अध्याय 12 शहीद झलकारीबाई

(सन् 1857 ई.।अपने महल में रानी लक्ष्मीबाई। चिंतित अवस्था में। रानी वीर वेश में। रानी के सामने नाना साहब और कुछ विश्वासपात्र सामंत बैठे हैं। पास ही एक पलंग पर रानी का दत्तक पुत्र दामोदर राव बैठा है।)

लक्ष्मीबाई : झाँसी के वीरो ! अंग्रेजों की विशाल सेना ने झाँसी को चारों ओर से घेर लिया है। हमारी सेना के अनेक योद्धा वीरगति प्राप्त कर चुके हैं। कुछ सरदार अँग्रेजों से जा मिले हैं। अब हमारे सामने सिर्फ़ एक ही रास्ता बचा है कि हम किले का फाटक खोल दें और अंग्रेज सेना को युद्ध के लिए ललकारें। झाँसी की रक्षा के लिए अपने प्राणों के बलिदान का अवसर आ गया है।

सामंत : रानी माँ ! झाँसी पर अपने प्राण न्योछावर करने के लिए हम हमेशा तैयार हैं। दामोदर राव की सुरक्षा का प्रबंध भी हम कर लेंगे। लेकिन जान-बूझकर अंग्रेजों की सेना के सामने जाकर प्राण देने में कोई समझदारी नहीं है। उचित तो यह होगा कि किसी तरह किले से सुरक्षित निकलकर हम फिर से सेना को संगठित करें।

लक्ष्मीबाई : मैं आपकी योजना से सहमत हूँ। लेकिन अब इस अंग्रेज़ सेना का घेरा तोड़कर किले से बाहर निकल पाना आसान नहीं है। आप तो जानते ही हैं कि अंग्रेजों के भेदिए महल के भीतर भी हैं। ये गद्दार हमारी छोटी-छोटी बातें अंग्रज़ों तक पहुँचा रहे हैं। ऐसी स्थिति में चूहे की तरह बिल में घुसे रहने से तो अच्छा है, हम शेर की तरह शत्रु पर टूट पड़ें।

नाना साहब : महारानी ! आप जैसी वीराँगना को हम मरने के लिए अंग्रेज़ों की सेना के सामने नहीं धकेल सकते। मैं सामंत की बात से सहमत हूँ। आपका यह निर्णय वीरोचित तो है पर रणनीति की दृष्ट्टि से उचित नहीं है। हमें कोई दूसरा रास्ता निकालना होगा। आपकी पराजय केवल रानी लक्ष्मीबाई की पराजय नहीं होगी। वह झाँसी की पराजय होगी। यदि झाँसी इतनी आसानी से पराजित हो गई तो पूरे भारत में चल रहा स्वाधीनता संग्राम ही खतरे में पड़ जाएगा। सबकी निगाहें आप पर टिकी हैं।

(एक दूत का प्रवेश)

दूत : महारानी की जय !

लक्ष्मीबाई : कहो दूत, क्या समाचार लाए हो?

दूत : रानी माँ। समाचार शुभ नहीं है। अंग्रेजों की सेना का घेरा झाँसी के चारों ओर बहुत कड़ा हो गया है। उन्होंने आपको ज़िंदा ही पकड़ने की ठान रखी है।

लक्ष्मीबाई : दूत तुम जाओ ! घटनाओं पर कड़ी निगाह रखो !

(दूत तेज़ कदमों से चला जाता है।)

लक्ष्मीबाई : नाना साहब ! मैं किसी भी हालत में अंग्रेजों की बंदी नहीं होना चाहती। मैं झाँसी की रक्षा करते-करते शहीद हो जाना पसंद कर्वँगी। आप आदेश दें ! हम अंग्रेजों पर टूट पड़ना चाहते हैं।

(तभी नारी सेना की सेनापति झलकारीबाई का प्रवेश होता है। लक्ष्मीबाई की हमशक्ल)

झलकारीबाई: महारानी की जय !

लक्ष्मीबाई : आओ-आओ झलकारी बाई। तुम ठीक समय पर आई हो। कहो तुम्हररी सेना की क्या तैयारी है?

झलकारीबाई: रानी माँ! नारी सेना, अगली पंक्तियों में लड़ने के लिए तैयार खड़ी है। बस… आपके आदेश की प्रतीक्षा है ! किंतु……….

लक्ष्मीबाई : किंतु क्या? निस्संकोच होकर कहो।

झलकारीबाई: गुस्ताखी माफ़ हो रानी माँ ! मुझे इस निर्णायक युद्ध के लिए आपके वस्त्र, पगड़ी और कलगी चाहिए।

लक्ष्मीबाई : (मुसकुराकर) ठीक है झलकारी ! तुम्हारी यह इच्छा अवश्य पूरी होगी।

(लक्ष्मीबाई कक्ष में जाती है और एक थाल लाकर झलकारी को देती है। झलकारी उन्हें झुककर प्रणाम करती है। झलकारी का प्रस्थान।)

लक्ष्मीबाई : देखा आपने! अब अधिक सोचने का समय नहीं है। मैदान में उतरने का समय है।

(नाना साहब कुछ कहना ही चाहते हैं तभी झलकारीबाई, रानी की वेशभूषा में सजकर प्रवेश करती है। सब लोग उसे देखकर आश्चर्य में पड़ जाते हैं।)

नाना साहब: अरे झलकारीबाई, तुम ! तुम तो हू-ब-हू लक्ष्मीबाई लग रही हो।

झलकारीबाई: आप ठीक कह रहे हैं। मेरा रानी माँ का हमशक्ल होना शायद आज ही सार्थक हो सकता है।

नाना साहब : झलकारीबाई, तुम्हारी योजना क्या है। यह तो बताओ?

झलकारीबाई: मेरी योजना यह है कि मैं अपनी सेना लेकर किले के मुख्य द्वार पर अंग्रेजों को उलझा कर रखूँगी। इससे उनका पूरा ध्यान मुझ पर बना रहेगा। वे रानी समझकर मुझे घेरने का प्रयत्न करते रहेंगे। इतने में रानी माँ दामोदर सहित अपने वीर सैनिकों को लेकर महल से दूर निकल जाएँगी।

लक्ष्मीबाई : लेकिन झलकारीबाई ! मैं तुम्हें जानबूझ कर मौत के मुँह में कैसे जाने दूँ? .

झलकारीबाई: रानी माँ ! आप ही ने हमें सिखाया है कि वीराँगनाएँ मौत से नहीं डरतीं। हम प्राणों की बाज़ी लगाकर भी झाँसी की रक्षा करेंगे।

नाना साहब: झलकारीबाई ठीक कहती है महारानी। अब आप देर मत कीजिए। झलकारीबाई जैसा कहती है वैसा ही कीजिए।

(महारानी की जय! झाँसी अमर रहे का जयघोष करते झलकारीबाई का प्रस्थान।)

(लक्ष्मीबाई के वेश में झलकारीबाई अंग्रेजी सेना पर टूट पड़ती है। अंग्रेजी सेना को काटती हुई झलकारीबाई आगे बढ़ती है। नारी सेना भी शत्रुओं को काटती हुई युद्ध कर रही है। झलकारीबाई के शरीर पर अनेक घाव लगे हैं। वह निढाल है। यह देखकर जनरल अपने सैनिकों को हुक्म देता है।)

जनरल रोज़ः सैनिको! झाँसी की रानी को ज़िंदा पकड़ना है। चारों ओर से घेर लो इसे।

(अंग्रेजी सेना आगे बढ़ती है और निढाल झलकारीबाई को बंदी बना लेती है।)

जनरल रोज़ः झाँसी की रानी ! तुम बहुत बहादुर हो। हम तुम्हारी बहादुरी को सलाम करते हैं। लेकिन अब तुम हमारी बंदी हो।

झलकारीबाई: जनरल ! झाँसी की रानी को ज़िंदा पकड़ना तुम्हारे बूते की बात नहीं है। वह जीवित रहने तक स्वतंत्र ही रहेगी। रानी झाँसी की जय!

(इतना कहकर झलकारीबाई बेहोश हो जाती है।)

जनरल रोज़ः क्या यहाँ कोई है जो इसे पहचानता हो?

(एक सैनिक वहाँ आता है और झलकारी को पहचान लेता है।)

सैनिक : जनरल, आपका शक ठीक है। यह लक्ष्मीबाई नहीं उनकी हमशक्ल झलकारीबाई है।

जनरल रोज़: झलकारीबाई! इस औरत ने तो कमाल कर दिया।

(झलकारीबाई का मृत शरीर धरती पर पड़ा है। जनरल रोज़ अवाक खड़ा है। पर्दा धीरे-धीरे गिरता है।)

अभ्यास

शब्दार्थ

चिंतित $-$ परेशान, सोच में पड़ा हुआ विश्वासपात्र $-$ जिस पर विश्वास हो
दत्तकपुत्र $-$ गोद लिया हुआ बेटा गद्दार $-$ विद्रोही
ललकारना $-$ चुनौती देना संग्राम $-$ युद्ध
स्वाधीनता $-$ आज़ादी वीराँगना $-$ वीर स्त्री
निगाह $-$ नज़र, दृष्टि कलगी $-$ पगड़ी में लगाया जाने वाला तुर्रा
निर्णायक $-$ निर्णय करने वाला हू-ब-हू $-$ वैसा का वैसा
हमशक्ल $-$ एक जैसी शक्ल/सूरत वाला अवाक होना $-$ आश्चर्य में पड़ जाना
निढाल होना $-$ थक जाना रणनीति $-$ योजना

1. पढ़ो, समझो और करो

नमूना $\Rightarrow\hspace{ 0.50cm}$ चिंता - चिंतित

जीवन $-$ सुरक्षा $-$
पीड़ा $-$ पराजय $-$
उपेक्षा $-$

2. मुहावरे
अपने प्राणों के बलिदान का अवसर आ गया है। इस वाक्य में “प्राणों का बलिदान देना” मुहावरे का प्रयोग हुआ है। नीचे कुछ और मुहावरे दिए गए हैं। इसका अपने वाक्यों में प्रयोग करो।

टूट पड़ना, निढाल होना, वीरगति पाना, शहीद हो जाना, प्राणों की बाज़ी लगाना, मौत के मुँह में जाना, मैदान में उतरना

3. पाठ से
(क) झलकारीबाई ने लक्ष्मीबाई से किस चीज़ की माँग की और क्यों?

(ख) ‘जनरल! झाँसी की रानी को ज़िंदा पकड़ना तुम्हारे बूते की बात नहीं है।’ यह किसने, किससे और क्यों कहा?

(ग) झलकारीबाई का क्या हुआ?

4. खोजबीन
(क) आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लेने वाली कुछ महिलाओं के नाम बताओ।

(ख) रानी लक्ष्मीबाई के बारे में सुभद्रा कुमारी चौहान की एक प्रसिद्ध कविता तुमने पढ़ी या सुनी होगी। उसकी कुछ पंक्तियाँ कॉपी में लिखो।

5. तुम्हारी समझ
तुमने इस एकाँकी को अच्छी तरह से अवश्य समझ लिया होगा। अब इस पाठ के आधार पर स्वयं कुछ प्रश्न बनाकर लिखो। उनके उत्तर भी लिखो। यदि तुम चाहो तो उत्तर देने के लिए अपने साथी से प्रश्नों की अदला-बदली भी कर सकते हो।

6. हमशक्ल
झलकारीबाई, लक्ष्मीबाई की हमशक्ल थी। तुम्हारे विचार से हमशक्ल होने के क्या-क्या लाभ या हानि हो सकते हैं?

7. अभिनय

इस एकाँकी का कक्षा में अभिनय करो। तुम बिना किसी अतिरिक्त सामग्री के भी नाटक का मंचन कर सकते हो।



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