऑक्सीजन शरीर के सभी भागों में और अंततः प्रत्येक कोशिका में ले जायी जाती है। कोशिकाओं में यह ऑक्सीजन भोजन के विखंडन में सहायता करती है। कोशिका में भोजन के विखंडन के प्रक्रम में ऊर्जा मुक्त होती है। इसे कोशिकीय श्वसन कहते हैं। सभी जीवों की कोशिकाओं में कोशिकीय श्वसन होता है।

कोशिका के अंदर, भोजन (ग्लूकोस) ऑक्सीजन का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड और जल में विखंडित हो जाता है। जब ग्लूकोस का विखंडन ऑक्सीजन के उपयोग द्वारा होता है, तो यह वायवीय श्वसन कहलाता है। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में भी भोजन विखंडित हो सकता है। यह प्रक्रम अवायवीय श्वसन कहलाता है। भोजन के विखंडन से ऊर्जा निर्मुक्त होती है।

ग्लूकोस $\xrightarrow{\text { ऑक्सीजन की उपस्थिति में }}$ कार्बन डाइऑक्साइड + जल + ऊर्जा

संभवतः आपको मालूम होगा कि यीस्ट जैसे अनेक जीव, वायु की अनुपस्थिति में जीवित रह सकते हैं। ऐसे जीव अवायवीय श्वसन के द्वारा ऊर्जा प्राप्त करते हैं। इन्हें अवायवीय जीव कहते हैं। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ग्लूकोस, ऐल्कोहॉल और कार्बन डाइऑक्साइड में विखंडित हो जाता है, जैसा कि निम्न समीकरण द्वारा दिखाया गया है:

यीस्ट एक-कोशिक जीव है। यीस्ट अवायवीय रूप से श्वसन करते हैं और इस प्रक्रिया के समय ऐल्कोहॉल निर्मित करते हैं। अतः इनका उपयोग शराब (वाइन) और बियर बनाने के लिए किया जाता है।

ग्लूकोस $\xrightarrow{\text { ऑक्सीजन की उपस्थिति में }}$ ऐल्कोहॉल + कार्बन डाइऑक्साइड + ऊर्जा

हमारी पेशी-कोशिकाएँ भी अवायवीय रूप से श्वसन कर सकती हैं, लेकिन ये ऐसा थोड़े समय तक ही कर सकती हैं। वास्तव में, यह प्रक्रम उस समय होता है, जब ऑक्सीजन की अस्थायी रूप से कमी हो जाती है। बहुत देर तक व्यायाम करने, तेज़ी से दौड़ने, कई घंटे टहलने, साइकिल चलाने अथवा भारी वजन उठाने जैसे अनेक कार्यों के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है (चित्र 6.1), लेकिन ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए हमारे शरीर को ऑक्सीजन की आपूर्ति सीमित होती है। ऐसी स्थितियों में पेशी कोशिकाएँ अवायवीय श्वसन द्वारा ऊर्जा की अतिरिक्त माँग को पूरा करती हैं-

चित्र 6.1 व्यायाम करते समय हमारे शरीर की कुछ पेशियाँ अवायवीय रूप से श्वसन कर सकती हैं

ग्लूकोस (पेशी में) $\xrightarrow{\text { ऑक्सीजन की उपस्थिति में }}$ लैक्टिक अम्ल + ऊर्जा

क्या आपने कभी सोचा है कि अत्यधिक व्यायाम करने के बाद आपकी पेशियों में ऐंठन क्यों होती है? ऐंठन तब होती है, जब पेशियाँ अवायवीय रूप से श्वसन करती हैं। इस प्रक्रम में ग्लूकोस के आंशिक विखंडन से लैक्टिक अम्ल और कार्बन डाइऑक्साइड बनते हैं। लैक्टिक अम्ल का संचयन पेशियों में ऐंठन उत्पन्न करता है। गर्म पानी से स्नान करने अथवा शरीर की मालिश करवाने पर हमें ऐंठन से आराम मिलता है। क्या आप अनुमान लगा सकते हैं, ऐसा क्यों होता है? गर्म जल से स्नान अथवा शरीर की मालिश करने से रक्त का संचरण बढ़ जाता है। इसके परिणामस्वरूप पेशी कोशिकाओं को ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है। ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाने से लैक्टिक अम्ल का कार्बन डाइऑक्साइड और जल में पूर्ण विखंडन हो जाता है।

6.2 श्वसन

क्रियाकलाप 6.1

चेतावनी
इस क्रियाकलाप को अपने शिक्षक/शिक्षिका की उपस्थिति में करें।

अपने नथुनों और मुख को कसकर बंद कर लीजिए और घड़ी की ओर देखिए। आप कितनी देर तक इन दोनों को बंद रख पाए? कुछ समय बाद आपने क्या महसूस किया? आप उस समय को नोट कीजिए, जब तक आप अपनी साँस को रोके रख सके (चित्र 6.2)।

चित्र 6.2 साँस को रोकना

बूझो ने नोट किया कि जब कुछ देर तक साँस रोके रखने के बाद् उसने साँस छोड़ी, तो उसे तेज़ साँस लेनी पड़ी। क्या आप उसे बता सकते हैं कि ऐसा क्यों हुआ?

अतः अब आप यह जान गए होंगे कि आप बिना साँस लिए अधिक देर तक जीवित नहीं रह सकते।

श्वसन या साँस लेने का अर्थ है ऑक्सीजन से समृद्ध वायु को अंदर खींचना या ग्रहण करना और कार्बन डाइऑक्साइड से समृद्ध वायु को बाहर निकालना। ऑक्सीजन से समृद्ध वायु को शरीर के अंदर लेना अंत:श्वसन और कार्बन डाइऑक्साइड से समृद्ध वायु को बाहर निकालना उच्छ्वसन कहलाता है। यह एक सतत् प्रक्रम है, जो प्रत्येक जीव के जीवन में हर समय अर्थात् जीवनपर्यंत होता रहता है।

कोई व्यक्ति एक मिनट में जितनी बार श्वसन करता है, वह उसकी श्वसन दर कहलाती है। अंत:श्वसन और उच्छ्वसन दोनों साथ-साथ होते रहते हैं। एक श्वास अथवा साँस का अर्थ है, एक अंत:श्वसन और एक उच्छ्वसन। क्या आप अपनी श्वसन दर पता लगाना चाहेंगे? क्या आप यह जानना चाहेंगे कि श्वसन दर स्थिर होती है अथवा यह शरीर की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तित होती रहती है? आइए, हम इसका पता लगाने के लिए एक क्रियाकलाप करते हैं।

क्रियाकलाप (6.2)

सामान्यतः हमें यह आभास ही नहीं होता है कि हम श्वसन कर रहे हैं। हालाँकि यदि आप कोशिश करें, तो आप श्वसन दर की गणना कर सकते हैं। इसे ज्ञात करने के लिए आप विश्राम की स्थिति में बैठ कर साँस लीजिए और छोड़िए। पता लगाइए कि आप एक मिनट में कितनी बार साँस अंदर लेते और कितनी बार बाहर निकालते हैं? क्या आप उतनी ही बार अंतःश्वसन करते हैं, जितनी बार उच्छ्वसन करते हैं? अब तेज़ चलने और दौड़ने के बाद अपनी श्वसन दर (श्वसन संख्या/मिनट) की गणना कीजिए। अपनी श्वसन दर को दौड़ना बंद करने के तुरंत बाद और फिर पूर्ण विश्राम कर लेने के बाद ज्ञात कीजिए। अपने निष्कर्षों को सारणी 6.1 में लिखिए और विभिन्न स्थितियों में अपनी श्वसन दर की तुलना अपने सहपाठियों की श्वसन दर से कीजिए।

उपर्युक्त क्रियाकलाप से आपने यह अवश्य अनुभव किया होगा कि जब किसी व्यक्ति को अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है, तो वह तेज़ी से श्वसन करने लगता/लगती है। इसके परिणामस्वरूप हमारी कोशिकाओं को अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है। यह भोजन के विखंडन की दर को बढ़ा देती है, जिससे अधिक ऊर्जा निर्मुक्त होती है। क्या इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि शारीरिक क्रियाकलाप के बाद हमें भूख क्यों लगती है?

कोई वयस्क व्यक्ति विश्राम की अवस्था में एक मिनट में औसतन 15-18 बार साँस अंदर लेता और बाहर निकालता है। अधिक व्यायाम करने में श्वसन दर 25 बार प्रति मिनट तक बढ़ सकती है। जब हम व्यायाम करते हैं, तो हम न केवल तेज़ी से साँस लेते हैं, बल्कि हम गहरी साँस भी लेते हैं और इस प्रकार अधिक ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं।

सारणी 6.1 विभिन्न परिस्थितियों में श्वसन दर में परिवर्तन

सहपाठी का नाम श्वसन दर
सामान्य
अवस्था में
10 मिनट तक तेज़
चलने के उपरांत
100 मीटर दौड़ने
के बाद
विश्राम
अवस्था में
स्वयं

पहेली जानना चाहती है कि जब हमें नींद आती है या झपकी आती है, तो हम जम्हाई क्यों लेते हैं?

जब आप उनींदें होते हैं, तो क्या आपकी श्वसन दर कम होती जाती है? क्या आपके शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल पाती है?

क्रियाकलाप (6.3)

किसी व्यक्ति द्वारा सामान्य दिन में किए जाने वाले विभिन्न क्रियाकलापों पर विचार कीजिए। क्या आप बता सकते हैं कि किस क्रियाकलाप में श्वसन दर सबसे कम और किसमें सबसे अधिक होगी? अपने अनुभव के आधार पर चित्र 6.3 में दिए गए क्रियाकलापों को श्वसन की बढ़ती दर के क्रम में (संख्या द्वारा) व्यक्त कीजिए।

चित्र 6.3 विभिन्न दैनिक क्रियाकलाप करने में श्वसन दर भिन्न होती है

6.3 हम श्वास कैसे लेते हैं?

आइए, अब हम श्वसन की क्रियाविधि जानें। सामान्यत: हम अपने नथुनों (नासा-द्वार) से वायु अंदर लेते हैं। जब हम वायु को अंतःश्वसन द्वारा अंदर लेते हैं, तो यह हमारे नथुनों से नासा-गुहा में चली जाती है। नासा-गुहा से वायु, श्वास नली से होकर हमारे फेफड़ों (फुप्पुस) में जाती है। फेफड़े वक्ष-गुहा में स्थित होते हैं (चित्र 6.4)। वक्ष-गुहा पार्श्व में पसलियों से घिरी रहती है। एक बड़ी पेशीय परत, जो डायाफ्राम (मध्यपट) कहलाती है, वक्ष-गुहा को आधार प्रदान करती है (चित्र 6.4)। श्वसन में डायाफ्राम और पसलियों से बने पिंजर की गति सम्मिलित होती है।

चित्र 6.4 मानव श्वसन तंग्र

अंत:श्वसन के समय पसलियाँ ऊपर और बाहर की ओर गति करती हैं और डायाफ्राम नीचे की ओर गति करता है। यह गति हमारी वक्ष-गुहा के आयतन को बढ़ा देती है और वायु फेफड़ों में आ जाती है। फेफड़े वायु से भर जाते हैं। उच्छ्वसन के समय पसलियाँ नीचे और अंदर की ओर आ जाती हैं, जबकि डायाफ्राम ऊपर की ओर अपनी पूर्व स्थिति में आ जाता है। इससे वक्ष-गुहा का आयतन कम हो जाता है। इस कारण वायु फेफड़ों से बाहर धकेल दी जाती है (चित्र 6.5)। अपने शरीर में हम इन गतियों को आसानी से अनुभव कर सकते हैं। एक गहरी साँस लीजिए। अपनी हथेली को उदर पर रखिए और उदर की गति को अनुभव कीजिए। आप क्या पाते हैं?

हमारे आस-पास की वायु में अनेक प्रकार के अवांछित कण जैसे धूम्र, धूल, परागकण आदि होते हैं। जब हम अंतःश्वसन करते हैं, तो ये कण हमारी नासा-गुहा में उपस्थित रोमों में फँस जाते हैं। यद्यपि, कभी-कभी ऐसे कण नासा-गुहा के पार चले जाते हैं, तब ये गुहा की कोमल परत को उत्तेजित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप हमें छींक आती है। छींकने से अवांछित कण वायु के साथ बाहर निकल जाते हैं। इस प्रकार केवल स्वच्छ वायु ही हमारे शरीर में प्रवेश कर पाती है।

सावधानी बरतें– जब आप छींकते हैं, तो अपनी नाक को ढक लें, जिससे आपके द्वारा बाहर निकाले गए कणों को अन्य व्यक्तियों द्वारा अंत:श्वसन के समय ग्रहण न कर लिया जाए।

चित्र 6.5 मानव में श्वसन की क्रियाविधि

धूम्रपान फेफड़ों को क्षति पहुँचाता है। धूम्रपान कैंसर से भी संबद्ध है। इससे अवश्य बचना चाहिए।

यह जान लेने के बाद कि श्वसन के दौरान वक्ष-गुहा के आमाप में परिवर्तन होते हैं, बच्चे सीना (वक्ष) फुलाने की स्पर्धा में व्यस्त हो गए। प्रत्येक यह दावा कर रहा था कि वह सीने को सबसे अधिक फुला सकता/सकती है। क्यों न आप भी इस क्रियाकलाप को कक्षा में अपने सहपाठियों के साथ करें?

क्रियाकलाप (6.4)

एक गहरी साँस लीजिए। किसी मापन फीते से वक्ष का आमाप लीजिए। इस माप को सारणी 6.2 में नोट कीजिए। पुन: विस्तारित होने पर वक्ष का आमाप लीजिए (चित्र 6.6)। बताइए कि किस सहपाठी ने अधिकतम विस्तार दिखाया है?

हम श्वसन की क्रियाविधि को एक सरल प्रतिरूप (मॉडल) के द्वारा समझ सकते हैं।

सारणी 6.2: वक्ष के आमाप पर श्वसन का प्रभाव

सहपाठी का नाम वक्ष का आमाप (cm) आमाप में अंतर
अंत:श्वसन के समय उच्छ्वसन के समय

चित्र 6.6 वक्ष के आमाप का मापन

बूझो जानना चाहता है कि कोई व्यक्ति अपने फेफड़ों में कितनी वायु भर सकता है

क्रियाकलाप (6.5)

प्लास्टिक की चौड़े मुँह वाली एक बोतल लीजिए। इसके पेंदे को काटकर अलग कर दीजिए। Y के आकार की काँच अथवा प्लास्टिक की एक नली लीजिए। बोतल के ढक्कन में एक ऐसा छिद्र कीजिए, जिससे यह नली आसानी से निकल जाए। नली के शाखित सिरे पर दो गुब्बारे (बिना फूले हुए) लगा दीजिए। नली को चित्र 6.7 के अनुसार बोतल में लगा दीजिए। अब बोतल का ढक्कन लगा दीजिए तथा उसे इस प्रकार सील बंद कर दीजिए कि वह वायुरुद्ध हो जाए। बोतल के खुले पेंदे पर रबड़ अथवा प्लास्टिक की एक पतली शीट तानकर किसी रबड़ बैंड की सहायता से बाँध दीजिए।

फेफड़ों में होने वाले प्रसार को समझने के लिए रबड़ की परत को पकड़कर आधार से नीचे की ओर खींचिए और गुब्बारों को देखिए। इसके बाद रबड़ की परत को ऊपर की ओर धकेलिए और गुब्बारों को देखिए। क्या आपको गुब्बारों में कोई परिवर्तन दिखाई देता है?

चित्र 6.7 श्वसन की क्रियाविधि को दिखाने के लिए प्रतिरूप

इस मॉडल में गुब्बारे किस अंग को प्रदर्शित करते हैं? रबड़ की परत किसे प्रदर्शित करती है? अब आप श्वसन की क्रियाविधि को समझने में समर्थ हो गए होंगे।

6.4 हम उच्छ्वसन में बाहर क्या निकालते हैं?

क्रियाकलाप (6.6)

कोई पतली स्वच्छ परखनली लीजिए, जिसमें कॉर्क लगा हो। यदि परखनली उपलब्ध न हो, तो आप काँच या प्लास्टिक की बोतल ले सकते हैं। परखनली में थोड़ा-सा ताज़ा बना चूने का पानी डालिए। प्लास्टिक की एक स्ट्रॉ (नली) को परखनली में इस प्रकार डालिए कि वह चूने के पानी में डूब जाए। अब स्ट्रॉ के द्वारा धीरे-धीरे चूने के पानी में फूँक मारिए (चित्र 6.8)। क्या चूने के पानी में कोई परिवर्तन होता दिखाई देता है? क्या आप इसे अध्याय 5 में किए गए अध्ययन के आधार पर समझा सकते हैं?

बेहतर जीवन के लिए श्वास

नियमित परम्परागत श्वसन व्यायाम (प्राणायाम) से हमारे फेफड़ों में वायु को अन्दर लेने की क्षमता को बढ़ाता है। इस प्रकार हमारे शरीर की कोशिकाओं को ज्यादा ऑक्सींजन की आपूर्ति होती हैं जिसके फलस्वरूप अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।

चित्र 6.8 उच्छ्वसित वायु का चूने के पानी पर प्रभाव

आप जानते हैं कि हम जिस वायु का अंतःश्वसन अथवा उच्छ्वसन करते हैं, वह गैसों का मिश्रण होती है। हम क्या उच्छ्वसित करते हैं? क्या हम केवल कार्बन डाइऑक्साइड को उच्छ्वसित करते हैं अथवा उसके साथ गैसों के मिश्रण को भी उच्छ्वसित करते हैं? आपने यह भी देखा होगा कि अगर आप दर्पण के आगे उच्छ्वास छोड़ते हैं, तो उसकी सतह धुँधली दिखाई देती है। यह नमी के कारण है। जल के ये बिन्दुकण कहाँ से आते हैं?

6.5 अन्य जंतुओं में श्वसन

हाथी, शेर, गाय, बकरी, मेंढक, छिपकली, सर्प और पक्षियों आदि जंतुओं की वक्ष-गुहाओं में मनुष्यों की भाँति फेफड़े होते हैं।

जीव श्वसन कैसे करते हैं? क्या इनके भी मनुष्यों के फेफड़ों जैसे ही श्वसन अंग होते हैं? आइए, पता करते हैं।

बूझो जानना चाहता है कि क्या कॉकरोच (तिलचट्टा), घोंघे, मछली, केंचुए, चींटी और मच्छर में भी फेंफड़े होते हैं?

कॉकरोच– कॉकरोच के शरीर के पार्श्व भाग में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। अन्य कीटों के शरीर में भी इस प्रकार के छिद्र होते हैं। ये छिद्र श्वास रंध्र कहलाते हैं (चित्र 6.9)। कीटों में गैस के विनिमय के लिए वायु नलियों का जाल बिछा होता है, जो श्वासप्रणाल या वातक कहलाते हैं। ऑक्सीजन समृद्ध वायु श्वास रंध्रों से श्वास नालों में जाकर शरीर के ऊतकों में विसरित होती है और शरीर की प्रत्येक कोशिका में पहुँचती है। इसी प्रकार कोशिकाओं से कार्बन डाइऑक्साइड श्वासनालों में आती है और श्वास रंध्रों से बाहर निकल जाती है। श्वासनाल अथवा श्वासप्रणाल केवल कीटों में ही पाए जाते हैं। जंतुओं के अन्य समूहों में ऐसी व्यवस्था नहीं पाई जाती है।

चित्र 6.9 श्वासप्रणाल तंत्र

केंचुआ– कक्षा 6 के अध्याय 6 में आपने पढ़ा था कि केंचुए अपनी त्वचा से श्वसन करते हैं। केंचुए की त्वचा स्पर्श करने पर आर्द्र और श्लेष्मीय प्रतीत होती है। इसमें से गैसों का आवागमन आसानी से हो जाता है। यद्यपि, मेंढक में मनुष्य की भाँति फेफड़े होते हैं तथापि, वे अपनी त्वचा से भी श्वसन करते हैं, जो आर्द्र और श्लेष्मीय होती है।

6.6 जल में श्वसन

क्या हम जल में श्वसन कर सकते है तथा जीवित रह सकते हैं? ऐसे अनेक जीव हैं, जो जल में रहते हैं। वे जल में श्वसन कैसे करते हैं?

आपने कक्षा 6 में पढ़ा था कि मछलियों में क्लोम या गिल पाए जाते हैं। क्लोम जल में घुली ऑक्सीजन का उपयोग करने में उनकी सहायता करते हैं। क्लोम त्वचा से बाहर की ओर निकले होते हैं। आप सोच रहे होंगे कि क्लोम किस प्रकार श्वास में सहायता करते हैं। क्लोम में रक्त वाहिनियों की संख्या अधिक होती है, जो गैस-विनिमय में सहायता करती हैं (चित्र 6.10)।

बूझो ने दूरदर्शन कार्यक्रमों में देखा था कि व्हेल और डॉल्फिन अक्सर पानी की सतह पर ऊपर आ जाती हैं। कभी-कभी ऊपर की ओर आते समय वे पानी की फ़ुहार भी छोड़ती हैं। वे ऐसा क्यों करती हैं?

चित्र 6.10 मछलियों में श्वसन अंग

6.7 क्या पादप भी श्वसन करते हैं?

अन्य जीवों की भाँति पादप भी जीवित रहने के लिए श्वसन करते हैं, जैसा कि आप कक्षा 6 में पढ़ चुके हैं। ये वायु से ऑक्सीजन अंदर ले लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को निर्मुक्त करते हैं। इनकी कोशिकाओं में भी ऑक्सीजन का उपयोग अन्य जीवों की भाँति ही ग्लूकोस के कार्बन डाइऑक्साइड और जल में विखंडन करने के लिए किया जाता है। पादप में प्रत्येक अंग वायु से स्वतंत्र रूप से ऑक्सीजन ग्रहण करके कार्बन डाइऑक्साइड को निर्मुक्त कर सकता है। अध्याय 1 में आपने पढ़ा था कि पादप की पत्तियों में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के विनिमय के लिए सूक्ष्म छिद्र होते हैं, जो रंध्र कहलाते हैं।

पहेली जानना चाहती है कि क्या भूमिगत होते हुए भी पादपों की जड़ें ऑक्सीजन ग्रहण करती हैं? यदि ऐसा है, तो वे ऐसा किस प्रकार करती हैं?

पादप की अन्य सभी कोशिकाओं की भाँति ही मूल कोशिकाओं को भी ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। मूल मृदा कणों के बीच के खाली स्थानों (वायु अवकाशों) में उपस्थित वायु से ऑक्सीजन ले लेते हैं (चित्र 6.11)। क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि यदि किसी गमले के पौधे में बहुत अधिक पानी डाल दिया जाए, तो क्या होगा?

इस अध्याय में आपने पढ़ा कि श्वसन एक महत्त्वपूर्ण जैविक प्रक्रम है। सभी जीवों को अपनी उत्तरजीविता (जीवित रहने) हेतु आवश्यक ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए श्वसन करने की आवश्यकता होती है।

चित्र 6.11 मूल मृदा से वायु अवशोषित करते हैं प्रमुख शब्द

वायवीय श्वसन डायाफ्राम श्वासनली
अवायवीय श्वसन उच्छ्वसन अंत:श्वस
श्वसन दर क्लोम श्वास रंध्र
कोशिकीय श्वसन फेफड़े श्वासप्रणाल

  • आपने क्या सीखा

  • श्वसन सभी जीवों के जीवित रहने के लिए अनिवार्य है। यह जीव द्वारा लिए गए भोजन से ऊर्जा को निर्मुक्त करता है।

  • हम अंत:श्वसन द्वारा, जो वायु शरीर के अंदर लेते हैं, उसमें उपस्थित ऑक्सीजन का उपयोग ग्लूकोस को कार्बन डाइऑक्साइड और जल में विखंडन के लिए किया जाता है। इस प्रक्रम में ऊर्जा निर्मुक्त होती है।

  • ग्लूकोस का विखंडन जीव की कोशिकाओं में होता है, जिसे कोशिकीय श्वसन कहते हैं।

  • यदि भोजन (ग्लूकोस) ऑक्सीजन के उपयोग द्वारा विखंडित होता है, तो यह वायवीय श्वसन कहलाता है। यदि विखंडन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है, तो श्वसन अवायवीय श्वसन कहलाता है।

  • अत्यधिक व्यायाम करते समय जब हमारी पेशी-कोशिकाओं में ऑक्सीजन की आपूर्ति अपर्याप्त होती है, तब भोजन का विखंडन अवायवीय श्वसन द्वारा होता है।

  • साँस लेना श्वसन प्रक्रम का एक चरण है, जिसमें जीव ऑक्सीजन समृद्ध वायु को शरीर के अंदर लेता है और कार्बन डाइऑक्साइड समृद्ध वायु को बाहर निकालता है। गैसों के विनिमय के लिए विभिन्न जीवों में श्वसन अंग भिन्न होते हैं।

  • अंतःश्वसन या नि:श्वसन के समय हमारे फेफड़े विस्तारित होते हैं और उच्छ्वसन के साथ ये अपनी मूल अवस्था में आ जाते हैं।

  • शारीरिक सक्रियता के बढ़ने पर श्वसन दर बढ़ जाती है।

  • गाय, भैंस, कुत्ते और बिल्ली जैसे जीवों में श्वसन अंग और श्वसन प्रक्रम मानव के समान ही होते हैं।

  • केंचुए में गैसों का विनिमय उसकी आर्द्र त्वचा के माध्यम से होता है। मछलियों में यह क्लोम से और कीटों में श्वासप्रणाल से होता है।

  • पादपों में मूल, मृदा में उपस्थित वायु को ग्रहण करती है। पत्तियों में नन्हें छिद्र होते हैं, जिन्हें रंध्र कहते हैं, जिनसे गैसों का विनिमय होता है। पादप कोशिकाओं में ग्लूकोस का विखंडन अन्य जीवों की तरह ही होता है।

अभ्यास

1. कोई धावक दौड़ समाप्त होने पर सामान्य से अधिक तेजी से गहरी साँसें क्यों लेता है?

2. वायवीय और अवायवीय श्वसन के बीच समानताएँ और अंतर बताइए।

3. जब हम अत्यधिक धूल भरी वायु में साँस लेते हैं, तो हमें छींक क्यों आ जाती है?

4. तीन परखनलियाँ लीजिए। प्रत्येक को $3 / 4$ भाग तक जल से भर लीजिए। इन्हें $\mathrm{A}$, $\mathrm{B}$ तथा $\mathrm{C}$ द्वारा चिह्नित कीजिए। परखनली $\mathrm{A}$ में एक घोंघा रखिए। परखनली $\mathrm{B}$ में कोई जलीय पादप रखिए और $\mathrm{C}$ में एक घोंघा और पादप दोनों को रखिए। किस परखनली में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता सबसे अधिक होगी?

5. सही उत्तर पर $(\checkmark)$ का निशान लगाइए–

(क) तिलचट्टों के शरीर में वायु प्रवेश करती है, उनके

(i) फेफड़ों द्वारा
(ii) क्लोमों द्वारा
(iii) श्वास रंध्रों द्वारा
(iv) त्वचा द्वारा

(ख) अत्यधिक व्यायाम करते समय हमारी टाँगों में जिस पदार्थ के संचयन के कारण ऐंठन होती है, वह है

(i) कार्बन डाइऑक्साइड
(ii) लैक्टिक अम्ल
(iii) ऐल्कोहॉल
(iv) जल

(ग) किसी सामान्य वयस्क व्यक्ति की विश्राम-अवस्था में औसत श्वसन दर होती है

(i) 9-12 प्रति मिनट
(ii) 15-18 प्रति मिनट
(iii) 21-24 प्रति मिनट
(iv) 30-33 प्रति मिनट

(घ) उच्छ्वसन के समय, पसलियाँ

(i) बाहर की ओर गति करती हैं ।
(ii) नीचे की ओर गति करती हैं।
(iii) ऊपर की ओर गति करती हैं ।
(iv) बिल्कुल गति नहीं करती हैं।

6. कॉलम $\mathrm{A}$ में दिए गए शब्दों का कॉलम $\mathrm{B}$ के साथ मिलान कीजिए-

कॉलम A कॉलम B
(क) यीस्ट (i) केंचुआ
(ख) डायाफ्राम (मध्यपट) (ii) क्लोम
(ग) त्वचा (iii) ऐल्कोहॉल
(घ) पत्तियाँ (iv) वक्ष-गुहा
(च) मछली (v) रंध्र
(छ) मेंढक (vi) फेफड़े और त्वचा
(vii) श्वासप्रणाल (वातक)

7. बताइए कि निम्नलिखित वक्तव्य ‘सत्य’ हैं अथवा ‘असत्य’-

(क) अत्यधिक व्यायाम करते समय व्यक्ति की श्वसन दर धीमी हो जाती है।
(ख) पादपों में प्रकाश संश्लेषण केवल दिन में, जबकि श्वसन केवल रात्रि में होता है।
(ग) मेंढक अपनी त्वचा के अतिरिक्त अपने फेफड़ों से भी श्वसन करते हैं।
(घ) मछलियों में श्वसन के लिए फेफड़े होते हैं।
(च) अंतःश्वसन के समय वक्ष-गुहा का आयतन बढ़ जाता है।

8. दी गई पहेली के प्रत्येक वर्ग में जीवों के श्वसन से संबंधित हिंदी वर्णाक्षर अथवा संयुक्ताक्षर दिए गए हैं। इनको मिलाकर जीवों तथा उनके श्वसन अंगों से संबंधित शब्द बनाए जा सकते हैं। शब्द वर्गों के जाल में किसी भी दिशा में, ऊपर, नीचे अथवा विकर्ण में पाए जा सकते हैं। श्वसन तंत्र तथा जीवों के नाम खोजिए। इन शब्दों के लिए संकेत नीचे दिए गए हैं।

ड़ फे वि श्वा रं ध्र
द्य षा णु जी वा
श्वा गा रे डे डा सा
यी तः भा बा या ना
स्ट लि प्र मी धा फ्रा लं सा
याँ णा चुं टा द्वा
ड़ रं स्व सा
स्य ध्र भू भे
र्मू पिं ति चा

1. कीटों की वायु नलियाँ
2. वक्ष-गुहा को घेरे हुए हड्डियों की संरचना
3. वक्ष-गुहा का पेशीय तल
4. पत्ती की सतह पर सूक्ष्म छिद्र
5. कीट के शरीर के पार्श्व भागों के छोटे छिद्र
6. मनुष्यों के श्वसन अंग
7. वे छिद्र जिनसे हम साँस भीतर लेते (अंत:श्वसन) करते हैं।
8. एक अवायवीय जीव
9. श्वासप्रणाल तंत्र वाला एक जीव

9. पर्वतारोही अपने साथ ऑक्सीजन सिलिंडर ले जाते हैं, क्योंकि-

(क) $5 \mathrm{~km}$ से अधिक ऊँचाई पर वायु नहीं होती है।
(ख) वहाँ उपलब्ध वायु की मात्रा भू-तल पर उपलब्ध मात्रा से कम होती है।
(ग) वहाँ वायु का ताप भू-तल के ताप से अधिक होता है।
(घ) पर्वत पर वायुदाब भू-तल की अपेक्षा अधिक होता है।

विस्तारित अधिगम - क्रियाकलाप और परियोजना कार्य

1. जलजीवशाला (एक्वेरियम) में किसी मछली की गतिविधि को देखिए। आपको उसके सिर के दोनों तरफ़ पल्ले के समान संरचनाएँ दिखाई देंगी। पल्ले जैसी यह संरचना एक ही ओर से खुलती और बंद होती है। इन प्रेक्षणों के आधार पर मछलियों में श्वसन के प्रक्रम को समझाइए।

2. किसी स्थानीय चिकित्सक के पास जाइए। उनसे धूम्रपान के हानिकारक प्रभावों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए। आप इस विषय पर अन्य ‘स्रोत’ से भी जानकारी एकत्रित कर सकते हैं। आप अपने शिक्षक/शिक्षिका और माता-पिता से भी सहायता ले सकते हैं। अपने क्षेत्र में धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों का प्रतिशत मालूम कीजिए। यदि आपके परिवार में कोई धूम्रपान करता है, तो उसे अपने द्वारा एकत्रित की गई जानकारी से अवगत कराएँ।

3. किसी चिकित्सक के पास जाइए। उनसे कृत्रिम श्वसन के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए। चिकित्सक से पूछिए-

(क) किसी व्यक्ति को कृत्रिम श्वसन की आवश्यकता कब होती है?
(ख) किसी व्यक्ति को कृत्रिम श्वसन की आवश्यकता स्थायी रूप से होती है अथवा अस्थायी रूप से होती है?
(ग) कृत्रिम श्वसन के लिए किसी व्यक्ति को ऑक्सीजन की आपूर्ति किस प्रकार और कहाँ से की जाती है।

4. अपने परिवार के सदस्यों और अपने कुछ मित्रों की श्वसन दर को मापिए। पता लगाइए कि-

(क) क्या बच्चों की श्वसन दर वयस्कों से भिन्न होती है?
(ख) क्या पुरुषों की श्वसन दर महिलाओं की श्वसन दर से भिन्न होती है? यदि इनमें से किसी भी प्रकरण (केस) में अंतर पाया जाता है, तो उसका कारण जानने का प्रयास कीजिए।

क्या आप जानते हैं?

हमारे लिए ऑक्सीजन अनिवार्य है, लेकिन जो जीव इसका उपयोग नहीं करते हैं, उनके लिए ऑक्सीजन विषाक्त होती है। वास्तव में, मानव एवं अन्य जीवों के लिए भी लंबे समय तक शुद्ध ऑक्सीजन में श्वसन करना हानिकारक हो सकता है।



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