अध्याय 14 फूल

छोटी-सी बगिया में देखो,

कितने रंग जमाते फूल ।

सबके मन को मोहक लगते हैं।

हँसते और मुस्काते फूल।।

जो भी बगिया में आता है

सबको खूब रिझाते फूल।

इधर भटकते, उधर मटकते

तनिक नहीं शरमाते फूल।।

तितली आती भँवरे आते

सबको पास बुलाते फूल।

ताथई-ताथई नाच-नाचकर

मीठे गीत सुनाते फूल ॥

सर्दी गर्मी और वर्षा में

कभी नहीं घबराते फूल।

झूम-झूम कर मौज मनाते

सबका मन बहलाते फूल।।

रंग-बिंरगे प्यारे प्यारे

बगिया को महकाते फूल।

छोटे-छोटे बच्चों जैसे,

संबके मन को भाते फूल।

दिनेश कुमार

अभ्यास

शब्दार्थ

बगिया - छोटा बगीचा
रंग ज़माना - प्रभावित करना
रिझाना - प्रसन्न करना
मटकना - नृत्य की मुद्रा में सिर हिलाना
भाना - अच्छा लगना

भावार्थ

इस कविता में फूल की सुंदरता का वर्णन किया गया है। फूलों के कारण बगिया बहुत सुंदर दिखाई देती है। जो भी व्यक्ति बगिया में आता है, सुंदर -सुंदर फूलों को देखकर प्रसन्न हो उठता है। हवा के कारण इधर-उधर झूमते फूल ऐसे लगते हैं मानो वे सबका स्वागत करने के लिए सिर हिला रहे हों। फूल प्रत्येक ऋतु में प्रसन्न रहते हैं। वे हमें भी यही संदेश देते हैं।

रंग-बिरंगे प्यारे-प्यारे फूल बगिया में छोटे-छोटे बच्चों की तरह सब को अच्छे लगते हैं।

1. समान अर्थवाले शब्दों को रेखा खींचकर मिलाओ

2. कविता की पंक्तियाँ पूरी करो

  1. छोटी-सी बगिया में देखो ……………………………………………….

  2. इधर मटकते उधर मटकते ……………………………………………….

  3. झूम-झूम कर मौज मनाते ……………………………………………….

3. कविता के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो

  1. फूल सबका मन किस तरह मोह लेते हैं?

  2. फूल किसे अपने पास बुलाते हैं?

  3. फूल सबका मन कैसे बहलाते हैं?

  4. फूल सबके मन को क्यों भाते हैं?



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