अध्याय 08 परिमेय संख्याएँ
8.1 भूमिका
आपने संख्याओं का अध्ययन अपने परिवेश की वस्तुओं के गिनने से प्रारंभ किया। इस कार्य में प्रयोग की गई संख्याओं को गणन संख्याएँ (counting numbers) या प्राकृत संख्याएँ (natural numbers) कहा गया था। ये हैं 1, 2,3, 4, …। प्राकृत संख्याओं में 0 को सम्मिलित करने पर हमें पूर्ण संख्याएँ (whole numbers), अर्थात्
आपका भिन्नों (fractions) से भी परिचय कराया गया था। ये
इस अध्याय में, हम संख्या पद्धति का और आगे विस्तार करेंगे। हम परिमेय संख्याओं (rational numbers) की अवधारणा का परिचय देकर उन पर योग, व्यवकलन, गुणन और विभाजन (भाग) की संक्रियाएँ करना सीखेंगे।
8.2 परिमेय संख्याओं की आवश्यकता
पहले हम देख चुके हैं कि किस प्रकार संख्याओं से संबद्ध विपरीत (opposite) स्थितियों को व्यक्त करने के लिए पूर्णांकों का प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरणार्थ, यदि एक स्थान के दाईं ओर
इसी प्रकार की अनेक स्थितियाँ होती हैं, जिनमें भिन्नात्मक संख्याएँ (भिन्न) संबद्ध होती हैं।
हम समुद्र तल से ऊपर
क्या हम समुद्र तल से नीचे
8.3 परिमेय संख्याएँ क्या हैं ?
शब्द ‘परिमेय’ (rational) की उत्पत्ति, पद ‘अनुपात’ (ratio) से हुई है। आप जानते हैं कि अनुपात
इसी प्रकार, दो पूर्णांकों
एक परिमेय संख्या को ऐसी संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसे
इस प्रकार,
क्या
प्रयास कीजिए
क्या संख्या
परिमेय संख्या है? इसके बारे में सोचिए। दस परिमेय संख्याओं की एक सूची बनाइए।
अंश और हर
इस प्रकार,
ऐसी पाँच परिमेय संख्याएँ लिखिए, जिनमें से प्रत्येक का
(a) अंश एक ॠणात्मक पूर्णांक हो और हर एक धनात्मक पूर्णांक हो।
(b) अंश एक धनात्मक पूर्णांक हो और हर एक ॠणात्मक पूर्णांक हो।
(c) अंश और हर दोनों ॠणात्मक पूर्णांक हों।
(d) अंश और हर दोनों धनात्मक पूर्णांक हों।
किसी भी पूर्णांक को एक परिमेय संख्या माना जा सकता है। उदाहरणार्थ, पूर्णांक -5 एक परिमेय संख्या है, क्योंकि आप इसे
इस प्रकार, परिमेय संख्याओं में पूर्णांक और भिन्न सम्मिलित होते हैं।
समतुल्य परिमेय संख्याएँ
एक परिमेय संख्या को अलग-अलग अंशों और हरों का प्रयोग करते हुए लिखा जा सकता है।
उदाहरणार्थ, परिमेय संख्या
साथ ही,
इस प्रकार,
प्रयास कीजिए
रिक्त स्थानों को भरिए :
(i)
(ii)
एक परिमेय संख्या के अंश और हर को एक ही शून्येतर (non-zero) पूर्णांक से गुणा करने पर, हमें दी हुई परिमेय संख्या के समतुल्य (या तुल्य) एक अन्य परिमेय संख्या प्राप्त होती है। यह ठीक समतुल्य भिन्न प्राप्त करने जैसा ही है।
गुणा की तरह, एक ही शून्येतर पूर्णांक से अंश और हर को भाग देने पर भी समतुल्य परिमेय संख्याएँ प्राप्त होती हैं। उदाहरणार्थ,
8.4 धनात्मक और ॠणात्मक परिमेय संख्याएँ
परिमेय संख्या
प्रयास कीजिए
1. क्या 5 एक धनात्मक परिमेय संख्या है?
2. पाँच और धनात्मक परिमेय संख्याएँ लिखिए।
प्रयास कीजिए
1. क्या -8 एक ॠणात्मक परिमेय संख्या है।
2. पाँच और ॠणात्मक परिमेय संख्याएँ लिखिए। परिमेय संख्याएँ हैं।
इसी प्रकार,
आप देखेंगे कि
प्रयास कीजिए
निम्नलिखित में से कौन-सी संख्याएँ ॠणात्मक परिमेय संख्याएँ हैं?
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
8.5 एक संख्या रेखा पर परिमेय संख्याएँ
आप यह जानते हैं कि एक संख्या रेखा पर पूर्णांकों को किस प्रकार निरूपित किया जाता है। आइए ऐसी ही एक संख्या रेखा खींचें।

आइए अब देखें कि परिमेय संख्याएँ संख्या रेखा पर किस प्रकार निरूपित की जा सकती हैं?
आइए संख्या रेखा पर संख्या
जैसा कि धनात्मक पूर्णांकों की स्थिति में किया गया था, धनात्मक परिमेय संख्याओं को
आप जानते हैं कि संख्या रेखा पर पूर्णांकों को अंकित करते समय, उत्तरोत्तर पूर्णांकों को समान अंतरालों पर अंकित किया जाता है। साथ ही, संख्याओं
इसी प्रकार, परिमेय संख्याएँ
जाता है, जो

हम जानते हैं कि
घटते हुए क्रम में

इसी प्रकार,
इसी प्रकार,
अतः जैसा कि ऊपर किया गया है,
8.6 मानक रूप में परिमेय संख्याएँ
निम्नलिखित परिमेय संख्याओं को देखिए :
इन सभी परिमेय संख्याओं के हर धनात्मक पूर्णांक हैं तथा अंश और हरों के बीच में केवल
ऐसी परिमेय संख्याओं को मानक रूप (standard form) में व्यक्त की गई परिमेय संख्याएँ कहा जाता है।
एक परिमेय संख्या मानक रूप में व्यक्त की हुई कही जाती है, यदि उसका हर धनात्मक पूर्णांक हो तथा उसके अंश और हर में 1 के अतिरिक्त कोई सार्व गुणनखंड न हो।
यदि कोई परिमेय संख्या मानक रूप में नहीं है, तो उसे उसके मानक रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
स्मरण कीजिए कि भिन्नों को उनके न्यूनतम रूपों में व्यक्त करने के लिए, हमने उनके अंशों और हरों को एक ही शून्येतर पूर्णांक से भाग दिया था। हम इसी विधि का प्रयोग परिमेय संख्याओं को उनके मानक रूपों में व्यक्त करने में करेंगे।
उदाहरण 1
हल
हमें दो बार भाग देना पड़ा। पहली बार 3 से और फिर 5 से। इसे निम्नलिखित प्रकार से भी किया जा सकता था :
इस उदाहरण में देखिए कि
इस प्रकार, एक परिमेय संख्या को मानक रूप में व्यक्त करने के लिए, हम उसके अंश और हर को उनके म.स. से, ॠण चिह्न पर बिना कोई ध्यान दिए (यदि कोई हो), भाग देते हैं। (ऋण चिह्न पर ध्यान ना देने का कारण हम अगली कक्षाओं में पढ़ेंगे)
यदि हर में ॠणात्मक चिह्न है, तो ‘-म.स.’ से भाग दीजिए।
उदाहरण 2 मानक रूप में बदलिए :
(i)
(ii)
हल
(i)
अतः, मानक रूप अंश और हर को
इस प्रकार,
(ii)
इस प्रकार,
प्रयास कीजिए
मानक रूप ज्ञात कीजिए
(i)
(ii)
8.7 परिमेय संख्याओं की तुलना
हम यह जानते हैं कि दो पूर्णांकों या दो भिन्नों की तुलना किस प्रकार की जाती है तथा यह भी कि इनमें कौन बड़ा है और कौन छोटा। आइए अब देखें कि दो परिमेय संख्याओं की तुलना किस प्रकार की जा सकती है।
उदाहरणार्थ, संख्या रेखा पर पूर्णांक 5 पूर्णांक 2 के दाईं ओर स्थित है तथा
उसने इस विधि का प्रयोग परिमेय संख्याओं के लिए भी किया। उसे पता था कि संख्या रेखा पर परिमेय संख्याओं को किस प्रकार अंकित (निरूपित) किया जाता है। उसने

क्या उसने दोनों बिंदु सही प्रकार से अंकित किए हैं? उसने कैसे और क्यों
तथा
क्या आप
जानते हैं कि
आप देखते हैं कि
क्या आप
इस प्रकार
उदाहरण 3 क्या
हल
8.8 दो परिमेय संख्याओं के बीच में परिमेय संख्याएँ
रेशमा
क्या
इस प्रकार, हम प्राप्त करते हैं कि दो पूर्णांकों के बीच में पूर्णांकों की संख्या सीमित परिमित या (finite) होती है।
क्या यह परिमेय संख्याओं की स्थिति में भी होगा?
रेशमा ने दो परिमेय संख्याएँ
उसने इन्हें समान हर वाली परिमेय संख्याओं में बदल लिया।
अत:
हमें प्राप्त है कि
इस प्रकार, वह
क्या
हमें प्राप्त है कि
साथ ही,
अत:
इस प्रकार,
प्रयास कीजिए
और के बीच में पाँच परिमेय संख्याएँ ज्ञात कीजिए।
उदाहरणार्थ,
हमें
परिमेय संख्याएँ
आप यह ज्ञात करेंगे कि यह सूची कभी समाप्त नहीं होगी। क्या आप
उदाहरण 4
हल
आइए
हमें प्राप्त है कि
अतः
(आप
उदाहरण 5 निम्नलिखित प्रतिरूप (Pattern) में, चार और संख्याएँ लिखिए :
हल हमें प्राप्त है :

अथवा
इस प्रकार, इन संख्याओं में हम एक प्रतिरूप देखते हैं।
अन्य संख्याएँ
प्रश्नावली 8.1
1. निम्नलिखित परिमेय संख्याओं के बीच में पाँच परिमेय संख्याएँ लिखिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
2. निम्नलिखित प्रतिरूपों में से प्रत्येक में चार और परिमेय संख्याएँ लिखिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
3. निम्नलिखित के समतुल्य चार परिमेय संख्याएँ लिखिए :
(i)
(ii)
(iii)
4. एक संख्या रेखा खींचिए और उस पर निम्नलिखित परिमेय संख्याओं को निरूपित कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
5. एक संख्या रेखा पर बिंदु

6. निम्नलिखित में से कौन-से युग्म एक ही परिमेय संख्या को निरूपित करते हैं?
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
(vii)
7. निम्नलिखित परिमेय संख्याओं को उनके सरलतम रूप में लिखिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
8. संकेतों
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
(vii)
9. निम्नलिखित में प्रत्येक में से कौन-सी संख्या बड़ी है?
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
10. निम्नलिखित परिमेय संख्याओं को आरोही क्रम में लिखिए :
(i)
(ii)
(iii)
8.9 परिमेय संख्याओं पर संक्रियाएँ
आप जानते हैं कि पूर्णांकों तथा भिन्नों को किस प्रकार जोड़ा, घटाया, गुणा और भाग किया जाता है। आइए इन आधारभूत संक्रियाओं का परिमेय संख्याओं पर अध्ययन करें।
8.9.1 योग
हम
संख्या रेखा पर, हमें प्राप्त होता है :

दो क्रमागत बिंदुओं के बीच की दूरी
बाईं ओर 5 कदम चलें। हम कहाँ पहुँचते हैं? हम
हमें वही उत्तर प्राप्त होता है।


हमें क्या प्राप्त होता है?
साथ ही,
प्रयास कीजिए
इस प्रकार, हम देखते हैं कि समान हर वाली परिमेय संख्याओं को जोड़ते समय, हम, हर को वही रखते हुए, अंशों को जोड़ देते हैं।
इस प्रकार,
उदाहरणार्थ, आइए
अत:
इस प्रकार
योज्य प्रतिलोम :
इसी प्रकार,
प्रयास कीजिए
(i)
(ii)
आपको याद होगा कि पूर्णांकों में,
परिमेय संख्याओं के लिए, हम कहते हैं कि
का योज्य प्रतिलोम है तथा
इसी प्रकार,
प्रयास कीजिए
और के योज्य प्रतिलोम क्या हैं?
उदाहरण 6 सतपाल किसी स्थान
हल आइए पूर्व दिशा में चली गई दूरी को धनात्मक चिह्न से व्यक्त करें। इसलिए, पश्चिम दिशा में चली गई दूरी को ॠणात्मक चिह्न से व्यक्त किया जाएगा।
इस प्रकार, बिंदु

क्योंकि यह ॠणात्मक है, इसलिए सतपाल
8.9.2 व्यवकलन ( घटाना )
सविता ने दो परिमेय संख्याओं
फरीदा जानती थी कि दो पूर्णांकों
उसने ऐसा परिमेय संख्याओं के लिए भी किया और ज्ञात किया कि
दोनों विधियों से,
अतः हम कहते हैं कि दो परिमेय संख्याओं को घटाते (व्यवकलन करते) समय, घटाए जाने वाली संख्या के योज्य प्रतिलोम को अन्य परिमेय संख्या में जोड़ देना चाहिए।
इस प्रकार,
8.9.3 गुणन
आइए परिमेय संख्या
संख्या रेखा पर इसका अर्थ होगा

हम कहाँ पहुँचते हैं? हम
हम उसी परिमेय संख्या पर पहुँच जाते हैं।
दोनों विधियों का प्रयोग करते हुए,
अतः, हम ज्ञात करते हैं कि एक परिमेय संख्या को एक धनात्मक पूर्णांक से गुणा करने पर, हम अंश को उस पूर्णांक से गुणा कर देते हैं तथा हर को वही रखते हैं।
आइए अब एक परिमेय संख्या को एक ॠणात्मक पूर्णांक से गुणा करें।
याद रखिए कि -5 को
अतः,
इसी प्रकार,
प्रयास कीजिए
निम्नलिखित गुणनफल क्या होंगे?
(i)
(ii)
उपरोक्त प्रेक्षणों के आधार पर, हम ज्ञात करते हैं कि
अतः, जैसा कि हमने भिन्नों की स्थिति में किया था, हम दो परिमेय संख्याओं को निम्नलिखित विधि से गुणा करते हैं :
प्रयास कीजिए
ज्ञात कीजिए :
(i)
(ii)
चरण 2 : दोनों परिमेय संख्याओं के हरों का गुणा कीजिए।
चरण 1 : दोनों परिमेय संख्याओं के अंशों का गुणा कीजिए।
चरण 2: दोनों परिमेय संख्याओं के हरों का गुणा कीजिए। इस प्रकार,
चरण 3:
साथ ही
8.9.4 विभाजन
भिन्नों के व्युत्क्रमों (reciprocals) के बारे में हम पहले पढ़ चुके हैं।
यह
इस प्रकार,
परिमेय संख्या का उसके व्युत्क्रम से गुणनफल
किसी संख्या का उसके व्युत्क्रम से गुणनफल सदैव 1 होता है।
उदाहरणार्थ
का व्युत्क्रम
इसी प्रकार
है। कुछ और उदाहरण लेकर, इस प्रेक्षण की पुष्टि कीजिए।
सविता ने एक परिमेय संख्या
(भाग दिया) :
उसने भिन्नों की तरह ही व्युत्क्रम की अवधारणा का प्रयोग किया।
अर्पित ने पहले
अंत में, उसने कहा कि
उसने ॠणात्मक चिद्न को छोड़ते हुए, उन्हें भिन्नों की तरह विभाजित किया और बाद में प्राप्त परिणाम के साथ ॠणात्मक चिह्न लगा दिया।
दोनों ने एक ही मान
उपरोक्त से यह प्रदर्शित होता है कि एक परिमेय संख्या को किसी अन्य परिमेय संख्या से भाग देने के लिए, हम उस परिमेय संख्या को अन्य परिमेय संख्या के व्युत्क्रम से गुणा कर देते हैं।
इस प्रकार,
प्रयास कीजिए
ज्ञात कीजिए: (i)
(ii)
प्रश्नावली 8.2
1. योग ज्ञात कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
(vii)
2. ज्ञात कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
3. गुणनफल ज्ञात कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
4. निम्नलिखित के मान ज्ञात कीजिए :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
(v)
(vi)
(vii)
हमने क्या चर्चा की?
1. एक संख्या जिसे
परिमेय संख्या कहलाती है। संख्याएँ
2. सभी पूर्णांक और भिन्न परिमेय संख्याएँ हैं।
3. यदि किसी परिमेय संख्या के अंश और हर को एक ही शून्येतर पूर्णांक से गुणा किया जाए या भाग दिया जाए, तो हमें एक परिमेय संख्या प्राप्त होती है जो दी हुई परिमेय संख्या के समतुल्य परिमेय संख्या कही जाती है।
उदाहरणार्थ,
अतः, हम कहते हैं कि
ध्यान दीजिए कि
4. परिमेय संख्याओं को धनात्मक और ॠणात्मक परिमेय संख्याओं के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। जब अंश और हर दोनों ही या तो धनात्मक पूर्णांक हों या ॠणात्मक पूर्णांक हों, तो वह परिमेय संख्या धनात्मक परिमेय संख्या कहलाती है। जब अंश या हर में से एक ॠणात्मक पूर्णांक हो, तो वह परिमेय संख्या एक ॠणात्मक परिमेय संख्या कहलाती है।
उदाहरणार्थ,
5. संख्या 0 न तो एक धनात्मक परिमेय संख्या है और न ही ॠणात्मक परिमेय संख्या है।
6. एक परिमेय संख्या को अपने मानक रूप में तब माना जाता है, जब उसका हर धनात्मक पूर्णांक हो तथा अंश और हर में
7. दो परिमेय संख्याओं के बीच असीमित परिमेय संख्याएँ होती हैं।
8. समान हर वाली दो परिमेय संख्याओं का योग ज्ञात करने के लिए, उनके अंशों को जोड़ा जा सकता है तथा हर वही रख कर योग ज्ञात किया जा सकता है। भिन्न-भिन्न हरों वाली दो परिमेय संख्याओं को जोड़ने के लिए, पहले दोनों हरों का ल.स. ज्ञात किया जाता है और फिर दोनों परिमेय संख्याओं को ल.स. के बराबर समान हर वाली दो समतुल्य परिमेय संख्याओं में बदल कर जोड़ लिया जाता है।
उदाहरणार्थ,
9. दो परिमेय संख्याओं का व्यवकलन करने के लिए हम घटाई जाने वाली परिमेय संख्या के योज्य प्रतिलोम को अन्य परिमेय संख्या में जोड़ते हैं।
इस प्रकार,
10. दो परिमेय संख्याओं का गुणा करने के लिए, हम इन संख्याओं के अंशों तथा हरों को अलग-अलग गुणा करते हैं
और फिर गुणनफल को
11. एक परिमेय संख्या को एक अन्य शून्येतर परिमेय संख्या से भाग देने के लिए, हम पहली परिमेय संख्या को अन्य परिमेय संख्या के व्युत्क्रम से गुणा करते हैं।
इस प्रकार