अध्याय 02 सबसे सुंदर लड़की
समुद्र के किनारे एक गाँव था। उसमें एक कलाकार रहता था। वह दिनभर समुद्र की लहरों से खेलता रहता, जाल डालता और सीपियाँ बटोरता। रंग-बिरंगी कौड़ियाँ, नाना रूप के सुंदर-सुंदर शंख, चित्र-विचित्र पत्थर, न जाने क्या-क्या समुद्र-जाल में भर देता। उनसे वह तरह-तरह के खिलौने, तरह-तरह की मालाएँ तैयार करता और पास के बड़े नगर में बेच आता।
उसका एक बेटा था, नाम था उसका हर्ष। उम्र अभी ग्यारह की भी नहीं थी, पर समुद्र की लहरों में ऐसे घुस जाता, जैसे तालाब में बत्तख।
एक बार ऐसा हुआ कि कलाकार के एक रिश्तेदार का मित्र कुछ दिन के लिए वहाँ छुट्टी मनाने आया। उसके साथ उसकी बेटी मंजरी भी थी। होगी कोई नौ-दस वर्ष की, पर थी बहुत सुंदर, बिलकुल गुड़िया जैसी।
हर्ष बड़े गर्व के साथ उसका हाथ पकड़कर उसे लहरों के पास ले जाता। एक दिन मंजरी ने चिल्लाकर कहा, “तुम्हें डर नहीं लगता?”
हर्ष ने जवाब दिया, “डर क्यों लगेगा, लहरें तो हमारे साथ खेलने आती हैं।” और तभी एक बहुत बड़ी लहर दौड़ती हुई हर्ष की ओर आई, जैसे उसे निगल जाएगी। मंजरी चीख उठी, पर हर्ष तो उछलकर लहर पर सवार हो गया और किनारे पर आ गया।
मंजरी डरती थी, पर मन ही मन यह भी चाहती थी कि वह भी समुद्र की लहरों पर तैर सके। उसे यह तब और भी ज़रूरी लगता था, जब वह वहाँ की दूसरी लड़कियों को ऐसा करते देखती-विशेषकर कनक को, जो हर्ष के हाथ में हाथ डालकर तुफ़ानी लहरों पर दूर निकल जाती।
वह बेचारी थी बड़ी गरीब। पिता एक दिन नाव लेकर गए, तो लौटे ही नहीं। माँ मछलियाँ पकड़कर किसी तरह दो बच्चों को पालती थी। कनक छोटे-छोटे शंखों की मालाएँ बनाकर बेचती। मंजरी को वह लड़की ज़रा भी नहीं भाती। हर्ष के साथ उसकी दोस्ती तो उसे कतई पसंद नहीं थी।
एक दिन हर्ष ने देखा कि कई दिन से उसके पिता एक सुंदर-सा खिलौना बनाने में लगे हैं। वह एक पक्षी था, जो रंग-बिरंगी सीपियों से बना था। वह देर तक देखता रहा, फिर पूछा, “बाबा, यह किसके लिए बनाया है?”
कलाकार ने उत्तर दिया, “यह सबसे सुंदर लड़की के लिए है। मंजरी सुंदर है न? दो दिन बाद उसका जन्मदिन है। उस दिन तुम इस पक्षी को उसे भेंट में देना।”
हर्ष की खुशी का पार नहीं था। बोला, “हाँ-हाँ बाबा, मैं यह पक्षी मंजरी को दूँगा।” और वह दौड़कर मंजरी के पास गया, उसे समुद्र किनारे ले गया और बातें करने लगा। फिर बोला,“दो दिन बाद तुम्हारा जन्मदिन है”
“हाँ, पर तुम्हें किसने बताया?”
“बाबा ने। हाँ, उस दिन तुम क्या करोगी?”
“सबेरे उठकर नहा-धोकर सबको प्रणाम करूँगी। घर और इसी तरह बातें करते-करते वे न जाने कब उठे और दूर तक समुद्र में चले गए। सामने एक छोटी-सी चट्टान थी। हर्ष ने कहा, “आओ, छोटी चट्टान तक चलें।”
मंजरी काफी निडर हो चली थी। बोली, “चलो।” तभी हर्ष ने देखा-कनक बड़ी चट्टान पर बैठी है। कनक ने चिल्लाकर कहा, “हर्ष, यहाँ आ जाओ।”
हर्ष ने जवाब दिया, “मंजरी वहाँ नहीं आ सकती, तुम्हीं इधर आ जाओ।” अब मंजरी ने भी कनक को देखा। उसे ईर्ष्या हुई। वह वहाँ क्यों नहीं जा सकती? वह क्या उससे कमज़ोर है…
वह यह सोच ही रही थी कि उसे एक बहुत सुंदर शंख दिखाई दिया। मंजरी अनजाने ही उस ओर बढ़ी। तभी एक बड़ी लहर ने उसके पैर उखाड़ दिए और वह बड़ी चट्टान की दिशा में लुढ़क गई। उसके मुँह में खारा पानी भर गया। उसे होश नहों रहा।
यह सब आनन-फानन में हो गया। हर्ष ने देखा और चिल्लाता हुआ वह उधर बढ़ा पर तभी एक और लहर आई और उसने उसे मंजरी से दूर कर दिया। अब निश्चित था कि मंजरी बड़ी चट्टान से टकरा जाएगी, परंतु उसी क्षण कनक उस क्रुद्ध लहर और मंजरी के बीच कूद पड़ी और उसे हाथों में थाम लिया।
दूसरे ही क्षण तीनों छोटी चट्टान पर थे। कुछ देर हर्ष और कनक ने मिलकर मंजरी को लिटाया, छाती मली, पानी बाहर निकल गया। उसने आँखें खोलकर देखा, उसे ज़रा भी चोट नहीं लगी थी पर वह बार-बार कनक को देख रही थी।
अपने जन्मदिन की पार्टी के अवसर पर वह बिलकुल ठीक थी। उसने सब बच्चों को दावत पर बुलाया। सभी उसके लिए कुछ न कुछ लेकर आए थे। सबसे अंत में कलाकार की बारी आई। उसने कहा, “मैंने सबसे सुंदर लड़की के लिए सबसे सुंदर खिलौना बनाया है। आप जानते हैं, वह लड़की कौन है? वह है मंजरी।”
सबने खुशी से तालियाँ बजाईं। हर्ष अपनी जगह से उठा और बड़े प्यार से वह सुंदर खिलौना उसने मंजरी के हाथों में थमा दिया। मंजरी बार-बार उस खिलौने को देखती और खुश होती।
तभी क्या हुआ, मंजरी अपनी जगह से उठी। उसके हाथ में वही सुंदर पक्षी था। वह धीरे-धीरे वहाँ आई जहाँ कनक बैठी थी। उसने बड़े स्नेह-भरे स्वर में उससे कहा, “यह पक्षी तुम्हारा है। सबसे सुंदर लड़की तुम्हीं हो।” और एक क्षण तक सभी अचरज से दोनों को देखते रहे। फिर जब समझे, तो सभी ने मंजरी की खूब प्रशंसा की। कनक अपनी प्यारी-प्यारी आँखों से बस मंजरी को देखे जा रही था… और दूर समुद्र में लहरें चिल्ला-चिल्लाकर उन्हें बधाई दे रही थीं।
- विष्णु प्रभाकर
अभ्यास
शब्दार्थ
बटोरना - इकट्ठा करना ईर्ष्या - जलन रिश्तेदार - संबंधी क्रुद्ध - नाराज़ कतई - बिलकुल थामना - पकड़ना, संभालना दावत - निमंत्रण विशेष - खास भाना - अच्छा लगना भेंट - उपहार अचरज - हैरानी
1. वाक्य जोड़ो
नमूना $\Rightarrow$ सहेलियाँ नाचती हैं। वे गाती भी हैं।
$\hspace{ 1.3cm}$सहेलियाँ नाचती-गाती हैं।
(क) लहरें उछलती हैं। वे कूदती भी हैं।
(ख) सब बच्चे हँसते हैं। वे खेलते भी हैं।
(ग) मेरी माँ पढ़ना जानती है। वह लिखना भी जानती हैं।
2. कहानी से
(क) हर्ष और कनक छोटे होने पर भी समुद्र की लहरों में कैसे तैर सकते थे?
(ख) हर्ष का पिता क्या काम करता था?
(ग) कनक छोटे-छोटे शंखों की मालाएँ बनाकर क्यों बेचती थी?
(घ) मंजरी को कनक क्यों नहीं भाती थी?
(ड). मंजरी ने कनक को अपना खिलौना क्यों दे दिया?
3. रिक्त स्थान भरो
नमूना $\Rightarrow$ गुड़िया जैसी सुंदर
(क) दूध जैसा _____________
(ख) हाथी जैसा _____________
(ग) रात जैसा _____________
(घ) रूई जैसा _____________
(ङ) चीनी जैसा _____________
4. कौन-कैसा
नीचे कुछ शब्द लिखे हैं। उन्हें उचित खाने में लिखो।
दयालु, डरपोक, साहसी, सुंदर, अमीर, गरीब, समझदार, लालची, ईर्ष्यालु, अच्छी, मेहनती, आलसी, मूर्ख, लापरवाह, मनमौजी।
कनक | मंजरी |
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5. सुंदर
मंजरी बिलकुल गुड़िया जैसी सुंदर थी। तुम्हें सबसे सुंदर कौन लगती/लगता है? क्यों?
6. गरीब
(क) “वह बेचारी थी बड़ी गरीब।”
लोग आमतौर पर गरीबों को बेचारा और असहाय क्यों मानते हैं? कहानी में कनक को बेचारी कहा गया है जबकि वह निडर और दूसरों की सहायता करने वाली लड़की थी। दूसरी ओर मंजरी गरीब नहीं थी पर ईर्ष्यालु और डरपोक थी। तुम्हारे विचार से असली गरीब कौन है?
(ख) तुमने अपने आस-पास अमीर और गरीब, दोनों तरह के लोग देखे होंगे। तुम्हारे विचार से गरीबी के क्या कारण हो सकते हैं?
(ग) अमीरी और गरीबी के अंतर को कैसे दूर किया जा सकता है? कुछ उपाय सुझाओ।
7. जन्मदिन
(क) क्या तुम्हारा जन्मदिन मनाया जाता है?
(ख) तुम्हारे कितने दोस्तों और संबंधियों का जन्मदिन मनाया जाता है और कितनों का नहीं मनाया जाता?
8. समुद्र
भारत के मानचित्र को देखो। भारत तीन दिशाओं से समुद्र से घिरा है। उन तीनों दिशाओं के नाम मानचित्र में भरो। समुद्र के पास वाले राज्यों के नाम भी भरो।
9. वाक्य बनाओ
‘उसके पिता एक सुंदर-सा खिलौना बनाने में लगे हैं।’ इस वाक्य में ‘सुंदर-सा’ लगाकर वाक्य बनाया गया है। तुम भी साधारण, बड़ा, छोटा, लंबा, गोल, चौकोर और त्रिकोण शब्द में सा, से या सी का प्रयोग कर वाक्य बनाओ।
10. कुछ यह भी करो
(क) हर्ष का पिता समुद्र के किनारे रहता था। वह तरह-तरह के खिलौने एवं मालाएँ तैयार कर पास के बड़े नगर में बेच आता था। तुम अपने आस-पास के कुछ ऐसे ही लोगों के बारे में जानकारी प्राप्त करो। वे किन-किन चीज़ों से क्या-क्या बनाते हैं?
(ख) समुद्र से सीपी, कौड़ी, शंख, पत्थर आदि प्राप्त होते हैं। पता करो उससे और क्या-क्या चीज़ें प्राप्त होती हैं जो मनुष्य के लिए उपयोगी हैं? इसकी एक सूची बनाओ।
(ग) हर्ष और कनक ने मंजरी को समुद्र से निकाला। इसके बाद उन्होंने मंजरी को प्राथमिक उपचार दिया। पता करो तुम कौन से प्राथमिक उपचार करोगे, यदि
- किसी का हाथ गर्म चीज़ से जल जाए
- पैर में काँच घुस जाए
- कोई ज़हरीला जंतु काट ले