अध्याय 04 पंचायती राज
लोग जब अपना प्रतिनिधि चुन लेते हैं तो उसके बाद क्या होता है? ग्रामीण क्षेत्रों में चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा निर्णय कैसे लिए जाते हैं? यहाँ हम ग्राम सभा को देखेंगे जिसमें लोग प्रत्यक्ष रूप से भाग लेते हैं और अपने प्रतिनिधियों से जवाब माँगते हैं।
आज का दिन बड़ा खास है। सभी लोग जल्दी-जल्दी ग्राम सभा के लिए जा रहे हैं। क्या आपको पता है क्यों? क्योंकि पंचायत के चुनावों के बाद आज पहली बार ग्राम सभा की बैठक हो रही है। हरदास गाँव के लोग यह जानने के लिए बहुत उत्सुक हैं कि नयी पंचायत ने उनके लिए क्या योजना बनाई है।
ग्राम सभा
ग्राम सभा की बैठक की शुरुआत में सरपंच और पंच ने सड़क की मरम्मत पर होने वाले खर्च का ब्यौरा दिया। यह सड़क गाँव को मुख्य सड़क से जोड़ती है। इसके बाद पानी की कमी पर चर्चा होने लगी।
ग्राम सभा एक पंचायत के क्षेत्र में रहने वाले सभी वयस्कों की सभा होती है। हो सकता है कि उसमें सिर्फ एक गाँव हो या एक से ज़्यादा। जैसा कि इस उदाहरण में दिया गया है, कई राज्यों में हर गाँव की ग्राम सभा की बैठक अलग होती है। कोई भी व्यक्ति जिसकी उम्र 18 वर्ष या उससे ज़्यादा हो, जिसे वोट देने का अधिकार प्राप्त हो और जिसका नाम गाँव की मतदाता सूची में हो, वह ग्राम सभा का सदस्य होता है।
एक ग्राम पंचायत कई वार्डों (छोटे क्षेत्रों) में बँटी हुई होती है। प्रत्येक वार्ड अपना एक प्रतिनिधि चुनता है जो वार्ड पंच के नाम से जाना जाता है। इसके साथ पंचायत क्षेत्र के लोग मिलकर सरपंच को चुनते हैं, जो पंचायत का मुखिया होता है। वार्ड पंच और सरपंच मिलकर ग्राम पंचायत का गठन पाँच साल के लिए करते हैं।
ग्राम पंचायत का एक सचिव होता है जो ग्राम सभा का भी सचिव होता है। सचिव का चुनाव नहीं होता, उसकी सरकार द्वारा नियुक्ति की जाती है। सचिव का काम है ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत की बैठक बुलाना और जो भी चर्चा एवं निर्णय हुए हों उनका रिकॉर्ड रखना।
गाँव में रहने वाली तिजिया ने बोलना शुरू किया, ‘“हरदास गाँव में पानी की कमी की समस्या बहुत बढ़ गई है। हैंडपंपों का पानी जमीन में बहुत नीचे चला गया है। मुश्किल से हैंडपंप में थोड़ा बहुत पानी आता है। औरतों को तीन किलोमीटर दूर सुरु नदी से पानी लेने जाना पड़ता है।”
एक सदस्य ने सुझाव दिया कि सुरु नदी का पानी पाइप से लाकर गाँव में एक बड़ी-सी टंकी में भर लेते हैं उससे पानी की आपूर्ति हो जाएगी। लेकिन दूसरों को लगा कि यह बहुत महँगा पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि इस साल के लिए हैंडपंप और गहरे कर लेते हैं और कुओं को साफ़ कर लेते हैं।
तिजिया ने कहा, ‘इतने से तो काम नहीं चलेगा! हमें कुछ पक्की व्यवस्था करनी पड़ेगी क्योंकि हर साल पानी का स्तर नीचे ही गिरता जा रहा है। जितना पानी जमीन में रिस के जाता है, हम उससे ज़्यादा उपयोग करते हैं।’"
ग्राम सभा के एक दूसरे सदस्य अनवर ने तब सबको बताया कि उसने महाराष्ट्र के एक गाँव में पानी संरक्षण के नए तरीके देखे हैं। वह उस गाँव में अपने भाई से मिलने गया था। उसको जल संवर्धन विकास कार्यक्रम (वाटरशेड) कहते हैं। उसने सुना था कि सरकार ने इसके लिए पैसा भी दिया था। उसके भाई के गाँव में लोगों ने पेड़ लगाए थे, नालों पर ‘चेक डैम’ यानी छोटे-छोटे बाँध बनाए थे एवं टंकियाँ बनाई थीं।
सबको अनवर का यह विचार बड़ा अच्छा लगा और सबने ग्राम पंचायत को इसके बारे में पता करने के लिए कहा।
- ग्राम सभा क्या होती है?
- ग्राम सभा की बैठक में अब तक कौन-सी समस्याओं पर चर्चा हो चुकी थी? उनके किस तरह के हल सुझाए गए?
ग्राम सभा में चर्चा के लिए अगला मुद्दा था गरीबी रेखा के नीचे आने वाले लोगों की सूची पर स्वीकृति लेना। जैसे ही सूची में दर्ज नाम पढ़ने शुरू किए गए, लोगों के बीच खुसर-पुसर होने लगी। ‘नटवर ने हाल ही में तो एक रंगीन टेलीविजन खरीदा है और उसके बेटे ने एक नई मोटरसाइकिल भी भेजी है। वह गरीबी रेखा के नीचे कैसे हो सकता है? " सूरजमल ने अपने पास बैठे आदमी से धीरे-से कहा।
सरोज ने सुखी बाई से कहा, “बिरजू का नाम इस सूची में कैसे आ गया? उसके पास तो इतनी जमीन है। इस सूची में तो सिर्फ गरीब लोग होने चाहिए। ओमप्रकाश एक मजदूर है। उसके पास बिल्कुल जमीन नहीं है। वह मुश्किल से अपना गुज़ारा चला पाता है, पर उसका नाम इस सूची में नहीं है।’ सुखी बाई ने कहा, “तुम्हें तो पता ही है कि नटवर और बिरजू अमीरचंद को कौन कुछ बोल सकता है? अमीरचंद पहले गाँव का जमींदार था और अब भी बहुत सारी ज्रमीन का मालिक है। लेकिन हमें ओमप्रकाश का नाम तो सूची में डलवाना ही चाहिए। ’’
ग्राम पंचायत पूरे गाँव के हित में निष्पक्ष रूप से काम कर सके इसमें ग्राम सभा की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ग्राम सभा की बैठक में ग्राम पंचायत अपनी योजनाएँ लोगों के सामने रखती है। ग्राम सभा पंचायत को मनमाने ढंग से काम करने से रोक सकती है। साथ ही, पैसों का दुरुपयोग एवं कोई गलत काम न हो, इसकी निगरानी भी करती है।
इस तरह से ग्राम सभा चुने हुए प्रतिनिधियों पर नज़र रखने और लोगों के प्रति उन्हें ज़िम्मेदार एवं जवाबदेह बनाने में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अमीरचंद के दोस्त हैं। अब
सरपंच ने देखा कि लोगों के बीच में खुसर-पुसर हो रही थी। उन्होंने पूछा कि अगर किसी को कुछ कहना हो तो कहे। सरोज ने सूरजमल को उकसाने की कोशिश की कि वह नटवर और बिरजू के बारे में पूछे। लेकिन सूरजमल चुपचाप बैठा रहा। अमीरचंद ग्राम सभा में बैठा सब पर निगाह रखे हुए था। सरोज ने उठकर कहा कि ओमप्रकाश का नाम सूची में होना चाहिए। दूसरे लोगों ने भी माना कि ओमप्रकाश का परिवार बहुत गरीब है। सरपंच ने पूछा कि उसका नाम सूची में क्यों नहीं था। जिस व्यक्ति ने गरीबी रेखा के नीचे आने वाले परिवारों का सर्वेक्षण किया था उसने बताया “मैं ओमप्रकाश के घर कई बार गया, पर हर बार वहाँ ताला लगा हुआ था। वह शायद कहीं काम ढूँढ़ने के लिए गया हुआ था।” सरपंच ने कहा कि ओमप्रकाश की पारिवारिक आय देखी जाएगी और अगर वह सरकार द्वारा तय की गई राशि से कम है तो उसका नाम भी सूची में शामिल किया जाएगा।
- ग्राम सभा में गरीबी रेखा के नीचे आने वाले परिवारों की जो सूची निर्धारित हो रही थी, क्या उसमें कोई गड़बड़ी थी? यदि हाँ, तो वह गड़बड़ी क्या थी?
- सरोज ने सूरजमल से बोलने के लिए कहा, फिर भी वह चुप क्यों रहा?
- क्या आपने ऐसी अन्य घटनाएँ देखी हैं जहाँ लोग अपने लिए ही बोल नहीं पाते? आपके अनुसार ऐसा क्यों होता है? इंसान को बोलने से कौन-सी चीज़ रोकती है?
ग्राम पंचायत
ग्राम पंचायत की नियमित रूप से बैठक होती हैं। उसका मुख्य काम उसके क्षेत्र में आने वाले गाँवों में विकास कार्यक्रम लागू करवाना होता है। जैसा कि आपने देखा ग्राम सभा ही पंचायत के काम को स्वीकृति देती है तभी पंचायत अपना काम कर पाती है।
महाराष्ट्र के दो पंच, जिन्हें 2005 में अपनी पंचायत में उल्लेखनीय काम करने के लिए ‘निर्मल ग्राम पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
ग्राम पंचायत के काम
- सड़कों, नालियों, स्कूलों, भवनों, पानी के स्रोतों और अन्य सार्वजनिक उपयोग के भवनों का निर्माण और रख-रखाव
- स्थानीय कर लगाना और इकट्ठा करना
- गाँव के लोगों को रोजगार देने संबंधी सरकारी योजनाएँ लागू करना
ग्राम पंचायत की आमदनी के स्रोत
- घरों एवं बाज़ारों पर लगाए जाने वाले कर से मिलने वाली राशि
- विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा चलायी गई योजनाओं की राशि जो जनपद एवं जिला पंचायत द्वारा आती है।
- समुदाय के काम के लिए मिलने वाले दान
कुछ राज्यों में ग्राम सभाएँ काम करवाने के लिए समितियाँ बनाती हैं, उदाहरण के लिए निर्माण समिति। मान लीजिए कि गाँव में एक सामुदायिक केंद्र का भवन बनवाना है तो यह काम निर्माण समिति करेगी। इन समितियों में कुछ सदस्य ग्राम सभा के होते हैं और कुछ पंचायत के। ये दोनों मिलकर गाँव के विकास के लिए काम करते हैं। चलिए, देखते हैं कि हरदास ग्राम पंचायत ने क्या-क्या काम किया।
हरदास गाँव की ग्राम सभा में पानी की समस्या को सुलझाने के लिए जो विकल्प दिए गए थे, क्या वे आपको याद हैं? जब हरदास ग्राम पंचायत की बैठक हुई तो कुछ पंचों ने इस मुद्दे को दोबारा उठाया। इस बैठक में सरपंच, पंच और सचिव उपस्थित थे।
पंचायत के सदस्यों ने पहले एक कुआँ साफ करने और दो हैंडपंपों को गहरा करने के विकल्प पर सोच-विचार किया ताकि गाँव को पानी के बिना न रहना पड़े। सरपंच ने सुझाव दिया कि चूँकि पंचायत के पास हैंडपंप की देखरेख के मद में कुछ पैसा है, सो उन्हीं पैसों को इस काम में लगाया जा सकता है। इस पर सभी सदस्य मान गए और सचिव ने उनके निर्णय को रजिस्टर में दर्ज कर लिया।
उसके बाद सभी सदस्य मिलकर समस्या के स्थायी हल पर विचार करने लगे। उनको पता था कि अगली बैठक में ग्राम सभा के सदस्य फिर से प्रश्न पूछेंगे। कुछ पंचों ने शंका जाहिर करते हुए पूछा कि क्या जल संरक्षण से पानी के स्तर में कोई विशेष फर्क पड़ेगा। इस पर बहुत चर्चा हुई। अंत में यह निर्णय हुआ कि ग्राम पंचायत खंड विकास अधिकारी से बात करके इस योजना पर अधिक जानकारी इकट्ठा करेगी।
पंचायत के तीन स्तर
हरदास गाँव की ग्राम सभा और पंचायत के बारे में पढ़ने के बाद आपको समझ में आ ही गया होगा कि
हरदास ग्राम पंचायत में क्या-क्या निर्णय लिए गए?
क्या आपको लगता है कि ये निर्णय लेने जरूरी थे? क्यों?
ऊपर दिए गए विवरण में से एक प्रश्न बनाइए जो अगली ग्राम सभा की बैठक में लोग पंचायत से पूछ सकते हैं।
जल संवर्धन विकास कार्यक्रम ने केवल दो वर्षों में इस बंजर ज्रमीन को हरे-भरे मैदान में बदल दिया है
पंचायती राज व्यवस्था एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोग अपनी सरकार में भाग लेते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत लोकतांत्रिक सरकार का पहला स्तर है। ग्राम पंचायत ग्राम सभा के प्रति जवाबदेह होती है क्योंकि ग्राम सभा के लोग ही उसको चुनते हैं।
पंचायती राज व्यवस्था में लोगों की भागीदारी दो और स्तरों पर होती है। ग्राम पंचायत के बाद दूसरा स्तर विकासखंड का होता है। इसे जनपद पंचायत या पंचायत समिति कहते हैं। एक पंचायत समिति में कई ग्राम पंचायतें होती हैं। पंचायत समिति के ऊपर ज़िला पंचायत या ज़िला परिषद् होती है। यह तीसरा स्तर होता है। ज़िला परिषद् एक ज़िले के स्तर पर विकास की योजनाएँ बनाती है। पंचायत समिति की मदद से ज़िला परिषद् सभी पंचायतों में आबंटित राशि के वितरण की व्यवस्था करती है।
संविधान में दिए हुए निर्देशों के आधार पर देश के हर राज्य ने पंचायत से जुड़े कानून बनाए हैं। इसीलिए पंचायत संबंधी कानून हर राज्य में कुछ अलग-अलग हो सकते हैं। इसके पीछे मुख्य विचार यही है कि अपने गाँव की व्यवस्था में लोगों की भागीदारी बढ़े और उन्हें अपनी आवाज़ उठाने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा मौके मिलें।
अपनी अध्यापिका से निवेदन करें कि किसी चुने हुए प्रतिनिधि, जैसे- पंच, सरपंच, जनपद या ज़िला परिषद् के सदस्य को कक्षा में आमंत्रित करके उनके काम और ज़िम्मेदारियों पर बातचीत करें।
अभ्यास
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हरदास गाँव के लोग किन समस्याओं का सामना कर रहे थे? उन्होंने अपनी समस्याएँ सुलझाने के लिए क्या किया?
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आपके विचार में ग्राम सभा का क्या महत्त्व है? क्या आपको लगता है कि सभी लोगों को ग्राम सभा की बैठक में भाग लेना चाहिए? क्यों?
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अपने क्षेत्र या अपने पास के ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत द्वारा किए गए किसी एक काम का उदाहरण लीजिए और उसके बारे में निम्नलिखित बातें पता कीजिए-
(क) यह काम क्यों किया गया?
(ख) पैसा कहाँ से आया?
(ग) काम पूरा हुआ या नहीं? -
ग्राम सभा और ग्राम पंचायत के बीच में क्या फ़र्क है?
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नीचे दी गई खबर को पढ़िए और फिर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
चौफुला-शिरूर सड़क पर एक गाँव है निमोन। दूसरे गाँवों की तरह पिछले कई महीनों से इस गाँव में भी पानी की बहुत कमी चल रही है। गाँव वाले अपनी जरूरतों के लिए टैंकर पर निर्भर हैं। इस गाँव के भगवान महादेव लाड (35 वर्ष) को सात लोगों ने मिलकर डंडे, लोहे की छड़ से बहुत पीटा। इस घटना का पता तब चला जब कुछ लोग बुरी तरह से घायल लाड को इलाज के लिए अस्पताल लेकर आए। पुलिस की रपट में लाड ने लिखवाया कि उस पर हमला तब हुआ जब उसने टैंकर का पानी टंकी में भरने पर जोर दिया था। टंकी, निमोन ग्राम पंचायत की जल आपूर्ति योजना के तहत बनाई गई थी ताकि पानी का समान रूप से वितरण हो।
परंतु लाड का आरोप था कि ऊँची जाति के लोग इस बात के खिलाफ थे। वे टैंकर के पानी पर दलित जातियों का अधिकार नहीं मानते थे।
$\quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad \quad$ इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर, 1 मई 2004
(क) भगवान लाड को पीटा क्यों गया था?
(ख) क्या आपको लगता है कि यह एक भेदभाव का मामला है? क्यों?
- जल संरक्षण और उसके फ़ायदे के विषय में और जानकारी इकट्ठी कीजिए।