अध्याय 01 पादपों में पोषण

कक्षा 6 में आप पढ़ चुके हैं कि सभी जीवों के लिए भोजन आवश्यक है। आप यह भी पढ़ चुके हैं कि कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन एवं खनिज भोजन के घटक हैं। भोजन के ये घटक हमारे शरीर के लिए आवश्यक हैं तथा इन्हें पोषक कहते हैं।

सभी जीवों को भोजन की आवश्यकता होती है। पादप (पौधे) स्वयं के लिए भोजन बना सकते हैं, परंतु मानव सहित कोई भी प्राणी अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकता। वे पादपों अथवा पादपों का आहार ग्रहण करने वाले जंतुओं से अपना भोजन प्राप्त करते हैं। अतः मानव तथा अन्य प्राणी प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से पादपों पर निर्भर करते हैं।

बूझो जानना चाहता है कि पादप अपना भोजन किस प्रकार बनाते हैं।

1.1 पादपों में पोषण विधि

केवल पादप ही ऐसे जीव हैं, जो जल, कार्बन डाइऑक्साइड एवं खनिज की सहायता से अपना भोजन बना सकते हैं। ये सभी पदार्थ उनके परिवेश में उपलब्ध होते हैं।

पोषक पदार्थ सजीवों की शारीरिक संरचना, वृद्धि तथा क्षतिग्रस्त भागों के रखरखाव के लिए समर्थ बनाते हैं तथा विभिन्न जैव प्रक्रमों के लिए आवश्यक ऊर्जा भी प्रदान करते हैं। सजीवों द्वारा भोजन ग्रहण करने एवं इसके उपयोग की विधि को पोषण कहते हैं। पोषण की वह विधि, जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं, स्वपोषण कहलाती है। अत: ऐसे पादपों को स्वपोषी कहते हैं। जंतु एवं अधिकतर अन्य जीव पादपों द्वारा संश्लेषित भोजन ग्रहण करते हैं। उन्हें विषमपोषी कहते हैं।

पहेली जानना चाहती है कि पादपों की तरह हमारा शरीर भी कार्बन डाइ़ऑक्साइड, जल एवं खनिज से अपना भोजन स्वयं क्यों नहीं बना सकता।

अब हम पूछ सकते हैं कि पादपों की खाद्य फ़ैक्ट्रियां कहाँ स्थित हैं? क्या भोजन पादप के सभी भागों में निर्मित होता है अथवा केवल कुछ विशेष भागों में? पादप अपने परिवेश से कच्ची सामग्री किस प्रकार प्राप्त करते हैं? खाद्य फ़ैक्ट्रियों तक उनका स्थानांतरण किस प्रकार होता है?

1.2 प्रकाश संश्लेषण - पादपों में खाद्य संश्लेषण का प्रक्रम

पत्तियाँ पादप की खाद्य फैक्ट्रियाँ हैं। अतः सभी कच्चे पदार्थ पत्तियों तक पहुँचने चाहिए। मृदा में उपस्थित जल एवं खनिज जड़ (मूल) द्वारा अवशोषित किए जाते हैं तथा तने के माध्यम से पत्तियों तक पहुँचाए जाते हैं। पत्ती की सतह पर उपस्थित सूक्ष्म रंध्रों द्वारा वायु में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड प्रवेश करती है।

बूझो जानना चाहता है कि जड़ द्वारा अवशोषित जल एवं खनिज पत्ती तक किस प्रकार पहुँचते हैं?

कोशिकाएँ

आपने देखा है कि इमारतें ईंटों से बनती हैं। इसी प्रकार सजीवों का शरीर सूक्ष्म इकाइयों से बनता है, जो कोशिका कहलाती हैं। कोशिकाओं को सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखा जा सकता है। कुछ जीव मात्र एक कोशिका के बने होते हैं। कोशिका एक पतली बाह्य संरचना द्वारा घिरी होती है, जिसे कोशिका झिल्ली कहते हैं। इसमें केंद्र में स्थित एक सुस्पष्ट संरचना भी होती है, जो केंद्रक कहलाती है (चित्र 1.1)। केंद्रक चारों ओर से जेली के समान एक पदार्थ से घिरा होता है, जिसे कोशिका द्रव्य कहते हैं।

चित्र 1.1 कोशिका का आरेख चित्र

यह रंध्र द्वारकोशिकाओं द्वारा घिरे होते हैं। ऐसे छिद्रों को रंध्र कहते हैं।

जल एवं खनिज, वाहिकाओं द्वारा पत्तियों तक पहुँचाए जाते हैं। ये वाहिकाएँ नली के समान होती हैं तथा जड़, तना, शाखाओं एवं पत्तियों तक फैली होती हैं। पोषकों को पत्तियों तक पहुँचाने के लिए ये वाहिकाएँ एक सतत् मार्ग बनाती हैं। पादपों में पदार्थों के परिवहन के विषय में आप अध्याय 7 में पढ़ेंगे।

पहेली जानना चाहती है कि पत्तियों में ऐसी क्या विशेषता है कि वे खाद्य पदार्थों का संश्लेषण कर सकती हैं परंतु पादप के दूसरे भाग नहीं।

पत्तियों में एक हरा वर्णक होता है, जिसे क्लोरोफ़िल कहते हैं। क्लोरोफ़िल सूर्य के प्रकाश (सौर परकाश) की ऊर्जा का संग्रहण करने में पत्ती की सहायता करता है। इस ऊर्जा का उपयोग जल एवं कार्बन डाइऑक्साइड से खाद्य संश्लेषण में होता है, क्योंकि खाद्य संश्लेषण सूर्य के कार्बन डाइऑक्साइड से खाद्य संश्लेपण में होता है,

क्योंकि खाद्य संश्लेषण सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होता है। इसलिए इसे प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। अतः हमने देखा कि क्लोरोफ़िल, सूर्य का प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल, प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक हैं। इस पृथ्वी पर यह एक अद्वितीय प्रक्रम है। पत्तियों द्वारा सौर ऊर्जा संग्रहित की जाती है तथा पादप में खाद्य के रूप में संचित हो जाती है। अतः सभी जीवों के लिए सूर्य ऊर्जा का चरम स्रोत है।

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि प्रकाश संश्लेषण नहीं होगा, तो क्या होगा?

प्रकाश संश्लेषण न होने की स्थिति में खाद्य उपलब्ध नहीं होगा। सभी जीवों का अस्तित्व प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से पादपों द्वारा निर्मित भोजन पर निर्भर करता है। इसके अतिरिक्त सभी जीवों के लिए परमावश्यक ऑक्सीजन भी प्रकाश संश्लेषण के दौरान निर्मित होती है। प्रकाश संश्लेषण की अनुपस्थिति में, पृथ्वी पर जीवन की कल्पना असंभव है।

प्रकाश संश्लेषण के दौरान पत्ती की क्लोरोफ़िलयुक्त कोशिकाएँ (चित्र 1.2), सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में, कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल से कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण करती हैं (चित्र 1.3)। इस प्रक्रम को निम्न समीकरण द्वारा दर्शा सकते हैं:

कार्बन डाइऑक्साइड + जल $\xrightarrow[\text{ क्लोरोफ़िल }] {\text{ सूर्य का प्रकाश}}$ कार्बोहाइड्रेट + ऑक्सीजन

इस प्रक्रम में ऑक्सीजन निर्मुक्त होती है। कार्बोहाइड्रेट अंततः पत्तियों में मंड (स्टार्च) के रूप में संचित हो जाते हैं। पत्ती में स्टार्च की उपस्थिति प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम का संपन्न होना दर्शाता है। स्टार्च भी एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है।

चित्र 1.2 क्लोरोफिल युक्त कोशिकाएँ दर्शाते हुए किसी पत्ती का काट चित्र

चित्र 1.3 प्रकाश संश्लेषण दर्शाने के लिए व्यवस्था चित्र

बूझो ने देखा कि कुछ पाद्पों की पत्तियाँ गहरी लाल, बैंगनी अथवा भूरे रंग की होती हैं। वह जानना चाहता है कि क्या इन पत्तियों में भी प्रकाश संश्लेषण होता है?

पत्तियों के अतिरिक्त, पादपों के दूसरे हरे भागों जैसे कि हरे तने एवं हरी शाखाओं में भी प्रकाश संश्लेषण होता है। मरुस्थलीय पादपों में वाष्पोत्सर्जन द्वारा जल क्षय को कम करने के लिए पत्तियाँ शल्क अथवा शूल रूपी हो जाती हैं। इन पादपों के तने हरे होते हैं, जो प्रकाश संश्लेषण का कार्य करते हैं।

क्रियाकलाप (1.1)

एक ही प्रकार के पादपों के दो गमले लीजिए। एक को अंधकार (अथवा काले बक्स) में 72 घंटों के लिए रखिए तथा दूसरे को सूर्य के प्रकाश में रखिए। दोनों पादपों की पत्तियों में आयोडीन परीक्षण उसी प्रकार कीजिए जैसे आपने कक्षा 6 में किया था। अपने अवलोकनों को नोट कीजिए। अब उस गमले को, जिसे आपने अंधकार में रखा था, 3-4 दिनों के लिए सूर्य के प्रकाश में रख दीजिए तथा पुनः इसकी पत्ती पर आयोडीन परीक्षण कीजिए। अपने प्रेक्षण अपनी नोटबुक में लिखें।

हरी पत्तियों के अतिरिक्त अन्य वर्ण (रंग) की पत्तियों में भी क्लोरोफ़िल होता है। परंतु इन पत्तियों में उपस्थित लाल, भूरे अथवा अन्य वर्णक क्लोरोफ़िल के हरे रंग का प्रच्छादन कर देते हैं अर्थात् ढक लेते हैं (चित्र 1.4)। इन पत्तियों में भी प्रकाश संश्लेषण होता है।

आपने गीली दीवारों पर, तालाब अथवा ठहरे हुए जलाशय में हरे अवपंकी (काई जैसे पादप) देखे होंगे। ये सामान्यतः कुछ जीवों की वृद्धि के कारण बनते हैं, जिन्हें शैवाल कहते हैं। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इनका रंग हरा क्यों होता है? इनमें क्लोरोफ़िल होता है, जिसके कारण ये हरे दिखाई देते हैं। शैवाल भी प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।

चित्र 1.4 विभिन्न रंगों की पत्तियाँ

पादपों में कार्बोहाइड्रेट के अतिरिक्त अन्य खाद्यों का संश्लेषण

अभी आपने पढ़ा कि प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम द्वारा पादप (पौधे) कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण करते हैं। ‘कार्बोहाइड्रेट’ कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन से बनते हैं। इनका उपयोग खाद्य के अन्य घटकों के संश्लेषण में होता है। परन्तु प्रोटीन नाइट्रोजनी पदार्थ हैं, जिनमें कार्बन, ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन के अतिरिक्त नाइट्रोजन भी होती है। पादपों को नाइट्रोजन कहाँ से प्राप्त होती है?

याद कीजिए, वायु में नाइट्रोजन गैसीय अवस्था में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। परन्तु, पादप इसका अवशोषण इसी रूप में नहीं कर सकते। मिट्टी में कुछ विशेष जीवाणु होते हैं, जो गैसीय नाइट्रोजन को उपयोगी यौगिकों में परिवर्तित कर मृदा में निर्मुक्त करते हैं। यह विलेय पदार्थ पादपों द्वारा जल के साथ अवशोषित कर लिए जाते हैं। संभवतः आपने देखा है कि किसान अपने खेतों में उर्वरक तथा खाद डालते हैं, जिनमें नाइट्रोजनी पदार्थों की प्रचुरता होती है। इस प्रकार अन्य संघटकों के साथ पादपों की नाइट्रोजन की माँग की आपूर्ति हो जाती है। इसके पश्चात् पादप खाद्य के अन्य संघटकों, जैसे कि प्रोटीन एवं वसा का संश्लेषण करते हैं।

1.3 पादपों में पोषण की अन्य विधियाँ

कुछ पादप (पौधे) ऐसे भी हैं, जिनमें क्लोरोफ़िल नहीं पाया जाता। वे भोजन संश्लेषित नहीं कर सकते। वे कैसे जीवित रहते हैं, तथा वे पोषक किस प्रकार प्राप्त करते हैं? मनुष्य एवं अन्य प्राणियों की तरह ये पादप भी अपने पोषण के लिए अन्य पादपों द्वारा निर्मित खाद्य पर निर्भर होते हैं। वे विषमपोषी प्रणाली का उपयोग करते हैं। चित्र 1.5 को ध्यान से देखिए। क्या आपको एक वृक्ष के तने एवं शाखाओं से लिपटी रस्सीनुमा पीले रंग की संरचना दिखाई देती है? ये अमरबेल का पादप है। इसमें क्लोरोफ़िल नहीं होता है। ये अपना भोजन उस पादप से प्राप्त करते हैं, जिस पर ये आरोहित होते हैं। जिस पर ये आरोहित होते हैं, वह पादप परपोषी कहलाता है। क्योंक अमरबेल जैसे पादप परपोषी को अमूल्य पोषकों से वंचित करते हैं, अतः इन्हें परजीवी कहते हैं। क्या हम एवं अन्य जंतु भी एक प्रकार के परजीवी हैं? आपको इस पर विचार करना चाहिए। अपने अध्यापक से इस विषय पर चर्चा कीजिए।

चित्र 1.5 परपोषी पादप पर अमरबेल

पहेली जानना चाहती है कि क्या हमारा रक्त चूसने वाले मच्छर, खटमल, जूँ एवं जोंक जैसे जीव भी परजीवी हैं?

क्या आपने ऐसे पादपों को देखा अथवा उनके विषय में सुना है, जो जंतुओं का भक्षण करते हैं। कुछ ऐसे पादप भी हैं, जो कीटों को पकड़ते हैं तथा उन्हें पचा जाते हैं। क्या यह विस्मयकारी नहीं है? ऐसे पौधे हरे या अन्य किसी रंग के हो सकते हैं। चित्र 1.6 के पादप को देखिए। इसकी घड़े (घट) के समान दिखाई देने वाली संरचना वास्तव में उसकी पत्ती का रूपांतरित भाग है। पत्ते का शीर्ष भाग घड़े का ढक्कन बनाता है। घड़े के अंदर अनेक रोम होते हैं जो नीचे की ओर ढलके रहते हैं अर्थात् अधोमुखी होते हैं। जब कोई कीट घड़े में प्रवेश करता है, तो यह उसके रोमों के बीच फँस जाता है। घड़ें में उपस्थित पाचक रस द्वारा कीटों का पाचन हो जाता है। कीटों का भक्षण करने वाले ऐसे पादप कीटभक्षी पादप कहलाते हैं। वीनस फ्लाइ ट्रैप तथा सनड्यू कीटभक्षी पादपों के दो अन्य उदाहरण हैं। इनके बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।

चित्र 1.6 घटपर्णी (पिचर पादप) में घड़े एवं ढक्कन जैसी संरचना होती है

बूझो भ्रमित है। यदि घटपर्णी हरा होता है और प्रकाश संश्लेषण संपादित करता है, तो यह कीटों का भक्षण क्यों करता है?

क्या यह संभव है कि इस प्रकार के पादपों को मृदा से वे सभी पोषक नहीं मिल पाते हैं, जिनकी उन्हें आवश्यकता है?

1.4 मृतजीवी

आपने बाजार में छत्रक (मशरूम) बिकते देखे होंगे (चित्र 1.7)। वर्षा के दिनों में वृक्षों की सड़ी-गली टूटी टहनियों अथवा तनों या छाल पर छाते के समान संरचनाओं के गुच्छे भी आपने देखे होंगे। आइए देखें कि जीवनयापन हेतु इन्हें किस प्रकार के पोषकों की आवश्यकता होती है और वे उन्हें कहाँ से प्राप्त होते हैं?

बूझो जानना चाहता है कि ये जीव अपना भोजन किस प्रकार प्राप्त करते हैं। इनमें प्राणियों के समान मुख नहीं होता। ये हरे पादपों के समान भी नहीं होते। इनमें क्लोरोफिल अनुपस्थित होता है। अतः ये प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का संश्लेषण नहीं कर सकते।

चित्र 1.7 छत्रक के पैकेट; सड़ी-गली वस्तु पर उगा छत्रक

क्रियाकलाप (1.2)

ब्रेड (डबल रोटी) का एक टुकड़ा लेकर इसे जल में भिगो लें। इसे किसी नम एवं ऊष्ण स्थान पर 2-3 दिन के लिए रख दीजिए अथवा उस समय तक रखा रहने दीजिए, जब तक कि उस पर रोएँ जैसी संरचना न दिखाई देने लगे (चित्र 1.8)। ये धब्बे किस रंग के हैं? किसी आवर्धक लेंस अथवा सूक्ष्मदर्शी की सहायता से इनका अवलोकन कीजिए। अपने प्रेक्षणों को नोटबुक में लिखिए। बहुत संभव है कि आपको रुई के धागों के समान संरचनाएँ दिखाई पड़ें।

यह जीव कवक या फंजाई कहलाते हैं। इनकी पोषण प्रणाली अथवा पोषण विधि भिन्न प्रकार की होती है। ये मृत एवं विघटनकारी (सड़नेवाली) वस्तुओं (जैव पदार्थों) की सतह पर कुछ पाचक रसों का स्राव करते हैं, तथा उसे साधारण व विलेय के रूप में परिवर्तित कर देते। तत्पश्चात् वे इस विलयन का भोजन के रूप में अवशोषण करते हैं। इस प्रकार की पोषण प्रणाली को, जिसमें जीव किसी मृत एवं विघटित जैविक पदार्थों से पोषक तत्त्व प्राप्त करते हैं, मृतजीवी पोषण कहलाती है। मृतजीवी पोषण प्रणाली का उपयोग करने वाले जीव मृतजीवी कहलाते हैं।

चित्र 1.8 ब्रेड पर उगती कवक

कवक (फंजाई) आचार, चमड़े, कपड़े एवं अन्य पदार्थों पर उगते हैं। ये उन स्थानों में भी उगते हैं, जो नम एवं उष्ण हों। कवकों की वृद्धि के लिए वर्षा ऋतु सबसे अच्छी परिस्थितियाँ प्रदान करती हैं। इसी कारण वर्षा ॠतु के दौरान अनेक वस्तुएँ कवकों की वृद्धि के कारण नष्ट अथवा अनुपयोगी हो जाती हैं। अपने अभिभावकों से कवक द्वारा होने वाले नुकसान पर चर्चा कीजिए।

पहेली को याद है कि उसके सुंदर जूते, जिन्हें वह विशेष अवसरों पर पहनती थी, वर्षा ॠतु में कवक के कारण खराब हो गए। वह जानना चाहती है कि वर्षा ऋतु में कवक अचानक कैसे प्रकट हो जाते हैं।

सामान्यतः कवकों के बीजाणु वायु में उपस्थित होते हैं। जब वे किसी ऐसे जैव पदार्थ अथवा उत्पाद पर बैठते हैं, जो नम एवं उष्ण हो, तो वे अंकुरित होकर नए कवक को जन्म देते हैं। क्या अब आप बता सकते हैं कि हम अपनी वस्तुओं को कवक द्वारा खराब होने से किस प्रकार बचा सकते हैं?

बूझो को याद है कि उसके दादा जी ने बताया था कि एक बार उनकी गेहूँ की फसल कवक द्वारा नष्ट हो गई थी। वह जानना चाहता है कि क्या कवक रोग कारक भी होते हैं?

पहेली ने बताया कि यीस्ट एवं छत्रक जैसे अनेक कवक उपयोगी भी हैं; परंतु कुछ कवक पादपों, जंतुओं एवं मनुष्य में रोग उत्पन्न करते हैं। कुछ कवकों का 7 उपयोग औषधि के रूप में भी होता है।

कुछ जीव एक-दूसरे के साथ रहते हैं तथा अपना आवास एवं पोषक तत्त्व एक-दूसरे के साथ बाँटते हैं। इसे सहजीवी संबंध कहते हैं। उदाहरणतः कुछ कवक वृक्षों की जड़ों में रहते हैं। वृक्ष कवक को पोषण प्रदान करते हैं, बदले में उन्हें जल एवं पोषकों के अवशोषण में सहायता मिलती है। वृक्ष के लिए इस संबंध का विशेष महत्व है।

लाइकेन कहे जाने वाले कुछ जीवों में दो भागीदार होते हैं। इनमें से एक शैवाल होता है तथा दूसरा कवक। शैवाल में क्लोरोफ़िल उपस्थित होता है, जबकि कवक में क्लोरोफ़िल नहीं होता। कवक शैवाल को रहने का स्थान (आवास), जल एवं पोषक तत्त्व उपलब्ध कराता है तथा बदले में शैवाल प्रकाश संश्लेषण द्वारा संश्लेषित खाद्य कवक को देता है।

1.5 मृदा में पोषकों की पुनः पूर्ति किस प्रकार होती है?

क्या आपने किसानों को अपने खेतों में अथवा माली को बगीचे के लॉन एवं गमलों में खाद अथवा उर्वरक डालते देखा है? क्या आप जानते हैं कि वे इन्हें मृदा में क्यों मिलाते हैं?

आप पढ़ चुके हैं कि पादप मृदा से खनिज पोषक तत्त्व अवशोषित करते हैं। अतः मृदा में इनकी मात्रा लगातार कम होती जाती है। उर्वरक एवं खाद में नाइट्रोजन, पोटैशियम, फॉस्फोरस जैसे पोषक होते हैं। पादपों द्वारा लगातार उपयोग किए जाने के कारण मृदा में उनकी मात्रा धीरे-धीरे कम होती जाती है। इसलिए मृदा को इन पोषक तत्त्वों से समृद्ध करने के लिए भूमि में उर्वरक तथा खाद मिलाने की आवश्यकता होती है। यदि हमें पादप के पोषण की आवश्यकता के बारे में ज्ञान हो, तो हम न केवल पादपों को उगा सकते हैं बल्कि उन्हें स्वस्थ भी रख सकते हैं।

पादपों को प्रोटीन बनाने के लिए सामान्यतः नाइट्रोजन की अधिक आवश्यकता होती है। फसल कटाई के बाद मृदा में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है। यद्यपि वायु में नाइट्रोजन गैस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है, परंतु पादप इसका उपयोग उस प्रकार करने में असमर्थ होते हैं, जैसे वे कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं। पौधे नाइट्रोजन को विलेय रूप में ही अवशोषित कर सकते हैं। कुछ जीवाणु जो राइज़ोबियम कहलाते हैं, वायुमंडलीय नाइट्रोजन को विलय पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं। परंतु राइज़ोबियम अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते। ये चना, मटर, मूँग, सेम तथा अन्य फलीदार पादपों की जड़ों में रहते हैं तथा उन्हें नाइट्रोजन की आपूर्ति करते हैं। अधिकतर दालें फलीदार पादपों से प्राप्त होती हैं। इसके बदले पादप राइज़ोबियम जीवाणु को आवास एवं खाद्य प्रदान करते हैं। अत: उनमें सहजीवी संबंध होता है। इस संबंध का किसानों के लिए विशेष महत्व है। दालों की फसलों के लिए उन्हें मृदा में नाइट्रोजनी उर्वरक देने की आवश्यकता नहीं पड़ती। यही नहीं दाल की फसल उगाने के बाद अगली फसल के लिए भी सामान्यतः उर्वरकों की आवश्यकता नहीं रहती।

इस अध्याय में आपने पढ़ा कि अधिकतर पादप स्वपोषी होते हैं। बहुत कम ही पादप अन्य पोषण प्रणाली अपनाते हैं, जैसे कि परजीवी एवं मृतजीवी। परजीवी एवं मृतजीवी दूसरे पादपों से पोषण प्राप्त करते हैं। सभी प्राणी अपने भोजन के लिए पादप तथा अन्य प्राणियों पर निर्भर रहते हैं, अतः उन्हें विषमपोषी के रूप में समूहीकृत किया गया है। क्या हम कह सकते हैं कि कीटभक्षी पौधे आंशिक विषमपोषी हैं?

प्रमुख शब्द

स्वपोषी कीटभक्षी पादप मृतजीवी
क्लोरोफ़िल पोषक रंध्र
विषमपोषी परजीवी सहजीवी संबंध
परपोषी प्रकाश संश्लेषण कवक

आपने क्या सीखा

  • सभी जीवों को खाद्य की आवश्यकता होती है, जिसका उपयोग वे अपनी वृद्धि एवं शररी के रख-रखाव के लिए तथा आवश्यक ऊर्जा प्राप्ति के लिए करते हैं। हरे पादप प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम द्वारा अपना खाद्य स्वयं संश्लेषित करते हैं। हरे पादप कार्बन डाइऑक्साइड, जल एवं खनिज जैसे सरल रासायनिक पदार्थों का उपयोग खाद्य संश्लेषण के लिए करते हैं।

  • प्रकाश संश्लेषण के लिए क्लोरोफ़िल एवं सूर्य का प्रकाश अनिवार्य रूप से आवश्यक है।

  • कार्बोहाइड्रेट जैसे जटिल रासायनिक पदार्थ प्रकाश संश्लेषण के उत्पाद हैं।

  • प्रकाश संश्लेषण के प्रक्रम में क्लोरोफ़िल की सहायता से पत्तियों द्वारा सौर ऊर्जा का संचयन किया जाता है।

  • प्रकाश संश्लेषण में ऑक्सीजन उत्पादित होती है। इस ऑक्सीजन का उपयोग सभी जीवों द्वारा उनकी उत्तरजीविता के लिए किया जाता है।

  • कवक अपना पोषण मृत एवं अपघटित जैव पदार्थों से प्राप्त करते हैं। वे मृतजीवी कहलाते हैं। अमरबेल जैसे पादप परजीवी हैं। वे परपोषी पादप से अपना भोजन प्राप्त करते हैं।

  • कुछ पादप एवं अन्य सभी जीव अपने पोषण हेतु दूसरे जीवों पर निर्भर होते हैं, अत: विषमपोषी कहलाते हैं।

अभ्यास

1. जीवों को खाद्य की आवश्यकता क्यों होती है?

2. परजीवी एवं मृतजीवी में अंतर स्पष्ट कीजिए।

3. आप पत्ती में मंड (स्टार्च) की उपस्थिति का परीक्षण कैसे करेंगे?

4. हरे पादपों में खाद्य संश्लेषण प्रक्रम का संक्षिप्त विवरण दीजिए।

5. किसी प्रवाह चित्र की सहायता से दर्शाइए कि पादप भोजन के मूलभूत स्रोत हैं।

6. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(क) क्योंकि हरे पादप अपना खाद्य स्वयं बनाते हैं, इसलिए उन्हें कहते हैं।
(ख) पादपों द्वारा संश्लेषित खाद्य का भंडारण के रूप में किया जाता है।
(ग) प्रकाश संश्लेषण के प्रक्रम में जिस वर्णक द्वारा सौर ऊर्जा संग्रहित की जाती है, उसे कहते हैं।
(घ) प्रकाश संश्लेषण में पादप वायुमंडल से लेते हैं तथा का उत्पादन करते हैं।

7. निम्न कथनों से संबद्ध पारिभाषिक शब्द बताइए-

(क) पीत दुर्बल तने वाला परजीवी पादप
(ख) एक पादप जिसमें स्वपोषण एवं विषमपोषण दोनों ही प्रणाली पाई जाती है।
(ग) वे रंध्र, जिनके द्वारा पत्तियों में गैसों का आदान-प्रदान (विनिमय) होता है।

8. सही उत्तर पर $(\checkmark)$ का चिह्न लगाइए-

(क) अमरबेल उदाहरण है किसी

(i) स्वपोषी का।
(ii) परजीवी का।
(iii) मृतजीवी का।
(iv) परपोषी का।

(ख) कीटों को पकड़कर अपना आहार बनाने वाले पादप का नाम है-

(i) अमरबेल
(ii) गुड़हल
(iii) घटपर्णी (पिचर पादप)
(iv) गुलाब

9. कॉलम $\mathrm{A}$ में दिए गए शब्दों का मिलान कॉलम $\mathrm{B}$ के शब्दों से कीजिए-

कॉलम A कॉलम B
(क) क्लोरोफ़िल (i) जीवाणु
(ख) नाइट्रोजन (ii) परपोषित
(ग) अमरबेल (iii) घटपर्णी (पिचर पादप)
(घ) जंतु (iv) पत्ती
(च) कीटभक्षी (v) परजीवी

10. निम्न कथनों में से सत्य एवं असत्य कथनों का चयन कीजिए।

(क) प्रकाश संश्लेषण में कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त होती है।
(ख) ऐसे पादप, जो अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं, मृतजीवी कहलाते हैं।
(ग) प्रकाश संश्लेषण का उत्पाद प्रोटीन नहीं है।
(घ) प्रकाश संश्लेषण में सौर ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में रूपांतरण हो जाता है।

सही विकल्प चुनिए-

11. पादप के किस भाग द्वारा प्रकाश संश्लेषण हेतु वायु से कार्बन डाइऑक्साइड ली जाती है?

(क) मूल रोम
(ख) रंध्र
(ग) पर्णशिराएँ
(घ) बाहयदल

12. वायुमंडल से मुख्यतः जिस भाग द्वारा पादप कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त करते हैं, वह है-

(क) जड़
(ख) तना
(ग) पुष्प
(घ) पत्तियाँ

विस्तारित अध्ययन-क्रियाकलाप एवं परियोजना कार्य

1. गमले में लगे चौड़ी पत्तियों वाले किसी पादप को लीजिए। काले कागज़ की दो पट्टियाँ लेकर उनके मध्य में लघुमाप की वर्गाकार आकृति काट लीजिए। इन कागज़ों से किन्ही दो पत्तियों को इस प्रकार ढकिए कि उनका कुछ भाग काले कागज़ से ढका रहे, जबकि शेष भाग काटी गई वर्गाकार आकृति के कारण खुला रहे। फिर इन पर सावधानी से क्लिप लगा दीजिए (चित्र 1.9)। पादप को 2-5 दिनों के लिए सूर्य के प्रकाश (धूप) में रख दीजिए। पत्ती के ढके हुए एवं बिना ढके भाग के रंग का निरीक्षण कीजिए। क्या पत्ती के दोनों भागों में कुछ अंतर दिखाई देता है? इनमें से एक पत्ती का आयोडीन परीक्षण कीजिए। अब दूसरी पत्ती पर से कागज़ हटाकर पादप को 2-3 दिनों के लिए सूर्य के प्रकाश में रख दें तथा ढकी गई पत्ती का भी आयोडीन परीक्षण कीजिए। अपने प्रेक्षण की व्याख्या कीजिए।

2. यदि आपके घर के आस-पास कोई ग्रीन हाउस हो, तो वहाँ जाइए। देखिए, वहाँ पादप कैसे उगाए जाते हैं। पता लगाइए कि पौधों की स्वस्थ वृद्धि के लिए वहाँ प्रकाश, जल एवं कार्बन डाइऑक्साइड का नियमन किस प्रकार करते हैं?

3. शकरकंद को केवल जल में उगाने का प्रयास कीजिए। अपने प्रयोग एवं प्रेक्षण का वर्णन कीजिए।

क्या आप जानते हैं?

पादपों के लिए प्रकाश इतना अधिक महत्वपूर्ण है कि उनकी पत्तियों की वृद्धि अनेक प्रकार से होती है, जिससे कि उन्हें अधिकतम प्रकाश ग्रहण करने में सुविधा हो।



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