पाठ 27 कोशिश हुई कामयाब

चुअकिट का अपना

चुसकिट के लिए आज बहुत-बहुत खास दिन है - इतना खास कि उसे रात को नींद ही नहीं आई। जानते हो क्यों? चुसकिट दस साल की हो गई है, पर आज पहली बार स्कूल जा रही है। कितने सालों से वह इस दिन का इंतज़ार कर रही थी।

स्कूल चुसकिट के घर से बहुत ज़्यादा दूर नहीं है। वहाँ पहुँचने के लिए बस बड़ी सड़क से होकर, झील के साथ-साथ चलते जाओ। पोपलर के पेड़ के पास से झील पार कर लो। फिर थोड़ी-सी चढ़ाई और पहुँच गए स्कूल। लद्दाख के ‘स्किटपो पुल’ गाँव के सभी बच्चे ऐसे ही स्कूल पहुँचते हैं, बस चुसकिट को छोड़कर।

  • तुम स्कूल कैसे जाते हो?

  • पता करो, लद्दाख कहाँ है। वह कैसा इलाका है?

पहले-पहले तो चुसकिट को भी पता नहीं था कि वह दूसरे बच्चों से कैसे अलग है। धीरे-धीरे उसे लगने लगा कि वह अन्य बच्चों की तरह सभी काम नहीं कर पाती। कारण, उसकी टाँगें। उसके जन्म के समय से ही उसकी टाँगों में खराबी थी।

चुअकिट की कुर्भी

चुसकिट पूरा-पूरा दिन खिड़की के पास बैठी ड्रॉइंग बनाती रहती थी। उसकी माँ (आमा-ले) कहती थी कि वह सबसे सुंदर ड्रॉइंग बनाती है। इससे चुसकिट खुश हो जाती थी। एक दिन उसके पिताजी (आबा-ले) उसके लिए पहियों वाली कुर्सी ले आए। चुसकिट ने ज़ल्दी ही अपनी कुर्सी को आगे-पीछे घुमाना सीख लिया।

चुसकिट की खुशी का कोई ठिकाना न था। अब उसके पिताजी को उसे हर जगह उठाकर नहीं ले जाना पड़ता था। जब मन करता, वह आमा-ले से कहती कि वे उसे उस कुर्सी पर बिठा दें। फिर वह अपनी कुर्सी चलाकर बाहर आँगन में आ जाती।

चुसकिट हर सुबह बच्चों को देखती थी। बच्चे हँसते-खेलते, मज़े करते हुए स्कूल जाते थे। उसका भी मन करता था कि काश! वह भी उनमें शामिल हो जाए।

एक दिन अब्दुल उसके घर चिट्ठी पहुँचाने आया, तो उसने पूछा, “चुसकिट तुम स्कूल क्यों नहीं आती?” चुसकिट ने बहुत उदास होकर जवाब दिया, “आबा-ले, मुझे रोज़-रोज़ उठाकर स्कूल नहीं ले जा सकते। मैं अपनी कुर्सी चलाकर भी नहीं जा सकती। स्कूल जाने का रास्ता इतना ऊबड़-खाबड़ जो है। मैं नदी भी कैसे पार कर सकती हूँ?”

अब्दुल ने पूछा, “क्या तुम स्कूल जाना चाहती हो?” चुसकिट का मन उछल पड़ा। वह बोली, “क्यों नहीं, क्यों नहीं! मैं भी तुम सब की तरह स्कूल जाना चाहती हूँ, पढ़ना चाहती हूँ, खेलना चाहती हूँ..”

मेमे-ले (दादाजी) ने उसे, उसी समय टोक दिया। वे बोले, “चुसकिट सपने देखना छोड़ दो। तुम जानती हो, यह मुमकिन नहीं है।”

  • तुम्हें स्कूल में क्या-क्या करना अच्छा लगता है?

  • क्या तुम्हें स्कूल जाना अच्छा लगता है?

  • यदि तुम कभी स्कूल नहीं जा पाते, तो तुम्हें कैसा लगता?

एक उपाय

अब्दुल चुसकिट के घर से चला गया, परंतु वह उसके बारे में सोचता रहा। उसने एक बहुत बढ़िया तरीका सोचा, चुसकिट को स्कूल पहुँचाने का। फिर क्या था! वह हैडमास्टर साहब और सब अध्यापकों के पीछे पड़ गया और अपनी बात मनवाकर ही रहा। अब उन सब का एक ही काम था-चुसकिट की परेशानी को आसानी में बदलना। उन्होंने मिलकर तरीका ढूँढ़ लिया, जिससे चुसकिट अपनी पहियों वाली कुर्सी को स्कूल के रास्ते पर चला सके।

इसके लिए ऊबड़-खाबड़ रास्ते को समतल करना था। बच्चों की एक टोली उसके घर के सामने वाली ऊबड़-खाबड़ ज़मीन को ठीक करने में लग गई। दूसरा टोली नदी के पास वाली ज़मीन को। परंतु अभी एक समस्या और थी चुसकिट नदी कैसे पार करेगी? इसके लिए बड़े बच्चों ने अध्यापक की मदद ली। उन्होंने लकड़ी की फट्टियों से नदी पर पुलिया बनाई। बच्चों ने हँसते-खेलते, खुशी-खुशी यह काम किया। वे सभी चाहते थे कि चुसकिट जल्दी ही स्कूल जाए।

चुसकिट के आमा-ले और आबा-ले भी कहाँ पीछे रहने वाले थे। उन्होंने सभी को गरमागरम चाय पिलाई और बिस्कुट खिलाए। वहीं बैठे चुसकिट के मेमे-ले की आँखों में खुशी के आँसू थे। इसलिए नहीं कि वे दुखी थे, परंतु इसलिए कि वे बहुत खुश थे।

शाम होते-होते सारा काम हो गया। सभी बच्चे बहुत खुश थे। पर सबसे ज़्यादा खुश थी-चुसकिट। उसका सपना अब पूरा होने वाला था। और आज वह दिन आ ही गया! चुसकिट जल्दी-जल्दी तैयार हो रही है- स्कूल जाने के लिए। वह अब और इंतज़ार नहीं कर सकती!

बताओ

  • चुसकिट किस-किस की मदद से स्कूल पहुँच पाई?

  • अगर तुम अब्दुल होते, तो तुम क्या-क्या करते?

  • चुसकिट स्कूल तो पहुँच गई परंतु स्कूल के अंदर उसे कुछ परेशानियाँ हो सकती हैं? कौन-कौन सी? अगर तुम चुसकिट के दोस्त होते, तो उसकी मदद कैसे-कैसे करते?

  • क्या तुम्हारे स्कूल में पहियों वाली कुर्सी के लिए रैंप बने हैं?

ल क्या तुम्हारे घर के आस-पास कोई ऐसा बच्चा रहता है, जिसे किन्हीं कारणों से स्कूल जाने में परेशानी हो रही हो? क्या तुम उस बच्चे की मदद करना चाहोगे? कैसे?

  • अपने घर के आस-पास की इमारतों को देखो। क्या उनमें पहियों वाली कुर्सी अंदर ले जाने की सुविधा है?

आओ, बना कर देखें

  • रैंप और पहियों वाली कुर्सी का चित्र कॉपी में बनाओ।

  • तुम भी अपना एक पुल बनाओ। इसके लिए सामान तुम्हें अपने आस-पास ही मिल सकता है, जैसे- आइसक्रीम की डंडियाँ, प्लास्टिक के चम्मच, छोटी डंडियाँ, रस्सी, सुतली आदि। अपने सारे दोस्तों को भी पुल बनाने के लिए कहो।

  • अब समूह के साथ मिलकर एक मॉडल बनाओ। मॉडल में खेत, नदियाँ, पर्वत, सड़क और रेल की पटरियाँ बनाओ। इसके लिए तुम चिकनी मिट्टी, रेत, कंकड़-पत्थर के टुकड़े, टहनी आदि काम में ले सकते हो। अब इस मॉडल में अलग-अलग जगहों पर पुल रा।

चुअकिट और उसका स्कूल

चुसकिट को स्कूल पहुँचाओ।



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