अध्याय 08 वे दिन भी क्या दिन थे (विज्ञान कथा)

घटना महत्वपूर्ण थी वरना कुम्मी अपनी डायरी में उसे क्यों लिखती। अपनी डायरी में उसने 17 मई सन् 2155 की रात को लिखा, “आज रोहित को सचमुच की एक पुस्तक मिली है।”

वह पुस्तक बहुत पुरानी थी। कुम्मी के दादा ने बताया था कि जब वे बहुत छोटे थे तब उनके दादा ने कहा था कि उनके ज़माने में सारी कहानियाँ कागज़ पर छपती थीं और पढ़ी जाती थीं। पुस्तकों में पृष्ठ होते थे जिन पर कहानियाँ छपी होती थीं और हर पृष्ठ पढ़ने के पश्चात् दूसरा पृष्ठ पलटकर आगे पढ़ना होता था। सारे शब्द स्थिर रहते थे, चलते नहीं थे जैसे आजकल पर्दे पर चलते हैं।

रोहित ने कहा था, “कितनी पुस्तकें बेकार जाती होंगी। एक बार पढ़ीं और फिर बेकार हो गईं। अब तो हमारे टेलीविज़न के पर्दे पर न जाने कितनी पुस्तकों की सामग्री आ जाती है और फिर भी यह पुस्तक नई की नई रहती है।”

कुम्मी ने भी रोहित की हाँ में हाँ मिलाई। फिर पूछा, “तुम्हें वह पुस्तक कहाँ मिली?”

रोहित ने बताया, “अपने घर में। एक पुराना डिब्बा कहीं दबा पड़ा था। उसी को फेंक रहे थे कि उसमें से यह पुस्तक मिली।”

“इसमें क्या लिखा है?”

“स्कूलों के बारे में लिखा है।”

“स्कूल?” कुम्मी ने प्रश्न किया। “उसके विषय में लिखने को है ही क्या? हर विद्यार्थी के घर पर एक मशीन होती है जिसमें टेलीविज़न की तरह का एक पर्दा होता है। रोज़ नियमित रूप उसके सामने बैठकर हमें वह सब याद करना होता है जो वह मशीन हमें बताती है। सारा गृहकार्य करके दूसरे दिन उसी मशीन में डाल देना होता है। हमारी गलतियाँ बताकर फिर वह हमें समझाती है। एक विषय पूरा होने पर वही मशीन हमारी परीक्षा लेकर हमें आगे पढ़ाना आरंभ कर देती है…” कहते-कहते कुम्मी थक गई थी। अंत में बोली, “कितना उबाऊ होता है यह सारा स्कूल का काम!”

रोहित मुस्कराते हुए उसकी बातें सुन रहा था, “अरे बुद्ध, जैसे स्कूल का वर्णन इस पुस्तक में है, वह इससे भिन्न होता था। इसमें तो उन स्कूलों के बारे में लिखा है जो सदियों पहले होते थे।”

कुम्मी के मन में कुछ उत्सुकता जगी, बोली, “फिर भी उनके यहाँ मशीन के बने अध्यापक तो होते ही होंगे?”

कुम्मी को याद आया कि एक बार जब उससे भूगोल में रोज़ वही गलतियाँ होने लगी थीं, तो उसकी माँ ने मुहल्ले के अध्यक्ष को बताया था। तब एक आदमी आया था और उसने उस मशीन के पुर्ज़े-पुर्ज़े अलग कर दिए थे। तब उसने मन-ही-मन यह मनाया था कि वह आदमी इस बोर करने वाले अध्यापक को पुनः जोड़ न पाए, तो उसे हमेशा के लिए छुट्टी मिल जाए। लेकिन उस आदमी ने मशीन को फिर से जोड़कर उसकी माँ को बताया था, “लगता है मशीन के भूगोल की चक्की कुछ तेज़ रफ़्तार पर थी, सो आपकी लड़की के लिए उसे समझना कठिन हो गया था। मैंने अब उसकी गति कुछ धीमी कर दी है, सो आशा है अब ठीक रहेगा।”

और कुम्मी को उसी समय भूगोल का सबक सीखने बैठ जाना पड़ा था। मन-ही-मन वह उस मशीनी-अध्यापक को कोसती रही थी।

तभी रोहित ने कुम्मी के सोचने के सिलसिले को तोड़ा। बोला, “हाँ, तब अध्यापक तो होते थे परंतु मशीन नहीं, स्त्रियाँ और पुरुष होते थे।”

“क्या कहा? कहीं कोई स्त्री या पुरुष इतने सारे विषय हमें सिखा सकता है?”

“क्यों नहीं? वह बच्चों को सारे विषय समझाते थे, गृहकार्य देते थे और प्रश्न पूछते थे। अध्यापक बच्चों के घर नहीं जाते थे बल्कि बच्चे एक विशेष भवन में जाते थे जिसे स्कूल कहते थे।”


कुम्मी का अगला प्रश्न था, “तो क्या सब बच्चे एक समय में एक जैसी ही चीज़ें सीखते थे?”

“हाँ। एक आयु के बच्चे एक साथ बैठते थे।”

“लेकिन माँ कहती हैं कि मशीनी अध्यापक हर बच्चे की समझ के अनुसार पढ़ाता है, फिर पुराने ज़माने में यह कैसे संभव होता था?”

“तब वे लोग इस प्रकार नहीं करते थे। रहने दो, तुम्हारी इच्छा नहीं है तो मैं वह पुस्तक तुम्हें नहीं दूँगा।”

कुम्मी झट बोली, “नहीं नहीं, मैं उसे पढ़ना चाहूँगी कि तब स्कूल कैसे होते थे। कितनी अजीब-अजीब बातें जानने को मिलेंगी!”

इतने में अंदर से माँ की आवाज़ सुनकर कुम्मी बोली, “लगता है सबक का समय हो गया है।”

रोहित भी उठा और अपने घर की ओर चला गया। कुम्मी अपने घर की ओर चली गई। अंदर मशीन आगे का सबक देने को तैयार थी। मशीन से आवाज़ आनी आरंभ हो गई “आज सबसे पहले तुम्हें गणित सीखना है। कल का होम-वर्क छेद में डालो…”

कुम्मी ने वैसा ही किया। वह सोच रही थी कि कितने अच्छे होते होंगे वे पुराने स्कूल जहाँ एक ही आयु के सारे बच्चे हँसते, खेलते-कूदते स्कूल जाते होंगे… और पढ़ाने वाले पुरुष और स्त्रियाँ होते होंगे…

इतने में मशीन से स्वर आना आरंभ हो गया था और पर्दे पर चलते हुए अक्षर एवं अंक आने शुरू हो गए थे।

और कुम्मी सोच रही थी कि तब स्कूल जाने में कितना आनंद आता होगा, कितने खुश रहते होंगे सारे बच्चे!

$\quad$ आइज़क असीमोव


सोचो

1. कुम्मी के हाथ जो किताब आई थी वह कब छपी होगी?

2. रोहित ने कहा था, “कितनी पुस्तकें बेकार जाती होंगी। एक बार पढ़ों और फिर बेकार हो गईं।” क्या सचमुच में ऐसा होता है?

3. कागज़ के पन्नों की किताब और टेलीविज़न के पर्दे पर चलने वाली किताब। तुम इनमें से किसको पसंद करोगे? क्यों?

4. तुम कागज़ पर छपी किताबों से पढ़ते हो। पता करो कि कागज़ से पहले की छपाई किस-किस चीज़ पर हुआ करती थी?

5. तुम मशीन की मदद से पढ़ना चाहोगे या अध्यापक की मदद से? दोनों के पढ़ाने में किस-किस तरह की सरलता और कठिनाइयाँ हैं?

" वे दिन भी क्या दिन थे!"

बीते दिनों की प्रशंसा में कही जाने वाली यह बात तुमने कभी किसी-से सुनी है? अपने बीते हुए दिनों के बारे में सोचो और बताओ कि उनमें से किस समय के बारे में तुम “वे दिन भी क्या दिन थे!" कहना चाहोगे?

कल, आज और कल

1. 1967 में हिंदी में छपी इस कहानी में कल्पना की गई है कि सालों बाद स्कूल की जगह मशीनें ले लेंगी। तुम भी कल्पना करो कि बहुत सालों बाद ये चीजें कैसी होंगी-

• पेन $\qquad$ $\qquad$ • घड़ी $\qquad$ $\qquad$ • टेलीफ़ोन/मोबाइल $\qquad$ $\qquad$ • टेलीविज्जन

• कोई और चीज़ जिसके बारे में तुम सोचना चाहो…

2. नीचे कुछ वस्तुओं के नाम दिए गए हैं। बड़ों से पूछकर पता करो कि बीस साल पहले इनकी क्या कीमत थी और अब इनका कितना दाम है?

आलू $\qquad$ $\qquad$ $\qquad$ दाल $\qquad$ $\qquad$ $\qquad$ लड्डू
चावल $\qquad$ $\qquad$ $\quad$ शक्कर $\qquad$ $\qquad$ $\qquad$ दूध
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3. आज हमारे कई काम कंप्यूटर की मदद से होते हैं। सोचो और लिखो कि अपने व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में हम कंप्यूटर का इस्तेमाल किन-किन उद्देश्यों के लिए करते हैं?


  • जानकारी देने या लेने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। हम जो कुछ सोचते या महसूस करते हैं उसे अभिव्यक्त करने या बताने के भी कई ढंग हो सकते हैं। बॉक्स में ऐसे कुछ साधन दिए गए हैं। उनका वर्गीकरण करके नीचे दी गई तालिका में लिखो।


ऊपर लिखी चीज़ें इकतरफ़ा भी हो सकती हैं और दो तरफ़ा भी। जिन चीज़ों के ज़रिए इकतरफ़ा संप्रेषण होता है उनके आगे $(\rightarrow)$ का निशान लगाओ। दो तरफ़ा संवाद की चीज़ों के आगे $(\leftrightarrow)$ का निशान लगाओ।

तुम्हारी डायरी

  • डायरी लिखना एक निजी काम या शौक है। तुम अपनी डायरी किसी और को पढ़ने को देते हो या नहीं यह तुम्हारी अपनी मर्ज़ी है। कई व्यक्तियों ने अपनी डायरियाँ छपवाई भी हैं, ताकि अन्य लोग उन्हें पढ़ सकें। ऐसी ही कोई डायरी खोजकर पढ़ो और उसका कोई अंश कक्षा में सुनाओ।
  • अपनी डायरी बनाओ और उसमें खुद से जुड़ी बातें लिखो।
  • डायरी में तुम अपने स्कूल के बारे में क्या लिखना चाहोगे?

तुम भी कल्पना करो

दोस्तों के साथ बात करके अंदाज़ा लगाओ कि 50 साल बाद इनमें क्या-क्या बदलाव आएगा-

  • फ़िल्मों में ………………………….
  • गाँव की हालत में ………………………….
  • तुम्हारी परिचित किसी नदी में ………………………….
  • स्कूल में ………………………….

था, है, होगा

1. असीमोव की कहानी 2155 यानी भविष्य में आने वाले समय के बारे में है। फिर भी कहानी में ‘थे’ का इस्तेमाल हुआ है जो बीते समय के बारे में बताता है। ऐसा क्यों है?

2. (क) ‘जब मुझे बहुत डर लगा था…’ ‘मैं जब छोटा था…..’ इस शीर्षक से जुड़े किसी अनुभव का वर्णन करो।

(ख) तुम्हें ‘मैं’ शीर्षक से एक अनुच्छेद लिखना है। अपने स्वभाव, अच्छाइयों, कमियों, पसंद-नापसंद के बारे में सोचो और लिखो। या किसी मैच का आँखों देखा हाल ऐसे लिखो मानो वह अभी तुम्हारी आँखों के सामने हो रहा है।

(ग) अगली छुट्टियों में तुम्हें नानी के पास जाना है। वहाँ तुम क्या-क्या करोगे, कैसे वक़्त बिताओगे-इस पर एक अनुच्छेद लिखो।

तुमने जो तीन अनुच्छेद लिखे उनमें से पहले का संबंध उससे है जो बीत चुका है। दूसरे में अभी की बात है और तीसरे में बाद में घटने वाली घटनाओं का वर्णन है। इन अनुच्छेदों में इस्तेमाल की गई क्रियाओं को ध्यान से देखो। ये बीते हुए, अभी के और बाद के समय के बारे में बताती हैं।



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